मेरी हॉट कजिन--4
gataank se aage..........
मैं अपना चेहरा अनु की चूत के पास ले गया और एक बार नज़र उठा कर ऊपर की ओर देखा. पहले आँखें टकराईं उन दो मस्त पहाड़ों से जो अनु की उस टाईट ब्रा में कैद तने खड़े थे और उसकी हर साँस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे. उनके अकड़े हुए निप्पल जो ब्रा के ऊपर से ही अलग पता चल रहे थे और लगता था जैसे ब्रा में छेद कर के बाहर निकल आएँगे. उसके बाद नज़रें पड़ी उसके चेहरे पे, अनु की आँखें बंद थीं और उसने अपने चेहरे को छत की ओर उठाया हुआ था और अपने निचले होठ को चबा रहा थी आने वाले पल की कल्पना करके.
अनु की चूत से उठती मादक गंध मेरे नथुनों से होकर मेरे दिमाग में चढ़ी जा रही थी और मुझ पर एक अजीब सा नशा हावी हो रहा था और मेरी आँखें बोझिल हो रही थी. फिर मैंने एक नज़र उसके मोटे वर्टिकल लिप्स (हम लड़कों की भाषा में तो चूत को वर्टिकल लिप्स का भी नाम दिया गया है) पर डाली और अपनी गर्दन घुमा कर अपने होठों को भी उसी पोज़ीशन में किया और रख दिया उसकी चूत पर. अपनी चूत पे मेरे होठों का स्पर्श पाते ही अनु के शरीर ने एक झटका सा लिया, मेरे भी शरीर में सिहरन सी दौड़ गई और ऐसा लगा जैसे कोई करंट लगा हो. मेरे होंठ अनु के होठों का रस पीने में व्यस्त हो गए लेकिन इस बार मेरे होंठ उन होठों पे नहीं थे जो अनु के चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और सबको दिखाई देते हैं बल्कि इस बार मैं उन होठों का रसपान कर रहा था जो उसकी जाँघों के बीच में थे और जिन्हें वो सब से छुपा कर ढक कर अँधेरे में रखती है और जिन्हें देख कर किसी का भी मन उद्वेलित हो जाए और उन्हें चूमने, चाटने और प्यार करने के लिए मचल जाए. हरकत केवल मेरे होंठ कर रहे थे लेकिन एहसास बिलकुल ऐसा था जैसे जब कोई युगल फ्रेंच किस करता है. मेरे होंठ अनु के निचले होठों से बिलकुल चिपके हुए थे और किसी वैक्यूम पम्प की भांति उनमे से वो जीवन रस खींचने की कोशिश कर रहे थे. होठों से खूब चूसने के बाद अब बारी थी मेरी जीभ की. आखिर अनु की चूत के अन्दर स्थित उस जीवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही तो ढूंढ सकती थी. एक मंझे हुए कलाकार की तरह उसकी चूत पर अपनी कलाबाजियां दिखा कर अपने नुकीले सिरे को उसकी चूत के अन्दर ले जाकर उस छिपे हुए यौवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही टटोल सकती थी और उसे जागृत कर सकती थी ताकि वो अनु के शरीर में बनने वाले उस अमृत रस की धार छोड़े और मैं उसका रस पान कर सकूँ.
मैंने अनु की चूत को अपने होठों की कैद से आज़ाद किया. मेरे थूक से सराबोर हो गई थी वो शहद की कटोरी और लिसलिसा रही थी. इतने कस कर चूसने के कारण दोनों होंठ फूल कर मोटे हो गए थे ऐसा लग रहा था जैसे सूज गए हों और अब उन चाकलेटी ब्राउन रंग के होटों पर भी एक हलकी सी लालिमा दिखाई दे रही थी, लग रहा था जैसे उनमे रक्त प्रवाह बढ़ गया हो और अनु के शरीर का खून उनमे आकर जमा हो रहा हो.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उसपर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस.
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मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उस पर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस. ...... लाइक दैट......सीईईईsssss....... ईट माई कन्ट.......आह्ह............... .....
अनु के योनी प्रदेश से इतनी अच्छी गंध उठ रही थी कि मेरा वहां से हटने का मन ही नहीं कर रहा था. वैसे तो मेरी नाक उसकी झांटों में उलझी थी लेकिन वहां से उठने वाली गंध मुझे वहां से हटने ही नहीं दे रही थी. और झांटें भी कोई बेतरतीब जंगल तो था नहीं. बड़े ही कायदे से ट्रिम की हुई थीं. वहां से उठने वाली खुशबु से मदहोश हो कर मैं अनु के योनी प्रदेश को चूमने लगा. कभी उसकी चूत के उभार पर, कभी पेडू पर और कभी जाँघों के अन्दर की ओर. अनु पर भी मेरे इस चूमने का जादू चल रहा था. वो उसी अवस्था में अपनी आँखों को बंद किए अपना एक हाथ मेरे सर में फिरा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी गेंदों को दबा रही थी.
अपने होठों की मंझी हुई कारीगरी से मैंने चूम चूम कर अनु का पूरा योनी प्रदेश और उसके आस पास का जांघों का एरिया हल्का सा गीला और चिकना सा कर दिया था. अनु जो कि अभी तक मेरे सर में उँगलियाँ फिरा रही थी उसने उसी हाथ से अब मेरे सर को नीचे की तरफ दबाना शुरू किया.
अनु: क्या यहाँ वहां दुनिया भर में चूमते फिर रहे हो. अपने टारगेट को देखो और कंसंट्रेट करो.
मैं समझ गया भाई अब ये फिर से हीट पे आ गई है अब न तो ये रुकने वाली है न ही अब ज्यादा तड़पाना ठीक रहेगा सो मैं अभी अनु के हाथ के दबाव के साथ साथ अपने चेहरे को उसके योनी प्रदेश पर नीचे की ओर फिसलाता चला गया. मेरी नाक उसकी स्टाईलिश झांटों में रगड़ खा रही थी और मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपरी किनारे पर दबे हुए थे जहाँ पर क्लिटोरिस होता है. अब मेरे होंठ और नाक दोनों नीचे की यात्रा पर चल पड़े. पहले मेरी नाक रगड़ी उन झांटों में फिर आकर फंसी चूत की दरार में और उस दरार में फंस कर रगडती हुई.......... नहीं नहीं फिसलती हुई मेरी नाक भी.............अच्छी खासी गीली हो चुकी थी वो दो संतरे की फांकों के बीच की दरार और इस गीलेपन के कारन फिसलन हो गई थी वहां.... और मेरी नाक आकर रुकी ठीक योनिलोक के आखरी छोर पर, उस छोटे से सफ़र के दौरान मेरी नाक के नथुने भर गए थे उस कस्तूरी महक से जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है और वो महक चढ़ रही थी मेरे दिमाग में.......ज़रा जीभ बाहर निकाली तो मेरी जीभ पर एक अजीब सा स्वाद फ़ैल गया. कड़वा तो नहीं, कसैला भी नहीं और बिलकुल मीठा भी नहीं... लेकिन हाँ ऐसा जैसे शहद की भरी हुई कटोरी में एक दो चम्मच नींबू का रस और कुछ बूँदें अदरक के रस की मिला दीं हो….सचमुच स्वादिष्ट... शहद, नींबू और अदरक का मिश्रण...खांसी भगाने का सस्ता टिकाऊ और स्वादिष्ट उपाय... और मैंने जीभ से उस स्वाद को लपेटना शुरू कर दिया. अनु के हाथ का दबाव अभी तक मेरे सर पे था और नाक घुसी हुई थी उस संगमरमरी दरार में, सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी अब और मेरी जीभ उसके चूत के नीचे लगातार चल रही थी. कभी मेरी जीभ वहां थिरकती तो कभी सपाट तरीके से चाट कर सारा यौवन रस इकट्ठा कर के मेरे गले में उतार देती. चप्प.... चप्प सररररssss सड़प सड़प sssss ये आवाज़ें आ रही थी अनु के निचले होठों से और ऊपरी होठों से निकल रही थी मादक और घुटी हुई सिसकियाँ.....स्सीईईइ ssssssम्मम्ममsssss आsssssऊssssss ओssssss......गाssssssssssssड ड ड ड .................. येssssssssस्सस्सस्सस....... और अब अनु भी मोशन में आ रही थी उसकी कमर हिलने लगी और अब उसकी चूत मेरी जीभ पर डांस कर रही थी. कमाल तो ये की मेरी जीभ अब उसका माल समेटते समेटते थक रही थी लेकिन उसने पानी छोड़ना बंद नहीं किया. मुझे लगा जैसे उसकी चूत थोड़ी देर पहले मेरे मन की बात भांप गई थी और अब सचमुच झरना ही बहा रही थी. शायद उसने मेरी उस बात को चेलेंज की तरह ले लिया था और अब.... "तू मुझे गीला करेगा ना.... तू ही बहाएगा ना मुझे... ले अब बहा रही हूँ झरना... समेट कितना समेट सकता है, मैं भी तो देखूं कितना बड़ा चूत पिपासु है तू....
मेरे लिए इस स्थिति में और रुकना अब मुश्किल हो रहा था. वो ताकतवर यौवन रक्षक घोल तो मुझे मिल रहा था पीने के लिए लेकिन जिंदा रहने के लिए इन्सान को सांस भी लेनी पड़ती है. एक तो सर पे अनु के हाथ का दबाव और ऐसा लग रहा था जैसे वो प्यासी चूत मेरी जीभ से चिपक ही गई हो, इस सब के बीच मैं वहां से निकलने की कोशिश ही कर रहा था कि अनु का हाथ थोडा हल्का पड़ा और उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर अपनी चूत से हटाकर पीछे की ओर खींचा.
आह्ह्हsssss बिलकुल ऐसा एहसास हुआ जैसे मैं समंदर की गहराईयों में डुबकी लगा कर सांस लेने सतह पर आया हूँ. मेरा मुंह अनु के योनी रस से लिसड़ा हुआ और होंठ चिपचिपा रहे थे. चेहरे पर हवा लगी और मैंने पूरा मुहं खोल कर अपने फेफड़े हवा से भर लिए. बिलकुल हाफ़ने जैसी हालत हो रही थी. अभी मैं अपने फेफड़ों को राहत दे ही पाया था की अनु ने मेरा चेहरा दे मारा अपनी टपकती चूत पर.....शायद उसे भी ये एहसास था कि मुझे सांस भी लेना है और उसने भी केवल उतना ही मौका दिया था. और इस बार एहसास हुआ कि वो कितना गरमा गई थी. उफफ्फ्फ्फ़..... जैसे ही चूत और मेरे होठों का टकराव हुआ ऐसा लगा जैसे ख़त्म होती सिगरेट का फिल्टर मैंने अपने होठों पर रख लिया हो. लेकिन एक खासियत है इस चूत नाम के अंग की... खुद चाहे कितनी भी गरम हो लेकिन रस देगी हमेशा निर्मल, स्वादिष्ट और ठंडा जैसे नारियल पानी....फर्क सिर्फ इतना किसी का गाढ़ा, किसी का पतला...और चूत की कुण्डी में घुटी हुई इसी काम ठंडाई को पीने के लालच में मैंने भी अपना सर फिर से घुसा दिया था अनु कि जांघों के बीच.
मैंने फिर से नए उत्साह के साथ खाना शुरू कर दिया उस अमेरिकन पाई को. मैं कभी पूरी चूत को अपने मुहं में भर कर चूसने लगता, कभी जीभ को नीचे से ऊपर की ओर चूत की पूरी लम्बाई के साथ चलाकर चाटता और कभी अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत की दरार में चलाने लगता. अनु तो जैसे स्वर्ग में थी. उसकी हालत देख कर कोई भी बता सकता था कि वो कितने मज़े में थी, आँखें बंद, सर ऊपर की ओर, निचला होंठ दांतों में दबा हुआ और हाथ बूब्स पर. मैं अनु की चूत को ऐसे ही चाट कर चूस कर मज़े दे रहा था और बीच बीच में अपनी जीभ को उसकी चूत पर गोल गोल घुमाने लगता और कभी अपनी जीभ की नोक से वहां अंग्रेजी के अक्षर लिखने लगता. अनु कामवासना के अनंत सागर में गोते लगा रही थी और में भी मदहोश था. मेरी भी आँखें बंद थी और शरीर का हर भाग निष्क्रिय था केवल दो अंगों को छोड़ कर..... मेरी जीभ जो की एक प्रोफेशनल नट की तरह नाच रही थी अनु की चूत पर और मेरा लंड जो वेल्डिंग राड की तरह गरम होकर तना खड़ा था मेरे शॉर्ट के अन्दर और ऐसा लग रहा था कि जैसे सुपाडा वहीँ से शॉर्ट में छेद करके बाहर निकल आएगा.
अब अनु के पैर भी थोडा कांपने लगे थे मैं समझ गया अब ये ज्यादा खड़ी नहीं रह पाएगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी स्कर्ट के वेस्ट लाइन पर कसे और बेड की तरफ घुमा कर हाथों के दबाव से बैठने का इशारा किया. अनु बेड पर बैठी और उसने अपनी गांड बेड के बिलकुल किनारे पर टिका ली और उसकी दोनों टांगें विपरीत दिशा में फ़ैल गईं. मैंने एक बार फिर अपनी जीभ चूत के उस चिकने प्लेटफार्म पर फिराई सररररर ड़ ड़ ड़ ड़sssss अनु एक बार कसमसाई और फिर अपना हाथ चूत पर लाकर उसने अपने दोनों निचले होठों को उँगलियों से V बनाते हुए खोल दिया.
अनु : क्या ऊsssपर ऊपर फिरा रहे हो. आग तो अन्दर लगी है. अन्दर से चाटो, खाओ, ठंडी कर दो आज......ह्म्म्मsssss
पिंक सिटी का सुन्दर नज़ारा मेरी आँखों के सामने था. वाहहsss पिंक सिटी और ब्राउन एंट्री गेट्स.......... चूत के खुलते ही दोनों मुलायम अन्दर वाले होंठ साइड होकर ऐसे लग रहे थे जैसे स्टेज के परदे. अन्दर कुलमुलाती हुई चूत मेरे सामने थी और वो कभी सिकुड़ रही थी कभी फ़ैल रही थी और बीचों बीच दिखाई दे रही थी एक गाढ़ी दूधिया रंग की बूँद. कुण्डी में पड़ी ठंडाई.... मैंने जीभ नुकीली करके अन्दर मारी और सड़ाप... एक झटके में मेरी जीभ ने ठंडाई की उस बूँद को मेरे गले में उतार दिया और जीभ की चोट वहां पड़ते ही अनु के मुहं से एक और सिसकारी आज़ाद हो गई.
मैंने जीभ की नोक अन्दर फिट की और फिर तो ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर, कभी दायें कभी बाएँ..चपर चपर...सड़प सड़प.. यही आवाजें आ रही थी और बीच बीच में मैं भी अपने मुहं को चूत के ऊपर दबा के हलकी सी हमिंग कर रहा था जो अनु चूत में एक वाईब्रेशन पैदा करती थी और अनु अपने चूतड पटकने को मजबूर हो रही थी. ऊपर से मैं जीभ नीचे मार रहा था और नीचे से अनु अपने चूतड उछाल उछाल कर ऊपर आ रही थी जैसे अपनी चूत से मेरी जीभ को कैच करके वही लॉक कर लेगी. चाटते चाटते मैं अनु की क्लिट को भी अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसके दोनों अन्दर वाले होठों को भी अपने होठों में लेकर चूस रहा था और पपोल रहा था.
अनु: येस... येस.. राइट देअर...राइट देअर उम्म्म्मssssss........ ईट माई पुसी......ईट माई कन्ट.... ओssssss....... गाssssssड ......... येस........ मेक मी कम........ओsssssss........
मैं : कैसा लग रहा है अनु दीदी?
अनु : मज़ा आ रहा है मनु... बस डोंट स्टाप ...करते रहोsssss..... मेक मी कम माई डियर कजिन ..... आई लव यु ब्रदर......
मैं: मज़ा आ रहा तो एक बार हिंदी में बताओ न कैसा लग रहा है और क्या चाहती हो.... इंडिया में हो तो अमेरिकन स्टाइल में नहीं इंडियन स्टाइल में मज़ा लो..... जैसा मैंने आपको लास्ट टाइम सिखाया था.
मेरे इन शब्दों का अनु पर असर हुआ.....
अनु: उम्म्म्मssssss.......माई डिअर ... चाट और चाssssss ट...... अच्छी तरह से........ कैसी लगी अपनी बहन की चूत.... टेस्टी है ना...... चाट चाट के सुखा दे आज इस चूत को... खा जा साली को..बड़ा परेशान करती है... तेरे लिए अमेरिका से लाई हूँ. इतनी अच्छी कजिन सिस्टर है तेरे किसी दोस्त की भी? चाट चाट के लाल कर दे आज.... खा जा और झाड दे मुझे.....
मैं: श्योर दीदी झाढुंगा तो मैं ज़रूर आपको और ऐसा झडोगी कि मज़ा आ जाएगा लेकिन व्हाट अबाउट मी.... मेरा क्या होगा अब तो मुझे भी दर्द हो रहा है पेनिस में बिलकुल टाईट हो रहा है.....
अनु: साले मुझे हिंदी में बोलने को कहता है और खुद इंग्लिश में पेनिस पेनिस कर के मरा जा रहा है.. डोंट यू वरी ...... उसका ख्याल मैं रखूंगी...... आइ विल रिटर्न द फेवर...... तू अभी अपने काम पे ध्यान लगा और अमेरिकन पाई खा.....
उसकी इस बात से हम दोनों ही हंस पड़े और मैं वापस लग गया अपने काम पर.
मैं अपनी जीभ और होठों को उसी तरह बिना रुके उसकी चूत की खाई में चला रहा था और इस बार एक गलती हो गई उसके अन्दर वाले होठों को चूसते, पपोलते मेरे दांत एकाएक उन पर गड़ गए.... अनु के लिए अप्रत्याशित हमला और मैंने भी कोई जानबूझ कर नहीं किया था. दांत लगते ही अनु के मुहं से जोर की चीख निकली जो सबको आकर्षित करने के लिए काफी थी..
अनु: आsssssssssssईईईई....... मम्मी आउच... मर गई......... उह्ह्ह्हह्ह ........
मेरी तो गांड फट के एक तरफ... में झटके से उस से अलग होकर पीछे हटा देखा तो उसकी चूत पे हल्का खून भी दिखाई दिया... अब्बे यार अब क्या होगा... भ्भाई आज मर गए........ मैं बुत बना उसके सामने बैठा था और कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. स्साले क्या ज़रुरत थी इतने जोश में आने की, चूत पे भी काट खाया उसकी... अब गांड मरवान के लिए तैयार हो जाओ... घरवाले क्या सोचेंगे.. क्या इम्प्रेशन जाएगा..... मनु तुम अपने मामाजी की लड़की के साथ........ये बोलते हुए मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम गया...और ये सब सोचते सोचते मेरा पूरा शरीर काँप गया.
तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आई और सीढियां चढ़ते क़दमों की....
मम्मी: अनु... क्या हुआ बेटा. तुम ठीक तो हो.....और ये मनु कहाँ है.
मम्मी की आवाज़ और उनके ऊपर आने की आहट सुन कर ही मेरा तो मूत निकलने को तैयार हो गया. चेहरा तो सारा सराबोर था अनु के काम रस से, तो मैं मम्मी के सामने कैसे आता. ये सोच कर मैं झटके से उठ कर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ भाग लिया. अब मैं बाथरूम के दरवाजे की ओट से ही देख रहा था आगे का घटनाक्रम. गांड में अब भी लुप लुप हो रही थी.
अनु भी स्थिति समझ कर झटके से उठ कर खड़ी हुई और सबसे पहले अपनी टी शर्ट नीचे की और फिर अपनी स्कर्ट को ठीक ठाक करके बेड के किनारे पर बैठ गई और एक हाथ से अपने पैर को सहलाने लगी. शायद उसे भी अपनी गलती का एहसास हो गया था जो उसने इतना तेज़ चिल्ला कर की थी. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, यहाँ तो गोलियां मुहं में आ रही हैं और यह बैठ कर अपने पैर की मालिश कर रही है. अजीब लड़की है यार......... इतनी देर में मम्मी खड़ी थी कमरे के दरवाजे पर.
मम्मी: अनु, क्या हुआ बेटा..... तुम ठीक तो हो? इतनी तेज़ क्यूँ चिल्लाई थी......सब ठीक है ना.......
अनु: अरे कुछ नहीं बुआ जी बस ज़रा अपनी ही बेवकूफी की वजह से चिल्लाई थी. जल्दी जल्दी में बेड पर चढ़ रही थी ध्यान नहीं रहा और अपनी टांग तोड़ ली बेड से. अचानक दर्द हुआ तो चीख निकल गई.
"अरे बेटा ज्यादा तो नहीं लगी, ला दिखा मुझे.... मैं अभी वोलिनी लगा देती हूँ" कहते हुए मम्मी आगे बढीं.
अनु ने पैंतरा बदला.
अनु: अरे नहीं बुआ जी, इतना सिरियस कुछ नहीं है. थोडा सा दर्द हो रहा है, ठीक हो जाएगा. आप फ़िक्र न करें..
मम्मी: आर यू श्योर कि ज्यादा तकलीफ नहीं है?
अनु: हाँ बुआ जी मैं ठीक हूँ.
मम्मी: ओके देन मैं चलती हूँ और ये मनु कहाँ है? तुम्हारे पास ही तो था..
अनु: हाँ बुआ जी वो.. मनु... बाथरूम में है, फ्रेश होने गया है...
मम्मी: ये लड़का भी ना.. चलो मैं चलती हूँ, अभी सात बजे हैं, नौ बजे के करीब डिनर करेंगे मैं तुम्हे आवाज़ दे दूंगी..आलराइट....
अनु: ओके बुआ जी.....
और मम्मी कमरे से निकल गई.
मैं तो हक्का बक्का रह गया अनु की ज़बरदस्त एक्टिंग और कान्फिडेंस देख कर. बिलकुल भी नहीं घबराई और इतनी आसानी से सारी बात संभाल ली थी उसने. मैं धीरे धीरे ताली बजाता हुआ बाहर निकला.
मैं: वाह अनु दीदी वाह ..... मान गए आपको... कितनी आसानी से संभाल लिया मम्मी को. मेरी तो हवा ले गई थी. ..
"यही तो फर्क है हममे और तुममे बेटा" अनु इतराते हुए बोली.
मैं: अच्छा आइ एम् रियली सॉरी, आपको बड़ा दर्द हुआ होगा....
अनु: दर्द....... कौन सा दर्द? उसके चेहरे पर थोडा आश्चर्य के भाव थे.
मैं: अरे मेरा दांत लग गया था न वहां पर वो ज़रा ज्यादा जोश में आ गया था मैं, गलती से लग गया..... आइ एम् सॉरी अगेन....तभी तो आप इतनी जोर से चिल्लाई थी, नहीं....
अनु: अरे पागल दर्द वर्द कुछ नहीं हुआ था मुझे...मुझे तो इतना अच्छा लग रहा था कि कोई दर्द महसूस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.
मेरी तो आँखें फ़ैल गईं उसकी ये बात सुन कर और उसके चेहरे पे मुस्कराहट थी.
मैं: तो..तो फिर वो आप इतनी तेज़ चिल्लाई क्यूँ?
अनु: अरे वोsssssssss... वो तो मैं अपने ओर्गास्म की वजह से चिल्लाई थी. इतना अच्छा ओर्गास्म कभी नहीं हुआ, अपने आप मास्टरबेट कर के भी नहीं.... मज़ा आ गया कसम से सही कहा था तुमने ऐसा झाड़ा मुझे कि याद रहेगा. लाओ अब तुम्हारी भी हेल्प कर दूँ. चलो निकालो अपने छोटू को....
मैं(चिढ़ते हुए): बस अब रहने दो. अपने मज़े के चक्कर में मेरी तो फाड़ दी ना आपने. इतनी फटने के बाद मेरा तो सारा जोश ही ठंडा हो गया. और सचमुच मेरा लंड डर के मारे फिर से सिकुड़ गया था और बिलकुल दूध निकल जाने के बाद भैंस के मुरझाए हुए थन की तरह हो गया था. और हाँ, ये छोटू का क्या मतलब? आपने तो देखा है इसे और लिया भी है. वो बात अलग है कि दो साल पहले एक्सपीरिएंस नहीं था लेकिन इस बार तो ये फाड़ के रख देगा आपकी. छोटू मत कहना....
अनु(दुखी सा मुहं बनाते हुए): ओके बाबा सॉरी, नहीं कहूँगी छोटू गुस्सा मत करो. और हाँ यार रियली सॉरी......तुमने इतना अच्छा कनिलिंगस किया कि मुझे तो याद ही नहीं रहा कि मैं अमेरिका में अपने कमरे में अपनी किसी फ्रेंड के साथ नहीं बल्कि इंडिया में अपनी बुआ के घर और उन्ही के बेटे के साथ हूँ और मस्ती में चीख निकल गई. बट नेवर माइंड रात का प्रोग्राम करते हैं ना....सब बराबर कर दूंगी...मज़ा आएगा...ठीक और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया..
ठीक...मैंने भी उसके हाथ पे ताली देते हुए कहा....लेकिन वो..... उसका क्या होगा.. मुझे हल्का सा खून दिखाई दिया था वहां...... मैंने अपनी चिंता ज़ाहिर की..
अनु आँख दबाते हुए बोली "तुम चिंता मत करो माई डिअर... ये चूत है.. अपनी रिकवरी अपने आप कर लेती है.... "
मैं: ऐसे कैसे.....
अनु: तुम क्यूँ भूल जाते हो मैं ह्युमन एनाटोमी(मानव शरीर विज्ञानं) की स्टुडेंट हूँ. और अब तो मैं डॉक्टरेट कर रही हूँ एंड यू नो मेरा थीसिस का टापिक भी ह्युमन रीप्रोडक्टिव ओरग्न्स है. इसीलिए मैं तुमसे ज्यादा जानती हूँ चूत के बारे में. और ये तो फिर भी मेरी है.. मैं तो तुम्हारे छोटू....ओह सॉरी...तुम्हारे बज़ुका के बारे में भी तुमसे ज्यादा जानती हूँ..
अनु: चलो अच्छा मैं भी चलता हूँ. डिनर पे मिलते हैं एंड आई एम् हैपी कि मैंने आपको इतना अच्छा और सैटिसफाइंग ओर्गास्म दिया.
अनु: तुम सैटिसफाइंग की बात करते हो. मुझे तो लगता है आज तुमने मेरा वैजाईनल फ्लुइड का सारा स्टॉक ख़त्म कर दिया. ज़रा देखो क्या किया है तुमने.. और वो बेड से उठ कर मेरी तरफ घूम गई.
बात तो उसकी सही थी. उसकी स्कर्ट पीछे से बिलकुल भीगी पड़ी थी उसके काम रस से.....उसकी स्कर्ट ने सारा रस सोख लिया था और अब वहां बन गया था एक बड़ा गीलेपन का निशान.
मैं: ओह माई गाड अनु दीदी कितना पानी छोडती हो आप. इतना सारा तो मैं पी गया था और उससे ज्यादा अपनी स्कर्ट को पिला दिया.. और ये कहकर मैं हंसने लगा. साथ में अनु भी हंसने लगी. मैंने आगे बढ़कर उसके दोनों मम्मों को दबाया और उसके होठों पे एक किस करके बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गया.
kramashah..........
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उस पर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस.
अनु के योनी प्रदेश से इतनी अच्छी गंध उठ रही थी कि मेरा वहां से हटने का मन ही नहीं कर रहा था. वैसे तो मेरी नाक उसकी झांटों में उलझी थी लेकिन वहां से उठने वाली गंध मुझे वहां से हटने ही नहीं दे रही थी. और झांटें भी कोई बेतरतीब जंगल तो था नहीं. बड़े ही कायदे से ट्रिम की हुई थीं. वहां से उठने वाली खुशबु से मदहोश हो कर मैं अनु के योनी प्रदेश को चूमने लगा. कभी उसकी चूत के उभार पर, कभी पेडू पर और कभी जाँघों के अन्दर की ओर. अनु पर भी मेरे इस चूमने का जादू चल रहा था. वो उसी अवस्था में अपनी आँखों को बंद किए अपना एक हाथ मेरे सर में फिरा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी गेंदों को दबा रही थी.
अपने होठों की मंझी हुई कारीगरी से मैंने चूम चूम कर अनु का पूरा योनी प्रदेश और उसके आस पास का जांघों का एरिया हल्का सा गीला और चिकना सा कर दिया था. अनु जो कि अभी तक मेरे सर में उँगलियाँ फिरा रही थी उसने उसी हाथ से अब मेरे सर को नीचे की तरफ दबाना शुरू किया.
अनु: क्या यहाँ वहां दुनिया भर में चूमते फिर रहे हो. अपने टारगेट को देखो और कंसंट्रेट करो.
मैं समझ गया भाई अब ये फिर से हीट पे आ गई है अब न तो ये रुकने वाली है न ही अब ज्यादा तड़पाना ठीक रहेगा सो मैं अभी अनु के हाथ के दबाव के साथ साथ अपने चेहरे को उसके योनी प्रदेश पर नीचे की ओर फिसलाता चला गया. मेरी नाक उसकी स्टाईलिश झांटों में रगड़ खा रही थी और मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपरी किनारे पर दबे हुए थे जहाँ पर क्लिटोरिस होता है. अब मेरे होंठ और नाक दोनों नीचे की यात्रा पर चल पड़े. पहले मेरी नाक रगड़ी उन झांटों में फिर आकर फंसी चूत की दरार में और उस दरार में फंस कर रगडती हुई.......... नहीं नहीं फिसलती हुई मेरी नाक भी.............अच्छी खासी गीली हो चुकी थी वो दो संतरे की फांकों के बीच की दरार और इस गीलेपन के कारन फिसलन हो गई थी वहां.... और मेरी नाक आकर रुकी ठीक योनिलोक के आखरी छोर पर, उस छोटे से सफ़र के दौरान मेरी नाक के नथुने भर गए थे उस कस्तूरी महक से जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है और वो महक चढ़ रही थी मेरे दिमाग में.......ज़रा जीभ बाहर निकाली तो मेरी जीभ पर एक अजीब सा स्वाद फ़ैल गया. कड़वा तो नहीं, कसैला भी नहीं और बिलकुल मीठा भी नहीं... लेकिन हाँ ऐसा जैसे शहद की भरी हुई कटोरी में एक दो चम्मच नींबू का रस और कुछ बूँदें अदरक के रस की मिला दीं हो….सचमुच स्वादिष्ट... शहद, नींबू और अदरक का मिश्रण...खांसी भगाने का सस्ता टिकाऊ और स्वादिष्ट उपाय... और मैंने जीभ से उस स्वाद को लपेटना शुरू कर दिया. अनु के हाथ का दबाव अभी तक मेरे सर पे था और नाक घुसी हुई थी उस संगमरमरी दरार में, सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी अब और मेरी जीभ उसके चूत के नीचे लगातार चल रही थी. कभी मेरी जीभ वहां थिरकती तो कभी सपाट तरीके से चाट कर सारा यौवन रस इकट्ठा कर के मेरे गले में उतार देती. चप्प.... चप्प सररररssss सड़प सड़प sssss ये आवाज़ें आ रही थी अनु के निचले होठों से और ऊपरी होठों से निकल रही थी मादक और घुटी हुई सिसकियाँ.....स्सीईईइ ssssssम्मम्ममsssss आsssssऊssssss ओssssss......गाssssssssssssड ड ड ड .................. येssssssssस्सस्सस्सस....... और अब अनु भी मोशन में आ रही थी उसकी कमर हिलने लगी और अब उसकी चूत मेरी जीभ पर डांस कर रही थी. कमाल तो ये की मेरी जीभ अब उसका माल समेटते समेटते थक रही थी लेकिन उसने पानी छोड़ना बंद नहीं किया. मुझे लगा जैसे उसकी चूत थोड़ी देर पहले मेरे मन की बात भांप गई थी और अब सचमुच झरना ही बहा रही थी. शायद उसने मेरी उस बात को चेलेंज की तरह ले लिया था और अब.... "तू मुझे गीला करेगा ना.... तू ही बहाएगा ना मुझे... ले अब बहा रही हूँ झरना... समेट कितना समेट सकता है, मैं भी तो देखूं कितना बड़ा चूत पिपासु है तू....
मेरे लिए इस स्थिति में और रुकना अब मुश्किल हो रहा था. वो ताकतवर यौवन रक्षक घोल तो मुझे मिल रहा था पीने के लिए लेकिन जिंदा रहने के लिए इन्सान को सांस भी लेनी पड़ती है. एक तो सर पे अनु के हाथ का दबाव और ऐसा लग रहा था जैसे वो प्यासी चूत मेरी जीभ से चिपक ही गई हो, इस सब के बीच मैं वहां से निकलने की कोशिश ही कर रहा था कि अनु का हाथ थोडा हल्का पड़ा और उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर अपनी चूत से हटाकर पीछे की ओर खींचा.
आह्ह्हsssss बिलकुल ऐसा एहसास हुआ जैसे मैं समंदर की गहराईयों में डुबकी लगा कर सांस लेने सतह पर आया हूँ. मेरा मुंह अनु के योनी रस से लिसड़ा हुआ और होंठ चिपचिपा रहे थे. चेहरे पर हवा लगी और मैंने पूरा मुहं खोल कर अपने फेफड़े हवा से भर लिए. बिलकुल हाफ़ने जैसी हालत हो रही थी. अभी मैं अपने फेफड़ों को राहत दे ही पाया था की अनु ने मेरा चेहरा दे मारा अपनी टपकती चूत पर.....शायद उसे भी ये एहसास था कि मुझे सांस भी लेना है और उसने भी केवल उतना ही मौका दिया था. और इस बार एहसास हुआ कि वो कितना गरमा गई थी. उफफ्फ्फ्फ़..... जैसे ही चूत और मेरे होठों का टकराव हुआ ऐसा लगा जैसे ख़त्म होती सिगरेट का फिल्टर मैंने अपने होठों पर रख लिया हो. लेकिन एक खासियत है इस चूत नाम के अंग की... खुद चाहे कितनी भी गरम हो लेकिन रस देगी हमेशा निर्मल, स्वादिष्ट और ठंडा जैसे नारियल पानी....फर्क सिर्फ इतना किसी का गाढ़ा, किसी का पतला...और चूत की कुण्डी में घुटी हुई इसी काम ठंडाई को पीने के लालच में मैंने भी अपना सर फिर से घुसा दिया था अनु कि जांघों के बीच.
मैंने फिर से नए उत्साह के साथ खाना शुरू कर दिया उस अमेरिकन पाई को. मैं कभी पूरी चूत को अपने मुहं में भर कर चूसने लगता, कभी जीभ को नीचे से ऊपर की ओर चूत की पूरी लम्बाई के साथ चलाकर चाटता और कभी अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत की दरार में चलाने लगता. अनु तो जैसे स्वर्ग में थी. उसकी हालत देख कर कोई भी बता सकता था कि वो कितने मज़े में थी, आँखें बंद, सर ऊपर की ओर, निचला होंठ दांतों में दबा हुआ और हाथ बूब्स पर. मैं अनु की चूत को ऐसे ही चाट कर चूस कर मज़े दे रहा था और बीच बीच में अपनी जीभ को उसकी चूत पर गोल गोल घुमाने लगता और कभी अपनी जीभ की नोक से वहां अंग्रेजी के अक्षर लिखने लगता. अनु कामवासना के अनंत सागर में गोते लगा रही थी और में भी मदहोश था. मेरी भी आँखें बंद थी और शरीर का हर भाग निष्क्रिय था केवल दो अंगों को छोड़ कर..... मेरी जीभ जो की एक प्रोफेशनल नट की तरह नाच रही थी अनु की चूत पर और मेरा लंड जो वेल्डिंग राड की तरह गरम होकर तना खड़ा था मेरे शॉर्ट के अन्दर और ऐसा लग रहा था कि जैसे सुपाडा वहीँ से शॉर्ट में छेद करके बाहर निकल आएगा.
अब अनु के पैर भी थोडा कांपने लगे थे मैं समझ गया अब ये ज्यादा खड़ी नहीं रह पाएगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी स्कर्ट के वेस्ट लाइन पर कसे और बेड की तरफ घुमा कर हाथों के दबाव से बैठने का इशारा किया. अनु बेड पर बैठी और उसने अपनी गांड बेड के बिलकुल किनारे पर टिका ली और उसकी दोनों टांगें विपरीत दिशा में फ़ैल गईं. मैंने एक बार फिर अपनी जीभ चूत के उस चिकने प्लेटफार्म पर फिराई सररररर ड़ ड़ ड़ ड़sssss अनु एक बार कसमसाई और फिर अपना हाथ चूत पर लाकर उसने अपने दोनों निचले होठों को उँगलियों से V बनाते हुए खोल दिया.
अनु : क्या ऊsssपर ऊपर फिरा रहे हो. आग तो अन्दर लगी है. अन्दर से चाटो, खाओ, ठंडी कर दो आज......ह्म्म्मsssss
पिंक सिटी का सुन्दर नज़ारा मेरी आँखों के सामने था. वाहहsss पिंक सिटी और ब्राउन एंट्री गेट्स.......... चूत के खुलते ही दोनों मुलायम अन्दर वाले होंठ साइड होकर ऐसे लग रहे थे जैसे स्टेज के परदे. अन्दर कुलमुलाती हुई चूत मेरे सामने थी और वो कभी सिकुड़ रही थी कभी फ़ैल रही थी और बीचों बीच दिखाई दे रही थी एक गाढ़ी दूधिया रंग की बूँद. कुण्डी में पड़ी ठंडाई.... मैंने जीभ नुकीली करके अन्दर मारी और सड़ाप... एक झटके में मेरी जीभ ने ठंडाई की उस बूँद को मेरे गले में उतार दिया और जीभ की चोट वहां पड़ते ही अनु के मुहं से एक और सिसकारी आज़ाद हो गई.
मैंने जीभ की नोक अन्दर फिट की और फिर तो ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर, कभी दायें कभी बाएँ..चपर चपर...सड़प सड़प.. यही आवाजें आ रही थी और बीच बीच में मैं भी अपने मुहं को चूत के ऊपर दबा के हलकी सी हमिंग कर रहा था जो अनु चूत में एक वाईब्रेशन पैदा करती थी और अनु अपने चूतड पटकने को मजबूर हो रही थी. ऊपर से मैं जीभ नीचे मार रहा था और नीचे से अनु अपने चूतड उछाल उछाल कर ऊपर आ रही थी जैसे अपनी चूत से मेरी जीभ को कैच करके वही लॉक कर लेगी. चाटते चाटते मैं अनु की क्लिट को भी अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसके दोनों अन्दर वाले होठों को भी अपने होठों में लेकर चूस रहा था और पपोल रहा था.
अनु: येस... येस.. राइट देअर...राइट देअर उम्म्म्मssssss........ ईट माई पुसी......ईट माई कन्ट.... ओssssss....... गाssssssड ......... येस........ मेक मी कम........ओsssssss........
मैं : कैसा लग रहा है अनु दीदी?
अनु : मज़ा आ रहा है मनु... बस डोंट स्टाप ...करते रहोsssss..... मेक मी कम माई डियर कजिन ..... आई लव यु ब्रदर......
मैं: मज़ा आ रहा तो एक बार हिंदी में बताओ न कैसा लग रहा है और क्या चाहती हो.... इंडिया में हो तो अमेरिकन स्टाइल में नहीं इंडियन स्टाइल में मज़ा लो..... जैसा मैंने आपको लास्ट टाइम सिखाया था.
मेरे इन शब्दों का अनु पर असर हुआ.....
अनु: उम्म्म्मssssss.......माई डिअर ... चाट और चाssssss ट...... अच्छी तरह से........ कैसी लगी अपनी बहन की चूत.... टेस्टी है ना...... चाट चाट के सुखा दे आज इस चूत को... खा जा साली को..बड़ा परेशान करती है... तेरे लिए अमेरिका से लाई हूँ. इतनी अच्छी कजिन सिस्टर है तेरे किसी दोस्त की भी? चाट चाट के लाल कर दे आज.... खा जा और झाड दे मुझे.....
मैं: श्योर दीदी झाढुंगा तो मैं ज़रूर आपको और ऐसा झडोगी कि मज़ा आ जाएगा लेकिन व्हाट अबाउट मी.... मेरा क्या होगा अब तो मुझे भी दर्द हो रहा है पेनिस में बिलकुल टाईट हो रहा है.....
अनु: साले मुझे हिंदी में बोलने को कहता है और खुद इंग्लिश में पेनिस पेनिस कर के मरा जा रहा है.. डोंट यू वरी ...... उसका ख्याल मैं रखूंगी...... आइ विल रिटर्न द फेवर...... तू अभी अपने काम पे ध्यान लगा और अमेरिकन पाई खा.....
उसकी इस बात से हम दोनों ही हंस पड़े और मैं वापस लग गया अपने काम पर.
मैं अपनी जीभ और होठों को उसी तरह बिना रुके उसकी चूत की खाई में चला रहा था और इस बार एक गलती हो गई उसके अन्दर वाले होठों को चूसते, पपोलते मेरे दांत एकाएक उन पर गड़ गए.... अनु के लिए अप्रत्याशित हमला और मैंने भी कोई जानबूझ कर नहीं किया था. दांत लगते ही अनु के मुहं से जोर की चीख निकली जो सबको आकर्षित करने के लिए काफी थी..
अनु: आsssssssssssईईईई....... मम्मी आउच... मर गई......... उह्ह्ह्हह्ह ........
मेरी तो गांड फट के एक तरफ... में झटके से उस से अलग होकर पीछे हटा देखा तो उसकी चूत पे हल्का खून भी दिखाई दिया... अब्बे यार अब क्या होगा... भ्भाई आज मर गए........ मैं बुत बना उसके सामने बैठा था और कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. स्साले क्या ज़रुरत थी इतने जोश में आने की, चूत पे भी काट खाया उसकी... अब गांड मरवान के लिए तैयार हो जाओ... घरवाले क्या सोचेंगे.. क्या इम्प्रेशन जाएगा..... मनु तुम अपने मामाजी की लड़की के साथ........ये बोलते हुए मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम गया...और ये सब सोचते सोचते मेरा पूरा शरीर काँप गया.
तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आई और सीढियां चढ़ते क़दमों की....
मम्मी: अनु... क्या हुआ बेटा. तुम ठीक तो हो.....और ये मनु कहाँ है.
मम्मी की आवाज़ और उनके ऊपर आने की आहट सुन कर ही मेरा तो मूत निकलने को तैयार हो गया. चेहरा तो सारा सराबोर था अनु के काम रस से, तो मैं मम्मी के सामने कैसे आता. ये सोच कर मैं झटके से उठ कर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ भाग लिया. अब मैं बाथरूम के दरवाजे की ओट से ही देख रहा था आगे का घटनाक्रम. गांड में अब भी लुप लुप हो रही थी.
अनु भी स्थिति समझ कर झटके से उठ कर खड़ी हुई और सबसे पहले अपनी टी शर्ट नीचे की और फिर अपनी स्कर्ट को ठीक ठाक करके बेड के किनारे पर बैठ गई और एक हाथ से अपने पैर को सहलाने लगी. शायद उसे भी अपनी गलती का एहसास हो गया था जो उसने इतना तेज़ चिल्ला कर की थी. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, यहाँ तो गोलियां मुहं में आ रही हैं और यह बैठ कर अपने पैर की मालिश कर रही है. अजीब लड़की है यार......... इतनी देर में मम्मी खड़ी थी कमरे के दरवाजे पर.
मम्मी: अनु, क्या हुआ बेटा..... तुम ठीक तो हो? इतनी तेज़ क्यूँ चिल्लाई थी......सब ठीक है ना.......
अनु: अरे कुछ नहीं बुआ जी बस ज़रा अपनी ही बेवकूफी की वजह से चिल्लाई थी. जल्दी जल्दी में बेड पर चढ़ रही थी ध्यान नहीं रहा और अपनी टांग तोड़ ली बेड से. अचानक दर्द हुआ तो चीख निकल गई.
"अरे बेटा ज्यादा तो नहीं लगी, ला दिखा मुझे.... मैं अभी वोलिनी लगा देती हूँ" कहते हुए मम्मी आगे बढीं.
अनु ने पैंतरा बदला.
अनु: अरे नहीं बुआ जी, इतना सिरियस कुछ नहीं है. थोडा सा दर्द हो रहा है, ठीक हो जाएगा. आप फ़िक्र न करें..
मम्मी: आर यू श्योर कि ज्यादा तकलीफ नहीं है?
अनु: हाँ बुआ जी मैं ठीक हूँ.
मम्मी: ओके देन मैं चलती हूँ और ये मनु कहाँ है? तुम्हारे पास ही तो था..
अनु: हाँ बुआ जी वो.. मनु... बाथरूम में है, फ्रेश होने गया है...
मम्मी: ये लड़का भी ना.. चलो मैं चलती हूँ, अभी सात बजे हैं, नौ बजे के करीब डिनर करेंगे मैं तुम्हे आवाज़ दे दूंगी..आलराइट....
अनु: ओके बुआ जी.....
और मम्मी कमरे से निकल गई.
मैं तो हक्का बक्का रह गया अनु की ज़बरदस्त एक्टिंग और कान्फिडेंस देख कर. बिलकुल भी नहीं घबराई और इतनी आसानी से सारी बात संभाल ली थी उसने. मैं धीरे धीरे ताली बजाता हुआ बाहर निकला.
मैं: वाह अनु दीदी वाह ..... मान गए आपको... कितनी आसानी से संभाल लिया मम्मी को. मेरी तो हवा ले गई थी. ..
"यही तो फर्क है हममे और तुममे बेटा" अनु इतराते हुए बोली.
मैं: अच्छा आइ एम् रियली सॉरी, आपको बड़ा दर्द हुआ होगा....
अनु: दर्द....... कौन सा दर्द? उसके चेहरे पर थोडा आश्चर्य के भाव थे.
मैं: अरे मेरा दांत लग गया था न वहां पर वो ज़रा ज्यादा जोश में आ गया था मैं, गलती से लग गया..... आइ एम् सॉरी अगेन....तभी तो आप इतनी जोर से चिल्लाई थी, नहीं....
अनु: अरे पागल दर्द वर्द कुछ नहीं हुआ था मुझे...मुझे तो इतना अच्छा लग रहा था कि कोई दर्द महसूस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.
मेरी तो आँखें फ़ैल गईं उसकी ये बात सुन कर और उसके चेहरे पे मुस्कराहट थी.
मैं: तो..तो फिर वो आप इतनी तेज़ चिल्लाई क्यूँ?
अनु: अरे वोsssssssss... वो तो मैं अपने ओर्गास्म की वजह से चिल्लाई थी. इतना अच्छा ओर्गास्म कभी नहीं हुआ, अपने आप मास्टरबेट कर के भी नहीं.... मज़ा आ गया कसम से सही कहा था तुमने ऐसा झाड़ा मुझे कि याद रहेगा. लाओ अब तुम्हारी भी हेल्प कर दूँ. चलो निकालो अपने छोटू को....
मैं(चिढ़ते हुए): बस अब रहने दो. अपने मज़े के चक्कर में मेरी तो फाड़ दी ना आपने. इतनी फटने के बाद मेरा तो सारा जोश ही ठंडा हो गया. और सचमुच मेरा लंड डर के मारे फिर से सिकुड़ गया था और बिलकुल दूध निकल जाने के बाद भैंस के मुरझाए हुए थन की तरह हो गया था. और हाँ, ये छोटू का क्या मतलब? आपने तो देखा है इसे और लिया भी है. वो बात अलग है कि दो साल पहले एक्सपीरिएंस नहीं था लेकिन इस बार तो ये फाड़ के रख देगा आपकी. छोटू मत कहना....
अनु(दुखी सा मुहं बनाते हुए): ओके बाबा सॉरी, नहीं कहूँगी छोटू गुस्सा मत करो. और हाँ यार रियली सॉरी......तुमने इतना अच्छा कनिलिंगस किया कि मुझे तो याद ही नहीं रहा कि मैं अमेरिका में अपने कमरे में अपनी किसी फ्रेंड के साथ नहीं बल्कि इंडिया में अपनी बुआ के घर और उन्ही के बेटे के साथ हूँ और मस्ती में चीख निकल गई. बट नेवर माइंड रात का प्रोग्राम करते हैं ना....सब बराबर कर दूंगी...मज़ा आएगा...ठीक और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया..
ठीक...मैंने भी उसके हाथ पे ताली देते हुए कहा....लेकिन वो..... उसका क्या होगा.. मुझे हल्का सा खून दिखाई दिया था वहां...... मैंने अपनी चिंता ज़ाहिर की..
अनु आँख दबाते हुए बोली "तुम चिंता मत करो माई डिअर... ये चूत है.. अपनी रिकवरी अपने आप कर लेती है.... "
मैं: ऐसे कैसे.....
अनु: तुम क्यूँ भूल जाते हो मैं ह्युमन एनाटोमी(मानव शरीर विज्ञानं) की स्टुडेंट हूँ. और अब तो मैं डॉक्टरेट कर रही हूँ एंड यू नो मेरा थीसिस का टापिक भी ह्युमन रीप्रोडक्टिव ओरग्न्स है. इसीलिए मैं तुमसे ज्यादा जानती हूँ चूत के बारे में. और ये तो फिर भी मेरी है.. मैं तो तुम्हारे छोटू....ओह सॉरी...तुम्हारे बज़ुका के बारे में भी तुमसे ज्यादा जानती हूँ..
अनु: चलो अच्छा मैं भी चलता हूँ. डिनर पे मिलते हैं एंड आई एम् हैपी कि मैंने आपको इतना अच्छा और सैटिसफाइंग ओर्गास्म दिया.
अनु: तुम सैटिसफाइंग की बात करते हो. मुझे तो लगता है आज तुमने मेरा वैजाईनल फ्लुइड का सारा स्टॉक ख़त्म कर दिया. ज़रा देखो क्या किया है तुमने.. और वो बेड से उठ कर मेरी तरफ घूम गई.
बात तो उसकी सही थी. उसकी स्कर्ट पीछे से बिलकुल भीगी पड़ी थी उसके काम रस से.....उसकी स्कर्ट ने सारा रस सोख लिया था और अब वहां बन गया था एक बड़ा गीलेपन का निशान.
मैं: ओह माई गाड अनु दीदी कितना पानी छोडती हो आप. इतना सारा तो मैं पी गया था और उससे ज्यादा अपनी स्कर्ट को पिला दिया.. और ये कहकर मैं हंसने लगा. साथ में अनु भी हंसने लगी. मैंने आगे बढ़कर उसके दोनों मम्मों को दबाया और उसके होठों पे एक किस करके बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गया.
kramashah..........
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