FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--14
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गतांक से आगे ......................
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बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ...मैं ...माधवी .."
माधवी की आवाज सुनते ही गिरधर की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ..वो धीरे से फुसफुसाया : "ये इतनी रात को कैसे आ गयी ...पंडित जी ..अगर इसने मुझे ऐसी हालत में देख तो अनर्थ हो जाएगा .."
गिरधर ने अपने और शीला के नंगे शरीर की तरफ इशारा किया ..
शीला अभी तक बेहोशी की हालत में ही थी ..
पंडित ने उसे शांत रहने का इशारा किया और दरवाजे की तरफ मुंह करके बोला : "जरा रुको माधवी ..अभी आता हु .."
और फिर जल्दी से शीला की टाँगे पकड़ी और गिरधर को उसकी बाजू पकड़ने को कहा और दोनों ने उसके नंगे जिस्म को उठा लिया और उसे बाथरूम की तरफ ले गए ..पंडित ने गिरधर को भी अन्दर रहने को कहा और खुद धोती लपेट कर बाहर आ गए और दरवाजा खोल दिया ..
बाहर माधवी खड़ी थी , अपना गाऊन पहने ...और गले में चुन्नी थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...इतनी रात को कैसे आना हुआ ..आओ -२ अन्दर आ जाओ ..?"
माधवी अन्दर आ गयी और पंडित ने दरवाजा बंद कर दिया .
माधवी : "पंडित जी ..वो गिरधर आये हैं क्या यहाँ ..आज तो इतनी रात हो गयी ..इतनी देर तो आज तक नहीं की इन्होने ..."
पंडित ने घडी देखि ...12 बजने वाले थे ..सच में , शीला की चुदाई करते हुए समय का पता ही नहीं चला उन्हें ..
पंडित : "हाँ ....वो आया तो था ..बस आधा घंटा पहले ही गया है ..वो कह रहा था की किसी से पैसे लेने थे, रात के समय ही मिलता है वो ..इसलिए ...आ जाएगा ...तुम चिंता मत करो .."
पंडित की बात सुनकर माधवी को कुछ राहत मिली ...
माधवी ने गाऊन पहना हुआ था और अन्दर आने के बाद पंडित ने गोर से देखा तो उसके निप्पल खड़े हुए साफ़ दिखाई दिए यानी उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..
पंडित की धोती में भी हलचल सी होने लगी ..पर उसका पति भी तो अन्दर ही था ..और शायद दरवाजे में बनी हुई झिर्री से सब देख रहा था ..कुछ सोचते हुए पंडित के मन में एक अजीब सा ख़याल आया ..और उसके चतुर दिमाग ने एक जोरदार और रिस्की प्लान बनाया ..
पंडित : "आओ बैठो माधवी ..अभी उसको आधा घंटा लगेगा वापिस आने में .."
माधवी के शरीर में भी झुरझुराहट सी फेल गयी जब पंडित ने हाथ पकड़ कर माधवी को अपनी तरफ खींचा और उसे सुबह का अधुरा छोड़ा गया काम याद आ गया ...
उस बेचारी को क्या पता था की अन्दर बाथरूम में बैठा हुआ उसका पति गिरधर सब कुछ साफ़ -२ देख रहा है ..पर वो भी पंडित के एहसान के तले दबा हुआ (शीला के नंगे जिस्म को अपने हाथो में समेट कर) अन्दर बैठा हुआ था ..उसे तो ये भी नहीं पता था की पंडित और उसकी बीबी के बीच बात कहाँ तक पहुँच चुकी है ..और जो कुछ भी वो देखने वाला था वो उसके लिए शॉक लगने जैसा ही था ..
माधवी : "पंडित जी ...सुबह तो आप बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए थे ..और अब हाथ पकड़ कर बुला रहे हैं .."
पंडित : "सुबह की बात कुछ और थी ..अभी की और है .."
कहते - २ पंडित ने माधवी के खड़े हुए निप्पल को गाऊन के ऊपर से ही मसल दिया ...उसकी सिसकारी निकल गयी ..और उसने अपना चेहरा पंडित के सामने सियार की भाँती ऊपर उठा दिया और अगले ही पल अपने पंजो पर खड़े होकर उसने पंडित के होंठों का शिकार कर लिया ...
पंडित : "उम्म्म्म्म ......ओह्ह्ह्ह ....माधवी ....सच में ....गिरधर की किस्मत कितनी अच्छी है ...जो हर रात तुम्हारे साथ होता है वो ..और जब मन चाहे कुछ भी कर सकता है ... "
माधवी ने पंडित की गर्दन ..छाती और नाभि वाले हिस्से को चुमते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू किया ...और बोली : "ओह्ह्ह्ह पंडित जी ...रात भर साथ रहना तभी मजेदार लगता है जब दूसरा इंसान भी मजे देने वाला हो ...आजकल के मर्द या औरत बाहर क्यों मुंह मारते हैं ..पता है .."
पंडित : "नहीं ...तुम बताओ ..."
माधवी : "क्योंकि घर में उन्हें वो सब नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें इच्छा होती है ...जैसे मैं ..मैं चाहती हु की रोज रात को मेरा पति मेरी चूत को चाटे ..मुझे प्यार से किसी राजकुमारी की तरह से मुझे एक औरत होने का एहसास दिलाये ...और बस मुझे ही प्यार करे ..."
उसकी बात सुनकर शायद गिरधर को भी अपनी कमजोरी का पता चल गया होगा ...
पंडित की धोती एक ही झटके में नीचे गिर गयी और उसका शीला के कामरस में डूबा लंड माधवी के सामने लहराने लगा ...
माधवी ने भूखी शार्क की तरह से पंडित की टांगो के बीच फंसी हुई मछली को लपका और तिल्ली वाली कुल्फी की तरह से उसे चूसने और चाटने लगी ...पंडित के लंड में से दूध की बूंदे निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी ...
माधवी : "ह्म्म्म्म ......आपके लंड में से किसी और की चूत की खुशबू आ रही है ...लगता है मेरे आने से पहले किसी और की सेवा कर रहे थे आप ...पंडित जी .."
पंडित कुछ ना बोला ...ऐसी अवस्था में कुछ भी बोलना सही नहीं था ...वो बस मुस्कुराते हुए माधवी के चोदु मुंह को चोदने में लगा रहा ...
पंडित ने अपने हाथों से अपना डंडा पकड़ा और माधवी के चेहरे पर मारने लगा ...
चमड़ी के डंडे की मार अपने चेहरे पर पड़ती देखकर माधवी और भी खुन्कार हो उठी ....उसने आनन् - फानन में अपना गाऊन निकाल फेंका और नंगी होकर पंडित की गर्दन से झूल गयी ...
उसके बड़े -२ तरबूज पंडित की छाती से पीसकर अपना रस निचोड़ रहे थे वहां ...
पंडित ने उसकी चोडी - चिकनी गांड को अपने हाथों में समेटा और उसे ऊपर उचका कर अपनी गोद में ले लिया ...
माधवी ने अपनी मोटी जांघे पंडित की कमर से लपेट कर उसे हेवन के मजे देने शुरू कर दिए ...अपने होंठों से .
उसके गुलाबी होंठ बड़ी बेदर्दी से पंडित को चूसने और खरोचने में लगे हुए थे और उतनी ही बेदर्दी से वो अपनी छातियाँ पंडित के सीने से झटके दे देकर पीस रही थी ..
अचानक पंडित ने अपनी एक ऊँगली माधवी की गांड के छेद में घुसा डाली ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....यहाँ नहीं ....दर्द होता है ....अह्ह्ह्ह "
पंडित समझ गया की माधवी की गांड अभी तक कुंवारी है ...मजा आयेगा ..
और अन्दर , गिरधर दरवाजे की झिर्री में आँख लगाए हुए पंडित और अपनी पत्नी की रासलीला देख रहा था ..और गुस्सा होने के बजाये अप्रत्याशित रूप से उसके लंड ने भी अंगडाई शुरू कर दी ...वैसे भी वो पंडित जी को पहले ही बोल चूका था की वो अगर उसकी मदद करे तो उसे अपनी पत्नी और बेटी को उनसे शेयर करने में प्रोब्लम नहीं है ..पर कहने और करने में काफी अंतर होता है, उसके कहने का ये मतलब नहीं था की पंडित सच में ही उसकी पत्नी या बेटी की चुदाई कर दे ...पर अब हो भी क्या सकता था ..बाहर जिस तरह से माधवी पंडित के साथ मजे ले रही थी, उससे एक बात तो साबित हो ही चुकी थी की ये इनका पहली बार नहीं था ... और उसके पास
सिर्फ देखने के और कोई चारा नहीं था ...उसके सामने शीला नंगी पड़ी हुई थी ..उसने टटोल कर उसकी चूत पर हाथ लगाया और पंडित के लंड से निकले हुए रस से भीगी उसकी चूत की मालिश करने लगा ...
बाहर आँख लगाकर उसने देखा की पंडित की ऊँगली अभी तक माधवी की गांड के अन्दर ही है और उसकी मसाज कर रही है ..पंडित का लंड माधवी की गद्देदार गांड को सलामी दे रहा था ..और अब पंडित झुककर उसके आमो का रस पी रहा था ...और माधवी पंडित के सर को अपनी ब्रेस्ट पर जोर से दबा कर उसे और जोर से चूसने के लिए कह रही थी ....
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित ....उम्म्म्म्म .....क्या चूसते हो आप ....अह्ह्ह्ह ...मेरे निप्पल तो धन्य हो गए आपके मुंह में जाकर .... अह्ह्ह्ह्ह ....मजा आ रहा है ...."
"साली मुझे तो आजतक ऐसा नहीं बोल इसने ...और पंडित को कैसे चने के झाड़ पर चड़ा रही है ...ये ...." गिरधर बुदबुदाया ...
उसने शीला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली ...और उसकी चूत पर अपने लंड को लेजाकर एक धक्का मारा ...और उसका उदबिलाव सरकता हुआ शीला की चूत में घुस गया ...
बेहोशी की हालत में के बावजूद शीला के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ...
पंडित ने काफी देर से माधवी के भरे हुए जिस्म को उठा रखा था ..और थक गया था ..उसने उसे नीचे उतार दिया ..और वो फिर से पंडित के लंड को अपने मुंह में लेकर उसकी मिठास का आनंद लेने लगी ...
पंडित भी उसके मुंह को चूत की तरह से चोदने लगा ...
अन्दर गिरधर अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था की आज उसे शीला जैसी मस्त माल की गांड और अब चूत भी मारने को मिल गयी है ...और बाहर पंडित ये जानते हुए की माधवी का पति गिरधर अन्दर से सब कुछ देख रहा है , उसकी बीबी का मुख चोदन करने में लगा हुआ था ...
अचानक बिना किसी वार्निंग के पंडित के लंड ने ढेर सारा मीठा नारियल पानी माधवी के मुंह में निकाल दिया ...जिसे वो बिना कोई देरी किये पी गयी ...
अपनी पत्नी की ऐसी करतूत देखकर गिरधर के धक्के और भी तेज हो गए ...शीला की चूत में ..और वो बडबडाने लगा "भेन चोद ....इतने सालों तक मेरा लंड कभी नहीं चूसा ...और अब ऐसे चूस रही है जैसे बरसों से येही पसंद है रांड को ...साली कुतिया ....भेन की लोडी ...."
आवेश में आकर उसके मुंह से गालियाँ निकलती जा रही थी ...वो अपनी पत्नी पर गुस्सा नहीं था ...बस गिला था की उसने ये सब इतना लेट सीखा ...
पंडित ने माधवी को नीचे जमीं पर लिटा दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना मुंह लेकर कूद गया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... .पंडित ....जी ....उम्म्म्म्म ....चुसो इसे ....आपकी जीभ और होंठ इसे बहुत पसंद आ गए हैं ...अह्ह्ह्ह ...." और पहले की तरह ही उसने पंडित की चुटिया को पकड़ कर जोरों से उसके मुंह को अपनी चूत के ऊपर मारना शुरू कर दिया ...और एक मिनट के अन्दर ही उसके अन्दर से निकल रही बारिश से पंडित के मुंह को धोना शुरू कर दिया ...
और दोनों गहरी साँसे लेते हुए एक दुसरे के ऊपर गिर पड़े ...चुदाई अभी भी होनी बाकी थी ....पंडित का लंड फिर से होने में 30 मिनट और लगने थे अभी ...
एकदम घडी की देखकर माधवी हडबड़ा कर उठी और बोली : " अरे आधा घंटा हो गया ...वो आने वाले होंगे ...मैं चलती हु ." और उसने अपने ऊपर गाऊन पहना चुन्नी ली और बाहर निकल गयी ...
पंडित ने भागकर बाथरूम का दरवाजा खोला ...और गिरधर को शीला की चुदाई करते हुए देखा ...शीला भी होश में आ चुकी थी ...और हक्की बक्की होकर ये सोचते हुए की आखिर मैं बाथरूम में कैसे आ गयी और गिरधर का लंड मेरी चूत के अन्दर कब घुसा , धक्के लेने में लगी हुई थी ..
और गिरधर पंडित की तरफ देखते हुए,शीला की टांगो को पकडे हुए,जोर से धक्के मारने में लगा हुआ था ...और आखिरकार उसने भी अपनी पिचकारी शीला की चूत में छोड़ दी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......."
और उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ...
गिरधर ने अपने लंड की आखिरी बूँद भी शीला की चूत में निकाल दी थी ..और अब वो पूरी तरह से खाली हो चूका था ..
शीला की तो टाँगे पूरी सुन्न सी हो चुकी थी ..पहले पंडित और गिरधर ने मिलकर उसकी डबल बजायी और अब गिरधर ने दोबारा से सिंगल ...इतना तो वो आजतक नहीं चुदी थी ..पर पंडित के अलावा गिरधर से भी अपना बेंड बजवाने में उसे काफी मजा आया था ...और उसकी मुस्कराहट उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ बयान कर रही थी .
पंडित ने इशारा करके उसे जाने के लिए कहा ..वो उठी और लडखडाती हुई कमरे में आई और अपने कपडे समेट कर पहने और चुपके से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी .
उसके जाते ही पंडित ने गिरधर से कहा : "मुझे मालुम है की तुमने अन्दर से सब कुछ देख ही लिया है की तुम्हारी पत्नी मेरे साथ क्या-२ कर रही थी .."
गिरधर कुछ ना बोला .
पंडित : "देखो गिरधर ...मैंने ये सब तुम्हारी मदद करने के उद्देश्य से किया है ..तुम्ही ने कहा था न की माधवी तुम्हारे किसी भी कार्य में साथ नहीं देती ..जैसे लंड चूसना या चूत चुस्वाना ..मैंने उसे अपने पास बुलाया था और सब समझाया भी था ..पर तुम तो जानते ही हो , जब तक प्रेक्टिकल करके ना दिखाया जाए ये पुराने विचारों वाली औरतें कुछ भी नहीं समझती ..और वो मेरे निर्देशों का ही असर था जब उसने तुम्हारे लिंग को पहली बार चूसा था और अपनी चूत भी चुस्वायी थी .."
गिरधर पंडित की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था ..
पंडित : "और मेरे साथ ये सब करने में कोई नुक्सान भी नहीं है उसे ..क्योंकि मैं इस बात की भनक किसी को भी नहीं लगने दूंगा, और ये सब करते -२ मैं जल्दी ही रितु को भी तुम्हारे लिए राजी कर लूँगा ..तब तक तुम भी शीला के साथ जब चाहे मजे ले सकते हो ..और अब तो माधवी भी तुम्हे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी ..क्यों .. "
पंडित ने अपनी तरफ से लालच का एक और दाना गिरधर के सामने फेंका ..
गिरधर ने सर झुका कर अपना सर हिलाया ..उसके सामने कोई और चारा भी तो नहीं था ..वो पंडित से लडाई भी नहीं कर सकता था की उसने क्यों उसकी बीबी के साथ ऐसे सम्बन्ध बनाए, जबकि वो भी किसी और के साथ वही सब करने में लगा हुआ था और अब उसकी नजर अपनी ही बेटी पर भी थी, उसे पंडित का साथ ही सही लगा, क्योंकि उसकी वजह से ही वो आज शीला जैसे माल के साथ मजे ले पाया था और आगे भी ले सकता था , और रितु भी तो थी आगे के खेल में ..
ये सब सोचकर और समझकर वो पंडित से बोला : "आप ठीक कहते हैं पंडित जी ..जैसा आप उचित समझे वैसा ही कीजिये .."
पंडित मुस्कुराया , वो समझ गया था की आज के बाद गिरधर की तरफ से उसे कोई रुकावट नहीं होगी ..
पंडित : "चलो अब तुम भी घर जाओ ..माधवी तुम्हारे लिए कितनी चिंतित थी ..जल्दी जाओ अब .."
गिरधर ने भी अपने कपडे पहने और बाहर निकल गया .
पंडित ने उसके जाते ही दरवाजा बंद किया और आराम से लेट गया ..और सोचने लगा की कितनी चतुराई से उसने गिरधर के सामने ही माधवी से मजे ले लिए ..और आगे भी ले सकने के दरवाजे खोल दिए ..पर अपनी पत्नी को मेरा लंड चूसते देखकर उसमे काफी उत्तेजना भी आ गयी थी ..और उसने बेहोश पड़ी हुई शीला की चूत बाथरूम में ही मारनी शुरू कर दी थी ..अब गिरधर जाते ही माधवी का बेंड बजा देगा ..और अपना गुस्सा , इर्ष्या और उत्तेजना उसके ऊपर निकालेगा ..
पंडित ये सब सोचते -२ एकदम से उठकर बैठ गया ..और मन ही मन बोला : "यार ...ये सीन तो देखने वाला होगा .."
और उसने जल्दी से अपना कुरता और चप्पल पहनी और एक शाल लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिया ..अपना चेहरा उसने शाल से ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान ना सके ..
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पंडित & शीला पार्ट--14
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बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ...मैं ...माधवी .."
माधवी की आवाज सुनते ही गिरधर की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ..वो धीरे से फुसफुसाया : "ये इतनी रात को कैसे आ गयी ...पंडित जी ..अगर इसने मुझे ऐसी हालत में देख तो अनर्थ हो जाएगा .."
गिरधर ने अपने और शीला के नंगे शरीर की तरफ इशारा किया ..
शीला अभी तक बेहोशी की हालत में ही थी ..
पंडित ने उसे शांत रहने का इशारा किया और दरवाजे की तरफ मुंह करके बोला : "जरा रुको माधवी ..अभी आता हु .."
और फिर जल्दी से शीला की टाँगे पकड़ी और गिरधर को उसकी बाजू पकड़ने को कहा और दोनों ने उसके नंगे जिस्म को उठा लिया और उसे बाथरूम की तरफ ले गए ..पंडित ने गिरधर को भी अन्दर रहने को कहा और खुद धोती लपेट कर बाहर आ गए और दरवाजा खोल दिया ..
बाहर माधवी खड़ी थी , अपना गाऊन पहने ...और गले में चुन्नी थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...इतनी रात को कैसे आना हुआ ..आओ -२ अन्दर आ जाओ ..?"
माधवी अन्दर आ गयी और पंडित ने दरवाजा बंद कर दिया .
माधवी : "पंडित जी ..वो गिरधर आये हैं क्या यहाँ ..आज तो इतनी रात हो गयी ..इतनी देर तो आज तक नहीं की इन्होने ..."
पंडित ने घडी देखि ...12 बजने वाले थे ..सच में , शीला की चुदाई करते हुए समय का पता ही नहीं चला उन्हें ..
पंडित : "हाँ ....वो आया तो था ..बस आधा घंटा पहले ही गया है ..वो कह रहा था की किसी से पैसे लेने थे, रात के समय ही मिलता है वो ..इसलिए ...आ जाएगा ...तुम चिंता मत करो .."
पंडित की बात सुनकर माधवी को कुछ राहत मिली ...
माधवी ने गाऊन पहना हुआ था और अन्दर आने के बाद पंडित ने गोर से देखा तो उसके निप्पल खड़े हुए साफ़ दिखाई दिए यानी उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..
पंडित की धोती में भी हलचल सी होने लगी ..पर उसका पति भी तो अन्दर ही था ..और शायद दरवाजे में बनी हुई झिर्री से सब देख रहा था ..कुछ सोचते हुए पंडित के मन में एक अजीब सा ख़याल आया ..और उसके चतुर दिमाग ने एक जोरदार और रिस्की प्लान बनाया ..
पंडित : "आओ बैठो माधवी ..अभी उसको आधा घंटा लगेगा वापिस आने में .."
माधवी के शरीर में भी झुरझुराहट सी फेल गयी जब पंडित ने हाथ पकड़ कर माधवी को अपनी तरफ खींचा और उसे सुबह का अधुरा छोड़ा गया काम याद आ गया ...
उस बेचारी को क्या पता था की अन्दर बाथरूम में बैठा हुआ उसका पति गिरधर सब कुछ साफ़ -२ देख रहा है ..पर वो भी पंडित के एहसान के तले दबा हुआ (शीला के नंगे जिस्म को अपने हाथो में समेट कर) अन्दर बैठा हुआ था ..उसे तो ये भी नहीं पता था की पंडित और उसकी बीबी के बीच बात कहाँ तक पहुँच चुकी है ..और जो कुछ भी वो देखने वाला था वो उसके लिए शॉक लगने जैसा ही था ..
माधवी : "पंडित जी ...सुबह तो आप बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए थे ..और अब हाथ पकड़ कर बुला रहे हैं .."
पंडित : "सुबह की बात कुछ और थी ..अभी की और है .."
कहते - २ पंडित ने माधवी के खड़े हुए निप्पल को गाऊन के ऊपर से ही मसल दिया ...उसकी सिसकारी निकल गयी ..और उसने अपना चेहरा पंडित के सामने सियार की भाँती ऊपर उठा दिया और अगले ही पल अपने पंजो पर खड़े होकर उसने पंडित के होंठों का शिकार कर लिया ...
पंडित : "उम्म्म्म्म ......ओह्ह्ह्ह ....माधवी ....सच में ....गिरधर की किस्मत कितनी अच्छी है ...जो हर रात तुम्हारे साथ होता है वो ..और जब मन चाहे कुछ भी कर सकता है ... "
माधवी ने पंडित की गर्दन ..छाती और नाभि वाले हिस्से को चुमते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू किया ...और बोली : "ओह्ह्ह्ह पंडित जी ...रात भर साथ रहना तभी मजेदार लगता है जब दूसरा इंसान भी मजे देने वाला हो ...आजकल के मर्द या औरत बाहर क्यों मुंह मारते हैं ..पता है .."
पंडित : "नहीं ...तुम बताओ ..."
माधवी : "क्योंकि घर में उन्हें वो सब नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें इच्छा होती है ...जैसे मैं ..मैं चाहती हु की रोज रात को मेरा पति मेरी चूत को चाटे ..मुझे प्यार से किसी राजकुमारी की तरह से मुझे एक औरत होने का एहसास दिलाये ...और बस मुझे ही प्यार करे ..."
उसकी बात सुनकर शायद गिरधर को भी अपनी कमजोरी का पता चल गया होगा ...
पंडित की धोती एक ही झटके में नीचे गिर गयी और उसका शीला के कामरस में डूबा लंड माधवी के सामने लहराने लगा ...
माधवी ने भूखी शार्क की तरह से पंडित की टांगो के बीच फंसी हुई मछली को लपका और तिल्ली वाली कुल्फी की तरह से उसे चूसने और चाटने लगी ...पंडित के लंड में से दूध की बूंदे निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी ...
माधवी : "ह्म्म्म्म ......आपके लंड में से किसी और की चूत की खुशबू आ रही है ...लगता है मेरे आने से पहले किसी और की सेवा कर रहे थे आप ...पंडित जी .."
पंडित कुछ ना बोला ...ऐसी अवस्था में कुछ भी बोलना सही नहीं था ...वो बस मुस्कुराते हुए माधवी के चोदु मुंह को चोदने में लगा रहा ...
पंडित ने अपने हाथों से अपना डंडा पकड़ा और माधवी के चेहरे पर मारने लगा ...
चमड़ी के डंडे की मार अपने चेहरे पर पड़ती देखकर माधवी और भी खुन्कार हो उठी ....उसने आनन् - फानन में अपना गाऊन निकाल फेंका और नंगी होकर पंडित की गर्दन से झूल गयी ...
उसके बड़े -२ तरबूज पंडित की छाती से पीसकर अपना रस निचोड़ रहे थे वहां ...
पंडित ने उसकी चोडी - चिकनी गांड को अपने हाथों में समेटा और उसे ऊपर उचका कर अपनी गोद में ले लिया ...
माधवी ने अपनी मोटी जांघे पंडित की कमर से लपेट कर उसे हेवन के मजे देने शुरू कर दिए ...अपने होंठों से .
उसके गुलाबी होंठ बड़ी बेदर्दी से पंडित को चूसने और खरोचने में लगे हुए थे और उतनी ही बेदर्दी से वो अपनी छातियाँ पंडित के सीने से झटके दे देकर पीस रही थी ..
अचानक पंडित ने अपनी एक ऊँगली माधवी की गांड के छेद में घुसा डाली ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....यहाँ नहीं ....दर्द होता है ....अह्ह्ह्ह "
पंडित समझ गया की माधवी की गांड अभी तक कुंवारी है ...मजा आयेगा ..
और अन्दर , गिरधर दरवाजे की झिर्री में आँख लगाए हुए पंडित और अपनी पत्नी की रासलीला देख रहा था ..और गुस्सा होने के बजाये अप्रत्याशित रूप से उसके लंड ने भी अंगडाई शुरू कर दी ...वैसे भी वो पंडित जी को पहले ही बोल चूका था की वो अगर उसकी मदद करे तो उसे अपनी पत्नी और बेटी को उनसे शेयर करने में प्रोब्लम नहीं है ..पर कहने और करने में काफी अंतर होता है, उसके कहने का ये मतलब नहीं था की पंडित सच में ही उसकी पत्नी या बेटी की चुदाई कर दे ...पर अब हो भी क्या सकता था ..बाहर जिस तरह से माधवी पंडित के साथ मजे ले रही थी, उससे एक बात तो साबित हो ही चुकी थी की ये इनका पहली बार नहीं था ... और उसके पास
सिर्फ देखने के और कोई चारा नहीं था ...उसके सामने शीला नंगी पड़ी हुई थी ..उसने टटोल कर उसकी चूत पर हाथ लगाया और पंडित के लंड से निकले हुए रस से भीगी उसकी चूत की मालिश करने लगा ...
बाहर आँख लगाकर उसने देखा की पंडित की ऊँगली अभी तक माधवी की गांड के अन्दर ही है और उसकी मसाज कर रही है ..पंडित का लंड माधवी की गद्देदार गांड को सलामी दे रहा था ..और अब पंडित झुककर उसके आमो का रस पी रहा था ...और माधवी पंडित के सर को अपनी ब्रेस्ट पर जोर से दबा कर उसे और जोर से चूसने के लिए कह रही थी ....
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित ....उम्म्म्म्म .....क्या चूसते हो आप ....अह्ह्ह्ह ...मेरे निप्पल तो धन्य हो गए आपके मुंह में जाकर .... अह्ह्ह्ह्ह ....मजा आ रहा है ...."
"साली मुझे तो आजतक ऐसा नहीं बोल इसने ...और पंडित को कैसे चने के झाड़ पर चड़ा रही है ...ये ...." गिरधर बुदबुदाया ...
उसने शीला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली ...और उसकी चूत पर अपने लंड को लेजाकर एक धक्का मारा ...और उसका उदबिलाव सरकता हुआ शीला की चूत में घुस गया ...
बेहोशी की हालत में के बावजूद शीला के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ...
पंडित ने काफी देर से माधवी के भरे हुए जिस्म को उठा रखा था ..और थक गया था ..उसने उसे नीचे उतार दिया ..और वो फिर से पंडित के लंड को अपने मुंह में लेकर उसकी मिठास का आनंद लेने लगी ...
पंडित भी उसके मुंह को चूत की तरह से चोदने लगा ...
अन्दर गिरधर अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था की आज उसे शीला जैसी मस्त माल की गांड और अब चूत भी मारने को मिल गयी है ...और बाहर पंडित ये जानते हुए की माधवी का पति गिरधर अन्दर से सब कुछ देख रहा है , उसकी बीबी का मुख चोदन करने में लगा हुआ था ...
अचानक बिना किसी वार्निंग के पंडित के लंड ने ढेर सारा मीठा नारियल पानी माधवी के मुंह में निकाल दिया ...जिसे वो बिना कोई देरी किये पी गयी ...
अपनी पत्नी की ऐसी करतूत देखकर गिरधर के धक्के और भी तेज हो गए ...शीला की चूत में ..और वो बडबडाने लगा "भेन चोद ....इतने सालों तक मेरा लंड कभी नहीं चूसा ...और अब ऐसे चूस रही है जैसे बरसों से येही पसंद है रांड को ...साली कुतिया ....भेन की लोडी ...."
आवेश में आकर उसके मुंह से गालियाँ निकलती जा रही थी ...वो अपनी पत्नी पर गुस्सा नहीं था ...बस गिला था की उसने ये सब इतना लेट सीखा ...
पंडित ने माधवी को नीचे जमीं पर लिटा दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना मुंह लेकर कूद गया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... .पंडित ....जी ....उम्म्म्म्म ....चुसो इसे ....आपकी जीभ और होंठ इसे बहुत पसंद आ गए हैं ...अह्ह्ह्ह ...." और पहले की तरह ही उसने पंडित की चुटिया को पकड़ कर जोरों से उसके मुंह को अपनी चूत के ऊपर मारना शुरू कर दिया ...और एक मिनट के अन्दर ही उसके अन्दर से निकल रही बारिश से पंडित के मुंह को धोना शुरू कर दिया ...
और दोनों गहरी साँसे लेते हुए एक दुसरे के ऊपर गिर पड़े ...चुदाई अभी भी होनी बाकी थी ....पंडित का लंड फिर से होने में 30 मिनट और लगने थे अभी ...
एकदम घडी की देखकर माधवी हडबड़ा कर उठी और बोली : " अरे आधा घंटा हो गया ...वो आने वाले होंगे ...मैं चलती हु ." और उसने अपने ऊपर गाऊन पहना चुन्नी ली और बाहर निकल गयी ...
पंडित ने भागकर बाथरूम का दरवाजा खोला ...और गिरधर को शीला की चुदाई करते हुए देखा ...शीला भी होश में आ चुकी थी ...और हक्की बक्की होकर ये सोचते हुए की आखिर मैं बाथरूम में कैसे आ गयी और गिरधर का लंड मेरी चूत के अन्दर कब घुसा , धक्के लेने में लगी हुई थी ..
और गिरधर पंडित की तरफ देखते हुए,शीला की टांगो को पकडे हुए,जोर से धक्के मारने में लगा हुआ था ...और आखिरकार उसने भी अपनी पिचकारी शीला की चूत में छोड़ दी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......."
और उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ...
गिरधर ने अपने लंड की आखिरी बूँद भी शीला की चूत में निकाल दी थी ..और अब वो पूरी तरह से खाली हो चूका था ..
शीला की तो टाँगे पूरी सुन्न सी हो चुकी थी ..पहले पंडित और गिरधर ने मिलकर उसकी डबल बजायी और अब गिरधर ने दोबारा से सिंगल ...इतना तो वो आजतक नहीं चुदी थी ..पर पंडित के अलावा गिरधर से भी अपना बेंड बजवाने में उसे काफी मजा आया था ...और उसकी मुस्कराहट उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ बयान कर रही थी .
पंडित ने इशारा करके उसे जाने के लिए कहा ..वो उठी और लडखडाती हुई कमरे में आई और अपने कपडे समेट कर पहने और चुपके से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी .
उसके जाते ही पंडित ने गिरधर से कहा : "मुझे मालुम है की तुमने अन्दर से सब कुछ देख ही लिया है की तुम्हारी पत्नी मेरे साथ क्या-२ कर रही थी .."
गिरधर कुछ ना बोला .
पंडित : "देखो गिरधर ...मैंने ये सब तुम्हारी मदद करने के उद्देश्य से किया है ..तुम्ही ने कहा था न की माधवी तुम्हारे किसी भी कार्य में साथ नहीं देती ..जैसे लंड चूसना या चूत चुस्वाना ..मैंने उसे अपने पास बुलाया था और सब समझाया भी था ..पर तुम तो जानते ही हो , जब तक प्रेक्टिकल करके ना दिखाया जाए ये पुराने विचारों वाली औरतें कुछ भी नहीं समझती ..और वो मेरे निर्देशों का ही असर था जब उसने तुम्हारे लिंग को पहली बार चूसा था और अपनी चूत भी चुस्वायी थी .."
गिरधर पंडित की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था ..
पंडित : "और मेरे साथ ये सब करने में कोई नुक्सान भी नहीं है उसे ..क्योंकि मैं इस बात की भनक किसी को भी नहीं लगने दूंगा, और ये सब करते -२ मैं जल्दी ही रितु को भी तुम्हारे लिए राजी कर लूँगा ..तब तक तुम भी शीला के साथ जब चाहे मजे ले सकते हो ..और अब तो माधवी भी तुम्हे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी ..क्यों .. "
पंडित ने अपनी तरफ से लालच का एक और दाना गिरधर के सामने फेंका ..
गिरधर ने सर झुका कर अपना सर हिलाया ..उसके सामने कोई और चारा भी तो नहीं था ..वो पंडित से लडाई भी नहीं कर सकता था की उसने क्यों उसकी बीबी के साथ ऐसे सम्बन्ध बनाए, जबकि वो भी किसी और के साथ वही सब करने में लगा हुआ था और अब उसकी नजर अपनी ही बेटी पर भी थी, उसे पंडित का साथ ही सही लगा, क्योंकि उसकी वजह से ही वो आज शीला जैसे माल के साथ मजे ले पाया था और आगे भी ले सकता था , और रितु भी तो थी आगे के खेल में ..
ये सब सोचकर और समझकर वो पंडित से बोला : "आप ठीक कहते हैं पंडित जी ..जैसा आप उचित समझे वैसा ही कीजिये .."
पंडित मुस्कुराया , वो समझ गया था की आज के बाद गिरधर की तरफ से उसे कोई रुकावट नहीं होगी ..
पंडित : "चलो अब तुम भी घर जाओ ..माधवी तुम्हारे लिए कितनी चिंतित थी ..जल्दी जाओ अब .."
गिरधर ने भी अपने कपडे पहने और बाहर निकल गया .
पंडित ने उसके जाते ही दरवाजा बंद किया और आराम से लेट गया ..और सोचने लगा की कितनी चतुराई से उसने गिरधर के सामने ही माधवी से मजे ले लिए ..और आगे भी ले सकने के दरवाजे खोल दिए ..पर अपनी पत्नी को मेरा लंड चूसते देखकर उसमे काफी उत्तेजना भी आ गयी थी ..और उसने बेहोश पड़ी हुई शीला की चूत बाथरूम में ही मारनी शुरू कर दी थी ..अब गिरधर जाते ही माधवी का बेंड बजा देगा ..और अपना गुस्सा , इर्ष्या और उत्तेजना उसके ऊपर निकालेगा ..
पंडित ये सब सोचते -२ एकदम से उठकर बैठ गया ..और मन ही मन बोला : "यार ...ये सीन तो देखने वाला होगा .."
और उसने जल्दी से अपना कुरता और चप्पल पहनी और एक शाल लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिया ..अपना चेहरा उसने शाल से ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान ना सके ..
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