Sunday, January 8, 2012

आग में जलती हसीना --3



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

आग में जलती हसीना --3

गतांक से आगे......................
दोनों कामुक हो चुके थे. चंदा कि चूत गीली और गर्म हो चुकी थी. वहीँ महेश का लंड भी पूरी तरह से तैयार था और रीस रहा था. एक नर और एक मादा, चुदाई का नैसर्गिक खेल खेलने के लिए बेचैन और आतुर थे, लेकिन दोनों के मन में समाज के बनाये नियम अंदर से डर के रूप में उन्हे रोके हुए थे.

हवस और नैतिकता का यह संघर्ष कितनी देर तक चल सकता है. चंदा और महेश के लिए यह संघर्ष करीब ३ मिनटों तक चलता रहा जिसके कारण दोनों कि कामोत्तेजना बढती जा रही थी. अंत में दोनों इतने उत्तेजित हो गए कि चंदा ने करवट बदल के महेश कि तरफ चेहरा कर लिया और फिर अपनी बायीं टांग को उसके ऊपर रख दिया. उसी समय महेश का हाथ चंदा कि जांघ पर जा पहुंचा. चंदा ने आँखें खोल दी. महेश को अधखुली आँखों कि प्यासी नज़रों से उसने देखा और उससे लिपट गयी. महेश ने भी उसे भींच लिया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए. धीरे धीरे दोनों ने चुम्बन करना शुरू किया. महेश चंदा कि जांघ को सहला रहा था. चंदा बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी. महेश के होंठो को जोर जोर से चूसने लगी और उसे अपने ऊपर खींचने लगी.

महेश ने भी अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी और उसके ऊपर चढ गया. कपडे पहने हुए ही, कुदरत से मजबूर दोनों एक दुसरे से रगड़ने लगे. चंदा को उसके मोटे लंड का एहसास होने लगा था. लेकिन इस रगड से उसका जी नहीं भर रहा था. उसकी चूत जल रही थी और उसे सिर्फ महेश का मोटा लंड ठंडा कर सकता था.

उसने महेश को हटाने कि बहुत कोशिश कि लेकिन महेश अपने लंड को शायद पैंट फाड कर उसकी चूत में उतारना चाहता था. बहुत मुश्किल से ही वह उससे अलग हुआ. उसके हटते ही, चंदा उठ बैठी. महेश उसके सामने ही बैठा था. चंदा ने ब्लाउस का एक और हुक खोलते हुए, आँखों ही आँखों में महेश को आमंत्रित किया. महेश समझ गया. झट से उसका ब्लाउस उतार फेंका. ब्रा निकालने में उसे मुश्किल हो रही थी तो चंदा को हलकी सी हंसी आ गयी. महेश झेंप गया. चंदा ने खुद ही ब्रा उतार दी.

अब उसके गोरे गोरे गोल गोल बूबे अपने पूरे जलवे के साथ अँधेरे में चमक उठे. महेश आँखे फाड फाड के उन्हें देखने लगा. चंदा ने उसका हाथ पकड़ के अपने बूबों पर रख दिया. उन्हें दबाते ही महेश चौंक गया. इतने मुलायम बूबे! उसने उन्हें बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया. चंदा के मुंह से सिसकारी निकाल पड़ी, बोली, "हाय. आराम से गोलू बेटा, उखाड दोगे क्या?"

"दर्द हो रहा है क्या?" महेश ने पुछा.

"इतनी जोर से रगड़ोगे तो दर्द नहीं होगा?"

"अच्छा चलो इनका दर्द गायब कर देता हूँ मामी." कहते हुए महेश ने उसके एक बूबे को चूम लिया. चंदा को मानो कोई करंट लग गया हो. दुसरे बूबे को वह हलके हाथ से दबाता रहा. चंदा कि चूत इंतना पानी छोड़ रही थी कि उसकी पैंटी गीली हो गयी थी.

चंदा ने फिर महेश को बड़ी मुश्किल से अपने से अलग किया और ऊँगली से नीचे कि ओर इशारा किया. महेश समझ गया. उसने उसके पेटीकोट का नाडा खोल दिया और पैंटी और पेटीकोट को एक साथ उतार दिया. पहली बार पूरी तरह से नंगी औरत को देख महेश को लगा कि वह अभी झड जाएगा. तभी चंदा ने उसकी पैंट को खींचना शुरू कर दिया. महेश भी नंगा हो गया.

उसके लंड को देख कर चंदा के चेहरे का रंग उड़ गया. करीब ८ इंच लंबा था. खूब मोटा भी. पता नहीं उसका क्या होगा? अचानक जैसे उसने मन में देख लिया कि उसका क्या होगा और वो मुस्कुराई. महेश के लंड को सहलाने लगी. महेश ने आँखें बंद कर ली. अब चंदा से रहा नहीं जा रहा था. झट से लेट गयी और महेश को अपने ऊपर खींच लिया.

महेश के लंड को पकड़ कर चूत में हल्का सा उतार दिया. महेश को चूत कि गर्मी और गीलापन जैसे ही महसूस हुए उसने खच्च से पूरा लंड अंदर उतार दिया. चंदा के मुंह से एक चीख निकाल गयी और आँखों से आंसू निकाल पड़े.

महेश डर गया और चंदा को देखने लगा. करीब आधे मिनट के बाद चंदा को कुछ होश आया. महेश का लंड अभी भी पूरा का पूरा उसकी चूत में समाया हुआ था. उसे लग रहा था जैसे उसके गर्भाशय को फाड के उसका लंड उसके पेट तक पहुँच गया है. महेश कि आँखों में उसने देखा तो उसे सहमा हुआ पाया. चंदा महेश के कान के पास होंठ लायी और बोली, "इतनी जोर से पेला है यार कि ये तो होना ही था. घबराओ मत, कुतिया समझ के पेलो. आज खूब चोद मेरे राजा. बहुत समय से किसी ने मेरी चूत नहीं फाड़ी है. आज फाड दे. कितना भी चीखूँ, कितना भी चिल्लाऊं, खबरदार अगर चोदना रोक तो. चोद मुझे हरामी, चोद."

ये सुनकर जितना आश्चर्य महेश को हुआ उससे ज्यादा चंदा को हुआ. वह नहीं जानती थी वह यह सब भी बोल सकती थी. लेकिन ऐसी गन्दी बोली सुन, महेश और उत्तेजित हो गया. वह भी ख्यालों में लड़कियों को भद्दी भद्दी गालियाँ दे के चोदता था. सो, यहाँ उसे मौका मिल गया.

"क्यों कुतिया? मुझे नहीं पता था कि तू इतनी बड़ी रंडी है. तुझपे रहम कौन खायेगा? तू चे रो चाहे चिल्ला, मई तो तेरी बुर फाड़ के ही दम लूँगा. रांड मामी, छिनाल कहीं कि, मेरा लौड़ा पसंद है तुझे?", धक्के लगता हुआ वोह बोला.

हालांकि इतने मोटे लंड से चुदते हुए चंदा को थोड़ी तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था, "हाँ मेरे माधरचोद भांजे, तेरा लौड़ा मुझे बहुत पसंद है. रोज पेलना ऐसे ही मुझे. मैं तो तेरी ही रंडी हूँ, कुतिया हूँ तेरी, खूब चोद. ज़रा और जोर से धक्का लगा ना, कुत्ते. ज़रा जल्दी जल्दी चोद न. थक गया क्या?"

"थक गया होगा तेरा पति, तभी तो तू रंडी बन गयी है."

इस तरह कि भद्दी बातें करते हुए महेश उसे चोदे जा रहा था. पूरे कमरे में उसके लंड के उसकी चूत के दीवार से होते घर्षण से उनके रस के मिश्रण कि खुशबु फैल गयी थी. उनकी आंहें, गालियाँ और चंदा कि हलकी हलकी चींखों के बीच, चुदाई कि फच्च फच्च कि आवाज़ भी गूँज रही थी.

थोड़ी देर में महेश कि रफ़्तार तेज हो गयी. दोनों सिर्फ आहें भर रहें थे और कमरे में केवल चुदाई का शोर था. फिर अचानक महेश ने एक जोर का धक्का लगाया और झड गया. चंदा को नाभि के भीतर, खूब अंदर उसके गर्म वीर्य का एहसास हुआ तो वह भी खुद को रोक नहीं पायी और उसे जोर से भींच के झड गयी.

थोड़ी देर बाद जब दोनों को होश आया तो चंदा मुस्कुरा रही थी और महेश शिथिल हो चुका था. उसे बहुत नींद आ रही थी. दिन भर के घूमने फिरने और फिर जिंदगी में पहली बार इतनी ज़बरदस्त चुदाई के बाद वह काफी थक चुका था. वह केवल सोच रहा था कि सबने उससे कहा था कि पहली बार मर्द बहुत जल्दी झड जाता है. क्युकि वह पहले ही मुठ मार चुका था और शायद क्यूंकि वह इतना थका हुआ था, वह सम्भोग का इतना आनंद ले पाया. चुदाई के बाद वह इतने सुख और आनंद कि अनुभूति कर रहा था कि उसके चेहरे पर भी एक हलकी सी मुस्कान थी.

चंदा तो जैसे स्वर्ग में थी. पहली बार किसी ने उसे ऐसे चोदा था. अपने पति से वह कभी ऐसे नहीं चुदवाती थी. हालांकि चंदर उसे खूब बढियां चोदते थे और दोनों मौखिक सम्भोग का भी आनंद लेते थे, इस तरह गालियाँ देते हुए और इतने बड़े और मोटे लंड से चुदने का सुख कुछ अलग ही था. पति से चुदना तो स्वाभाविक है लेकिन अपने भांजे से चुदने में जो रोमांच था वह उसे और कहाँ मिलता.

इसी बीच महेश धीरे से चंदा के ऊपर से उठने लगा. जब उसका लंड उसकी चूत से बाहर निकलने लगा तो चंदा ने महेश को रोक लिया. महेश ने सवालिया नज़रों से उसे देखा तो चंदा ने आँखे बंद करके अपने होंठ उसकी ओर बढ़ा दिए. महेश से रहा न गया. वह भी उसपर झुक गया और दोनों फिर एक गीले और गहरे चुम्बन में डूब गए.

थोड़ी देर बाद जब दोनों के होठ अलग हुए तो चंदा को महसूस हुआ कि उसकी चूत फिर गीली हो चुकी थी और महेश का लंड फिर तन गया था. बिना वक्त गवाए महेश ने लंड को चूत में पेलने का काम फिर शुरू कर दिया. इस बार दोनों कुछ नहीं बोल रहें थे. दोनों कि आँखें बंद थी. केवल तेज साँसें चल रही थी. चंदा बीच में सुख से कराह रही थी और हलके हलके चीख रही थी. उनकी चुदाई फिर चरम पे पहुँच गयी. जब महेश अंत में चंदा के अंदर झाडा तब तक चंदा तीन चार बार झड चुकी थी और पस्त हो चुकी थी.

जब महेश ने अपना लंड बाहर निकाला तो उसपर थोडा खून था. चंदा कि चूत में हल्का दर्द हो रहा था और उसकी चूत हलकी हलकी जल भी रही थी. महेश का लंड भी दुःख रहा था और हल्का सा जल रहा था. दोनों पसीने से भीगे हुए थे. चंदा ने उठ कर महेश को चूमा और उसका हाँथ पकड़ कर उसे बाथरूम कि ओर खींचने लगी. दोनों गए और अपने अपने गुप्तांगों को धोने लगे. महेश पेशाब करने चला गया तो चन्दा को भी पेशाब करने का ख्याल आया. महेश के बाहर निकलने का इन्तेज़ार करने कि बजाय उसने वहीँ बाथरूम में पेशाब कर लेना मुनासिब समझा. फिर वह जा कर लेट गयी. उसके लेटते ही महेश भी बाथरूम से लौट आय और पैंट पहनने लगा. चंदा भी उठी और जाकर एक नाइटी पहन ली. फिर जब बिस्तर में लौटी तो महेश सो चुका था.

चंदा उसके बगल में लेट गई और उसकी छाती सहलाने लगी. फिर उसके हाफ-पैंट में हाथ डाल कर उसे नीचे खींच लिया और उसके लंड और टट्टों से खेलने लगी. महेश के लंड और गोटे, तीनों पे खूब बाल थे जिन्हें वह सहलाने लगी. महेश गहरी नींद में था फिर भी उसके गोटे उसके सहलाने कि वजह से काफी हरकत कर रहें थे और उसका लंड भी धीरे धीरे तनने लगा.

चंदा जानती थी कि इस बार महेश न तो उठेगा न उसे चोदेगा. उसकी चूत भी छिल चुकी थी. एक और बार अगर वह चुदती तो कल चलने फिरने में भी तकलीफ होती. लेकिन नींद अभी उसे आ नहीं रही थी. अचानक उसके मन में एक ख्याल आया और वह उठ कर महेश के लंड के पास गयी और उसे सूंघने लगी. अभी भी उसके लंड से वीर्य के बाद निकलने वाला चिकना द्रव्य रीस रहा था. उसकी खुशबु उसे अच्छी लग रही थी. उसकी चूत भी हलकी सी मचलने लगी. उसने जीभ से लंड के छोर को चाट लिया और उसके रस का स्वाद चखा जो उसे बहुत अच्छा लगा. फिर तो उसने महेश के लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे हलके हलके चूसने लगी. फिर चूसते हुए उसने उसके लंड को अपने मुंह से निकाला और महेश कि ओर देखने लगी. महेश सो रहा था लेकिन उसका लंड अभी जगा हुआ था.

फिर क्या था, चंदा भूखी सी उसके लंड को चूसने और चाटने लगी. बीच बीच में वह उसके गोटों को एक एक करके अपने मुंह में भर लेती और जीभ से खूब चाटती. उसका लंड पूरा मुंह में लेने का प्रयत्न करती लेकिन लंड उसके हलक में घूस जाता. उसे उबकाई आ जाती लेकिन उसकी चूत खूब रिसने लगी थी. बीच बीच एक बाल उसके मुंह में रह जाता तो एक हाँथ से वह बाल निकलती और दुसरे हाँथ से महेश के लंड को रगड़ती. फिर महेश को चूसते चूसते, एक हाथ से वह अपनी चूत भी सहलाने लगी. अंततः महेश नींद में ही झड गया. चंदा ने जैसे सी उसका वीर्य निकलते देखा उसने उसका लंड अपने मुंह में लिया और चूस चूस कर सारा वीर्य अपने मुंह भे भर लिया. उसने सोचा कि वह बाथरूम जा के उसे थूक दे. उसका मुंह पूरा भर चुका था. लेकिन महेश अभी खाली नहीं हुआ था. अब भी उसके लंड से वीर्य निकला जा रहा था. उसका वीर्य गर्म था और उसकी खुशबु तेज थी. बाकी वीर्य चंदा ने अपने हाथ में जमा कर लिया. भरे हुए हाथ और भरे हुए मुंह से चंदा बाथरूम जाने के लिए उठ ही रही थी कि गलती से थोडा वीर्य उसके गले से उतर गया.

चंदा को कुछ भी परेशानी नही हुई. फिर तो चंदा सारा वीर्य निगल गयी. निगलने के बाद मुंह में बचे बाकी वीर्य का स्वाद और उसकी खुशबु उसे बहुत अच्छे लग रहे थे और उसे उत्तेजित भी कर रहें थे. फिर उसने अपने हाँथ में बचे वीर्य को भी सूंघना, चाटना और पीना शुरू कर दिया. सारी उँगलियों को चाट चाट के साफ़ करने के बाद उसने महेश के लंड को भी चाट चाट के साफ़ किया. फिर अपनी उँगलियों को अपनी चूत सहलाने पर लगा दिया. कुछ देर बाद जब वह झड़ने लगी तो खुद के रस को भी उसने खूब चाटा और उसके स्वाद और खुशबु का खूब आनंद लिया. फिर बाथरूम जाकर खुद को साफ़ किया और महेश के हलफ पैंट में हाथ डाल कर, उसकी कंधे पर सर टिका कर और उसकी जांघों पर जांघ चढा कर वह सो गयी.

महेश जब सुबह नींद से जागा तो उसे पेशाब लगी थी जिसके कारण उसका लंड तना हुआ था. होश आते ही उसे महसूस हुआ कि चंदा का हाथ उसके लंड को पकडे हुए था. उसके हाँथ के स्पर्श से उसका लंड और कड़ा हो गया था और महेश भी उत्तेजित ही गया. उसे ख्याल हुआ कि शायद चंदा रात में उसका लंड चूस रही थी या शायद वह उसका सपना था. लेकिन चंदा को वह दो बार चोद चुका था, यह उसे अच्छे से याद था. चंदा का हाँथ उसने अलग किया और उसकी टांग को अपने ऊपर से उठा कर जब वह मूतने जाने के लिए उठा तो चंदा कि नींद भी खुल गयी. महेश ने इशारे से उसे समझा दिया कि वह बाथरूम जा रहा है तो चंदा ने फिर आँखें बंद कर ली और सो गयी.

लौटकर जब महेश आया तो देखा कि नींद में चंदा कि नाइटी उसकी जाँघों से ऊपर सरक चुकी थी. चंदा पीठ के बल लेटी थी और लंबी और गहरी साँसे ले रही थी जिसके कारण उसके बूबे ऊपर नीचे गोटे लगा रहें थे. महेश का लंड मचलने लगा और तनने लगा. उसने नाइटी को और उठा दिया और चंदा कि चूत को उसकी जांघों के बीच खोजने लगा, चंदा भी नींद से जाग गयी और अपने पैर फैला लिए. महेश ने अपनी ऊँगली उसकी चूत में उतार दी. वह अपनी ऊँगली से हलके हलके उसकी चूत को सहलाने लगा. चंदा के चूत गीली होने लगी थी. वह उसकी ओर पलट गयी. और उसे अपने ऊपर खींचने लगी. महेश उसपर चढ बैठा और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. चंदा बेताब हुए जा रही थी. उसने महेश के लंड को पकड़ा और चूत में घुसा दिया. महेश ने एक जहतके में उसकी चूत में अपने पूरे लंड को घुसा दिया तो चंदा कि कराह के साथ साथ उसे एक अजनबी आवाज़ भी सुनाई पड़ी. यह आवाज़ चंदा ने भी सुनी. तारा जग रही थी. हडबडाहट में उसने महेश को अपने से अलग किया और घडी कि ओर देखा. तारा के जागने का समय हो गया था. उसे तैयार कर स्कूल भेजना था. वह तारा को उठा कर बाथरूम ले गयी.

महेश मन मसोसते और लंड मसलते रह गया. तारा को नेहला धुला के चंदा ने उसे तैयार किया और किचन में नाश्ते, चाय और तारा के तिफ्फिन कि तय्यारियों में जुट गयी. महेश तारा के साथ खेलने लगा. थोड़ी देर में तारा को स्कूल ले जाने वाली बस आई तो चंदा उसे छोड़ने बाहर चली गयी. इस दरम्यान महेश ने भी सुबह के काम खत्म कर लिए.

तारा को जब वह छोड़ रही थी तब ड्राईवर उसे खूब घूर रहा था. अचानक उसे ख्याल आया कि क्यूंकि वह केवल एक नाइटी पहने थी और हलकी हलकी हवा चल रही थी, उसके बदन कि एक एक गोलाई साफ़ साफ़ समझ आ रही थी. ड्राईवर कि नज़रों में भरी वासना को वह भांप गयी और उसकी चूत में एक हलकी सी तरंग उठी जिससे उसके सारे शरीर में एक रोमांचक सिहरन दौड गयी. मन में अनेक ख्याल दौड़ने लगे. जब तक वह घर में लौटी, उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी. अभी चंदर को आने में दो घंटे बाकी थे. दो घंटे वह क्या करने चाहती थी, यह बताने कि ज़रूरत यहाँ है ही नहीं. मुस्कुराते हुए वह बेडरूम में घुसी.

चंदा जब कमरे में घुसी तो महेश जैसे उसी का इंतज़ार कर रहा था. उसपर झट से लपका और उसकी नाइटी निकाल फेंकी, फिर उसे बिस्तर पर धकेल के अपनी पैंट निकाल कर उस पर चढ़ गया. चंदा ने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से अलग किया और उसपर चढ़ गयी. महेश कि छाती पर बैठकर उसने महेश को इशारे से रुकने को कहा.
क्रमशः.............................





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