Wednesday, January 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI पंडित & शीला पार्ट--23

FUN-MAZA-MASTI


 पंडित &  शीला पार्ट--23
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गतांक से आगे ......................
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 पर पंडत अब कहाँ रुकने वाला था ...उसने दे दना दन धक्के मारकर उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दिए ...और थोड़ी देर में ही रितु को भी मजा आने लगा ...वो मजा जिसके लिए वो कब से तरस रही थी ...ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत को उसकी खुराक मिल गयी हो ...वो अन्दर तक खुश हो चुकी थी ...


''अह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ......अह्ह्ह्ह ...सच में ....आप महान हो .....क्या मजा आ रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह ......अह्ह्ह्ह्ह . ...उम्म्म्म ... जोर से करो .....पंडित जी ....और तेज ....जैसे आपने .....संगीता के साथ किया ......अह्ह्ह्ह्ह ...जैसे पिताजी ने माँ के साथ किया ....अह्ह्ह्ह्ह ....जैसे पिताजी ने संगीता की मारि…. ... अह्ह्ह्ह्ह .....हाँ ....ऐसे ही ....उफ्फ्फ मा ......मैं तो गयी ....पंडित जी ..."


और इतना कहकर उसने अपनी चूत की खान से निकाल कर सोने जैसा रस पंडित जी के लंड के नाम कुर्बान कर दिया ...


और पंडित जी ने भी काफी देर से दबा कर रखा हुआ ज्वालामुखी अपने अन्दर से निकाला और उसकी चूत के अन्दर अपना लावा निकाल कर वहीं ढेर हो गए ...


अब दोनों के गर्म जिस्म एक दुसरे को सहला रहे थे ...


पंडित ने सोचा की उसके दिल की बात जानी जाए इसलिए उन्होंने रितु से बात करनी शुरू की ...


पंडित : "अच्छा एक बात तो बताओ ...तुम्हे अपने पिताजी के इरादे तो शुरू से मालुम है ..वो तुम्हारे साथ घर पर भी वो छेड़ छाड़ कर ही चूका है ...और आज तो उसने तुम्हारी सहेली को भी चोद डाला ये सोचते हुए की वो तुम हो ...तुम ये सब जानने के बाद उनके बारे में क्या सोचती हो ..."



पहले तो वो चुप रही पर फिर धीरे से उसने बोलना शुरू किया ..: "मुझे पता है की ऐसा सोचना और करना गलत है ..उनकी हरकतें मुझे शुरू में बुरी लगती थी ..पर अब ...अब ...मुझे भी वो सब अच्छा लगने लगा है ...पिताजी को जब उस दिन माँ के साथ सेक्स करते हुए देखा और आज अपनी सहेली के साथ भी ...तो मुझे ऐसा लगा की उनकी जगह पर मुझे होना चाहिए था ...वो मेरा हक़ था जो वो लूट रही थी ...''


पंडित समझ गया की आगे का काम करने में उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाली ...उनके दिमाग में नयी - २ योजनायें बननी शुरू हो गयी ..


 समय काफी हो चूका था इसलिए पंडित जी ने रितु को घर जाने को कहा ..शाम को मंदिर के कार्यों से निपट कर पंडित जी को नूरी का ख़याल आया ...वैसे तो पंडित जी में चोदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर फिर भी नूरी के बारे में सोचते ही उनके लंड की नसों ने फड़कना शुरू कर दिया ...


उन्होंने अपना कुरता और धोती पहना और बाहर निकल गए .


और चल दिए नूरी के घर की तरफ .


वहां पहुंचकर पंडित जी ने इरफ़ान भाई को दूकान पर बैठे देखा ..वो काफी परेशान से थे .


पंडित : "इरफ़ान भाई ..क्या हुआ ..आप इतने परेशान से क्यों लग रहे हैं .."


इरफ़ान : "अरे पंडित जी ...अच्छा हुआ आप आ गए ...मैं अभी आपके बारे में ही सोच रहा था ...दरअसल आज सुबह ही नूरी के ससुराल से फ़ोन आया था ..वो पूछ रहे थे की आगे का क्या इरादा है ..मैंने जब नूरी से पुछा तो उसने मुझसे लडाई करनी शुरू कर दी ...अब आप ही बताइए पंडित जी ..भला इस तरह कोई लड़की अपने पति का घर छोड़कर बैठ सकती है क्या ..दुनिया वाले भी बातें बनाने लगते हैं ..उसके ससुराल वालों पर भी आस पास के लोग इल्जाम लगा रहे है ..मुझे तो लगा था की आपने समझा दिया है ..और वो जल्दी ही मान कर वापिस चली जायेगी ..पर वो अपनी जिद्द लेकर बैठी है की उसकी जब मर्जी होगी तभी वापिस जायेगी .."


पंडित : "और उसकी मर्जी कब होगी वापिस जाने की ...?"


पंडित ने जैसे जानते हुए भी ये सवाल इरफ़ान भाई से पुछा ..


इरफ़ान : "अब ये तो वही जाने ...पर कह रही थी की कम से कम एक हफ्ता और उन्हें मजा चखना चाहती है वो ...अब आप ही बताइए पंडित जी ..एक हफ्ते में ऐसा क्या कर लेगी वो .."


पंडित मन ही मन मुस्कुरा दिया ..वो जानता था की एक हफ्ता और वो उनसे चुदना चाहती है ...और प्रेग्नेंट होकर ही वापिस जाना चाहती है .


पंडित जी : "आप चिंता मत करो ...मैं बात करता हु उस से ...."


इतना कहकर वो ऊपर जाने लगे तो इरफ़ान भाई ने रोक दिया : "वो ऊपर नहीं है पंडित जी ..मुझे लडाई करके अभी बाहर निकली है ..मैं तो इसके ऐसे रव्वैय्ये से परेशान हो चूका हु ..वो बाहर जो बड़ा पार्क है वहीँ गयी होगी .."


इरफ़ान भाई बडबडाने लगे ..पंडित ने एक बार तो सोचा की वापिस अपने कमरे में चला जाए पर फिर ना जाने क्या सोचकर वो पार्क की तरफ चल दिए ..शायद वो नूरी को इस तरह परेशान नहीं देख सकते थे .


रात का अँधेरा हो चूका था ..ये पार्क उनके इलाके का सबसे बड़ा पार्क था, जहाँ आस पास के लोग सुबह और शाम को सैर करने आते थे ..


पंडित जी पार्क के अन्दर आ गए, वो काफी बड़ा था और वहां काफी लोग भी थे , कुछ लोग सैर कर रहे थे, कहीं पर बच्चे फूटबाल खेल रहे थे ..और कहीं दूर अँधेरे में पेड़ ने नीचे कुछ जवान जोड़े एक दुसरे की गोद में बैठे हुए , दुनिया से बेखबर प्यार की चोंच लड़ा रहे थे ..


पर अभी पंडित जी की नजरें नूरी को ढूंढ रही थी ..


तभी उन्हें पीछे से किसी ने पुकारा : "अरे पंडित जी ...आप और यहाँ .."


उन्होंने पीछे मूढ़ कर देखा तो वहां निर्मल भाभी खड़ी थी ..वो उनके मंदिर में सुबह शाम आया करती थी और उनकी एक कीर्तन मण्डली भी थी ..जो घर-२ जाकर कीर्तन करती थी, वैसे उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी ...लगभग 40 के आस पास थी वो ..उनके पति अक्सर बाहर रहा करते थे ..इसलिए अपना ज्यादातर समय वो भगवान के भजन गाने में निकाल देती थी ..वो शायद पार्क में घूमने आई थी .


 पंडित : "अरे निर्मल भाभी ..नमस्कार ..मैं तो बस आज ऐसे ही चला आया यहाँ ...आज काफी गर्मी थी ना ..सोचा थोड़ी देर पार्क में आकर ताजा और ठंडी हवा का आनद ले लू .."


निर्मल भाभी : "हा हा .ये तो आपने अच्छा सोचा ...वर्ना हम लोगों को तो आज तक यही लगता था की आप सिर्फ मंदिर के अन्दर ही रहा करते हैं ..बाहर जाने का आपका मन ही नहीं करता ..आ जाया कीजिये रोज शाम को पार्क में ..मैं भी आती हु .."

उसने जैसे पंडित जी को लालच दिया ..

पंडित बेचारा मुस्कुरा कर रह गया ..

पंडित की निगाहें अभी भी नूरी को ढूंढ रही थी ..वैसे निर्मल भाभी उनसे थोड़ी देर तक और बातें करना चाहती थी ..पर पंडित उन्हें अनदेखा सा करता हुआ आगे चल दिया ..

और आखिर में उन्हें एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठी हुई नूरी दिखाई दे गयी .

पंडित उसकी तरफ चल दिया ..वो दूर खेलते हुए छोटे - २ बच्चों को देख रही थी ..पंडित जी उसके सामने आकर खड़े हो गए .


नूरी : "पंडित जी ...आप ...और यहाँ ..."


पंडित : "हाँ ..मैं ..दरअसल मैं तुम्हारे घर गया था ..और तुम्हारे अब्बा ने बताया की तुम यहाँ पार्क में आई हो ..और परेशान भी हो ..इसलिए मैंने सोचा की ... "


नूरी : "यानी ..आप मेरे लिए यहाँ आये हैं ...ओह्ह पंडित जी ...आपका बहुत -२ धन्यवाद ...वैसे मैं अक्सर शाम को यहाँ आती हु ..पर आज अब्बू के साथ कुछ कहा सुनी हो गयी तो मन खराब सा हो गया इसलिए यहाँ आ गयी ..."

पंडित : "मैं समझ सकता हु ..उन्होंने मुझे सब बता दिया है ..मेरे हिसाब से तो तुम्हे उनकी बात मान लेनी चाहिए .."

नूरी : "पर पंडित जी ..अभी तो ..मैं ..प्रेग्नेंट हुई भी नहीं हु ..और वैसे भी ...मेरा मन अभी नहीं भरा है आपसे ..."


उसने बेशर्मी से अपने दिल की बात उगल दी .


पंडित भी बेशर्मी से बोला : "तभी तो मैं आया था तुम्हारे घर ...अगर इस वक़्त तुम घर पर होती तो शायद मेरे लंड से चुद रही होती .."

पंडित ने अपनी धोती की तरफ इशारा करते हुए उससे कहा ..

नूरी की आँखों में जैसे आग उतर आई हो ..पंडित के लंड की तरफ उसने भूखी नजरों से देखा और अपने होंठों पर जीभ फेराई ..


नूरी : "तो देर किस बात की है पंडित जी ..शुरू हो जाओ ..मैंने कब मना किया है आपको .."

पंडित (हेरानी से ) : "यहाँ ...इस जगह ..."

नूरी : "हाँ ..और कहाँ ...डर गए क्या ..उन्हें देखो जरा .."

उसने दूसरी तरफ इशारा किया ..जहाँ एक जवान लड़का लड़की अँधेरे वाली जगह पर पेड़ के नीचे बैठे हुए एक दुसरे को स्मूच कर रहे थे ..लड़के के हाथ लड़की की टी शर्ट के अन्दर थे और वो उसके स्तनों को बुरी तरह से मसल रहा था ..


पंडित : "ये सब उनके लिए ठीक है ...मेरा एक ओहदा है ..समाज में पहचान है ..अगर किसी ने देख लिया, पहचान लिया तो .."


पंडित ने अपनी बेचारगी उसे सुनाई .


नूरी : "उसकी चिंता आप मत करो ..हम सब कुछ छुप कर ही करेंगे उनकी तरह खुले आम नहीं ..आप बस करने वाले बनो ..जब लड़की होते हुए मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तो आप क्यों डर रहे हैं .."

नूरी ने जैसे उनकी मर्दानगी को ललकारा ..

अब तो पंडित के सामने अजीब दुविधा खड़ी हो गयी थी ..पर नूरी की बातें सुनते हुए और उसके तेवर देखते हुए उनका भी मन करने लगा था ..

पंडित को गहरी सोच में डूबा देखकर नूरी बोली : "क्या हुआ पंडित जी ...मूड नहीं बन रहा है क्या ..."


 और इतना कहते हुए उसने अपनी टी शर्ट के गले को पकड़कर नीचे खींच दिया ..और तब तक खींचती रही जब तक उसके उभार पंडित की आँखों के सामने पूरी तरह से दिखाई नहीं दिए ..पंडित उसकी इस बेशरम हरकत को देखकर हैरान रह गया ..वो तब भी नहीं रुकी ..उसने एक दो बार इधर उधर देखा और जब लगा की कोई उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो उसने अपनी टी शर्ट को ब्रा समेत और नीचे खिसका दिया और उसकी दांयी ब्रेस्ट का खड़ा हुआ निप्पल पंडित जी को सलाम ठोकने लगा .

पंडित जी की दोनों आँखों में उसके निप्पल की परछाई जैसे छप कर रह गयी ...उनकी धोती में से उनका लंड किसी क्रेन की तरह उठ खड़ा हुआ ....उन्होंने अपने हाथ से उसे मसल कर वापिस नीचे दबा दिया ..

नूरी की इस हरकत ने पंडित का रहा सहा मूड भी पूरी तरह से बना दिया था.

नूरी (अपना निचला होंठ दांतों में दबाते हुए ) : "क्यों उसका गला दबाकर उसकी क्रांति को ख़त्म कर रहे हैं पंडित जी ...आजाद कर दो इसे और कर लेने दो उसे अपनी मनमानी ..."

नूरी अब किसी धंधे वाली की तरह व्यवहार कर रही थी ..

पंडित ने पहले आस पास का जायजा लिया ..कोई उन्हें और नूरी को देख तो नहीं रहा है ना ...और फिर वो धीरे से नूरी से बोले : "अच्छा ठीक है ...लेकिन सिर्फ ऊपर -२ से ही हो पायेगा ...''

नूरी : "आप आओ तो सही ...''

उसे भी मालुम था की वहां ज्यादा कुछ संभव नहीं है ...इतने लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा चुसम चुसाई ही हो पाएगी ...और कुछ नहीं ..पर अभी उनके लिए वही बहुत था ...और ऐसा नहीं था की नूरी अपने घर जाकर पंडित जी से चुदाई नहीं करवा सकती थी ...पर ऐसे खुले में कुछ करने की चाहत उसके मन में कई सालों से थी ...और अक्सर उसने पार्क में दुसरे जोड़ों को जिस तरह से मस्ती करते हुए देखा था उसका भी मन करता था की वो भी ये सब कर पाती ...पर घर की बंदिशे और फिर कम उम्र में शादी होने की वजह से उसकी ऐसी ख्वाहिशें मन में ही रह गयी थी ...और आज वो पंडित के जरिये अपने मन की हर मुराद पूरी कर लेना चाह रही थी ..और दूसरी तरफ पंडित था जो अपनी मान मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ खुलेआम मस्ती करने को तैयार हो गया था ...क्योंकि खड़े लंड वालों के पास दिमाग की कमी होती है ..एक बार जब लंड खड़ा हो जाए तो ऊपर वाला दिमाग काम करना बंद कर देता है और उसके बाद जो भी होता है वो नीचे वाले खड़े लंड की मर्जी से ही होता है .

पंडित जी उसकी बगल में जाकर बैठ गए ..

उन्होंने एक बार फिर से दूसरी तरफ बैठे हुए जोड़े को देखा ..इतनी दूर से और अँधेरे की वजह से उनके चेहरे तो दिखाई नहीं दे रहे थे पर उनकी हरकतें साफ दिख रही थी .

लड़के ने अपना चेहरा अब लड़की की टी शर्ट के अन्दर डाल दिया था ...और वो उसके रसीले आमों को जोर जोर से चूस रहा था ...और लड़की उसके सर को अपनी छाती पर दबाकर जोर से साँसे ले रही थी ..

पंडित ने भी हिम्मत करके नूरी की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया ...

दोनों के जिस्म आग की तरह जल रहे थे ..

दोनों के लिए इस तरह खुले में प्यार की मस्ती करने का ये पहला मौका जो था ...


 पंडित ने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था की वो किसी युगल जोड़े की तरह इस तरह पार्क में बैठकर खुले आम रास लीला करेगा ..पर हालात ही ऐसे बन गए थे की वो चाह कर भी मना नहीं कर पा रहा था ..


पंडित ने एक बार फिर से दूर बैठे हुए जोड़े की तरफ गया ..लड़की ने अब अपना सर लड़के की गोद में रख दिया था और पैर सामने की तरफ फेला दिए थे ..लड़के ने अपना सर नीचे झुकाया और लड़की के चेहरे को स्पाईडर मेन वाले स्टाईल में उलटी किस्स करी ..और लड़के के दोनों हाथ आगे की तरफ जा कर उसके मुम्मों का बुरी तरह से मर्दन कर रहे थे ..और वो भी टी शर्ट के अन्दर से ..उनके जिस्मो में लगी हुई आग की तपिश पंडित और नूरी तक पहुँच कर उन्हें भी गरम कर रही थी .


पंडित ने आखिरकार पहल करी और इधर उधर देखने के बाद एकदम से नूरी के होंठों पर एक पप्पी दे डाली ..और फिर अपनी नजरें इधर उधर करके वो देखने लगा की किसी ने देखा तो नहीं ..


नूरी उनकी इस हरकत को देखकर हंसने लगी ..और बोली : "पंडित जी ..आप भी कमाल के हैं ..इतना एक्सपेरिएंस होने के बावजूद ऐसे डर रहे हैं जैसे पहली बार कर रहे हो ...रुको मैं दिखाती हु किस तरह की किस्स पसंद है मुझे ...''


और इतना कहकर उसने पंडित की गर्दन के ऊपर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया ..और खुद पीछे होती हुई घांस पर लेट गयी ..और पंडित को अपने बांये मुम्मे के ऊपर लिटा सा लिया ..और अगले ही पल उनके होंठों को अपने मुंह में दबोच कर उन्हें अपने होंठों की चाशनी से भिगोने लगी ..


'उम्म्म्म्म्म ......पंडित जी ....'


नूरी की मदहोश होती हुई नजरों ने पंडित के दिमाग पर भी पर्दा डाल दिया ..वो भूल गया की वो कौन है और कहाँ पर बैठकर ऐसे कर्म कर रहा है ..पर अब कुछ नहीं हो सकता था ..उसने अपने बांये हाथ को उसके दांये मुम्मे पर रखा और गाडी के भोंपू की तरह उसे बजाने लगा ..और नूरी के मुंह से संगीत निकलने लगा ..


अब पंडित भी जोश में आ चुका था ..उसने भी नूरी के जिस्म पर लेते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूस चूसकर उन्हें लाल सुर्ख कर दिया .


पंडित की धोती के अस्तबल में बंधा हुआ उनका लंड रूपी घोड़ा ऐसी अवस्था में आकर बुरी तरह से हिनहिना रहा था ..




नूरी की टी शर्ट के गले को नीचे खिसका कर पंडित ने उसकी एक ब्रेस्ट को नंगा कर दिया और उसपर लगी हुई चेरी को चूसकर उसका मीठापन पीने लगा ..नूरी ने भी कोई विरोध नहीं किया ..पंडित की हरकतों को महसूस करते हुए उसकी दक्षिण दिशा में स्थित फेक्ट्री में से गर्म पानी निकल कर पार्क की घांस में सिंचाई कर रहा था ..


पंडित ने उसके दुसरे मुम्मे को भी घोंसले से बाहर निकाला और दोनों गुब्बारों के ऊपर अपने चेहरे को रगड़ कर उनकी नरमी को महसूस करने लगा… उसने नूरी के मुम्मों को अपने दोनों हाथों में दबोचा तो उसके दोनों निप्पल किसी भाले की तरह से बाहर निकल आये और फिर उन ताने हुए निप्पलों को अपने होंठों , गालों , नाक और आँखों में चुभा - २ कर उनका आनंद लेने लगा ...


पंडित की ऐसी हरकत करता देखकर वो बेचारी जमीन पर किसी मछली की तरह से तड़प रही थी ..उसकी आँखे जब खुलती तो सिंदूरी आसमान पर नींद से जाग रहे सितारों की टिमटिमाहट ही दिखाई देती ...पर पंडित जी के होंठों की पकड़ अपने स्तनों पर पाकर वो आँखे फिर से बंद हो जाती .


उसने मचलते हुए अपने हाथ से टटोल कर पंडित की धोती में प्रवेश किया ..और अपनी पतली - २ उँगलियों से उनके मोटे रेसलर को पकड़ लिया ..पंडित के दांतों ने एक जोरदार कट मार उसके बांये स्तन पर ..और वो सिहर कर धीरे से चिल्ला पड़ी ..


''अयीईई ....उफ्फ्फ पंडित जी ....काटो मत ...दर्द होता है ..प्यार से चुसो इन्हें ..सिर्फ ..चुसो ..''


पंडित ने उसकी बात मान ली और अपने होंठ और जीभ से ही उसकी ब्रेस्ट की मसाज करने लगा ..


इसी बीच नूरी की जादुई उँगलियों ने पंडित के कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अन्दर जाकर उसपर अपनी उँगलियों की पकड़ बना दी .


आज पंडित कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था ..उसके लंड की मोटी -२ नसें नूरी को अपने हाथ पर साफ़ महसुस हो रही थी ..वो उन नसों की थरथराहट अपने होंठों पर महसुसू करना चाहती थी ..वो उठी और पंडित के होंठों के चुंगल से अपने नन्हे निप्पलों को छुड़ाया और पंडित जी को पेड़ का सहारा लेकर बिठा दिया ...और खुद उनकी गोद में सर रखकर धीरे -२ उनकी धोती की परतों को हटाने लगी ...और फिर उनके नीचे खिसक रहे कच्छे को भी नीचे करके उनके उफान खा रहे लंड को अपनी आँखों के सामने ले आई ..


और फिर एक लम्बी सांस लेकर उनके लहराते हुए लंड को अपने होंठों की सरहद के पार ले गयी .


''उम्म्म्म्म .....पुच्च्छ्ह ...... ...अह्ह्ह्ह्ह ....... उम्म्म्म्म ......''


उसने एक मिनट के अन्दर ही उसे अपनी लार से नेहला डाला ...इतना प्यार आ रहा था उसे इस वक़्त पंडित जी के लंड पर की उसे कच्चा खा जाने का मन कर रहा था उसका ..



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