Monday, December 7, 2015

FUN-MAZA-MASTI ओह माय फ़किंग गॉड--2

FUN-MAZA-MASTI

ओह माय फ़किंग गॉड--2



 अन्दर सफ़ेद ब्रा भले ही पुराना ढंग का हो लेकिन उसकी चूचियां कमाल की थी. ब्रा चुचियों के हिसाब से छोटी थी या फिर चुदास ने चुचियों को ज्यादा बड़ा बना दिया था. पुराना डिजाईन होने के कारण ब्रा चुचियों को पुरी तरह से ढके हुए था. लेकिन दो पहाड़ो के बीच की गहरी घाटी किसी भी लंड को पानी पानी कर सकता था. अब बारी पेटीकोट की थी. उसने एक झटके में नाडा खिंच दिए और पेटीकोट उसके पैरों में गिर गया. पेटीकोट को पैरो से उठाया और कुर्सी में रख दी. नीचे एक चड्डी पहनी थी जो कुछ कुछ मेरे बॉक्सर जैसा लग रहा था. वह चड्डी कम और मर्दों का फुल अंडरवियर ज्यादा लग रहा था जो ढीला-ढाला था. चड्डी से उसकी चूत की हालत का पता नहीं चल रहा था जो मेरी बेकरारी को और बढ़ा रही थी. उसने अपने दोनों हाथ पीछे कर लिए और मुझे देखते हुए बोली – “कैसा है बाबु?” मैंने गद्दे से उछलते हुए कहा – “मस्त है रानी. अब आजा अपने राजा के पास.” वह थोड़ा हंसी और बोली – “बाबु, अभी इन कपड़ो को तो उतारने दो.” और अपने दोनों हथेलियों से बड़े बड़े दूध की टंकियो को मसलने लगी. अब मेरा लंड मुझे तकलीफ दे रहा था. लंड का सुपारा लाल हो गया था और अपने साइज़ से 1 इंच ज्यादा बड़ा हो गया था. मैं अपनी ज़िन्दगी में कभी इतना ज्यादा उत्तेजित नहीं हुआ. लंड को अब ज्यादा देर बॉक्सर में रखना मुश्किल लग रहा था. मैंने गांड को ऊपर उठाते हुए बॉक्सर को घुटनों में लाया और लंड को बांये हाथ से सहलाने लगा. यह देखकर सोमलता दौड़ कर मेरे पास आई और बगल में बैठ कर मासूमियत से कहा – “क्या कर रहे हो बाबु? मेरे होते हुए तुम खुद हाथ से हिला रहे हो.” मैंने उसके गाल पे एक चुम्मी लेकर कहा – “डार्लिंग रानी, यह अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है.” यह कह कर मैंने उसको अपने और खीचा और ब्रा का हूंक खोलने लगा. हुक खुल नहीं रही थी और मैं ज्यादा जोर लगा रहा था. उसने मुझे हल्का धक्का देकर अलग किया और बोली – “छोड़ो बाबु, तुम तो इसको तोड़ ही डालोगे. मैं खुद ही खोलूंगी.” मैंने फिर उसे अपनी और खींचते हुए कहा – “क्यों चिंता करती हो रानी, नया लाकर दूंगा. वो भी नया डिजाईन का.” फिर अलग होते हुए वह बोली – “नहीं बाबु, मैं कहा था ना, मैं कुछ पाने के लिए नहीं कर रही हूँ.” उसने अपनी पीठ मेरी तरफ़ घुमाकर ब्रा का हुक खोली और चड्डी उतारने लगी. मेरे लंड में तो जैसे आग लग गयी. मैं उसको नंगी देखने के लिए उतावला हो रहा था. अब सोमलता मेरी और घूमी लेकिन उसकी चूचियां दाहिने हाथ से और चूत बांये हाथ से ढके थे. वह काफी धीरे धीरे बढ़ते हुए मेरे पास आई और बगल में बैठ गयी. भले यह औरत गंवार हो लेकिन अपने सेक्स पार्टनर को कैसा छेड़ा जाता है यह अच्छी तरह से जानती थी. वह मेरे सामने चिपककर बैठ गयी लेकिन हाथ अब भी उसकी इज्जत को ढके थे.

मेरी रानी ने अपने रसीले होंठो को मेरे होंठो के ऊपर रखा और मुझे अपनी बांहों के घेरे में कसकर पकड़ लिया. मेरा भी हाथ उसकी नंगी पीठ को सहला रही थी. वह इतनी जोर से मुझे चूम रही थी कि मुझे साँस लेना भी मुश्किल लग रहा था. हम दोनों एक दुसरे के नंगी पीठ को नापने में लगे थे. अब मेरी उँगलियाँ उसकी गांड के दरारों में जा पहुंची. उसकी कमर के नीचे और गांड के दरार में हल्का बाल था. मैं उस दरार को जोर-जोर से रगड़ने लगा. इस रगड़ ने उसको गरम कर दिया. वह बार-बार सिसिकारी मारती और मुझे जोर से कस लेती. हम 10 मिनट से लगातार होंठो को चुसे जा रहे थे. कभी वह मेरी जीभ को चूसती तो कभी मैं. दोनों के लार मिल कर एक नया स्वाद पैदा कर रहे थे मुँह में. अब सोमलता मेरे होंठो को छोड़ कर मेरी गर्दन को चूमने लगी. चुमते चुमते अब वह मेरी छाती पर आ गयी. मेरी छाती पर बाल है. वह मेरे छाती के निप्पल को चूसती और हाथ से बदन के बाल भी खींचती. जब-जब वह मेरा बाल को खींचती, मुझे मीठा सा दर्द होता. यह मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव था. अब तो वह मुझे उकसाने के लिए मेरे निप्पल को दांत से काटने भी लगी थी. काटने पर मैं “आह” करता और वह मेरे बाल को खींचती. मैं फिर दर्द से “आह” करता. अब मेरा सब्र का बांध टूटने लगा. मैं उसकी चुचियों और चूत का दर्शन करना चाहता था और उसे मसलना चाहता था.
मैं सोमलता को कमर के नीचे से पकड़ा और अपने नीचे लाना चाहा. उसने मुझे रोका और धीरे से कान में बोली – “बाबु, आज तुम मुझे भोगो लेकिन मेरी तरह से. तुम आराम से लेटो, मैं तुम्हे मजा दूंगी. इसके बाद तुम जैसे चाहे वैसे मुझे भोगना. ठीक है.” “ठीक है मेरी रानी!!!” – मैंने एक और दमदार चुम्मा उसके गाल पर जड़ दिया. अब मैं सीधे होकर गद्दे पर लेट गया और सोमलता के मज़े के लिए तैयार हो गया. अब मेरी रानी सोमलता ने अपने दोनों टांगों को चीरते हुए मेरे कमर पर बैठ गई. उसकी छाती बिल्कुल मेरे मुँह के सामने थी. मैं पहली बार उसकी नंगी रसदार चुचियों को देख रहा था. 36 डी साइज़ की चूचियां थोड़ी-सी लटकी थी, निप्पल का घेरा बड़ा और गहरे स्लेटी रंग का था. सेक्स की चुदास में निप्पल कड़े हो गए थे. मेरी हालत उस प्यासे जैसी हो गयी थी जिसके आँख के सामने ठंडी बियर की बोतलें रखी है लेकिन वो खुद पी नहीं सकता.
सोमलता मेरी बेकरारी समझ के और नखरे कर रही थी. शरारत भरी नजरो से देखते हुए अपने दोनों हाथों से दूध के डब्बों को मसल रही थी. फिर अपने चुचियों को मेरी आँखों के सामने लाकर बोली – “बाबु, मेरी छातियों में बहुत दर्द है. थोड़ा दबा दो ना.” और मेरा दाहिना हाथ अपनी बायीं मम्मे पर रख दी. मैं पुरी ताकत से उसको दबाने लगा. उसकी चूचियां जरा-भी नरम नहीं थे. सख्त मम्मे को दबाने में ज्यादा ताकत लगाना पड़ रहा था और मेरी ताकत उसकी मुँह से जोर की सिसकारी निकाल रही थी. मैंने उसके कान ने कहा – “रानी गला सुख रहा है. थोड़ा दूध पिलायोगी?” वह मेरी कान खींचते हुए बोली – “मालकिन को बताऊ की तुम दूसरी औरतों से दूध मागते हो?” मैंने हँसते हुए कहा – “बाद में बोलना. अभी मेरो प्यास मत बड़ा. जल्दी कर.” उसके उंगलियों से दायें मम्मे को दबाकर निप्पल आगे करते हुए मेरे मुँह में मम्मे घुंसा दी जैसे कोई माँ अपनी बच्चे को दूध पिला रही हो. मैं जोर जोर से निप्पल चूसने लगा और दांत से मम्मे को काटने भी लगा. दूसरा हाथ दूसरी मम्मे को ऐसे दबाये जा रहा था जैसे कोई पके आम से रस निकल रहा हो. मेरी इस चूची-क्रिया ने सोमलता को पुरी तरह से उत्तेजित कर दिया. वह आंखे बंद कर “उम्म्म्म, अआह्ह, माई री, उन्ह्ह्हह” कर रही थी. मैं लगभग 5 मिनट तक मम्मे बदल-बदल कर उसको मज़े देता और मज़े लेता रहा. वह मेरी गर्दन जोर से पकडे रही और बीच-बीच में मुझे झंकझोर भी देती.

अब मैं असली मज़े के लिए तैयार था. मेरा 8 महीने का उपवास टूटने वाला था. मैंने मम्मों को छोड़कर उसकी होंठो पर एक ज़ोरदार चुम्मा डालकर बोला – “अब असली खेल शुरू करे रानी?” उसने सिर्फ हाँ में सर हिलाया और मुझे भी एक रसदार चुम्मा वापस किया. अब वह मेरी कमर से सरककर मेरे घुटनों पर आ गयी. मेरे लिंग को दोनों हथेलियों में लिया और प्यार से सहलाने लगी. मुँह से ढेर सारा थूक हथेली में लेकर लंड को गीला करने लगी. थोड़ा सा थूक अपनी चूत पर भी मलने लगी. उसकी चूत पर झांटो का जंगल था. मुझे चूत की दीवारों, भगनासा, छेद किसी भी चीज का पता नहीं चल रहा था. मैंने उसकी चूत में ऊँगली फिराई. उसकी चूत गीली हो चुकी थी और चिपचिपा रस निकल रहा था. मैं अपनी उँगलियों को सुंघा और मुँह में डालकर उसका स्वाद लिया. मदहोश करने वाली महक थी. सोमलता ने मेरे माथे पे हलके से मरते हुए डांटा – “छि बाबु, यह भी कोई चाटने वाली चीज है. कितना गन्दा है.” मैंने दुबारा ऊँगली मुँह में लिया और फिर से उसकी चूत टटोलने लगा. मैं जंगल में गड्ढा खोंज नहीं पा रहा था. उसने मेरे हाथ को हटाया और कहा – “हटो! तुम तो छेद खोजने में ही दिन निकाल दोगे.” और मेरे लिंग को पकड़ कर चूत पे टिका दी. फिर झांटों को हटाकर लिंग के सुपारे को चूत का दरवाजा दिखा दिया. मेरा सुपारा फूलकर लाल आलू जैसा हो गया था. उसने मेरे कंधे को पकड़कर एक धक्का दी और फक्क की आवाज का साथ लंड का आधा हिस्सा अन्दर चला गया. “आअह्ह्ह्ह” मैंने आँख बंद कर सिसकारी मारी. उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघला रही थी. थोड़ी देर रूककर फिर से उसने धक्का दिया और इसबार पूरा ला पूरा लंड उसकी बुर में समचुका था. वह “माई री” की चीख़ के साथ मेरे छाती पर लेट गयी. मैंने उसकी चेहरे को उठाकर पूछा – “सब ठीक है रानी? तुम कहो तो मैं ऊपर आ जाऊ?”

उसमे मेरे गाल पर एक हल्का चुम्मा देकर कहा – “नहीं बाबु” और फिर से मेरे छाती पर दोनों हाथ टीकाकार धीरे-धीरे ऊपर निचे करने लगी. मेरा लंड जैसे किसी भट्टी में पेल रहा था. मेरे पेट में अजीब-सी हलचल शुरू हो गयी थी और आँख बंद होगयी थी. पूरा कमरा हमारी सिसकारी और चुदाई की आवाज से भर गया था. उसकी आपनी रफ़्तार बढ़ा ली. उसकी आँखें बंद थी, उछालने के साथ-साथ उसकी मम्मे भी उछल रहे थे जो मेरे लंड को और सख्त बना रहे थे. कुछ देर बाद वह जोर से सिसकारी मारी और निढाल होकर मेरी छाती पर गिर गयी. उसका चेहरा पसीने से भींगा और साँस तेज चल रही थी. कुछ देर बाद उसकी चूत में सिकुडन हुई और रस की धारा छुट गई. एक मिनट के बाद दुबारा वह अपनी गांड उछलने लगी और तेज रफ़्तार से. अब मेरी बारी थी. मेरा लंड फूलने लगा. मैं सोमलता को बताया – “रानी, मैं भी आने वाला हूँ.” वह फ़ौरन मेरे ऊपर से हट गयो और मेरे लंड को दोनों हथेलियों में लेकर मेरी मुठ मरने लगी. 7-8 झटको के बाद मेरा लंड तेज तेज पिचकारी मरने लगा. मेरा बिर्य उछल कर उसके सिने और मेरे पेट पर आ गिरा. वह तबतक मेरे लंड को हिलाए जा रही थी जबतक की वह सिकुड़ नहीं गया. इसके बाद उसने मेरे होंठो का रस चूसा और उठकर खड़ी हुई और धीरे-से पूछा – “बाबु, नहाने का कमरा किधर है?” मैंने हलके से आँख खोलकर अपनी दायें और इशारा किया. मैं इस पल को महसूस कर रहा था आँख बंद कर. बाथरूम से नल की आवाज आ रही थी. थोड़ी देर में वह वापस आई तोलिये से अपने बदल को पोंछते हुए. मैं लेते हुए उसकी नंगी बदन को देख रहा था. वह अपने कपड़े पहनने लगी. मेरी और देखकर मुस्कुरा रही थी. उसकी नंगी बदन को देखकर मेरा लंड फिर से जागने लगा. वह सारे कपड़े पहन कर तोलिया रखने बाथरूम से गयी तो मैं भी पीछे से गया और उसको पीछे से पकड़ के उसकी मम्मो को दबाने लगा.

वह मेरी और पलटकर बोली – “बाबु, अभी और नहीं. सबके आने का वक़्त हो गया है” फिर मेरे लंड को देखी, मेरा लंड लगभग खड़ा हो चूका था. वह बोली – “इसको मैं ठीक करता हूँ”. बाथरूम में तेल की शीशी लेकर थोड़ा तेल हथेलियों में लगाकर मेरे लंड को मसलने लगी. मेरे लंड की पानी निकाल कर तोलिये से पोंछते हुए बोली – “बाबु, मालकिन कब आएगी?” “परसों” मैंने कहा. “ठीक है मैं कल फिर आउंगी.”


सोमलता कमरे से बाहर चली गई. मैं बहुत खुश था क्योंकि यह मेरी जिंदगी की सबसे बढ़िया सेक्स था. मैं हमेशा से ही एक अच्छा बेटा, अच्छा छात्र, अच्छा कर्मचारी बनने में ही अपनी आधी जिंदगी गुजारी थी. मेरी पिछली प्रेमिका से मेरा नाता टूटने का कारण थी यही था. खैर पिछली जिंदगी तो बीत गयी, अब वक़्त मुझे इतना अच्छा मौका दे रही है मुझे इसका इस्तेमाल करना चाहिए. मैं नंगा ही कमरे से बाहर गया. वह बाहर बरामदे में बैठकर बाकी काम करने वाले का इंतज़ार कर रही थी. मैं मेन गेट बंद कर बाथरूम में गया, ब्रश किया, नहाया खासकर मेरे लिंग को अच्छे तरह से धोया. मैंने पाया की मेरे लंड के आस-पास झांट काफी बढ़ गए है. मैं अगले आधे घन्टे उसको कैंची से काटने में बिताये फिर अच्छे तरह से नहाये. नहाते नहाते फिर सोमलता की बदन, उसकी चूचियां, उसकी मस्ती मेरे दिमाग में घुम रही थी जो मेरे लंड को फुल-साइज़ में लाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और शावर में ही मुठ मरने लगा. मैं कल सुबह तक का इंतज़ार नहीं कर सकता था उसकी चूत पाने के लिए. मेरे पास आज और कल का समय था फिर मेरे परिवार के आने के बाद मुझे छुपकर मुठ मारकर की काम निकलना पड़ेगा. मैं बाथरूम से बाहर निकला और सोमलता को फिर से बिस्तर में लाने का तरीका सोचने लगा. 9 बज गए थे. बाकी के काम करनेवाले आ गए थे, सोमलता बिल्कुल साधारण भाव से काम कर रही थी और मुझसे तो बिल्कुल साधारण थी. न ज्यादा चिपक रही थी ना ही ज्यादा भाग रही थी. एक औरत जो मेरे साथ सोई, मुझे जिंदगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव दी, वह मेरे सामने मजदूरी कर रही है यह देखकर मुझे दुःख हो रहा था लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था.

जैसे-तैसे दोपहर हुआ. बाकी सबके जाने के बाद वह खाना खाकर पानी पीने अन्दर आई. मैंने उसको लपक लिया और एक चुम्मा जड़ दिया होंठो पर. वह मुझे धक्का देकर अलग हो गयी और बनावटी गुस्से से बोली – “तुम मर्दों को और कुछ नहीं सूझता क्या? हमेशा चूत और चूची में ही घुंसे रहते हो. अभी नहीं हो सकता. मुझे पानी पिलाओ.” मैं शरारत से अपनी बॉक्सर नीचे करते हुए लंड हिलाकर बोला – “इसका पानी तो तुम खुद निकल कर पी सकती हो” वह दौड़ कर मेरा बॉक्सर ऊपर कर धीरे से चिल्लाई – “क्या करते हो बाबु? थोड़ा ख्याल रखो, इस भरी दोपहर में ऐसा मत करो. जाओ पीने का पानी लाकर दो.” मैं किचेन से पानी लाया और देते हुए बोला – “रानी, हमारे पास सिर्फ दो दिन है और मैं कल सुबह का इंतज़ार नहीं कर सकता. आज रात भर तुम यहाँ नहीं आ सकती?” वह पानी पीकर जग मुझे देकर बोली – “मुझे घर जाना पड़ेगा और कल काम पर आना भी पड़ेगा” मैंने बोला – “अरे उसकी चिंता मर करो. मैं देर रात को तुम्हे तुम्हरे गाँव से लेकर आऊंगा और कल की छुट्टी ले लो. बोलो की तबियत ख़राब है, काम पे नहीं आ सकती.” वह जाते हुए बोली – “ठीक है. सोच के देखूंगी.” मैं घुटनों पर बैठकर उसकी दोनों हाथो को पकड़कर विनती की – “प्लीज रानी” वह हँसते हुए बोली – “ठीक है” और अपनी कमर कुछ ज्यादा ही लचकते हुए चली गयी.

शाम को जब मैंने सारे लोगो का भुगतान किया तो वह ठेकेदार को बोली – “बाबु, मेरा सर बहुत दुःख रहा है मैं कल नहीं आ पाऊँगी. घर में आराम करुँगी.” मैं कहा – “मेरे पास सरदर्द की दवा रक्खी है. तुम चाहो तो ले सकती हो.” इतने में ठेकेदार बोला – “ठीक है. तू कल मत आ. वैसे कल काम भी कम है. हम लोग चलते है. तू साहब से दवा लेकर आ पीछे.” सोमलता मेरे पीछे घर के अन्दर आई. मैंने उसे एक फ़ोन दिया जो पहले से ही साइलेंट मोड पर था और उसका नंबर नया था. मैं फ़ोन देकर बोला – “देख रात के 11 बजे मैं मोटर बाइक से आऊंगा और तुझे फ़ोन करूँगा. तू बस यह अपने साथ रखना. फ़ोन आने पर यह वाला बटन दबाना और मुझसे बात कर लेना” मैं उससे उसकी घर का पूरा नक्सा समझ लिया. वह बोली – “बाबु एक दिक्कत है. मोटर साइकिल से आने पर आवाज होगी और रौशनी भी. आस पास के लोगो को पता चल जायेगा. तुम साइकिल से आना” मैं बोला – “ठीक है” वह मुझसे फ़ोन ली, उसको पेटीकोट की जेब में डाली और चली गयी. मैं रात की तैयारी में जुट गया. मार्किट गया, चिकेन खरीदा, एक पैकेट कंडोम लिया और घर आया. रात के खाने के लिए चिकेन-रोटी बनाया. फ्रिज में पहले से ही बियर की चार बोतलें थी. आज रात को मैं मेरी रानी पर चढ़ने वाला था. पूरा नियंत्रण मेरे हाथ में था. बस जल्दी से रात हो और 11 बजे.

रात के 10:30 बजे मैं घर से साइकिल लेकर निकला. उसका गाँव लगभग 6 km दूर है. रात के सुनसान शहर में गाँव पहुँचने में आधा घंटा लगा. मैं गाँव का बाहर एक बड़े झाड़ के पीछे रुक गया और उसको फ़ोन किया. पहली रिंग में ही उसने फ़ोन उठा लिया जैसे मेरा फ़ोन का इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसे झाड़ के पीछे आने को कहा, दस मिनट में वह आती दिखी. घूँघट में पूरा चेहरा ढका था. मेरे पास आकर बोली – “जल्दी से चलो. कोई देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी.” मैंने उसे साइकिल के सामनेवाले बार पे बैठाया और जोर-जोर से पैडल मरने मेन रोड पर आने के बाद मुझे आराम मिला. अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्योंकि कोई देखना वाला नहीं था. मैं साइकिल चलाते उसकी गर्दन को चूम भी रहा था. वह थोड़ा डरते हुए बोली – “बाबु, जल्दी से घर चलो. इस रात में पुलिस मिल गयी तो बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाओगे.” मैंने भी वक़्त को समझते हुए सारी ताकत से जोर लगते हुए घर पहुंचा. चुपचाप कोई आवाज नहीं करते हुए अन्दर दाखिल हुआ और सोमलता को अन्दर ले आया. अन्दर दरवाजा बंद करते हुए उसको जोर से अपनी बाँहों में लिया और होंठो को चूसने लगा. मुझे परे हटाते हुए बोली – “बाबु थोड़ा सब्र करो. तुम्हारे पास मेरे लिए कोई कपड़े होंगे? ” मैंने उसको मेरी टी-शर्ट और बॉक्सर दी. वह लजाते हुए बोली – “इसको कैसे पह्नुगी?” मैंने कहा – “रानी जैसे मैंने पहना है.” वह मुस्कुराते हुए कपड़े लेकर बाथरूम चली गयी. मैं किचेन में खाना लगाने लगा. खाना टेबल पर रखा तब वह बाथरूम से बाहर आई. मैं उसको देखता ही रहा, क्या गजब की पारी लग रही थी. बाल खुले हुए थे, टी-शर्ट इसकी बड़ी-बड़ी मम्मो पर कसकर लगी हुई थी. अन्दर शायद उसने ब्रा नहीं पहना था. मुझसे नज़र मिलाने के बोली – “क्या देख रहे हो बाबु? ठीक नहीं लग रही हूँ इस कपड़ो में?” मैंने उसे अपनी और खींचते और उसकी गांड को देख के बोला – “रानी पुरी आइटम लग रही हो आज. जी करता है आज तुझे खा ही जाऊ.” वह हँसते हुए बोली – “ठीक है. पहले चलो खाना खाते है.” खाते हुए बोली – “बाबु, तुमने खाना बहुत ही बढ़िया बनाया है. तुम्हारी बीवी तुमसे बहुत खुश रहेगी. इतना प्यार करती हो, खाना भी अच्छा बनाते हो और सबका ख्याल रखते हो.” मैं जवाव में मुस्कुरा दिया. खाना ख़तम करने के बाद मैं बियर को दो बोतले फ्रिज से निकली. वह तबतक अन्दर के कमरे में जा चुकी थी और गद्दे बिछाकर मेरा इन्तेजार कर रही थी. मैंने एक बोतल उसकी ओर बढ़ाई तो शरमाते हुए बोली – “बाबु मैं शराब नहीं पीती” मैं बोतले उसकी हाथ में पकडाते हुए बोला – “रानी पीकर तो देखो” बोली – “थोड़ा-सा पियूंगी” मैं हाँ में सर हिलाया और बियर की एक घूंट ली. मैं पुरी बोतल ख़तम कर चूका था तो वह चोथाई पिने के बाद बोतल मुझे दे दी. मैंने उसको भी पिया और खाली बोतलें बगल में रखते हुए उसको बाँहों में ले लिया. वह बोली – “बाबु, खाने के तुरंत बाद चुदाई ठीक नहीं. थोड़ा आराम करते है.” मैं कहाँ “ठीक है” लेकिन नंगे होकर. वह मेरे माथे पर हल्का चपत लगते हुए बोली – “बदमाश” और अपनी टी-शर्ट उतरने लगी. मैंने उसको रोककर कहा – “नहीं रानी. आज यह काम मैं करूँगा. तुम मेरे कपड़े उतारो.” और मैं उसके सामने खड़ा हो गया. वह मेरी शर्ट निकाली, फिर जीन्स फिर अंडरवियर. मेरा लंड तो औरत की महक सूंघकर की टनटना गया था. वह मेरे लंड को गौर से देखी फिर मेरे पेट में एक चिकोटी काटी और बोली – “बाबु तुम्हारा डंडा बहुत बदमाश है. हमेशा तंग करता है.” मैं हंसा और उसकी टी-शर्ट उतरने लगा. टी-शर्ट खोलते ही मम्मे आजाद हो गए. फिर मैंने पेंट उतारी. अंदर उसने कुछ भी नहीं पहना था. मैं उसको गॉड में उठाकर मेरे बेडरूम में ले गया. बेड पर लेटाने के बाद मैं उसकी बगल मैं लेट गया. हम दोनों एक दुसरे की बदन को मल रहे थे. वह मेरे सख्त लिंग और गोटी को सहला रही थी और मैं उसकी मम्मों को मसाज कर रहा था.

आधे घन्टे तक हम बिना किसी आवाज के एक-दुसरे से बदन से खेलते रहे. अब खेल को आगे बढ़ाने का वक़्त था. मैंने उसको अपने नीचे लिया और उसको चूमने लगा. मेरा लंड उसकी जांघो के बीच में फंस गया. मैं उसको लगातार चूमे जा रहा था और उसकी मम्मो को दोनों हाथो से दबाया जा रहा था. वह चुदास में पागल हो रही थी और अजीब-अजीब आवाज कर रही थी. अपने नाखुनो से मेरे पीठ को खरोंचे जा रही थी. अब मैंने उसकी चुचियों को चुसना शुरू किया. एक को दबाता तो दुसरे को चूसता. वह एकदम चढ़ चुकी थी मेरे इस चुसाई से. मेरे सर को बालो से पकड़ कर अपनी चुचियों में और दबा रही थी और बके जा रही थी – “हाँ बाबु, जोर से चुसो.... चुसो और दूध निकल दो.... पियो दूध अपनी छिनाल का.... मर गई रे.... हाँ रंडवे, अपनी माँ का भी इसी तरह से चूसा होगा तूने.... मैं तुझे अपनी दूध पिलाऊंगी... आजा मेरे राजा... मेरे बालम” बीच-बीच में गाली भी बक रही थी. अचानक वो बैठ गयी और मेरे लंड को दोनों हाथो से पकड़कर बोली – “आज तो इसकी सारी पानी निकल दूंगी” फिर हाथ में थूक लगाकर तेज़ी से मुठ मरने लागी. मेरा लंड 1 घन्टे से टनटना रहा था इसलिए ज्यादा वक़्त नहीं लगा. एक तेज़ धार के साथ मेरा पानी छुट गया और मैं निढाल हो गया. सोमलता मेरे बगल में लेट गयी और मुझे चूमने लगी और मेरे लंड को सहलाने लगी. उसने मेरा बिर्य को साफ़ भी नहीं किया जो उसकी हथेलियों और मेरी कमर में गिरा था. दस मिनट के बाद मेरा लिंग जागने लगा और एक और पारी के लिए तैयार होने लगा.










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