Thursday, December 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI कज़िन आहना की गरम साँसे

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 कज़िन आहना की गरम साँसे

हैल्लो दोस्तों, में आप ही की तरह बहुत सालों से  फन मजा मस्ती का लगातार रीडर हूँ। लेकिन यह मेरी इस साईट पर पहली कहानी है, जिसको मैंने बहुत सोच विचार करके आप सभी के सामने लाने का निर्णय लिया। इसको लिखने से पहले मुझे डर था कि क्या पता यह अपको पसंद भी आएगी या नहीं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह आप सभी को बहुत अच्छी लगेगी, क्योंकि यह मेरी अपनी एक सच्ची घटना है कोई झूटी कहानी नहीं है। लेकिन आप सभी मुझे इस कहानी को पढ़ने के बाद अपनी राय देना ना भूले क्योंकि उसके बाद ही मुझे थोड़ी हिम्मत मिलेगी और में अपनी दूसरी कहानी भी आप के सामने रखने की हिम्मत कर सकता हूँ और अब में आप सभी का ज्यादा समय ना लेते हुए सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ। मेरी उम्र 27 साल है। में अभी तक कुंवारा हूँ और यह घटना तब की है जब में 20 साल का था और यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था। मेरी लम्बाई 5.11 इंच और में दिखने में एक ठीक-ठाक लड़का हूँ और मैंने अपने ननिहाल से अपनी पढ़ाई पूरी की है और अपनी पढ़ाई के पूरे हो जाने के बाद में अपने घर पर वापस आ गया।
तो एक दिन मुझसे मेरे पापा ने कहा कि तुम अब कोई अच्छी सी नौकरी ढूंडना शुरू कर दो और फिर एक दो जगह पापा ने मेरी नौकरी के लिए बात भी की, लेकिन हमारे एक चाचा है, जो मेरे पापा के चाचा के लड़के है। वो कभी कभी पापा के पास आते जाते रहते थे और उनका घर भी पास ही था। तो उन्होंने पापा से अपनी बेटी आहना को एम.ए. में दाखिला दिलाने की बात की और उन्होंने पापा से मेरे लिए भी बोला। लेकिन पापा के पास उनसे कम पैसा था, तो उन्होंने उनसे साफ मना कर दिया। लेकिन चाचा ने ज़ोर देकर बोला तो पापा मान गये और हमारे एम.ए. में एडमिशन के फॉर्म भरवाने के लिए कहा और चाचा को आहना के साथ ना जाना पड़े, इसलिए उन्होंने बोला कि तू अपनी बाईक से आहना को साथ ले जाना और इसका भी फॉर्म भरवा देना। तो में जब उस दिन चाचा के घर पहुंचा तो मैंने चाची को बोला कि मुझे चाचा ने भेजा है और में उस दिन उनसे बहुत सालों के बाद मिला था। तो चाची ने सबसे पहले मुझसे अपना हाल चाल पूछा और फिर मुझसे बोला कि आहना ऊपर अपने कमरे में है, तुम उसे बुला लो।
दोस्तों मैंने आहना को आखरी बार 8वीं कक्षा में ही देखा था और तब वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। लेकिन फिर उसके बाद हमारा ज़्यादा मिलना ही नहीं हुआ, क्योंकि में अपनी पढ़ाई के लिए हमेशा अपनी नानी के घर पर रहता था और कभी कभी अपने घर पर आता था। तो में जब ऊपर आहना को बुलाने गया तो मैंने देखा कि आहना अपनी छोटी बहन के साथ म्यूजिक चलाकर डांस कर रही थी। तो तब मैंने उसे बहुत सालों के बाद देखा और में उसे देखता ही रह गया और गर्मी के कारण उसने पतला सा लोवर और पतली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी। उसकी हाईट करीब 5.5 थी और वो इतनी प्यारी, मासूम और सुंदर लड़की थी, उसके जैसी लड़की मैंने शायद ही पहले कभी देखी होगी। तो वो उस पतली सी टी-शर्ट में छोटे छोटे गोर कंधो के साथ अभी अभी जवान हुई उसकी छाती बिल्कुल टाईट दिख रही थी। कमर बिल्कुल पतली और कुल्हे भी चौड़े थे। तो उसे देखकर लग रहा था कि इससे अच्छे आकार की लड़की और क्या होगी? और जैसे ही दोनों बहनों की नज़र मुझ पर पड़ी तो वो एकदम थम सी गई और मुझे पहचान कर हल्की सी मुस्कान दिखाई और फिर बोली कि नीचे बैठ जाओ में अभी कुछ देर में तैयार होकर आती हूँ। तो करीब 15-20 मिनट में वो तैयार होकर आई तो वो काली कलर की जीन्स और लाल कलर की टी-शर्ट पहनकर नीचे आई और में ना चाहते हुए भी बार बार उसे देखने की कोशिश कर रहा था। लेकिन जिस तरह बेकार का नखरा वो मुझे दिखा रही थी, जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि कहीं ना कहीं वो मुझे अपनी तरफ आकर्षित करना चाह रही है। दोस्तों ऐसा लड़कियां अक्सर करती रहती है। फिर वो मेरे साथ बाईक पर बैठ गई और बाईक पर एक दो बार झटके लगे तो उसने अपने आप को संभाल लिया। हम कुछ घंटो में अपना फॉर्म जमा करवाकर घर पर आ गए और करीब 1.5 महीने बाद हमारे पेपर थे और दो तीन बार कॉलेज में किताब बदलने और दूसरे कामों की वजह से साथ में बाहर जाने में हम बहुत ही कम समय में एक दूसरे से बहुत खुल भी गये थे। मुझे आने वाले पेपर की तैयारी अपने घर पर करने में दिक्कत होती थी क्योंकि उन दिनों हमारे घर पर इनवर्टर नहीं था और हमारी तरफ लाईटे बहुत ज्यादा जाया करती थी।
तो एक दिन शाम के टाईम चाचा ने मुझे इमरजेंसी लाईट में पढ़ते हुए देखा तो वो मुझसे बोले कि तू मेरे साथ चल आहना के साथ पढ़ लेना और तुम दोनों एक दूसरे की मदद भी कर दोगे और उनके घर इनवरटर था। तो में पापा से पूछकर उनके घर पर चला गया और जब में वहां पर गया तो चाचा के तीनों बच्चे बैठे हुए थे और सबने मुझे वेलकम किया और फिर मुझे महसूस हुआ कि आहना भी यह बात जानकर बहुत खुश थी कि पेपर खत्म होने तक में रोजाना उसके पास पढ़ने आया करूँगा। फिर हम दोनों ऊपर के रूम में पढ़ने चले गये और एक दो दिन में ही हम एक अच्छे दोस्त बन गये और हम पढ़ाई के साथ साथ बहुत मस्ती, चुटकुले, हंसी, मज़ाक, एक दूसरे को छेड़ना यह काम भी किया करते थे और हमे पता ही नहीं हम दोनों ने एक दूसरे को कभी चचेरे भाई बहन की तरह माना ही नहीं, बस हम एक दोस्त ही बने थे। तो पेपर से पहले आखरी सप्ताह में चाची ने मुझसे बोला कि तुम रात में देरी तक पढ़कर अपने घर पर मत जाया करो, बल्कि सुबह चले जाया करो और में पढ़ाई में बहुत होशियार था तो वो मुझसे चाहती थी कि मेरे द्वारा आहना की ज्यादा से ज्यादा मदद हो सके।
तो मेरे घर पर लाईट की दिक्कत होने के कारण में भी मान गया और अब मुझे आहना के साथ रहना भी बहुत अच्छा लगता था और जिस रूम में हम पढ़ते थे उसमे एक ही बेड था और बाहर खुली छत तो हम दरवाजा अंदर से बंद कर लेते थे ताकि बंदर ना आ जाए। तो एक रात हमे पढ़ाई करते करते 1.30 बज गये और फिर आहना ने मुझसे कहा कि तुम यह टॉपिक कर लो फिर तुम मुझे समझा देना क्योंकि अब में आधे घंटे के लिए सो रही हूँ और वो उसी बेड पर सो गई और में उसी के पास में बैठकर टॉपिक ख़त्म कर रहा था और दिन में जोरदार बारिश और कूलर के चलने के कारण उस रात रूम बहुत ठंडा हो रहा था और आहना मेरी तरफ ही करवट लेकर सो रही थी। तो करवट के कारण उसकी छाती का एक हिस्सा बहुत उभरा हुआ सुंदर दिखाई दे रहा था और फिर एक बार नज़र वहां पर पड़ने के कारण मेरा तो टॉपिक वहीं पर ख़त्म हो गया और में उसकी टी-शर्ट के गले की तरफ झुककर देखने लगा। तो आहना के बूब्स ब्रा में से साफ दिखाई दे रहे थे और उसकी चमड़ी बिल्कुल दूध की तरह गोरी और क्रीम के जैसी मुलायम थी और उसमे एक अलग ही चमक थी तो अचानक से मेरे मन में एक अलग ही तरह की हलचल होने लगी और मेरा दिमाग़ एकदम सुन्न हो गया, मानो कि जैसे कंप्यूटर हेंग हो गया हो और मुझे पता नहीं कहाँ से यह बात मेरे दिमाग़ में आई कि में भी अपनी किताब को बंद करके उसी के पास लेट गया और कमरे में सिर्फ़ ज़ीरो बल्ब चालू था। मैंने लाईट बंद कर दी। फिर सबसे पहले तो में आहना के बिल्कुल करीब अपना चेहरा ले गया और मैंने उसकी गरम गरम सांसो को महसूस किया। उसकी साँसे सीधा मेरे चेहरे पर आ रही थी। फिर मैंने जानबूझ कर उसके ऊपर अपना हाथ रखा और कुछ देर इंतजार किया लेकिन कोई भी हलचल ना होने के कारण मेरी हिम्मत और भी बढ़ी और मैंने बिल्कुल उसके चेहरे से अपना चेहरा सटा लिया और अब मेरी साँसे भी उसकी सांसो में ही घुल रही थी। फिर मैंने अचानक से ऐसा नाटक किया जैसे कि गहरी नींद में कोई करवट बदलता है और मैंने हल्के से अपने होंठो को उसके होंठो से छूकर हटा लिया और थोड़ा इंतजार किया। कोई भी हलचल नहीं होने पर में धीरे से और आगे बढ़ा और मैंने अपने होंठो को आहना के होंठो से छू दिया। दोस्तों में वो पल अपनी पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे अचानक से लाखो चीटियाँ मेरे बदन पर चल पड़ी हो और मेरे अंदर एक अजीब सा एहसास आने लगा था। फिर दो तीन मिनट तक वैसे ही रहने पर जब आहना ने कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने उसके होंठो को बहुत धीरे धीरे चूमना शुरू कर दिया। लेकिन अब में महसूस कर रहा था कि आहना की साँसे बेख़बर नींद वाली नहीं है बल्कि वो जाग रही है और सिर्फ सोते रहने का नाटक कर रही है और शायद उसे भी मेरा करीब आना अच्छा लग रहा है। दोस्तों ये कहानी आप फन मजा मस्ती पर पढ़ रहे है।
तो मैंने जो मेरा हाथ उसके ऊपर था उसको उसकी टी-शर्ट के निचले हिस्से में ले गया और हाथ को टी-शर्ट के अंदर धीरे-धीरे डालना शुरू कर दिया और उसके पेट तक हाथ जाने के बाद मुझे पूरा विश्वास हो गया कि वो सो नहीं रही है और अब मेरी हिम्मत बढ़ गई। मेरे हाथ लगातार ऊपर जाते रहे और आखिर में उसके बूब्स के पास पहुंच गये। तो उस लड़की से ज़्यादा सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी थी और आज में उसके होंठो को चूमते हुए उसके बूब्स को छू रहा था। तो मैंने हाथ को और भी आगे की तरफ बढ़ाया और उसके मिल्की बूब्स पर अपना हाथ रख दिया। मुझे ऐसा लगा कि जैसे उसे भी अचानक मेरी तरह करंट का झटका लगा हो और वो करवट से हटकर एकदम सीधी लेट गई और एक बार तो मुझे ऐसा लगा कि कहीं वो सच में सो तो नहीं रही थी। लेकिन उसके बूब्स अभी भी मेरे हाथ में थे और अब तक उसने और कोई भी विरोध नहीं किया था। तो मुझे पूरा पक्का विश्वास हो गया कि वो जाग रही है और आनंद ले रही है और अब मैंने उसके बूब्स को बिल्कुल धीरे धीरे से दबाना, सहलाना शुरू किया और फिर उसकी टी-शर्ट को उसकी ब्रा के साथ में ऊपर उठाया और फिर जो नज़ारा मेरे सामने था में अपनी आँखो पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर पा रहा था। उन्हे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे दो मिल्की बूब्स पर स्ट्राबेरी रखी हो, क्योंकि उसके बूब्स बहुत गोरे और निप्पल हल्के गुलाबी रंग के थे।
दोस्तों आहना के बूब्स बहुत बड़े नहीं थे। लेकिन वो बिल्कुल गोल और टाईट थे और उसकी निप्पल एकदम गुलाबी कलर की थी, जैसे किसी 16 साल की लड़की के हो। उसकी उम्र भी 20 साल ही थी। तो मैंने बिना इंतजार किए अपने होंठो को उसके एक बूब्स पर रख दिया और फिर उसके मुहं से हल्की हल्की सिसकियाँ निकलने लगी। फिर तो मुझे विश्वास हो गया कि उसे यह सब पता है और अब उसे भी मज़ा आ रहा है और में बिना डर के उसका बूब्स चूसने लगा। में उसके इतने प्यारे से बूब्स को देखकर एकदम पागल सा हो गया था और में दूसरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और अब मैंने अपना एक पैर भी उसके पैर पर रख दिया और अपने घुटने को उसके निचले हिस्से पर मतलब की उसकी चूत पर धीरे धीरे घिसने लगा और फिर करीब 20 मिनट तक बारी बारी से दोनों बूब्स को बुरी तरह से चूसने के बाद जब वो दोनों पूरी तरह से एकदम लाल हो गये, तब मेरा ध्यान अचानक से आहना के लोवर की तरफ गया। तो आहना अभी भी सोने का ही नाटक कर रही थी। लेकिन में अब पूरी तरह से निडर हो चुका था और मैंने अपना एक हाथ उसकी नाभि से होते हुए उसके लोवर में डालकर सीधा उसकी पेंटी पर रख दिया। तब मैंने महसूस किया कि उसकी पेंटी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। तो मैंने कुछ देर पेंटी पर हाथ सहलाने के बाद अपना हाथ धीरे से उसकी पेंटी में डाल ही दिया। दोस्तों मुझे उस वक्त एक बार ज़रूर थोड़ी सी घबराहट हुई कि में अपनी कज़िन के घर पर उसी के रूम में उसी की पेंटी में हाथ डाल रहा हूँ। लेकिन फिर मुझे जन्नत का अहसास हुआ और उसकी मखमल जैसी मुलायम छोटी सी चूत मेरी की गिरफ़्त में थी। दोस्तों आहना के उस समय अपने झांट के बाल कटे हुए नहीं थे और उसकी झांटे, पेंटी चूत के रस में एकदम गीली हो गई थी। तो उसकी चूत पर हाथ लगने के बाद मेरा ध्यान उसके बूब्स से बिल्कुल हट गया और मैंने नीचे की तरफ जाकर उसका लोवर, पेंटी के साथ ही घुटनो तक ले आया और में मन ही मन सोचने लगा कि कल तो जिस सुंदर लड़की को देखकर में आहें भरता था, में आज उसके बूब्स को चूस चुका हूँ और झांट के बालों से होते हुए चूत को अपनी उँगलियों में क़ैद कर चुका हूँ।
फिर आहना की गरम और तेज तेज चलती साँसे बता रही थी कि उसे कितना मज़ा आ रहा है। लेकिन शायद वो यह सब काम मुझसे आँख मिलाकर नहीं कर सकती थी और फिर मेरी आँखो के सामने उसकी बिल्कुल गुलाबी चूत थी जिस पर काले घुँगराले झांट के बाल उगे हुए थे। तो मैंने अपनी उंगलियों से उन बालों को थोड़ा साईड में किया और उसकी चूत के होंठो को फैलाकर देखा तो मुझे अंदर बिल्कुल लाल छोटा सा छेद दिखाई दिया। जिसमे से सफेद सफेद पानी निकल रहा था और मैंने बिना देर किए उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए और आहना के मुहं से ज़ोर की चीख निकल गई और उसने मेरे सर के बालों को ज़ोर से पकड़ लिया। मेरे होंठ उसकी गीली चूत को चूम रहे थे। फिर मैंने मुहं खोला और अपनी जीभ को बाहर निकालकर ज़ोर से उसकी चूत को चाटा। उसकी चूत का सारा रस मेरी जीभ पर आ गया और में उसे निगल गया और आहना की सिसकियाँ अब लगातार निकल रही थी। लेकिन वो धीरे धीरे से सिसकियाँ ले रही थी कि नीचे घर में किसी और को ना सुनाई दे।
फिर कुछ देर तक उसकी चूत का रस चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ से उसके छेद को खोलने की कोशिश की। लेकिन उसका छेद एकदम टाइट था क्योंकि वो अब तक वर्जिन थी इसलिए और इधर मेरा लंड मेरी अंडरवियर को फाड़कर बाहर निकलने को तैयार था। अब में बहुत मज़े से आहना की चूत चाट रहा था और दोनों हाथ से एक एक बूब्स को दबा रहा था। तो कुछ देर के बाद आहना का एक बार और झड़ना हुआ और बहुत तेज़ी से उसकी चूत का पानी मेरे मुहं में आ गया और मैंने वो सारा पानी पी लिया और अब मैंने अपने दूसरे हाथ से अपनी आधी पेंट को अंडरवियर के साथ ही उतार दिया और ज़मीन पर आकर खड़ा हो गया। बड़े बड़े झांटो के बीच में मेरा 8 इंच का काला, मोटा लंड जिसका टोपा लाल है, में उसे आहना के मुहं की तरफ ले आया और उसके माथे पर मैंने अपना लंड रख दिया। तो सोए रहने के नाटक के कारण आहना ने अपनी आँखे नहीं खोली। लेकिन उसने लंड की खुश्बू लेने के लिए एक गहरी सांस ज़रूर ली और फिर मैंने आहना को अपनी तरफ करवट पर कर लिया। फिर मैंने अपने काले, मोटे, लंबे लंड को आहना के बूब्स, चेहरे और गले पर घुमाया और उसका एक हाथ उठाकर उसमे अपने लंड को पकड़ा दिया। तो उसने अपने हाथ से लंड को पकड़ लिया। लेकिन शायद वो हाथ से टटोल कर मेरे लंड और आंडो का साइज़ महसूस कर रही थी। तो मैंने भी सभी मौका देखकर देर ना करते हुए अपने लंड का सुपाड़ा उसके होंठो पर रख दिया। आहना ने मुहं बंद कर लिया। लेकिन मैंने ज़ोर से लंड को दबाकर उसका मुहं खोला और उसमे अपना काला, मोटा, लंड डाल दिया। लेकिन शायद आहना ने पहली बार ही कोई लंड इतने करीब से महससू किया होगा और वो भी यह बात सोच रही होगी कि कल तक एक शरीफ सा दिखने वाला लड़का जो उसके साथ पढ़ता था, वो आज उसका 8 इंच का लंबा काला लंड उसके मुहं में है और फिर कुछ देर छटपटाने के बाद आहना को लंड का स्वाद आया। लंड के मोटा होने के कारण आहना का पूरा का पूरा मुहं खुला हुआ था और उसने अंदर ही अंदर लंड के टोपे पर जीभ घुमानी शुरू कर दी और फिर कुछ ही देर बाद चूसना भी शुरू कर दिया। तो में भी अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। लेकिन जब में बीच बीच में झटका मारकर पूरा लंड अंदर डालता तो वो उसके गले में ज्यादा अंदर तक चला जाता, जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती। लेकिन आहना बेचारी सिर्फ़ अपनी गांड को उछालकर ही रह जाती।
फिर दस ही मिनट में आहना ने मेरे लंड को चूस चूसकर एकदम लाल कर दिया और अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। लेकिन में चाहता था कि कम से कम इतनी सुंदर लड़की को अपने लंड का पानी तो पिलाया जाए ताकि वो अपनी सारी उम्र खुश रहे और फिर मैंने अपना लंड उसके मुहं से बाहर नहीं निकाला और जैसे ही लंड से वीर्य निकलना शुरू हुआ आहना ने लंड को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने उसे जबरदस्ती कुछ देर और अंदर ही रखा और शायद मैंने बहुत टाईम से मुठ नहीं मारी थी या पिछले एक घंटे से मेरा लंड तनकर खड़ा हुआ था इसलिए मेरे लंड से बहुत सारा वीर्य निकला जो सीधे आहना के गले में गया और उसका पूरा मुहं भी भर गया। मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन आहना को एकदम से उबकाई आकर उल्टी आने को हो गई और उसे अपनी नींद का नाटक बंद करना पड़ा और वो उठकर सीधी बाथरूम की तरफ भागकर चली गई और दस मिनट तक लगातार उसको खाँसी आती रही और वो बाथरूम से निकलकर जब आई तब तक मैंने अपने ऊपर एक चादर को डाल लिया था। फिर उसने अपने कपड़े लेकर पहने और मुझसे बिना एक शब्द कहे चुपचाप नीचे चली गई। दोस्तों वैसे यह सब काम उसकी जानकारी में हुआ था फिर भी उसने ऐसा जताया कि जैसे मैंने ज़बरदस्ती उसका रेप किया हो और फिर मुझे भी बहुत शरम महसूस हो रही थी, लेकिन अब सब कुछ सामान्य है और आहना तो अब मुझसे जमकर चुदवाती है ।।












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