Saturday, May 7, 2016

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--45

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--45


जिस प्रकार दिया बुझने से पहले और तेज़ भभकने लगता है उसी प्रकार इस बार मामा और जोरदार हंगामा कर रहा था ! नीचे पड़ी कामया के बदन का पोर पोर दर्द दे रहा था लेकिन उसका चेहरा फूल की तरह खिल उठा था ! मामा के हर धक्के पर वो सिसक पड़ती ! कमरे मे अब मामा के हाँफने की आवाज़ और उसकी प्यारी भांजी की मादक सिसकारियाँ ही गूँज रही थी ! लगभग दो मिनिट की इस आख़िरी मगर बहुत धाँसू चुदाई के बाद मामा ने भांजी की कोख अपने बीज से भर दी !
अब आगे -----------------------------------------

थका हारा मामा कुछ देर तक कामया के गुदाज बदन के ऊपर ही लेट कर हांफता रहा और उसके उसके बाजू मे सरक गया ! दोनो आँखें बंद किए हुए थे और अपने अपने ख्यालों मे खोए हुए थे ! मामा आज अपनी किस्मत पर नाज़ कर रहा था ! पिछले दो दिनो ने उसकी किस्मत ही बदल डाली थी ! इन दो दिनो मे उसे ना केवल कामया मिली बल्कि ऐसी मिली की उसने अगाड़ी पिछाड़ी सब बजा डाली ! उसकी सपनो की रानी अब उसकी हम बिस्तर बन चुकी थी ! मामा बीच बीच मे आँख खोल कर कामया के नशीले बदन को भी देख रहा था !
उधर कामया भी मामा के साथ बने रिश्ते के बारे मे ही सोच रही थी ! पच्चीस साल की उसकी उमर मे चौबीस साल कितने शांत तरीके से बीत गये थे मगर इस पिछले एक साल ने उसकी पूरी जिंदगी ही बदल डाली थी ! पहले उसके ससुर मदनलाल उसकी जिंदगी मे आया और फिर उसका भाई सन्नी उसकी जिंदगी मे छा गया और अब उसके हुश्न के सबसे पहले आशिक़ मामा ने भी उसकी जवानी और जिस्म पर फ़तह हासिल कर लिया था ! पिछले एक बरस मे वो क्या से क्या बन गई थी ! वो सोच रही थी क़ि उसकी जिंदगी मे आने वाला हर नया मर्द पहले से सवाया निकल रहा था ! सबसे पहले उसके पति सुनील ने उसके जिस्म को छुआ और चखा था ! पहले पहल की गई सुनील की हर छूअन उसे अंदर तक गीला कर देती थी ! सुनील का उसे चूमना ,उसके बूब्स को सहलाना और फिर उसमे प्रवेश कर जाना सब कुछ उसे सुख की दुनिया मे पहुँचा देता !मर्द कुछ करे ना करे उसके पास मे होने का अहसास , मर्द का स्त्री के अंगों को घूरने का अहसास ही स्त्री को पिघलाने लगता है !सुनील का उसके साथ होना ही कामया को कामुक बना देता था ! फिर मदनलाल अपने प्रयासों से उसके दिल मे उमंगें जगाने लगा ! सुनील का दूर होना बाबूजी के लिए बड़ा फ़ायदेमंद हो रहा था ! मगर जब तक दोनो का नैन मिलन चलता रहा और जब बाबूजी उसके नाज़ुक अंगों का मर्दन करने लगे तब तक भी कामया संयम मे रहती थी और वो अपनी सीमाएँ जानती थी ! मगर एक दिन बाबूजी ने ऐसी हरकत कर दी जिसने कामया को बहकने को मजबूर कर दिया ! उसे याद आया कैसे बाबूजी ने अपना तौलिया हटाकर उसके आमने अपने महाभयंकार भुजंग को लहरा दिया था ! सुनील के छोटे से खिलोने से खेलने वाली बहू ससुर का कोबरा देख स्तब्ध रह गई कुछ देर के लिए तो उसे संनिपात सा हो गया ! भला किसी का इतना बड़ा कैसे हो सकता है ? उस दिन के बाद से तो रात दिन उसकी आँखों के सामने सिर्फ़ और सिर्फ़ बाबूजी का भुजंग ही घूमता था ! जब राम और लक्ष्मण तक नागपाश के बंधन से नहीं बच पाए तो भला कामया जैसी अतृप्त औरत बाबूजी के नागपाश से कैसे बच पाती ! हर समय कामया यही सोचती रहती की इतना बड़ा कैसा आनंद देता होगा इत्यादि ! जब पहली बार उसने बाबूजी के साथ संसर्ग किया तो जाना की लंड होता क्या है और चुदाई कहते किसे हैं ! बाबूजी के मूसल ने जब उसमे प्रवेश किया तो उसे समझ आया की पहली चुदाई की पीड़ा क्या होती है और क्यों उसकी सहेलियाँ उसे अपने दर्द के बारे मे बताती थी !अब वो जान गई थी की क्यों औरतों की चाल शादी के बाद बदल जाती है ! बाबूजी ने ही उसे सबसे पहले स्वर्ग की सैर करवाई थी ! बाबूजी का लंड जब उसकी नन्ही सी बुर मे जाता तो कामया अपने औरत होने पर धनी हो जाती ! फिर सन्नी उसकी जिंदगी मे आया ! सन्नी का भी अपना अलग महत्व था ! सन्नी ने उसे पहली बार जवानी के जोश से परिचित कराया ! जोश और ताक़त से लबालब सन्नी ने उसे एक रात मे छह छह बार स्वर्ग दिखला दिया था ! सन्नी के पहलू मे ही कामया ने जाना था क़ि जवानी दीवानी होती है ! सन्नी ने ही उसकी कोख मे हरियाली लाकर उसे माँ बनने का सुख दिया था ! और अब मामा ने उसे दिखा दिया क़ि सेक्स मे तजुर्बे और लंबे अनुभव का कितना असर होता है ! तजुर्बेकार मामा ने तो एक राउंड मे ही उसका चार बार पानी निकलवा दिया था ! हर बार का ऑर्गॅज़म पहले से बड़कर था ! सच कहें तो मामा ही वो शक्श था जिसने उसे सातवें आसमान की सैर करवाई थी ! दोनो अपने अपने सुख को याद कर रहे थे मगर मामा साथ ही साथ कामया की जांघों को भी सहला रहा था !आधे घंटे बाद पस्त पढ़ी कामया उठी और दूर पढ़े अपने कपड़ों के पास पहुँची ! उसने अपनी सेक्सी पेंटी उठाई और पहनने लगी तभी मामा बोल पढ़ा
मामा - - - रानी ये पेंटी नई खरीदी है क्या ?
कामया - - मामा परसों ही नया खरीदा था ! पहले वाले सब टाइट हो रहे थे ! कामया ने शरमाते हुए कहा
मामा - - टाइट तो होंगे ही ! इतनी गदरा जो गई हो ! तुम्हारा तो सब कुछ टाइट हो गया है ! फिर मामा पास आया और उसके हाथ से पेंटी छुड़ा ली !
कामया - -- ले क्यों ली ! दीजिए पहनना है ?
मामा - - - नहीं अब ये हम ले जाएँगे ! तुम्हारी मामी को पहनाएँगे
कामया - - क्या पागल हो गये हो मामा ? वो पहनी हुई है !
मामा - - कोई बात नहीं धो लेंगे ! जब रजनी इसे पहन कर आएगी तो कसम से तुम्हारी याद आ जाएगी !
कामया - - - मामा तुम भी ना बिल्कुल पगले बन जाते हो ! अच्छा लाओ दो मैं कल इसे और ब्रा को डब्बे मे वापस पेक कर दूँगी तब ले लेना ! शरारती कहीं के ! फिर कामया ने बिना पेंटी और ब्रा के अपनी देह दर्शना नाइटी पहन ली और चल दी !

 


नाइटी से दिखती कामया की मटकती गाँड देख कर मामा को लगा की साली को फिर पटक के चोद दूँ मगर वो इसलिए चुप रह गया क़ि उसका साँप बिल्कुल केंचुआ बन गया था ! कामया ने नीचे सीधा बाथरूम मे गई और पेंटी और ब्रा धोकर अपने कमरे सुखाने डाल दी ! दोनो मामा भांजी मज़ा लेकर सो चुके थे !
इधर कामया के ससुराल मे मदनलाल शांति से लिपटा हुआ था और उसके नाज़ुक और गुदाज अंगों का मर्दन कर रहा था !
शांति - -- आ ! सुनिल के पापा ये सब छोड़ो पहले ये बताओ की आख़िर मे बहूरानी कैसे मानी ? हमे सुनना है !
मदनलाल - - जान सबकुछ बताएँगे मगर पहले इसकी हालत तो देखो कैसा पगला रहा है तुमको देखकर चल थोड़ा चूस फिर बताता हूँ !
शांति - -- मुझे पता था आप मनोगे नहीं ! बिना मुँह मे दिए तो आपको चैन ही नहीं पढ़ता है ! फिर शांति झुकी और मदनलाल के मदनु को मुँह मे लेकर प्यार करने लगी !

 


शांति भी लंड चुसाई मे एक्सपर्ट थी ! मदनलाल ने उसे भी सब सीखा के रखा था ! शांति धीरे धीरे अपने लय मे आने लगी और और मदनलाल को जन्नत का सुख देने लगी ! पिछले एक साल से घर मे हो रही रासलीला देख कर उसकी भी ठंडी पढ़ चुकी इच्छाएँ फिर से जाग चुकी थी !वैसे तो दो चार साल से ये सब ख़त्म सा हो गया था मगर दूसरी औरत उसके मरद से मज़े ले और वो बैठ कर भजन करे ये उसे गवारा नहीं था ! अब वो फिर से पहले जैसे ही मज़े लेना चाहती थी ! वो भूखी शेरनी की तरह लंड पर टूट पढ़ी ! मदनलाल उसका ये रौद्र रूप देख कर चकित था ! उसका पति उसका शिकार था जिसे कोई और औरत खा रही थी ! ईर्ष्या मत्सर ने शांति को बाघिन बना दिया था ! मदनलाल की तो बल्ले बल्ले थी अब घर मे दो दो शिकार थे और वो जब चाहे जिसे खा सकता था ! इधर शांति अपने काम मे लगी थी उधर मदनलाल ने अपना काम शुरू कर दिया उसने एक एक कर शांति के जिस्म से कपड़े उतारना चालू कर दिया कुछ ही देर मे शांति अब पूर्ण नंगी होकर लंड चूस रही थी ! मदनलाल का लावा भी अब पिघलने वाला था सो उसने शांति को कहा
मदनलाल - - चल जान घोड़ी बन जा
शांति - - पीछे से करोगे ?
मदनलाल - - - हाँ
शांति - - मुझे मालूम है जब तक गाँड देख देख कर चुदाई ना करो आपको तो मज़ा नहीं आता ! लगता है बहू की तो रात भर देखते रहते होगे ? और फिर वो धीरे से पलट गई !
मदनलाल - -- बहू की छोड़ अभी तो तेरी गाँड देखनी है ! तेरी तो और ज़्यादा मस्त है ! इतनी बड़ी गाँड अभी बहू की कहाँ हो पाई है ? हमे तो तेरे जैसे बड़ी गाँड अच्छी लगती है !
शांति - -- रहने दीजिए ज़्यादा मस्का मत लगाओ !
मदनलाल ने कुछ देर उसकी गाँड मे चपत लगाई और बुर मे टोपा सेट करके पेल दिया ! लंड सनसनाता हुआ पूरा घुस गया !
शांति - -- हाय दैया ! राजा आराम से ! बहुत दिन बाद फिर से शुरू किए हैं ज़रा आदत तो पढ़ जाने दो

 


मदनलाल शॉट पे शॉट मारे जा रहा था ! गाँड पर धक्के लगने से कमरे मे ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी जो माहौल को और सेक्सी बना रही थी ! चरम पर आने के बाद शांति भी आहें भरने लगी ! उसकी कराहें सुन मदनलाल बोला
मदनलाल - -- जान तुम्हारी बहू भी बिल्कुल तुम्हारी तरह आवाज़ें करने लगती है
शांति -- -- मुझे मालूम है ! राजा चोदने वाला आप जैसा हो तो अच्छी अच्छी औरतें चीख पड़ेंगी !
मदनलाल - -- तुम्हे कैसे मालूम क़ि बहू आवाज़ करती है ?
शांति - - - जिस दिन बिना गोली खाए सोती थी उस दिन यहाँ तक बहू की सिसकारी सुनाई पड़ती थी ! पूरा घर गूंजा देती है लड़की !


मदनलाल - - - अरे सबसे बड़ी बात तो बहू की कोख भर गई ! तुम औरत हो और इस बात को समझ सकती हो की औरत के लिए मां बनाना कितना महत्व रखता है फिर वो इसी खानदान के बीज को जन्म दे रही है ! और फिर कुछ दूसरे अनुभव भी बहू ने जान लिए हैं !
अब आगे -----------------------------------------
शांति - - दूसरे अनुभव कौन से सुनील के पापा ?
मदनलाल - - - शांति तुम्हे शायद मालूम नहीं तुम्हारे बेटे ने आज तक बहू को अपना चुसवाया नहीं है ?
शांति - - - हाय राम क्या बोल रहे हो ? ससुरा का नाती कैसा मरद है ? आप ने तो पहली ही रात हमारे मुँह मे ठूंस दिया था !! लेकिन आपको ये कैसे पता चला बिटुवा मुँह मे नही दिया है ?
मदनलाल - - - क्या है क़ि जब हमने शुरू शुरू मे बहू को चूसने के लिए बोला तो वो कई दिन चूसी नही फिर काफ़ी मिन्नत करने पर बड़ी शर्म और झिझक के साथ मुँह मे लेने लगी ! एक दिन ऐसे ही जब वो लंड हाथ मे पकड़े सहला रही थी मगर मुँह मे लेने मे झिझक रही थी तभी हमने उससे कहा क़ि ""बहू इतना क्यों शरमाती हो ,सुनील का भी तो चूसती होगी ""? तो वो शरमाते हुए हमे बताई क़ि "" नहीं बाबूजी उन्होने कभी मुँह मे नहीं दिया आजतक ! "" ये उसका पहला नया अनुभव था !
शांति - -- और कौन कौन से अनुभव थे ? शांति ने मदनलाल के लंड को सहलाते हुए पूछा
मदनलाल - - दूसरा ये की तुम्हारे लाड़ले बेटे ने अभी तक बहू का शहद नहीं चखा है ?
शांति - - - शहद नहीं चखा मतलब ? हालाकी शांति को थोड़ा समझ आ रहा था क़ि मदनलाल क्या बोलना चाह रहा है ?
मदनलाल - - - मतलब की सुनील ने आज तक बहूरानी की बुर का रस नहीं चखा है !
शांति - - अरे जो मरद अपनी औरत के मुँह मे लंड नहीं दे सकता वो उसकी चूत मे मुँह क्या देगा ? इसका मतलब चूत भी आप ही सबसे पहले चखे हैं ?
मदनलाल - - हाँ मेरी जान ! बहुत टेस्टी है तेरी बहू का पानी !
शांति - - छि !! चुप करो ! और क्या जाना बहू ने ?
मदनलाल - - जब हमने चोदना चालू किया तब पहली बार बहू ने पानी छोड़ा था ! इससे से पहले उसने केवल सुना था क़ि औरत भी पानी छोड़ती है ! सुनील कभी दस धक्के से ज़्यादा लगा ही नहीं सका इसलिए बहू कभी चरम पर पहुँच ही नहीं पाई ! जब हमने कस कस कर चापा तब उसने पानी छोड़ना शुरू किया !
शांति - - वो तो हमे मालूम है क़ि कैसी बेदर्दी से तुम मेरी बहू को चापते थे बेचारी की रोने की आवाज़ यहाँ तक आती थी !
मदनलाल - - अच्छा तो तुम यहीं कान लगा के रखती थी ? फिर तो खिड़की से झानकती भी होगी ?
शांति - - - जी नहीं ! जब हमे पता चल गया क़ि अब सब कुछ होने लगा है तो हम बेफिकर हो गये थे उसके बाद तो केवल एक बार खिड़की मे आए थे !
मदनलाल - - क्या देखा खिड़की से फिर ? कहते हुए मदनलाल ने उसके निपल मरोड़ दिए
शांति - -- आ मत करो दरद दे रहा है ! देखना क्या था आप बेचारी फूल सी बच्ची को घोड़ी बना के रखे थे और पीछे से दनादन अपने मूसल से कुटाई कर रहे थे ! हमे तो देख कर ही बेचारी पर दया आ रही थी इसलिए जल्दी से चले गये !
 
मदनलाल -- तुम तो ऐसा कह रही हो जैसे हम कोई ज़बरदस्ती कर रहे थे ! तुम्हारी बहू खुद तैयार हुई थी करवाने को ! मदनलाल ने उसकी बुर मे उंगली डालते हुए कहा
शांति - -- हाँ हाँ हमे सब मालूम है आपने उस बेचारी को मां बनाने का सपना दिखा कर अपन उल्लू सीधा कर लिया है वरना वो कभी तैयार नहीं होती ! अच्छा चलो अब सो जाते हैं ?
मदनलाल - - अच्छा शांति एक बात बताओ अब तो हमे पता चल गया है क़ि तुम सब जानती हो फिर अब जब बहू घर आएगी तो हमे उसके पास जाना है क़ि नहीं ? मदनलाल की बात सुनकर शांति कुछ देर तक छत की ओर घूरती रही फिर बोली
शांति - - आपको जाना तो पड़ेगा वरना बहू कहीं बाहर वाले के साथ ना लग जाए ! इस उमर मे वो बहक सकती है !
मदनलाल - - नहीं शांति हमारी बहू ऐसी नहीं है क़ि कहीं और मुँह मारने लगे !
शांति - - आप समझ नहीं रहे हैं ! जब तक वो केवल सुनील को जानती थी तब तक की बात और थी तब तक उसने सिर्फ़ उतना ही सुख जाना था ! मगर तुम्हारे साथ रहकर उसने जवानी का और मर्द का असली सुख जान लिया है ऐसे मे अब उसके पास जाना बंद कर देंगे तो वो अपनी प्यास कहीं और ना बुझाने लगे !!
मदनलाल - - नहीं यार भला वो और कहाँ जा सकती है ?
शांति - - देखो वो नये जमाने की बहू है एक्टिवा से बाजार जाती है ,ब्यूटी पार्लर जाती है कहीं मोहल्ला पड़ोस के किसी लौडे ने पटाने की कोशिश की तो ऐसा ना हो की बेचारी उसके जाल मे फँस जाए और बाहर बदनामी करवा बैठे ! आप तो जानते हो शेरनी को एक बार आदमी का खून लग जाए तो वो आदम खोर हो जाती है !
मदनलाल - - फिर हमे क्या करना होगा ?
शांति - - जब कभी वो कहे या उसके हाव भाव से आप को लगे क़ि वो रोमांटिक मूड मे है तो आप जाकर उसे ठंडा कर दिया करना ! वरना हमे कभी पछताना पड़ सकता है ?
मदनलाल - - ठीक है जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे ! मदनलाल शांति को खुश रखना चाहता था क्योंकि वो जानता था कामया को वो तभी भोग सकता है जब शांति की रज़ामंदी हो !
शांति - - एक बात तो है सुनील के पापा आप इन मामलो मे बहुत लकी हो ! देखो तो इस बुढ़ापे मे आपके हाथ जन्नत की हूर लग गई ! कितनी तो सुंदर है बहूरानी ! हमारे किसी रिश्तेदारी मे इतनी सुंदर बहू नहीं आई है ! सब जलते हैं हम लोगों से बहू को देख देख कर !
मदनलाल - - हाँ बात तो तुम सही कह रही हो अब तो सब रिश्तेदारों के लड़के यही कहते हैं क़ि हमे भी ऐसी ही पत्नी चाहिए ! बहू तो एकदम परी है !
शांति - - - हमने तो अब बहू को अंदर से भी देख लिया है ! आपको क्या बताऊं मैने आज तक इतने सुंदर बदन वाली लड़की नहीं देखी ! उसका बदन तो साँचे मे ढला है जैसे मर्दों की नींद उड़ाने के लिए ही बना हो ! आप की तो बल्ले बल्ले है !
मदनलाल - - शांति सब तुम्हारी कृपा है वरना कुछ नहीं होता !
शांति - - मेरी नहीं सब समय की बलिहारी है जो सुनील कमजोर निकल गया ! इसी बहाने आपको खेलने के लिए इतना सुंदर खिलोना मिल गया ! बोलो खूब मज़ा आता है ना बहू से खेलने मे ?
मदनलाल - - - हाँ मज़ा तो बहुत आता है !
शांति - - उसकी गाँड बहुत सुंदर है ! जब आप उस रात पीछे से उसकी बजा रहे थे तो उसकी गाँड देख कर तो मैं मोहित हो गई थी ! बहू का गोरा चिकना मांसल शरीर आपके हर धक्के मे थरथरा जाता था ! उसका चेहरा मज़े की अधिकता से एक दम लाल हो गया था और आँखों मे हया भी थी ! खूब मज़ा लेती है आपके हथियार का ! सच मे घोड़ी पोज़ मे तो उसकी गाँड कयामत लगती है ! बार बार शांति के मुख से कामया की गाँड की तारीफ सुन मदनलाल सोचने लगा की अबकी बहू जब आएगी तो उसकी कुँवारी गाँड का उधघाटन कर दूँगा पर उसे ये नहीं मालूम था की ठीक इसी समय वहाँ मायके मे बहू का मामा उसकी गाँड की सील तोड़ चुका था ! आख़िर वो बुड्ढ़ा भी तो दस साल से कामया की गाँड का ही दीवाना था ! कामया का हर चाहने वाला उसकी गाँड का उधघाटन करना चाहता था मगर चांस मिला मामा को ! उसकी तपस्या फलीभूत हो गई !
दोनो इस तरह बातें करते हुए सो गये !
सुबह कामया उठी और जैसे ही देखा की पापा बाथरूम मे हैं और मम्मी किचन मे है वो चुपके से अपनी पेंटी ब्रा पेक करके मामा को देने पहुँच गई !
कामया - - - लो मामा रजनी मामी की गिफ्ट ! अब उन्हे पहना कर खूब परेशान करना !
मामा - - हाँ रानी रजनी जब ये पहनेगी तो तुम्हारी याद आ जाएगी फिर खूब बजाऊंगा उसकी अगाड़ी पिछाड़ी दोनो ! कहते हुए मामा ने उसे अपने पास खींच लिया !
कामया - - - मामा अभी छोड़ो मुझे ! पापा घर मे है मुझे तुरंत नीचे जाना है !
मामा - - कोई बात नहीं रानी बस अपने इन रसीले होंठो का एक बार रस तो पिला जा ! और मामा ने उसके सेक्सी होंठो को अपने होंठो मे ले लिया एक लंबी किस के बाद मामा उसकी जीभ चाटने लगा !
 
जब कामया चली गई तो मामा ऊपर ही कामया के पापा के ओफिस जाने का इंतज़ार करता रहा और जब वो निकल गये तो धीरे से नीचे आ गया ! अब तक कामया नहा धोके साड़ी पहन चुकी थी और किचन मे थी ! साड़ी मे वो बहुत सेक्सी दिख रही थी ! मामा ने महसूस किया क़ि कामया को चलने मे कुछ तकलीफ़ हो रही है वो समझ गया क़ि ये कल की गाँड चुदवाई का नतीजा है कुँवारी गाँड थी अब दूसरे दिन दरद तो देगी ही ! मामा मौका देख किचन मे पहुँचा और उसकी गाँड मे हाथ फेरते हुआ कहा
मामा - - रानी दरद दे रहा है क्या ?
कामया - - और क्या ? कितना मना किए थे आपको मगर जबरई घोड़े जैसा डाल दिए !
मामा - - क्या करूँ दस साल से तेरी इस गाँड के लिए तड़प रहा हूँ ! इसे याद कर करके पता नहीं तेरी मामी को कितनी तकलीफ़ दिया हूँ ! तुम तो बस एक बार ली हो वो बेचारी तो एक रात मे कई कई बार गाँड खुलवा चुकी है तेरे कारण !
कामया - - अच्छा उसमे भी हमको दोष दे रहे हो ! मामा आप बहुत गंदे हो मेरी मामी को बहुत सताते हो ! कामया ने इठलाते हुए कहा
मामा - - जान तेरी मामी ने तो कभी नहीं कहा . हम उसे सताते हैं और फिर रानी आख़िर तेरी मामी की गाँड मारते समय आँख के सामने तो तेरी ही गाँड रहती थी ! कहते हुए मामा ने गाँड की दरार मे उंगली कर दी जिससे कामया सिसक उठी !फिर मामा बोला
मामा - - हम जा रहे हैं जाने से पहले एक बार और तुम्हारी गाँड देखना है ?
कामया - - पागल हो गये हो क्या ? मम्मी घर पर है ! आप तो मरवा दोगे ?
मामा - - अरे साड़ी पेटिकोट तो पहनी हो दो मिनिट के लिए ऊपर चल बस एक बार उठा के दिखा दे बस !
कामया - - चुप रहो मामा कैसे बोले देते हो एक बार उठा देना बस ! ऊपर जाएँगे तो क्या आप हमे अच्छे से आने दोगे ! मुझे मालूम है आप अपनी दिल किए बिना मनोगे नहीं ! मैं नहीं जाती ऊपर !
मामा - - कम्मो प्लीज़ एक बार चलके दिखला दे बस ! कसम से कुछ नहीं करेंगे ! पता नहीं फिर इस जन्म मे मौका मिले ना मिले ! मामा ने बहुत ही .सूरत बना ली और आँख मे मगरमच्छ के आँसू ले आया ! मामा की सूरत देख भोली भाली कामया अंदर तक पिघल गई और पूछ बैठी !
कामया - -- मम्मी कहाँ हैं ?
मामा - - बाथरूम मे है ! प्लीज़ चल ना ऊपर 1
कामया - - कोई ऊपर वूपर नहीं ! मैं अपने कमरे मे जा रही हूँ दरवाजा बंद रहेगा ! खिड़की से देखना हो तो देख लेना ! नो टचिंग जैसे एक बार बहुत पहले देखे थे ! बोलो मंजूर है !
मामा - - हाँ रानी सब मंजूर है !
कामया ने अपने कमरे मे जाकर दरवाजा बंद कर लिया और खिड़की खोल कर बेड मे चौपाया बन गई !जब मामा खिड़की के पास आया तो उसने धीरे धीरे अपनी साड़ी ऊपर उठा दी ! अंदर का नज़ारा देखते ही मामा की साँस रुकने लगी ! कामया की चौड़ी चकली गाँड उससे एक हाथ ही दूर थी !मामा फुसफुसाया
मामा - - कम्मो पेंटी भी खिसका ना ! कामया ने धीरे से पेंटी भी नीचे खिसका दी ! अब तो मामा का गला सूखने लगा !

 

कामया के दोनो छेद उसकी आँखों के सामने अपने पूरे शवाब पे थे ! कल इन्ही दोनो छेदों का मामा ने रसास्वादन किया था ! गाँड के छेद मे कुछ सूजन भी थी ! मामा बावला सा कामया की मनोहारी गाँड निहार रहा था ! कामया अपनी गाँड भी हिला रही थी शायद मामा के दिल को और हिलाने के लिए !
मामा - - रानी थोड़ा और इधर खिड़की की तरफ आओ ना !
कामया - - नहीं मुझे मालूम है तुम उंगली कर दोगे ! आपकी बात मान ली अब बस ! फिर कामया खड़ी हो गई और मामा को जीभ दिखा कर जाने के लिए इशारा कर दी !
सुबह सुबह कम्मो डार्लिंग की गाँड देख अब मामा की अब गाँव लौटने की इच्छा ही नहीं हो रही थी ! भला स्वर्ग छोड़ कौन जाना चाहेगा ! मगर मामा के पास अब और रुकने का बहाना भी नहीं था वो सोच रहा था अगर और रुकने मिल जाए तो जितने दिन रुकूंगा हर दिन कामया की मिलेगी इस मे कोई शक नहीं है ! अचानक उसके फितरती दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया ! उसने सोचा हम नहीं रुक सकते तो क्या कामया तो हमारे साथ गाँव चल सकती है ! अब उसे कामया की मम्मी को मनाना था जो वो कर सकता था ! जब तीनो बैठ कर नाश्ता कर रहे थे तभी मामा ने अचानक पूछा !
मामा - - कम्मो तुम कितने दिन के लिए आई हो ?
कामया - - मामा कुछ पक्का नहीं है पंद्रह दिन भी रह सकती हूँ और महीना भी !
मामा - - दीदी ! एक काम करो कम्मो को दो चार दिन के लिए मेरे साथ गाँव भेज दो ! बच्चे भी मिल लेंगे और इसकी मामी भी मिल लेगी ! शादी के बाद से आज तक किसी ने इसे देखा नहीं है पहले तो साल मे दो बार गाँव आ ही जाती थी ! मामा का प्रस्ताव सुन कामया चौंक गई ! मामा तो बड़ा बदमाश निकला कहीं गाँव जाकर फँस ना जाऊं ! फिर उसने सोचा नहीं नहीं गाँव मे मामा कुछ कर नहीं सकता मामा भी है तीन भाई हैं वहाँ पर ! भाई की याद आते ही उसे सन्नी की याद आ गई उसके होने वाले बच्चे का बाप ! सन्नी की याद आते ही कामया को उससे से मिलने की इच्छा होने लगी !
मामा - - क्या हुआ दीदी कुछ कह नही रही ! बेचारी कामया की माँ तो कुछ जानती नहीं थी सो बोल दी
कामया की मम्मी - - कम्मो जाना है तो चली जा तेरी मामी भी हमेशा तेरे बारे मे पूछती रहती थी !
मामा - - हाँ कम्मो वो तो तुझे पाकर खुश हो जाएगी ! कामया दिल मे बोली मामा मुझे पाकर मामी नहीं आप खुश हो जाओगे!
कामया - - मम्मी पापा से पूछ लेते ?
मामा - - अरे पापा से पूछने की क्या ज़रूरत है तू अपने घर ही तो जा रही है ! शाम को बता देना ! दीदी आप कह देना मैं ज़िद करके ले गया ! सब जानते थे पापा कुछ बोल नहीं पाएँगे असल मे कामया के पापा यशवंत के रौब से थोड़ा डरते थे वो थोड़ा बाहुबली टाइप का नेता था !
कामया की मम्मी - - ठीक है बेटी मैं उन्हे शाम को बता दूँगी ! जा तैयार हो जा !
मामा - - अब तैयार क्या होना? तैयार तो है ही ! बस एक दो जोड़ी कपड़े रख ले ! कामया अपने कमरे मे चली गई वो जाने को तैयार तो हो गई पर अब उसका मन शंकित हो रहा था ! वहाँ सिर्फ़ मामा ही नहीं सन्नी भी था और दोनो भूखे भेड़िए थे पता नहीं अब उसके साथ क्या होने वाला था ! कहीं वो सोचती क़ि कैसे दोनो से अपने को बचा पाएगी तो कभी वहाँ दो दो चाहने वालों के होने के अहसास से ही उसके अंदर कुछ कुछ होने लगता ! फिर मामा अपनी कम्मो डार्लिंग को लेकर चल दिया

 


दोनो बस मे बैठे आने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान कर रहे थे ! कामया ये सोच रही थी की बाप बेटे दोनो एकसाथ वहाँ होंगे भगवान जाने क्या होगा गाँव मे ? वहीं मामा इस उधेड़बुन मे लगा था क़ि गाँव मे कामया की पेलाई कैसे की जाय ! क्योंकि उसे घर मे तो इस बात की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही थी ना ही कोई और जगह सूझ रही थी !



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