मेरी हॉट कजिन--5
gataank se aage..........
जैसे ही कमरे में पहुंचा तो मेरा सेल फ़ोन बजने लगा देखा तो मेरे ताऊ जी के बेटे अजय का फोन था अजय को घर के लोग और उसके यार दोस्त सब जॉन के नाम से ही पुकारते थे. मेरा हमउम्र होने के कारण अजय और मेरी बहुत पटती थी और हम दोनों आपस में हर तरह कि बातें शेयर करते थे. एक बात और दोस्तों, मेरा नाम मनीष मेरा ऑफिशियल नाम है जो कि मम्मी पापा ने स्कूल कालेज में लिखवाया था और इसलिए मुझे घर पे मनु कहते थे लेकिन मेरी कुंडली के हिसाब से मेरा नाम न अक्षर से निकला था और दादा जी ने मेरा नाम निखिल रखा था-- निखिल मतलब सम्पूर्ण, समस्त.... तो ये जॉन तो अधिकतर मुझे निखिल या निक्कू ही कह के बुलाता था. मैंने फोन रिसीव किया....
जॉन: अबे कहाँ मर गया था. कब से फोन मिला रहा हूँ और अब भी इतनी देर में उठाया
मैं: अरे कुछ नहीं यार मैं नीचे था और ये फोन ऊपर मेरे कमरे में था. पता नहीं चला. अभी अभी रूम में आया तो पिक कर लिया. और बता कैसा है तू और आज कैसे याद कर लिया बच्चू. फिर कोई लफड़ा कर लिया क्या तूने. साले मुझे तो तू तभी याद करता है जब कोई लफड़ा हो जाए और तुझे ताऊ जी के डंडे से बचना हो. और बाबू फोन तो मैंने भी तुझे कई बार मिलाया था..
जॉन: अबे इसीलिए तो फोन किया यार. बेट्री ख़तम हो गई थी...फिर चार्जिंग पे लगा के छोड़ गया था अभी अभी तेरी मिस काल देखी तो फोन करलिया.
मैं: क्यों बे किसके साथ लगा हुआ था जो तेरी बेटरी ख़तम हो गई, कोई नया माल फसाया है क्या? बोल न क्या नाम है, कैसी है, क्या फिगर है.......
जॉन: ओए बस कर यार तूने तो सवालों की मशीन गन चला दी मेरे ऊपर, थोडा साँस तो ले ले. तू ये बता कब आ रहा है? जब तू आएगा सब कुछ आराम से बैठ कर बताऊँगा.
मैं: यार तू तो अनु को जानता है न, अरे वो अमेरिका से आई हुई है मामाजी के साथ, उसे छोड़ कर कैसे आ सकता हूँ?
जॉन: हम्म, तो एक काम कर उसे भी ले आ, हम सब भी मिल लेंगे उससे, अगर तुझे या उसे कोई एतराज ना हो तो.
मैं: अच्छा एक मिनट रुक मैं बताता हूँ. (मैं जानता था अनु को क्या एतराज होगा मेरे साथ बाहर जाने में, और उसे तो वैसे भी घूमना फिरना ही था, ये सोचते हुए मैंने जॉन को हाँ कह दिया) ओके ठीक है हम दोनों कल मेट्रो से आते हैं लकिन शाम हो जाएगी और तुझे हमें वहां से पिक करना पड़ेगा.
जॉन: तू चिंता क्यों करता है, मैं तुम दोनों को रोहिणी ईस्ट मेट्रो से पिक करता हूँ, ओके ठीक है.
मैं : ओके डन बाए.
जॉन: ओके बाए.
मैंने जॉन से बात करके फोन रखा और सोचने लगा चलो बड़े दिन हो गए जॉन से मिले हुए, मिलना भी हो जाएगा और थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे साथ साथ. तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आ गई.
मम्मी: अनु ssss, मनु sss बेटा नीचे आ जाओ. आधे घंटे में डिनर सर्व हो जाएगा.
मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं अपने कमरे से निकला और अनु के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई "अनु दीदी चलो नीचे डिनर लग रहा है"
अनु: बस आती हूँ...
अनु अपने कमरे से बाहर आई एकदम फ्रेश फेस के साथ और फूलों की महक उड़ाती हुई. कसी हुई शॉर्ट कुर्ती जिसमे उसके बूब्स बिलकुल टाईट कसे हुए थे और सलवार पहने हुए. उसने अभी अभी शावर लिया था उसके बाल अभी तक थोड़े थोड़े गीले थे और कमर पर उसकी कुर्ती को गीला कर रहे थे. मैं तो उसे देख कर जड़ ही हो गया, एकदम गुलाब के फूल की तरह फ्रेश लग रही थी. उसने बाहर आकर मुझे एक कोहनी मारी और बोली "चलो अब..डिनर नहीं करना क्या.."
मैं: उहं sssहूँ sssह हाँ चलो और हम दोनों सीढियां उतरते हुए नीचे आ गए.
हम दोनों मेज़ पर आकर बैठे और मैंने उसे जॉन के यहाँ चलने के प्रोग्राम के बारे में बताना शुरू कर दिया. तभी मम्मी पापा और मामाजी भी आ गए.
मम्मी: कहाँ जाने का प्रोग्राम बन रहा है? आए हाए देखो तो कितनी सुन्दर लग रही है हमारी गुडिया इस इंडियन ड्रेस में... "और सेक्सी भी....." मैंने मन ही मन सोचा.
मैं: कुछ खास नहीं मम्मी, अजय का फोन आया था बुला रहा है. कह रहा था ताई जी भी याद कर रही है. तो मैंने सोचा अनु दीदी और मैं दोनों ही चले जाएँगे थोडा घूमना फिरना भी हो जाएगा और दीदी ताऊ जी की फॅमिली से भी मिल लेंगी.
पापा: हाँ हाँ क्यों नहीं, चले जाओ.. सारा दिन घर में बोर ही तो होंगे तुम लोग. अच्छा रहेगा. और निखिल बेटा वो एक फाइल है जो वकील साहब के यहाँ से आई थी वो भी लेते जाना और अपने ताऊ जी को दे देना
मैं: ओके पापा... हम लोग दोपहर बाद जाएँगे आप फाइल मुझे दे दीजिएगा.
हम सब लोगों ने डिनर ख़तम किया और और थोड़ी देर टेबल पर ही बातें करने के बाद अपने अपने रूम्स की तरफ चल दिए. सीढ़ियों पर अनु मुझसे बात करने लगी.
अनु: ये जॉन वही है ना जो पिछली बार हमेशा तुम्हारे साथ लगा रहता था जब हम किसी की शादी में आए थे यहाँ.
मैं: हाँ वही, मेरे ताऊ जी का बेटा है, हम दोनों की एज में भी ज्यादा फर्क नहीं है. लगभग एक ही एज के हैं, दोस्तों की तरह हैं आपस में सब बात कर लेते हैं.
अनु (हँसते हुए): क्या अब भी वैसा ही है मरियल सा...कितना पतला था न वो..... कमज़ोर सा........कहते हुए खिल्ली सी उड़ाने लगी.
अब मुझे कैसे बर्दाश्त होता कि मेरे दोस्त जैसे भाई की कोई ऐसे खिल्ली उडाए, मुझे भी ताव आ गया.
मैं: ओ मैडम.... किस दुनिया में हो? अब वैसा नहीं है वो. जिम विम जाता है रोज़ और बॉडी देखोगी न तो बावली हो जाओगी. और उसके हत्थे मत चढ़ जाना नहीं तो रुला के छोड़ेगा.
अनु: अच्छा जी......ऐसा है...जा तो रहे ही हैं कल....उसे भी देख लेंगे ऐसा कौन सा हरक्युलिस है तुम्हारा भाई.... और मुस्कुराते हुए मेरे कान में फुसफुसाई "सब के सोने का इंतज़ार करो बस अब तो" और हम दोनों एक दुसरे को गुड नाईट बोल कर अपने अपने रूम्स में चले गए.. और अब मुझे इंतज़ार था घर की लाइट्स बंद होने का और सब के सोने का.
मैं अपने कमरे में आ गया और घड़ी देखी तो 9 बज चुके थे. हमारे घर में अमूमन सब 11 बजे तक
सो ही जाते हैं तो मैंने सोचा चलो दो घंटे कि ही तो बात है और बेड पर लेट कर दो घंटे बाद क्या क्या होने वाला है इस कि कल्पना करने लगा औए इस कल्पना लोक में घूमते घूमते ही मेरे लंड मैं तनाव आने लगा.
11 बजने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था और टाइम पास करने के लिए मैंने अपने बेड के गद्दे के नीचे से प्लेबॉय का नया इश्यु निकाला जो अनु ख़ास मेरे लिए लेकर आई थी और उसके पन्ने पलटने लगा.
क्या एक से एक अमेरिकन मॉडल खूबसूरत नंगी जवानियाँ........लंड ने ठुनकियाँ मारना शुरू कर दिया. मैंने अपने लंड को समझाया बेटा ज़रा सब्र कर ये तो तैयारी है, तैयार हो जा अच्छी तरह अमेरिकन चूत हीमिलने वाली है. मैं मैगज़ीन के पन्ने धीरे धीरे उन नंगी मोड्ल्ज़ के खूबसूरत जिस्मों का नयनचोदन करते हुए पलट रहा था और एक हाथ से
अपने शाहबाज़ को सहला रहा था.
थोड़ी थोड़ी देर में नज़रें घड़ी पे भी चली जाती थी तो ऐसा लगता था जैसे वक़्त रुक गया है और आगे ही नहीं बढ़ रहा.
बेचैनी और उत्सुकता का ये आलम था कि घड़ी की सुइयां आगे खिसकती नज़र ही नहीं आ रही थीं.
काफी देर तक उन चूत और चुचियों के सागर में गोते लगाने के बाद जब घड़ी पेनज़र पड़ी तो ११बजने में लगभग ५ मिनट बाकी थे, मेरे दिल की धडकनें अचानक तेज़ हो गयीं.
दो घंटे काटने मुश्किल हो गए थे वो तो भला हो उन बेशर्म अमेरिकन लड़कियों का जिन्होंने बिना किसी झिझक के अपने कपड़े उतार कर अपने नंगे- पुंगे फोटो प्लेबॉय के लिए खिंचवाए थे उन्ही को देखकर अपने पप्पू को सहलाते सहलाते मैंने अपना टाइम पास किया.
टाइम तो हो गया था सब के सोने का सो मैंने सोचा चलो अनु दीदी को इशारा कर दिया जाए तो वो ५-१०मिनट तो लेगी ही कमरे में आने में.
ये सोच कर मैं बेड से उठा और अपने रूम का दरवाज़ा खोल कर बाहर झाँका तो नीचे बरांडे में जलते हुए नाईट बल्ब की धीमी रौशनी के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दिया. "बल्ले बल्ले मतलब सब सो गए..."
मेरे दिल ने उछलना शुरू कर दिया और मैं रूम से बाहर निकला अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने शेरखान को पकडे हुए.
मैंने अनु दीदी के कमरे की तरफ कदम बढ़ाया और दो कदम बढ़ते ही गांड में आग लग गयी....... और मैं झल्लाहट से भर गया.......
दीदी के कमरे से मम्मी के हंसने की आवाज़ आ रही थी. shit man हो गयी KLPD एक बार फिर........... उन्हें भी अब टाइम मिला था अपनी भतीजी से सारी बातें करने का. पता नहीं क्या क्या बातें कर रही थीं...... वहां कैसा है? मौसम कैसा है? लोग कैसे हैं? और क्या करती रहती हो? वगैरा वगैरा.......... अनु के संक्षिप्त से जवाब सुनकर भी लग रहा था कि वो बातों में कोई खास इंट्रस्ट नहीं ले रही थी बस अपनी बुआजी होने की वजह से मम्मी को झेल रही थी.
आखिर उसे भी तो सबके सोने का उतनी ही बेसब्री से इंतजार था जितना मुझे और ऊपर से चूत में लगी हुईआग.... वो भी बस अनमने मन से मम्मी को बातों का जवाब दिए जा रही थी और उसकी हंसी की आवाज़ से ही लग रहा था कि ज़बरदस्ती बेचारी मम्मी का साथ देने में लगी है पर मम्मी थी कि कुछ समझ ही नहीं रही थी और लगातार बातों में से बातें निकाले जा रही थी और बात घुमाते घुमाते मम्मी की रेल अब भूली बिसरी यादों के स्टेशन पर आ गयी थी. वो बता रही थी अनु को उसकी माँ के बारे में... वो कितनी अच्छी थी, कैसी दिखती थी.....ये वो....... मैं समझ गया बेटा अब कोई फ़ायदा नहीं, मम्मी तो अब अनु का पीछा छोड़ने वाली हैं नहीं, चलो अपने कमरे में……यहाँ खड़े खड़े टाइम वेस्ट करने से कोई फ़ायदा नहीं. मैं वापस अपने कमरे में आया और वही प्लेबॉय का इश्यु अपने हाथों में लेकर लेट गया. लंड ने फिर अंगड़ाई लेनी शुरू की और मेरा हाथ फिर से मेरे शॉर्ट पर पहुँच गया.
अब अनु दीदी से मिलने का तो कोई चांस लग ही नहीं रहा था तो मैंने भी प्लेबॉय की हसीनाओं को देखते हुए ही रात बिताने का सोचा और वो पन्ने पलटते पलटते कब मझे नींद आ गयी पता नहीं चला.
मैं नींद में था कि अचानक मुझे अपनी छाती पर कुछ दबाव सा महसूस हुआ. मैंने हड़बड़ा कर आँखें खोली बेड के साइड टेबल पर रखे लैम्प को ऑन किया और अलार्म में देखा तो रात के ठीक तीन बजे थे.
अब और कौन हो सकता था, अनु ही थी. मैंने ज़रा गर्दन पीछे घुमाई तो मेरे होंठ सीधे उसके रसीले होंठों से जा टकराए. वो गर्दन झुकाए मुझे ही देख रही थी और एक हाथ मेरी छाती पर फिरा रही थी.
मैं: अनु दीदी, इस वक़्त........? मैंने तो सोचा था कि प्रोग्राम चौपट हो गया.
अनु: अरे क्या करती, बुआजी ने अभी एक डेढ़ घंटे पहले ही पीछा छोड़ा है. पता नहीं कहाँ कहाँ की बातें सुना रही थी. ज़रा भी इंटरेस्ट नहीं आ रहा था. अब तो इतनी देर हो गयी है वो आराम से सो भी चुकी होंगी. शुरू करें........?
अब मैं करवट लेकर अनु की तरफ ही पलट गया. देखा तो बिलकुल सपाट नंगी. चूचे टाईट हो रहे थे और निप्पल कड़े हो कर खड़े थे.
मैं: अरे वो तो ठीक है लेकिन आप ऐसे ही चली आई बिना कुछ पहने? कम से कम अपने वो छोटे छोटे अंडरगारमेंट्स ही पहन लेती.
अनु: अरे बुद्धू ऐसे ही नहीं आई हूँ नाईटी पहन के आई थी. अन्दर आकर ही उतार के फेंकी है. अनु ने फर्श पर पड़ी अपनी नाईटी की तरफ इशारा करते हुए कहा. और चलो अब फालतू की बातों में टाइम वेस्ट मत करो काम करो.
अनु की बात सुनकर एक बार को तो मैं भी सकते में आ गया. कमाल है यार इतनी ठरक.....
मैं: क्या बात है बड़ी बेसब्र हो रही हो चुदाई के लिए. खुजली ज्यादा लगी है क्या?
अनु: अरे खुजली नहीं यार आग लगी है आग. देखो आज जब से मैं तुमसे मिली हूँ और तुम्हारे उसको देखा है मेरा तो तभी से मन कर रहा है मरवाने का लेकिन मौका ही नहीं मिल पाया. और अब अगर बुआ जी टाइम वेस्ट न करती तो सुबह तक चार पांच राउण्ड तो हो ही जाते. लेकिन अब तो एक ही राउण्ड मार दो अच्छी तरह से. इस चूत में कुछ तो ठंडक पड़ेगी.
मैं: ज़रूर मेरी जान... तुम्हारी चूत को ज़रूर ठंडा करेंगे लेकिन ऐसे कैसे घुसा दूँ उसके लिए कुछ तैयारी भी तो करनी पड़ेगी. चलो तुम मुझे तैयार करो और मैं तुम्हे तैयार करता हूँ. 69 ठीक रहेगा. है ना
अनु: मुझे कोई ज़रूरत नहीं है. मैं तो पहले से ही तैयार हूँ. और यह कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया.
हे भगवाssssssन................. अनु झूठ नहीं बोल रही थी. उसकी चूत पर हाथ रखते ही ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ जल जायेगा, उसकी वो नन्ही सहेली भट्टी की तरह जल रही थी. अब मेरी समझ में आया अनु क्यूँ कह रही थी कि खुजली नहीं आग लगी है. सचमुच में ही आग लगी थी. और ऐसा लग रहा था जैसे उस तपिश के कारण अन्दर से सीसा पिघल कर बाहर आ रहा था. मेरी पूरी हथेली भीग गई उसके यौन रस से.... तपिश और गीलेपन के कारण मैंने अपना हाथ वहां से हटाया और अपने मुहं के पास लाकर जीभ की टिप निकालकर अपनी हथेली को चखा.
मैं: हम्म..... अनु दीदी आप तो सचमुच तैयार हो लेकिन ऐसे कैसे कुछ भी होने से पहले ही इतनी गरम ?
अनु: वोssss इसलिए (मचलते हुए) क्यूंकि बेचैनी तो पहले से ही थी और बुआजी के जाते जाते और बढ़ गई. मैं तो मास्टरबेट कर रही थी मज़े से फिर ख्याल आया कि तुम तो बगल में ही हो तो क्यूँ न ट्राई किया जाए मज़ा भी बढ़ जायेगा. हाथ से घिसने में उतना मज़ा कहाँ आता है ? और अपना निचला होंठ दांतों में दबा लिया
मैं: हम्मssss….. तो ये बात है इसलिए घाटी में बाढ़ आई है लेकिन मेरे घोड़े को तो तैयार करना पड़ेगा ना तभी तो वो आपके रेसिंग ट्रेक पर दौड़ेगा. और मेरा तो मन ललचा रहा है डायरेक्ट झरने से पानी पीने के लिए, मैंने अपनी हथेली उसे दिखाते हुए कहा.
अनु मेरा मतलब समझ गई और उसने मिनट नहीं लगाया उछलकर मेरे ऊपर चढ़ गई और 69 की पोसिशन में आ गई. उसकी कामरस में लिसढी चूत मेरी आँखों के सामने सालसा कर थी और रह रह कर सिकुड़ रही थी और फ़ैल रही थी.उसकी फैली हुई चिकनी गांड इस दृश्य को और भी मनमोहक बना रही थी और छोटा सा भूरे रंग का गांड का छेद भी चूत के साथ लय मिला रहा था.
अनु ने बड़ी ही अदा के साथ अपनी गर्दन पीछे घुमाई और मुझे निमंत्रण दिया "झरना सामने है पियो जितना पीना है और जल्दी तैयार करो अपने घोड़े को राइडिंग के लिए."
मैं: ये तो आप को ही करना पड़ेगा, आप करो.....
अनु की चूत से निकलती मदहोश कर देने वाली गंध से मेरे नथुने फडफडा रहे थे और मुझ पर जैसे कोई नशा छाता जा रहा था. मुझे अपनी पलकों में भारीपन महसूस होने लगा और दिमाग जैसे शून्य की अवस्था में पहुँच गया था. बोझिल आँखों से कुछ दिखाई दे रहा था तो बस अनु की रस से सराबोर चूत.
अनु: अरे इसे तो मैं एक मिनट में लोहे का बना दूँगी और ये कहते हुए अनु ने मेरी कमर तक ढकी चादर को उछाल फेंका और मेरे जॉकी के दोनों साइड में अंगूठे फंसाकर उसे मेरे पैरों से नीचे की तरफ खिसकाने लगी. मेरा लंड तो पहले ही बाहर आने के लिए तड़प रहा था जॉकी हटते ही वो अनु की आँखों के सामने उछल कर फडफडाता हुआ आ खड़ा हुआ. अनु ने एकदम चौंक कर पीछे की तरफ झटका लिया.
अनु: ओssss ये तो पहले से ही तैयार है और अपने एक हाथ से मेरे लंड को मुट्ठी में भींच लिया. मेरे मुहं से एक दर्द और वासना मिश्रित कराह निकल गई. मेरे लंड को हाथ में पकड़े पकड़े अनु ने मेरे ऊपर से उतरने के लिए अपनी एक टांग जैसे ही उठाई कि मैंने उसकी जांघ को अपनी हथेली से भींचा और वापस बेड पर टिका दिया.
मैं: क्या अनु दीदी, इतनी भी क्या जल्दी है. सूखा - सूखा ही अन्दर ले लोगी क्या, थोडा गीला तो कर लो.
अनु: गीली तो मेरी चूत बहुत है. आराम से चला जाएगा. अब रुका नहीं जा रहा.
मैं: अच्छा ज्यादा नहीं थोडा सा तो चूस लो और थोडा मज़ा मुझे भी लेने दो अपनी शहद की बाल्टी का.
उम्मीद के उलट अनु का कोई जवाब नहीं आया लेकिन एक पल के बाद ही मुझे अपने लंड पर एक गर्म एहसास हुआ. मेरा लंड अनु के मुलायम होंठों की गिरफ्त में था. ये महसूस होते ही मैंने भी जोश में भर कर उसकी बुलावा देती चूत में अपना मुहं मार दिया.
जैसे ही मैंने अपना मुहं अनु की गरमा गरम चूत पर मारा उसके मुहं से दो चीज़ें आज़ाद हुई - एक तो मेरा लंड, दूसरी एक मादक सिसकारी... मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत की दरार पर फिराना शुरू कर दिया. जीभ के हर स्पर्श के साथ अनु का उत्तेजना का लेवल बढ़ता ही जा रहा था और ये इस से पता चल रहा था क्यूंकि उसकी पकड़ अब मेरे लंड पर और कसती जा रही थी और वो ऐसे मुहं मार रही थी जैसे मेरे लंड को चबा ही जाएगी. मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियों से उसकी चूत की फांकों को खोला और अपनी जीभ नुकीली करके उसकी चूत में घुसाने लगा.
अनु: आ sssssss ह्ह्ह उ ssssss ह्ह्ह ..... इस से क्या होगा... इसे डालो इसे......अनु ने मेरे लंड को कस के पकड़ कर हिलाते हुए कहा. मनु या ssss र अब और नहीं, बस अब डाल दो.... अब नहीं रुका जायेगा... फक मी मनु sssss..... फक्क मी ssssss कम ऑन
अनु की चूत चाट कर तबीयत खुश हो गई थी और अब रुकने का मन मेरा भी नहीं था. अनु की चूत सचमुच इतनी गीली थी कि अगर मैं सूखा लंड भी डाल देता तो वो भी आराम से चला जाता. मैंने अनु के गुदगुदे कूल्हे पर एक हलकी सी चपत लगा कर उसे उठने का इशारा किया. अनु उठ कर सीधी हुई और मेरे ऊपर लेट गई और लेटते ही उसने अपने थूक और मेरे प्री कम से सने होंठ मेरे होठों से भिड़ा दिए. उसकी साँसों से बड़ी ही मादक गंध आ रही थी जो मुझे और ज्यादा नशे में डुबो रही थी... उसकी चूत का नशा क्या कम था कि अब अनु के होंठ..... डबल हो गया.......
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को मुहं में ले ले कर चूसने लगे. मैंने अपना हाथ घुमा कर उसकी कमर पर रखा और गर्दन से लेकर उसके चूतडों तक फिराने लगा......तारीफ करनी पड़ेगी अनु दीदी की...... क्या मखमली एहसास मिल रहा था उनकी कमर पे हाथ फिराने से..ऐसा लग रहा था जैसे किसी शनील की रजाई पर हाथ फिसल रहा हो. अनु दीदी ने भी अपना हाथ नीचे सरकाया और मेरे लंड मुस्टंडे को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी जैसे मेरी मुठ मार रही हो. हम दोनों के होंठ अभी तक जुड़े हुए थे और लंड को हिलाते हिलाते अनु दीदी ने अपनी टांग हलकी सी उठाई और सुपाडे को अपनी चूत पर दो तीन बार रगडा और अपनी चूत के मेन गेट पर फिक्स कर दिया. दीदी की चूत का स्पर्श मुझे अपने लंड पर ऐसा महसूस हुआ जैसे उनकी चूत अपने प्रेमी का चूम कर स्वागत कर रही हो. दीदी ने हल्का सा झटका लिया दोनों प्रेमियों को एकाकार करने के लिए और वो अन्दर घुस भी जाता लेकिन हल्का सा झटका मैंने भी लिया और मेरा लंड दीदी की चूत के दाने (क्लिटोरिस) को रगड़ता हुआ निकल गया. उम्म्म्म sssss ........ एक सिसकारी फिर से निकली लेकिन हमारे होठों के बीच दब कर रह गई. मैंने अपना लिपलॉक तोडा और अनु दीदी के चेहरे को देखा. चेहरा बिलकुल लाल होकर तमतमा रहा था और गुलाबी होंठ फड़क रहे थे दीदी ने आँखें खोली और सवालिया नज़र से मेरी तरफ देखा जैसे पूछ रही हो "जाने क्यूँ नहीं दिया ?" मैंने उन आँखों के सवाल को पढ़ा और ना के इशारे में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा " नीचे आओ तब डालूँगा"....
अनु: नो..मिशनरी नहीं..आई डोंट लाइक इट मच....लेट मी कम ऑन टॉप ..
मैं: उहं हूँ शुरू में ही वूमन ऑन टॉप...नो......थोड़ी देर बाद आ जाना ऑन टॉप...
अनु: ओके देन व्हाट एवर यू लाइक...अभी तो आई वांट अ हार्ड फकिंग.... बट नॉट मिशनरी इन स्टार्टिंग .....
मैं: हम्म ssss डौगी के बारे में ख्याल है ?
अनु: वॉव नाईस च्वाइस ...... आई लाइक इट टू... और उसने मेरी तरफ एक आँख मारी और लगभग उछल कर मेरे ऊपर से उतर कर कुतिया बन गई यानि डौगी पोसिशन में आ गई.
मैं भी अपने लंड को सहलाते हुए उठा और अनु के पीछे जा कर अपनी पोसिशन ले ली.
मैं: अनु दीदी द शो इस अबाउट तो बिगिन बट नो इंग्लिश ड्यूरिंग फकिंग. ... ओके
"ओके मेरी जान. अब देर किस बात की... ठोक दे लोड़ा चूत में..." अनु ने गर्दन पीछे घुमा कर बड़े ही स्लटी अंदाज़ में कहा. उसका ये अंदाज़ देख कर तो मुझे भी कुछ कुछ हो गया और मेरे लंड ने भी झटका लेकर बताया कि उसने भी ये सुन लिया है और वो अपना लक्ष्य भेदने को तैयार है.
kramashah..........
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gataank se aage..........
जैसे ही कमरे में पहुंचा तो मेरा सेल फ़ोन बजने लगा देखा तो मेरे ताऊ जी के बेटे अजय का फोन था अजय को घर के लोग और उसके यार दोस्त सब जॉन के नाम से ही पुकारते थे. मेरा हमउम्र होने के कारण अजय और मेरी बहुत पटती थी और हम दोनों आपस में हर तरह कि बातें शेयर करते थे. एक बात और दोस्तों, मेरा नाम मनीष मेरा ऑफिशियल नाम है जो कि मम्मी पापा ने स्कूल कालेज में लिखवाया था और इसलिए मुझे घर पे मनु कहते थे लेकिन मेरी कुंडली के हिसाब से मेरा नाम न अक्षर से निकला था और दादा जी ने मेरा नाम निखिल रखा था-- निखिल मतलब सम्पूर्ण, समस्त.... तो ये जॉन तो अधिकतर मुझे निखिल या निक्कू ही कह के बुलाता था. मैंने फोन रिसीव किया....
जॉन: अबे कहाँ मर गया था. कब से फोन मिला रहा हूँ और अब भी इतनी देर में उठाया
मैं: अरे कुछ नहीं यार मैं नीचे था और ये फोन ऊपर मेरे कमरे में था. पता नहीं चला. अभी अभी रूम में आया तो पिक कर लिया. और बता कैसा है तू और आज कैसे याद कर लिया बच्चू. फिर कोई लफड़ा कर लिया क्या तूने. साले मुझे तो तू तभी याद करता है जब कोई लफड़ा हो जाए और तुझे ताऊ जी के डंडे से बचना हो. और बाबू फोन तो मैंने भी तुझे कई बार मिलाया था..
जॉन: अबे इसीलिए तो फोन किया यार. बेट्री ख़तम हो गई थी...फिर चार्जिंग पे लगा के छोड़ गया था अभी अभी तेरी मिस काल देखी तो फोन करलिया.
मैं: क्यों बे किसके साथ लगा हुआ था जो तेरी बेटरी ख़तम हो गई, कोई नया माल फसाया है क्या? बोल न क्या नाम है, कैसी है, क्या फिगर है.......
जॉन: ओए बस कर यार तूने तो सवालों की मशीन गन चला दी मेरे ऊपर, थोडा साँस तो ले ले. तू ये बता कब आ रहा है? जब तू आएगा सब कुछ आराम से बैठ कर बताऊँगा.
मैं: यार तू तो अनु को जानता है न, अरे वो अमेरिका से आई हुई है मामाजी के साथ, उसे छोड़ कर कैसे आ सकता हूँ?
जॉन: हम्म, तो एक काम कर उसे भी ले आ, हम सब भी मिल लेंगे उससे, अगर तुझे या उसे कोई एतराज ना हो तो.
मैं: अच्छा एक मिनट रुक मैं बताता हूँ. (मैं जानता था अनु को क्या एतराज होगा मेरे साथ बाहर जाने में, और उसे तो वैसे भी घूमना फिरना ही था, ये सोचते हुए मैंने जॉन को हाँ कह दिया) ओके ठीक है हम दोनों कल मेट्रो से आते हैं लकिन शाम हो जाएगी और तुझे हमें वहां से पिक करना पड़ेगा.
जॉन: तू चिंता क्यों करता है, मैं तुम दोनों को रोहिणी ईस्ट मेट्रो से पिक करता हूँ, ओके ठीक है.
मैं : ओके डन बाए.
जॉन: ओके बाए.
मैंने जॉन से बात करके फोन रखा और सोचने लगा चलो बड़े दिन हो गए जॉन से मिले हुए, मिलना भी हो जाएगा और थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे साथ साथ. तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आ गई.
मम्मी: अनु ssss, मनु sss बेटा नीचे आ जाओ. आधे घंटे में डिनर सर्व हो जाएगा.
मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं अपने कमरे से निकला और अनु के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई "अनु दीदी चलो नीचे डिनर लग रहा है"
अनु: बस आती हूँ...
अनु अपने कमरे से बाहर आई एकदम फ्रेश फेस के साथ और फूलों की महक उड़ाती हुई. कसी हुई शॉर्ट कुर्ती जिसमे उसके बूब्स बिलकुल टाईट कसे हुए थे और सलवार पहने हुए. उसने अभी अभी शावर लिया था उसके बाल अभी तक थोड़े थोड़े गीले थे और कमर पर उसकी कुर्ती को गीला कर रहे थे. मैं तो उसे देख कर जड़ ही हो गया, एकदम गुलाब के फूल की तरह फ्रेश लग रही थी. उसने बाहर आकर मुझे एक कोहनी मारी और बोली "चलो अब..डिनर नहीं करना क्या.."
मैं: उहं sssहूँ sssह हाँ चलो और हम दोनों सीढियां उतरते हुए नीचे आ गए.
हम दोनों मेज़ पर आकर बैठे और मैंने उसे जॉन के यहाँ चलने के प्रोग्राम के बारे में बताना शुरू कर दिया. तभी मम्मी पापा और मामाजी भी आ गए.
मम्मी: कहाँ जाने का प्रोग्राम बन रहा है? आए हाए देखो तो कितनी सुन्दर लग रही है हमारी गुडिया इस इंडियन ड्रेस में... "और सेक्सी भी....." मैंने मन ही मन सोचा.
मैं: कुछ खास नहीं मम्मी, अजय का फोन आया था बुला रहा है. कह रहा था ताई जी भी याद कर रही है. तो मैंने सोचा अनु दीदी और मैं दोनों ही चले जाएँगे थोडा घूमना फिरना भी हो जाएगा और दीदी ताऊ जी की फॅमिली से भी मिल लेंगी.
पापा: हाँ हाँ क्यों नहीं, चले जाओ.. सारा दिन घर में बोर ही तो होंगे तुम लोग. अच्छा रहेगा. और निखिल बेटा वो एक फाइल है जो वकील साहब के यहाँ से आई थी वो भी लेते जाना और अपने ताऊ जी को दे देना
मैं: ओके पापा... हम लोग दोपहर बाद जाएँगे आप फाइल मुझे दे दीजिएगा.
हम सब लोगों ने डिनर ख़तम किया और और थोड़ी देर टेबल पर ही बातें करने के बाद अपने अपने रूम्स की तरफ चल दिए. सीढ़ियों पर अनु मुझसे बात करने लगी.
अनु: ये जॉन वही है ना जो पिछली बार हमेशा तुम्हारे साथ लगा रहता था जब हम किसी की शादी में आए थे यहाँ.
मैं: हाँ वही, मेरे ताऊ जी का बेटा है, हम दोनों की एज में भी ज्यादा फर्क नहीं है. लगभग एक ही एज के हैं, दोस्तों की तरह हैं आपस में सब बात कर लेते हैं.
अनु (हँसते हुए): क्या अब भी वैसा ही है मरियल सा...कितना पतला था न वो..... कमज़ोर सा........कहते हुए खिल्ली सी उड़ाने लगी.
अब मुझे कैसे बर्दाश्त होता कि मेरे दोस्त जैसे भाई की कोई ऐसे खिल्ली उडाए, मुझे भी ताव आ गया.
मैं: ओ मैडम.... किस दुनिया में हो? अब वैसा नहीं है वो. जिम विम जाता है रोज़ और बॉडी देखोगी न तो बावली हो जाओगी. और उसके हत्थे मत चढ़ जाना नहीं तो रुला के छोड़ेगा.
अनु: अच्छा जी......ऐसा है...जा तो रहे ही हैं कल....उसे भी देख लेंगे ऐसा कौन सा हरक्युलिस है तुम्हारा भाई.... और मुस्कुराते हुए मेरे कान में फुसफुसाई "सब के सोने का इंतज़ार करो बस अब तो" और हम दोनों एक दुसरे को गुड नाईट बोल कर अपने अपने रूम्स में चले गए.. और अब मुझे इंतज़ार था घर की लाइट्स बंद होने का और सब के सोने का.
मैं अपने कमरे में आ गया और घड़ी देखी तो 9 बज चुके थे. हमारे घर में अमूमन सब 11 बजे तक
सो ही जाते हैं तो मैंने सोचा चलो दो घंटे कि ही तो बात है और बेड पर लेट कर दो घंटे बाद क्या क्या होने वाला है इस कि कल्पना करने लगा औए इस कल्पना लोक में घूमते घूमते ही मेरे लंड मैं तनाव आने लगा.
11 बजने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था और टाइम पास करने के लिए मैंने अपने बेड के गद्दे के नीचे से प्लेबॉय का नया इश्यु निकाला जो अनु ख़ास मेरे लिए लेकर आई थी और उसके पन्ने पलटने लगा.
क्या एक से एक अमेरिकन मॉडल खूबसूरत नंगी जवानियाँ........लंड ने ठुनकियाँ मारना शुरू कर दिया. मैंने अपने लंड को समझाया बेटा ज़रा सब्र कर ये तो तैयारी है, तैयार हो जा अच्छी तरह अमेरिकन चूत हीमिलने वाली है. मैं मैगज़ीन के पन्ने धीरे धीरे उन नंगी मोड्ल्ज़ के खूबसूरत जिस्मों का नयनचोदन करते हुए पलट रहा था और एक हाथ से
अपने शाहबाज़ को सहला रहा था.
थोड़ी थोड़ी देर में नज़रें घड़ी पे भी चली जाती थी तो ऐसा लगता था जैसे वक़्त रुक गया है और आगे ही नहीं बढ़ रहा.
बेचैनी और उत्सुकता का ये आलम था कि घड़ी की सुइयां आगे खिसकती नज़र ही नहीं आ रही थीं.
काफी देर तक उन चूत और चुचियों के सागर में गोते लगाने के बाद जब घड़ी पेनज़र पड़ी तो ११बजने में लगभग ५ मिनट बाकी थे, मेरे दिल की धडकनें अचानक तेज़ हो गयीं.
दो घंटे काटने मुश्किल हो गए थे वो तो भला हो उन बेशर्म अमेरिकन लड़कियों का जिन्होंने बिना किसी झिझक के अपने कपड़े उतार कर अपने नंगे- पुंगे फोटो प्लेबॉय के लिए खिंचवाए थे उन्ही को देखकर अपने पप्पू को सहलाते सहलाते मैंने अपना टाइम पास किया.
टाइम तो हो गया था सब के सोने का सो मैंने सोचा चलो अनु दीदी को इशारा कर दिया जाए तो वो ५-१०मिनट तो लेगी ही कमरे में आने में.
ये सोच कर मैं बेड से उठा और अपने रूम का दरवाज़ा खोल कर बाहर झाँका तो नीचे बरांडे में जलते हुए नाईट बल्ब की धीमी रौशनी के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दिया. "बल्ले बल्ले मतलब सब सो गए..."
मेरे दिल ने उछलना शुरू कर दिया और मैं रूम से बाहर निकला अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने शेरखान को पकडे हुए.
मैंने अनु दीदी के कमरे की तरफ कदम बढ़ाया और दो कदम बढ़ते ही गांड में आग लग गयी....... और मैं झल्लाहट से भर गया.......
दीदी के कमरे से मम्मी के हंसने की आवाज़ आ रही थी. shit man हो गयी KLPD एक बार फिर........... उन्हें भी अब टाइम मिला था अपनी भतीजी से सारी बातें करने का. पता नहीं क्या क्या बातें कर रही थीं...... वहां कैसा है? मौसम कैसा है? लोग कैसे हैं? और क्या करती रहती हो? वगैरा वगैरा.......... अनु के संक्षिप्त से जवाब सुनकर भी लग रहा था कि वो बातों में कोई खास इंट्रस्ट नहीं ले रही थी बस अपनी बुआजी होने की वजह से मम्मी को झेल रही थी.
आखिर उसे भी तो सबके सोने का उतनी ही बेसब्री से इंतजार था जितना मुझे और ऊपर से चूत में लगी हुईआग.... वो भी बस अनमने मन से मम्मी को बातों का जवाब दिए जा रही थी और उसकी हंसी की आवाज़ से ही लग रहा था कि ज़बरदस्ती बेचारी मम्मी का साथ देने में लगी है पर मम्मी थी कि कुछ समझ ही नहीं रही थी और लगातार बातों में से बातें निकाले जा रही थी और बात घुमाते घुमाते मम्मी की रेल अब भूली बिसरी यादों के स्टेशन पर आ गयी थी. वो बता रही थी अनु को उसकी माँ के बारे में... वो कितनी अच्छी थी, कैसी दिखती थी.....ये वो....... मैं समझ गया बेटा अब कोई फ़ायदा नहीं, मम्मी तो अब अनु का पीछा छोड़ने वाली हैं नहीं, चलो अपने कमरे में……यहाँ खड़े खड़े टाइम वेस्ट करने से कोई फ़ायदा नहीं. मैं वापस अपने कमरे में आया और वही प्लेबॉय का इश्यु अपने हाथों में लेकर लेट गया. लंड ने फिर अंगड़ाई लेनी शुरू की और मेरा हाथ फिर से मेरे शॉर्ट पर पहुँच गया.
अब अनु दीदी से मिलने का तो कोई चांस लग ही नहीं रहा था तो मैंने भी प्लेबॉय की हसीनाओं को देखते हुए ही रात बिताने का सोचा और वो पन्ने पलटते पलटते कब मझे नींद आ गयी पता नहीं चला.
मैं नींद में था कि अचानक मुझे अपनी छाती पर कुछ दबाव सा महसूस हुआ. मैंने हड़बड़ा कर आँखें खोली बेड के साइड टेबल पर रखे लैम्प को ऑन किया और अलार्म में देखा तो रात के ठीक तीन बजे थे.
अब और कौन हो सकता था, अनु ही थी. मैंने ज़रा गर्दन पीछे घुमाई तो मेरे होंठ सीधे उसके रसीले होंठों से जा टकराए. वो गर्दन झुकाए मुझे ही देख रही थी और एक हाथ मेरी छाती पर फिरा रही थी.
मैं: अनु दीदी, इस वक़्त........? मैंने तो सोचा था कि प्रोग्राम चौपट हो गया.
अनु: अरे क्या करती, बुआजी ने अभी एक डेढ़ घंटे पहले ही पीछा छोड़ा है. पता नहीं कहाँ कहाँ की बातें सुना रही थी. ज़रा भी इंटरेस्ट नहीं आ रहा था. अब तो इतनी देर हो गयी है वो आराम से सो भी चुकी होंगी. शुरू करें........?
अब मैं करवट लेकर अनु की तरफ ही पलट गया. देखा तो बिलकुल सपाट नंगी. चूचे टाईट हो रहे थे और निप्पल कड़े हो कर खड़े थे.
मैं: अरे वो तो ठीक है लेकिन आप ऐसे ही चली आई बिना कुछ पहने? कम से कम अपने वो छोटे छोटे अंडरगारमेंट्स ही पहन लेती.
अनु: अरे बुद्धू ऐसे ही नहीं आई हूँ नाईटी पहन के आई थी. अन्दर आकर ही उतार के फेंकी है. अनु ने फर्श पर पड़ी अपनी नाईटी की तरफ इशारा करते हुए कहा. और चलो अब फालतू की बातों में टाइम वेस्ट मत करो काम करो.
अनु की बात सुनकर एक बार को तो मैं भी सकते में आ गया. कमाल है यार इतनी ठरक.....
मैं: क्या बात है बड़ी बेसब्र हो रही हो चुदाई के लिए. खुजली ज्यादा लगी है क्या?
अनु: अरे खुजली नहीं यार आग लगी है आग. देखो आज जब से मैं तुमसे मिली हूँ और तुम्हारे उसको देखा है मेरा तो तभी से मन कर रहा है मरवाने का लेकिन मौका ही नहीं मिल पाया. और अब अगर बुआ जी टाइम वेस्ट न करती तो सुबह तक चार पांच राउण्ड तो हो ही जाते. लेकिन अब तो एक ही राउण्ड मार दो अच्छी तरह से. इस चूत में कुछ तो ठंडक पड़ेगी.
मैं: ज़रूर मेरी जान... तुम्हारी चूत को ज़रूर ठंडा करेंगे लेकिन ऐसे कैसे घुसा दूँ उसके लिए कुछ तैयारी भी तो करनी पड़ेगी. चलो तुम मुझे तैयार करो और मैं तुम्हे तैयार करता हूँ. 69 ठीक रहेगा. है ना
अनु: मुझे कोई ज़रूरत नहीं है. मैं तो पहले से ही तैयार हूँ. और यह कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया.
हे भगवाssssssन................. अनु झूठ नहीं बोल रही थी. उसकी चूत पर हाथ रखते ही ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ जल जायेगा, उसकी वो नन्ही सहेली भट्टी की तरह जल रही थी. अब मेरी समझ में आया अनु क्यूँ कह रही थी कि खुजली नहीं आग लगी है. सचमुच में ही आग लगी थी. और ऐसा लग रहा था जैसे उस तपिश के कारण अन्दर से सीसा पिघल कर बाहर आ रहा था. मेरी पूरी हथेली भीग गई उसके यौन रस से.... तपिश और गीलेपन के कारण मैंने अपना हाथ वहां से हटाया और अपने मुहं के पास लाकर जीभ की टिप निकालकर अपनी हथेली को चखा.
मैं: हम्म..... अनु दीदी आप तो सचमुच तैयार हो लेकिन ऐसे कैसे कुछ भी होने से पहले ही इतनी गरम ?
अनु: वोssss इसलिए (मचलते हुए) क्यूंकि बेचैनी तो पहले से ही थी और बुआजी के जाते जाते और बढ़ गई. मैं तो मास्टरबेट कर रही थी मज़े से फिर ख्याल आया कि तुम तो बगल में ही हो तो क्यूँ न ट्राई किया जाए मज़ा भी बढ़ जायेगा. हाथ से घिसने में उतना मज़ा कहाँ आता है ? और अपना निचला होंठ दांतों में दबा लिया
मैं: हम्मssss….. तो ये बात है इसलिए घाटी में बाढ़ आई है लेकिन मेरे घोड़े को तो तैयार करना पड़ेगा ना तभी तो वो आपके रेसिंग ट्रेक पर दौड़ेगा. और मेरा तो मन ललचा रहा है डायरेक्ट झरने से पानी पीने के लिए, मैंने अपनी हथेली उसे दिखाते हुए कहा.
अनु मेरा मतलब समझ गई और उसने मिनट नहीं लगाया उछलकर मेरे ऊपर चढ़ गई और 69 की पोसिशन में आ गई. उसकी कामरस में लिसढी चूत मेरी आँखों के सामने सालसा कर थी और रह रह कर सिकुड़ रही थी और फ़ैल रही थी.उसकी फैली हुई चिकनी गांड इस दृश्य को और भी मनमोहक बना रही थी और छोटा सा भूरे रंग का गांड का छेद भी चूत के साथ लय मिला रहा था.
अनु ने बड़ी ही अदा के साथ अपनी गर्दन पीछे घुमाई और मुझे निमंत्रण दिया "झरना सामने है पियो जितना पीना है और जल्दी तैयार करो अपने घोड़े को राइडिंग के लिए."
मैं: ये तो आप को ही करना पड़ेगा, आप करो.....
अनु की चूत से निकलती मदहोश कर देने वाली गंध से मेरे नथुने फडफडा रहे थे और मुझ पर जैसे कोई नशा छाता जा रहा था. मुझे अपनी पलकों में भारीपन महसूस होने लगा और दिमाग जैसे शून्य की अवस्था में पहुँच गया था. बोझिल आँखों से कुछ दिखाई दे रहा था तो बस अनु की रस से सराबोर चूत.
अनु: अरे इसे तो मैं एक मिनट में लोहे का बना दूँगी और ये कहते हुए अनु ने मेरी कमर तक ढकी चादर को उछाल फेंका और मेरे जॉकी के दोनों साइड में अंगूठे फंसाकर उसे मेरे पैरों से नीचे की तरफ खिसकाने लगी. मेरा लंड तो पहले ही बाहर आने के लिए तड़प रहा था जॉकी हटते ही वो अनु की आँखों के सामने उछल कर फडफडाता हुआ आ खड़ा हुआ. अनु ने एकदम चौंक कर पीछे की तरफ झटका लिया.
अनु: ओssss ये तो पहले से ही तैयार है और अपने एक हाथ से मेरे लंड को मुट्ठी में भींच लिया. मेरे मुहं से एक दर्द और वासना मिश्रित कराह निकल गई. मेरे लंड को हाथ में पकड़े पकड़े अनु ने मेरे ऊपर से उतरने के लिए अपनी एक टांग जैसे ही उठाई कि मैंने उसकी जांघ को अपनी हथेली से भींचा और वापस बेड पर टिका दिया.
मैं: क्या अनु दीदी, इतनी भी क्या जल्दी है. सूखा - सूखा ही अन्दर ले लोगी क्या, थोडा गीला तो कर लो.
अनु: गीली तो मेरी चूत बहुत है. आराम से चला जाएगा. अब रुका नहीं जा रहा.
मैं: अच्छा ज्यादा नहीं थोडा सा तो चूस लो और थोडा मज़ा मुझे भी लेने दो अपनी शहद की बाल्टी का.
उम्मीद के उलट अनु का कोई जवाब नहीं आया लेकिन एक पल के बाद ही मुझे अपने लंड पर एक गर्म एहसास हुआ. मेरा लंड अनु के मुलायम होंठों की गिरफ्त में था. ये महसूस होते ही मैंने भी जोश में भर कर उसकी बुलावा देती चूत में अपना मुहं मार दिया.
जैसे ही मैंने अपना मुहं अनु की गरमा गरम चूत पर मारा उसके मुहं से दो चीज़ें आज़ाद हुई - एक तो मेरा लंड, दूसरी एक मादक सिसकारी... मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत की दरार पर फिराना शुरू कर दिया. जीभ के हर स्पर्श के साथ अनु का उत्तेजना का लेवल बढ़ता ही जा रहा था और ये इस से पता चल रहा था क्यूंकि उसकी पकड़ अब मेरे लंड पर और कसती जा रही थी और वो ऐसे मुहं मार रही थी जैसे मेरे लंड को चबा ही जाएगी. मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियों से उसकी चूत की फांकों को खोला और अपनी जीभ नुकीली करके उसकी चूत में घुसाने लगा.
अनु: आ sssssss ह्ह्ह उ ssssss ह्ह्ह ..... इस से क्या होगा... इसे डालो इसे......अनु ने मेरे लंड को कस के पकड़ कर हिलाते हुए कहा. मनु या ssss र अब और नहीं, बस अब डाल दो.... अब नहीं रुका जायेगा... फक मी मनु sssss..... फक्क मी ssssss कम ऑन
अनु की चूत चाट कर तबीयत खुश हो गई थी और अब रुकने का मन मेरा भी नहीं था. अनु की चूत सचमुच इतनी गीली थी कि अगर मैं सूखा लंड भी डाल देता तो वो भी आराम से चला जाता. मैंने अनु के गुदगुदे कूल्हे पर एक हलकी सी चपत लगा कर उसे उठने का इशारा किया. अनु उठ कर सीधी हुई और मेरे ऊपर लेट गई और लेटते ही उसने अपने थूक और मेरे प्री कम से सने होंठ मेरे होठों से भिड़ा दिए. उसकी साँसों से बड़ी ही मादक गंध आ रही थी जो मुझे और ज्यादा नशे में डुबो रही थी... उसकी चूत का नशा क्या कम था कि अब अनु के होंठ..... डबल हो गया.......
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को मुहं में ले ले कर चूसने लगे. मैंने अपना हाथ घुमा कर उसकी कमर पर रखा और गर्दन से लेकर उसके चूतडों तक फिराने लगा......तारीफ करनी पड़ेगी अनु दीदी की...... क्या मखमली एहसास मिल रहा था उनकी कमर पे हाथ फिराने से..ऐसा लग रहा था जैसे किसी शनील की रजाई पर हाथ फिसल रहा हो. अनु दीदी ने भी अपना हाथ नीचे सरकाया और मेरे लंड मुस्टंडे को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी जैसे मेरी मुठ मार रही हो. हम दोनों के होंठ अभी तक जुड़े हुए थे और लंड को हिलाते हिलाते अनु दीदी ने अपनी टांग हलकी सी उठाई और सुपाडे को अपनी चूत पर दो तीन बार रगडा और अपनी चूत के मेन गेट पर फिक्स कर दिया. दीदी की चूत का स्पर्श मुझे अपने लंड पर ऐसा महसूस हुआ जैसे उनकी चूत अपने प्रेमी का चूम कर स्वागत कर रही हो. दीदी ने हल्का सा झटका लिया दोनों प्रेमियों को एकाकार करने के लिए और वो अन्दर घुस भी जाता लेकिन हल्का सा झटका मैंने भी लिया और मेरा लंड दीदी की चूत के दाने (क्लिटोरिस) को रगड़ता हुआ निकल गया. उम्म्म्म sssss ........ एक सिसकारी फिर से निकली लेकिन हमारे होठों के बीच दब कर रह गई. मैंने अपना लिपलॉक तोडा और अनु दीदी के चेहरे को देखा. चेहरा बिलकुल लाल होकर तमतमा रहा था और गुलाबी होंठ फड़क रहे थे दीदी ने आँखें खोली और सवालिया नज़र से मेरी तरफ देखा जैसे पूछ रही हो "जाने क्यूँ नहीं दिया ?" मैंने उन आँखों के सवाल को पढ़ा और ना के इशारे में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा " नीचे आओ तब डालूँगा"....
अनु: नो..मिशनरी नहीं..आई डोंट लाइक इट मच....लेट मी कम ऑन टॉप ..
मैं: उहं हूँ शुरू में ही वूमन ऑन टॉप...नो......थोड़ी देर बाद आ जाना ऑन टॉप...
अनु: ओके देन व्हाट एवर यू लाइक...अभी तो आई वांट अ हार्ड फकिंग.... बट नॉट मिशनरी इन स्टार्टिंग .....
मैं: हम्म ssss डौगी के बारे में ख्याल है ?
अनु: वॉव नाईस च्वाइस ...... आई लाइक इट टू... और उसने मेरी तरफ एक आँख मारी और लगभग उछल कर मेरे ऊपर से उतर कर कुतिया बन गई यानि डौगी पोसिशन में आ गई.
मैं भी अपने लंड को सहलाते हुए उठा और अनु के पीछे जा कर अपनी पोसिशन ले ली.
मैं: अनु दीदी द शो इस अबाउट तो बिगिन बट नो इंग्लिश ड्यूरिंग फकिंग. ... ओके
"ओके मेरी जान. अब देर किस बात की... ठोक दे लोड़ा चूत में..." अनु ने गर्दन पीछे घुमा कर बड़े ही स्लटी अंदाज़ में कहा. उसका ये अंदाज़ देख कर तो मुझे भी कुछ कुछ हो गया और मेरे लंड ने भी झटका लेकर बताया कि उसने भी ये सुन लिया है और वो अपना लक्ष्य भेदने को तैयार है.
kramashah..........
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