FUN-MAZA-MASTI
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना--1
उन्होंने बताया की वो एक प्राइवेट जॉब करती है और मेरी सर्विस लेना चाहती है..
मैंने भी आने के लिए, तुरंत हाँ बोल दी..
उन्होंने मुझे तारीख बताई की फलाँ दिन, शाम को 8 बजे के बाद आप मुझे मोबाइल पर कॉल करना… मैं बता दूँगी की कहाँ आना है… उन्होंने, अपने घर का पता नहीं बताया..
मैंने कहा की ठीक है…
वैसे मैं, थोड़ा परेशान तो था की अगर जबलपुर पहुँचने के बाद वो पलट गई तो काफ़ी नुकसान हो जाएगा..
खैर, मैं उनकी बताई तारीख पर शाम को जबलपुर पहुँच गया..
फ्रेश होकर, 8:30 पर मैंने उनको कॉल किया तो उन्होंने मुझे एक मैरिज गार्डन का पता बताया और बोला की यहाँ चले आना… शुक्ला परिवार की शादी है… मैरिज गार्डन के बाहर, “शुक्ला” लिखा, तुम्हें दिख जाएगा.. उधर पहुँच कर, मुझे कॉल करना…
मैं ऑटो से, उस पते पर पहुँचा..
मुझे, वो मैरिज गार्डन आसानी से मिल गया..
मैंने बाहर से ही, उन्हें फोन लगाया और अपना हुलिया बताया..
उन्होंने, मुझे बाहर ही रुकने को बोला..
बाहर, बहुत भीड़ भाड़ थी..
बहुत सी गाड़ियाँ खड़ी हुई थीं..
लग रहा था, किसी पैसे वाले की शादी थी..
कुछ देर बाद, एक बेहद खूबसूरत 29 साल की लड़की साड़ी पहने हुए, बालों में फूल लगाए हुए, एक दम सजी-धजी गेट से बाहर आई..
वो अपने कान पर मोबाइल लगाए, किसी को खोज रही थी..
तभी, मेरे मोबाइल की घंटी बजी..
अब तक वो, मेरे पास पहुँच चुकी थी..
मेरे मोबाइल की घंटी, उसे भी सुनाई दे गई..
मैं अपने जेब से मोबाइल निकाल नहीं पाया की उसने कॉल ऑफ कर दिया..
इससे, मेरे मोबाइल की घंटी भी बंद हो गई..
मैं भी उन्हें ही देख रहा था..
फिर उन्होंने मेरे पास साइड में खड़े होकर, री डाइयल किया..
मेरा मोबाइल, फिर बजने लगा..
वो झाँक कर देख कर, मुस्कुराने लगी..
मैं भी मुस्कुराया..
फिर मोबाइल ऑफ करके वो मेरे पास आई और मुझसे पूछा – तो आप ही हैं, सुमित…
मैंने कहा – हाँ जी, मेरा नाम ही सुमित…
हम दोनों ने हाथ मिलाया..
उसने बताया – ये मेरी सहेली की शादी है… बस कुछ देर में, प्रोग्राम ख़त्म हो जाएगा… तुम आ जाओ, मेरे साथ खाना खा लो…
मैंने कहा – ठीक है…
मैं मन ही मन, हंस रहा था..
“बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना..”
मैं अंदर गया और भीड़ में शामिल हो गया..
वो स्टेज पर चली गई और मैं खाना खाने लगा..
वो स्टेज से, लगातार मुझे देखे जा रही थी..
मैं भी बीच बीच में, उसे देख रहा था..
वो 29 साल की “परिपकव लड़की” लग रही थी..
उसका जिस्म, बहुत की “सेक्सी” लग रहा था..
इधर, मैं खाना खा चुका था..
फिर, मैं एक कुर्सी पर बैठ कर कॉफी पीने लगा तभी मैंने देखा की दूल्हा दुल्हन और सब लोग स्टेज से उतर कर, खाना खाने के लिए जा रहे हैं..
इतने में वो उन लोगों को छोड़ कर, मेरे पास आ गई और खुद भी कॉफी लेकर मेरे पास कुर्सी पर बैठ गई..
हम भीड़ से अलग बैठे थे और हम दोनों कॉफी पीते हुए, बातें करने लगे..
उन्होंने पूछा की आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई…
मैंने कहा की नहीं नहीं… बिल्कुल नहीं…
उसने बताया की ये मेरे बॉस की बेटी की शादी है और वो मेरी सहेली भी है.. मेरे बॉस बहुत बड़े आदमी हैं…
मैंने कहा – हाँ… देखने से ही, पता चलता है…
वो बहुत बड़ी जगह थी और पार्टी भी शानदार थी..
उसने बताया की ये दो आजू-बाजू महल नुमा कोठी देख रहे हैं, आप…
मैंने कहा – हाँ…
तो वो बोली की एक कोठी में लड़की वाले रुके हैं और एक में लड़के वाले… हम सभी के लिए, अलग अलग रूम दिए गये है… अब स्टेज प्रोग्राम ख़तम होने के बाद, फेरे आदि का कार्यक्रम है… जहाँ ये कार्यक्रम होना है, उधर ही मेरा रूम है… यहाँ बहुत से लड़के लड़कियाँ हैं, किसी को कोई शक नहीं होगा की आप किस की तरफ से यहाँ आए हुए हैं… मेरा मतलब है, लड़के वालों की तरफ से या लड़की वालों की तरफ से और यहाँ इतनी भीड़ है की किसी को किसी के बारे में सोचने का समय नहीं है…
मैं ध्यान से उसकी बातें सुन रहा था..
वो ये सब मुझसे बोल तो रही थी पर बोलते बोलते, उसकी साँसें फूल रही थी..
मैं उस की स्थिति समझ रहा था..
फिर उसने मुझे बताया की मैं “मांगलिक” हूँ… इस वजह से, अभी तक मेरी शादी कहीं तय नहीं हो पाई है… मेरे साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और अब तक तो उनके बच्चे भी हैं… पर इस उम्र में मेरा क्या हाल हो रहा होगा तुम समझ सकते हो, इस लिए मैंने तुमसे संपर्क किया… पर सुमित, ये हमारी पहली और आखरी मुलाकात होगी…
मैं उसकी सब बातें सुनने के बाद बोला की अगर, कभी आप मार्केट जाती हैं और अगर आपका जूस पीने का मन होता है तो आप दुकान पर जाकर जूस पीती हैं, पैसे देती हैं और घर आ जाती हैं… है ना…
वो बोली – हाँ, है तो…
एक बात बताइए, आप वो गिलास क्यूँ नहीं लाती साथ में जिसमें आपने जूस पिया… – अब मैंने पूछा..
तो वो बोली – गिलास नहीं खरीदा था… उसमें डाला हुआ, जूस खरीदा था…
अब मैंने कहा – हाँ जी… ऐसे ही, आपने मेरी सर्विस खरीदी है… मुझे नहीं… मुझे आप से आज के बाद, कोई मतलब नहीं रहेगा… आप बेफ़िक्र रहें…
वो मुस्कुराने लगी..
मैंने फिर पूछा – एक बात बताइए… क्या आपका कोई बॉय फ्रेंड नहीं है…
वो बोली – जी नहीं…
मैंने पूछा – पर आप तो काफ़ी सुंदर हैं… फिर ऐसा क्यूँ…
वो बोली – पता नहीं… किस्मत शायद… कभी बात इतनी आगे बढ़ ही नहीं पाई…
हम लगभग 30 मिनट तक यूँही, इधर उधर बातें करते रहे..
इस बीच, दूल्हा दुल्हन उस कोठी की तरफ जाने लगे, जहाँ मंडप बना हुआ था और उधर ही, इनका रूम था..
वो बोली – चलो, अब उठो और साथ में चलो…
हम भी दूल्हा दुल्हन की भीड़ के साथ शामिल हो गये..
कोठी अंदर से बहुत शानदार थी.. बिल्कुल, सीरियल के किसी सेट की तरह..
हम अंदर पहुँचे तो कुछ भीड़ मे शामिल लोग, इधर उधर हो गये..
कुछ लड़के लड़कियाँ कपड़े बदली करने के लिए, अपने अपने रूम में जाने लगे..
दूल्हा दुल्हन और 4-5 लड़के लड़कियाँ, मंडप के पास बैठ गये..
बबिता ने मुझे इशारा किया और हम भी सामान्य हो कर, रूम की तरफ भीड़ के साथ चले गये..
बबिता ने दरवाजा खोला और अंदर हो गई..
मैं कुछ दूरी पर था, मौका देख कर मैं भी अंदर हो गया..
वो एक बड़े होटल की तरह का रूम था..
बड़ा बेड था और टीवी, फोन आदि रखे हुए थे..
रूम, महक भी रहा था..
उसने “ए सी” चालू कर दिया..
बाथ रूम का दरवाजा खुला हुआ था..
मैंने झाँक कर देखा तो बहुत बड़ा और सुंदर बाथरूम था, वो..
अब हमने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया..
मैं बेड पर बैठ गया और अपने जूते निकाल कर, बेड पर दीवार से पीठ टीका कर लेट गया..
मैं कुछ थका हुआ सा भी महसूस कर रहा था..
मैंने टीवी चालू किया और देखने लगा..
बबिता बेड के पास खड़ी हुई थी और मुझे ऊपर से नीचे तक देखे जा रही थी..
उसकी साँस लेने के कारण, उसके मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे..
मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया..
कुछ देर बाद, उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे बेड पर खींच लिया..
वो बड़ी अदा से, मेरे सिने पर गिर पड़ी..
अब हम आधे लेटे हुए थे..
उसका सर मेरे सिने पर था..
एक हाथ से, मैं उसे थामे हुए था और अब एक हाथ से मैंने उसके गालों को छुआ..
उसने, फ़ौरन आँखें बंद कर लीं..
वो उस वक़्त तक, शादी के हिसाब से दुल्हन की तरह सजी हुई थी..
साड़ी पहने हुए थी और इत्र की मदहोश कर देने वाली उसकी महक से, मैं दीवाना हो गया था..
उसके बालों से कंडीशनर की खुशबू आ रही थी..
मैंने उसके माथे पर किस किया..
सच कहूँ तो आज मैं भी सुहाग रात मानने के मूड में था..
बबिता, एक 29 साल की अविवाहित लड़की थी इसलिए मैं ये अच्छी तरह से जानता था की उसे क्या चाहिए..
मेरा मतलब है की सेक्स, पर प्यार के साथ..
फिर मैंने उसकी बंद आँखों को चूमा और एक हाथ, उसके बालों में फिराने लगा..
वो किसी नयी दुल्हन की तरह, शरमा रही थी..
उसका एक हाथ, मुझे अपने घेरे में लिए हुए था..
फिर मैं उस के ऊपर कुछ झुका और मैंने अपने होंठ, उसके होंठों से लगा दिए..
वो काँप गई और ज़ोर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया..
मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो भी, मेरे होंठ चूस रही थी..
कुछ देर होंठ चूसते हुए, वो इतनी बैचेन हो गई की उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गाल पकड़े और ज़ोर ज़ोर से सर घुमा घुमा कर, मेरे होंठ चूसने लगी..
बेतहाशा, मेरे होंठ चूमती रही वो..
एक समय तो, मैं भी छट-पाटने लगा था..
वो इतनी गरम हो चुकी की एकदम “भूखी शेरनी” हो गई थी..
इस समय, उसके बड़े बड़े मम्मे मेरे सीने पर दब रहे थे..
फिर मैंने भी अपना एक हाथ, उसके सर के पीछे डाल कर उसका सर पकड़ कर पूरे ज़ोर से उसके होंठ चूसने लगा..
करीब 20 मिनट तक, हम बस किस करते रहे..
ये “फोर प्ले” का पहला भाग था..
फिर कुछ देर बाद, हम अलग हुए..
दोनों ही, बुरी तरह हाँफ रहे थे..
हम दोनों बिस्तर पर, अलग अलग लेटे हुए थे..
कुछ देर बाद, जब हम सामान्य हुए तो मैं उसकी तरफ पलटा..
वो आँख बंद किए हुए लेटी थी..
मैंने उसे गर्दन पर चूमते हुए, उसके मम्मे पर चूमने लगा..
साड़ी का पल्लू उसके सिने पर से अलग करते ही, मैं हैरान रह गया..
क्या मस्त बड़े बड़े, गोरे गोरे मम्मे थे..
यार, एकदम गोल गोल..
मैं तो मचल उठा..
मैंने अपने दोनों हाथ, उनके दोनों मम्मे पर रख दिए और सहलाने लगा..
उसकी साँसें तेज़ चलने लगी और वो मेरी तरफ देखने लगी..
मैंने मम्मे सहलाते हुए, अपना मुंह उसके ब्लाउज में घुसा दिए..
वो मचल उठी और मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर, मम्मे पर दबा दिया..
मैं अपने होंठ, उसके मम्मे पर फेरे जा रहा था..
फिर मैंने, एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए..
वो गुलाबी रंग की “पैडेड ब्रा” पहने हुए थी..
क्या “सेक्सी ब्रा” थी..
मज़ा आ गया..
फिर मैं कुछ देर ब्रा के ऊपर से ही, मम्मे दबाता रहा और अपने होंठ फेरता रहा..
अब मैं मम्मे से नीचे होते हुए, उसके पेट और नेवल पर आया..
उसकी कमर को, मैंने खूब चूसा..
उसकी नेवल में जीभ डाल कर, पागलों की तरह चाटा..
उसकी हालत, बहुत खराब हो चुकी थी..
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना--1
एक बार मुझे, मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से 29 साल की अविवाहित लड़की का कॉल आया..
उन्होंने बताया की वो एक प्राइवेट जॉब करती है और मेरी सर्विस लेना चाहती है..
मैंने भी आने के लिए, तुरंत हाँ बोल दी..
उन्होंने मुझे तारीख बताई की फलाँ दिन, शाम को 8 बजे के बाद आप मुझे मोबाइल पर कॉल करना… मैं बता दूँगी की कहाँ आना है… उन्होंने, अपने घर का पता नहीं बताया..
मैंने कहा की ठीक है…
वैसे मैं, थोड़ा परेशान तो था की अगर जबलपुर पहुँचने के बाद वो पलट गई तो काफ़ी नुकसान हो जाएगा..
खैर, मैं उनकी बताई तारीख पर शाम को जबलपुर पहुँच गया..
फ्रेश होकर, 8:30 पर मैंने उनको कॉल किया तो उन्होंने मुझे एक मैरिज गार्डन का पता बताया और बोला की यहाँ चले आना… शुक्ला परिवार की शादी है… मैरिज गार्डन के बाहर, “शुक्ला” लिखा, तुम्हें दिख जाएगा.. उधर पहुँच कर, मुझे कॉल करना…
मैं ऑटो से, उस पते पर पहुँचा..
मुझे, वो मैरिज गार्डन आसानी से मिल गया..
मैंने बाहर से ही, उन्हें फोन लगाया और अपना हुलिया बताया..
उन्होंने, मुझे बाहर ही रुकने को बोला..
बाहर, बहुत भीड़ भाड़ थी..
बहुत सी गाड़ियाँ खड़ी हुई थीं..
लग रहा था, किसी पैसे वाले की शादी थी..
कुछ देर बाद, एक बेहद खूबसूरत 29 साल की लड़की साड़ी पहने हुए, बालों में फूल लगाए हुए, एक दम सजी-धजी गेट से बाहर आई..
वो अपने कान पर मोबाइल लगाए, किसी को खोज रही थी..
तभी, मेरे मोबाइल की घंटी बजी..
अब तक वो, मेरे पास पहुँच चुकी थी..
मेरे मोबाइल की घंटी, उसे भी सुनाई दे गई..
मैं अपने जेब से मोबाइल निकाल नहीं पाया की उसने कॉल ऑफ कर दिया..
इससे, मेरे मोबाइल की घंटी भी बंद हो गई..
मैं भी उन्हें ही देख रहा था..
फिर उन्होंने मेरे पास साइड में खड़े होकर, री डाइयल किया..
मेरा मोबाइल, फिर बजने लगा..
वो झाँक कर देख कर, मुस्कुराने लगी..
मैं भी मुस्कुराया..
फिर मोबाइल ऑफ करके वो मेरे पास आई और मुझसे पूछा – तो आप ही हैं, सुमित…
मैंने कहा – हाँ जी, मेरा नाम ही सुमित…
हम दोनों ने हाथ मिलाया..
उसने बताया – ये मेरी सहेली की शादी है… बस कुछ देर में, प्रोग्राम ख़त्म हो जाएगा… तुम आ जाओ, मेरे साथ खाना खा लो…
मैंने कहा – ठीक है…
मैं मन ही मन, हंस रहा था..
“बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना..”
मैं अंदर गया और भीड़ में शामिल हो गया..
वो स्टेज पर चली गई और मैं खाना खाने लगा..
वो स्टेज से, लगातार मुझे देखे जा रही थी..
मैं भी बीच बीच में, उसे देख रहा था..
वो 29 साल की “परिपकव लड़की” लग रही थी..
उसका जिस्म, बहुत की “सेक्सी” लग रहा था..
इधर, मैं खाना खा चुका था..
फिर, मैं एक कुर्सी पर बैठ कर कॉफी पीने लगा तभी मैंने देखा की दूल्हा दुल्हन और सब लोग स्टेज से उतर कर, खाना खाने के लिए जा रहे हैं..
इतने में वो उन लोगों को छोड़ कर, मेरे पास आ गई और खुद भी कॉफी लेकर मेरे पास कुर्सी पर बैठ गई..
हम भीड़ से अलग बैठे थे और हम दोनों कॉफी पीते हुए, बातें करने लगे..
उन्होंने पूछा की आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई…
मैंने कहा की नहीं नहीं… बिल्कुल नहीं…
उसने बताया की ये मेरे बॉस की बेटी की शादी है और वो मेरी सहेली भी है.. मेरे बॉस बहुत बड़े आदमी हैं…
मैंने कहा – हाँ… देखने से ही, पता चलता है…
वो बहुत बड़ी जगह थी और पार्टी भी शानदार थी..
उसने बताया की ये दो आजू-बाजू महल नुमा कोठी देख रहे हैं, आप…
मैंने कहा – हाँ…
तो वो बोली की एक कोठी में लड़की वाले रुके हैं और एक में लड़के वाले… हम सभी के लिए, अलग अलग रूम दिए गये है… अब स्टेज प्रोग्राम ख़तम होने के बाद, फेरे आदि का कार्यक्रम है… जहाँ ये कार्यक्रम होना है, उधर ही मेरा रूम है… यहाँ बहुत से लड़के लड़कियाँ हैं, किसी को कोई शक नहीं होगा की आप किस की तरफ से यहाँ आए हुए हैं… मेरा मतलब है, लड़के वालों की तरफ से या लड़की वालों की तरफ से और यहाँ इतनी भीड़ है की किसी को किसी के बारे में सोचने का समय नहीं है…
मैं ध्यान से उसकी बातें सुन रहा था..
वो ये सब मुझसे बोल तो रही थी पर बोलते बोलते, उसकी साँसें फूल रही थी..
मैं उस की स्थिति समझ रहा था..
फिर उसने मुझे बताया की मैं “मांगलिक” हूँ… इस वजह से, अभी तक मेरी शादी कहीं तय नहीं हो पाई है… मेरे साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और अब तक तो उनके बच्चे भी हैं… पर इस उम्र में मेरा क्या हाल हो रहा होगा तुम समझ सकते हो, इस लिए मैंने तुमसे संपर्क किया… पर सुमित, ये हमारी पहली और आखरी मुलाकात होगी…
मैं उसकी सब बातें सुनने के बाद बोला की अगर, कभी आप मार्केट जाती हैं और अगर आपका जूस पीने का मन होता है तो आप दुकान पर जाकर जूस पीती हैं, पैसे देती हैं और घर आ जाती हैं… है ना…
वो बोली – हाँ, है तो…
एक बात बताइए, आप वो गिलास क्यूँ नहीं लाती साथ में जिसमें आपने जूस पिया… – अब मैंने पूछा..
तो वो बोली – गिलास नहीं खरीदा था… उसमें डाला हुआ, जूस खरीदा था…
अब मैंने कहा – हाँ जी… ऐसे ही, आपने मेरी सर्विस खरीदी है… मुझे नहीं… मुझे आप से आज के बाद, कोई मतलब नहीं रहेगा… आप बेफ़िक्र रहें…
वो मुस्कुराने लगी..
मैंने फिर पूछा – एक बात बताइए… क्या आपका कोई बॉय फ्रेंड नहीं है…
वो बोली – जी नहीं…
मैंने पूछा – पर आप तो काफ़ी सुंदर हैं… फिर ऐसा क्यूँ…
वो बोली – पता नहीं… किस्मत शायद… कभी बात इतनी आगे बढ़ ही नहीं पाई…
हम लगभग 30 मिनट तक यूँही, इधर उधर बातें करते रहे..
इस बीच, दूल्हा दुल्हन उस कोठी की तरफ जाने लगे, जहाँ मंडप बना हुआ था और उधर ही, इनका रूम था..
वो बोली – चलो, अब उठो और साथ में चलो…
हम भी दूल्हा दुल्हन की भीड़ के साथ शामिल हो गये..
कोठी अंदर से बहुत शानदार थी.. बिल्कुल, सीरियल के किसी सेट की तरह..
हम अंदर पहुँचे तो कुछ भीड़ मे शामिल लोग, इधर उधर हो गये..
कुछ लड़के लड़कियाँ कपड़े बदली करने के लिए, अपने अपने रूम में जाने लगे..
दूल्हा दुल्हन और 4-5 लड़के लड़कियाँ, मंडप के पास बैठ गये..
बबिता ने मुझे इशारा किया और हम भी सामान्य हो कर, रूम की तरफ भीड़ के साथ चले गये..
बबिता ने दरवाजा खोला और अंदर हो गई..
मैं कुछ दूरी पर था, मौका देख कर मैं भी अंदर हो गया..
वो एक बड़े होटल की तरह का रूम था..
बड़ा बेड था और टीवी, फोन आदि रखे हुए थे..
रूम, महक भी रहा था..
उसने “ए सी” चालू कर दिया..
बाथ रूम का दरवाजा खुला हुआ था..
मैंने झाँक कर देखा तो बहुत बड़ा और सुंदर बाथरूम था, वो..
अब हमने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया..
मैं बेड पर बैठ गया और अपने जूते निकाल कर, बेड पर दीवार से पीठ टीका कर लेट गया..
मैं कुछ थका हुआ सा भी महसूस कर रहा था..
मैंने टीवी चालू किया और देखने लगा..
बबिता बेड के पास खड़ी हुई थी और मुझे ऊपर से नीचे तक देखे जा रही थी..
उसकी साँस लेने के कारण, उसके मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे..
मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया..
कुछ देर बाद, उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे बेड पर खींच लिया..
वो बड़ी अदा से, मेरे सिने पर गिर पड़ी..
अब हम आधे लेटे हुए थे..
उसका सर मेरे सिने पर था..
एक हाथ से, मैं उसे थामे हुए था और अब एक हाथ से मैंने उसके गालों को छुआ..
उसने, फ़ौरन आँखें बंद कर लीं..
वो उस वक़्त तक, शादी के हिसाब से दुल्हन की तरह सजी हुई थी..
साड़ी पहने हुए थी और इत्र की मदहोश कर देने वाली उसकी महक से, मैं दीवाना हो गया था..
उसके बालों से कंडीशनर की खुशबू आ रही थी..
मैंने उसके माथे पर किस किया..
सच कहूँ तो आज मैं भी सुहाग रात मानने के मूड में था..
बबिता, एक 29 साल की अविवाहित लड़की थी इसलिए मैं ये अच्छी तरह से जानता था की उसे क्या चाहिए..
मेरा मतलब है की सेक्स, पर प्यार के साथ..
फिर मैंने उसकी बंद आँखों को चूमा और एक हाथ, उसके बालों में फिराने लगा..
वो किसी नयी दुल्हन की तरह, शरमा रही थी..
उसका एक हाथ, मुझे अपने घेरे में लिए हुए था..
फिर मैं उस के ऊपर कुछ झुका और मैंने अपने होंठ, उसके होंठों से लगा दिए..
वो काँप गई और ज़ोर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया..
मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो भी, मेरे होंठ चूस रही थी..
कुछ देर होंठ चूसते हुए, वो इतनी बैचेन हो गई की उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गाल पकड़े और ज़ोर ज़ोर से सर घुमा घुमा कर, मेरे होंठ चूसने लगी..
बेतहाशा, मेरे होंठ चूमती रही वो..
एक समय तो, मैं भी छट-पाटने लगा था..
वो इतनी गरम हो चुकी की एकदम “भूखी शेरनी” हो गई थी..
इस समय, उसके बड़े बड़े मम्मे मेरे सीने पर दब रहे थे..
फिर मैंने भी अपना एक हाथ, उसके सर के पीछे डाल कर उसका सर पकड़ कर पूरे ज़ोर से उसके होंठ चूसने लगा..
करीब 20 मिनट तक, हम बस किस करते रहे..
ये “फोर प्ले” का पहला भाग था..
फिर कुछ देर बाद, हम अलग हुए..
दोनों ही, बुरी तरह हाँफ रहे थे..
हम दोनों बिस्तर पर, अलग अलग लेटे हुए थे..
कुछ देर बाद, जब हम सामान्य हुए तो मैं उसकी तरफ पलटा..
वो आँख बंद किए हुए लेटी थी..
मैंने उसे गर्दन पर चूमते हुए, उसके मम्मे पर चूमने लगा..
साड़ी का पल्लू उसके सिने पर से अलग करते ही, मैं हैरान रह गया..
क्या मस्त बड़े बड़े, गोरे गोरे मम्मे थे..
यार, एकदम गोल गोल..
मैं तो मचल उठा..
मैंने अपने दोनों हाथ, उनके दोनों मम्मे पर रख दिए और सहलाने लगा..
उसकी साँसें तेज़ चलने लगी और वो मेरी तरफ देखने लगी..
मैंने मम्मे सहलाते हुए, अपना मुंह उसके ब्लाउज में घुसा दिए..
वो मचल उठी और मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर, मम्मे पर दबा दिया..
मैं अपने होंठ, उसके मम्मे पर फेरे जा रहा था..
फिर मैंने, एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए..
वो गुलाबी रंग की “पैडेड ब्रा” पहने हुए थी..
क्या “सेक्सी ब्रा” थी..
मज़ा आ गया..
फिर मैं कुछ देर ब्रा के ऊपर से ही, मम्मे दबाता रहा और अपने होंठ फेरता रहा..
अब मैं मम्मे से नीचे होते हुए, उसके पेट और नेवल पर आया..
उसकी कमर को, मैंने खूब चूसा..
उसकी नेवल में जीभ डाल कर, पागलों की तरह चाटा..
उसकी हालत, बहुत खराब हो चुकी थी..
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
No comments:
Post a Comment