मेरी हॉट कजिन--3
gataank se aage..........
अनु शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी और उसके इस सहलाने ने मेरे लंड को और भी ज्यादा बेक़रार कर दिया था jockey की गिरफ्त से बाहर आने के लिए. मैंने अनु का चेहरा अपने हाथों की हथेलियों में भरा और उसे ऊपर उठाने लगा. वो मेरे हाथों के साथ साथ उठती चली गयी और अब हम दोनों बेड के साइड में एक दूसरे के सामने खड़े थे. उसका चेहरा ठीक मेरे चेहरे के सामने था और उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था और हम दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं. एक पल के लिए हमने एक दूसरे की आँखों में देखा और दूसरे ही पल बिलकुल परफेक्ट टाइमिंग के साथ हम दोनों के होंठ आपस में टकराए और हम दोनों के होठों के बीच एक घमासान युद्ध शुरू हो गया, हम दोनों के बीच जैसे एक लड़ाई, एक कम्पटीशन छिड़ गया कौन किसके होठों को ज्यादा रगडेगा, कौन किसके होठों से ज्यादा रस निकलेगा और कौन किसके होठों को ज्यादा देर तक चूसेगा. हालाँकि हम दोनों यह जानते थे की इस लड़ाई या कम्पटीशन का फैसला दोनों में से किसी के भी हक में नहीं होगा क्योंकि दोनों में से कोई भी कम नहीं है लेकिन जब कम्पटीशन इस तरह का हो तो हार और जीत की परवाह भी किसे होती है, दोनों ही साइड चाहती हैं की बस कम्पटीशन चलता रहे और कभी ख़त्म ही ना हो बस यही हाल हम दोनों का भी था.
ऊपर हम दोनों के होंठ आपस में लड़ रहे थे, हमारी आँखें बंद थीं और नीचे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीरों पर रेंग रहे थे और शरीर के खास हिस्सों का नाप लेने में व्यस्त थे. अनु कभी अपने मुहं को पूरा खोल कर मेरे दोनों को होठों को अपने मुहं में भर कर चूसने लगती और कभी मैं उसके निचले होंठ को अपने मुहं में दबाकर निचोड़ने की कोशिश करता. अनु का तो कह नहीं सकता लेकिन जब भी अनु के रसीले गुलाबी होंठ मेरे मुहं में आते तो एक गज़ब का स्वाद पूरे मुहं में घुल जाता और बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगती. ऐसा लग रहा था जैसे उसके होठों में कोई खास ग्रंथि लगी हो जो जितनी बार उसके होंठ मेरे मुहं में आते उतनी बार उस नैसर्गिक रस को मेरे मुहं में छोड़ रही थी.
अनु का दायाँ हाथ अभी तक मेरे लंड के ऊपर ही था और अब वो और भी कामुक तरीके से मेरे शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी और बायाँ हाथ जो की उसने यह चुम्बन शुरू होते समय मेरी गर्दन में डाल रखा था ताकि मैंअपना चेहरा पीछे ना खींच सकूँ या हिला ना सकूँ, अब मेरी गर्दन से निकलकर कभी मेरी छाती पे, कभी मेरे पेट पे, कभी मेरी कमर, फिर मेरे चूतडों पर और कभी मेरी जांघ पर बिना रोक टोक के घूम रहा था. मेरे दोनों हाथ अनु के कन्धों पर टिके हुए थे और धीरे- धीरे उसके कन्धों को दबाते हुए मैं उसकी बाजुओं को भी सहला रहा था.
उसकी बाजुओं को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथ उसकी कमर पर ले गया और उसकी कमर पे अपने दोनों हाथ ऊपर से नीचे तक फिराने लगा. कमर पर हाथ फिराते हुए जब मेरे हाथों को उसकी ब्रा की स्ट्रैप महसूस हुई तो मैंने टी शर्ट के ऊपर से ही ब्रा के स्ट्रैप में उंगली डालने की कोशिश की लेकिन कमबख्त ब्रा इतनी टाईट थी की उंगली डालना तो दूर मैं उसे हिला भी नहीं पाया. साली ब्रा भी इतनी टाईट पहनी है की स्ट्रैप भी बिलकुल कमर से चिपकी पड़ी है- मैंने मन में सोचा और इस असफलता से खीज कर अपने हाथों को आगे के सफ़र पे बढ़ा दिया.
कमर का नाप लेने के बाद अब मेरे हाथ उसकी स्कर्ट पर आ गए और मैं स्कर्ट के ऊपर से ही उसके मुलायम और सांचे में ढले चूतड़ों को सहलाने लगा. सचमुच..... वाटर बेड ही थे अनु के चूतड, इतनी मुलायम फीलिंग की हाथ रखते ही मज़ा आ जाये...उसके गुदाज़ चूतड़ों को सहलाते सहलाते में अपने हाथ थोड़े और नीचे ले गया और स्कर्ट खत्म होते ही फिर से अपने हाथों को फिर से ऊपर की ओर बढाया और अब मेरे दोनों हाथ थे अनु की स्कर्ट के अन्दर और मेरे हाथों में थे उसके वाटर बेड जैसे गद्देदार, मुलायम और बिलकुल नंगे चूतड.
मैं मस्ती में अनु के नंगे चूतड़ों के ऊपर हाथ फिराने लगा और उन्हें सहलाने लगा. वाssssह.ह.. क्या फीलिंग थी, बिलकुल चिकने थे दोनों चूतड और इतने मेनटेन्ड कि उनकी गोलाई को हाथ फिराने मात्र से ही महसूस किया जा सकता था और मैं कर रहा था. मैं अनु के दोनों चूतड़ों को अपनी हथेलियों में भरकर दबा रहा था और ऐसे मसल रहा था जैसे आटा गूंथा जाता है. उसके चूतड़ों को मसलते मसलते मुझे शरारत सूझी और मैंने अनु के दोनों चूतड़ों पर जोर से चुटकी काट दी. अनु को तो इस चीज़ की उम्मीद ही नहीं थी मेरे ऐसा करते ही वो चिहुँकते हुए उछल पड़ी और मेरे होठों से अपने होठों को अलग करते हुए मेरी तरफ देखने लगी. उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था. उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए मैं बेशर्म की तरह मुस्कुरा दिया. उसका चेहरा सुर्ख हो गया था और उसके चेहरे पे आए भाव देख कर मैं समझ गया कि मैंने गलती कर दी थी और उसे सच में काफी दर्द हुआ होगा. तो इसकी भरपाई करना तो ज़रूरी था इसलिए मैंने उसे कोई रिएक्शन का मौका दिए बिना फिर से अपने होठ उसके होठों पर रख दिए और फिर से उसके चूतड़ों को सहलाने लगा इस बार ठीक उस जगह जहां मैंने चुटकी काटी थी. अनु भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी और उसका हाथ फिर से मेरे लंड को सहलाने लगा. अब थोड़ी देर उसके कराहते चूतड़ों को आराम देने के बाद मैंने अपने हाथों को वहां से कार्यमुक्त किया और आगे की तरफ ले आया वापस अनु के कन्धों पर. लेकिन ये हाथ हैं ही इतने चंचल की अनु के कन्धों पर आखिर कितनी देर ठहरते और वो फिर चल दिए अपनी यात्रा पर लेकिन इस बार पीछे की तरफ नहीं बल्कि आगे की तरफ और आ कर ठहर गए अनु के मोटे मोटे गुदगुदे चूचों पर.
अब मैंने अनु के लाडले चूचों को प्यारसे और बड़े आराम से सहलाना शुरू किया और सहलाने के इस इस क्रम में मेरे हाथ उनकी गोलाई और मोटाई नाप रहे थे. उन दोनों गोलों के ऊपर नाचते मेरे हाथ मुझे जो संकेत दे रहे थे उनके मुताबिक अनु के चूचे बिलकुल गोल और तने हुए थे, उसके दोनों निप्पल बदलते माहौल की वजह से अकड़ कर सर उठा कर खड़े हो गए थे और उनकी अकड़न का आलम ये था कि वो टी शर्ट के ऊपर से भी मेरी हथेलियों में चुभ रहे थे. हाथ फिराते फिराते एक अनुभव और हुआ और वो ये कि अब वो दोनों गोलमटोल बदमाश पहले से बड़े हो गए थे क्योंकि अब वो मेरे हाथों की गिरफ्त में पूरे नहीं आ रहे थे. और उन्हें छूने का एहसास.........आssss हाssss आssssहाssss बस बिलकुल अलग बिलकुल जुदा और ऐसा जो केवल महसूस किया जा सकता है या कल्पना में उतारा जा सकता है, शब्दों में कहना जिसे मुश्किल है..... फिर भी कोशिश कर के उसे शब्दों में पिरोने की कोशिश करूं तो बिलकुल ऐसा जैसे किसी फोम के बने साफ्ट टॉय को हाथों में ले लिया हो या फिर एक ऐसा पानी का गुब्बारा जिसमे पानी पूरी तरह से ना भरा गया हो केवल उतना भरा गया हो कि गुब्बारा फेकने पर भी ना फूटे.
आँखें बंद किये उसके चूचों की सुन्दरता के बारेमें सोचता और मन ही मन उन दोनों को अपनी आँखों के सामने शरारत से उछला कूदता, थिरकता और अठखेलियाँ करते हुए देखने की कल्पना में खोया मैं उसके दोनों रसीले खरबूजों का मर्दन करने लगा. हम दोनों की आँखें बंद थीं और होंठ आपस में लॉक थे और जो आवाजें कानों में पड़ रही थी वो बस एक दूसरे के मुहं से निकलती म्मम्ममssssss .......... आssउssम्मम्मम.ssssss....... पुच्च....च्च ssssss पूsssss च्चsssss ..... या फिर बीच बीच में नीचे से आती मम्मी, पापा और मामाजी की मिली जुली हंसी की आवाजें थीं. कुल मिला कर अनु के कमरे का मौसम बहुत गर्म हो चुका था और हम दोनों के बदन ऐसे जल रहे थे जैसे 104° के बुखार में तप रहे हों और इसी बीच अपनी जांघ पर महसूस होते गीलेपन से मुझे एहसास हुआ कि मेरा दोस्त भी अब ज्यादा इंतज़ार के मूड में नहीं था. ये सब चलते चलते इतना प्री कम छोड़ा था मेरे लंड ने कि मेरी जांघ भी गीली हो गई थी और अपने प्री कम की कुछ बूँदें मुझे अपने पैर पर नीचे की तरफ रेंगती महसूस हो रही थीं.
अनु की दोनों पहाड़ियों का मर्दन करते करते मैं अपने हाथ उसकी कमर तक ले गया और उसकी टी शर्ट को दोनों ओर से पकड़ कर ऊपर उठाने लगा. अनु की तरफ से तो कोई विरोध होने का सवाल ही नहीं था उसने भी अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और मैंने टी शर्ट को आराम से ऊपर कर दिया और उसके उन दोनों पहाड़ों के ऊपर ला कर फंसा दिया. अब मेरे हाथ उसकी टाईट ब्रा में कैद दोनों खरगोशों को सहला रहे थे. उन दोनों नटखट बच्चों को सहलाते सहलाते मैंने अनु के होठों को छोड़ा और एक नज़र उसकी छाती पर डाली. क्या गज़ब की घाटी बनी हुई थी उन दो खूबसूरत पहाड़ियों के बीच और क्यूंकि ब्रा भी टाईट थी इसलिए घाटी की सुन्दरता और भी ज्यादा निखर कर सामने आ रही थी. मेरे होंठ तो आज़ाद थे ही और वो घाटी भी जैसे मुझे निमंत्रण दे रही थी, सो एक नज़र अनु की तरफ देखते हुए मैंने अपने होंठ उस सुन्दरता की घाटी की ओर बढ़ा दिए और मेरे हाथ अनु की कमर पर उसकी ब्रा के हुक से लड़ रहे थे, उनका मिशन था इन दोनों शरारती मोटे बच्चों को आज़ाद करना ताकि मैं उनके साथ खेल सकूं.
अनु की छाती पर उभरी दो पहाड़ियों के बीच बन रही उस गहरी घाटी और मेरे होठों के बीच ज़रा ही फासला था तभी मुझे अपने कन्धों पर अनु के हाथों का दबाव महसूस हुआ. अनु अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धों को नीचे की ओर दबा रही थी और मैं कुछ समझ पता इससे पहले ही उसकी सिसकारी भरी नशीली आवाज़ मेरे कानों में पड़ी.
अनु : स्सीssssss म्मम्मssssss ......इन...सेssssss .....बाssssssद में......मिल लेssssनाssss म्मम्ममssssss ......... पहलेssssss इससे बाssssssत करो आssssssहहह........ कब से इंतजार कssssररर रही है.
ओssहह... अब समझा...... अनु मुझे नीचे अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी जो लग रहा था कि अब बेचैन हो चुकी थी और अनु के कंट्रोल से बाहर हो रही थी.
बात तो अनु की भी सही थी वो बेचारी भी तो कब से इंतज़ार कर रही थी. लंड से मिलन तो दूर मैंने तो उसे अभी तक छुआ या सहलाया भी नहीं था. और फिर जब मैंने अपनी नज़रें नीचे की तरफ डालीं तो मुझे भी उस बेचारी नन्ही सी चूत की हालत पे तरस आ गया. अनु के पैरों के बीचों बीच फर्श पर तीन चार मोटी मोटी गाढ़ी बूँदें पड़ी थी. तरस आने वाली बात तो थी ही बेचारी छोटी अनु अब और इंतज़ार और बेचैनी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और टपकने लगी थी.
स्कर्ट से ढकी होने के कारण अभी मैं उसे देख तो नहीं पा रहा था लेकिन उसकी दयनीय दशा की कल्पना ज़रूर कर रहाथा और उसकी खुद अपने ही रस से भीगी, फड़कते हुए चिपचिपे होठ और उन होठों के बीच से रिसता गाढ़ा गाढ़ा योनी रस जो की बूँद बूँद कर के नीचे टपक रहा था, की तस्वीर मेरी कल्पना में घूमने लगी. "यार बेचारी सच में बड़ी परेशान हो गयी है चलो पहले इसे थोड़ी तसल्ली दे देते हैं" यह सोचते हुए मैं भी नीचे झुकता चला गया और अपने घुटनों के बल अनु के सामने बैठ गया और अब मेरा चेहरा ठीक उसकी स्कर्ट के सामने था.
मेरे नीचे बैठते ही अनु ने अपना दायाँ पैर बेड पर रखा और अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया. स्कर्ट उठते ही मेरे सामने वही दृश्य था जो पल भर पहले मेरी कल्पना में घूम रहा था. उसकी चूत लगातार योनी रस का उत्पादन कर रही थी और उसे बाहर फैंक रही थी. उसकी चॉकलेटी फांकें रस में भीग चुकी थीं और उन पर लगे रस की वजह से उन पर एक अलग ही चमक आ गई थी. चूत के होंठ ऐसे फड़क रहे थे जैसे उन्हें करंट लग रहा हो. कभी खुल रहे थे कभी बंद हो रहे थे, जैसे चूत सांस ले रही हो. चूत के बिलकुल अंतिम छोर से योनी रस का रिसाव हो रहा था और अब वहां पर एक ताज़ी बूँद तैयार थी टपकने के लिए. अपनी आँखों के सामने ऐसा मनोरम और कामुक दृश्य देख कर मेरे तो मुहं में पानी ही आ गया और मन किया कि आगे बढ़ कर मुंह रख दूँ उसकी लरजती चूत पर और उस योनी रस की बूँद को अपनी जीभ पर लेकर वेस्ट होने से बचा दूं जो कि बस टपकने ही वाली थी.
मन में ये ख्याल आते ही जैसे मैं अपने आप ही उसकी ओर बढ़ने लगा और मेरा चेहरा चल पड़ा अनु की चूत पे चिपकने के लिए लेकिन तभी एक आवाज़ आई जिसने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया. ये आवाज़ थी मेरे अंतर्मन की जो अब बदले की भावना पर उतर आया था. "अरे पागल हो गया है क्या? इसने कहा और तू चल दिया चाटने कुत्तों की तरह, तुझे क्या चूतों की कमी है? याद नहीं कैसे तड़पा के छोड़ा था इसने अपने बाथरूम में, कितना टीज़ किया था. कितनी रिक्वेस्ट करने के बाद भी कैसे नखरे दिखा रही थी और क्या रानियों वाले तेवर थे. अब है मौका बेटा, ले ले बदला, अब ये पूरी तरह गर्म है, छोड़ दे ऐसे ही तड़पता हुआ. अपना काम तो हाथ से भी चल जायेगा, नहीं तो सोनल बेबी के पास चल देंगे. "अरे नहीं ऐसा नहीं करते, अगर मैं भी ऐसा करूँगा तो फिर इसमें और मुझमे फर्क क्या रह जायेगा?" मेरे मन से दूसरी आवाज़ आई जो शायद इसलिए आ रही थी कि या तो मेरे मन में उसकी टपकती चूत देख कर लालच आ रहा था या फिर मेरा मन मुझे सही रस्ते पर ले जाना चाहता था और मुझे बदले की भावना से बचाना चाहता था क्योंकि महापुरुषों ने भी कहा है कि कभी किसी के प्रति मन में बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए.
मैं अपने आपको बड़ी ही मुश्किल में पा रहा था. मेरे मन में अंतर्द्वंद चल रहा था कि आगे बढूँ या नहीं और मेरे सामने थी अनु की रसीली टपकती चूत जो मुझसे अब लगभग याचना ही कर रही थी कि आओ और अपने होठों से समेट कर मेरा सारा रस पी जाओ और मुझे शांत कर दो. उधर क्योंकि अनु भी अब काफी उत्तेजित अवस्था में थी उससे भी अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मेरे होंठ और जीभ तो अभी तक उसकी चूत तक पहुंचे ही नहीं थे इसलिए उसका दायाँ हाथ ज़रूर नीचे आ गया था और उसकी चूत को सहलाने लगा था. मैंने पहले अनु के हाथ को देखा और फिर ऊपर उसके चेहरे को. अनु का चेहरा जैसे तमतमा रहा था और उसके गाल बिलकुल लाल हो चुके थे. उसकी आँखें उत्तेजना के मारे अधखुली थीं और उसकी आँखों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे पता नहीं कितना नशा किया हो उसने. उसके माथे पर छोटी छोटी पसीने कि बूँदें भी साफ़ नज़र आ रही थीं. अनु की छाती एक लय में ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी ब्रा में कैद दोनों गोलू मोलू भी उसी लय में ऊपर नीचे हो रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे इस तरह ऊपर नीचे होते होते खुद ही बाहर निकल आएंगे.
अनु की ऐसी हालत देख कर और उसकी चूत की इस दयनीय दशा को देखते हुए आखिर मेरे मन का अंतर्द्वंद खत्म हुआ और जीत हुई मेरे अच्छे मन की. तो फ़ाइनल हो गया कि मैं कोई बदला नहीं लेने वाला और ऐसी हालत में अनु का साथ ज़रूर दूंगा और उसे संतुष्ट ज़रूर करूँगा.
तो अब मैंने ये तो फ़ाइनल कर लिया था कि मैं अनु कि चूत का रसपान ज़रूर करूँगा और उसकी चूत में लगी आग को ज़रूर बुझाऊंगा लेकिन अब मुझे शरारत सूझी और मैं एक झटके से पीछे हुआ और खड़ा हो गया. अनु कि आँखें अब भी उसी अधखुली अवस्था में थीं और उसका हाथ उसकी चूत को धीरे धीरे मसल रहा था. इतनी देर में भी मेरे होठों का स्पर्श अपनी चूत पर ना पाकर अनु बुदबुदाई...
अनु : क्या हुआ... क्या सोsssssच रहे हो, मम्मsssss ....... जल्दी करो न, कितनी आग लगी है यहाँ पर. आssssssहs...हssss अब बुझा भी दो, स्सीssss.......तरस नहीं आता तुम्हे इस पर हूँssssss
वो अपनी अधखुली आँखों से मेरी तरफ देख रही थी और उत्तेजना के मारे अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से दबा रही थी.
मैं : हम्म.. सॉरी अनु दीदी, आइ कांट हेल्प यू. अपने आप सम्हालो इसे और अपने आप बुझा लो ये आग जैसे भी बुझती हो. मैं तो कुछ नहीं कर पाउँगा.
अनु को तो इस बात का पूरा भरोसा था कि अब मैं दूर जा ही नहीं सकता या फिर उसकी चूत को टेस्ट करने का लालच नहीं छोड़ सकता या फिर यूँ समझ लें कि उसको अपनी चूत की क़ाबलियत पे इतना यकीन था कि वो मुझे अपने मोहपाश में बांध ही लेगी लेकिन मैं तो अभी उसके साथ खेलने के मूड में था, उसे थोडा तड़पता हुआ देखना चाहता था. अनु को लगा कि मैं शायद मजाक कर रहा हूँ इसलिए वो अभी तक अपनी मस्ती में ही थी और उसी मादक आवाज़ में उसने मुझे उकसाने की कोशिश की…..
अनु : हे मनु, कम ऑsssन, मजाक मत करो. सी आइ कांट वेट एनी मोर. मम्ममम्मssssss देखो न कैसी हालत हो गई है मेरी और इसे देखो ज़रा मेरी पुसी को, शी इस ड्रिपिंग नाउ. सब कुछ गीला कर दिया इसने. आओ न प्लीज़ कम एंड ईट मी और तुम तो जानते हो न कितनी टेस्टी है ये, पहले भी तो बहुत खाया है तुमने इसे.
मैं : नो अनु दी. सॉरी. दिस इस फ़ाइनल नाउ. मैं कुछ नहीं करने वाला. आप अपने आप देख लो क्या करना है आपको. मैं तो अपने रूम में जा रहा हूँ.
ये कह कर मैं वहां से चलने के लिए मुड़ने लगा. मैं तो नाटक ही कर रहा था, मुझे तो देखना था अनु का रिएक्शन.
ये सुनते ही अनु को तो जैसे 440 वाट का झटका लग गया. उसकी अधखुली आँखें अब पूरी खुल गयीं और उसे इस बात की उम्मीद तो अपने ख्यालों में भी नहीं होगी कि मैं उसे ऐसी हालत में लाकर पीछे हट जाऊंगा. कम से कम ये तो उसने सोचा ही होगा कि उसकी चूत के इतना करीब आकर तो मैं ठहर ही नहीं पाउँगा लेकिन मेरा ये व्यवहार उसके लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद से परे.... मेरे ऐसा करते ही अनु ने ज़बरदस्त रिएक्शन दिया. उसने अपना हाथ जो कि अब तक उसकी चूत के साथ बिजी था हटाया और मेरा हाथ पकड़ लिया और एक झटका देते हुए मुझे अपनी तरफ घुमाया. उं हूं ssss हाथ भी योनी रस से सना हुआ था और चिपचिपा रहा था.
मैं घूमा और मेरे सामने था अनु का चेहरा बिलकुल लाल तमतमाता हुआ और आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे. मैं तो देख कर दंग रह गया......इतनी एक्साईटमेंट..... हे भगवान्.........
अनु : ये क्या कह रहे हो? दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया तुम्हारा. इतना पास आकर अब दूर जा रहे हो. और तुम मुझे ऐसे इस हालत में कैसे छोड़ सकते हो. देखो तुम ऐसा नहीं कर सकते.
मैं : वाह जी वाह! क्यूँ नहीं कर सकते? बड़ा मज़ा ले रही थी न तब तो जब मुझे बाथरूम में ऐसे ही छोड़ दिया था तड़पता हुआ. अब पता लगा कैसा लगता है. अब तो मैं भी ऐसा ही करूँगा. थोड़े मज़े तुम भी तो लो इस तड़पन के फिर बाद में देखते हैं. ऐसे ही कहा था न तुमने भी तो,क्यूँ ? माई डियर दीदी......
अनु : मनु,ये क्या कह रहे हो यार. प्लीज़ ऐसा मत करो. अपनी दीदी को ऐसे ही छोड़ दोगे तुम? देख लो फिर तुम्हारी दीदी कभी तुमसे बात नहीं करेगी और मेरी ये सोना भी तुमसे नाराज़ हो जाएगी....
अनु ने ऐसे कहा जैसे किसी छोटे बच्चे को फुसला रही हो लेकिन मैं कोई बच्चा थोड़े ही था जो उसकी बातों में इतनी जल्दी आ जाता अच्छा खासा २३ साल का नौजवान होने की वजह से मैंने भी अपने तेवर कायम रखे..
मैं : छोडो ना...... अनु दीदी क्या बच्चों की तरह लॉलीपॉप दे रही हो मुझे....... मेरा तो अभी तक उस बात को याद करके मूड ख़राब है. फर्क सिर्फ इतना है तब पानी पी कर काम चला लिया था अब ज़रा ज्यादा हो गया है तो कमरे में जाकर हाथ से काम चला लेंगे. आप अपने आप सोचो आप को क्या करना है.
मेरे ऐसे तेवर देख कर इस बार तो अनु बिलकुल ही बिफर पड़ी........
अनु : बच्चू.. लॉलीपॉप नहीं दे रही थी अपनी बॉडी के शहद का ड्रम दे रही थी तुझे और इसका टेस्ट तो तू पहले भी चख चुका है. ठीक है अब तुझे नहीं चाहिए तो ना सही लेकिन एक बात सुन लेना आज के बाद इसे देख भी नहीं पाओगे. और ये हाथ से काम चलाने की धौंस मत देना मुझे. मेरे पास भी हाथ हैं और उसके अलावा अपने साथ अपना वाइब्रेटर भी लाई हूँ लेकिन मैंने सोचा था जब एक जीती जागती जीभ और एक हेल्दी लंड है तो फिर एक बैटरी वाली मशीन का क्या यूज़ करना. लेकिन कोई बात नहीं यू हैव चेंज्ड योर माइंड योर विश...........................
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अबे तेरी की........ चूतिये अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार रहा है....... गांडू चूतें तो तेरी किस्मत में बहुत हैं लेकिन ज़रा सोचियो उनमे से कौन सी तुझे अमेरिकेन स्टाइल में मज़े दे सकती है. लौड़े ढाई साल के बाद फिर से वो मज़े मिलने वाले हैं तो तू खामाखां अकड़ अकड़ कर अपनी गांड मरवा रहा है....मेरे अंतर्मन ने मुझे गालियाँ देते हुए झकझोर दिया. मुझे भी कहाँ पता था मजाक इतना महंगा पड़ने वाला है और ये अनु भी बात को इतनादिल पे ले लेगी मैंने तो सोचा था थोडा और रिक्वेस्ट करेगी थोडा सा गिड़गिड़ाएगी औरमैं भाव खाते हुए मान जाऊंगा लेकिन यहाँ तो भाव ही उलटे पड़ गए थे अनु के भाव औरचढ़ गए थे और मेरे गिरने वाले थे. लेकिन अब यू टर्न कैसे मारूं अकड़ भी तो मैंनेही दिखाई थी.
ओ भ्भाईsssss..... अनु की तरफ से ऐसा जवाब सुन कर गांड ही फट गईमेरी तो. इस बार जो कुछ हुआ वो मेरे लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद सेपरे.....चले थे लौड़ा तान कर ..... गांड मरवा के आ गए………. ये ही कहानी हो रही थे मेरे साथ. अब पल्टी मारनी ज़रूरी थी नहीं तो चिड़ियागई थी हाथ से , ये तो चला लेगी अपना काम उस वाईब्रेटर से और बेटा तू मारते रहना मुठ और कभीकभी इंडियन चूत, अमेरिकन स्वाद भूल जाओ बेटे मेरे अंतर्मन ने मुझे जैसे चिढाते हुए कहा.
मैं : अरे नहीं दीदी, वो बात नहीं है, मैं कोई धौंस वौंस नहीं दे रहा हूँ. आप तो वैसे ही गुस्सा हो रही हो. लेकिनशुरुआत तो आपने ही की थी न. ना आप मेरे साथ तब ऐसा करतीं , ना अब में आपको नाराज़ करता.
मेरे ढीली पड़ते तेवर देख कर अनु के होठों पे एककातिल मुस्कान फ़ैल गई. ऐसा लगा जैसे मन ही मन अपनी जीत पर खुश हो रही थी वो और कहरही हो "वह बेटा, बड़ी अकड़ दिखा रहा था. निकल गई साड़ी अकड़ गांड के रास्तेऔर आ गया न औकात पे. अरे बच्चू..... ये चूत तो चीज़ ही ऐसी है, अच्छे अच्छे की अकड़ भुलवा दे और उसे घुटनों के बल चलवा दे"
अनु : चल कोई बात नहीं, मैं नाराज़ नहीं हूँ बस थोडा परेशान ज़रूर हो गई थी तेरा ये बेवकूफों वालाएटीट्यूड देखकर कि ये लड़का कैसी पागलों जैसे बाते कर रहा है. वैल, अब तूने टाइम तो काफी वेस्ट कर दिया है, अब कुछ करेगा मेरे लिए? मैं तो फकिंग के मूड में थी पर अभी तो लगता है फकिंग नहीं हो पाएगी, रात का ही प्लान करना पड़ेगा लेकिन अभी तो कुछ करना पड़ेगा. यु नो ना......
"श्योर सिस, आइ एम् एट योर सर्विस" और ये कहते हुए मैं फिर से अपने घुटनों के बल बैठ गया अनु के सामने ये सोच कर कि चलो बात संभल गई नहीं तो हो गया था सारा खेल ख़राब और अनु ने अपना दायाँ पैर उठा कर एक बार फिर से बेड के किनारे पर रख दिया. अब अनु की वो प्यारी सी छुटकी फिर से मेरी आँखों के सामने थी लेकिन अब नॉर्मल लग रही थी, न तो टपक रही थी ना ही ज्यादा गीलापन नज़र आ रहा था. लग रहा था जैसे हमारे बीच हुए उस नाटक की वजह से वो मायूस हो गई थी और सूख गई थी. कोई बात नहीं अभी फिर से गीली किये देते हैं, रानी तुम तो अब झरना बहाओगी मैंने मन ही मन अनु की चूत से कहा.
kramashah..........
अबे तेरी की........ चूतिये अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार रहा है....... गांडू चूतें तो तेरी किस्मत में बहुत हैं लेकिन ज़रा सोचियो उनमे से कौन सी तुझे अमेरिकेन स्टाइल में मज़े दे सकती है. लौड़े ढाई साल के बाद फिर से वो मज़े मिलने वाले हैं तो तू खामाखां अकड़ अकड़ कर अपनी गांड मरवा रहा है....मेरे अंतर्मन ने मुझे गालियाँ देते हुए झकझोर दिया. मुझे भी कहाँ पता था मजाक इतना महंगा पड़ने वाला है और ये अनु भी बात को इतनादिल पे ले लेगी मैंने तो सोचा था थोडा और रिक्वेस्ट करेगी थोडा सा गिड़गिड़ाएगी औरमैं भाव खाते हुए मान जाऊंगा लेकिन यहाँ तो भाव ही उलटे पड़ गए थे अनु के भाव औरचढ़ गए थे और मेरे गिरने वाले थे. लेकिन अब यू टर्न कैसे मारूं अकड़ भी तो मैंनेही दिखाई थी.
ओ भ्भाईsssss..... अनु की तरफ से ऐसा जवाब सुन कर गांड ही फट गईमेरी तो. इस बार जो कुछ हुआ वो मेरे लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद सेपरे.....चले थे लौड़ा तान कर ..... गांड मरवा के आ गए………. ये ही कहानी हो रही थे मेरे साथ. अब पल्टी मारनी ज़रूरी थी नहीं तो चिड़ियागई थी हाथ से , ये तो चला लेगी अपना काम उस वाईब्रेटर से और बेटा तू मारते रहना मुठ और कभीकभी इंडियन चूत, अमेरिकन स्वाद भूल जाओ बेटे मेरे अंतर्मन ने मुझे जैसे चिढाते हुए कहा.
मैं : अरे नहीं दीदी, वो बात नहीं है, मैं कोई धौंस वौंस नहीं दे रहा हूँ. आप तो वैसे ही गुस्सा हो रही हो. लेकिनशुरुआत तो आपने ही की थी न. ना आप मेरे साथ तब ऐसा करतीं , ना अब में आपको नाराज़ करता.
मेरे ढीली पड़ते तेवर देख कर अनु के होठों पे एककातिल मुस्कान फ़ैल गई. ऐसा लगा जैसे मन ही मन अपनी जीत पर खुश हो रही थी वो और कहरही हो "वह बेटा, बड़ी अकड़ दिखा रहा था. निकल गई साड़ी अकड़ गांड के रास्तेऔर आ गया न औकात पे. अरे बच्चू..... ये चूत तो चीज़ ही ऐसी है, अच्छे अच्छे की अकड़ भुलवा दे और उसे घुटनों के बल चलवा दे"
अनु : चल कोई बात नहीं, मैं नाराज़ नहीं हूँ बस थोडा परेशान ज़रूर हो गई थी तेरा ये बेवकूफों वालाएटीट्यूड देखकर कि ये लड़का कैसी पागलों जैसे बाते कर रहा है. वैल, अब तूने टाइम तो काफी वेस्ट कर दिया है, अब कुछ करेगा मेरे लिए? मैं तो फकिंग के मूड में थी पर अभी तो लगता है फकिंग नहीं हो पाएगी, रात का ही प्लान करना पड़ेगा लेकिन अभी तो कुछ करना पड़ेगा. यु नो ना......
"श्योर सिस, आइ एम् एट योर सर्विस" और ये कहते हुए मैं फिर से अपने घुटनों के बल बैठ गया अनु के सामने ये सोच कर कि चलो बात संभल गई नहीं तो हो गया था सारा खेल ख़राब और अनु ने अपना दायाँ पैर उठा कर एक बार फिर से बेड के किनारे पर रख दिया. अब अनु की वो प्यारी सी छुटकी फिर से मेरी आँखों के सामने थी लेकिन अब नॉर्मल लग रही थी, न तो टपक रही थी ना ही ज्यादा गीलापन नज़र आ रहा था. लग रहा था जैसे हमारे बीच हुए उस नाटक की वजह से वो मायूस हो गई थी और सूख गई थी. कोई बात नहीं अभी फिर से गीली किये देते हैं, रानी तुम तो अब झरना बहाओगी मैंने मन ही मन अनु की चूत से कहा.
kramashah..........
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