Saturday, January 18, 2014

Raj-Sharma-stories मेरी चार मामियां --4

Raj-Sharma-stories


  मेरी चार मामियां --4
गतान्क से आगे...................................
"वो तो ठीक है दीदी पर अपने पति को कहाँ से लाउ इस वक़्त वो तो
बाहर गये हुए है..." मोना मामी ने सोचते हुए कहा.

"एक दम पगली हो तुम भी.... क्या हर कल्पना पति से ही पूरी की
जाती है. ये राज हम चारों के बीच ही रहेगा समझी." अनिता
मामी ने कहा.

"कहती तो तुम सच हो दीदी हम सब बातें अपने पति को तो नही बता
सकते..... पर तुम ये कहना चाहती हो कि राज हम तीनो को चोदेगा?"
मोना ने पूछा.

"हां मेरी जाना...... अच्छा सच सच बताओ क्या तुम नही चाहती कि
कोई इस चाँदनी रात मे छत पर खुले आसमान के नीचे तुम्हे कोई
चोदे?" अनिता ने कहा.

"हां दीदी मन तो बहोट कर रहा है." मोना ने शरमाते हुए कहा.

"ठीक है जब ये तय हो गया है कि राज हम तीनो को चोदेगा तो सवाल
ये है के पहले कौन चुदवाएगा." कंगन मामी ने कहा.

इस बात को लेकर तीनो बहस करने लगी कि पहले तुम, पहले तुम. मोना
अपनी जीद पर आडी रही कि सबसे पहले वो नही चुदवाएगी. लेकिन हम
सभी जीद करने लगे कि नही उसे सबसे पहले चुदवाना होगा.

"आप तीनो मेरे पीछे ही क्यों पड़े है के सबसे पहले में राज से
चुदवाउ." मोना ने कहा.

"क्योंकि पीछले तीन दीनो से हम दोनो राज से चुदवा रहे हैं" अनिता
मामी ने मोना मामी के कान मे फुसफुसाते हुए कहा.

अनिता मामी की बात सुनकर मोना दांग रह गयी. उसने एक शब्द भी नही
कहा. आधे घंटे लग गये कंगन और अनिता को मोना को समझने मे
कि यही सही मौका है अपनी कल्पना को पूरी करने का.

आख़िर मोना तय्यार हो गयी.

"मोना एक काम करो तुम अपने कपड़े उतार दो?" कंगन मामी ने कहा.

"क्या अभी इसी वक़्त?" मोना ने पूछा.

"हां यही तो सही मौका है." कंगन ने कहा, "ठीक है लाओ में
तुम्हारी मदद करती हूँ."

हम चारों खुली छत पर खुले आसमान के नीचे खड़े थे. लालटेन
से आती हल्की रोशनी और चंदा की चाँदनी महॉल को काफ़ी रोमांचकारी
बना रहा था. कंगन मामी मोना के पास गयी और धीरे धीरे उसके
कपड़े उतारने लगी.

मोना मामी ने हल्की नीले रंग की सारी पहन रखी थी. कंगन ने
उसकी सारी खोल कर उतार दी और मेरी प्यारी मोना नामी मेरे सामने
सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस पहने खड़ी थी.

थोड़ी ही देर मे कंगन ने उसके ब्लाउस के हुक खोल उसे भी निकाल
दिया.

मोना मामी का गोरा बदन चाँद की रोशनी मे नहा गया. अधनंगी
अवस्था मे सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट मे उनका बदन एक दूधिया रंग का
लग रहा था.

अनिता मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मोना के पास खड़ा कर दिया.
मेने देखा कि मोना मामी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. उनके
चेहरा गुलाबी हो रहा था शायद इस ख़याल से कि चाँदनी रात मे
खुली छत पर चुदाई करवाने की ख्वाइश आज पूरी होने वाली थी.

मुझे वहीं मोना के पास छोड़ अनिता और कंगन मामी थोड़ी दूर
दीवार के सहारे खड़ी हो गयी जिससे हमारी चुदाई देख सके.

मोना मामी अभी शरम के मारे अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए हुए थी.
जब में उनके और नज़दीक गया तो उन्होने मुझे रोक दिया.

"थोड़ी देर के लिए रुक जाओ राज, में अभी पेटिकोट नही उतारना
चाहती. मैने पेटिकोट पहने पहने ही करवाना चाहती हूँ, और हाँ
में घोड़ी बन जाउन्गि और तुम पीछे से मुझे चोदोगे. अगर तुम
सामने से करोगे तो में शरम के मारे तुमसे आँख नही मिला
पाउन्गि....कोई ऐतराज़ तो नही ना तुम्हे.?" मोना मामी ने कहा.

भला में क्या ऐतराज़ करता. मेरा तो सपना पूरा हो रहा था अपनी मोना
मामी को चोद्ने का चाहे वो आगे से हो या पीछे से. मैने हां मे
अपनी गर्दन हिला दी.

मोना मामी ने आने हाथ पीछे किए और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया,
फिर अपने कंधों से ब्रा के स्ट्रॅप हटा कर ब्रा को निकाल दिया. ओह्ह्ह्ह्ब
क्या चुचियाँ थी मोना की. चूतड़ लेकिन गोल और भरे हुए. चाँद की
रोशनी मे ऐसे चमक रहे थे जैसे कि कोई हापुड़ के आम.

मोना मामी घूम कर पीठ कर मेरी तरफ खड़ी हो गयी. फिर एक हाथ
से दीवार का सहारा लेकर झुक गयी और दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को
कमर तक उठा कर टीका दिया. फिर अपनी पॅंटी को नीचे खिसका कर
परों से अलग कर निकाल दिया. क्या चूतड़ थे मामी के गोरे और गोल
गोल.

चाँद की रोशनी ठीक और उनपर पड़ रही थी जिससे उनकी चुचियों की
परछाई छत की ज़मीन पर दीख रही थी. शायद मामी की शरम भी
खुल चुकी थी वो अपनी टाँगो को थोड़ा फैला अपने हाथ से अपनी चूत
को सहला रही थी और शायद मुझे बूला रही थी कि 'आओ राज और
चोदो मुझे."

"राज कब तक खड़े मेरे नंगे बदन को निहारते रहेगो.... क्या अब
चोदोगे नही मुझे." मोना ने मुस्कुराते हुए बोली.

मोना की बात सुन में अपने ख़यालों से बाहर आया. मेने तुरंत अपने
कपड़े खोले और नंगा हो गया. में अपने खड़े लंड को सहलाते हुए
मोना के चेहरे के पास आ गया.

"कितना प्यारा और सुंदर लंड है तुम्हारा...." कहकर मोना ने मेरे
लंड को अपने मुलायम हाथों मे पकड़ लिया. मैने भी अपना हाथ उनके
कंधों से नीचे कर उनकी चुचियों को मसल्ने लगा. मैं मोना मामी
की चुचियों को ठीक उसी तरह मसल रहा था जिस तरह कंगन मामी
ने मुझे सिखाया था.

मोना मामी के मुँह से एक आह सी निकल गयी. पहले तो धीरे मसल्ते
और सहलाता रहा फिर उनकी चुचि को अपनो पंजों मे भीच जोरों से
मसल्ने लगा. मैने उनके निपल को अपने अंगूठे और उंगली से जोरों से
भींच देता.

मोना मामी भी गरमा चुकी थी वो अपने हाथों से अपनी चूत को
मसल्ने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी, "ऑश अयाया आअहह."

में मोना मामी के पीछे आया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने
लगा. मामी गरमा चुकी थी और उनकी चूत पानी रिस रही थी. मैने
धीरे से उनकी चूत को फैलाएगा और अपने लंड को चूत के मुँह पर
रख हल्का सा धक्का दिया.

मामी ने हल्की सी सिसकारी भरी और दीवार को जोरों से पकड़ते हुए
अपने चूतड़ पीछे को किए जिससे मेरा पूरा लंड उनकी चूत मे समा
गया. अब में धीमे धीमे धक्को से अपने लंड को अंदर बाहर कर रह
था. मामी भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर मेरा साथ दे रही थी.

अचानक मोना ने पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा तो में मुस्कुरा दिया.
मामी की शरम गायब हो चुकी थी. वो मेरे आगे से हटी और वहीं
ज़मीन पर बीचे एक गद्दे पर पीठ के बल लेट गयी. उन्होने अपनी
पैरों को फैलाते हुए मुझे बीच मे आने के कहा.

में उनकी टॅंगो के बीच आया तो मामी ने अपने हाथों से मेरे लंड को
पकड़ा और अपनी चूत पर घिसने लगी. थोड़ी देर उपर नीचे घिसने के
बाद उसने दो उंगलियों से अपनी चूत का मुँह खोला और मेरे लंड को
उसपर टीका दिया.

मोना मामी का इशारा पा मेने एक धक्का मारा.

"थोड़ा रूको राज मुझे अपने पैर तुम्हारे कंधों पर रखने दो इससे
हमे और मज़ा आएगा." मोना ने कहा.

मोना ने अपने पावं को उठा कर मेरे कंधों पर रख दिया. ऐसा करने
से में और उनके नज़दीक हो गया. मेरी जंघे उनकी जाँघो से टकरा
रही थी. मेने थोड़ा सा धक्का मारा तो लंड उनकी गीली चूत मे
घुसता चला गया. क्या चूत थी मोना मामी की, कंगन मामी और अनिता
मामी से भी ज़्यादा कसी हुई.

मोना मामी की चूत इतनी कसी हुई थी कि मेरा आधा लंड ही उनकी चूत
मे घुस पाया था. में थोड़ा और ज़ोर लगाकर अपना लंड उनकी चूत मे
घुसाने की कोशिश करने लगा.

"ओह राज रूको मत मारो धक्के हाआँ और ज़ोर से मारो ऑश हाआँ
और मारो भर दो मेरी चूत को अपने लंड से." मोना मामी सिसक रही
थी.

मोना की सिसकारी सुन अनिता मामी और कंगन मामी हँसने लगी.

"दीदी ये अच्छी बात नही है, क्यों हंस रही है आप दोनो." मोना ने
कहा. मेने फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो फिर मोना मामी सिसक पड़ी
और फिर से दोनो मामियाँ हंस पड़ी.

"दीदी क्यों हंस कर मुझे चिढ़ा रही है. सही मे राज का लंड इतना
अच्छा है कि मुझे मज़ा आ रहा है." मोना इतना कहकर अपने चूतड़
उपर को उठा दिए जिससे मेरा लंड और अंदर तक उसकी चूत मे घूस
गया.

"दीदी आप दोनो भी अपने कपड़े उतार मेरी तरह नंगी क्यों नही हो
जाती. में आप दोनो को नंगा देखना चाहती हूँ." मोना ने कहा.

पहले तो दोनो मानी नही लेकिन जब मोना ने कई बार ज़िद की तो वो दोनो
मान गयी. थोड़ी ही देर मे दोनो ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो
गयी. ओह क्या नज़ारा था मेरी तीनो मामियाँ मेरे सामने मदरजात नंगी
थी.

तीनो के नंगे शरीर पर उनके मंगल सुत्र किसी पेंडुलम की तरह
झूल रहे थे, और उनकी सोने की बलिया उनकी नग्नता और सुंदरता को
चार चाँद लगा रही थी.

अपनी तीन मामियों को नंगी देख मेरे लंड मे तनाव बढ़ गया में
मोना मामी की चुचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा.
मामी भी उत्तेजना मे अपने चूतड़ उछालने लगी. में इतनी ज़ोर से
चुदाई करने लगा कि मोना तो थरथरा उठी.

"ओह राज प्लीज़ इतनी ज़ोर से नही ऑश मर गयी. राज थोड़ा
धीरे मेरी चूत फॅट जाएगी बहुत दर्द हो रहा है ओह मर गयी
रे." मोना सिसक रही थी.

मोना की थर थराहट सुनकर मेने धक्को की रफ़्तार को थोड़ा धीमा
कर
दिया. मैने नज़रें घूमा कर देखा कि अनिता मामी और कंगन दीवार
के सहारे लेती अपनी अपनी चूत मे अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही
थी.

मोना मामी का दर्द शायद कम हो गया था अब वो अपने चूतड़ उछाल
मेरे साथ ताल से ताल मिला रही थी.

"क्यों मोना मामी मज़ा आ रहा है ना?" मैने पूछा.

"हां राज बहुत मज़ा रहा है ओह चोदो ज़ोर से चोदो में
नही रोकूंगी तुम्हे ऑश चोदो नाअ मारो ना ज़ोर के धक्के."


में फिर से हुचक हुचक कर मोना मामी की चूत मे अपना लंड पेलने
लगा साथ ही में उनकी चुचियों को भी मसल रहा था. थोड़ी देर मे
मेरे लंड मे उबाल आने लगा और मुझे लगा कि मेरा छूटने वाला है.

'ऑश मामी मेरा तो छूटने वाला है कहाँ छोड़ू अपने पानी को
बाहर या चूत के अंदर, अगर अंदर छोड़ूँगा तो आप प्रेगञेन्ट भी हो
सकती हो." मेने कहा.

"ऑश राज छोड़ दो अपने पानी को मेरी चूत मे में तुम्हारी लंड की
पिचकारी अपनी चूत मे महसूस करना चाहती हूँ, हो जाने दो मुझे
प्रेगञेन्ट ओह राज चोदो अपना पानी में भी छूटने वाली हूँ."
मोना मामी ने सिसकते हुए अपने चूतड़ उठाए और मेरे लंड को अपनी
चूत की जड़ों तक लेते हुए पानी छोड़ दिया.

मैने भी ज़ोर का धकका मार उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
में तब तक धक्के मारता रहा जब तक की मेरे लंड से आखरी बूँद
भी नही निकल गयी.

मेने झुक कर मोना मामी के होठों को चूस लिया और हमारे पसीने
भर शरीर एक हो गये. हम दोनो इतना थक गये थे कि हमे अनिता
मामी की आवाज़ भी सुनाई नही दी.

उन्होने ज़ोर से पुकारा तो हमने अपनी गर्दन उनकी तरफ उठाई.

"तुम दोनो यहीं रहना चाहते हो या नीचे बेडरूम आकर सोना पसंद
करोगे." अनिता मामी ने कहा.

"नही दीदी आप लोग जाइए. हम दोनो इतना थक गये है कि बाद मे आ
जाएँगे." मोना मामी ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा, "राज ये मेरी
जिंदगी की सबसे अच्छी चुदाई थी. इस तरह आज तक मुझे किसी ने
नही
चोदा, तुम एक बार फिर इसी तरह मेरी चुदाई करोगे ना.......प्लीज़."
कहकर मोना मामी ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए.

"ओह मेरी प्यारी मोना मामी आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ.
आप कहें अभी शुरू हो जाउ." मेने मोना के होठों को चूस्ते हुए
कहा.

"नही..... नही.... अभी नही. अभी तो बहोत थक गयी. इतनी
भयंकर
रूप से चोदा है कि पूरा शरीर ही दुख रहा है. बाद मे क्सिस और
समय. इस समय तो चलो सो जाते हैं." मामी ने कहा.

में नीचे बेडरूम मे जाने के लिए उठा कर खड़ा हुआ तो मोना मामी
ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे फिर नीचे बिठा दिया, "नही नीचे
बेडरूम मे नही.... हम यहाँ ही सोएंगे नंगे. कोई आने वाला नही
है." इतना कहकर उसने मुझे बाहों मे भर लिया."

"मोना अब तो तुम्हारी तम्मानना पूरी हो गयी." मेने उसके बालों मे
उंगलियाँ फिराते हुए कहा.



4
"Wo to thik hai didi par apne pati ko kahan se laun is waqt wo to
bahar gaye hue hai..." Mona maani ne sochte hue kaha.

"Ek dum pagli ho tum bhi.... kya har kalapana pati se hi puri ki
jaati hai. Ye raaj hum charon ke beech hi rahega samjhi." Anita
maami ne kaha.

"Kehti to tum sach ho didi hum sab baatein apne pati ko to nahi bata
sakte..... par tum ye kehna chahti ho ki Raj hum teeno ko chodega?"
Mona ne pucha.

"Haan meri jana...... acha sach sach batao kya tum nahi chahti ki
koi is chadni raat me chat par khule aasman ke neeche tumhe koi
chode?" Anita ne kaha.

"Haan didi man to bahot kar raha hai." Mona ne sharmate hue kaha.

"Thik hai jab ye tay ho gaya hai ki Raj hum teeno ko chodega to sawal
ye hai ke pehale kaun chudwaiyga." Kangan maami ne kaha.

Is baat ko lekar teeno behas karne lagi ki pehle tum, pehle tum. Mona
apni jeed par adi rahi ki sabse pehle wo nahi chudwaigi. Lekin hum
sabhi jeed karne lage ki nahi use sabse pehle chudwana hoga.

"Aap teeno mere peeche hi kyon pade hai ke sabse pehle mein Raj se
chudwaun." Mona na kaha.

"Kyonki peechle teen dino se hum dono Raj se chudwa rahe hain" Anita
maami ne Mona maami ke kaan me phusphursate hue kaha.

Anita maami ki baat sunkar Mona dang reh gayi. Usne ek sahbd bhi nahi
kaha. Aadhe ghante lag gaye Kangan aur Anita ko Mona ko samjhane me
ki yahi sahi mauka hai apni kalpana ko puri karne ka.

Aakhir Mona tayyar ho gayi.

"Mona ek kaam karo tum apne kapde uttar do?" Kangan maami ne kaha.

"Kya abhi isi waqt?" Mona ne pucha.

"Haan yahi to sahi mauka hai." Kangan ne kaha, "thik hai lao mein
tumhari madad karti hoon."

Hum charon khuli chat par khule aasman ke neeche khade the. Laltein
se aati halki roshni aur chanda ki chandani mahol ko kafi romanchkari
bana raha tha. Kangan maami Mona ke paas gayi aur dheere dheere uske
kapde uttarne lagi.

Mona maami ne halki neele rang ki saree pehan rakhi thi. Kangan ne
uski saree khol kar uttar di aur meri pyaari Mona naami mere samne
sirf peticoat aur blouse pehne khadi thi.

Thodi hi der me Kangan ne uske blouse ke hook khol use bhi nikal
diya.

Mona maami ka gora badan chand ki roshni me naha gaya. Adhnangi
avastha me sirf bra aur peticoat me unka badan ek doodiya rang ka
lag raha tha.

Anita mami ne mera hath pakda aur mujhe Mona ke paas khada kar diya.
Meine dekha ki Mona maami kisi apsara se kam nahi lag rahi thi. Unke
chehra gulabi ho raha tha shayad is khayal se ki chandni raat me
khuli chat par chudai karwane ki khwaish aaj puri hone wali thi.

Mujhe wahin Mona ke paas chod Anita aur Kangan maami thodi door
deewar ke sahare khadi ho gayi jisse haamari chudai dekh sake.

Mona mami abhi sharam ke mare apni nazrein jameen par gadaye hue thi.
Jab mein unke aur nazdeek gaya to unhone mujhe rok diya.

"Thodi der ke liye ruk jao Raj, mein abhi peticoat nahi uttarna
chahti. Mien peticoat pehne pehne hi karwana chahti hoon, aur han
mein ghodi ban jaungi aur tum peeche se mujhe chodoge. Agar tum
saamne se karoge to mein sharam ke mare tumse aankh nahi mila
paungi....koi aitaraz to nahi na tumhe.?" Mona maami ne kaha.

Bhala mein kya aitraz karta. Mera to sapna pura ho raha tha apni Mona
maami ko chodne ka chahe wo aage se ho ya peeche se. Mine haan me
apni gardan hila di.

Mona maami ne ane hath peeche kiye aur apni bra ka hook khol diya,
phir apne kandhon se bra ke strap hata kar bra ko nikal diya. Ohhhhb
kya chuchyan thi mona ki. Choote lekin gol aur bhare hue. chand ki
roshni me aise chamak rahe the jaise ki koi haapus aam.

Mona maami ghoom kar peeth kar meri taraf khadi ho gayi. phir ek hath
se deewar ka sahar le jhuk gayi aur doosre haath se apne peticoat ko
kamar tak utha kar tika diya. Phir apni panti ko neeche khiska kar
paron se alag kar nikal diya. Kya chootad the maami ke gore aur gol
gol.

Chand ki roshni thik aur unpar pad rahi thi jisse unki chuchiyon ki
parchai chat ki jameen par deekh rahi thi. Shayad maami ki sharam bhi
khul chuki thi wo apni tango ko thoda faila apne hath se apni choot
ko sehla rahi thi aur shayad mujhe boola rahi thi ki 'aao Raj aur
chodo mujhe."

"Raj kab tak khade mere nange badan ko niharte rahego.... kya ab
chodoge nahi mujhe." Mona ne muskurate hue boli.

Mona ki baat sun mein apne khayalon se bahar aaya. Meine turant apne
kapde khole aur nanga ho gaya. Mein apne khade lund ko sehlate hue
Mona ke chehre ke paas aa gaya.

"Kitna pyaara aur sunder lund hai tumhara...." kehkar Mona ne mere
lund ko apne mulayam hathon me pakde liya. Miene bhi apna hath unke
kandhon se neeche kar unki chuchiyon ko masalne laga. Mien Mona maami
ki chuchiyon ko thik usi tarah masal raha tha jis tarah Kangan maami
ne mujhe sikhaya tha.

Mona maami ke munh se ek aah si nikal gayi. Pehle to dheere masalte
aur sehlata raha phir unki chuchi ko apno panjon me bheech joron se
masalne laga. Mien unke nipple ko apne anguthe aur ungli se joron se
bheench deta.

Mona maami bhi garama chuki thi wo apne hathon se apni choot ko
masalne lagi aur siskariyan bharne lagi, "OHHH AAAAH AAAHHHHHH."

Mein Mona maami ke peeche aaya aur apne lund ko uski choot par ghisne
laga. Maami garama chuki thi aur unki choot pani ris rahi thi. Miene
dheere se unki choot ko faialaya aur apne lund ko choot ke munh par
rakh halka sa dhakka diya.

Maami ne halki si siskari bhari aur deewar ko joron se pakadte hue
apne chootad peeche ko kiye jisse mera pura lund unki choot me sama
gaya. Ab mein dhime dhime dhakko se apne lund ko andar bahar kar rah
tha. Maami bhi apne chootad aage peeche kar mera sath de rahi thi.

Achanak Mona ne peeche mud kar meri taraf dekha to mein muskura diya.
Maami ki sharam gayab ho chuki thi. Wo mere aage se hati aur wahin
jameen par beeche ek gadde par peeth ke bal let gayi. Unhone apni
pairon ko failate hue mujhe beech me aane ke kaha.

Mein unki tango ke beech aaya to maami ne apne hathon se mere lund ko
pakda aur apni choot par ghisne lagi. Thodi der upar neeche ghisne ke
bad usne do ungliyon se apni choot ka munh khola aur mere lund ko
uspar tika diya.

Mona maami ka ishara pa meine ek dhakka mara.

"Thoda ruko Raj mujhe apne pair tumhare kandhon par rakhne do isse
hame aur mazaa aayega." Mona ne kaha.

Mona ne apne paon ko utha kar mere kandhon par rakh diya. Aisa karne
se mein aur unke nazdeek ho gaya. Meri janghe unki jangho se takra
rahi thi. Meine thoda sa dhakka mara to lund unki geeli choot me
ghusta chala gaya. Kya choot thi Mona maami ki, Kangan mami aur Anita
maami se bhi jyada kasi hui.

Mona maami ki choot itni kasi hui thi ki mera adha lund hi unki choot
me ghus paya tha. Mein thoda aur jor lagakar apna lund unki choot me
ghoosane ki koshish karne laga.

"OH RAAAJ RUKKO MAT MAROO DAHKKKE HAAAN AUR JOR SE MARRO OHHHH HAAAN
AUR MAROOO BHAR DO MERI CHOOT KO APNE LUND SE." Mona maami sisak rahi
thi.

Mona ki siskari sun Anita maami aur Kangan maami hansne lgai.

"Didi ye acchi baat nahi hai, kyon hans rahi hai aap dono." Mona ne
kaha. Meine phir ek jor ka dhakka mara to phir Mona maami sisak padi
aur phir se dono maamiyan hans padi.

"Didi kyon hans kar mujhe chidha rahi hai. Sahi me Raj ka lund itna
accha hai ki mujhe mazaa aa raha hai." Mona itna kehkar apne chootad
upar ko utha diye jisse mera lund aur andar tak uski choot me ghoos
gaya.

"Didi aap dono bhi apne kapde uttar meri tarah nangi kyon nahi ho
jati. Mein aap dono ko nanga dekhna chahti hoon." Mona ne kaha.

Pehle to dono mani nahi lekin jab Mona ne kai bar jid ki to wo dono
man gayi. Thodi hi der me dono ne apne kapde uttar diye aur nangi ho
gayi. Oh kya nazara tha meri teeno maamiyan mere samne madarjat nangi
thi.

Teeno ke nange sharir par unka mangal sutra kisi pendulum ki tarah
jhool raha tha, aur unki sone ki baliya unki nagnata aur sunderta ko
char chand laga rahi thi.

Apni teen maamiyon ko nangi dekh mere lund me tanav badh gaya meine
Mona maami ki chuchiyon ko masalte hue jor jor ke dhakke marne laga.
Maami bhi uttejna me apne chootad uchalne lagi. Mein itni jor se
chudai karne laga ki Mona to tharthara uthi.

"OHHHHH RAJJJJ PLEEASE ITNI JOOOOOR SE NAHI OHHHH MAR GAYI. RAJ THODA
DHHERE MERI CHOOOOT PHAT JAYEGI BAHOT DARD HO RAHA HA OHHHHH MAR GAYI
RE." Mona sisak rahi thi.

Mona ki thar tharahat sunkar meine dhako ki raftar ko thoda dheema
kar
diya. Mine nazrein ghooma kar dekha ki Anita maami aur Kangan deewar
ke sahare leti apni apni choot me apni ungliyan andar bahar kar rahi
thi.

Mona mami ka dard shayad kam ho gaya tha ab wo apne chootad uchal
mere
tal se tal mila rahi thi.

"Kyon Mona maami mazaa aa raha hai na?" Miene pucha.

"HAAN RAJ BAHOT MAZAAA RAHA HAI OHHHH CHOOODO JOOOR SE CHODO MEIN
NAHI
ROKIUNGI TUMHE OHHH CHOOODO NAAA MARO NA JOR KE DHAKKE."

Mein phir se huchak huchak kar Mona maami ki choot me apna lund pelne
laga sath hi mein unki chuchiyon ko bhi masal raha tha. Thodi der me
mere lund me ubaal aane laga aur mujhe laga ki mera chootne wala hai.

'OHHHH MAAAMI MERA TO CHOONE WALA HAUUN KAHAN CHOODU APNE PAANI KO
BAHAR YA CHOOT KE ANDAR, AGAR ANDAR CHOODUNGA TO AAP PREGNENT BHI HO
SAKTI HO." Meine kaha.

"OHHHH RAJ CHOOD DO APNE PAANI KO MERI CHOOT ME MEIN TUMHARI LUND KI
PICHKARI APNI CHOOT ME MEHSUS KARNA CHAHATI HOOON, HO JANE DO MUJHE
PREGNENT OHHHH RAJ CHOOODO APNA PAAANI MEIN BHI CHOOOOTNE WALI HOON."
Mona maami ne siskate hue apne chootad utahye aur mere lund ko apni
choot ki jadon tak lete hue pani chod diya.

Miene bhi jor ka dhkka mar aunki choot ko apne virya se bhar diya.
Mein tab tak dhakke marta raha jab tak ki mere lund se aakhri boond
bhi nahi nikal gayi.

Meine jhuk kar Mona maami ke hothon ko choos liya aur hamare paseene
bhar sharir ek ho gaye. Hum dono itna thak gaye the ki hame Anita
maami ki awaaz bhi sunai nahi dee.

Unhone jor se pukara to hamne apni gardan unki taraf uthai.

"Tum dono yahin rehna chahte ho ya neeche bedroom akar sona pasand
karoge." Anita maami ne kaha.

"Nahi did aap log jaiye. Hum dono itna thak gaye hai ki baad me aa
jayenge." Mona maami ne mujhe bahon me bharte hue kaha, "Raj ye meri
jindagi ki sabse acchi chudai thi. Is tarah aaj tak mujhe kisi ne
nahi
choda, tum ek bar fir isi tarah meri chudai karoge na.......please."
Kehkar Mona maami ne apne honth mere hothon par rakh diye.

"Oh meri pyari Mona maami aapke liye to mien kuch bhi kar sakta hun.
Aap kahen abhi shuru ho jaun." meine Mona ke hothon ko chooste hue
kaha.

"Nahi..... nahi.... abhi nahi. Abhi to bahot thak gayi. Itni
bhayankar
roop se chooda hai ki pura sharir hi dukh raha hai. Baad me ksis aur
samay. Is samay to chalo so jaate hain." Mami ne kaha.

Mein neeche bedroom me jaane ke liye utha kar khada hua to Mona maami
ne mera hath pakad kar mujhe phir neeche bitha diya, "nahi neeche
bedroom me nahi.... hum yahan hi soyenge nange. koi aane wala nahi
hai." itna kehkar usne mujhe bahon me bhar liya."

"Mona ab to tumhari tammanna puri ho gayi." meine uske balon me
ungliyan firate hue kaha.
kramashah......................
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