Wednesday, January 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI पंडित & शीला पार्ट--25

FUN-MAZA-MASTI


 पंडित &  शीला पार्ट--25
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गतांक से आगे ......................
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 जहाँ पंडित लेटा था उसे शीला के संगमरमर जैसे बदन का हर कटाव दिखाई दे रहा था ..उसकी मोटी जांघे ..उनके बीच उसकी सफाचट चूत से निकलता गाड़े शहद का झरना ...और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और सबसे ऊपर दो विशाल पर्वत ...इतना उत्तेजना से भरपूर दृश्य देखकर पंडित से रहा नहीं गया ...उसने अपने कुर्ते को लेटे हुए ही उतार दिया ..और नीचे से अपनी धोती और कच्छे को भी निकाल फेंका ..वो भी अब नंगा हो चुका था ...

उसने ऊपर हाथ शीला की जांघे पकड़ ली और उसे नीचे खींचा ..वो नीचे आई और झुक कर अपने मोटे मुम्मे पंडित जी के मुंह के आगे अंगूरों की तरह लहरा दिए ..पंडित उसके खरबूजों के ऊपर लगे अंगूरों को अपने दांतों से पकड़ने की कोशिश करने लगा ..


इसी बीच शीला ने अपनी गांड की लेंडिंग पंडित जी के एयरपोर्ट पर करनी शुरू कर दी ...और जैसे जी उनके खड़े हुए राडार ने उसकी उड़नतश्तरी को छुआ वो बिदक सी गयी ...और एकदम घूम कर पंडित जी के पैरों की तरफ हो गयी ..और सीधा उनके लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया ..और बैठ गयी .


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...''


पंडित और शीला के मुंह से एक साथ सिस्कारियां फुट पड़ी ..


शीला शायद सोच कर आई थी की आज वो अपनी चूत और गांड दोनों मरवाकर रहेगी ...ऐसे ही तो उसके अन्दर की आग भड़क नहीं रही थी ..


पंडित ने उसकी लहराती हुई कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करके उसकी गांड के पेंच ढीले करने लगे अपने स्क्रू ड्राईवर से ..


''अह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह शीला ...अह्ह्ह्ह म्मम्मम ....क्या ....टाईट छेद ....है तेरा ..अह्ह्ह्ह ... उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म ....हा न…. .....अह्ह्ह ..जोर से ...कूद ...और जोर से ..''


और पंडित का कहना मानकर वो जोरों से कूदने लगी उनके लंड पर ...और जल्दी ही दोनों तरफ से झड़ने की ख़बरें आने लगी ..


'अह्ह्ह पंडित जी ....अह्ह्ह ...मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ....'


'ओह्ह्ह शीला ....अह्ह्ह्ह .....मैं भी आया ...अह्ह्ह्ह्ह ...ले ...अह्ह्ह ..'


और दोनों एक दुसरे के ऊपर गिरकर हांफने लगे ..


और जब साफ़ सफाई करके शीला पंडित जी की बाहों में आकर लेटी तो उसने धीरे से उनके कान में कहा : "आज की पूरी रात मैं आपके पास रहूंगी ..मम्मी पापा गाँव गए हैं शादी में ...कल दोपहर तक ही आयेंगे ..''


उसकी बात सुनकर पंडित के पुरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी ..


और उसके मुम्मों को अपने हाथों में दबाता हुआ वो सो गया ..


 रात के नौ बजने वाले थे ..पंडित जी की नींद खुली ..उन्हें भूख भी लगी थी ..पर खाना बनाने का समय नहीं था उनके पास ..शीला अभी तक गहरी नींद में सो रही थी .


वो सोच ही रहे थे की क्या करे, तभी पिछले दरवाजे पर किसी की आहट हुई ..उन्होंने धीरे से पुछा : ''कौन है ..''


''मैं हु पंडित जी ..माधवी ..''


'इसको भी चुदवाने का शौंक चढ़ गया है लगता है' ..पंडित ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खोल दिया ..


सामने माधवी खड़ी थी ..हाथ में एक बड़ा सा बर्तन लिए हुए ...


वो सीधा अन्दर आ गयी ..और बोली : "वो ..आज मैंने कुछ ख़ास बनाया था, सोचा आपके लिए ले आऊं ..''


इतना कहकर उसने वो बर्तन टेबल पर रख दिया ..


आज तो पंडित जी कुछ और भी मांगते तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती इतनी भूख लगी थी उन्हें की मना करने की कोशिश भी नहीं की उन्होंने और बर्तन का ढक्कन खोल दिया ..


उसमे चावल और राजमा थे ..और साथ में हरी मिर्च और सलाद ..पूरी तरह से तैयार करके लायी थी वो पंडित जी का खाना ..


उन्होंने जल्दी से एक बड़ी सी प्लेट निकाली और नीचे चटाई पर बैठकर राजमा चावल डाल कर घपा घप खाने लगे ..


और माधवी वहीँ नीचे बैठकर उन्हें बड़े प्यार से खाता हुआ देखने लगी . जैसे वो उसका खुद का पति हो ..


पेट भर कर खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए बाथरूम में गए .


तभी बाहर से माधवी की हलकी सी चीख सुनाई दी ..


''पंडित जी .....ये… ...ये ...कौन है ..''


पंडित भागकर बाहर निकला ..माधवी आँखे फाड़े बेड पर नंगी पड़ी हुई शीला को देखे जा रही थी ..


उसपर माधवी का ध्यान अभी -२ गया था ..वो गहरी नींद में सो रही थी ..अपने पेट के बल ..इसलिए उसकी नंगी पीठ थी सिर्फ बाहर ..और चेहरा नहीं दिख रहा था ..और नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था .


पंडित जी ने धीरे से कहा : "ओह ..ये . ..ये तो शीला है ..तुम मिली थी न इनसे ..''


वो हेरानी से कभी पंडित को और कभी बेड पर लेटी हुई नंगी शीला को देख रही थी ..जैसे उसे विशवास ही नहीं हो रहा हो की पंडित जी का शीला के साथ भी सम्बन्ध हो सकता है ..पर पंडित जी ऐसे बीहेव कर रहे थे जैसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ..


पर पंडित जी की आँखे माधवी के बदन को चोदने में लगी हुई थी ..उसने सलवार सूट पहना हुआ था ..और हेरत की वजह से और शायद जलन के मारे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था ..


पंडित जी उसके पीछे गए और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने बदन से लगा लिया ..


पंडित : ''खाना तो तुमने खिला दिया अब कुछ मीठा हो जाए ...''


''छोड़िये मुझे पंडित जी ...आपके पास ये मिठाई है ना ..इसे ही खाइए ..'' माधवी ने अपनी बातों से विरोध जताया पर पंडित जी की बाजुओं से छूटने की कोई कोशिश नहीं की .


पंडित : "ओहो ...तो तुम इसे यहाँ पर देखकर नाराज हो रही हो ..देखो ...समझने की कोशिश करो ..जैसे तुम्हे मजा आता है मेरे साथ, इसे भी आता है ..और देखा जाए तो तुम्हारे पास तो गिरधर है जो तुम्हे चोदकर तुम्हे मजे दे देता है, पर इस विधवा के पास कोई नहीं है ..इसलिए इसको शारीरिक सुख देकर मैं बस समाज सेवा ही कर रहा हु ..और मेरी इसी समाज सेवा के बदले ही ये रितु को फ्री में टयूशन पढ़ाती है ...तुम्हे तो इसका एहसानमंद होना चाहिए ...''


पंडित ने अपनी चाशनी जैसी जबान से उसे कान में धीरे -२ समझाया ..


और वो समझ भी गयी, उसने सोचा, पंडित जी ठीक ही तो कह रहे हैं ..और वैसे भी, वो जो कुछ भी करे, जिसके साथ मर्जी सम्बन्ध रखे, उसे क्या ..जब तक उनका लम्बा लंड उसे मजा दे रहा है, उसे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ..


ये सोचते हुए उसने अपनी मोटी गांड को पीछे की तरफ दबा कर पंडित जी की धोती में छुपे हुए सांप को जगाने की कोशिश की, पर वो तो पहले से ही जाग रहा था ..और माधवी की गोल मटोल गांड का दबाव अपने ऊपर पाकर वो और जोर से फुफकारने लगा ..पंडित जी के दोनों हाथ माधवी के स्तनों पर आ गए और वो उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगे ..


माधवी के मुंह से हलकी - २ सिस्कारियां निकलने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....पंडित जी .....आप जो चाहे करो ...जिसे चाहे चोदो ...मुझे क्या ...बस मेरी चूत का ध्यान रखा करो ...रोज ....अह्ह्ह्ह्ह ...''


उसने पंडित का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत वाले हिस्से पर रख दिया ..पंडित ने उसकी पूरी चूत और आस पास के हिस्से का मांस अपनी हथेली में भर कर जोर से दबा दिया ..वो जोर से सिसकारी मारकर उचक गयी और अपनी गांड के बीच में पंडित जी के लंड को पकड़कर जोर से दबा दिया ..


 पंडित जी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी ..
पंडित जी ने उसके सूट को नीचे से पकड़कर ऊपर उठा दिया ..और गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया ..माधवी ने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..


पंडित जी ने अपना चेहरा नीचे किया और अपने गीले होंठ उसके कंधे पर चिपका दिए ..और जोर - २ से सक करते हुए उसके बदन का नमक पीने लगे ..


''उम्म्म ...पंडित जी ....अह्ह्ह ......'' उसने अपना एक हाथ ऊपर किया और पंडित जी के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर और जोर से दबा दिया ...


पंडित जी ने जब अपने होंठ वहां से हटाये तो देखा की उसके कंधे पर एक गहरा लाल निशान बन चुका है ..वो अपने होंठों को उसके बदन से चिपकाए हुए ही उसकी पीठ पर आये और अपनी जीभ से वहां का पसीना साफ़ करते हुए उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गए ..और अपनी मुंह में फंसाकर उन्होंने उसकी ब्रा को खोल दिया ..


माधवी को ऐसा लग रहा था की उसकी पीठ पर कोई गरम और गीली चीज घूम रही है ..जिसकी तपिश से वो जल कर भस्म हो जायेगी ..


ब्रा के खुलते ही उसके मोटे मुम्मे छिटक कर बाहर निकल आये ..और पंडित ने एक ही झटके में उसे अपनी तरफ घुमा कर अपने होंठों में उसका दांया निप्पल दबोच लिया और उसका दूध पीने लगे ..


माधवी के होंठ कांपने लगे ..उसके बदन पर चीटियाँ सी रेंगने लगी ..आज पंडित जी कुछ ख़ास ही मूड में थे ..


पंडित जी ने कुछ देर तक उसका दांया स्तन चूसा जिसकी वजह से माधवी का निप्पल पूरी तरह से खडा होकर चमकने लगा फिर बांये की बारी आई और उसे चूसने लगे ..और फिर उसे भी खड़ा छोड़कर वो नीचे की तरफ खिसक गए ...माधवी ने भी अपने हाथों का जोर लगाकर उन्हें नीचे जाने में मदद की ..


पंडित जी का मुंह सीधा जाकर उसकी रसीली, नशीली, गीली सी चूत पर गया और उन्होंने कपडे समेत उसे मुंह में भर कर जोर से चूस लिया ...


उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..शायद चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आई थी वो भी ..


सिर्फ हल्का सा कॉटन का कपडा बीच में होने की वजह से माधवी की चूत का सारा रस उनके मुंह में चला गया ...उन्होंने सलवार का महीन कपड़ा चूस चूसकर वहां पर अटका हुआ सार रस पी लिया ...


फिर उन्होंने अपने दांतों का प्रयोग करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया ..इतना हुनर पता नहीं पंडित जी ने कहाँ से सीखा था ..

नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार सीधा नीचे गिर गयी ..और पंडित जी की आँखों के सामने अब उसका ताजमहल पूरा नंगा खडा था ..भीगा हुआ सा ..अपने ही रस में नहाया हुआ ..


पंडित ने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उसकी चूत की दरार में फंसाई और एकदम से एक नयी धार निकल कर बाहर आ गयी और पंडित जी की हथेली पर आकर ठहर गयी ..पंडित जी ने वो रस अपने मुंह से लगा कर चाट लिया ..उसे चाटते ही उनके अन्दर का शैतान जैसे जाग गया ..उन्होंने उसे धक्का देकर अपने बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाकर उसकी चूत से खीर निकाल निकाल कर खाने लगे ..

माधवी का सर सीधा शीला की कमर के ऊपर जा लगा जैसे कोई तकिया हो ..पर गहरी नींद में होने की वजह से शीला को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ ..


''अयीईईइ .....अह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म .......चूसिये ना ....और जोर से ...अह्ह्ह ....यही है ...मीठा मेरे पास ...खा लो ...सारी मिठाई आपकी है ....उम्म्म्म ...''


पंडित ने अगले दो मिनट के अन्दर ही उसका असली दूध निकल कर बाहर आने लगा जिसे पंडित ने चपर -२ करके पूरा पी लिया ..


ओर्गास्म के वक़्त माधवी के हाथ ऊपर चले गए ..और एक हाथ से शीला के बाल और दुसरे से उसकी गांड के मांस को दबाते हुए जोर से चिल्लाती रही ...और अंत में नीचे आकर वो बेहाल सी होकर गहरी साँसे लेने लगी .


शीला के बदन की चादर उतर चुकी थी ..और उसकी नंगी गांड उभर कर चाँद की तरह चमकने लगी .


उसकी ठंडी -२ गांड को मसलने में माधवी को बड़ा मजा आ रहा था ..उसकी गांड के छेद से निकल कर पंडित का रस अभी भी बह रहा था, जिसपर ऊँगली लगते ही माधवी को भी पता चल गया की वो क्या है ..उसने अपनी ऊँगली को अपने मुंह में डालकर चूसा और वो रस चाट गयी ..उसे मजा आया ..वो उठी और दूसरी तरफ जाकर उसने शीला की टांगों को फेला दिया ..और अपना मुंह नीचे करके उसकी गांड के छेद पर लगा दिया ..और वहां से डायरेक्ट पंडित जी का जूस पीने लगी ..गहरी नींद में होने के बावजूद शीला के शरीर से हलकी हलकी तरंगे उठने लगी ..


इसी बीच पंडित जी पुरे नंगे हो गए ..और माधवी के पीछे आकर उसके दिल की आकृति वाली मोटी गांड को अपने कब्जे में ले लिया ..पीछे खड़े होने की वजह से उसकी गांड और चूत दोनों के छेद उन्हें साफ़ नजर आ रहे थे

 उन्होंने अपना लंड उसकी चूत में लगाकर होले से धक्का मारा ..उसकी चूत से निकल रहा ताजा और मीठा गन्ने का रस इतनी चिकनाई वाला था की एक ही झटके में उनका पहलवान माधवी के अखाड़े में पूरा पहुँच गया ..और कुश्ती करने लगा उसकी क्लिट के साथ ..कभी उसके मुंह पर घूँसा मारता और कभी उसकी कमर पर ...


इसी दौरान शीला जो अभी तक शायद सपने में थी और उसे लग रहा था की पंडित जी उसकी गांड चूस रहे हैं ..उसे माधवी के दांत जोर से अपनी गांड के छेद पर चुभ से गए ..और उसकी नींद एक ही झटके में टूट गयी ..

और जैसे ही उसने पलट कर पीछे देखा वहां का नजारा देखकर वो दंग रह गयी ..उसे सारा माजरा समझते हुए देर नहीं लगी ..


पंडित जी जमीन पर खड़े हुए माधवी को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहे थे ..और माधवी उसकी गांड के छेद से रस निकाल कर पी रही थी ..वो दृश्य इतना उत्तेजक था की उसने भी इसका विरोध नहीं किया और उनके साथ ही उनके खेल में कूद पड़ी ..

अब उसने अपना पासा पलट लिया था और वो पीठ के बल लेट गयी ...इस तरह से उसकी चूत अब माधवी के चेहरे के बिलकुल ऊपर थी ..माधवी ने अपना मुंह अब उसके आगे वाले छेद पर लगा दिया ..और वहां से निकल रहे झरने से अपनी प्यास बुझाने लगी ..


शीला की चूत के अन्दर कैद उसकी क्लिट काफी बड़ी थी ..जिसे मसलकर पंडित ने कई बार मजे लिए थे ..माधवी ने उसकी क्लिट को अपने हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसे छोटे लंड की तरह चूसने लगी ..


शीला से रहा नहीं गया और उसने माधवी को अपने ऊपर खींच लिया ..और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर किसी जोंक की तरह उसका मुंह चूसने लगी ..


माधवी के आगे खिसक कर शीला के ऊपर लेटने की वजह से पंडित का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया था ..


माधवी की चूत अब सीधा शीला की चूत के ऊपर विराजमान थी ..दोनों एक दुसरे की चूत को रगड़ कर मजे ले रही थी ..


पंडित की आँखों के सामने वो नजारा था ..उन्होंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और दोनों के बीच में धकेल दिया ..अब दोनों की चूतों के बीच में उनका लम्बा लंड था ..जिसके एक तरफ शीला की चूत थी और दूसरी तरफ माधवी की ..दोनों चूतें अपनी रगड़ देकर पंडित जी के लंड की मसाज कर रही थी .. पंडित ने थोड़ा एंगल बदला और झुक कर अपना लंड नीचे लेती हुई शीला की चूत में डाल दिया ..दूर जोरों से धक्के मारने लगे ..


शीला ने माधवी के मुम्मे पकडे और उन्हें अपने नुकीले नाखूनों से दबाते हुए जोरों से दबाने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....क्या मजा आ रहा है आज ...आपकी कृपा ऐसी ही बरसती रही ....अह्ह्ह ..तो मुझे परम आनद की प्राप्ति जल्दी ही मिल जायेगी ...अह्ह्ह्ह ...और तेज चोदो मुझे ...अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...उम्म्म्म्म ..अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओ उम्म्म्म ....अह्ह्ह ..''


पर वो झड पाती इससे पहले ही पंडित जी ने अपना लंड बाहर खींच लिया और वापिस माधवी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगे ...


अब चिल्लाने की बारी माधवी की थी ...


''अयीईइ ....उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह ...पेलो मेरे अन्दर ....अह्ह्ह्ह्ह ....और अन्दर ....अपना मुसल ...जैसा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ...''


और अगले बीस मिनट तक पंडित का यही खेल चलता रहा ..कभी वो शीला की मारते और कभी माधवी कि. ..

वो दोनों तो काफी देर पहले ही झड चुकीं थी ..


और अंत में थक हारकर उनके लंड ने जवाब दे दिया ...और दोनों को अपने सामने लिटा कर उन्होंने उनके ऊपर रसीले जूस की बारिश कर दी ..


जिसमे नहाकर और एक दुसरे के जिस्मों से चाटकर दोनों ने सच में परम आनंद की प्राप्ति कर ली .


पर वो तीनों ये नहीं जानते थे की दरवाजे के बाहर एक और इंसान उन्हें छेद से देख रहा है और उनकी चुदाई देखकर और चीखे सुनकर उत्तेजित हो रहा है ..


वो था गिरधर ..


माधवी का पति .


गिरधर ने थोडा वेट करने के बाद पंडित जी कर दरवाजा खडकाया .. वो समझ गए की ये गिरधर ही है ..उसी के आने का टाईम था ये तो ..


उन्होंने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..

उसने पंडित जी के सामने हाथ जोड़े ..और बिलकुल धीमी आवाज में कहा : ''पंडित जी ..प्लीस मेरा साथ देना ...एक बहुत अच्छा आईडिया आया है अभी ..''


पंडित जी की समझ में कुछ ना आया, पर उन्होंने सर हिला कर अपनी हामी भरी ..और इसके साथ ही गिरधर अन्दर आ गया ..


माधवी और शीला अपनी चुदाई के बाद मुर्छित सी होकर गहरी साँसे ले रही थी ...उन्हें तो दरवाजे की आहट भी नहीं सुनाई दी थी ..


गिरधर ने अन्दर आते ही चिल्ला कर माधवी से कहा : ''माधवी ....बेहया .....कमीनी ....हरामखोर ..ये क्या गुल खिल रही है तू ...''


माधवी एक दम से सकपका कर उठ बैठी ..वो अपने सामने गिरधर को देख कर एकदम से घबरा गयी ....उसने तो सोचा था की गिरधर को उसके और पंडित जी के संबंधो से कोई परेशानी नहीं है ...और खुद गिरधर ने ही उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी ...पर आज ये ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ..जैसे उसे पंडित के साथ ये सब करना अच्छा नहीं लगा ..


उसने हकलाते हुए जवाब दिया ...: "जी ...जी ...आ. ..आप ...पर ...पर ...आपने ही ...तो ...कहा था मुझे की ...''


गिरधर ने आगे बढकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया माधवी के चेहरे पर : "साली कुतिया ...मैंने मजाक में कहा था वो सब ...और तूने सच मान लिया ...मुझे शक तो पहले से था तुझपर ...पर आज यकीन हो गया है ...की तू धंधे वाली है ..रंडी है तू साली ...और तेरे साथ मैं अब एक दिन भी नहीं रह सकता ...मेरे घर में रहने की कोई जरुरत नहीं है तुझे आज के बाद ..''


इतना कहकर गिरधर पैर पटकते हुए बाहर जाने लगा ..


माधवी के पैरों की तो जमीन ही निकल गयी ..उसने तो सोचा था की गिरधर भी शायद यही चाहता है ..इसलिए वो पंडित के साथ चल रहे संबंधो को इतनी लापरवाही से निभा रही थी की अगर किसी को पता चल भी जाए तो कोई बात नहीं, उसके पति की रजामंदी तो है न उसके साथ ..पर आज गिरधर का ये रूप देखकर उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी ..कल तक जिस पति को वो गालियाँ दे रही थी की उसकी नजर अपनी खुद की बेटी पर है, आज उसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था उसे और पंडित को ..नंगी अवस्था में ..उसका तो अपने पति के अलावा कोई भी नहीं है ..वो कहाँ जायेगी ..क्या करेगी ...ये सोचते हुए उसकी आँखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी ...


उसने रोते हुए अपने पति के पैर पकड़ लिए : "सुनिए ...मुझे माफ़ कर दीजिये ...मुझे बहुत बड़ी गलती हो गयी ...मुझे माफ़ कर दो ...आज के बाद ऐसा नहीं होगा ...सुनिए ...सुनिए तो ..''


पर गिरधर अपनी हंसी पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता हुआ बाहर निकला जा रहा था .


और दूसरी तरफ पंडित और नंगी शीला आराम से उन दोनों का ये तमाशा देख रहे थे ..


पंडित तो समझ गया था की गिरधर आखिर ये किसलिए कर रहा है ..पर शीला अनजान थी इन सबसे ..पर फिर भी वो तमाशा देखने में उसे मजा आ रहा था ..


माधवी बदहवास सी होकर नग्न अवस्था में अपने पति की टांगो से लिपटी हुई थी ..


गिरधर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसके बाल पकड़ बड़ी बेदर्दी से उसे ऊपर खींचा , वो चिल्ला पड़ी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ्फ्फ्फ़ दर्द होता है ....छोड़ो मेरे बाल .....''


पर गिरधर के चेहरे पर शिकन का कोई भाव नहीं था ..उसने उसके बालों को पीछे खींचा और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबा दिया ..


''आय्य्यीईईइ .......यॆऎए .........क्या ....अह्ह्ह्ह्ह .....दर्द होता है ....''


गिरधर : "भेन की लोड़ी .....साली रांड ....चुदाई करवाते हुए दर्द नहीं होता ....बोल साली ...लंड घुसवाती है जब अपनी चूत में पंडित जी का ...यहाँ ....तब दर्द नहीं होता ...''


उसने माधवी की चूत अपने हाथ की तीन उंगलियाँ डालकर उसे ऊपर उठा दिया ...दर्द के मारे बेचारी की हवा निकल गयी ...उसने अपने आपको अपने पंजो के बल पर उठा लिया ...और अपने हाथ से गिरधर के हाथों को पकड़ लिया और बड़ी मुश्किल से उसके हाथ को खींचकर बाहर निकाला ...


उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ..उसने सोचा भी नहीं था की उसका पति इतना हिंसक भी हो सकता है ..पर गलती उसी की थी ..इसलिए शायद वो उसकी सजा दे रहा है उसे ..


माधवी की चूत से हाथ निकालने के बाद गिरधर ने देखा की उसपर पंडित जी का वीर्य लगा हुआ है ..जिसे माधवी ने अभी -२ अपनी चूत के अन्दर लिया था ..


ये देखकर गिरधर और भड़क गया ..


''साली ....बेशरम ....पंडित जी का माल अपनी चूत में डाल रखा है ...इनका बच्चा पैदा करना है क्या तुझे ...बोल हरामजादी ...''

इतना कहकर उसने वो सार वीर्य उसके मुंह में दाल कर अपनी उँगलियाँ साफ़ कर ली ...और उस बेचारी ने उसे मुंह में ही रख लिया ..कुछ न बोली वो ..

वो आगे बोला : ''मुझे तो लगता है की तेरी ये आदत शादी से पहले की है ..ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी होगी तू ..मुझे तो लगता है की रितु भी मेरी बेटी नहीं है ...वो तेरे किसी यार की अय्याशी का नतीजा है ...है ना ...बोल कुतिया ...बोल ''



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