Monday, January 27, 2014

बदनाम रिश्ते खानदानी चुदाई का सिलसिला--14

FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते
खानदानी चुदाई का सिलसिला--14
गतान्क से आगे..............

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का चौदहवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ
टाय्लेट से बाहर आते ही उसने देखा कि तीनो भाई आपस में बाते कर रहे हैं और पेग ले रहे हैं. किरण राजू के पिछे गई और उसकी पीठ से अपने चूचे रगड़ने लगी और उसका लंड सहलाने लगी.

''मुझे भी पेग पिलाओ ..क्या बातें हो रही है...क्या मेरे बारे में हो रही हैं..?'' किरण ने राजू के ग्लास से एक बड़ा घूँट पिया.

राजू ने उसे आगे की तरफ खींच लिया. अब वो तीनो के बीच में थी और राजू के लंड से उसकी गांद सटी हुई थी. संजय और सुजीत ने भी उसे अपने ग्लासस से पेग पिलाए और तीनो भाई उसके जिस्म से खेलने लगे. संजय उसकी चूत सहला रहा था और सुजीत उसके मम्मे हल्के हल्के दबा रहा था.. राजू उसकी गांद पे अपना लंड सहला रहा था और उसके मोटे चूतर को एक हाथ से पकड़े हुए था.

''हम ये सोच रहे थे कि जिसकी वजह से तुम हमें मिली हो उसका धन्यवाद कैसे किया जाए...??'' राजू बोला.

''ह्म्‍म्म्म...उम्म्म्म अच्छा लग रहा है...संजय थोड़े अंदर उंगली डाल मेरे बच्चे...सुजीत मेरा चूचा चूस दे प्लीज़.....धन्यवाद किसका करना है...इस लंडूरे का..??'' किरण ने संजय का लंड सहलाते हुए और मदमस्त तरीके से मुस्कुराते हुए पुछा.

''हां इस लंडूरे का.....'' सुजीत मम्मे चूस्ते हुए बोला.

''तो फिर तुम क्यों करोगे ..मैं करूँगी ना अपने इस दामाद को खुश आख़िर इसने मेरी चूत तृप्त कराई तुम जैसों से...हाए...क्या हसीन लोडा है तेरा सुजीत...और क्या अंडे हैं...उउम्म्म्म...इसको तो मूह में लूँगी...इसका धन्यवाद मेरी गांद देगी...आज अपनी कुँवारी गांद इस लंड से पिलवाउंगी...दामाद जीि ऊओह लोगे ना मेरी गांद....'' किरण अब फुल मस्ती में आ चुकी थी.

''ओह्ह्ह्ह सासू मा...क्या कह दिया ...देखो मेरा लंड और फूल गया है...तुम जैसी सास हर किसी को मिले....उफफफ्फ़ हां लूँगा तेरी गांद मेरी सासस्स्सुउउ........'' संजय एग्ज़ाइटेड हो गया था.

तीनो भाईओं ने फटाफट बिस्तर सेट किया और संजय बिस्तर पे लेट गया. सुजीत अपने कमरे से चार्मिस क्रीम ले आया और खूब सारी क्रीम किरण की गांद में लगा दी. उसने अपनी उंगलियाँ अच्छे से भिगो के गांद में पूरी अंदर तक ठूँसि. किरण बेड का किनारा पकड़े गांद उचका के क्रीम लगवा रही थी. उधर संजय ने भी अपने लंड को क्रीम से तरबतर कर दिया. लंड के सुपादे पे उसने अच्छे से क्रीम पोत दी. किरण क्रीम लगवा लेने के बाद पीठ के बल उसके सीने पे लेट गई. संजय ने उसके चुम्मे लेते हुए अपने लंड को उसकी गांद के छेद पे सेट किया. सूपड़ा इतना चिकना था कि एक दो बार तो फिसल गया.

किरण ने उसका लंड पकड़ के अपने को थोड़ा रिलॅक्स किया और फिर धीरे धीरे लंड पे अपनी गांद बिठाने लगी. गांद में चिकनाई बहुत थी और किरण को पहले 5 इंच में कोई दर्द नही हुआ. उसके बाद उसको दर्द महसूस होने लगा. एक बार फिर से क्रीम लेके उसने टोपा गीला किया और फिर से लंड अंदर घुस्वाया. हल्के हल्के झटके देते हुए वो करीब 8 - 9 इंच लंड गांद में ले गई और फिर पीठ के बल संजय के सीने पे लेट गई. राजू ने दोनो की टाँगो के बीच जगह बनाई और हल्के हल्के अपना लंड चूत में दबाने लगा. किरण की चूत अब तक काफ़ी खुल चुकी थी और उसे थोड़ा दर्द हुआ. उसके दर्द को कम करने के लए सुजीत ने उसके निपल चूसने शुरू कर दिए और संजय उसके मूह को मोड़ के उसे किस करने लगा. 2 मीं में दोनो लंड उसकी चूत और गांद में सेट हो गए थे. नज़ारा देखते ही बनता था. 2 कद्दावर जवान आदमी उसको पेलने के लिए उत्सुक थे. किरण गांद में पहली बार चुद रही थी पर एग्ज़ाइट्मेंट इतनी ज़ियादा थी कि दर्द का एहसास ख़तम हो चुका था. सुजीत ने उसके सिर के नीचे हाथ रखते हुए उसे प्यार से अपना लंड चाटने का इशारा किया. सुजीत का लंड मूह में भरते ही किरण ने अपनी चूत को थपथपाया और राजू को इशारा किया कि वो चुदाई का कार्यक्रम शुरू करे.

हल्के धक्कों के साथ राजू ने उसको चोद्ना शुरू किया. संजय नीचे पड़ा पड़ा उसकी कमर सहला रहा था. राजू के लंड को वो गांद में पड़े अपने लंड पे महसूस कर रहा था. देखते ही देखते राजू के धक्के तेज़ और लंबे होने लगे. सुजीत के हाथ अब उसकी चूचियो को मसल्ने लगे. गुपप गुपप्प की आवाज़ों के साथ किरण उसका मोटा लंड चूसने लगी. कभी उसके लंड पे थूकती तो कभी उसकी गोटिओं को मूह में भरती. सुजीत अपना लंड साथ साथ मुठिया रहा था. तीनो भाइयो ने एक रिदम के साथ किरण के सभी छेदों को चोद्ना शुरू कर दिया. किरण अब मूह से सिसकियाँ गालियाँ और चूपे लेने की आवाज़े निकाल रही थी. ले लो मेरी....चूदू...फुक्ककक मी...हाऐईयईई.....ऐसे पहले क्यों नही करवाया मैने...इतना सुख ...हरामिी...ऊओ माआ....मदर्चोद.....ऊहह एस्स....मूह भर मेरा....एसस्स...इन्हे भी चाट हरामी...ऊओ एसस्स...गांद ले ली....ऐसे ऐसे बोलते हुए किरण राजू के लंड पे 2 बार झड़ी.

''ऊओह एससस्स....एस्स.....एसस्स....'' कहते हुए संजय ने उसकी गांद में वीर्य उदेलना शुरू कर दिया.

'''ये ले छिनाल तीसरे भाई का वीर्य भी अपनी बच्चे दानी में.....उूउउरर्ग्घह...एस्स.....ऊओह गावववद्ड़.......''' कहते हुए राजू उसकी चूत में झरने लगा.

''मूह खोल कुत्ति और पी जा....सब ....एसस्स...'' सुजीत ने अपनी गोटिओं का रस उसके मूह में भरना शुरू कर दिया.

1 मीं बाद वीर्य से लत पथ हाँफती हुई किरण तीनो भाइयों को बारी बारी किस दे रही थी. 15 - 20 मीं सुसताने के बाद किरण बाथरूम में गई और फ्रेश हुई और एक क्विक शवर लेके बाहर निकली. तीनो भाई बिस्तर पे पड़े सुस्ता रहे थे. कमरे में सेक्स की भीनी भीनी खुश्बू थी और बेड पे जगह जगह वीर्य और आस के निशान. रात के 2 बज गए थे.

''अगर धन्यवाद देने का सोचना है तो फिर सरला के बारे में सोचो...उसी की वजह से तुम तीनो कमीनो को मेरी चूत मिली है...और देखो जब धन्यवाद दो तो अच्छे से देना ..क्योंकि वो भी मेरी तरह ही चुदास है..'' कहते हुए तीनो को बारी बारी किस देते हुए किरण कमरे से बाहर चली गई.

तीनो भाई आधे खड़े लंड और खुले मूह से उसे जाते हुए देखते रहे.


किरण ने दरवाज़ा खोला और बाहर को निकल गई. उसको जाते हुए 8 आँखें और 3 खुले हुए मूह देख रहे थे. गांद में थोड़े दर्द होने की वजह से किरण की चाल बदल गई थी. पर दिल में और चूत में बहुत सुकून था.

तीनो भाई उसको जाते हुए देखते रहे और कमरे में एक खामोशी थी. जैसे साँप सूंघ गया हो उनको. दारू और चुदाई का नशा इतना स्ट्रॉंग था कि किसी की हिम्मत नही हुई दरवाज़ा बंद करने की और देखते ही देखते सब नंगी अवस्था में सो गए. खुले दरवाज़े से 2 आँखें उन्हे देखती रही. सिकुड़ी हुई हालत में भी लंड काफ़ी बड़े थे. 2 हाथ अचानक टाँगों के बीच में चले गए और एक दबी हुई सी अया सरला के मूह से निकल गई. 2 घंटे से कमरे मे हुआ नंगा नाच देख के वो 3 बार झड़ी थी पर अभी भी चूत की खुजली जाने का नाम नही ले रही थी.

''साली रांड़ एक को भी नही छोड़ा..सबका निगल गई...कुत्ति मैने तो सिर्फ़ दामाद जी के लिए कहा था ये तो बाकिओं को भी ले गई ...पर क्या करती बेचारी...हरामी तो मेरा ही दामाद निकला जो भाईओं को भी बुला लिया....सही मदर्चोद है..जैसा इसका चाचा वैसा ही भतीजा ... कुत्तों का खानदान लगता है..कुत्ते जिनके उपर गधे के लंड लगा दिए हैं...हाए सरला...इनके लेके तो तू भी धन्य हो जाएगी...पर कैसे..मिलेंगे ये सब एक साथ...क्या करूँ...कुछ सोच छिनाल...सबके लंड कैसे लेगी एक साथ...'' सरला दरवाज़े पे खड़ी खड़ी सब सोच रही थी.

उसका प्लान सक्सेस्फुल हो गया था. बार में जाके उसने किरण को भड़काया था कि उसकी वजह से सखी की तबीयत खराब हो गई. उसको और संजय को मादक रूप में डॅन्स करते देख और संजय का 11 इंच का लंड पॅंट में खड़ा होते देख सखी को बहुत बुरा लगा था. किरण को इस बात के लए सखी से माफी माँगनी चाहिए. 11 बजे रात को आने को कह के सरला ने अपने दामाद के कमरे का पता दे दिया था. कुच्छ तो उसकी सोच का कमाल था और कुच्छ हालात अपने आप ऐसे बन गए कि ना चाहहते हुए भी तीनो भाईओं ने किरण को पेल दिया. सखी के मूह से दामाद के 11 इंच के बारे में तो सुना था पर बाकी दोनो का भी इतना बड़ा होगा उसे अंदाज़ा नही थी . सुजीत के मोटे लंड ने तो उसपे जादू कर दिया था.

परेशान चूत को लिए हुए सरला ने एक आख़िरी नज़र तीनो भाईओं पे डाली और अपने कमरे की तरफ चली गई.

सुबह के 11 बजे तक सब तैयार हो के पिक्निक से वापिस जाने की तैयारी कर रहे थे. सरला का मूड बहुत ऑफ था. हालाँकि पिक्निक आते हुए ऐसा कुच्छ होगा उसने सोचा नही था पर जो देखा उससे उसकी भूख बहुत भाड़क चुकी थी. सब समान ले के रिसेप्षन पे पहुँचे तो वहाँ किरण मौजूद नही थी. तीनो भाइयों को बहुत मायूसी हुई. पर खैर अपनी अपनी पत्निओ से मज़ाक करते हुए उन्होने न रिसेप्षन पे बिल सेट्ल किया और गाड़ी की तरफ चल दिए. रिसेप्षन पे बैठे आदमी ने संजय को आवाज़ दे के रोका और उसे बिल्स और एक और लिफ़ाफ़ा हाथ में थमा दिया. संजय के पुच्छने पे उसने कहा की दूसरा लिफ़ाफ़ा किरण मेडम ने दिया था. उनको सुबह ही शहेर में जाना पड़ा इसलिए जाते जाते ये दे के गई थी.

संजय ने अलग जाके लिफ़ाफ़ा खोला और थोड़ा चौंक गया. लिफाफे के अंदर किरण की 2 तस्वीरें थी. एक उसकी जवानी की अपने शादी के जोड़े में. दूसरी में कोई 20 - 21 साल की खूबसूरत लड़की के साथ वो पोज़ बना के खड़ी थी, जिसमे कि उसने एक चुस्त चूरिदार सूट पहना हुआ था. फोटोस के साथ एक छ्होटा सा नोट था. ''धन्यवाद ..आप लोगों का साथ पाके एक बार फिर ये जोड़ा पहनने का मन कर रहा है...कोई खानदानी बंदा नज़र में आए तो बताईएएगा.''

संजय दोनो फोटोस को निहारता रहा और फिर अपनी किस्मत पे खुश हुआ. तभी उसकी नज़र सरला पे पड़ी जो कि होटेल के नौकर को बुरी तरीके से झाड़ रही थी. बाकी सब लोग गाड़ी में बैठ चुके थे. पीछे समान रखते हुए उस आदमी से सूटकेस का हॅंडल टूट गया था. संजय जो कि 20 - 25 कदम पे था जल्दी जल्दी वहाँ पहुँचा. वो आदमी सकपकाया हुआ सॉरी सॉरी कह रहा था. सरला ने भी फोटो की तरह एक चुस्त चुरिदार सूट पहना हुआ था. संजय उसको कुच्छ सेकेंड देखता रहा जैसे कि किरण ही सामने खड़ी हो. पर फिर अचानक उसकी नज़र सरला के मम्मो के उभार पे पड़ी जो कि चिल्लाने की वजह से बहुत उपर नीचे हो रहे थे. सूट की गहराई की वजह से करीब 1 इंच की दरार सामने थी. गेहुएँ रंग के मम्मो का साइज़ किरण से बड़ा था. ये देख के संजय का लंड हुलचल करने लगा. पर तभी उसे रीयलाइज़ हुआ कि ये उसकी सास है..ना कि किरण. संजय ने फटाफट सरला को समझा भुजा के गाड़ी में बैठाया पर सरला के एक सेंटेन्स ने उसे हिला दिया. गुस्से में गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए सरला बुदबुदाई ''साली छिनाल लगता है कि नौकरों से भी यारी लगाई हुई है ..तभी इतने निकम्मे हैं''.

पिच्छली सीट पे बैठी हुई सरला गुस्से में बुदबुड़ाए जा रही थी. संजय ड्राइव कर रहा था और सखी बगल में बैठी थी. दूसरी गाड़ी में राजू, सुजीत, मिन्नी और राखी थे. संजय ने सोचते हुए रियर व्यू मिरर को अड्जस्ट किया और ड्राइविंग शुरू की. उसके दिमाग़ में सरला का कहा हुआ एक एक शब्द गूँज रहा था. च्चिनाल तो किरण के लिए इस्तेमाल हुआ था क्योंकि नौकर उसके ही थे. पर गौर करने वाली बात ''से भी '' शब्दों का उपयोग था.

क्या सासू मा को रात के किस्से का पता है ? क्या वो उसी वजह से ये बात कह रही थी ? क्या किरण ने उन्हे ये बात बताई ? क्या हुआ है कुच्छ समझ नही आ रहा. संजय इन्ही ख़यालों में घूम कल शाम से हुई घटनाओ के बारे में सोचने लगा. रास्ता 2 घंटे का था और अभी उन्हे 30 मीं हो चुके थे. सखी बगल की सीट में सो गई थी. सासू मा का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ था. संजय के दिमाग़ में अब भी हलचल थी. अचानक उसकी गाड़ी के आगे से एक जानवर गुज़रा और संजय ने तेज़ ब्रेक लगाई. उसकी वजह से सखी आगे को झूल गई और उसकी नींद खुल गई. सरला भी अगली सीट से टकराते टकराते बची. संजय ने सॉरी सॉरी बोलते हुए सखी को चेक किया. नींद टूटने के सिवाए उसको गर्दन में हल्का झटका आया था. सरला अब फिर गुस्सा हो गई और संजय को सुनाने लगी. संजय ने गाड़ी को साइड में कर के सखी को पानी पिलाया और प्यार से उसका माथा चूमा. ये देख के सरला का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ.

सखी की गर्दन में दर्द हो रहा था सो वो पिछे की सीट पे सोने चली गई और सरला अगली सीट पे आ गई. करीब 15 मीं तक संजय बार बार शीशे में सखी को देखता रहा. उसे अब नींद आ चुकी थी. संजय के चेहरे के तनाव को सरला अच्छे से समझ रही थी. उसको अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी कि संजय कितना चाहता है सखी को. दूसरी तरफ उसे ये भी लग रहा था कि कितनी आसानी से संजय ने किरण को बिस्तर में ले लिया और फिर अकेले और बाद में भाईओं के साथ चोदा. किरण और संजय का कार्यक्रम उसे इतना अजीब नही लगा जितना कि राजू और सुजीत का वहाँ पहुँचना. बाहर खड़े खड़े उसे सब सुनाई नही दे रहा था पर जो दिख रहा था उससे एक बात क्लियर थी कि राजू और सुजीत का आना कोई इत्तेफ़ाक़ नही था.

''कैसा प्यारा हरामी दामाद मिला है मुझे..एक तरफ तो बीवी से इतना प्यार करता है और दूसरी तरफ भाईओं को साथ ले के एक ही लड़की पेलता है...हाइईइ क्या लंड है कमीने का...और तो और वो बाकी दोनो भी गधे हैं गढ़हे...उफ़फ्फ़ सरला...तेरी चूत तो फॅट जाएगी जानेमन ..इतने बड़े और मोटे लंड एक साथ कैसे खाएगी.....साली कमीनी अपने ही दामाद के बारे में सोच रही है...शांत हो जा..शांत हो जेया.....'' सरला मन ही मन सोच रही थी. उसकी चूत की कुलबुलाहट उसकी साँसों को तेज कर रही थी. सिर को सीट के हेडरेस्ट पे लगाए वो अपने को शांत करने के लिए गहरी साँसे लेने लगी. संजय अब भी सखी की चिंता में लगा हुआ था. आँखों की कॅंकहियो से उपर नीचे होते हुए मादक उरोजो ने बरबस उसका ध्यान खींच लिया. थोड़े सा मुड़ते हुए उसने सरला को देखा तो सरला आँखें मून्दे हुए हल्के हल्के मादक अंदाज़ में मुस्कुरा रही थी.

उसकी मुस्कुराहट का राज छुपा था उसकी जांघों के उपर रखे हुए बड़े पर्स में जिसके नीचे उसका एक हाथ अपनी टाँगों के बीच च्छुप्पा हुआ था.संजय की तरफ वाला हाथ पर्स को पकड़े हुए था और डोर वाली साइड वाला हाथ पर्स के नीचे चूत को सहला रहा था. सरला मस्ती में थी पर सोने का नाटक कर रही थी. उसकी ये हालत देख के संजय का ध्यान वापिस उसकी ओर हो गया.

संजय की ललचाई नज़रे अब अपनी सास का चेहरा और उसके ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे हुए उरोजो पे थी. सरला अपनी मस्ती में चूर थी. उसका हाथ उसके भग्नाशे को छेड़ रहा था. उसको उम्मीद थी कि संजय का ध्यान ड्राइविंग और सखी की तरफ ही होगा. उसके दिमाग़ में रात की तस्वीरें घूम रही थी और ख़ास तौर से किरण के मूह में झरता हुआ सुजीत का लंड. सुजीत के ख़याल से सरला बेकाबू हो रही थी. भज्नाशे पे उंगली का दबाब बढ़ता जा रहा था और उसके उरोजो की घुंडीयाँ अब कड़क हो चुकी थी. रह रह के संजय का ध्यान उसकी ओर जा रहा था. सरला झरने के बेहद करीब थी. अपनी उस अवस्था में उसने एक बार हल्की सी आँख खोल के देखा तो बाइ चान्स संजय ड्राइवर साइड के रियर व्यू मिरर में पिछे से आती गाड़ी को देख रहा था. सरला को यकीन हो गया क़ि संजय उसकी ओर नही देख रहा और उसने अपना दबाव एक बार और बढ़ाया. इसके साथ ही वो हल्का सा सरक के अपनी विंडो की तरफ मूड गई. उसके कसे हुए सूट में उसका लेफ्ट जाँघ का पिच्छला हिस्सा, थोड़ा सा चूतर और पॅंटी सफेद सलवार में से दिखने लगी. कॉटन पॅंटी हल्के गुलाबी रंग की थी और उसपे नीले रंग के फूल बने हुए थे.

सरला ने अपनी उंगलिओ को अब उपर नीचे रगरना शुरू कर दिया और मूह को शीशे के करीब कर दिया. संजय का ध्यान अब उसके चूतर और शीशे में दिखती हल्की परछाई की तरफ था. उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पल पल बदल रहे थे. संजय को उम्मीद थी कि किसी भी पल वो झाड़ सकती है. आँखें मूंदी होने के कारण उसकी हवस का अंदाज़ा नही लग पा रहा था पर उसका चेहरा और बहुत सी बातें बयान कर रहा था. संजय की नज़र रह रह के उसके गदराए हुए चूतर पे पड़ रही थी और उसका लंड पॅंट से बाहर निकलने को उतावला हो रहा था.
क्रमशः...........................................



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