Saturday, January 18, 2014

raj sharma stories मजबूरी--4

raj sharma stories

  मजबूरी--4

 गतान्क से आगे.......................
उसने मुझे जाँघो से लेकर अंगूठे तक छुआ, लेकिन उसके चुअन से मुझे कोई फरक नही पड़ा.

मैने कहा- सिर्फ़ 15 दिनो की ही तो बात है.

तो, वो बोला- अरे बेवकूफ़ लड़की, तुम ये सब फिर कभी भी नही छोड़ पओगि!...और वो मेरे जाँघो को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.

मैं थोड़ा सहम गयी थी उसकी बातों से मैं बोली - तुमने मुझे डरा दिया है. अब मैं क्या करू ?

भगवान से मदद माँगो, अगर तुम उन पर विश्वास करती हो तो.

तभी मैं उठकर बोली- मैं अपना ख़याल खुद रख सकती हू! तुम्हे पता है, मुझे पैसे क्यू चाहिए ?...क्यूकी मेरे पिता ने अपना सब कुछ लूटा दिया था इन वेश्याओं पे!

और तुम यहाँ वोही सब वापस पाने आई हो ? डॉक्टर बोला.

सही कहा, कम से कम कुछ तो ले ही सकती हू. क्या इसमे भी कोई ग़लत बात है ? मैने कहा.

क्या व्यक्तित्व है तुम्हारा!........तुम्हे पता है, वो सब कॉनडम्स नही पेहेन्ते है….क्या करोगी अगर तुम प्रेगनेंट हो गयी ? उसने पूछा.

मैं अपने आपको गोली मार दूँगी, मैं बोली.

उसकी कोई ज़रूरत नही है, तुम बस इसे पहेन लेना.

उसने हाथ मे एक लॅडीस कॉंडम पकड़े रखा था…मैने इसे पहले कभी देखा तो नही था..लेकिन इसके बारे मे थोड़ा बहुत सुना ज़रूर था.

मैने तुरंत उसे पूछा- क्या ये दर्द करेगा ?

उसने मुझे स्ट्रेचर पर धक्का देते हुए लेटा दिया और कहा- नही! बस तुम्हारी योनि गीली होनी चाहिए ताकि ये आसानी से अंदर जा सके.

फिर उसने मेरी योनि के दाने को अपनी एक उंगली से मसलना शुरू किया…मैं तो बस फिर मज़े मे खोती ही जा रही थी. उसकी एक उंगली दाने पे और दूसरी उंगली योनि पे चल रही थी..मेरे मूह से सिसकारी भरी आहें निकल रही थी.

उसने बड़े ही शालीनता से पूछा- क्या तुम्हे इससे चोट पहुच रही है ?

मैने उसे आहें बरते हुए बस इतना ही कहा- बिल्कुल नही………

और उसने उंगली चलाना जारी रखा…और कहा…मुझे लगता है के तुम अब गीली होना शुरू हो चुकी हो.

मैं बोली- क्या तुम शर्त लगा सकते हो!

और उसने वो लॅडीस कॉंडम मेरी योनि मे घुसा दिया..मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

मैने उसे कहा- तुम तो मुझ पर कहर ढा रहे हो, मैं तो चाहती हू के तुम ही मेरे सबसे पहले कस्टमर बनो!

वो हस्ते हुए बोला- चलो जाओ….आगे बढ़ो और मेरी तरफ से गुड लक!

मैने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गयी……… शाम के करीब 4-4.30 बज रहे होंगे के मेरे दरवाज़े पर नॉक हुई…..उस समय मैं सो रही थी……ठक…ठक….ठक… मैने उठकर दरवाज़ा खोला तो बाहर चाची थी वो मुझसे बोली- अरे अभी तक सो रही हो कुछ ही देर मे कस्टमर्स आने शुरू हो जाएँगे, ये लो तुम्हारे कपड़े..इसे पहेंक़र जल्दी से नीचे आ जाओ..और हां, अंदर कुछ भी मत पहेनना. वो फिर नीचे चली गयी.

मैने जब वो ड्रेस देखी तो पाया के वो खाली एक गाउन है जो इतना पारदर्शी के है कि इसको पहनो या ना पहनो मतलब एक ही था. मैने जल्दी से तैयार हो कर वो ड्रेस पहनी मेरा सारा जिस्म उस पारदर्शी गाउन के आर-पार दिखाई दे रहा था. मैं थोड़ा सकुचा रही थी इस ड्रेस को पहेन कर.

मैं जब नीचे पहुचि तो वहाँ मेला सा लगा हुआ था. चारो तरफ लड़के-लड़कियाँ ही थी. बहुत सी लड़कियों ने मेरे जैसी ही गाउन पहेन रखी थी. जिसमे से उनका पूरा जिस्म बाहर दिखाई दे रहा था..वो लड़कियाँ लड़को के साथ मस्ती कर रही थी.

मैं जब सीढ़ी उतरी तो वहाँ दो लड़कियाँ बैठकर सिगार पी रही थी. मैं दोनो को लाँघकर सीढ़ी उतरी. नीचे चाची कुछ घोषणा कर रही थी- अच्छा तो महनुभाव क्या आप लोग किसी कुवारि कन्या के इंतज़ार मे है ?

मैं चाची के पास जाने लगी. एक लड़की वेट्रेस के ड्रेस मे थी जिसके स्तन पूरे बाहर के तरफ लूड़क रहे थे, उसने मुझे स्माइल दी और आगे बढ़ गयी. वही बाजू मे बैठा एक बूढ़ा सा आदमी एक लड़की के जाँघो को सहला रहा था और लड़की अपने दोनो स्तन बुड्ढे के मूह पे मसल रही थी. उसने मसल्ते हुए बुड्ढे से कहा- क्या तुम रोमा-दोमा से प्यार करते हो ?..शायद उसने अपने स्तनो को ऐसा नाम दे रखा था.

तभी मैने कशिश को सीढ़ियों से उतरते हुए देखा…शायद वो अभी अपने कस्टमर के साथ ही आई थी नीचे. उसने अपने कस्टमर से कहा-बाइ जानू, दोबारा आना. और वो भी चाची के पास आ गयी. चाची ने उसको कुछ पेपर पे सील लगाकर कहा ‘1स्टक्लॅस’. वो बूढ़ी औरत जो यहाँ की देख-रेख करती थी, वो दरवाज़े पर ही उस लड़के को पकड़ ली जो अभी कशिश के पास से होकर गया था और उसे कह रही थी- अरे मेरी टिप दिए बिना ही चले जाओगे. तब उस लड़के ने उसे टिप दी और कहा अब तो जाने दो मुझे. तो उस बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा खोलकर उसे जाने दिया.

चाची ने मुझसे कहा- क्या तुम शुरू करने के लिए तैयार हो ?

मैने इधर-उधर नज़र डाली और जैसे ही सामने रखे दर्पण पर नज़र गयी तो उसमे मुझे अपनी छवि दिखी, अपनी गदराई हुई काया देख कर मेरा मनोभाव बढ़ गया. मैने मन ही मन अपने आपको सलामी दे दी.

चाची ने मुझे देख कर बोला- अभी या बाद मे करोगी ?

मैं बोली- बाद मे शुरू करने से तो अच्छा है कि अभी शुरू की जाए. वैसे भी अभ्यास करने से ही तो मैं परिपूर्ण होंगी.

चाची ने हस्ते हुए मुझे शाबाशी दी और मुझे आगे लेकर चल पड़ी. हॉल के बीच मे खड़े होकर उन्होने कहा- तो पेश है आप सब के सामने बिल्कुल एक ताज़ी कली. कामिनी, अपनी मादक अदाओ से सबको मदहोश करने वाली, अपनी लहराती हुई गान्ड से सबको ललचा देने वाली!

चाची ऐसा कहते हुए मुझे लेकर एक चक्कर ही लगा रही थी के वहाँ मौजूद एक लड़के ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- चलो कामिनी, आज मेरा दिल बहलाओ! और चाची ने मुझे उसके साथ जाने का इशारा कर दिया.

मैं उसे लेकर अपने रूम मे ले जा रही थी. मेरे बाजू वाली रूम मे से कांता किसी को फिर से आना कहकर उसे नीचे ले जा रही थी.

मैने अपने रूम का दरवाज़ा खोला और उस लड़के वो लेकर अंदर पलंग पर ले आई. और अपना गाउन उतारने लगी, वो लड़का भी अपने कपड़े उतारने लगा. मेरे कपड़े उतारते ही उसकी सीधी नज़र मेरी योनि पर गयी. मेरी योनि पर हल्के-हल्के बॉल थे.

वो मेरे पास आकर सीधे मेरे स्तनो को चूमने-मसालने लगा. मैं उसे बोली- रूको, पहले बेसिन के पास चलो. और उसे खीचकर बेसिन के पास ले गयी. उसके लंड को अच्छे से धोकर मैं उसके लंड का निरीक्षण करने लगी जैसा की चाची ने मुझे बताया था. और वो एक हाथ से मेरी गान्ड सहला रहा था.

मैं बोली-तुम्हे कोई बीमारी तो नही है ?

वो बोला- नही!

फिर मैने टवल से उसके लंड को पोछा और उसे लेकर बिस्तर पर आकर लेट गयी.

मैने उसे बोला कितनी देर, तो वो बोला के आधा घंटा........ जैसे तुम चाहो- मैं बोली.

फिर उसने अपना एक हाथ मेरे स्तन पर रख लिया और कुछ देर बाद मेरे साथ सॅट कर लेट गया उसका का लंड मुझे अपनी गान्ड पेर महसूस हो रहा था और धीरे से उसने अपना दूसरा हाथ आगे लाया और मेरी योनि सहलाने लगा मुझे बहुत मज़ा आ रहा था पेर मैं आँखे बंद करके लेटी रही और अपनी गान्ड उसके ओर कर के बिल्कुल उससे चिपक ली.

वो अपना लंड मेरी गान्ड पर दबाता रहा और फिर उसने मुझे अपनी ओर घुमा लिया और धीरे-धीरे करके मेरे स्तन दबाने लगा और मूह मे ले कर चूसने लगा काफ़ी देर चूसने के बाद वो मेरे घुटनो के बीच आ गया मेने धीरे से आँखे खोल कर देखा उनका लंड मेरे राज के लगभग आधा ही था और मोटाई मे भी लगभा दो उंगलियों के बराबर था उसे देख कर मैं खुस हो गई क्यूँ कि मुझे लगा ये मेरी योनि मे बहुत आराम से जाएगा ,और मुझे दर्द भी नही होगा.

अब उसने अपना लंड मेरी योनि के बिल्कुल पास लाया और धीरे से अंदर कर दिया मुझे ज़्यादा तो नही पर हल्का सा दर्द हुआ जिससे मेरी आँखे खुल गई उसने मेरी तरफ़ देखा तो मैने आँखे नीचे कर ली उसने अब अपना पूरा लंड मेरी योनि के अंदर कर दिया मैने दर्द भरी आँखो से उसकी तरफ देखा तो उसने मेरे होठों पे किस करना सुरू कर दिया मेरे होन्ट अपने होंटो पे दबा कर चूसने लगा और

धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा मुझे बहुत मज़ा आ रहा था अब उसने अपने झटके बहुत तेज कर दिए मे तो मज़े से मरी जा रही थी इतना मज़ा मुझे जिंदगी मे कभी नही आया था और अचानक मुझे लगा कि मेरे अंदर कुछ गरम गरम गिरा है अब वो मेरे उपेर लेट कर हाँफने लगा उसने अपना लंड मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे साइड मे आकर मुझसे सॅट के लेट गया.

तभी मुझे लगा के मैं भी छूट चुकी हू और मैने चिल्लाकर कहा- हे भगवान मैं भी छूट गयी.

वो बोला- तो क्या हुआ.

मैं अपना पानी नही छोड़ना चाहती थी. मैं बोली. और बाजू मे रखी बेल को ज़ोर से बजा दिया और उसे धक्का देकर पलंग से नीचे गिरा दिया.

अपने कपड़े पहनो और चले जाओ यहाँ से…..मैने उसे चिल्लाते हुए कहा. और उठकर बाथरूम जा कर पेशाब करने लगी.

वो अपने कपड़े पेहेन्ते हुए बोले जा रहा था- ये सब नही करना था तो तुम वेश्या ही क्यू बनी ? क्यू आई तुम ऐसे वेश्या-घर मे ? तुमसे कयि गुना अच्छी लड़कियाँ है यहाँ.

इतने मे वहाँ चाची भी आ गयी- तुम बेल बजाना भूल गयी क्या इतने ज़ोर से क्यू बजा रही थी!

बहुत बुरा हुआ चाची मैं स्खलित हो गयी-मैं मूह लटकाते हुए बोली.

चाची भी हैरान होती हुई बोली- हे भगवान, अगर तुम हर कस्टमर के साथ ऐसा करोगी तो तुम यहाँ की कैसे कहलाओगी.

उस लड़के ने अपने कपड़े पहने और चाची को पैसे देते हुए कहा- बाइ और जाने लगा.

चाची- क्या तुम इस लड़की को टिप नही दोगे? ये आज छूट चुकी है.

चाची ने उसे कुछ पैसे लेकर मुझे दिए और उसने मुझे कहा- बाइ कामिनी.

चाची मुझसे बोली- या तो तुम आत्म-नियंत्रण सीख लो या फिर उन लोगो से छलावा करो. उनको जाहिर करो के तुम उनसे बहुत प्यार करती हो पर उनके साथ स्खलित मत हो और या तो फिर उनके साथ अंत तक संभाल कर करो.

मैं बोली- पर कैसे करू मैं ये सब ?

चाची बोली- किसी और चीज़ों के बारे मे सोचो. कुछ दुख देने वाली यादें..अपने मरे हुए रिश्तेदारो को याद करो, अपने लिए हुए कर्ज़ो को याद करो…कुछ नही तो गाँधी जी की 1930 की दांडी यात्रा के बारे मे सोच लिया करो…

हम दोनो खिलखिला कर हंस पड़े…….मैं बोली-मैं अपनी तरफ से पूरी कॉसिश करूँगी चाची पर वो लड़का बहुत प्यारा था.

चाची बोली- जो यहाँ दिखता है वो यहाँ होता नही है. भले वो प्यारा होगा लेकिन वो बाकी के प्यारे नही होंगे जो तुम्हे यहाँ आगे मिलेंगे. चलो जल्दी से अपना गाउन पहनो और नीचे चलो. मैं तुम्हे इस बार की ग़लती के लिए माफ़ कर देती हू.

और चाची मेरे पास आकर मेरे चेहरे को अपने हाथो मे पकड़कर एक किस मेरे होठों पे दी और मेरा हाथ पकड़कर मुझे नीचे ले गयी….. चाची और मैं सीधे नीचे हॉल मे आ गये और फिर चाची ने चिल्लाकर कहा- महनुभाव, हम यहाँ मस्ती करने के लिए है ना की बातें करने के लिए.

और फिर सारी लड़कियाँ अपने-अपने कस्टमर्स को लेकर रूम मे जाने लगी.

मैं भी अपने स्तनो को मसल-मसल कर कस्टमर्स को ललचा रही थी. और चाची ने मुझे दूर से देखकर इशारो मे कहा- बहुत अच्छे !!

तभी एक मोटे से आदमी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खीचते हुए अपने साथ उपर मेरे रूम की तरफ ले जाने लगा और चाची मुझे देखकर हस्ने लगी.

मेरे कमरे मे पहुचते तक उस आदमी ने मेरे नितंबो पे हाथ मार-मार के लाल कर दिए थे. कमरे मे घुसते साथ ही वो अपने कपड़े उतारने लगा और मेरे कपड़े तो उसने रास्ते मे ही उतार दिए थे.

उसने मुझे बिस्तर पे पटका और फिर मेरे उपर चढ़कर मेरे स्तनो को दबाने लगा. मैने उसे रोककर अपना बताए हुए निरीक्षण कर लेने के बाद उसके साथ आकर फिर बिस्तर पर लेट गयी.

उसने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए. वो मुझे करीब 15 मिनिट तक किस करता रहा . फिर वो मेरे स्तनो को दबाने लगा.

मेरे मूह से अहह....सस्स्सस्स कर के आवाज़ निकली. लेकिन इस बार मैने अपना ध्यान कही और लगाने की कोशिश की. वो मेरे स्तनो से खेलता रहा और मेरे गोरे गोरे स्तनो को देख कर बोला '' कामिनी तुम बहुत सेक्सी हो ''.

मैने कुछ नही कहा और पास रखी एक सिगरेट जला ली और अपना ध्यान भटकाने लगी. वो फिर किस करने लगा.इसके बाद उसका हाथ मेरी योनि की तरफ जाने लगा और वो मेरी योनि से खेलने लगा.

मैंन अपने आपको कंट्रोल मे रखकर इधर-उधर की बातें सोचने लगी. वो धीरे धीरे बहुत गरम होते जा रहा था. मेरे मूह से कभी-कभी दर्द के मारे ....ऑश.....एमेम की आवाज़ें निकल जाती.

वो बोला '' सच कह रही थी, दूसरी वेश्याए तुम,'तुम तो साली बॉम्ब हो ''.फिर उसने मेरी योनि को चाटना चालू किया.

मैने उसे कुछ नही कहा. उसने कहा '' रांड़ साली, मुझे नीचे से चुद्वाने के लिए ही तो बुला के लाई है ना तू, कुछ बोलती क्यू नही है. आज मैं तेरी वो चुदाई करूँगा कि तू अपनी सारी चुदाईयाँ भूल जाएगी.....देख रांड़ आज तेरे साथ क्या होता है ''

उसके मूह से ऐसी बातें सुनकर मुझे भी जोश आने लगा गया था. पर मैने अपने को कंट्रोल मे रखकर कहा तुझे जो चाहिए था तुझे वो दे रही हू. मैं एक वेश्या हू तेरी बीवी नही जो तुझे हर मज़ा दू.

वो मेरी योनि को खूब चूस रहा था.

उसने अपना लंड मेरी योनि पर रख उसे रगड़ने लगा.मैंन उसे कोई भाव नही दे रही थी जैसे मेरे अंदर जान ही ना हो.

उसने मेरी योनि के दरवाज़े पर अपना लंड रख कर खूब ज़ोरदार धक्का दिया.उसका आधा लंड मेरी योनि के अंदर चला गया.मैं दर्द से हल्का सा सिसकी और फिर अपने को काबू मे कर लिया.

उसने एक और धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया. मैंन चीख पड़ी,दर्द से मेरा हाल खराब हुआ जा रहा था.

उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना चालू कर दिया,थोड़ी देर बाद मेरा दर्द गायब हो गया पर मैं अभी तक काबू मे थी और अपनी सिगरेट पी रही थी.

करीब 30 मिनिट और चोदने के बाद वो बोला '' मैंन झड़ने वाला हूँ......मैने इशारे से उसे बाहर निकालने को कहा और उसने अपना लंड मेरी योनि से निकाल कर मेरे पेट में डाल दिया और अपना सारा पानी भी मेरे पेट मे ही गिरा दिया.

उसके झड़ने के बाद मैने एक बेल बजा दी और उसका समय ख़तम हो गया.

मैने खुश थी क्यूंकी मैने अपने आप पर कंट्रोल करना सीख लिया था जो मेरे लिया यहाँ बहुत ज़रूरी था.

इसके बाद तो मैने उस रोज ही 10 कस्टमर्स को आराम से ले लिया. उस दिन मैं वहाँ की सबसे ज़्यादा कमाऊ वेश्या बन चुकी थी.

चाची भी मुझसे खुश थी और कस्टमर्स तो मेरे लिए मारा-मारी कर रहे थे. पर अब मेरी हालत खराब हो चुकी थी. मैं पूरी तरह से नीढाल हो चुकी थी.

मैने अपने पैसे चाची के पास जमा कराए और कहा- चाची आज बस करो, अब मेरी हालत नही है, अब मैं और नही कर सकती.

चाची ने मुझसे कहा- के ये एक कस्टमर है सिर्फ़ तुम्हारे ही साथ जाना चाहता है और किसी के साथ नही जा रहा है, अच्छा पैसे वाला भी है. इसके साथ आख़िरी बार हो आओ और चाची ने मुझे उसके साथ भेज दिया.

मैं भी लड़खड़ाते हुए उसके साथ चल दी.........................उस दिन पूरी शाम मेहनत करने के बाद रात को मैं बुरी तरह थक चुकी थी. बिस्तर पर पड़े हुए अपने गाउन पहने मैं अपनी आज के टिप की कमाई गिन रही थी.

30,31……39……वाउ…..लगभग र्स.50,000…..वाह राधा, क्या बात है…..ओह सॉरी ये तो कामिनी का काम है, मैं अपने आप से बोली…..और हंस पड़ी…..हा.हा.हा….

सारे पैसो को मैं संभाल कर अलमारी के ड्रॉयर मे रख दी और जमहाई…लेते हुए वापस बिस्तर पर आ गयी….अब मुझे नींद अपने आगोश मे लेने को तैयार थी.

तभी स्वीटी मेरे रूम का दरवाज़ा खोलकर अंदर आ गयी. उसने इस वक़्त पीले रंग का एक गाउन पहन रखा था…जिसके सारे बटन खुले थे और उसके स्तन पूरी तरह से बाहर की ओर लटक रहे थे..

वो बिस्तर पर मेरे पास आकर मेरे गालो पर हाथ लगाते हुए मुझसे बोली- कैसा लग रहा है तुम्हे ?

मैं बोली- मैं इतनी थक गयी हूँ…के ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मुझ पर से रोड रोलर चलाकर पार कर दिया हो….और उसको एक स्माइल दे दी.

तुमने आज बहुत अक्च्छा काम किया कामिनी…लोग तुम्हारे दीवाने हो गये है…वो तुमको चाहने लगे है..आज तुमने क़ाबिले तारीफ़ काम किया है…

उसने ऐसे कहते हुए मेरे माथे पर हाथ फेरा और फिर चिल्लाते हुए उठ
कर दरवाज़े के पास गयी और चिल्लाई…तुमको तो फीवर हो गया है….सोनिया..जल्दी से थर्मॉमीटर ले कर आओ.
क्रमशः............................




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