FUN-MAZA-MASTI
हैलो दोस्तो, नमस्कार और नव वर्ष की ढेर सारी शुभ कामनाएँ ! मैं कामना करता हूँ कि आप सबके जीवन में यह नया साल नई जवानी, नया जोश व नए खूबसूरत जवान साथी लेकर आए जिससे आपकी जवानी के गुलशन में नया बसंत आए और आपको नित नई ऊर्जा मिलती रहे।
दोस्तो, अब आते हैं अपनी कहानी की तरफ। चूँकि बात हो रही है नए साल की तो कहानी भी कुछ ऐसी ही होनी चाहिए, तो लीजिए हुजूर हाजिर है नए साल की नई कहानी...
नया साल - नया माल'
नोट: कहानी पढ़ने से पहले लड़के लोग अपने लंड को धागे से बाँध दें और छोरियाँ अपनी चूत में थोड़ी रुई रख लें क्योंकि जोश के कारण कामरस निकलने पर आपके कपड़े खराब होने का डर है।
मैं अपने काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता हूँ लेकिन कभी-2 काम न मिलने पर मैं अपने पुस्तैनी घर जो देहात में पड़ता है वहीं रहता हूँ क्योंकि एक कॉन्ट्रेक्टर का काम हमेशा अनिश्चित सा ही रहता है।
हमारे गाँव के पास ही एक छोटा सा चौराहा है वहीं पीठ (साप्ताहिक या रोजाना बाजार) भी लगती है। पूरी ग्राम पंचायत के लोग वहाँ आते हैं। वहीं पर मेरे एक दोस्त का क्लीनिक भी है मैं खाली समय में अक्सर वहीं बैठता हूँ, अपने दोस्त से मैं इंजेक्शन वगैरह लगाना सीख गया हूँ जिससे मैं अपने दोस्त की मदद भी कर देता हूँ। इससे उसे भी मदद मिल जाती है और मेरा भी टाइम पास हो जाता है।
अभी पिछले साल एक जनवरी की बात है, हम लोग क्लीनिक पर बैठे आपस में बात कर रहे थे।
मैं बोला- यार डाक्टर, नए साल में किसी नई मरीज का इलाज किया या नहीं?
डाक्टर मेरा इशारा समझ गया और बोला- यार किया तो नहीं है लेकिन एक ने आज 2 बजे घर बुलाया है शायद काम बन जाए।
"अबे देखना किसी के घर में कुछ गड़बड़ मत करना, वर्ना फीस में जूते भी मिल सकते हैं ! मैंने उसे सचेत किया।
"नहीं यार, आज उसके बगल के गाँव का मेला है घर के सब लोग मेला देखने जाएँगे वो अकेली ही घर में रहेगी, जैसे ही घर खाली होगा वो मुझे फोन करेगी।" डाक्टर ने बताया।
"बहुत घुटे हो गुरू ! पहले से ही सेटिंग भिड़ा रखी है।" मैंने कहा तो डाक्टर हँसने लगा।
मैंने कहा- यार तू तो जाएगा माल काटने, तेरा तो नया साल मुबारक हो जाएगा, मैं यहाँ बैठकर क्या बाल बनाऊँगा? मैं भी कहीं जाता हूँ।
"नहीं यार तू कहीं मत जा, यहीं मेरे क्लीनिक पर बैठ मैं घण्टे भर में वापस आ जाऊँगा, छोटी-मोटी बीमारी तो तू ही देख लेगा, अगर कोई खास बात हो तो पेशेंट को रोक के रखना मैं आकर देखूँगा, प्लीज यार।"
"चल ठीक है, तू भी क्या याद रखेगा कि किसी रईस से पाला पड़ा है।" मैंने कहा तो वो खुश हो गया और कहा- थैंक्यू यार !
और तब तक उसके फोन की घंटी बज उठी। उसने बात की वो बड़ा खुश हो रहा था।
मैंने कहा- क्या बे चूत मारने का न्योता आ गया क्या?
डाक्टर बोला- हाँ चक्रेश भाई, उसी का फोन था, तुम क्लीनिक देखना, मैं अभी आया !
इतना कहकर डाक्टर ने बाइक स्टार्ट की और बन्दूक से छूटी गोली की तरह निकल गया।
मैं क्लीनिक पर अकेला बैठा मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि हे प्रभु ! कहीं से बढ़िया सा मरीज भेजकर मेरा भी नया साल मुबारक कर दे तो मैं पाँच रुपए का प्रसाद चढ़ाऊँ।
करीब 10 मिनट बाद एक 60 वर्ष का आदमी आया और उसके पीछे एक 18-19 साल की लड़की आई। वो लड़की क्या कयामत थी एकदम गोरी और पतली सी। उसकी जैसे ही मुझसे नजर मिली, उसने एक प्यारी सी स्माइल दी। मेरा कलेजा धक से हुआ, जवाब में मैंने भी स्माइल दी और साथ में आए उस आदमी से बोला- जी बताइए?
"अरे भैया, ई बिटिया का कौनो परेशानी है तनी देखि तौ लियो।" वो आदमी बोला।
मैंने कहा- ठीक है ताऊ, आप बैठो मैं चेक कर लेता हूँ।
इतना कहकर मैंने लड़की को इशारे से बुलाया, मैंने पूछा- आपका नाम?
"कामिनी" उसने बताया।
"उम्र?" मैंने पूछा।
"18 साल !" उसने शर्माते हुए कहा।
"चलेगी !" मैंने धीरे से कहा।
"जी?" उसने पूछा।
"जी कुछ नहीं, आप अंदर चलिए कुछ जाँच करनी है।" मैंने कहा और अंदर जाने लगा।
वो भी मेरे पीछे-2 अंदर बने छोटे से केबिन में चली आई। पास में रखे स्टूल की ओर इशारा किया- बैठिए !
वो बैठ गई। मैंने स्टेथस्कोप अपने कान में सेट किया और पूछा- बताइए क्या तकलीफ है?
उसने कहा- पूरे बदन में दर्द है।
मैंने स्टेथस्कोप(आला) उसके सीने पर रख दिया और लंबी साँस लेने को कहा। पहले तो वो सिहर गई फिर लंबी-2 साँसें लेने लगी जिससे उसकी छातियाँ ऊपर नीचे होने लगी। मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने आला हटाकर रख दिया और एक हाथ उसकी पीठ पर रखा और एक हाथ से उसे चेक करने लगा। मेरी उँगलियों का कंपन शायद वो भी भाँप चुकी थी। मैंने दाहिनी छाती के निपल से थोड़ा दूर हाथ रखकर दबाया और पूछा- यहाँ दर्द होता है?
"हाँ !" उसने कहा।
मैंने अपना हाथ छाती के ठीक ऊपर रखकर दबा कर पूछा- यहाँ दबाने पर आराम मिलता है?
"हाँ !" उसने कहा।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखे और जोर से दबाया।
"शीऽऽऽ...थोड़ा धीरे !" उसके मुँह से निकला।
तब तक बाहर बैठा आदमी खाँसने लगा। हम रुक गए।
मैंने कहा- तुम यहीं रुको, मैं अभी इसे टहला कर आता हूँ।
वो सिर्फ मुस्कुराई। मैं बाहर गया और कागज पर एक दवा लिखी और कहा- ताऊ सामने वाले मेडिकल स्टोर से यह दवा ले आओ !
वो बोले- 'ठीक है बच्चे !
और दवा लाने चले गए।
मैंने मेडिकल स्टोर वाले को फोन किया जो मेरा बचपन का दोस्त था, मैंने कहा- उमेश, यह बुढ़ऊ दवा लेने आ रहे हैं, इन्हें कुछ देर बातों में उलझा के रखना !
उसने कहा- ठीक है।
मैं निश्चिँत होकर वापस केबिन में आ गया जहाँ कामिनी न्यू ईयर मनाने के इंतजार में बैठी थी। आते ही कामिनी को बाहों में भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा।
मैंने पूछा- कामिनी तुम्हारा घर कहाँ है क्योंकि मैंने पहले तुम्हें कभी इस गाँव में नहीं देखा और तुमने मुझे कैसे पसंद कर लिया?
तो उसने बताया- मैं अपनी दीदी के घर आई हूँ, ये जो साथ में हैं ये मेरी दीदी के ससुर हैं। तुम दीदी के दरवाजे से रोज निकलते थे, मैं देखती रहती थी लेकिन तुम मेरी ओर देखते ही नहीं थे।
मैंने कहा- यार मुझे क्या पता कि तुम यहाँ हो, चलो फिर भी ठीक है तुम यहाँ आ गई। लेकिन सेक्स का मूड तुमने कैसे बना लिया? क्या तुम इसकी आदी हो?
उसने कहा- नहीं, मैंने पहले कभी ये सब नहीं किया लेकिन पिछली तीन रातों से मैं दीदी और जीजा का खेल देख रही हूँ तब से पता नहीं क्या हो रहा है, उफ़्फ़ !
मैंने उसकी कुर्ती उठाकर उसके निप्पल को चूम लिया था। वो सिहर उठी। उसकी गोरी-2 छातियों पर दो गुलाबी दाने मुझे पागल कर रहे थे। मैं एक निप्पल चूस रहा था और दूसरे को हाथ से मसल रहा था। उसके मुँह से ओऽऽह आऽऽह जैसी आवाजें निकल रही थी और वो अपने हाथों से मेरा सर अपनी छातियों पर जोर से भींच रही थी। मैंने अपना मुँह छाती से उठाकर उसके होठों पर रख दिया। अब मैं उसके होठों को चूस रहा था, एक हाथ से उसकी छाती को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी सलवार में डालकर उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
वो बार-2 मचल जाती और मुझसे जोर से चिपक जाती।
मैंने हाथ उसकी चूत से हटाकर पैंट की जिप खोल कर खड़ा हो चुका लंड बाहर निकाला और उसका हाथ पकड़कर उसे लंड पकड़ाया। वो दबाने लगी। मैं खड़ा हुआ और उसको भी खड़ा करके उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा। उसने भी मदद की।
सलवार को मैंने नीचे किया, मेरे अंदर जैसे धमाका हुआ। उसकी फूली हुई चूत जिस पर हल्के-2 रोएँ थे, देखते ही मेरे होश उड़ गए। मैं रुक न सका और उसकी चूत को चाटने लगा। चाटते-2 मैं अपनी जीभ चूत के अंदर डालकर हिलाने लगा।
वो सीऽऽऽ... सीऽऽऽ... करने लगी।
मैंने उसे उठाकर स्टूल पर बैठाया, पैर ऊपर करके घुटनों के नीचे से हाथ ले जाकर उसकी कमर पकड़ ली और नीचे बैठ कर उसकी कुँवारी चूत को जोर-2 से चूसने लगा।
5-7 मिनट बाद उसका शरीर ऐंठने लगा, मेरे सर को उसने जोर से दबाया और आऽऽऽह...! एक लम्बी सिसकारी के साथ चूत से पानी छोड़ दिया। मैं उठा और अपनी पैंट कच्छा नीचे सरका दिया।
मेरा 7 इंच लंबा लंड उसकी आँखों के सामने एकदम सीधा खड़ा था। मैंने उसका सर पकड़कर लंड उसके होठों पर रख दिया। पहले तो उसने मुँह घुमा लिया पर मेरे पुन: प्रयास करने पर उसने धीरे से मुँह खोला और लंड को मुँह में लेने लगी।
लंड बड़ा होने के कारण पूरा उसके मुँह में नहीं जा पा रहा था, फिर भी वो कोशिश कर रही थी। मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा था। इतनी कमसिन और सुंदर लड़की से लंड चुसवाने का आनन्द मैं शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा हूँ। मैंने लंड को उसके उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत की तरफ ले गया।
वो जोश में थी फिर भी कहने लगी- प्लीज धीरे से करना, मुझे बड़ा डर लग रहा है।
मैंने उसके होठों को चूमा और कहा- बस थोड़ा सा दर्द होगा, बाद में मजा भी आएगा।
वो चुप हो गई। मैंने उसे फर्श पर बिछी चटाई पर लेटाया, एक बार चूत को चूमा और अपना लंड रगड़ने लगा। वो मचलने लगी और अपनी चूत ऊपर उठाने लगी। मैं जानता था कि इतनी टाइट चूत है इसलिए दर्द होगा। मैंने उसके मुँह को अपने मुँह में लिया, लंड को चूत के मुँह पर रखकर एक धक्का दिया।
आधा लंड अंदर जा चुका था। वो मुझे धकेलने लगी और अपना मुँह छुड़ाने लगी। जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने एक तगड़ा झटका दिया, पूरा लंड चूत की गहराई में जाकर अटकने लगा।
वो रोने लगी और छटपटाने लगी।
मैंने उसके मुँह को नहीं छोड़ा और उसके गालों को सहलाने लगा।
थोड़ी देर में वो शांत हुई तो मैंने धीरे-2 उसे चोदना शुरु किया। अब शायद उसे भी मजा आने लगा था क्योंकि वो भी नीचे से जवाबी धक्के देने लगी।
कसी चूत होने के कारण मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। वो ऊँऽऽ आऽऽह की आवाज के साथ ऐंठने लगी और मुझसे पहले ही झड़ गई। उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ा और चूत चिकनी होकर कुछ ढीली हुई।
मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी। वो फिर से चूत उछालने लगी। पाँच मिनट में वो फिर से झड़ गई और बुरी तरह लिपट गई। मेरा भी निकलने वाला था तभी मैंने लंड बाहर निकाला और हाथ से मुट्ठ मारने लगा। पिचकारी छूटी और पूरा माल उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया।
हम दोनो हाँफ रहे थे। तब तक बाइक की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि डाक्टर वापस आ चुका था।
हमने फटाफट कपड़े पहने और एक दूसरे को चूमा, मैंने कहा- यार मजा आ गया।
"हैपी न्यू ईयर !" उसने कहा।
मैंने कहा- सेम टू यू यार ! मैं तो भूल ही गया था कि आज एक जनवरी है, थैंक्यू !
"मैं जाती हूँ बड़ी देर हो रही है, ये लो मेरा नंबर।" उसने कहा और मुझे एक छोटा सा कागज का टुकड़ा देकर बाहर आ गई।
बाहर डाक्टर बुढ़ऊ से बतिया रहे थे। फीस के रूप में मैंने ताऊ से पचास रुपए लिए और कामिनी को दवा खाने का तरीका बताया। वो लोग चले गए लेकिन मेरा नया साल मुबारक कर के गए।
कामिनी से मेरी दूसरी मुलाकात फिर हुई लेकिन वो सब बाद में बताऊँगा। फिलहाल विदा ! हैप्पी न्यू ईयर टू आल आफ यू !
कहानी कैसी लगी जरुर बताना !
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नया साल नया माल
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दोस्तो, अब आते हैं अपनी कहानी की तरफ। चूँकि बात हो रही है नए साल की तो कहानी भी कुछ ऐसी ही होनी चाहिए, तो लीजिए हुजूर हाजिर है नए साल की नई कहानी...
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मैं अपने काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता हूँ लेकिन कभी-2 काम न मिलने पर मैं अपने पुस्तैनी घर जो देहात में पड़ता है वहीं रहता हूँ क्योंकि एक कॉन्ट्रेक्टर का काम हमेशा अनिश्चित सा ही रहता है।
हमारे गाँव के पास ही एक छोटा सा चौराहा है वहीं पीठ (साप्ताहिक या रोजाना बाजार) भी लगती है। पूरी ग्राम पंचायत के लोग वहाँ आते हैं। वहीं पर मेरे एक दोस्त का क्लीनिक भी है मैं खाली समय में अक्सर वहीं बैठता हूँ, अपने दोस्त से मैं इंजेक्शन वगैरह लगाना सीख गया हूँ जिससे मैं अपने दोस्त की मदद भी कर देता हूँ। इससे उसे भी मदद मिल जाती है और मेरा भी टाइम पास हो जाता है।
अभी पिछले साल एक जनवरी की बात है, हम लोग क्लीनिक पर बैठे आपस में बात कर रहे थे।
मैं बोला- यार डाक्टर, नए साल में किसी नई मरीज का इलाज किया या नहीं?
डाक्टर मेरा इशारा समझ गया और बोला- यार किया तो नहीं है लेकिन एक ने आज 2 बजे घर बुलाया है शायद काम बन जाए।
"अबे देखना किसी के घर में कुछ गड़बड़ मत करना, वर्ना फीस में जूते भी मिल सकते हैं ! मैंने उसे सचेत किया।
"नहीं यार, आज उसके बगल के गाँव का मेला है घर के सब लोग मेला देखने जाएँगे वो अकेली ही घर में रहेगी, जैसे ही घर खाली होगा वो मुझे फोन करेगी।" डाक्टर ने बताया।
"बहुत घुटे हो गुरू ! पहले से ही सेटिंग भिड़ा रखी है।" मैंने कहा तो डाक्टर हँसने लगा।
मैंने कहा- यार तू तो जाएगा माल काटने, तेरा तो नया साल मुबारक हो जाएगा, मैं यहाँ बैठकर क्या बाल बनाऊँगा? मैं भी कहीं जाता हूँ।
"नहीं यार तू कहीं मत जा, यहीं मेरे क्लीनिक पर बैठ मैं घण्टे भर में वापस आ जाऊँगा, छोटी-मोटी बीमारी तो तू ही देख लेगा, अगर कोई खास बात हो तो पेशेंट को रोक के रखना मैं आकर देखूँगा, प्लीज यार।"
"चल ठीक है, तू भी क्या याद रखेगा कि किसी रईस से पाला पड़ा है।" मैंने कहा तो वो खुश हो गया और कहा- थैंक्यू यार !
और तब तक उसके फोन की घंटी बज उठी। उसने बात की वो बड़ा खुश हो रहा था।
मैंने कहा- क्या बे चूत मारने का न्योता आ गया क्या?
डाक्टर बोला- हाँ चक्रेश भाई, उसी का फोन था, तुम क्लीनिक देखना, मैं अभी आया !
इतना कहकर डाक्टर ने बाइक स्टार्ट की और बन्दूक से छूटी गोली की तरह निकल गया।
मैं क्लीनिक पर अकेला बैठा मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि हे प्रभु ! कहीं से बढ़िया सा मरीज भेजकर मेरा भी नया साल मुबारक कर दे तो मैं पाँच रुपए का प्रसाद चढ़ाऊँ।
करीब 10 मिनट बाद एक 60 वर्ष का आदमी आया और उसके पीछे एक 18-19 साल की लड़की आई। वो लड़की क्या कयामत थी एकदम गोरी और पतली सी। उसकी जैसे ही मुझसे नजर मिली, उसने एक प्यारी सी स्माइल दी। मेरा कलेजा धक से हुआ, जवाब में मैंने भी स्माइल दी और साथ में आए उस आदमी से बोला- जी बताइए?
"अरे भैया, ई बिटिया का कौनो परेशानी है तनी देखि तौ लियो।" वो आदमी बोला।
मैंने कहा- ठीक है ताऊ, आप बैठो मैं चेक कर लेता हूँ।
इतना कहकर मैंने लड़की को इशारे से बुलाया, मैंने पूछा- आपका नाम?
"कामिनी" उसने बताया।
"उम्र?" मैंने पूछा।
"18 साल !" उसने शर्माते हुए कहा।
"चलेगी !" मैंने धीरे से कहा।
"जी?" उसने पूछा।
"जी कुछ नहीं, आप अंदर चलिए कुछ जाँच करनी है।" मैंने कहा और अंदर जाने लगा।
वो भी मेरे पीछे-2 अंदर बने छोटे से केबिन में चली आई। पास में रखे स्टूल की ओर इशारा किया- बैठिए !
वो बैठ गई। मैंने स्टेथस्कोप अपने कान में सेट किया और पूछा- बताइए क्या तकलीफ है?
उसने कहा- पूरे बदन में दर्द है।
मैंने स्टेथस्कोप(आला) उसके सीने पर रख दिया और लंबी साँस लेने को कहा। पहले तो वो सिहर गई फिर लंबी-2 साँसें लेने लगी जिससे उसकी छातियाँ ऊपर नीचे होने लगी। मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने आला हटाकर रख दिया और एक हाथ उसकी पीठ पर रखा और एक हाथ से उसे चेक करने लगा। मेरी उँगलियों का कंपन शायद वो भी भाँप चुकी थी। मैंने दाहिनी छाती के निपल से थोड़ा दूर हाथ रखकर दबाया और पूछा- यहाँ दर्द होता है?
"हाँ !" उसने कहा।
मैंने अपना हाथ छाती के ठीक ऊपर रखकर दबा कर पूछा- यहाँ दबाने पर आराम मिलता है?
"हाँ !" उसने कहा।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखे और जोर से दबाया।
"शीऽऽऽ...थोड़ा धीरे !" उसके मुँह से निकला।
तब तक बाहर बैठा आदमी खाँसने लगा। हम रुक गए।
मैंने कहा- तुम यहीं रुको, मैं अभी इसे टहला कर आता हूँ।
वो सिर्फ मुस्कुराई। मैं बाहर गया और कागज पर एक दवा लिखी और कहा- ताऊ सामने वाले मेडिकल स्टोर से यह दवा ले आओ !
वो बोले- 'ठीक है बच्चे !
और दवा लाने चले गए।
मैंने मेडिकल स्टोर वाले को फोन किया जो मेरा बचपन का दोस्त था, मैंने कहा- उमेश, यह बुढ़ऊ दवा लेने आ रहे हैं, इन्हें कुछ देर बातों में उलझा के रखना !
उसने कहा- ठीक है।
मैं निश्चिँत होकर वापस केबिन में आ गया जहाँ कामिनी न्यू ईयर मनाने के इंतजार में बैठी थी। आते ही कामिनी को बाहों में भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा।
मैंने पूछा- कामिनी तुम्हारा घर कहाँ है क्योंकि मैंने पहले तुम्हें कभी इस गाँव में नहीं देखा और तुमने मुझे कैसे पसंद कर लिया?
तो उसने बताया- मैं अपनी दीदी के घर आई हूँ, ये जो साथ में हैं ये मेरी दीदी के ससुर हैं। तुम दीदी के दरवाजे से रोज निकलते थे, मैं देखती रहती थी लेकिन तुम मेरी ओर देखते ही नहीं थे।
मैंने कहा- यार मुझे क्या पता कि तुम यहाँ हो, चलो फिर भी ठीक है तुम यहाँ आ गई। लेकिन सेक्स का मूड तुमने कैसे बना लिया? क्या तुम इसकी आदी हो?
उसने कहा- नहीं, मैंने पहले कभी ये सब नहीं किया लेकिन पिछली तीन रातों से मैं दीदी और जीजा का खेल देख रही हूँ तब से पता नहीं क्या हो रहा है, उफ़्फ़ !
मैंने उसकी कुर्ती उठाकर उसके निप्पल को चूम लिया था। वो सिहर उठी। उसकी गोरी-2 छातियों पर दो गुलाबी दाने मुझे पागल कर रहे थे। मैं एक निप्पल चूस रहा था और दूसरे को हाथ से मसल रहा था। उसके मुँह से ओऽऽह आऽऽह जैसी आवाजें निकल रही थी और वो अपने हाथों से मेरा सर अपनी छातियों पर जोर से भींच रही थी। मैंने अपना मुँह छाती से उठाकर उसके होठों पर रख दिया। अब मैं उसके होठों को चूस रहा था, एक हाथ से उसकी छाती को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी सलवार में डालकर उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
वो बार-2 मचल जाती और मुझसे जोर से चिपक जाती।
मैंने हाथ उसकी चूत से हटाकर पैंट की जिप खोल कर खड़ा हो चुका लंड बाहर निकाला और उसका हाथ पकड़कर उसे लंड पकड़ाया। वो दबाने लगी। मैं खड़ा हुआ और उसको भी खड़ा करके उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा। उसने भी मदद की।
सलवार को मैंने नीचे किया, मेरे अंदर जैसे धमाका हुआ। उसकी फूली हुई चूत जिस पर हल्के-2 रोएँ थे, देखते ही मेरे होश उड़ गए। मैं रुक न सका और उसकी चूत को चाटने लगा। चाटते-2 मैं अपनी जीभ चूत के अंदर डालकर हिलाने लगा।
वो सीऽऽऽ... सीऽऽऽ... करने लगी।
मैंने उसे उठाकर स्टूल पर बैठाया, पैर ऊपर करके घुटनों के नीचे से हाथ ले जाकर उसकी कमर पकड़ ली और नीचे बैठ कर उसकी कुँवारी चूत को जोर-2 से चूसने लगा।
5-7 मिनट बाद उसका शरीर ऐंठने लगा, मेरे सर को उसने जोर से दबाया और आऽऽऽह...! एक लम्बी सिसकारी के साथ चूत से पानी छोड़ दिया। मैं उठा और अपनी पैंट कच्छा नीचे सरका दिया।
मेरा 7 इंच लंबा लंड उसकी आँखों के सामने एकदम सीधा खड़ा था। मैंने उसका सर पकड़कर लंड उसके होठों पर रख दिया। पहले तो उसने मुँह घुमा लिया पर मेरे पुन: प्रयास करने पर उसने धीरे से मुँह खोला और लंड को मुँह में लेने लगी।
लंड बड़ा होने के कारण पूरा उसके मुँह में नहीं जा पा रहा था, फिर भी वो कोशिश कर रही थी। मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा था। इतनी कमसिन और सुंदर लड़की से लंड चुसवाने का आनन्द मैं शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा हूँ। मैंने लंड को उसके उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत की तरफ ले गया।
वो जोश में थी फिर भी कहने लगी- प्लीज धीरे से करना, मुझे बड़ा डर लग रहा है।
मैंने उसके होठों को चूमा और कहा- बस थोड़ा सा दर्द होगा, बाद में मजा भी आएगा।
वो चुप हो गई। मैंने उसे फर्श पर बिछी चटाई पर लेटाया, एक बार चूत को चूमा और अपना लंड रगड़ने लगा। वो मचलने लगी और अपनी चूत ऊपर उठाने लगी। मैं जानता था कि इतनी टाइट चूत है इसलिए दर्द होगा। मैंने उसके मुँह को अपने मुँह में लिया, लंड को चूत के मुँह पर रखकर एक धक्का दिया।
आधा लंड अंदर जा चुका था। वो मुझे धकेलने लगी और अपना मुँह छुड़ाने लगी। जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने एक तगड़ा झटका दिया, पूरा लंड चूत की गहराई में जाकर अटकने लगा।
वो रोने लगी और छटपटाने लगी।
मैंने उसके मुँह को नहीं छोड़ा और उसके गालों को सहलाने लगा।
थोड़ी देर में वो शांत हुई तो मैंने धीरे-2 उसे चोदना शुरु किया। अब शायद उसे भी मजा आने लगा था क्योंकि वो भी नीचे से जवाबी धक्के देने लगी।
कसी चूत होने के कारण मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। वो ऊँऽऽ आऽऽह की आवाज के साथ ऐंठने लगी और मुझसे पहले ही झड़ गई। उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ा और चूत चिकनी होकर कुछ ढीली हुई।
मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी। वो फिर से चूत उछालने लगी। पाँच मिनट में वो फिर से झड़ गई और बुरी तरह लिपट गई। मेरा भी निकलने वाला था तभी मैंने लंड बाहर निकाला और हाथ से मुट्ठ मारने लगा। पिचकारी छूटी और पूरा माल उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया।
हम दोनो हाँफ रहे थे। तब तक बाइक की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि डाक्टर वापस आ चुका था।
हमने फटाफट कपड़े पहने और एक दूसरे को चूमा, मैंने कहा- यार मजा आ गया।
"हैपी न्यू ईयर !" उसने कहा।
मैंने कहा- सेम टू यू यार ! मैं तो भूल ही गया था कि आज एक जनवरी है, थैंक्यू !
"मैं जाती हूँ बड़ी देर हो रही है, ये लो मेरा नंबर।" उसने कहा और मुझे एक छोटा सा कागज का टुकड़ा देकर बाहर आ गई।
बाहर डाक्टर बुढ़ऊ से बतिया रहे थे। फीस के रूप में मैंने ताऊ से पचास रुपए लिए और कामिनी को दवा खाने का तरीका बताया। वो लोग चले गए लेकिन मेरा नया साल मुबारक कर के गए।
कामिनी से मेरी दूसरी मुलाकात फिर हुई लेकिन वो सब बाद में बताऊँगा। फिलहाल विदा ! हैप्पी न्यू ईयर टू आल आफ यू !
कहानी कैसी लगी जरुर बताना !
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