Saturday, January 4, 2014

FUN-MAZA-MASTI पंडित & शीला पार्ट--29

FUN-MAZA-MASTI
 पंडित &  शीला पार्ट--29

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गतांक से आगे ......................
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 माधवी की हालत खराब हो रही थी ..आज पहले पंडित और अब गिरधर ने मिलकर उसके अन्दर का अस्थि पिंजर तक हिला डाला था ..वो बोजिल सी आँखे लिए अन्दर चली गयी , उसे बहुत तेज नींद आ रही थी , वो नंगी ही अन्दर गयी और सो गयी ..


गिरधर ने अपनी धोती पहन ली थी और वो ऊपर से ही अपने लंड को मसल कर मजे ले रहा था ..उसका पूरा ध्यान अब रितु पर था .



रितु भी अभी तक गहरी साँसे लेती हुई खिड़की पर ही खड़ी थी ..उसका एक हाथ खिड़की के सरिये पर था और दूसरा अभी तक उसकी चूत पर ..जिसपर लगा हुआ चिपचिपा और नमकीन मक्खन वो अपनी उँगलियों से फेला - २ कर अपनी चूत का मेकअप कर रही थी .


वो जैसे ही अन्दर जाने के लिए मुड़ी, उसके हाथ के ऊपर गिरधर का हाथ आ लगा. गिरधर ने दूसरी तरफ से आकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे जकड लिया था .


रितु सकपका सी गयी ...वो अपनी फेली हुई आँखों से बाहर खड़े हुए गिरधर को देखकर हक्लाती हुई बोली : "पप पप पापा ...आप ...छोड़ो मेरा हाथ ...प्लीस ..''


गिरधर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और उसके दिमाग में एक योजना भी आ चुकी थी .


गिरधर (गुर्राते हुए ) : "तू यहाँ क्या कर रही है ...''


वो और भी ज्यादा डर गयी .


गिरधर : "तूने देखा न सब ...मुझे और अपनी माँ को ..वो सब करते हुए ..''


रितु : "क क ...क्या ?"


गिरधर : "चुदाई ....भेनचोद ....चुदाई ...जो अभी मैं तेरी माँ की कर रहा था ..''


गिरधर अपने दांत पीस कर बोल रहा था .


चुदाई का नाम सुनते ही उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी ..उसके सामने एक दम से पंडित जी का चेहरा घूम गया ..


गिरधर : "बोल ...कब से देख रही है ये सब ...पहले भी देखा है न तूने ..बोल जल्दी ..वरना अन्दर आकर तुझे नंगा करके पिटूँगा ..''


उसकी धमकी सुनकर वो डर गयी ..वो जानती थी की गुस्से में आकर उसका बाप वो सब कर भी सकता है ..अभी जिस तरह से गालियाँ देकर वो माधवी से बात कर रहा था अब वही तरीके से वो रितु को धमका रहा था ..


गिरधर जानता था की माधवी के घर में रहते वो रितु की चुदाई नहीं कर सकता ..वर्ना फिर से वही लडाई झगडे ..और गुस्से में आकर उसने उसे घर से निकाल दिया तो हो सकता है वो पुलिस के पास चली जाए और शायद रितु को भी पुलिस की मदद से अपने साथ ले जाए ..


वो इन सब लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता था ..इसलिए माधवी से छुप कर ही उसे रितु पर काबू पाना होगा .


रितु की आँखों में आंसू आने लगे ..पर गिरधर पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा .उसके हाथों का दबाव रितु के हाथों पर और तेज हो गया ..और आखिर वो कसमसाकर बोल ही पड़ी : "हा न्न्न… ..... .देख रही थी मैं ...आप दोनों को छुप कर ...और .. एक बार पहले भी देखा था ..''


गिरधर : "क्यों ...तेरी चूत में खुजली हो रही थी क्या ...बोल ...''


वो कुछ ना बोली ..बस अपनी हिरन जैसी आँखों से उसे घूरती रही ..


गिरधर थोडा और करीब आ गया ..दोनों के बीच लोहे की खिड़की थी ..अन्दर घुप्प अँधेरा था जिस वजह से गिरधर शायद अभी तक देख नहीं पाया था की वो अन्दर किस हाल में खड़ी है ..पर जैसे ही वो खिड़की के करीब आया , हलकी रौशनी में उसने रितु के जिस्म को देखा ..वो ऊपर से नंगी थी ..उसकी फ्रोक कमर तक फंसी हुई थी ..जिसे उसने अपने दुसरे हाथ से पकड़ रखा था ..अगर वो भी गिर जाती तो वो पूरी नंगी खड़ी होती उसके सामने ..


गिरधर की गिद्ध जैसी आँखें उसके चुचियों पर लगे मोतियों की चमक को देखकर चुंधिया रही थी ..उसके मुंह से उसकी जीभ निकल कर ऐसे बाहर आ गयी, मानो वो रितु के निप्पलों पर फेरा रहा हो .


गिरधर ने धीमी और दबाव वाली आवाज में रितु से कहा : "इधर आ ...आगे ..''


रितु ने ना में सर हिलाकर मना कर दिया ..


गिरधर : "साली ....आती है के नहीं ...या मैं अन्दर आऊ ..''


रितु और भी डर गयी ...वो भी शायद यही चाहती थी की जैसे पंडित ने उसे मजे दियें हैं वैसे ही उसके पापा भी दें ..पर वो ये सब इतनी जल्दी और ऐसे हालात में करना नहीं चाहती थी . और उसे अपनी माँ का भी डर था ..जो अन्दर सो रही थी ..पर उनके आने का डर तो बना ही हुआ था ..फिर ये सोचकर की खिड़की से वो कर ही क्या लेंगे वो थोडा आगे खिसक आई ..


ऊपर से आ रही चाँद की रौशनी जैसे ही उसके मोतियों पर पड़ी गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..उसने रितु का हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ अन्दर लेजाकर उसके संतरों पर रख कर जोरों से दबा दिया ..


''आअह्ह्ह्ह्ह्ह ..........उम्म्म्म्म्म .....''


उसके मुंह से घुटी हुई सी आवाज निकल गयी ..और आँखें बंद सी होने लगी .


खिड़की के सरियों में सिर्फ चार इंच का फांसला था ..जिसमे हाथ डालकर गिरधर बड़ी मुश्किल से उन्हें दबा रहा था .


गिरधर ने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली से उसके दोनों निप्पलस को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया ..


रितु का बाकी शरीर अपने आप निप्पलस के पीछे -२ सरियों से आ लगा ..


अब गिरधर के हाथ बाहर थे और रितु के दोनों निप्पल और उसके मुम्मों का थोडा हिस्सा सरियों से बाहर ..


गिरधर ने अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाला और उसे सीधा लेजाकर अपनी बेटी के चमचम जैसे निप्पल पर रख दी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म्म्म्म ...........अह्ह्ह्ह ..उफ़ ...''


अब तक रितु अपना आपा खो चुकी थी ..उसने अपने पतले - २ हाथ बाहर निकाले और अपना दूध पी रहे गिरधर के सर के पीछे लगाकर उसे और जोर से अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया ..


''लो ......पापा ......अह्ह्ह्ह्ह .....और चुसो ....जोर से ....चुसो ....मुझे .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....आप इतना तडपे हो मेरे लिए ....आज अपनी प्यास मिटा लो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म .....येस्सस्सस्स ...... ओह्ह्ह्ह पापा ......यूऊ .....आर .......बेस्ट ......''


अब वो गंवार क्या समझता की उसकी बेटी अंग्रेजी में उसे क्या कह रही है ...पर हिंदी में जो भी बोली वो,उसे सुनकर उसे भी पता चल गया की वो भी वही चाहती है जो वो खुद चाहता है ...चुदाई.


पर वहां घर में अभी वो पोसिबल नहीं था ..माधवी के होते हुए वो रिस्क नहीं लेना चाहता था .


रितु की फ्रोक भी अब खिसककर नीचे जा चुकी थी ..और अब वो सिर्फ अपनी पेंटी में खड़ी थी खिड़की में ..अपने बाप से अपनी ब्रेस्ट चुसवाती हुई . रितु की दांयी ब्रेस्ट चूसने के बाद गिरधर ने उसकी बांयी तरफ रुख किया ..और थोड़ी देर तक उसे चूसने के बाद उसने उसे भी छोड़ दिया ..और धीरे - 2 अपना चेहरा ऊपर किया ..रितु के हाथों का दबाव अभी भी उसके सर के पीछे था ..रितु ने अपने पापा के चेहरे को ऊपर किया और अपने चेहरे के सामने लाकर अपने होंठ आगे कर दिए और उसे फ्रेंच किस्स कर दी ..


''उम्म्म्म्म्मा .....अह्ह्ह्ह्ह ...पुचस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स sssssssssssss ........अह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म ....ओह्ह्ह पापा .......म्म्मूउन्न्न ..... ''


जगह छोटी थी मगर एक दुसरे के होंठों का स्वाद वो ले पा रहे थे ..

गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..इतने नर्म और मीठे होंठ उसने आज तक नहीं चूसे थे ..और शायद इसलिए उसकी बुरी नजर हमेशा से रितु ने रसीले होंठों पर रहती थी ..जिनपर अपनी जीभ फेरा - २ कर वो सबसे बातें करती थी ..पर उसे क्या मालुम था की उन्ही गीले होंठों को देखकर कितने ही लोग उसके बारे में गन्दा सोचने लग गए हैं ...जैसे की उसका खुद का बाप भी .


रितु का हाथ खिसकता हुआ नीचे गया , गिरधर की धोती तक ..और उसने उसे खोल दिया . उसने अपनी किस्स तोड़ी और नीचे देखा और जैसे ही उसकी नजर अपने बाप के लंड पर पड़ी वो बावली सी होकर नीचे झुक गयी ..ठीक गिरधर के लंड के सामने , और उसे अपने हाथों से पकड़ लिया ...और उसे मसलने लगी ..आज वो पहली बार अपने पापा के लंड को छु रही थी ..जितना सुन्दर वो दूर से दिख रहा था उससे भी ज्यादा वो पास से दिखाई दे रहा था ..

रितु ने अपनी आदत के अनुसार अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें पूरी तरह से अपनी लार से गीला कर लिया ..और गिरधर के लंड को अपनी तरफ खींचकर अपने मुंह तक ले आई ..और उन्हें गीले होंठों की सरहद के पार धकेल दिया ...


अब सिस्कारियां मारने की बारी गिरधर की थी .


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......म्मम्म ....बेटी .....अह्ह्ह्ह्ह .....रितु ...मेरी जान ...मेरी प्यारी ... बेटी ....अह्ह्ह्ह .... चूस .....अह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ......ही .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....''


रितु ने एक हाथ से गिरधर का लंड पकड़ा हुआ था और उसे चूस रही थी और दुसरे से वो उसकी बाल्स को रगड़ रही थी ..


रितु को ऐसे चूसते हुए देखकर पहले तो गिरधर थोडा हेरान हुआ की इतना बढ़िया लंड चूसना उसने आखिर सीखा कहाँ से ..पर फिर मजे लेने के लिए वो बात एक ही पल में भूल गया ..


पर वो बेचारा क्या जानता था की पंडित जी की कृपा से वो लंड चूसना तो क्या चुदाई करवाना भी सीख चुकी है .


गिरधर ने अपना पूरा शरीर खिड़की से सटा दिया था ...पर फिर भी बीच में सरिया होने की वजह से वो अपना पूरा बम्बू उसके मुंह में नहीं धकेल पा रहा था ..वो बेचारा तो किसी असहाय कैदी की तरह सलाखें पकड़ कर अपना मुंह ऊपर किये ठंडी सिसकियाँ मार रहा था .


अचानक रितु ने अपना दूसरा हाथ, जिसमे उसने अपने पापा की बाल्स को पकड़ा हुआ था, उसे नीचे से लेजाकर गिरधर की गांड के छेद पर लगा दिया ..और अपनी बीच वाली ऊँगली वहां डाल दी ..


गिरधर, जो अभी तक हवा में उड़ रहा था, गांड में ऊँगली का स्पर्श पाते ही सीधा स्वर्ग में पहुँच गया ...और उसने किसी जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह से फड़फडाते हुए अपने लंड से गाड़ा और सफ़ेद रस निकाल कर अपनी बेटी के मुंह में दान कर दिया ..

''अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ......गया ....आया ...मैं तो आया ......अह्ह्ह्ह .''


वो सारा रस वो किसी कुशल रंडी की तरह से पी गयी ...कुछ उसके होंठों से छलक कर बाहर भी आया और उसके गले और ब्रेस्ट को छूता हुआ नीचे जा गिरा ..वो तब तक गिरधर के लंड को चूसती रही जब तक खुद गिरधर ने उसे धक्का देकर पीछे नहीं किया ..


उसने हाँफते हुए रितु के चेहरे को देखा ...वो किसी प्यासी चुडेल की तरह दिखाई दे रही थी ...जिसे बहुत प्यास थी ...सेक्स की ...लंड की ...वीर्य की ..


उसके बिखरे हुए बाल, गहरी और लाल आँखे , फड़कते हुए होंठ , उनपर लगा हुआ गाडा रस, देखकर गिरधर के तो जैसे होश उड़ गए ...वो सोचने लगा की लंड चुसाई में ही ये इतनी उत्तेजना के साथ उसका साथ दे रही है तो चुदाई के समय तो उसकी बेटी उसे कच्चा ही खा जायेगी ..


पर अभी तो कच्चा खाने का टाइम उसका था ..और वो भी रितु की चूत को .



 उसने रितु को उठने का इशारा किया ..और खुद नीचे झुक गया ..उसकी चूत के सामने ..और अन्दर हाथ डालकर उसने रितु की पेंटी को निकाल दिया ..उसकी कच्छी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी से निकाली हो ..उसमे फंसा हुआ रस गिरधर ने अपने लंड पर निचोड़ लिया और अपने लंड को रितु की चूत के रस से नहलाकर मसल दिया ..


रितु की चूत टप -2 कर रही थी ..जिसे रोकना बहुत जरुरी था ..गिरधर ने उसकी डबल रोटी पर हाथ रखा और उसे जोर से भींच दिया ..


वो जोर से चीख ही पड़ी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......उम्म्म्म्म ....धीरे .....अह्ह्ह्ह ...''


गिरधर को एक पल के लिए तो लगा की कहीं उसकी आवाज सुनकर माधवी जाग न जाए ..इसलिए उसने रितु की चूत को छोड़ दिया ..और दूसरी तरफ मुंह करके देखने लगा की कहीं माधवी के पैरों की आहट तो नहीं आ रही ..


और इसी बीच रितु जो किसी मछली की तरह से मचल रही थी, उसने अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिर से दबा दिया ..और खुद ही उनके हाथ की बीच वाली ऊँगली को अपनी मानसून में भीगी चूत के अन्दर धकेल दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......पापा ...''


आज उसके पापा का कोई अंग पहली बार उसकी चूत में गया था ..वो सोचने लगी की अगर ऊँगली के जाने से इतना मजा आ रहा है तो इनका लंड लेने में कितना मजा आएगा ..


गिरधर का भी अब पूरा ध्यान वापिस अपनी बेटी की सेवा करने पर आ गया ..वो अपनी ऊँगली से उसकी चूत की मालिश करने लगा ..और बीच में आ रही क्लिट को भी मसलने लगा ..


रितु अपना पूरा शरीर हवा में लहरा कर मजा ले रही थी ..जैसे वो कोई पतंग और उसके पापा के हाथ में उसकी डोर ..


रितु की रसीली चूत में उँगलियाँ डालते हुए गिरधर के मन में उसे चूसने का भी ख़याल आया ..उसने रितु को खिड़की पर चड़ने के लिए कहा ..वो खिड़की जमीन से तीन फुट के बाद शुरू हो रही थी और ऊपर पांच फुट की ऊँचाई तक जा रही थी ..रितु ने सरियों को पकड़ा और ऊपर चढ़ गयी, और अपना चूत वाला हिस्सा आगे करके खिड़की से सटा दिया ..अब उसकी चूत की फूली हुई गोलाई सरियों के बीचों बीच थी ..जिसपर गिरधर ने जैसे ही अपनी जीभ रखी , रितु ने ऊपर मुंह करके सियार की भाँती एक लम्बी और दूर तक गूंजने वाली सिसकारी मारी ...


''स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''


गिरधर ने अपनी लम्बी और खुरदुरी जीभ बाहर निकाली और रितु की चिकनी चूत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटने लगा ..जैसे कोई दूध वाली कुल्फी हो जिसमे से दूध बह कर नीचे न गिर जाए .


दो चार बार चूसने के बाद गिरधर ने रितु की गांड पर अपने हाथ रखे और उसे और जोर से अपने मुंह की तरफ दबा लिया ..और एक लज्जतदार झटके के साथ अपनी बिना हड्डी वाली जीभ उसकी मक्खन जैसी चूत में उतार दी ..


अब तो उत्तेजना के मारे रितु में मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ...बस खुले होंठों से गर्म साँसे और साथ में गीली लार ...जो सीधा उसके पापा के मुंह पर गिर रही थी ..


गिरधर ने रितु की चूत को अपनी जीभ से किसी लंड की तरह चोदना शुरू कर दिया ..रितु ने दोनों हाथों से सरिया पकड़ा हुआ था और अपनी चूत को हर झटके से आगे पीछे कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसे लगा की वो झडने वाली है, उसने अपना एक हाथ नीचे किया और अपने बाप के बाल पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से मारने लगी ..


और बड़बड़ाने लगी ...


''आह्ह्ह्ह्ह्ह ....और तेज .....और अन्दर .....अह्ह्ह ..हां न…। उम्म्म्म .....येस्स ....एस ..पापा .....और अन्दर घुसेड़ो ...अह्ह्ह्ह्ह ....अपनी जीभ से मुझे चोदो .....अह्ह्ह ...ओह पापा ......मेरे प्यारे पापा ..... उम्म्म्म्म्म .......... मजा आ रहा है ...यहाँ और चुसो ....हां न…. यहीं पर ....ओह्ह्ह्ह ...येस्स ...पापा ...उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह ....आई एम् कमिंग पापा .....''


और गिरधर के मुंह पर उसने अपनी चूत के रस की पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी ...और वो भी ऐसे जैसे वो मूत रही हो ...इतना तेज प्रेशर था उसके झड़ने का ..उसने अपना सारा रस तोहफे के रूप में गिरधर को दे दिया .


गिरधर तो धन्य हो गया अपनी बेटी से ऐसा उपहार पाकर ..


रितु भी बोझिल आँखों से नीचे उतरी और आगे झुककर अपने पापा के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली .


''हैप्पी फ़ादर्स डे पापा ''




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