Monday, December 14, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--31

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--31


सन्नी अपने घर लौट गया किंतु कामया की जिंदगी मे एक तूफान छोड़ गया ! उसे सुबह शाम सन्नी सन्नी ही नज़र आता ! सन्नी के प्यार मे उसके जाने के बाद करीब एक हफ्ते तक कामया मदनलाल के दूध मे नींद की गोली मिलाती रही फिर कहीं जाकर उसने मदनलाल को होश मे आने दिया ! वो रोज रात को सन्नी से घंटो बात करती और सन्नी भी उसे रोज टेलिफोनिक सेक्स के द्वारा फिंगरइंग करवाता ! करीब एक हफ्ते बाद मदनलाल जब दवा के असर से दूर हुआ तो एक दिन उसने कामया की बजाई ! हालाकी मदनलाल ने भी कामया को ऑर्गॅज़म तक पहुँचा दिया था किंतु वो अपनी उम्र के हाथों मजबूर था सो एक बार करके ही चला गया ! कामया को अब चार चार बार की आदत लग गई थी ! उसे रात काटनी मुश्किल हो जाती ! इन सब के बीच प्रकृति के नियम भी अपना काम कर रहे थे ! नियत समय पर जब कामया को महीना नही आया तो चौंक गई ! उसने दो दिन और इंतज़ार किया किंतु उसे महीना शुरू नही हुआ ! कामया को लगा क़ि शायद वो गर्भवती हो गई है क्योंकि जबसे उसका सन्नी के साथ संबंध बने थे तभी से उसे खूब अच्छे अच्छे सपने आ रहे थे और वो बहुत प्रफुल्लित रहती थी ! कामया ने सोचा अगर उसे गर्भ ठहर गया है तो पक्का ये सन्नी का ही होगा ! सुनील तो उसे चार साल से माँ नही बना पा रहा था ! उधर मदनलाल भी पिछले छह माह से मेहनत कर रहे थे पर नतीज़ा सिफ़र ही था ! दोनो बाप बेटे के बस मे उसकी गोद भराई नही थी ! कामया बायो की स्टूडेंट थी उसे पता था कि स्त्री कब कांसीव करती है उसे ये भी पता था क़ि पिछले एक माह मे उसकी कोख मे केवल सन्नी का ही बीज़ गया है ! बाबूजी ने तो दो बार मौके पर मिस फाइयर कर दिया था और अपना माल बाहर ही बर्बाद कर दिया था वैसे भी मदनलाल इतने महीनो से कुछ नही उखाड़ पा रहा था ! कामया सोच रही थी अगर वो वास्तव मे गर्भ से है तो उसे कुछ निर्णायक कदम उठाने ही पड़ेंगे क्योंकि सुनील पिछले छह महीने से घर नही आया था ऐसे मे गर्भ टहरने का मतलब सॉफ था क़ि ये किसी और का बीज़ है ! ऐसे मे उसके उपर भारी मुसीबत आ सकती थी उसे कुछ सूझ नही रहा था थक हार कर उसने सन्नी को कॉल किया ! अब वही उसका तारनहार था सीधा सा फंडा था जिसका बच्चा है वो ही जाने !
सन्नी - - - हाँ दीदी बोलो बहुत देर से मुझे तेरी ही याद आ रही थी !
कामया - - - भैया मैं बड़ी मुसीबत मे फस गई हूँ ?
सन्नी - - - क्या हो गया दीदी बोलो ना ? मैं आऊँ क्या ?
कामया - - - भैया मुझे लगता है क़ि मुझे गर्भ ठहर गया है
सन्नी - - - तो इसमे क्या प्राब्लम है ? तुम शादी शुदा हो ये तो होना ही था !
कामया - - - तू तो पूरा पागल है !! पगले ये तेरे से हुआ है !
सन्नी - - - वाउ !!! तो मैं बाप बनने वाला हूँ ! ये तो बड़ी अच्छी खबर है दीदी ! आप मेरे बच्चे की माँ बनोगी ये तो मेरा वर्षों का सपना था !!!!
कामया - - - भैया तुम समझ नही रहे हो ! तेरे जीजा जी छह माह से घर नही आए हैं समझा !!! दुनिया वालों को क्या जवाब दूँगी ? सन्नी को अब असल समस्या समझ आ गई ! उसका दिमाग़ तुरंत चाचा चौधरी के सामान चलने लगा !सन्नी बेशक सुंदरियों का दीवाना था किंतु उसका दिमाग़ भी बड़ा तेज़ चलता था ! उसने तुरंत प्लान बनाया और कामया को समझाने लगा !
कामया - - - भैया तुमने तो मेरी सारी उलझन ही दूर कर दी मैं तो कितनी टेंसन मे थी !
सन्नी - - - दीदी टेंसन बिल्कुल नहीं लेने का !! और ये याद रखना कि अंकल उसे अपना ही बच्चा मानेगे इस लिए तुमको उनका पूरा सपोर्ट मिलेगा ! बस मेरे कहे अनुसार करते जाओ !
कामया - - - ठीक है भैया मैं आज ही सब कर देती हूँ
सन्नी - - - और मेरा इनाम !!
कामया - - - भैया तुम जब आओगे तो जो बोलेगे वो मिलेगा चिंता क्यों करते हो ?
सन्नी - - - प्रोमिस करो क़ि जो कहूँगा वो दोगी !! सन्नी की आँखों के सामने कामया की गोल मटोल गांद घूमने लगी !
कामया - - - बोली किसकी कसम खाऊँ ?
सन्नी - - - मेरे होने वाले बच्चे की ?
कामया - - - वॉट !!!!! भैया आप भी ना ! बस आप जब आओगे तो सब उसी समय तय कर लेंगे !
सन्नी - - - नहीं रानी कसम तो तुम्हे अभी खानी पड़ेगी !
कामया - - - ओ के आइ प्रोमिस
कामया ने कुछ देर सोचा और अपने आगे का प्लान ऑफ एक्सन तय कर लिया किंतु पहले उसे ये पक्का करना था क़ि वो पेट से हो गई है ! शाम को जब वो चाय बनाने किचन मे गई तो उसने चुपके से मदनलाल को किचन मे आने का इशारा कर दिया ! बहू का इशारा पाते ही मदनलाल की बाँछें खिल गई उसे लगा बहू शायद रात का प्रोग्राम बना रही है ! ये उसके लिए बड़ी खुशख़बरी थी की अब बहू अपने तरफ से उसे बुलाने लगी है ! लेकिन मदनलाल को ये नही पता था की उसे इससे भी बड़ी खुशी मिलने वाली है ! वो धीरे से उठा और किचन मे चला गया ! आते ही उसने कामया की बड़ी बड़ी गांद मे हाथ फेरते हुए बोला
मदनलाल - - - हाँ बोलो बहू क्या बात है !
कामया - - - आप उपर छत मे चले जाइए मैं आपकी चाय वहीं ला रही हूँ !
मदनलाल - - - क्यों क्या बात है अचानक क्या हो गया ?? मदनलाल ने चौंकाते हुए पूछा
कामया - - - बस अब आप एक भी शब्द मत बोलिए और चुपचाप टावर मे पहुँचिए बाकी बात वहीं होगी !
मदनलाल चुपचाप टावर मे चला गया ! बहू के व्यवहार से उसे बड़ा अचरज हो रहा था ! ऐसा नहीं था क़ि वो आज पहली बार टावर मे मिलने जा रहे थे पहले भी बहुत बार ये टावर उनकी प्रणयलीला का साक्षी रह चुका था किंतु हर बार उसने ही बहू को यहाँ आने को विवश किया था ! कामया ने खुद कभी अपनी तरफ से यहाँ आने की पहल नही की थी ! तो क्या बहू अब इतनी गरमा रही है क़ि उसे खुद हमारी ज़रूरत पढ़ रही है मदनलाल सोचने लगा ! लेकिन ऐसा संभव नही है शाम को सात बजे वो यहाँ रोमांस के लिए भी नहीं बुला सकती थी क्योंकि अब तो वो बेडरूम मे ही सब करते थे ! फिर ? फिर क्या कारण हो सकता है ??? मदनलाल का दिमाग़ काम नहीं कर पा रहा था तो उसने सोचना बंद कर दिया और अपनी प्यारी सेक्सी बहू का इंतज़ार करने लगा !
कामया जब चाय लेकर हाल मे पहुँची तो मदनलाल को ना देख बोली
कामया - - - मम्मी बाबूजी कहाँ चले गये चाय पीने के समय ?
शांति - - - शायद उपर गये हैं एक काम कर तू उन्हे उपर ही दे आ !
मांजी की बात सुन कामया ने अपना दोनो कप उठाया और ऊपर चल दी !
उपर टावर मे मदनलाल बड़ी उत्सुकता से कामया का इंतज़ार कर रहा था वो जानना चाहता था की आख़िर हुआ क्या है जो बहू उसे यहाँ एकांत मे बुलाई है ! कामया ने टावर मे आते ही उसे चाय पकड़ाना चाहा पर मदनलाल ने उसके दोनो कंधे
पकड़ लिए और बड़े प्यार से बोला
मदनलाल - - - बहू बात क्या है तुम बड़ी चिंतित दिखाई दे रही हो ? मुझे यहाँ क्यों बुलाया है ?
कामया - - - चिंता की बात ही है बाबूजी ?
मदनलाल - - - बहू मेरे रहते तुम्हे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नही है ? मैं तुम्हारी हर परेशानी दूर
कर दूँगा ! मदनलाल सोच रहा था क़ि वो आजकल बहू के पास कम जाने लगा है शायद इसलिए जवान बहू परेशान है !
उधर कामया ने बाबूजी का उत्साह देखा तो सोच लिया क़ि समस्या बताने से पहले बाबूजी को ताव पे चढ़ा दिया जाय तीन
तीन मर्दों का संग पाकर इतना तो वो जान ही गई थी क़ि अगर मर्द के सामने उसकी मर्दानियत की तारीफ कर दो तो उसका सीना छप्पन इंच का हो जाता है ! इसलिए कामया बेहद चिंतित मगर बेहद कामुक अंदाज़ मे बोली
कामया - - - आप क्या परेशानी दूर करेंगे बाबूजी मुझे तो लगता है परेशानी का कारण ही आप हैं !
मदनलाल - - - क्या बात कर रही हो जान ? मैने कभी तुम्हे ज़रा सा भी दुख दिया है ? बोलो मैने ऐसा क्या कर दिया है
कामया - - - बाबूजी आप ने दुख नही हमेशा मुझे सुख ही दिया है लेकिन लगता है आपका वो सुख ही अब मेरे लिए चिंता का विषय बन गया है ! कामया ने लजाते हुए कहा !
मदनलाल - - - बहू पहेलियाँ ना बुझाओ सीधे सीधे बताओ हुआ क्या है ! मदनलाल ने व्यग्रता से पूछा
कामया - - - कैसे बताऊं बाबूजी मुझे अजीब सा लग रहा है !
मदनलाल - - - जान प्लीज़ बताओ ना बात क्या है मुझसे अब सबर नही हो रहा
कामया - -- बाबूजी आप समझते क्यों नही ? मुझे शरम आ रही है ?
मदनलाल - - - जान इसमे शरमाने की क्या बात है ? फिर उसने बहू का चेहरा अपने हाथों मे लिया और बोला "" जान अब तुम्हे मुझसे भी शरम आने लगी "" वो बेचारा यही समझ रहा था क़ि बहू इसलिए शर्मा रही है क्योंकि अपने
मुँह से बोल नही पा रही ही क़ि "" राजा आजकल रात को आते क्यों नही हो ""
कामया - - - बाबूजी बात ये है की मेरा टाइम आ गया है पर मुझे हुआ नही है !!
मदनलाल - - - क्या टाइम आ गया है और क्या नही हुआ है ? ये कैसी बात कर रही हो मेरा दिमाग़ ही काम नही कर रहा है ?
कामया - - - अच्छा जी जब रात को जड़ी बूटी खा खा के हमारे कमरे मे घुस आया करते थे तब कैसे दिमाग़ काम करता था ?
मदनलाल - - - बहू यार प्लीज़ बताओ ना क्या बात है ! मदनलाल के दिमाग़ मे इस वक्त सिर्फ़ सेक्स ही घूम रहा था इसलिए उसे ""टाइम आ गया हुआ नही "" आदि समझ ही नही आ रहा था जबकि वो इन मामलों मे माहिर था! किंतु उस बेचारे की भी क्या ग़लती थी औरत जात अच्छे अच्छे मर्द के दिमाग़ का दही बना देती है फिर कामया तो हुश्न परी थी !
कामया - - - बाबूजी वो बात ये है की इस बार हमारी माहवारी अभी तक शुरू नही हुई है जबकि टाइम हो गया है ! हमे डर लग रहा है की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो गई हो ?
मदनलाल - - - कैसी गड़बड़ बहू ??
कामया - - - बाबूजी हमे डर है क़ि कहीं हमे ठहर ना गया हो !!
ठहर शब्द सुन कर मदनलाल का दिमाग़ तुरंत हरकत मे आ गया ! जैसे ही उसने बहू क़ि बात का मतलब समझा उसकी चेहरे मे खुशी झलक पड़ी वो तुरंत बोला
मदनलाल - - - बहू तुम्हारा मतलब कहीं ये तो नहीं क़ि तुम माँ बनने वाली हो ?
कामया - - - बाबूजी हमे इसी बात की तो चिंता हो रही है !!
मदनलाल - - - अरे तो इसमे चिंता करने की क्या बात है सारा घर इस दिन का इंतज़ार कर रहा है क़ि कब तुम इस घर को खुशी दोगी ! ये चिंता करने की नही बल्कि जश्न मनाने का समय है बहू !
कामया - - बाबूजी आप तो बिल्कुल बुद्धू हो आपको कुछ समझ ही नही आ रहा ! कामया ने अपने होंठ काटते हुए मदनलाल की तरफ देखते हुए कहा ! मदनलाल अभी भी पॉइंट की बात नही समझ पा रहा था इसलिए फिर बोला
मदनलाल - - - अरे मेरी जानेमन मुझे बताओ इसमे प्राब्लम क्या है तुम तो खुद कब से मां बनना चाहती थी !
कामया - - - हे भगवान आप को कैसे समझाऊं ? आप को तो बस एक ही काम आता है रात को हमे परेशान करना बाकी कोई काम के आप नही हो ?
मदनलाल - - - तो तुम्ही समझाओ ना बात क्या है ?
कामया - - - बाबूजी आपके लाडले राजकुमार छः महीने से घर नही आए हैं और मैं यहाँ पेट से हूँ ! बताओ
दुनिया वालों को क्या जवाब दूँगी ? और दुनिया की तो छोड़िए मांजी को क्या जवाब दूँगी ? क्या उन्हे बता दूं क़ि ये
तोहफा बेटे का नही बल्कि बेटे के बाप का है !!!!!! कामया ने शरमाते हुए कहा !
मदनलाल - - - नहीं नहीं !! ऐसा गजब मत करना वरना बड़ी मुश्किल हो जाएगी ! मदनलाल ने काँपते हुए कहा ! जो मदनलाल अभी तक खुशी से फूला नहीं समा रहा था अब उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी !
कामया - - - बाबूजी इसी बात से तो मैं परेशान हूँ ! मेरी सहेलियाँ कहा करती थी "" दो मिनिट का मज़ा ,जिंदगी भर की सज़ा"" आज मुझे इसका मतलब समझ आ रहा है !
मदनलाल - - - बहू अब करना क्या है ये बताइए ?
कामया - - - बाबूजी सबसे पहले तो आप चाय पीकर प्रेगञेंसी किट लेकर आ जाओ पहले पक्का पता चल जाए क़ि बात सही है या नही तब तक मैं कुछ सोचती हूँ क़ि इस समस्या का हल क्या है !
मदनलाल - - ठीक है बहू मैं अभी जाकर लाता हूँ ! मदनलाल ने एक घूँट मे ही चाय पी और फ़ौरन बाहर जाने
लगा !
कामया - - अरे सुनिए किसी दूर दुकान से खरीदना जहाँ आपको कोई जानता ना हो
मदनलाल - - ठीक है बहू
कामया - - - और हाँ किट रात को हमारे कमरे मे लाकर देना बीच मे मत देना !
मदनलाल चुपचाप वहाँ से निकल गया ! उसके मन क़ि अंतरदशा देखने लायक थी ! एक तरफ तो बहू को गर्भवती करने का उसे बड़ा सुख अनुभव हो रहा था क्योंकि इस बात से जहाँ घर मे चिराग आने वाला था वहीं बहू की नज़रों मे उसकी मर्दानियत भी सिद्ध हो रही थी लेकिन दूसरी तरफ बच्चे के बाप का सवाल अब दानव की भाँति सामने आ
खड़ा हुआ था ! उसे कुछ सूझ ही नही रहा था की इस समस्या से कैसे बाहर निकला जाय ! आख़िर मे वो हथियार डालते हुए बुदबुडाया "" अब जो करेगी बहू ही करेगी ""
उधर कामया तो पहले ही आगे की स्क्रिप्ट तैयार कर चुकी थी जो उसे सन्नी ने समझाया था उसे तो बस टेस्ट का इंतज़ार था ताकि वो आगे की कार्यवाही कर सके !
रात को खाना खाने के बाद कामया मदनलाल की तरफ तिरछी चितवन डाल कर अपने कमरे की ओर चल दी ! शांति के दवा खाकर जाने के बाद मदनलाल आधे घंटे तक छत मे घूमता रहा ! आज वो एक पल के लिए भी चैन मे नही था और
लगातार चहलकदमी कर रहा था ! उसकी चहल कदमी से उसकी व्यग्रता नीचे कामया भी समझ रही थी ! हलाकि खुद
कामया भी बहुत व्यग्र थी क्योंकि जब तक प्रेनेनसी कंफार्म नहीं हो जाती कुछ भी कहना व्यर्थ था ! कामया ने आज एक बेहद ही छोटी सी ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी थी उसने पहले ही तय कर लिया था की चाहे रिपोर्ट कुछ भी आए उसे आज बाबूजी को खुश करना है ताकि उन्हे सन्नी और उसके बारे मे सपने मे भी शक ना हो और खुद उसे भी तो खूँटा चाहिए था !
दस बजे के करीब मदनलाल बहू के कमरे मे आया तो कामया बिस्तर मे टाँग पे टाँग चढ़ा कर लेटी हुई थी जिससे उसकी
गुदाज जांघें नुमाया हो रही थी ! मांसल गदराई जांघें का दीदार पाकर मदनलाल अपना मूसल मसलते हुए बहू के करीब आया और उसने किट बहू को दे दी !
 


कामया - -- बाबूजी आप बैठिए मैं बाथरूम मे चेक कर के आती हूँ
मदनलाल - - बहू यहीं चेक कर लो ना ?
कामया - - - हटो बेशरम कहीं के क्या आप के सामने सू सू करूँगी !
मदनलाल - - तो क्या हुआ कर लो ना
कामया - - - बिल्कुल नही !!!!!! और कामया उसे चिढ़ाते हुए वहाँ से भाग गई !
कामया ने जैसे ही टेस्ट किया उसका चेहरा खुशी से खिल उठा ! रिपोर्ट पॉज़िटिव थी मतलब की वो सच मे माँ बनने वाली थी !
उसकी बरसों की इच्छा पूरी हो रही थी ! स्त्री के लिए माँ बनने से बड़ा सुख और कुछ भी नही हो सकता है ! कहते हैं
मर्द शादी करता है पत्नी पाने के लिए जबकि स्त्री शादी करती है माँ बनने के किए ! कामया को अब बस एक ही चिंता थी
क़ि सब कुछ वैसा ही हो जैसा सन्नी ने उसे समझाया है ! उसके लिए सबसे बड़ी तसल्ली की बात ये थी की मदनलाल उसके माँ बनने को अपनी मेहनत समझ रहा था जिससे कम से कम कामया को बाबूजी का सपोर्ट तो पूरा मिलने वाला था !
उसने वापस आ कर बाबूजी को स्ट्रीप दिखाई और बताया की वो सचमुच माँ बनने वाली है तो मदनलाल ने खुशी से उसे
अपनी बाँहों मे भर लिया ! कामया की चूचियाँ मदनलाल के सीने मे पिस रही थी जबकि उसके मांसल नितंब बाबूजी के हाथों से सज़ा पा रहे थे ! दोनो कुछ देर इसी तरह एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे फिर मदनलाल ने ही बंधन तोड़ा और कहा
मदनलाल - - - बहू अब बताओ करना क्या है ?
कामया - - - बाबूजी आप के जाने के बाद मैं बहुत देर तक दिमाग़ लगाती रही और आख़िरी मे मैने एक योजना बनाई है
मदनलाल - - - कैसी योजना बहू ?
कामया - - - बस आप चुपचाप बैठिए और मुझे आगे के प्लान पर अमल करने दीजिए !! कामया अब सन्नी के प्लान के
अनुसार चलने वाली थी ! उसने सुनील को कॉल लगा दिया और स्पीकर ऑन कर दिया ! मदनलाल सब चुपचाप देख रहा था !
सुनील - - - हाँ डार्लिंग बोलो आज बड़ी जल्दी फोन लगा दिया !
कामया - - बीवी हूँ आपकी जब चाहे कॉल कर सकती हूँ !!
सुनील - -- - पहले तो बड़ा बोलती थी की मम्मी पापा के सोने के बाद कॉल किया करूँगी अब क्या हुआ ??
कामया - - - बस मुझे आपकी ज़रूरत महसूस हो रही थी ! आप एक काम कीजिए
सुनील - - बोलो क्या काम है ?
कामया - - - आप कल के कल सुबह ट्रेन पकडीए और सीधे यहाँ चले आइए !!!1
सुनील - - - क्या बोल रही हो जान ! एक दम से लीव थोड़ी मिल सकती है ?
कामया - - मैं कुछ नहीं जानती मेरा बहुत मन कर रहा है क़ि आप आ जाओ
सुनील - - - यार तो थोड़ा रुक जाओ ना ?
कामया - - - - नहीं बिल्कुल नही !! कल आप सुबह गाड़ी पकडीए और सीधे चले आइए और अगर नहीं आए तो वही गाड़ी
चार घंटे बाद वापिस आती है मैं उसमे बैठ कर सीधा मुंबई पहुँच जाऊंगी और स्टेशन लेने आ जाना !
सुनील - - - जान समझने की कोशिश करो ऐसा कैसे हो सकता है क़ि सुबह ही निकल जाऊं
कामया - - - मैं कुछ नहीं जानती ! मैने कहा दिया बस ? अब मैं फोन बंद कर रहीं हूँ कल गाड़ी मे बैठने के
बाद मुझे कॉल करना वरना मुझे आज के बाद कॉल करने की कोई ज़रूरत नही ! और फिर कामया ने कॉल बंद कर फोन भी ऑफ कर दिया !
मदनलाल - - - बहू इस सबका क्या मतलब ?
कामया - - - बाबूजी वो कल ज़रूर आएँगे मुझे पूरा भरोसा है फिर उनके कुछ दिन रहकर लौटने के कुछ दिन बाद
हम इस बात का ज़िक्र करेंगे की मैं पेट से हो गई हूँ ! कामया का आइडिया सुन मदनलाल भी चकरा गया
मदनलाल - - - वाह बहू वाह !! क्या आइडिया आया है तुम्हारे दिमाग़ मे !! इसीलिए मैं शुरू से पड़ी लिखी बहू लाना
चाहता था क्योंकि उनका दिमाग़ बहुत तेज चलता है !
फिर मदनलाल उठकर जाने लगा तो कामया ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा
कामया - - - बाबूजी आप जा रहे हैं क्या ?
मदनलाल - - हाँ बहू अब तुम आराम करो और सो जाओ
कामया - - - और आप को नींद आ जाएगी यहाँ से खाली हाथ लौट कर अपनी बहू को प्यार किए बिना ?
मदनलाल - - - लेकिन बहू इस हालत मे तुम्हे ख़तरा हो सकता है शुरू के तीन माह नाज़ुक होते हैं !! मदनलाल को अब कामया से ज़्यादा फ़िक्र अपने होने वाले बच्चे की हो रही थी !
कामया - -- लेकिन बाबूजी हम ऐसा भी कुछ कर सकते हैं क़ि जिसमे कोई ख़तरा नहीं हो !
मदनलाल - - - जैसे
कामया - - - आप ने बहुत पहले एक बार हमे अपने उपर कर के किया था याद है आपको ?
मदनलाल - - हाँ याद आया उसमे रिस्क की कोई गुन्जाइस नहीं है !! वैसे क्या बात है बहू मन कर रहा है क्या ?
कामया - - - जी बाबूजी वो क्या है क़ि जब से आपका ये गर्भ मे आया है तब से मन बहुत रोमांटिक लग रहा है !! कामया ने मस्का लगते हुए कहा
मदनलाल - - - बहू ऐसा होता है अक्सर गर्भवती स्त्रियाँ ज़्यादा गरम हो जाती हैं !!
फिर मदनलाल चित लेट गया और कामया ने उसकी कमर के दोनो तरफ पैर फैला कर उसका लंड पकड़ा और अपने सुराख से लगा दिया !

 

मदनलाल - - - बहू अब तुम धीरे धीरे अपनी सहूलियत से अंदर करती जाओ !!
कामया - -- हाँ जानू अब मुझे ही सब करना पड़ेगा आप तो बस टाँग पसारे मज़ा लोगे
मदनलाल - --- ऐसा ना कहो जान हमने तुम्हारे लिए कितनी मेहनत की है कितना पसीना बहाया है ये तो तुम्हे रिपोर्ट से पता चल ही गया है ! मदनलाल की बातें सुन कामया के चेहरे पर रहस्यमाई मुस्कान आ गई ! फिर वो धीरे धीरे अपने
शरीर का दबाव बाबूजी के खूँटे पर डालने लगी ! इंच दर इंच खूँटा अंदर जाने लगा , जैसे जैसे खूँटा अंदर जा
रहा था कामया का मुँह खुलता जा रहा था ! कुछ ही देर मे कामया ने पूरा मूसल निगल लिया ! मदनलाल की नज़र अंदर जाते घूंटे पर लगी हुई थी जैसे ही खूँटा पूरा अंदर हुआ उसका नामो निशान ही मिट गया जैसे कभी रहा ही नही हो !
अब कामया फूल फॉर्म मे आ चुकी थी वो धम्म धम्म मदनलाल के उपर कूदने लगी ! पता नहीं मातृत्व का सुख था क़ि
बहुत दिन बाद केला खाने का मौका वो बहुत शीघ्र ही चरम मे पहुँचने लगी उसकी आँखें बोझिल हो गई और सारे
चेहरे पर रक्त उतर आया ! उसकी साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और फिर हमेशा की तरह वो सिसकारी लेने लगी ! समय क़ि नज़ाकत देख मदनलाल ने भी कामया के बूब्स पकड़ लिए और लगे मसलने ! दूध मर्दन ने कामया की बची खुचि
शराफ़त भी ख़त्म कर दी और एक बार फिर "" मदनलाल निकेतन अपनी सेक्सी बहू की मादक सिसकारियों से गूंजने लगा कामया - - - ""आ आअहह!!! यॅज़ बाबूजी क्रश देम दे नीड युवर टॉर्चर !! जस्ट मेश देम !! और इतना कहते ही कामया भरभरा के झड़ने लगी ! "" ओह माइ गॉड ओह बाबूजी आइ एम कमिंग और फिर वो निढाल होकर बाबूजी की छाती पर लेट गई !
कामया का तो काम हो गया था किंतु मदनलाल का काम अभी नहीं हो पाया था उसका खूँटा अभी भी टाइट था और बहू की

चूत मे ही फँसा पड़ा था थोड़ी देर मदनलाल कामया के कूल्हे सहलाता रहा फिर बोला
मदनलाल - - - जान हमारा काम तो अभी नही हुआ है !! थोड़ी देर और करके हमारा माल भी तो निकलवा दो !!
कामया - - - बाबूजी मैं बहुत थक \गई हूँ अब मुझसे नही हो पाएगा ! मेरी कमर दर्द दे रही है और वहाँ भी दर्द

दे रहा है कितना तो बड़ा है आपका बिल्कुल चीर देता है !!
मदनलाल - - जान तो एक काम करो बेड के किनारे खड़ी होके झुक जाओ हम पीछे से बजा लेंगे
कामया - - - क्या बजा लेंगे बाबूजी ?
मदनलाल - - - अरे कुछ नहीं बस तुम्हारा तबला बजा लेंगें !!
कामया - - धत बेशरम कहीं के कैसा कैसा बोलते हो आप !! उसके बाद कामया उठी और बेड के कॉर्नर पर जाकर झुक कर घोड़ी बन गई !!


बहू के बाहर को उभरे नितंब देख कर मदनलाल गनगॅना गया उसने कामया की कमर पकड़ी और एक ही झटके मे पूरा

मूसल अंदर पेल दिया !! कामया के मुख से घुटि घुटि सी चीख निकल गई !!
कामया - - - उई माँ मर गई !! हे राम बाबूजी आपको तो अपने होने वाले बच्चे की भी फिकर नहीं है कितनी ज़ोर ज़बरदस्ती

कर देते हो ? मगर अब मदनलाल कहाँ सुनने वाला था उसने गचागच पेलना शुरू कर दिया ! वैसे ही उसके अंडकोष काफ़ी

देर से भरे पड़े थे दो मिनिट तक वो नॉनस्टॉप पेलाई करता रहा और और बीच बीच मे कामया की गांद मे थप्पड़ भी

मारता रहा और अंत मे उसने अपना सारा लावा बहू की चूत मे भर दिया !
दोनो निढाल होकर बिस्तर मे लेट गये ! कामया के बदन मे अभी भी शॉर्ट नाइटी पड़ी हुई थी ! थोड़ी देर सुस्ता कर

मदनलाल उसकी नाइटी उतारने लगा ! कामया को आश्चर्य हुआ क़ि क्या बाबूजी सेकेंड राउंड करना चाहते हैं
कामया - - - जानू फिर से करना है क्या ?
मदनलाल - - - नहीं जान बस ज़रा तबीयत से उस बदन को देखना चाहते हैं जिसने हमे पागल बना रखा है
कामया - - - आ हाहा आज तक तो ऐसा नहीं हुआ !! ये कहो ना की अपने बच्चे पर प्यार आ रहा है तो उसकी माँ का पेट

देखना चाहते हैं !! कामया ने ताना मारते हुए कहा !! हालाकी जब जब वो उसे बच्चे का बाप बोलती थी तो उसे अंदर से

हँसी भी आ जाती थी !!
मदनलाल - -- ऐसा नहीं बोलो बहू ? बच्चा तो अब आया है लेकिन तुम तो कब से हमारे दिल पर राज कर रही हो !! और ऐसा

कहते कहते उसने कामया की नाइटी उतार दी !! नाइटी उतारते ही बहूरानी का संगमरमरी बदन बेड मे दमकने लगा !!

 

मदनलाल कुछ देर तक टकटॅकी लगाए कामया के नशीले बदन को घूरता रहा और फिर उसने उसकी चुचियों को मुँह मे

भर लिया







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