Friday, January 20, 2012

हिंदी सेक्सी कहानियाँ गाओं की चंदा--2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

गाओं की चंदा--2

गतान्क से आगे...........
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा गाओ की चंदा -१ से आगे की कहानी
लेकर हाजिर हूँ
मैने भी और कुछ नही कहा और गाओं की तरफ चल दिया… थोड़ी देर तक मुझे उसकी
नज़रें अपनी पीठ पे ही महसूस होती रही.. अचानक मैं वापस लौट पड़ा.. मंन
नही मान रहा था… दिल ने कहा अभी कुछ करना नही है.. गाओं की लड़की है भड़क
सकती है.. पर उसको देखने का मंन कर रहा था…

हमारे नहाने की जगह से थोड़ा पहले ही एक पेड़ (ट्री) था. मैं चुपके से
उसके पीछे आया और धीरे से उसपे चढ़ गया. और खुद को पत्तो मे छिपाते हुए
आगे वाली डाल पे जा के बैठ गया.. पेड़ पे चढ़ना मैं पहले से जानता था..
गाओं पहले भी आ चुक्का था और स्कूल मे भी अक्सर चढ़ जाया करता था जामुन
के पेड़ पे.

अब मैं यहा से उसे अच्छी तरह देख सकता था.. मुझे 10 मिनिट लगे होंगे जाने
और वापस यहा पहुचने मे.. चंदा अभी वही खड़ी थी… पर इस समय वो एक धोती को
खुद पे लपेट रही थी.. उसके पहने हुए सारे कपड़े नीचे पत्थर पे रखे थे..वो
अपनी कमर ढक चुकी थी पर उसके योवन उभार (बूब्स) देख के मेरा लंड
फड़फादाने लगा.. फिर वो अपनी गाये भेँसो को पानी मे उतारने लगी.. और
लास्ट मे खुद भी पानी मे उतर गयी..

ज़रा ही देर बाद वो एक भेंस की पीठ पे थी.. और उसे यहा वाहा रगड़ रही
थी.. फिर दूसरी फिर तीसरी.. उसकी धोती गीली हो चुकी थी और उसके शरीर से
बिल्कुल चिपकी हुई थी.. पूरा शरीर सॉफ दिख रहा था..तभी उसने एक गाय की
पीठ से पानी मे छलाँग लगाई तो उसकी धोती उपेर हो गयी और ज़रा सी देर को
उसकी जाँघो के दर्शन हुए…

"इनको तो पा के ही रहना है, मैने मन मे सोचा"

वो करीब 1 घंटे तक वाहा नहाती नहलाती रही फिर वो उन सब जनवरो को बाहर
निकाल के खुद भी पानी से बाहर आ गयी.. अफ..क्या लग रही थी वो इस वक़्त…
आग… मैं जला जा रहा था.. इतने दिनो से संभाल के रखा मेरा कुवरापन बाँध
तोड़ के बहने पे उतारू था…मैं पाजामा के उपेर से ही लंड को सहला रहा था
कि शांत हो जा यार.. पर वो मेरी कब सुनने वाला था…उधर चंदा ने अपनी धोती
इधर उधर देखते हुए उतार दी.. वो पूरी नंगी खड़ी थी.. उसके चेहरे पे
प्यारी सी मुस्कान थी.. उसने जैसे मेरी नकल करते हुए अपनी कमर को झटका
दिया पानी सुखाने के लिए.. फिर अपने पूरे बदन पे हाथ फेरा और लास्ट मे एक
हाथ को चूत पे फिराते हुए पानी सॉफ किया.. मैं समझ गया कि इसने मुझे पूरा
देखा था..

फिर वो अपनी चड्डी पहनने लगी.. उसके बाद उसने लोकल ब्रा (कपड़े की बनाई
हुई) पहनी और फिर ब्लाउस और पेटिकोट पहन लिया. अब उसने अपनी धोती को
झाड़ा और वही सुखाने लगी.. ज़रा देर मे ही धोती सूख गयी तो वो उसे पहनने
लगी..

"शो समाप्त" मैने सोचा और पेड़ से उतर के गाओं की तरफ चल दिया…

जैसे तैसे वो दिन गुज़रा… शाम को मैं फिर गाओं घूमने निकला तो मेरी आखें
चंदा कोही ढूँढ रही थी.

फिर वो दिखी.. अपनी सहेलियो के साथ लंगड़ी खेल रही थी. और मुझे ही देख रही थी..

मैं पहुच गया.. मैं भी खेलु??

तुमको आता है लंगड़ी खेलना..?? हां! मैने कहा. पर ये तो लड़कियो का खेल है..

तो क्या हुआ..?? खेल तो खेल है कोई भी खेल सकता है..

मैं थोड़ी देर खेला फिर लड़को के साथ क्रिकेट खेलने चला गया…

अब तक मेरे दिमाग़ ने कई सारी प्लॅनिंग कर ली थी.. काम कल से शुरू होना
था.. और कल ही चाचा जी और चाची जी को भी मुंबई के लिए निकलना था…

वो लोग अगले दिन सुबह ही निकल गये… अब मैं बिल्कुल आज़ाद था.. पड़ोस मे
से खाना आना था.. वाहा सब सुबह 10-11 बजे तक खाना खा लेते थे तो मैने कह
दिया था कि मेरा खाना मेरे कमरे मे रख दिया कीजिए मैं बाद मे खा लिया
करूँगा.. क्यूकी मेरी आदत 3 बजे खाने की है और रात का खाना 10 बजे. जबकि
वो लोग 7 बजे तक खा लेते थे…

अगले दिन मैं नहाने के लिए 12:15 पर पहुचा… मैने पहले पेड़ से देख लिया…
चंदा वही थी और उसकी गायें-भेंसें भी..! मैने इधर उधर देखा.. दूर दूर तक
कोई नही था.. मैने अपने सारे कपड़े उतार के वही पत्थर से दबा दिए और पेड़
की साइड से ही नही मे सरक गया…

मैने के गहरी साँस ली और पानी के अंदर ही अंदर तैरता हुआ चंदा की तरफ बढ़
चला.. पास पहुच के देखा पानी के बहाव से उसकी धोती उपेर को उठी हुई थी और
उसकी मुलायम चूत बिल्कुल सॉफ दिख रही थी.. वो गर्दन भर पानी मे थी और
उसके हाथ एक गाय की बॉडी पे इधर उधर चल रहे थे उसे नहलाने के लिए… उसके
बूब्स गाय की बॉडी से रगड़ खा रहे थे.. मैने अचानक ही अपना हाथ उसके
बूब्स और गाय की बॉडी के बीच मे कर दिया. उसके बूब्स मेरे हाथ पर रगड़
गये.. पर उसे कुछ लगा तो उसने हाथ अपने बूब्स पे फेर के देखा.. कुछ ना पा
कर वो फिर दूसरी गाय को नहलाने लगी.. उसकी धोती पूरी की पूरी उपेर हो
चुकी थी और वो बूब्स के निचले हिस्से तक बिल्कुल नंगी दिख रही थी क्यूकी
वही पे उसने धोती मे गाँठ लगा रखी थी…

मैने थोड़ी दूर जा कर फेस पानी से बाहर करके सांस भरी और फिर पानी मे आ
गया… मुझे शरारत सूझ रही थी और मेरा लंड एक दम लोहे की रोड की तरह तना
हुआ था… मैं चुपके से तैरते हुए उस गाय के नीचे पहुचा जिसे वो नहला रही
थी… उसकी पूछ पकड़ी और उसकी चूत पे हाथ घुमाने लगा… वो कुछ ठहर गयी.. फिर
उसने हाथ अपनी चूत की तरफ किया. मैने पूछ उसके हाथ से लगा दी जिसे उसने
उपेर खीच लिया.. फिर उसकी आवाज़ आई.. तू गुदगुदा रही थी मुझे… फिर उसका
हाथ पूछ के साथ नीचे आया और वो खुद ही पूछ को अपनी चूत पे फिरने लगी..
उसकी चूत की दरार बड़ी प्यारी लग रही थी.. चूत का दाना तो बड़ा ही प्यारा
लग रहा था.. मैने हल्के से उंगली उसपे फेर दी…. अब मुझसे सहन नही हो रहा
था.. पर मैं उसका रेप भी नही करना चाह रहा था.. मैने अपने तने हुए लंड को
टारगेट पे लिया और एक ठोकर उसकी चूत पे मार दी.. वो चोन्कि..!!

उसने अपनी चूत पे हाथ फिराया… जैसे ही उसने हाथ हटाया मैने फिर से उसकी
चूत पे अपने लंड की एक ठोकर और मार दी.. अब की बार वो थोड़ा उपेर हुई फिर
उसने सिर पानी मे डाल के देखना चाहा.. मैं जल्दी से एक भेंस के पीछे हो
गया और मूह बाहर निकाल के साँस फिर से भर ली… तब तक वो नीचे देख के वापस
उपेर हो गयी थी.. उसने शायद कोई मच्चली समझा था जो उसकी चूत से टकरा गयी
थी…. मैने फिर से निशाना बाँधा और एक टक्कर फिर से उसकी चूत पे दी… अब वो
कुछ चोकन्नि सी हो गयी.. उसने हाथ नीचे पानी मे कर लिए.. और अपनी जाँघो
पे फिरने लगी… मैं कहा मानने वाला था मैने फिर से चूत का निशाना लिया और
फिर एक ठोकर मारी.. पर इस बार उसके हाथ जल्दी से आए और मेरे लंड पे
रगड़ते चले गये… मैं समझ गया कि वो मेरा लंड पकड़ना चाहती है… मैं ज़रा
देर रुक गया पर वो अपने हाथ अपनी जाँघो और चूत पे फिराती रही.. फिर उसने
हाथ अपने चूतड़ की तरफ किए तभी मैने फिर से एक और टक्कर मारनी चाही..पर
इस बार उसकी चूत से मेरा लंड छुते ही उसने लपक के मेरा लंड पकड़ लिया… पर
मैं जैसे ही पीछे हटा उसके हाथ से लंड निकल गया…

अब मुझसे और नही रहा गया… मैं पानी से बाहर निकल के उसके सामने आ गया..

चंदा बहुत ज़ोर से चौंकी.. अरे वीनू.. तू कब आया.. मैने कहा मैं तो बहुत
देर से हू.. तू ही बाद मे यहा आई है… वो बोली नही मैं यहा पहले से हू..
तेरे कपड़े भी यहा नही थे.. मैने कहा मैने आज कपड़े पेड़ के पास रखे थे
और वही से नदी मे कूदा था.. पर तू क्या कर रही है..???

देख नही रहा, जानवरो को नहला रही हूँ…!

देख तो रहा हू..पर काफ़ी देर से तू पानी मे उच्छल सी रही है.. नेलहा तो रही नही है…

हां.. वो क्या है कोई मेरे पेरो मे काट रहा था..

कौन??

पता नही, कोई मच्चली होगी शायद.. मैने उसे पकड़ा भी पर वो हाथ से निकल गयी…

कैसी मच्चली थी..??

मालूम नही पर इतने ठंडे पानी मे भी गरम थी.. तभी तो छूट गयी…

ओहो.. चंदा तूने मेरी मच्चली पकड़ ली थी…!

तेरी मच्चली..??? तूने यहा कौन सी मच्चली पाल ली है..??? वो भी पूरी नदी
मे..?? तुझे कैसे पता कि वो तेरी मच्चली थी..??

मुझे पता है चंदा रानी..!!! मेरी मच्चली हमेशा मेरे साथ ही रहती है… मेरा
कहा मानती है..

मेरे साथ ही घूमती फिरती है.. समझी..!!!??

नही समझी…! ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई मच्चली को हमेशा अपने साथ ले के घूम सके..

हो सकता है क्यू नही हो सकता..? मैं अभी तुझे अपनी मच्चली दिखा सकता हू…

अच्छा… दिखा..!!!

डरेगी तो नही…???

डर… मैं किसी से नही डरती… फिर इस नदी मे शार्क तो आने से रही???

मेरी मच्चली शार्क से भी भयानक है…!! सोच ले.. चंदा… तू पकड़ नही पाएगी.,.

उसके मूह पे गुस्से के भाव आ गये… तू झूठ बोलता है.. तेरे पास कोई मच्चली
है ही नही.. मुझे बनाता है तू..

चल ठीक है.. मैं तुझे अपनी मच्चली पकड़वा ही देता हू…. ला अपना हाथ दे…

उसने झट से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ा दिया…मैने उसका पंजा थामा… पानी के
नीचे लिया और अपने लंड को उसके हाथ मे थमा दिया..उसने फॉरन सख़्त पकड़
बनाई.. पर फिर वो सब समझ गयी… दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज
शर्मा
क्रमशः.

Gaon ki Chanda--2

gataank se aage...........
Maine bhi aur kuch nahi kaha aur gaon ki taraf chal diya… thodi der
tak mujhe uski nazrein apni peeth pe hi mehsoos hoti rahi.. Achanak
mai vapas lout pada.. mann nahi maan raha tha… Dil ne kaha abhi kuch
karma nahi hai.. gaon ki ladki hai bhadak sakti hai.. par usko dekhne
ka mann kar raha tha…

Hamare nahane ki jagah se thoda pehle hi ek ped (Tree) tha. Mai chupke
se uske peechhe aaya aur dheere se uspe chad gaya. Aur khud ko patto
me chhipate hue aage wali dal pe jaa ke baith gaya.. Ped pe chadna mai
pehle se janta tha.. gaon pehle bhi aa chukka tha aur school me bhi
aksar chad jaya karta tha jamun ke ped pe.

Ab mai yaha se use achhi tarah dekh sakta tha.. mujhe 10 minute lage
honge jane aur vapas yaha pahuchane me.. Chanda abhi vahi khadi thi…
Par is samay vo ek dhoti ko khud pe lapet rahi thi.. uske pehne hue
sare kapde niche patthar pe rakhe the..Vo apni kamar dhak chuki thi
par uske yowan ubhar (Boobs) dekh ke mera land farfarane laga.. fir vo
apni gaye bhenso ko pani me utarne lagi.. aur last me khud bhi pani me
utar gayi..

Jara hi der baad vo ek bhens ki peeth pe thi.. aur use yaha vaha ragad
rahi thi.. fir doosri fir tisri.. uski dhoti gili ho chuki thi aur
uske sharir se bilkul chipki hui thi.. pura sharir saaf dikh raha
tha..tabhi usne ek gaye ki peeth se pani me chalang lagayi to uski
dhoti uper ho gayi aur jara si der ko uski jhangho ke darshan hue…

"inko to paa ke hi rehna hai, maine man me socha"

Vo karib 1 ghante tak vaha nahati nehlati rahi fir vo un sab janwaro
ko bahar nikal ke khud bhi pani se bahar aa gayi.. Uff..kya lag rahi
thi vo is waqt… Aag… mai jala ja raha tha.. itne dino se sambhal ke
rakha mera kuwarapan bandh tod ke behne pe utaru tha…mai pajama ke
uper se hi land ko sehla raha tha ki shant ho jaa yar.. par vo meri
kab sunne wala tha…Udhar Chanda ne apni dhoti idhar udhar dekhte hue
utar di.. Vo puri nangi khadi thi.. uske chehre pe pyari si muskan
thi.. usne jaise meri nakal karte hue apni kamar ko jhatka diya pani
sukhane ke liye.. fir apne poore badan pe hath fera aur last me ek
hath ko choot pe firate hue pani saaf kiya.. Mai samajh gaya ki isne
mujhe poora dekha tha..

Fir vo apni chaddi pehanne lagi.. uske baad usne local bra (kapde ki
banayi hui) pehni aur fir blouse aur peticot pehan liya. Ab usne apni
dhoti ko jhara aur vahi sukhane lagi.. jara der me hi dhoti sookh gayi
to vo use pehanne lagi..

"Show samapt" maine socha aur ped se utar ke gaon ki taraf chal diya…

Jaise taise vo din guzra… Sham ko mai fir gaon ghoomne nikla to meri
aakhein chanda kohi dhoondh rahi thi.

Fir vo dikhi.. apni saheliyo ke sath langdi khel rahi thi. Aur mujhe
hi dekh rahi thi..

Mai pahuch gaya.. mai bhi khelu??

Tumko aata hai langdi khelna..?? Haan! Maine kaha. Par ye to ladkiyo
ka khel hai..

To kya hua..?? khel to khel hai koi bhi khel sakta hai..

Mai thodi der khela fir ladko ke sath cricket khelne chala gaya…

Ab tak mere dimag ne kai sari planning kar lit hi.. Kaam kal se shuru
hona tha.. aur kal hi chachaji aur chachi ji ko bhi Mumbai ke liye
nikalna tha…

Vo log agle din subah hi nikal gaye… ab mai bilkul aazad tha.. Pados
me se khana aana tha.. Vaha sab subah 10-11 baje tak khana kha lete
the to maine keh diya tha ki mera khana mere kamre me rakh diya kijiye
mai baad me kha liya karunga.. kyuki meri aadat 3 baje khane ki hai
aur raat ka khana 10 baje. Jabki vo log 7 baje tak kha lete the…

Agle din mai nahane ke liye 12:15 par pahucha… maine pehle ped se dekh
liya… Chanda vahi thi aur uski gayein-bhensein bhi..! Maine idhar
udhar dekha.. door door tak koi nahi tha.. maine apne saare kapde utar
ke vahi patthar se daba diye aur ped ki side se hi nahi me sarak gaya…

Maine ke gehri saans li aur pani ke andar hi andar tairta hua chanda
ki taraf badh chala.. Pass pahuch ke dekha pani ke bahaw se uski dhoti
uper ko uthi hui thi aur uski mulayam choot bilkul saaf dikh rahi
thi.. Vo gardhan bhar pani me thi aur uske hath ek gaye ki body pe
idhar udhar chal rahe the use nehlane ke liye… uske boobs gaye ki body
se ragad kha rahe the.. maine achanak hi apna hath uske boobs aur gaye
ki body ke beech me kar diya. Uske boobs mere hath par ragad gaye..
par use kuch laga to usne hath apne boobs pe fer ke dekha.. kuch naa
paa kar vo fir dusri gaye ko nehlane lagi.. uski dhoti puri ki puri
uper ho chuki thi aur vo boobs ke nichle hisse tak bilkul nangi dikh
rahi thi kyuki vahi pe usne dhoti me ganth laga rakhi thi…

Maine thodi door ja kar face pani se bahar karke sans bhari aur fir
pani me aa gaya… mujhe shararat soojh rahi thi aur mera land ek dam
lohe ki rod ki tarah tana hua tha… mai chupke se tairte hue us gay eke
niche pahucha jise vo nehla rahi thi… uski pooch pakdi aur uski choot
peg humane laga… Vo kuch thahar gayi.. fir usne hath apni choot ki
taraf kiya. Maine pooch uske hath se laga di jise usne uper kheech
liya.. fir uski aawaz aayi.. Tu gudguda rahi thi mujhe… fir uska hath
pooch ke sath niche aaya aur vo khud hi pooch ko apni choot pe firane
lagi.. uske choot ki darar badi pyari lag rahi thi.. choot ka dana to
bada hi pyara lag raha tha.. maine halke se ungli uspe fer di…. Ab
mujhse sehan nahi ho raha tha.. par mai uska rape bhi nahi karma chah
raha tha.. maine apne tane hue land ko target pe liye aur ek thokar
uski choot pe maar di.. Vo chonki..!!

Usne apni choot pe hath firaya… jaise hi usne hath hataya maine fir se
uski choot pe apne land ki ek thokar aur maar di.. ab ki baar vo thoda
uper hui fir usne sir pani me daal ke dekhna chaha.. mai jaldi se ek
bheins ke peeche ho gaya aur muh bahar nikal ke saans fir se bhar li…
tab tak vo niche dekh ke vapas uper ho gayi thi.. usne shayad koi
machhli samjha tha jo uski choot se takra gayi thi…. Maine fir se
nishana bandha aur ek takkar fir se uski choot pe di… ab vo kuch
chokkanni si ho gayi.. usne hath niche pani me kar liye.. aur apni
jhangho pe firane lagi… mai kaha manne wala tha maine fir se choot ka
nishana liya aur fir ek thokar mari.. par is baar uske hath jaldi se
aaye aur mere land pe ragadte chale gaye… mai samajh gaya ki vo mera
land pakadna chahti hai… mai jara der ruk gaya par vo apne hath apni
jhangho aur choot pe firati rahi.. fir usne hath apni chootad ki taraf
kiye tabhi maine fir se ek aur takkar marni chahi..par is baar uski
choot se mera land chhute hi usne lapak ke mera land pakad liya… par
mai jaise hi piche hata uske hath se land nikal gaya…

Ab mujhse aur nahi raha gaya… mai pani se bahar nikal ke uske samne aa gaya..

Chanda bahut jor se choki.. Are Vinu.. tu kab aaya.. maine kaha mai to
bahut der se hu.. tu hi baad me yaha aayi hai… Vo boli nahi mai yaha
pehle se hu.. tere kapde bhi yaha nahi the.. maine kaha maine aaj
kapde ped ke pass rakhe the aur vahi se nadi me kooda tha.. par tu kya
kar rahi hai..???

Dekh nahi raha, janwaro ko nehla rahi hoon…!

Dekh to raha hu..par kafi der se tu pani me uchhal si rahi hai.. nelha
to rahi nahi hai…

Haan.. Vo kya hai koi mere pero me kaat raha tha..

Kaon??

Pata nahi, koi machhli hogi shayad.. maine use pakda bhi par vo hath
se nikal gayi…

Kaisi machhli thi..??

Maloom nahi par itne thande pani me bhi garam thi.. tabhi to choot gayi…

Oho.. Chanda tune meri MACHHLI pakad lit hi…!

Teri Machhli..??? Tune yaha koan si machhli paal li hai..??? Vo bhi
puri nadi me..?? Tujkhe kaise pata ki vo teri machhli thi..??

Mujhe pata hai chanda rani..!!! Meri Machhli hamesha mere sath hi
rehti hai… mera keha mantio hai..

Mere sath hi ghumti firti hai.. Samjhi..!!!??

Nahi samjhi…! Aisa kaise ho sakta hai ki koi machhli ko hamesha apne
sath le ke ghoom sake..

Ho sakta hai kyu nahi ho sakta..? Mai abhi tujhe apni machhli dikha sakta hu…

Achha… Dikha..!!!

Daregi to nahi…???

Darr… mai kisi se nahi darti… fir is nadi me shark to aane se rahi???

Meri machhli shark se bhi bhayanak hai…!! Soch le.. chanda… Tu pakad
nahi payegi.,.

Uske muh pe gusse ke bhav aa gaye… Tu jhooth bolta hai.. tere pass koi
machhli hai hi nahi.. mujhe banata hai tu..

Chal thik hai.. mai tujhe apni machhli pakadwa hi deta hu…. La apna hath de…

Usne jhat se apna hath meri aur badha diya…Maine uska panja thama…
pani ke niche liya aur apne Land ko uske hath me thama diya..usne
foran sakth pakad banayi.. par fir vo sab samajh gayi…
kramashah.


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