FUN-MAZA-MASTI
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना--2
फिर, मैं एक झटके से बिल्कुल नीचे उसके पैर के पास पहुँच गया..
उसके पैर चूमते हुए, उसकी साड़ी ऊपर करते हुए जांघों तक आ गया..
क्या खूबसूरत सेक्सी नरम नरम, गोरी गोरी जांघें थी..
मैं दोनों जांघों पर अपने होंठ रगड़ रहा था..
वो मदहोश हो रही थी.. अपना सर ज़ोर ज़ोर से, आजू बाजू घुमा रहा था..
वो अपने होंठ, दाँतों से चबा रही थी..
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जांघों पर से सरकते हुए, उसकी पैंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया..
मेरी इस हरकत से वो चुहुंक गई और दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर, अपनी चूत पर दबा दिया..
बहुत ही शानदार चूत थी, वो..
बिल्कुल “मलाई” की तरह..
गोरी और चिकनी..
बिल्कुल साफ़, एक भी बाल नहीं था और महक तो पूछो ही नहीं..
गोरी चूत देखना का मौका, बहुत ही किस्मत से मिलता है..
मैंने, अपना काम शुरू कर दिया..
अपने दोनों हाथ से उसके नितंब सहलाते हुए, उसकी चूत चाटने लगा..
वो अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से ऊपर उछालने लगी..
“सी सी” की आवाज़ निकालने लगी..
करीब 15 मिनट तक चूत चाटते हुए, उसने 3 बार उसने अपना पानी छोड़ा..
उसे बहुत आनंद आ रहा था..
फिर, मैं अलग हुआ तो वो भी बैठ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी..
इधर, मैंने अपना पैंट खोलना शुरू किया..
उसने शर्ट उतारने के बाद, मेरे सिने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा और अपने होंठ, मेरे सिने से लगा दिए और ज़ोर ज़ोर से मेरे सिने पर होंठ फेरने लगी..
यहाँ, मैं पैंट उतार चुका था..
फिर, मैंने उसका ब्रा अलग किया तो उसके मम्मे बाहर आ गये..
इतने बड़े दूध देख कर, मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया..
खास बात ये थी की बड़े दूध के बाबजूद, वो बिल्कुल गोल थे और निप्पल एकदम छोटे..
गोरी चूत, बड़े और बिल्कुल गोल, सुडोल चुचे, छोटे से भूरे निप्पल..
ऐसा संयोग, बहुत कम ही नसीब होता है..
सच कहूँ तो संपूर्ण औरत थी वो, जो मुझ जैसे जिगोलो को भी कभी कभी ही नसीब होती है..
खैर, यहाँ उसको सीने से चिपकाने पर उसके मम्मे मेरे सीने से दब गये..
इस से, उसे और मुझे भी अच्छा लगा..
कुछ देर बाद, मैंने उसके नेवेल के नीचे साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया..
वो मुझे देखने लगी की मैं आख़िर क्या कर रहा हूँ..
मैं मुस्कुराया और मैंने अंदर से उसकी साड़ी का तह किया हुआ पार्ट पकड़ा और हाथ बाहर खींच लिया..
जिससे, एक ही झटके में साड़ी पूरी खुल गई..
वो हँसने लगी..
मैंने साड़ी अलग की, अब वो पेटीकोट में थी..
पेटीकोट में से ही उसके चुत्तड़ का आकर देखा कर, मैं पागल हो गया..
उसकी तो गाण्ड भी बहुत गोल थी..
एकदम, चिकनी और गोरी..
सच कहूँ तो ये अच्छा ही हुआ की वो “मांगलिक” थी नहीं तो, ऐसी लड़की मुझे शायद ही नसीब होती..
क्या गाण्ड थी, भाइयों..
ऊपर उठी हुई और मटकिया जैसी गोल..
वैसे भी मुझे, साड़ी में चुत्तड़ देखना बहुत पसंद है..
राह चलती औरत में, सबसे ज़यादा उनकी गाण्ड देखता हूँ, साड़ी में, जीन्स में..
सच बात ये है दोस्तो, मेरा मानना है की अगर औरत के चुत्तड़ (गाण्ड) अच्छे आकर में ना हो तो उस देख कर, सेक्स का बिल्कुल भी मन नहीं होता और अगर कोई साड़ी या जीन्स पहने हुए मस्त बड़े गोल चुत्तड़ दिख जाए तो लण्ड तभी झटके से खड़ा हो जाता है..
कातिलाना चुत्तड़ थे बबिता के तो, जिसे देख कर मेरा लण्ड और कठोर हो गया..
मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया..
अब वो बिल्कुल नंगी, मेरे सामने थी..
मैंने उसकी गाण्ड को खूब प्यार किया, सहलाया और चूमा..
आज पहली बार, मुझे लगा की कहीं मैं झड़ ना जाऊं..
एक राज़ की बात बताता हूँ दोस्तो, जब आपको ऐसा लगे की बस, अब आप झड़ने वाले हैं तो अपना दिमाग़ कहीं और ले जाए और दो पल के लिए, रुक जाएँ..
अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ लिया..
मैं अभी भी चड्डी में था..
वो ऊपर से ही, मेरे लण्ड को दबा रही थी..
फिर अचानक, उसने मेरी चड्डी नीचे खींच दी..
मैंने भी पूरी चड्डी बाहर निकाल दी..
कुछ देर, वो एकटक मेरे लण्ड को देखती रही..
उसकी नज़रों से पता चल गया की उसने “पहली बार” लण्ड देखा है..
अब वो मुझे नाख़ून से नोचने लगी..
उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे..
आख़िर वो बोली – प्लीज़, सुमित… अब कब तक तरसाओगे… जल्दी, अंदर डाल दो ना…
मैंने भी उसके दोनों पैर, अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपना लण्ड रख दिया..
उसने, आँखें बंद कर लीं..
पहले मैंने अपना लण्ड, उसकी “कुँवारी चूत” पर रगड़ा..
फिर मैंने धीरे से, अंदर डाला..
वो छट पटा गई..
अभी मेरा थोड़ा सा ही लण्ड अंदर गया था पर वो, बेकाबू होने लगी..
असल में तो अभी उसे दर्द का अहसास ही नहीं था क्यूँ की मैंने अभी थोड़ा सा लण्ड, चूत के अंदर किया था..
इतने में ही वो, इतनी मचल रही थी..
अचानक, उसने अपने दोनों पैर से मुझे जम कर पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टीका कर, अपनी कमर मे ज़ोर दार झटका देकर मेरे लण्ड पर भरपूर वार कर दिया..
मेरा लण्ड, मेरे ना चाहते हुए भी पूरा चूत में घुस गया..
मेरे लण्ड की चमड़ी, ऊपर चढ़ गई थी..
मुझे ही बहुत दर्द हुआ..
मैं चीख पड़ा और मेरे साथ, वो भी बुरी तरह चीख पड़ी..
अब उसे, बहुत दर्द हो रहा था..
मेरे उसकी चूत पर लण्ड टच करते ही, वो इतनी उत्तेजित हो गई थी की नासमझी में ऐसा कर दिया..
मैं बताना चाहता हूँ की “औरत की झिल्ली” फटने में, जितना ज़्यादा वक़्त लगता है वो इतनी ही मोटी होती जाती है..
सही उम्र, यानी 16 से 20 के दौरान “कुंवारेपन की झिल्ली” फट जाने से, लड़की को उतनी तकलीफ़ नहीं होती जितनी उसके बाद होती है..
खैर, हम कुछ देर रुक गये..
मेरा लण्ड, उसकी चूत में था..
पहली बार, मुझे भी बेपहना दर्द हो रहा था..
कुछ देर बाद, दर्द कम होने पर मैं हिम्मत करके आगे पीछे हुआ..
उसकी ज़रा सी बेसब्री ने, सारा मज़ा खराब कर दिया था..
कुछ देर बाद, अब कुछ ठीक लगने लगा था..
कुछ भी हो, एक “अप्सरा सा बदन” जो सामने था..
सो, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाई..
उसे भी शायद, मज़ा आने लगा..
वो भी अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर, मेरा साथ दे रही थी..
करीब 10 15 मिनट तक, मैंने बहुत से पोज़ में उसकी चुदाई की..
इतने समय में ना जाने, वो कितनी बार झड़ चुकी थी और मैंने खुद को कैसे रोका था, ये मैं ही जानता था..
फिर, वो बोली की अब बस, सुमित… जो हो, सो हो… मुझ से सहन नहीं हो रहा है… मेरी आत्मा, ना जाने कब से प्यासी है… खोल दो ना, मेरा बंद दरवाजा प्लीज़… मैं जब 15 साल की थी, तब से मेरा मन होने लगा था… चूत में “मीठी सी खुजली” मचने लगी थी… उस वक़्त, मैं दसवीं क्लास में पढ़ती थी… अब जाकर 29 साल की उम्र में, मैंने “नंगा लण्ड” देखा है… मैं तुम्हारी बहुत एहसान मंद हूँ… सुमित, तुम क्या जानो कितनी बार तो सोते सोते ही मेरी चूत ने अपने आप पानी छोड़ दिया… और तो और, मैंने तुम्हारी तरह “प्रो” बनने तक का सोच लिया था… और ये सब कहकर, उसने मुझे बाहों में भर लिया..
मैंने भी उसकी बातें सुन कर, स्पीड बढ़ा दी..
करीब 2-5 मिनट और करने के बाद ही, वो फिर से छूट गई..
पहली बार के कारण, खून और इतना पानी निकलने के कारण और दर्द के कारण, वो अब बहुत थक चुकी थी..
अब भी मैंने छूट नहीं की थी (आख़िर जिगोलो हूँ, इतना तो संयम है ही.. असल में तो आज ही मेरा इन्तेहान था..) तो वो बोली की छूट क्यूँ नहीं रहे हो, सुमित… अब मेरी कमर दर्द कर रही है…
मैं मुस्कुराया..
मैं उनको तो संतुष्ट कर चुका था पर मैं भी संतुष्ट होना चाहता था..
मैंने कहा – ठीक है… अच्छा, तुम मेरे ऊपर आ जाओ…
वो बोली – ठीक है… पर जल्दी कर देना…
मैंने कहा – ठीक है…
वो, मेरे ऊपर आई..
मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार, मेरे लण्ड पर रख दिया..
पूरा लण्ड रगड़ खाते हुए, अंदर गया..
ऐसा लगा पूरा लण्ड छिल जाएगा..
वो कुछ आगे पीछे हुई, मुझे अच्छा लगने लगा..
फिर मैंने अचानक, उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया..
अब उसका भार, उसके ही दोनों घुटनों पर था..
अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टीका कर, अपनी गाण्ड ऊपर उठा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर अपने लण्ड से वार करने लगा..
मुझे कुछ परेशानी हुई तो मैं रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फिर शुरू हो गया..
मैं कम से कम 100 की रफ़्तार से, उसे चोद रहा था..
वो भी, बुरी तरह हिल रही थी..
करीब 2-5 मिनट तक लगातार चोदने के बाद, मैंने उसकी चूत में सारा पानी छोड़ दिया और अब मैं शांत पड़ गया..
वो मेरे ऊपर लेट गई..
10 मिनट तक, हम यूँही लेटे रहे..
फिर हम अलग हुए और दोनों बाथरूम गये..
हम ने अपने आप को साफ़ किया..
हम दोनों ही नंगे थे..
शरीर, पसीने से लथपथ हो रहा था तो मैंने शावर खोल दिया..
अब हम दोनों, उसके नीचे खड़े थे..
उसका “गीला नंगा बदन” देख कर, मैं फिर से जोश में आ गया..
हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गये और हमारे ऊपर पानी, लगातार गिरे जा रहा था..
हम 15 मिनट तक, एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे..
फिर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ झुका दिया और अपना लण्ड लेकर, पीछे से उसकी गाण्ड में डालना चाहा..
उसने फ़ौरन, मना कर दिया..
मैं भी मान गया, मानना ही था..
फिर मैंने अपना लण्ड उसी तरह उसे और आगे झुका कर, उसकी चूत में घुसा दिया..
वो झुकी हुई थी और दोनों हांतों से नल पकड़े हुए थी..
मैंने इस बार, तुरंत आगे पीछे होना शुरू किया..
इस बार उसे भी, शुरू से मज़ा आने लगा..
वो भी, अपनी गाण्ड आगे पीछे कर रही थी..
उफ्फ!! क्या नरम गाण्ड थी..
उसके आगे पीछे होने से “फट फट” करके मुझसे टकरा रही थी..
अब मैंने, अपनी स्पीड बढ़ाई..
मेरे दोनों हाथ, उसके चुत्तड़ को ज़ोर से पकड़े हुए थे..
5 मिनट की “जबरदस्त चुदाई” के बाद, वो बोली की मेरी कमर दर्द कर रही है…
इस बार मैंने भी अपना “प्रोफेशन” साइड में रखा और अपनी स्पीड बढ़ा दी..
ज़ोर ज़ोर से दो तीन धक्के मार कर, उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया.. वो भी बिना कॉंडम के..
पानी हमारे ऊपर, लगातार गिरे जा रहा था..
गिरते पानी में चुदाई का क्या आनंद आता है ये वो ही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो..
फिर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाहों में भर कर, खूब प्यार किया..
रात के 3 बज रहे थे और हम, बाथरूम में नहा रहे थे..
नहा कर, हम लोग बाहर आए..
बबिता, बहुत खुश थी..
हमने अपने अपने कपड़े पहने और निकलने के लिए, तैयार हो गये..
बबिता ने अपने पर्स में से रुपये निकाल कर, मुझे दिए और बोली – शुक्रिया सुमित, तुम ना होते तो जीवन के इस सुख से ना जाने, कब तक मैं महरूम रहती…
ये कहकर, वो फिर मुझसे लिपट गई और बोली – तुम्हें, जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है, सुमित… जी चाह रहा है, जूस के साथ ग्लास भी खरीद लूँ…
मैंने उसे चूमा और उसके साथ तुरंत बाहर आ गया..
बरामदे में आने पर, मैंने देखा की उधर अभी लोग एकत्रित थे..
हम भी भीड़ में शामिल हो गये और अलग अलग हो गये..
मैं धीरे धीरे, बाहर की और निकलने लगा..
बबिता भी अपनी सहेलियों के साथ शामिल हो गई थी..
मैंने मूड कर देखा तो बबिता मुझे ही देख रही थी..
मैंने उसे एक हल्की मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया..
किसी को कोई शक नहीं हुआ..
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना--2
फिर, मैं एक झटके से बिल्कुल नीचे उसके पैर के पास पहुँच गया..
उसके पैर चूमते हुए, उसकी साड़ी ऊपर करते हुए जांघों तक आ गया..
क्या खूबसूरत सेक्सी नरम नरम, गोरी गोरी जांघें थी..
मैं दोनों जांघों पर अपने होंठ रगड़ रहा था..
वो मदहोश हो रही थी.. अपना सर ज़ोर ज़ोर से, आजू बाजू घुमा रहा था..
वो अपने होंठ, दाँतों से चबा रही थी..
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जांघों पर से सरकते हुए, उसकी पैंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया..
मेरी इस हरकत से वो चुहुंक गई और दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर, अपनी चूत पर दबा दिया..
बहुत ही शानदार चूत थी, वो..
बिल्कुल “मलाई” की तरह..
गोरी और चिकनी..
बिल्कुल साफ़, एक भी बाल नहीं था और महक तो पूछो ही नहीं..
गोरी चूत देखना का मौका, बहुत ही किस्मत से मिलता है..
मैंने, अपना काम शुरू कर दिया..
अपने दोनों हाथ से उसके नितंब सहलाते हुए, उसकी चूत चाटने लगा..
वो अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से ऊपर उछालने लगी..
“सी सी” की आवाज़ निकालने लगी..
करीब 15 मिनट तक चूत चाटते हुए, उसने 3 बार उसने अपना पानी छोड़ा..
उसे बहुत आनंद आ रहा था..
फिर, मैं अलग हुआ तो वो भी बैठ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी..
इधर, मैंने अपना पैंट खोलना शुरू किया..
उसने शर्ट उतारने के बाद, मेरे सिने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा और अपने होंठ, मेरे सिने से लगा दिए और ज़ोर ज़ोर से मेरे सिने पर होंठ फेरने लगी..
यहाँ, मैं पैंट उतार चुका था..
फिर, मैंने उसका ब्रा अलग किया तो उसके मम्मे बाहर आ गये..
इतने बड़े दूध देख कर, मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया..
खास बात ये थी की बड़े दूध के बाबजूद, वो बिल्कुल गोल थे और निप्पल एकदम छोटे..
गोरी चूत, बड़े और बिल्कुल गोल, सुडोल चुचे, छोटे से भूरे निप्पल..
ऐसा संयोग, बहुत कम ही नसीब होता है..
सच कहूँ तो संपूर्ण औरत थी वो, जो मुझ जैसे जिगोलो को भी कभी कभी ही नसीब होती है..
खैर, यहाँ उसको सीने से चिपकाने पर उसके मम्मे मेरे सीने से दब गये..
इस से, उसे और मुझे भी अच्छा लगा..
कुछ देर बाद, मैंने उसके नेवेल के नीचे साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया..
वो मुझे देखने लगी की मैं आख़िर क्या कर रहा हूँ..
मैं मुस्कुराया और मैंने अंदर से उसकी साड़ी का तह किया हुआ पार्ट पकड़ा और हाथ बाहर खींच लिया..
जिससे, एक ही झटके में साड़ी पूरी खुल गई..
वो हँसने लगी..
मैंने साड़ी अलग की, अब वो पेटीकोट में थी..
पेटीकोट में से ही उसके चुत्तड़ का आकर देखा कर, मैं पागल हो गया..
उसकी तो गाण्ड भी बहुत गोल थी..
एकदम, चिकनी और गोरी..
सच कहूँ तो ये अच्छा ही हुआ की वो “मांगलिक” थी नहीं तो, ऐसी लड़की मुझे शायद ही नसीब होती..
क्या गाण्ड थी, भाइयों..
ऊपर उठी हुई और मटकिया जैसी गोल..
वैसे भी मुझे, साड़ी में चुत्तड़ देखना बहुत पसंद है..
राह चलती औरत में, सबसे ज़यादा उनकी गाण्ड देखता हूँ, साड़ी में, जीन्स में..
सच बात ये है दोस्तो, मेरा मानना है की अगर औरत के चुत्तड़ (गाण्ड) अच्छे आकर में ना हो तो उस देख कर, सेक्स का बिल्कुल भी मन नहीं होता और अगर कोई साड़ी या जीन्स पहने हुए मस्त बड़े गोल चुत्तड़ दिख जाए तो लण्ड तभी झटके से खड़ा हो जाता है..
कातिलाना चुत्तड़ थे बबिता के तो, जिसे देख कर मेरा लण्ड और कठोर हो गया..
मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया..
अब वो बिल्कुल नंगी, मेरे सामने थी..
मैंने उसकी गाण्ड को खूब प्यार किया, सहलाया और चूमा..
आज पहली बार, मुझे लगा की कहीं मैं झड़ ना जाऊं..
एक राज़ की बात बताता हूँ दोस्तो, जब आपको ऐसा लगे की बस, अब आप झड़ने वाले हैं तो अपना दिमाग़ कहीं और ले जाए और दो पल के लिए, रुक जाएँ..
अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ लिया..
मैं अभी भी चड्डी में था..
वो ऊपर से ही, मेरे लण्ड को दबा रही थी..
फिर अचानक, उसने मेरी चड्डी नीचे खींच दी..
मैंने भी पूरी चड्डी बाहर निकाल दी..
कुछ देर, वो एकटक मेरे लण्ड को देखती रही..
उसकी नज़रों से पता चल गया की उसने “पहली बार” लण्ड देखा है..
अब वो मुझे नाख़ून से नोचने लगी..
उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे..
आख़िर वो बोली – प्लीज़, सुमित… अब कब तक तरसाओगे… जल्दी, अंदर डाल दो ना…
मैंने भी उसके दोनों पैर, अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपना लण्ड रख दिया..
उसने, आँखें बंद कर लीं..
पहले मैंने अपना लण्ड, उसकी “कुँवारी चूत” पर रगड़ा..
फिर मैंने धीरे से, अंदर डाला..
वो छट पटा गई..
अभी मेरा थोड़ा सा ही लण्ड अंदर गया था पर वो, बेकाबू होने लगी..
असल में तो अभी उसे दर्द का अहसास ही नहीं था क्यूँ की मैंने अभी थोड़ा सा लण्ड, चूत के अंदर किया था..
इतने में ही वो, इतनी मचल रही थी..
अचानक, उसने अपने दोनों पैर से मुझे जम कर पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टीका कर, अपनी कमर मे ज़ोर दार झटका देकर मेरे लण्ड पर भरपूर वार कर दिया..
मेरा लण्ड, मेरे ना चाहते हुए भी पूरा चूत में घुस गया..
मेरे लण्ड की चमड़ी, ऊपर चढ़ गई थी..
मुझे ही बहुत दर्द हुआ..
मैं चीख पड़ा और मेरे साथ, वो भी बुरी तरह चीख पड़ी..
अब उसे, बहुत दर्द हो रहा था..
मेरे उसकी चूत पर लण्ड टच करते ही, वो इतनी उत्तेजित हो गई थी की नासमझी में ऐसा कर दिया..
मैं बताना चाहता हूँ की “औरत की झिल्ली” फटने में, जितना ज़्यादा वक़्त लगता है वो इतनी ही मोटी होती जाती है..
सही उम्र, यानी 16 से 20 के दौरान “कुंवारेपन की झिल्ली” फट जाने से, लड़की को उतनी तकलीफ़ नहीं होती जितनी उसके बाद होती है..
खैर, हम कुछ देर रुक गये..
मेरा लण्ड, उसकी चूत में था..
पहली बार, मुझे भी बेपहना दर्द हो रहा था..
कुछ देर बाद, दर्द कम होने पर मैं हिम्मत करके आगे पीछे हुआ..
उसकी ज़रा सी बेसब्री ने, सारा मज़ा खराब कर दिया था..
कुछ देर बाद, अब कुछ ठीक लगने लगा था..
कुछ भी हो, एक “अप्सरा सा बदन” जो सामने था..
सो, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाई..
उसे भी शायद, मज़ा आने लगा..
वो भी अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर, मेरा साथ दे रही थी..
करीब 10 15 मिनट तक, मैंने बहुत से पोज़ में उसकी चुदाई की..
इतने समय में ना जाने, वो कितनी बार झड़ चुकी थी और मैंने खुद को कैसे रोका था, ये मैं ही जानता था..
फिर, वो बोली की अब बस, सुमित… जो हो, सो हो… मुझ से सहन नहीं हो रहा है… मेरी आत्मा, ना जाने कब से प्यासी है… खोल दो ना, मेरा बंद दरवाजा प्लीज़… मैं जब 15 साल की थी, तब से मेरा मन होने लगा था… चूत में “मीठी सी खुजली” मचने लगी थी… उस वक़्त, मैं दसवीं क्लास में पढ़ती थी… अब जाकर 29 साल की उम्र में, मैंने “नंगा लण्ड” देखा है… मैं तुम्हारी बहुत एहसान मंद हूँ… सुमित, तुम क्या जानो कितनी बार तो सोते सोते ही मेरी चूत ने अपने आप पानी छोड़ दिया… और तो और, मैंने तुम्हारी तरह “प्रो” बनने तक का सोच लिया था… और ये सब कहकर, उसने मुझे बाहों में भर लिया..
मैंने भी उसकी बातें सुन कर, स्पीड बढ़ा दी..
करीब 2-5 मिनट और करने के बाद ही, वो फिर से छूट गई..
पहली बार के कारण, खून और इतना पानी निकलने के कारण और दर्द के कारण, वो अब बहुत थक चुकी थी..
अब भी मैंने छूट नहीं की थी (आख़िर जिगोलो हूँ, इतना तो संयम है ही.. असल में तो आज ही मेरा इन्तेहान था..) तो वो बोली की छूट क्यूँ नहीं रहे हो, सुमित… अब मेरी कमर दर्द कर रही है…
मैं मुस्कुराया..
मैं उनको तो संतुष्ट कर चुका था पर मैं भी संतुष्ट होना चाहता था..
मैंने कहा – ठीक है… अच्छा, तुम मेरे ऊपर आ जाओ…
वो बोली – ठीक है… पर जल्दी कर देना…
मैंने कहा – ठीक है…
वो, मेरे ऊपर आई..
मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार, मेरे लण्ड पर रख दिया..
पूरा लण्ड रगड़ खाते हुए, अंदर गया..
ऐसा लगा पूरा लण्ड छिल जाएगा..
वो कुछ आगे पीछे हुई, मुझे अच्छा लगने लगा..
फिर मैंने अचानक, उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया..
अब उसका भार, उसके ही दोनों घुटनों पर था..
अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टीका कर, अपनी गाण्ड ऊपर उठा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर अपने लण्ड से वार करने लगा..
मुझे कुछ परेशानी हुई तो मैं रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फिर शुरू हो गया..
मैं कम से कम 100 की रफ़्तार से, उसे चोद रहा था..
वो भी, बुरी तरह हिल रही थी..
करीब 2-5 मिनट तक लगातार चोदने के बाद, मैंने उसकी चूत में सारा पानी छोड़ दिया और अब मैं शांत पड़ गया..
वो मेरे ऊपर लेट गई..
10 मिनट तक, हम यूँही लेटे रहे..
फिर हम अलग हुए और दोनों बाथरूम गये..
हम ने अपने आप को साफ़ किया..
हम दोनों ही नंगे थे..
शरीर, पसीने से लथपथ हो रहा था तो मैंने शावर खोल दिया..
अब हम दोनों, उसके नीचे खड़े थे..
उसका “गीला नंगा बदन” देख कर, मैं फिर से जोश में आ गया..
हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गये और हमारे ऊपर पानी, लगातार गिरे जा रहा था..
हम 15 मिनट तक, एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे..
फिर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ झुका दिया और अपना लण्ड लेकर, पीछे से उसकी गाण्ड में डालना चाहा..
उसने फ़ौरन, मना कर दिया..
मैं भी मान गया, मानना ही था..
फिर मैंने अपना लण्ड उसी तरह उसे और आगे झुका कर, उसकी चूत में घुसा दिया..
वो झुकी हुई थी और दोनों हांतों से नल पकड़े हुए थी..
मैंने इस बार, तुरंत आगे पीछे होना शुरू किया..
इस बार उसे भी, शुरू से मज़ा आने लगा..
वो भी, अपनी गाण्ड आगे पीछे कर रही थी..
उफ्फ!! क्या नरम गाण्ड थी..
उसके आगे पीछे होने से “फट फट” करके मुझसे टकरा रही थी..
अब मैंने, अपनी स्पीड बढ़ाई..
मेरे दोनों हाथ, उसके चुत्तड़ को ज़ोर से पकड़े हुए थे..
5 मिनट की “जबरदस्त चुदाई” के बाद, वो बोली की मेरी कमर दर्द कर रही है…
इस बार मैंने भी अपना “प्रोफेशन” साइड में रखा और अपनी स्पीड बढ़ा दी..
ज़ोर ज़ोर से दो तीन धक्के मार कर, उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया.. वो भी बिना कॉंडम के..
पानी हमारे ऊपर, लगातार गिरे जा रहा था..
गिरते पानी में चुदाई का क्या आनंद आता है ये वो ही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो..
फिर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाहों में भर कर, खूब प्यार किया..
रात के 3 बज रहे थे और हम, बाथरूम में नहा रहे थे..
नहा कर, हम लोग बाहर आए..
बबिता, बहुत खुश थी..
हमने अपने अपने कपड़े पहने और निकलने के लिए, तैयार हो गये..
बबिता ने अपने पर्स में से रुपये निकाल कर, मुझे दिए और बोली – शुक्रिया सुमित, तुम ना होते तो जीवन के इस सुख से ना जाने, कब तक मैं महरूम रहती…
ये कहकर, वो फिर मुझसे लिपट गई और बोली – तुम्हें, जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है, सुमित… जी चाह रहा है, जूस के साथ ग्लास भी खरीद लूँ…
मैंने उसे चूमा और उसके साथ तुरंत बाहर आ गया..
बरामदे में आने पर, मैंने देखा की उधर अभी लोग एकत्रित थे..
हम भी भीड़ में शामिल हो गये और अलग अलग हो गये..
मैं धीरे धीरे, बाहर की और निकलने लगा..
बबिता भी अपनी सहेलियों के साथ शामिल हो गई थी..
मैंने मूड कर देखा तो बबिता मुझे ही देख रही थी..
मैंने उसे एक हल्की मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया..
किसी को कोई शक नहीं हुआ..
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