Sunday, December 13, 2015

FUN-MAZA-MASTI बुआ की रसीली जवानी का रस

FUN-MAZA-MASTI

बुआ की रसीली जवानी का रस


मैं एक बड़े परिवार में रहता हूँ। मेरे घर में 4 लोग हैं, मेरे पापा (46), मेरी मम्मी (42), मैं (20), मेरी छोटी बहन (17) और एक छोटा भाई (10) हैं।
मेरा परिवार बहुत बड़ा है, मेरे दादाजी के दो छोटे भाई और हैं, मेरे तीनों दादाजी का परिवार पास-पास ही रहता है।
मेरे बीच वाले दादाजी से मेरे दोनों दादाजी की नहीं बनती है। मेरे सबसे छोटे वाले दादाजी के तीन बेटे मतलब मेरे चाचा और चार बेटियाँ.. यानि मेरी बुआ हैं.. जिनमें से एक चाचा और एक बुआ क्रमशः एक साल और 4 साल छोटे हैं।
यह कहानी मेरी ओर मेरी बुआ के बारे में है।
हमारे गांव में मेरे पिताजी के दादाजी की बनाई हुई एक बहुत बड़ी हवेली है.. जिसमें मेरे पापा अपने बचपन से ही रहते हैं, मेरा पूरा परिवार शुरू से ही वहीं पर रहता है।
मेरे दादाजी मेरे दोनों चाचा जी के साथ हमारे खेत पर ही रहते हैं। वहीं पर दोनों दादा जी और उनका परिवार भी रहता है।
मेरी बुआ.. जिसका नाम पार्वती है.. उसने अभी-अभी स्कूल की पढ़ाई पूरी की है, वह 18 साल की है, उसका शरीर बहुत ही कामुक है। मैं उसके जिस्म के साईज के बारे में सही-सही तो नहीं बता सकता मगर उसका जिस्म ऐसा है कि अगर कोई भी उसे देख ले.. तो उसे चोदने के लिए तड़प उठे।
उसका रंग गोरा नहीं है.. मगर फ़िर भी उसके ऊपर दिल मचल जाता है।
मैं और मेरी बुआ पार्वती एक-दूसरे के साथ दोस्ताना किस्म का व्यवहार करते हैं।
यह 2013 की बात है.. जब मेरी बुआ की लड़कियों की शादी थी.. हम सभी लोग वहाँ गए हुए थे। वहाँ पर सभी लोग शादी में व्यस्त थे और मेरे पास बैठकर कोई बात करने वाला नहीं था.. तो मैंने पार्वती को साथ लिया और पास ही पहाड़ों पर जाकर एक बड़े से पेड़ के नीचे पत्थरों पर बैठ कर बातें करने लगा।
पहाड़ के ठीक नीचे से ही मुख्य सड़क गुजरती है और पास ही एक हैण्डपम्प है.. जिस पर सारे दिन गांव की औरतें और लड़कियाँ पानी भरती हैं।
हम दोनों ऐसी जगह पर बैठे थे.. जहाँ से हम पूरे गांव को देख सकते थे.. पर हमें वहाँ पर कोई नहीं देख सकता था। मैं हमेशा से ही उसे चोदना चाहता था और इस समय मेरे पास मौका भी था। मैं उसे कहीं पर भी हाथ लगा देता था.. लेकिन मेरे इस तरह हाथ लगाने का उसने कभी विरोध नहीं किया।
लेकिन मैंने भी कभी उसे ऐसी जगह से नहीं छुआ.. जहाँ पर उसे आपत्ति हो.. यानि मैंने कभी उसके उभारों या उसकी जांघों पर हाथ नहीं लगाया था। ज्यादातर यह होता था कि मैं उसके गले में हाथ डालकर उसको अपनी ओर दबाते हुए चलता था।
हम वहाँ भी ऐसे ही बैठे थे। मैंने उसके गले में अपना हाथ डाल रखा था। मैं वहाँ पर बैठे-बैठे इधर-उधर की बातें कर रहा था कि अचानक सामने की सड़क पर एक सेक्सी लड़की पानी लेने के लिए जा रही थी।
मेरे मुँह से अचानक निकला- वाह.. क्या माल जा रहा है.. एक बार नीचे आ जाए तो मजा आ जाए।
मैं उस लड़की को देखकर पार्वती को भूल गया।
उसने ने तपाक से कहा- उसके आने से तुझे मजा कैसे आएगा और वो लड़की तुझे माल कहाँ से दिखी? अगर वो माल है.. तो क्या मैं माल नहीं हूँ? और मैं तो तेरे पास ही बैठी हूँ.. ला बता तुझे मजा कैसे आएगा?
वो मेरे कहने का मतलब नहीं समझी थी.. यह मैं जान गया था.. पर उसी समय मेरा दिमाग चल पड़ा।

मैं- क्या तू देगी मुझे मजा? सोच ले बाद में मना तो नहीं कर देगी? कहीं अभी जोश-जोश में बोल दे और बाद में मना कर दे?
पार्वती- अरे बाबा, इसमें मना करने की कौन सी बात है? मैं मना नहीं करूँगी.. चल बता क्या करना है?
मैं- एक बार और सोच ले..
पार्वती- सोच लिया..
मैं- बाद में भागने की कोशिश तो नहीं करेगी? अगर करेंगी तो भी भागने नहीं दूँगा।
पार्वती- नहीं भागूंगी।
मैं- ठीक है.. एक नमूना तो देख ही लेते हैं।
पार्वती- ठीक है।
असल में मैं उसे किस करना चाहता था, जिसको वो समझ नहीं रही थी। मेरा हाथ उसके गले में तो था ही.. मैंने अपना हाथ वहाँ से निकाल कर उसके बालों में पीछे से इस तरह घुसाया कि उसका पूरा सिर मेरे गिरफ्त में ही रहे।
वो पहले से मेरी ओर देख रही थी.. तो मुझे सिर्फ उसको अपनी तरफ खींचना ही था। कुछ मैं आगे हुआ और कुछ उसके सिर पर दबाव डालकर उसे अपनी ओर खींचा। मैं इस मौके को किसी भी हालत में गंवाना नहीं चाहता था.. इसलिए मैंने तुरन्त ही उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया।
मैंने जैसे दोनों के होंठ मिलाए.. वो इसका विरोध जताकर मुझसे अपने होंठों को छुड़ाने की मशक्कत करने लगी।
पर मैं भी राजस्थानी गबरू जवान था.. वो जैसे मुझसे अपने होंठों को छुड़ाने की कोशिश करती.. वैसे ही मैं उनका रस पीने के लिए उसको खींचने का अन्दाज तेज कर देता। लगभग 5-6 मिनट वो कोशिश करती रही.. पर मैंने उसे ढीला नहीं छोड़ा।
इसके बाद उसने कोशिश करनी छोड़ दी.. पर वो अब भी मेरा साथ नहीं दे रही थी। करीब 2-3 मिनट बाद उसके हाथ मेरे कन्धों से होते हुए मेरी पीठ पर जाकर आपस में जुड़ गए और उसकी आँखें बन्द हो गईं।
अब उसने कुछ-कुछ साथ देना शुरु किया.. पर अब भी वो ठीक से मेरा साथ नहीं दे पा रही थी.. शायद यह इस कारण था.. क्योंकि ये उसका पहली बार था।
मुझे लम्बी चूमा-चाटी करना ज्यादा पसन्द है.. इसलिए मैं काफी देर तक लगा रहा।
अब मैंने अपने बाएँ हाथ को उसके गाल पर रखा और उसे सहलाते हुए उसकी गर्दन से होते हुए.. उसके कन्धे पर लाया।
उसने बन्द गले और लम्बी आस्तीन का सूट पहना था.. इसलिए मुझे कन्धे से होते हुए अपने हाथ को उसके हाथ पर सहलाना बेकार सा लगा.. तो फिर मैं अपने हाथ को उसके सूट के ऊपर से ही उसके बायें चूचे पर लाया।
कुछ समय मैंने अपने हाथ को उसके चूचे पर रखा.. लेकिन उसने इसका अहसास नहीं किया.. शायद वो होश में नहीं थी।
पर मैंने इसे उसकी स्वीकृति समझी और जैसे ही मैं उसके स्तनों को दबाने और सहलाने की कोशिश करता.. उसने तुरन्त इसका विरोध जताना चालू कर दिया। उसने पहले अपने हाथ से मेरा हाथ झटका और फिर से अपने होंठों को छुड़ाने में मेहनत करने लगी।
मैं जानता था कि मैं अब भी उसे अपने बस में कर सकता था.. पर मुझे उसी समय एक कहावत याद आ गई।
‘अति सर्वत्र वर्जयेत..’
इसलिए मैंने अब उसे छोड़ने मैं अपनी भलाई समझी और मुझे सिर्फ उसे किस ही थोड़े करना था, मैं तो उसे चोदना भी चाहता था.. इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया.. पर उसने बहुत देर तक आँखें नहीं खोलीं।
फिर जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो उसके चहरे पर कुछ मुस्कान और कुछ शर्म थी, मैं लगातार उसे देखे जा रहा था।
अब उसने धीरे से अपनी नजरें ऊपर उठाईं और मेरी आँखों में देखा और जिस पल हमारी नजरें मिलीं.. उसने तुरन्त ही अपनी नजरें वापस झुका लीं.. और खड़ी होकर जाने लगी तो मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ लिया।
उसने एक बार अपना हाथ घुमाया और मैंने झट से उसका हाथ छोड़ दिया और वो बिना मुड़े भाग गई।
मुझे इस बात का कोई डर नहीं था कि वो किसी को इस बात का ज़िक्र करेगी.. क्योंकि अब जब भी वो मेरे सामने आती थी.. तो उसके चहरे पर एक अजीब सी मुस्कान रहती थी।
दोस्तो.. मुझे अपनी बुआ की रंगीन जवानी पर पहले से ही दिल आया हुआ था और अब तो मेरे लौड़े में आग सी लग गई थी.. बस मैं उसको पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार करने की जुगत में था।
मैंने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं पार्वती बुआ को जरूर चोदूँगा। अब मैं उसे चोदने की तरकीब सोचने लगा।
शादी के दौरान वो मुझे देखते ही भाग जाती थी।
हम शादी खत्म होने पर अपने घर आ गए और मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया।
एक दिन जब मैं कोचिंग से घर आया तो देखा कि घर पर पार्वती बुआ आई हुई थी, वो मेरी छोटी बहन से बात कर रही थी।
मैं सीधे उसी कमरे में चला गया और झट से बोला- क्या हुआ बुआ.. नाराज हो क्या? शादी के बाद से मुझसे बात ही नहीं करती हो?
बुआ- नहीं तो.. तू खुद ही कहाँ मिलता हैं। सारे दिन जयपुर में घूमता रहता है.. कभी खेत पर तो आता ही नहीं है।
मैं- चलो.. ठीक है.. कल खेत पर भी आयेंगे।
और यह कहकर मैं वहाँ से निकल आया। आकर कपड़े बदले और खाना खाकर अपने कमरे में आकर सो गया.. क्योंकि राजस्थान में गर्मी के दिनों में दोपहर में बाहर घूमने की सोच भी नहीं सकते।
मैं लगभग 4:30 बजे उठा। उस समय भी बुआ मेरी बहन से बात ही कर रही थी। मैं जब बाथरूम में होकर आया.. तो बुआ जा चुकी थी।
अगले दिन मेरी मम्मी मेरे छोटे भाई बहन को लेकर मेरे मामाजी के घर चली गई और पापाजी किसी काम के सिलसिले में जयपुर चले गए। घर पर सिर्फ मैं अकेला ही बचा था।
लगभग 11:30 बजे के लगभग बुआ घर पर आई.. तब मैं बैठा हुआ अपने लैपटॉप पर अपनी फोटो देख रहा था। मेरा कमरा घर के बाहरी तरफ है.. पर मेरे कमरे का दरवाजा हमेशा बन्द ही रहता है.. इसलिए मुझे किसी का पता नहीं लग पाता है।
थोड़ी देर पूरे घर को देखने के बाद बुआ मेरे कमरे में आई.. तो आते ही बोली- सब लोग कहाँ चले गए..? पूरे घर को छान मारा पर कोई नहीं मिला।
मैं- थोड़ा श्वास तो ले ले.. क्या शताब्दी एक्सप्रेस की तरह चालू हो गई। घर में कोई कैसे नहीं हैं.. मैं तो हूँ और पापा ऑफिस गए और बाकी सब मामाजी के घर गए हैं।
बुआ- तो मैं यहाँ किस लिए आई हूँ.. तेरी बहन ने कहा था कि कल भी आ जाना.. दोनों बैठ कर बातें करेंगें और खुद महारानी घूमने चली गई।
मैं- कोई बात नहीं.. आज हम दोनों बातें कर लेंगे..
वो धीरे से आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गई.. पर वो अब भी कुछ बोली नहीं। मैंने तुरन्त उसकी गर्दन पकड़ी और अपनी तरफ की.. तो उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
मैंने उसको कुछ किया नहीं.. बस उसकी आँखें खुलने का इन्तजार करने लगा। जब मैंने कुछ नहीं किया.. तो उसने भी कुछ देर बाद जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं.. मैं बोला- क्या बात है.. लगता है हमारे होंठों का शौक लग गया है? कोई बात नहीं.. अभी ख्वाहिश पूरी किए देते हैं.. पर ध्यान रखना.. अगर आज चालू हो गए.. तो रोके नहीं रुकेंगे, फिर चाहे जबरदस्ती ही क्यों ना करनी पड़े।
मैंने इतना कहने के बाद अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और चालू हो गया। लगभग 10-12 मिनट किस करने के बाद जब उसने मेरा पूरी तरह से साथ देना चालू कर दिया तो फिर मैंने अपने हाथों को पहले की तरह घुमाकर उसके स्तनों पर लाया.. तो इस बार उसके विरोध का इन्तजार किए बिना ही उसके स्तनों को सहलाने लगा।
जब मुझे लगा कि ये अब मजे लूट रही है.. तो मैं उसके उभारों को जबरदस्त तरीके से दबाने और सहलाने लगा।
अब वो भी मुझे अपनी तरफ खींचे जा रही थी। मैं समझ गया था कि आज मेरा काम हो जाएगा।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके उभारों को अच्छे से मसला.. कई बार तो इतनी जोर से.. कि वो चिल्ला उठती थी.. पर मेरे होंठों के जॉइंट की वजह से आवाज बाहर नहीं निकलती थी।
कुछ सोचकर मैंने उसे छोड़ा.. तो वो मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगी। मैं तुरन्त गया.. और दरवाजे को सिटकनी लगा कर वापस आया.. तो देखा कि उसकी आँखों में अजीब सी प्यास थी। मैंने इस मौके को देखते हुए.. उसको खड़ा किया और उसकी कुर्ती को पकड़ कर ऊपर करके खोल दिया।
अब उसे शर्म आई.. तो उसने अपने दोनों हाथों से अपना चहरा ढक लिया। मैंने तुरन्त अन्डरवियर को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके पजामे को खोल दिया.. तो पाजामा नीचे गिर गया।
बुआ ने पजामे को रोकने के लिए जैसे ही अपने हाथ हटाए.. तो मुझे देखकर चेहरा वापस ढक लिया।
अब मैंने ही उसके हाथ हटाये.. और उसके होंठों पर एक किस करके.. धीरे-धीरे नीचे उतरते हुए उसके गले.. फिर उसके हाथ.. उसके बाद मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने होंठों को फिरा दिया।
बुआ गनगना उठी..
अब मैंने उसकी समीज़ उतारी.. तो वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।
मैंने उसको अपनी बाँहों में उठाया और अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसे बेतहाशा चूमने और चाटने लगा।
अब मैंने उसके बचे हुए कपड़े भी उतार फेंके। मैंने जब उसकी चूत को देखा.. तो उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे और उसकी चूत के होंठ सिर्फ 3 इन्च लम्बे ही थे। मैंने उसकी चूत पर अपना एक हाथ रखा.. तो उसने मेरे हाथ को हटाकर अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया।
अब मैं उसके एक चूचे को अपने मुँह में लेकर किसी दूध पीते बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को जोर-जोर से दबाने लगा।
उसके मुँह से अब सेक्सी आवाजें आने लगीं, वो ‘अहह.. सीईई..’ करने लगी।
मैंने देखा कि वो ऐसे आवाजें निकालते हुए अपनी चूत भी मसल रही थी।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि वो अपनी चूत में उंगली करने लगी थी। मैंने उसके हाथ को उसकी चूत से हटाया और अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डालने लगा। मेरी उंगली लगभग एक सेन्टीमीटर जाकर रुक गई। मैं समझ गया कि आज यह बहुत रोने वाली है.. और मैं आज एक कच्ची कली की सील तोड़ने वाला हूँ।
मैंने ठान लिया था कि आज मैं इसको एक औरत बनाकर ही रहूँगा.. अगर मैंने इसे आज छोड़ दिया.. तो ये कभी बाद में हाथ तक नहीं लगाने देगी।
अब मेरा लण्ड मेरी अंडरवियर को तम्बू बना रहा था और इतना दर्द कर रहा था कि मुझसे सहा नहीं जा रहा था।
मैंने जैसे ही अंडरवियर उतारने की सोची वैसे मुझे मेरा लण्ड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा कि बुआ आँखें बन्द किए हुए ही मेरे लण्ड को मसल रही थी।
मैं धीरे-धीरे नीचे को होकर उसकी चूत पर पहुँचा.. तो उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। मैंने कभी पहले चूत नहीं चाटी थी.. इसलिए मैंने इस बार भी चूत ना चाटने का फैसला किया और उसकी चूत पर हाथ फ़िराकर उसे और गर्म करने लगा।
अब मुझसे और इन्तजार नहीं हो रहा था तो मैंने अपने अण्डरवियर को उतार कर उसकी चूत पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
कुछ देर के बाद बुआ मेरे लण्ड पर अपनी चूत का दबाव बनाने लगी। मैं समझ गया कि अब लोहा पूरी तरह से गर्म है.. बस अब हथौड़ा मार देना चाहिए।
मुझे चुदाई करते समय दो बातें बहुत ज्यादा पसन्द हैं.. पहली.. चोदते समय लड़की की चीखें.. और दूसरी.. किसी लड़की की सील तोड़ना..
आज मुझे ये दोनों चीजें एक साथ मिलने वाली थीं।
मैं बुआ को और तड़पाना चाहता था जिससे कि वो मुझसे चोदने के लिए मिन्नते करे। मैं अपने लण्ड को उसके मुँह तक लेकर गया और अपनी लण्ड की टोपी को उसके होंठों पर फिराने लगा। कुछ देर के बाद बुआ खुद ही मुँह खोल कर लण्ड चूसने लगी।
अब मैं अपने आपको जन्नत में महसूस कर रहा था.. कुछ देर के बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
लगभग 2 मिनट तक लगातार लण्ड को रगड़ने से वो तड़पने लगी और मुझे चोदने के लिए कहने लगी। वो जितनी ज्यादा तड़प रही थी.. मु्झे उतना ही मजा आ रहा था।
दोस्तो.. मुझे अपनी बुआ की रंगीन जवानी पर पहले से ही दिल आया हुआ था और अब तो मेरे लौड़े में आग सी लग गई थी.. बस मैं उसकी सील पैक चूत को पूरी तरह से चोदने के लिए तैयार करने की जुगत में था।
मेरे घर पर कोई नहीं था.. इसलिए मुझे उसके चीखने-चिल्लाने की कोई परवाह नहीं थी, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ते हुए अचानक से जोर का झटका मार दिया.. जिससे मेरा डेढ़ इन्च लण्ड उसकी चूत में चला गया।
मेरे इस झटके के प्रहार से वो जोर से चिल्लाई- मम्मीईईईइ.. मार दिया रेएएए…
मुझे ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत में मेरे लण्ड का कचूमर ही निकल जाएगा.. पर मैं इस मौके को किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने उसकी एक ना सुनते हुए अपने लण्ड को बाहर खींचा.. और दुबारा एक और जोरदार झटका लगा दिया।
इस बार अपने 4 इन्च के लण्ड को एक कील घुसने जितने से छेद में घुसा दिया।
उसकी चूत से खून निकलने लगा.. पर मैंने उसे इसे देखने नहीं दिया और इस बार तो वो और जोर से चीखी थी.. पर अफसोस.. कि उसकी इस चीख को मेरे अलावा सुनने वाला कोई नहीं था।

अब मैंने उसे अपने 4 इन्च लण्ड से ही चोदना सही समझा.. पर वो मेरे हर एक वार के साथ बहुत जोर-जोर से चीख रही थी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही थी। पर अब उसका बस नहीं चल रहा था और ना ही आगे उसकी किसी भी कोशिश का परिणाम आने की आशा थी। मैं उसे ‘दनादन’ चोदे जा रहा था और साथ ही एक हाथ से उसके चूचे का कचूमर निकाल रहा था।
लगभग 2-3 मिनट के बाद वो भी अपनी गान्ड उठा कर चुदवाने लगी, बस मुझे इसी मौके का इन्तजार था, मैंने एक और जोरदार धक्का देकर अपना बाकी का लण्ड भी उसकी चूत में उतार दिया। इस बार भी वो जोरदार चीखी.. पर इस बार उसने कोई विरोध नहीं जताया और गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाए जा रही थी।
करीब 7-8 मिनट और चोदने के बाद मुझे लगा कि अब मैं दो-चार धक्कों में ही झड़ जाऊँगा.. पर मैं अभी उसे छोड़ना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने एक तरकीब सोची।
मैंने बुआ की चूत से अपना लण्ड निकाला और बुआ से बोला- अरे बुआ.. मैं तुम्हारी चुदाई करने के चक्कर में अपना एक बहुत जरूरी काम तो भूल ही गया.. माफ़ करना बुआ हम बाकी कि चुदाई बाद में करेंगे.. अभी मुझे जाना होगा।
मुझे पता था कि बुआ अब मुझे किसी भी हालत में अधूरी चुदाई छोड़ कर जाने नहीं देगी और मैं भी कहाँ उसे बीच में छोड़ कर जाना चाहता था।
ऐसा कहते हुए मैंने अपनी अंडरवियर पहन ली थी।
बुआ को बहुत जोरदार गुस्सा आया वो बोली- पहले तो जोर लगा-लगा कर मेरी चूत फ़ाड़ दी.. और अब शहंशाह को काम याद आया है.. अब तो मेरी चुदाई पूरी किए बिना कहीं नहीं जाने दूँगी।
तभी बुआ को बिस्तर पर खून दिखाई दिया और उसे देखते ही वो बोली- अगर अभी तू मुझे बीच में छोड़ कर गया.. तो मैं बाहर जाकर चिल्लाऊँगी.. (मेरी ठोड़ी पकड़ते हुए) और सीए साहब आपकी जो पूरे गांव में इज्जत हैं ना.. वो एक मिनट में खराब हो जाएगी।
मैं भी कहाँ उसे छोड़कर जाना चाहता था.. मैं तो उसे और कुछ देर चोद सकूँ इसलिए ये सब कह रहा था। मैंने फिर हँसते हुए अंडरवियर उतार कर उसे ‘दनादन’ चोदना चालू किया.. तो लगातार उसे अलग अलग तरीकों से चोदता रहा। इस दौरान वो दो बार झड़ी और मुझे रुकने के लिए कहती रही।
फिर मैंने झड़ते हुए अपना वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया.. वो उसे निगलना नहीं चाहती थी.. पर मैंने उसकी नाक बन्द कर दी.. जिससे उसे मेरे वीर्य को निगलना ही पड़ा।
उसके बाद मैंने उसे दोपहर के ढाई बजे तक दो बार और चोदा। मैं उसकी गाण्ड भी मारना चाहता था.. पर मुझे उसकी चूत की उधड़ी हुई हालत देखकर तरस आ गया.. उसकी चूत सूज़ कर पकौड़ा हो गई थी।
मैंने रसोई में एक चारपाई लगाई और उसे नंगी ही उठाकर रसोई में ले गया और उस चारपाई पर लिटा दिया। उसकी शक भरी निगाहें देख कर मैंने भांप लिया कि उसे अभी ये खौफ है कि मैं उसे यहाँ और चोदूँगा।
फिर मैंने बुआ के होंठों पर एक किस किया और बोला- महारानी साहिबा.. मेरी इज्जत तो गाँव में जो थी.. वो ही है.. पर मैंने आपकी इज्जत पूरी तरह से लूट ली है.. आप अब गाँव और घर में किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं हो.. यहाँ हम आपको सम्भोग या सहवास करने के लिए नहीं बल्कि दूध पिलाने लाए हैं।
बुआ थोड़ा मुस्कुराई और बोली- मेरे शहंशाह.. मेरी इज्जत आपने लूट जरूर ली है.. पर ये बात सिर्फ़ आपको और मुझे पता है.. और मुझे नहीं लगता कि ये बात किसी और को पता लगेगी और अधिकांश लड़कियों को दूध अच्छा नहीं लगता है। मेरे शहंशाह अगर आप चाय पिलाएंगे.. तो हमें बहुत खुशी होगी।
उसके चेहरे पर खुशी से भरी एक मुस्कान थी।
मैंने उसे चाय पिलाई और उसे एक दर्द निवारक गोली दी। लगभग एक घन्टे बाद जब उसे थोड़ी राहत मिली तो मैं उसे अपने एक दोस्त की बाइक से घर पर छोड़कर आया।











राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator