raj sharma stories
मजबूरी--7
गतान्क से आगे.......................
और वो मेरे होठों को अपने हाथों की उंगलियों से रौन्द्ता हुआ चला गया वहाँ से. और मैं वहाँ बेबस खड़ी सब देखती-सुनती रही.
उसके वहाँ से जाते ही चाची मेरे पास आई.
मैं – बहुत गंदा आदमी है चाची वो. मुझे ये जगह अभी के अभी छोड़ के जानी पड़ेगी चाची. मुझे मदद की ज़रूरत है. उसने मुझे डरा दिया है चाची.
और मैं चाची के गले लग के ज़ोर-ज़ोर से ढाहाड़े मार कर रोने लगी.
चाची ने मुझे शांत करते हुए कहा- मैं तुम्हारी मदद करूँगी, आख़िर मैं यहाँ किस लिए हू ? मुझे मालूम है हमे किस को पूछना चाहिए. हम बचाएँगे तुम्हे राज के चुंगल से. अगले दिन सुबह............
सारी वेश्याए हॉल मे जमा हो कर बातें कर रही थी.
रीता- याद है वो हमारी कॉल आई थी एक बहुत बड़े आदमी के यहाँ फंक्षन के लिए और हम सब ने वहाँ एंजाय किया था. वो कौन सा गाना था जो तुमने वहाँ गाया था.
चाची- मैं बताती हू, सुनो....
चाची सामने एक कुर्सी पर आकर बीच मे बैठ गयी और सारी लड़कियों ने तालियों से उनका अभिवादन किया.
चाची ने अपनी मादक आदाओ के साथ वो गाना शुरू किया....
"ये रात ये रात जली कि छिपकली रात ये रात
कड़ी और कोम्बदी की रात
ना उगली ही जाए ना निगली ही जाए
ये काली ज़हरीली रात
पल पल बलखाती पल पल ..."
और वो क्या मादक डॅन्स कर रही थी उस कुर्सी के साथ मैं तो बस उन्हे देखती ही रह गयी थी.
लेकिन वहाँ कोई और भी था जो डॅन्स नही बल्कि मुझे देख रहा था वो था फंक्षन ऑर्गनाइज़र जो लड़कियों को इधर-उधर के प्रोग्राम्स मे भेजता था.
जैसे ही चाची का डॅन्स ख़तम हुआ...वो मेरी ओर देखकर बोला--
तुम्ही कामिनी हो ना, बोलो हो ना. मैं यहाँ का ऑर्गनाइज़र हू, मैने तुम्हारे बारे मे बहुत कुछ सुन रखा है.
मुझे लगा शायद यही वो आदमी है जिसके बारे मे चाची ने कहा था और जो मुझे इस मुस्किल से निकाल सकता है.
मैने भी उसकी तरफ देखकर उसे बोला- आपसे मिलकर खुशी हुई.
वो- आओ यहाँ बैठो मेरे पास.
और चाची ने सबको वहाँ से जाने को बोल दिया ये कहकर के उनको अकेले मे मज़े करने दो. और सारी की सारी लड़कियाँ चाची के पीछे-पीछे हम दोनो को वहाँ अकेला छोड़कर चली गयी.
वो एक बूढ़ा आदमी था, पर इस वक़्त वो मेरे लिए किसी दूत से कम नही था, वोही एक ऐसा आदमी था जो मुझे इस मुसीबत से निकाल सकता था.
वो मेरे हाथों को चूमते हुए बोला- चाची सही बोल रही थी. तुममे कुछ अलग ही नशा है. तुम यहाँ की सबसे कोमल कली हो.
मैं- आपके हाथ कितने मजबूत है मिस्टर...........
वो- मिस्टर. केपर मेरा नाम है रोहित केपर, और मुझे खूबसूरती बेहद पसंद है.
ऐसा बोलकर वो मेरे हाथों को बेतहाशा चूमने लगा.
केपर – मैं उन्ही खूबसूरती को यहाँ-वहाँ भेजता हू जो मेरे काम की सराहना कर सके. मैं तो सिर्फ़ खूबसूरती की पूजा करता हू. जिसकी एक शुद्ध आत्मा है और वो संगीत से भी प्यार करता है.
वो मुझे अपनी बाहों मे समेटते हुए कहता है- तुम मुझे बेहद पसंद हो. ज़्यादातर लड़कियों के दलाल होते है. पर मैं तुम्हे उन सबसे दूर रखूँगा. क्या तुम मेरी बनना चाहोगी ?
और वो मुझे हर जगह चूमने-चाटने लगा.
मैं- इतने जल्दी कैसे ? …..अभी मैं थोड़ी घबराई हुई हू.
वो अचानक से मुझे दूर हटाते हुए गुस्से मे बोला- क्या तुम्हे ये सब से घृणा होती है ?
मैं – नही , बिल्कुल नही !
मैं उस बुड्ढे को रिझाते हुए उसकी कूबड़ को सहलाने लगी. उस बुड्ढे रोहित की बहुत ज़्यादा कूबड़ निकली हुई थी. मैं उसकी पीठ पर हाथ फिरा कर उसे शांत करने लगी के वो और भड़क उठा और बोला-
मेरी पीठ पर से हाथ हटाओ ये तुम्हारे लिए कोई भाग्यशाली आकर्षण का केंद्र नही बन सकता.
मैं उसे विनम्र होकर- मैं आपको नाराज़ नही करना चाहती थी मिस्टर. केपर. मुझसे बहुत बड़ी बूल हो गयी.
वो मेरे स्तनो को घूरते हुए बोला- जाओ, मैं तुम्हे सोचने के लिए कुछ वक़्त देता हू. पर हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे.
और मैं उस हॉल ने निकलकर वापस बाकी की लड़कियों के पास आ गयी.
प्रीति - घबराओ मत ! तू बिल्कुल सुरक्षित रहेंगी मिस्टर. केपर के साथ. अब तो उनको ना भी नही कह सकते हम सब उनके साथ पहले भी जा चुके है.
और साथ ही साथ वो है तो बुड्ढे मगर उनका हथियार बहुत बढ़ा है. पीछे से ऋतु बोली. जैसा सभी बौनो और कुबड़ो का होता है. और सब खिलखिला कर हंस पड़ी.
रीना बोली- वो तुम्हे अपनी रानी बनाके रखेगा !
तभी चाची बोली- जैसे एक प्यारी सी गान्ड तबतक आगे नही बढ़ सकती जब तक उसे पीछे से धक्का नही दिया जाए.
और रीना ने अपनी गान्ड पर दो बार थपकी देकर दिखाया.
तभी एक नौजवान दरवाज़े पर यहाँ का काम संभालने वाली उस बूढ़ी औरत से लड़ते हुए अंदर दाखिल हुआ और हम सब के सामने आया.
उसने चाची की ओर देखते हुए कहा- अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं, सीमा से कुछ बात करना चाहूँगा ?
चाची ने सीमा की ओर देखते हुए कहा- अगर सीमा चाहे तो ही.
तभी उस लड़के ने अपने हाथों से अपनी रिंग निकाली और सीमा ने उसे कहा- प्लीज़ यहाँ नही. अंदर चलो.
और वो दोनो वहाँ से चल दिए.
मैने रीता से पूछा- वो कौन है ?
रीता – वो सीमा का दलाल है, एक सचमुच का मर्द.
उसने ऐसे बताया जैसे वो कोई सूपरस्टार हो.
मैं- उसने तो मुझे डरा ही दिया था.
चाची- वो थोड़ा पागल है. उसे संभलकर ही रहना.
इतने मे उपर से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ें आने लगी, तो हम सब मिलकर उपर की ओर भागने लगे सीमा के कमरे की तरफ.
चाची ने दरवाज़े पर खटखटाकर कहा- रॉकी दरवाज़ा खोलो अभी के अभी !
हम सब लोग सीमा की चिंता कर रहे थे. थोड़ी देर मे दरवाज़ा खुला और रॉकी बाहर आया.
और चाची से बोला- मुझे माफ़ करे. मैं आप सब की इज़्ज़त करता हू, पर इस रांड़ ने मेरे साथ धोका किया.
जब हम ने अंदर देखा तो सीमा लहू-लुहान पड़ी थी, उसके सिर और मूह से खून निकल रहा था.
चाची ने रॉकी को बोला- तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
रॉकी ने इतलाते हुए कहा- जैसे आप कहे, और वहाँ से चला गया !
हम सब दौड़े-दौड़े सीमा के पास गये और चाची ने पूछा- उसने क्या किया तेरे साथ ?
सीमा- उसने मुझे सिर्फ़ इसलिए मारा के मैं उसे ये नही बताती थी के मैं नीचे टेबल पर कितने पैसे देती हू.
चाची- इसको तुरंत नीचे ले जाओ और डॉक्टर को बुलाओ. लड़कियों नीचे ले जाओ, इधर-उधर देखने की कोई ज़रूरत नही है.
मैं और चाची वही खड़े थे. चाची बोली- ऐसे लोगो के लिए हमारे पास बॉक्सिंग ग्लव्स है.
मैं चाची से बोली- मेरे पेट मे हल्का सा दर्द है. क्या मैं अपने कमरे मे जाऊ ?
चाची- तुरंत जाओ डियर, इतनी देर बाद क्यू बताया. जाओ जाकर आराम करो.
मैं अपने कमरे मे नग्न अवस्था मे लेटकर आराम कर रही थी के दरवाज़े पे नॉक हुआ.
क्या मैं अंदर आ जाऊ ?
ये कोई और नही मिस्टर. केपर थे. वो अंदर आए और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
मैं – प्लीज़ अंदर आइए मिस्टर. केपर.
केपर- मैने सुना तुम्हे पेट दर्द है. क्या तुम घबरा गयी हो ?
वो सीधे टेबल के पास जाकर दो ग्लास मे वाइन डालते हुए कहते है- बदक़िस्मती से ऐसी घटना भी कभी-कभी हो जाती है.
और वो एक ग्लास मेरे और बढ़ाकर कहते है- पियो. ये बहुत ही उचे दर्जे की वाइन है. तुम्हे अच्छा लगेगा. चियर्स…………..
ग्लास ख़तम करके वो अपने कपड़े उतारने लगा.
केपर- तुम ऐसे क्या देख रही हो ?
मैं- कुछ नही, पर आप क्या कर रहे है ?
केपर- मैं अपनी सबसे खूबसूरत कोमल कली तो तोड़ने जा रहा हू.
वो अपना लिंग हाथ मे आगे पीछे करते हुए मेरे पास आए.
मैं- प्लीज़, मिस्टर. केपर. मैं अभी भी थोड़ी परेशान हू.
वो मेरे उपर चढ़ते हुए बोला- इसलिए तो मैं यहाँ आया हू. तुम बहुत अच्छी हो…..चलो एक दूसरे के दोस्त बन जाए.
वो मेरे उप्पेर कुच्छ झुका और मैं कुच्छ समझ पाती तभी उसने मेरे कंधों को पकड़ के एक कस के धक्का मारा मेरी टाँगे पूरी फैली थी .. इस लिए लंड को जगह बनाने मे को दिक्कत नही हुई मगर मेरी मा चुद गई.. मैं पूरी कस के चिल्ला दी.. मेरा पूरा बढ़न .. तड़प गया मुझे लगा कि मेरी चूत पूरी फट गई हो.
उसका पूरा लंड एक बार मे मेरी चूत की दीवारों पे दबाव डालता हुआ … मेरी चूत मे जा के धँस गया था.. वो हिल भी नही पा रहा था .. मैं तड़प के उससे लिपट गई .. तब उसने मेरी चिन को अपने मूह मे लिया और चूसने लगा .. और दोनो हाथो से मेरी चुचियों को दबाने लगा.. फिर तभी मुझे एहसास हुआ कि उसका लॅंड अब आगे पीछे होने लगा है ..
उसका लॅंड मेरी चूत की दीवारों पे रगड़ डालता हुआ मेरी चूत मे अंदर बाहर जाने आने लगा था.. तब मुझे धीमे धीमे मज़ा आने लगा.. और मैं उसका साथ देने लगी तब उसकी टक्कारे तेज़ होने लगी .. और मैं कमर उचका उचका के उसका साथ देने लगी अब मैं मस्त हो गई थी .. मुझे चुदवाने मैं बहुत माज़ा आ रहा था…
वो काफ़ी देर मेरी चुदाई करता रहा.. उसकी टक्कारे मेरे हौसले को और बढ़ा रही थी.. कभी वो मेरी गर्देन चूमता कभी मेरे होंटो पे अपने होंटो को रख के चूमता और धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.. अब उसके धक्के मेरी चूत की जड़ पे लग रहे थे.. और मैं मस्ती मे चुदवाने लगी थी… उसका लॅंड मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था..
मैं पूरी टॅंगो को फैला चुकी थी .. वो खूब मज़े से चुदाई करने लगा.. जब उसका लॅंड मेरी चूत मे अंदर जाता मैं उचक जाती और जब बाहर निकलता तो अपने स्थान पे वापिस आजाती .. ये करते करते उसके धक्के मेरी चूत पे तेज़ हो गये और थोड़ी देर मे एक घायल शेर की तरह कुच्छ कस के धक्के मार मार के वो मेरे उप्पेर ही गिर गया उसके लॅंड ने शायद मेरी चूत के अंदर ही वीर्य छ्चोड़ दिया था..
और वो गरम गरम द्रव मेरी चूत से बह के बाहर आने लगा था.. उसका लॅंड अभी भी मेरी चूत मे ही घुसा हुआ था.. मैं वैसी ही पड़ी रही वो भी मेरी चुचियों पे अपना सिर रख के लेटा रहा और थोड़ी देर मे उसने अपना लॅंड मेरी चूत से निकाल लिया.. उसका लॅंड अब लॅंड नही रह गया था.. वो मुरझा के लुल्ली बन गया था..
मैं और रीता, रीता के कमरे मे बैठकर बातें कर रहे थे के जिंदगी कैसे-कैसे खेल दिखती है.
रीता :- मैं तुम्हारी लिए दुखी थी, पर शायद तुम्हारे लिए यही सही है. हर दिन की टेन्षन से अच्छा ही है. वो भी उस कामीने राज के कारण.
रीता :- पर देखना वो वापस ज़रूर आएगा. मैं तो ऐसा ही सोचती हू.
मैं :- पर मैने तो ये जगह छ्चोड़ने की सोच ली है. तुम क्या कहती हो रीता ??
रीता :- तुम्हारे पास बहुत सारे विकल्प है. तुम्हे किसी का गुलाम बनने की ज़रूरत नही है. और अब तो तुम्हारे पास हुनर भी है.
मैं :- मुझे ये काताई पसंद नही है.
रीता :- तो फिर तुम शो बिज़्नेस से क्यू नही जुड़ जाती. मैं केयी क्लब्स मे काम कर चुकी हू. तुम वहाँ बहुत पैसे कमा सकती हो.
मैं :- तुम कहाँ काम करती थी ??
रीता :- मैने ज़्यादातर आधुनिक नगरॉ मे ही काम किया है. मैं तुम्हे बहुत से अड्रेस दे सकती हू, जहाँ तुम्हे आराम से काम मिल जाएगा. तुम वो सब जगह के नाम और अड्रेस लिख लो. साथ ही मैं तुम्हारे लिए अपने कुछ चाहने वालो के हाथो ज़िकरा भी कर दूँगी.
वो दिन मेरी लिए वहाँ आखरी दिन था……..मैने सब से विदा लिया. वहाँ से जाते वक़्त सारी लड़कियाँ मुझसे गले मिल- मिल कर रो रही थी. सबसे दुखी तो चाची थी. आख़िर उनकी सबसे पसंदीदा और कस्टमर्स की जान जो अब वो जगह छ्चोड़ के जा रही थी.
मैं भी भावनाओ मे डूबकर सबके साथ रोने लगी. चाची ने मुझे बाहर टॅक्सी तक छ्चोड़ा और फिर रोते हुए अंदर चली गयी. और मैने टॅक्सी वाले को रेलवे स्टेशन चलने को कह दिया.
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ट्रेन के एक कॉमपार्टमेंट मे मैं बैठी पेपर पढ़ रही थी. मैने शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी. मेरे सामने एक बुड्ढ़ा बैठा था. वो मेरी ही तरह कोई इंग्लीश न्यूसपेपर पढ़ रहा था.
जैसे ही ट्रेन मे से धूप की कुछ किरण मेरी टाँगो मे पड़ी वो घूर कर मेरी जाँघो को देखने लगा, जो की स्कर्ट उपर हो जाने के कारण सॉफ दिख रही थी.
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी के- वो मेरी जाँघो को घूर रहा है. मैं वहाँ से उठी अपनी स्कर्ट को ठीक किया. अपना पर्स उठाया और कॅबिन के बाहर निकल गयी. वो बुड्ढ़ा मुझे बाहर निकलने तक घूरे ही जा रहा था.
कॉमपार्टमेंट से बाहर निकलकर मैने एक सिग्रटते जलाई और चैन से एक कश मारा. और कश मारते हुए इधर उधर देखने लगी. तभी मुझे बाजू वाले कॉमपार्टमेंट के बाहर एक जाना पहचाना से चेहरा दिखा. जिसे मैं शायद देखना नही चाहती थी. और वो भी मुझे ही घूरे जा रहा था.
वो मूह मे कुछ चबाते हुए मेरे पास आया और मुझे घूरते हुए कहा- शहर जा रही हो ?
मैं :- इस ट्रेन मे हू तो शहर ही जाऊंगी ना.
वो :- मैने तुम्हे चाची के यहाँ देखा था.
मैं :- और मैने भी तुम्हे वहाँ देखा था. क्या तुम मे बिल्कुल भी शरम नाम की चीज़ नही है, कितना गंदा बर्ताव तुमने सीमा के साथ किया था रॉकी.
रॉकी :- थोड़ा गुस्से मे अपने मूह मे जो चबा रहा था उसे थुक्ते हुए- मैने उसके लिए खून तक बहा दिया और वो अपनी बातो से मुकर गयी. ये मुझे कातयि पसंद नही है.
रॉकी :- तुम्हे अपनी ज़बान का पक्का रहना होगा अगर तुम रॉकी के साथ हो तो…….नही तो तुम गये….
मैं :- तुम तमाशा बनाते हो ?
रॉकी :- अब तुम कॉन से वेश्याघर जा रही हो ?
मैं :- कोई भी वेश्याघर नही. मैं अब ये सब छ्चोड़ रही हू.
रॉकी :- बहुत अच्छे, इतने लाजवाब स्तनो के साथ तुम जो चाहो वो कर सकती हो.
उसने मेरे कपड़ो के अंदर हाथ डालकर मेरे स्तनो को ज़ोर से दबा डाला.
मैने उसे चिल्लाते हुए कहा- हरम्जदे !
रॉकी :- तुम हर किसी से नही चुद्वाती थी ना चाची के यहाँ.
मैं :- तुम जैसो के साथ तो बिल्कुल नही !
रॉकी :- वो तो मैं तय कर लूँगा.
मैं :- भाड़ मे जाओ तुम ! कुछ समझे के नही .
रॉकी ने मुझे गुस्से से देखा और मुझे एक तरफ धकेलते हुए कहा- चलो उस तरफ चलो.
मैं :- पागल हो गये हो क्या ?
पर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे धकेलते हुए कहने लगा- चलो भी ! कभी ट्रेन मे किया नही है क्या ?
और वो मुझे घसीटते हुए ट्रेन के बाथरूम मे ले गया. मैने चिल्लाते हुए कहा- मैं मदद के लिए चिल्लाउन्गि.
उसने अब मेरे उप्पेर के कपड़े उतार के मेरे अंडरगार्मेंट भी उतार दिए थे.
अब वो मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैने भी उसके लंड को ज़ोर से दबाया, मुझे भी मज़ा आ रहा था पर मेरे से जयदा मज़ा वो ले रहा था.
क्रमशः........................
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चाची- मैं बताती हू, सुनो....
चाची सामने एक कुर्सी पर आकर बीच मे बैठ गयी और सारी लड़कियों ने तालियों से उनका अभिवादन किया.
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कड़ी और कोम्बदी की रात
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लेकिन वहाँ कोई और भी था जो डॅन्स नही बल्कि मुझे देख रहा था वो था फंक्षन ऑर्गनाइज़र जो लड़कियों को इधर-उधर के प्रोग्राम्स मे भेजता था.
जैसे ही चाची का डॅन्स ख़तम हुआ...वो मेरी ओर देखकर बोला--
तुम्ही कामिनी हो ना, बोलो हो ना. मैं यहाँ का ऑर्गनाइज़र हू, मैने तुम्हारे बारे मे बहुत कुछ सुन रखा है.
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मैने भी उसकी तरफ देखकर उसे बोला- आपसे मिलकर खुशी हुई.
वो- आओ यहाँ बैठो मेरे पास.
और चाची ने सबको वहाँ से जाने को बोल दिया ये कहकर के उनको अकेले मे मज़े करने दो. और सारी की सारी लड़कियाँ चाची के पीछे-पीछे हम दोनो को वहाँ अकेला छोड़कर चली गयी.
वो एक बूढ़ा आदमी था, पर इस वक़्त वो मेरे लिए किसी दूत से कम नही था, वोही एक ऐसा आदमी था जो मुझे इस मुसीबत से निकाल सकता था.
वो मेरे हाथों को चूमते हुए बोला- चाची सही बोल रही थी. तुममे कुछ अलग ही नशा है. तुम यहाँ की सबसे कोमल कली हो.
मैं- आपके हाथ कितने मजबूत है मिस्टर...........
वो- मिस्टर. केपर मेरा नाम है रोहित केपर, और मुझे खूबसूरती बेहद पसंद है.
ऐसा बोलकर वो मेरे हाथों को बेतहाशा चूमने लगा.
केपर – मैं उन्ही खूबसूरती को यहाँ-वहाँ भेजता हू जो मेरे काम की सराहना कर सके. मैं तो सिर्फ़ खूबसूरती की पूजा करता हू. जिसकी एक शुद्ध आत्मा है और वो संगीत से भी प्यार करता है.
वो मुझे अपनी बाहों मे समेटते हुए कहता है- तुम मुझे बेहद पसंद हो. ज़्यादातर लड़कियों के दलाल होते है. पर मैं तुम्हे उन सबसे दूर रखूँगा. क्या तुम मेरी बनना चाहोगी ?
और वो मुझे हर जगह चूमने-चाटने लगा.
मैं- इतने जल्दी कैसे ? …..अभी मैं थोड़ी घबराई हुई हू.
वो अचानक से मुझे दूर हटाते हुए गुस्से मे बोला- क्या तुम्हे ये सब से घृणा होती है ?
मैं – नही , बिल्कुल नही !
मैं उस बुड्ढे को रिझाते हुए उसकी कूबड़ को सहलाने लगी. उस बुड्ढे रोहित की बहुत ज़्यादा कूबड़ निकली हुई थी. मैं उसकी पीठ पर हाथ फिरा कर उसे शांत करने लगी के वो और भड़क उठा और बोला-
मेरी पीठ पर से हाथ हटाओ ये तुम्हारे लिए कोई भाग्यशाली आकर्षण का केंद्र नही बन सकता.
मैं उसे विनम्र होकर- मैं आपको नाराज़ नही करना चाहती थी मिस्टर. केपर. मुझसे बहुत बड़ी बूल हो गयी.
वो मेरे स्तनो को घूरते हुए बोला- जाओ, मैं तुम्हे सोचने के लिए कुछ वक़्त देता हू. पर हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे.
और मैं उस हॉल ने निकलकर वापस बाकी की लड़कियों के पास आ गयी.
प्रीति - घबराओ मत ! तू बिल्कुल सुरक्षित रहेंगी मिस्टर. केपर के साथ. अब तो उनको ना भी नही कह सकते हम सब उनके साथ पहले भी जा चुके है.
और साथ ही साथ वो है तो बुड्ढे मगर उनका हथियार बहुत बढ़ा है. पीछे से ऋतु बोली. जैसा सभी बौनो और कुबड़ो का होता है. और सब खिलखिला कर हंस पड़ी.
रीना बोली- वो तुम्हे अपनी रानी बनाके रखेगा !
तभी चाची बोली- जैसे एक प्यारी सी गान्ड तबतक आगे नही बढ़ सकती जब तक उसे पीछे से धक्का नही दिया जाए.
और रीना ने अपनी गान्ड पर दो बार थपकी देकर दिखाया.
तभी एक नौजवान दरवाज़े पर यहाँ का काम संभालने वाली उस बूढ़ी औरत से लड़ते हुए अंदर दाखिल हुआ और हम सब के सामने आया.
उसने चाची की ओर देखते हुए कहा- अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं, सीमा से कुछ बात करना चाहूँगा ?
चाची ने सीमा की ओर देखते हुए कहा- अगर सीमा चाहे तो ही.
तभी उस लड़के ने अपने हाथों से अपनी रिंग निकाली और सीमा ने उसे कहा- प्लीज़ यहाँ नही. अंदर चलो.
और वो दोनो वहाँ से चल दिए.
मैने रीता से पूछा- वो कौन है ?
रीता – वो सीमा का दलाल है, एक सचमुच का मर्द.
उसने ऐसे बताया जैसे वो कोई सूपरस्टार हो.
मैं- उसने तो मुझे डरा ही दिया था.
चाची- वो थोड़ा पागल है. उसे संभलकर ही रहना.
इतने मे उपर से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ें आने लगी, तो हम सब मिलकर उपर की ओर भागने लगे सीमा के कमरे की तरफ.
चाची ने दरवाज़े पर खटखटाकर कहा- रॉकी दरवाज़ा खोलो अभी के अभी !
हम सब लोग सीमा की चिंता कर रहे थे. थोड़ी देर मे दरवाज़ा खुला और रॉकी बाहर आया.
और चाची से बोला- मुझे माफ़ करे. मैं आप सब की इज़्ज़त करता हू, पर इस रांड़ ने मेरे साथ धोका किया.
जब हम ने अंदर देखा तो सीमा लहू-लुहान पड़ी थी, उसके सिर और मूह से खून निकल रहा था.
चाची ने रॉकी को बोला- तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
रॉकी ने इतलाते हुए कहा- जैसे आप कहे, और वहाँ से चला गया !
हम सब दौड़े-दौड़े सीमा के पास गये और चाची ने पूछा- उसने क्या किया तेरे साथ ?
सीमा- उसने मुझे सिर्फ़ इसलिए मारा के मैं उसे ये नही बताती थी के मैं नीचे टेबल पर कितने पैसे देती हू.
चाची- इसको तुरंत नीचे ले जाओ और डॉक्टर को बुलाओ. लड़कियों नीचे ले जाओ, इधर-उधर देखने की कोई ज़रूरत नही है.
मैं और चाची वही खड़े थे. चाची बोली- ऐसे लोगो के लिए हमारे पास बॉक्सिंग ग्लव्स है.
मैं चाची से बोली- मेरे पेट मे हल्का सा दर्द है. क्या मैं अपने कमरे मे जाऊ ?
चाची- तुरंत जाओ डियर, इतनी देर बाद क्यू बताया. जाओ जाकर आराम करो.
मैं अपने कमरे मे नग्न अवस्था मे लेटकर आराम कर रही थी के दरवाज़े पे नॉक हुआ.
क्या मैं अंदर आ जाऊ ?
ये कोई और नही मिस्टर. केपर थे. वो अंदर आए और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
मैं – प्लीज़ अंदर आइए मिस्टर. केपर.
केपर- मैने सुना तुम्हे पेट दर्द है. क्या तुम घबरा गयी हो ?
वो सीधे टेबल के पास जाकर दो ग्लास मे वाइन डालते हुए कहते है- बदक़िस्मती से ऐसी घटना भी कभी-कभी हो जाती है.
और वो एक ग्लास मेरे और बढ़ाकर कहते है- पियो. ये बहुत ही उचे दर्जे की वाइन है. तुम्हे अच्छा लगेगा. चियर्स…………..
ग्लास ख़तम करके वो अपने कपड़े उतारने लगा.
केपर- तुम ऐसे क्या देख रही हो ?
मैं- कुछ नही, पर आप क्या कर रहे है ?
केपर- मैं अपनी सबसे खूबसूरत कोमल कली तो तोड़ने जा रहा हू.
वो अपना लिंग हाथ मे आगे पीछे करते हुए मेरे पास आए.
मैं- प्लीज़, मिस्टर. केपर. मैं अभी भी थोड़ी परेशान हू.
वो मेरे उपर चढ़ते हुए बोला- इसलिए तो मैं यहाँ आया हू. तुम बहुत अच्छी हो…..चलो एक दूसरे के दोस्त बन जाए.
वो मेरे उप्पेर कुच्छ झुका और मैं कुच्छ समझ पाती तभी उसने मेरे कंधों को पकड़ के एक कस के धक्का मारा मेरी टाँगे पूरी फैली थी .. इस लिए लंड को जगह बनाने मे को दिक्कत नही हुई मगर मेरी मा चुद गई.. मैं पूरी कस के चिल्ला दी.. मेरा पूरा बढ़न .. तड़प गया मुझे लगा कि मेरी चूत पूरी फट गई हो.
उसका पूरा लंड एक बार मे मेरी चूत की दीवारों पे दबाव डालता हुआ … मेरी चूत मे जा के धँस गया था.. वो हिल भी नही पा रहा था .. मैं तड़प के उससे लिपट गई .. तब उसने मेरी चिन को अपने मूह मे लिया और चूसने लगा .. और दोनो हाथो से मेरी चुचियों को दबाने लगा.. फिर तभी मुझे एहसास हुआ कि उसका लॅंड अब आगे पीछे होने लगा है ..
उसका लॅंड मेरी चूत की दीवारों पे रगड़ डालता हुआ मेरी चूत मे अंदर बाहर जाने आने लगा था.. तब मुझे धीमे धीमे मज़ा आने लगा.. और मैं उसका साथ देने लगी तब उसकी टक्कारे तेज़ होने लगी .. और मैं कमर उचका उचका के उसका साथ देने लगी अब मैं मस्त हो गई थी .. मुझे चुदवाने मैं बहुत माज़ा आ रहा था…
वो काफ़ी देर मेरी चुदाई करता रहा.. उसकी टक्कारे मेरे हौसले को और बढ़ा रही थी.. कभी वो मेरी गर्देन चूमता कभी मेरे होंटो पे अपने होंटो को रख के चूमता और धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.. अब उसके धक्के मेरी चूत की जड़ पे लग रहे थे.. और मैं मस्ती मे चुदवाने लगी थी… उसका लॅंड मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था..
मैं पूरी टॅंगो को फैला चुकी थी .. वो खूब मज़े से चुदाई करने लगा.. जब उसका लॅंड मेरी चूत मे अंदर जाता मैं उचक जाती और जब बाहर निकलता तो अपने स्थान पे वापिस आजाती .. ये करते करते उसके धक्के मेरी चूत पे तेज़ हो गये और थोड़ी देर मे एक घायल शेर की तरह कुच्छ कस के धक्के मार मार के वो मेरे उप्पेर ही गिर गया उसके लॅंड ने शायद मेरी चूत के अंदर ही वीर्य छ्चोड़ दिया था..
और वो गरम गरम द्रव मेरी चूत से बह के बाहर आने लगा था.. उसका लॅंड अभी भी मेरी चूत मे ही घुसा हुआ था.. मैं वैसी ही पड़ी रही वो भी मेरी चुचियों पे अपना सिर रख के लेटा रहा और थोड़ी देर मे उसने अपना लॅंड मेरी चूत से निकाल लिया.. उसका लॅंड अब लॅंड नही रह गया था.. वो मुरझा के लुल्ली बन गया था..
मैं और रीता, रीता के कमरे मे बैठकर बातें कर रहे थे के जिंदगी कैसे-कैसे खेल दिखती है.
रीता :- मैं तुम्हारी लिए दुखी थी, पर शायद तुम्हारे लिए यही सही है. हर दिन की टेन्षन से अच्छा ही है. वो भी उस कामीने राज के कारण.
रीता :- पर देखना वो वापस ज़रूर आएगा. मैं तो ऐसा ही सोचती हू.
मैं :- पर मैने तो ये जगह छ्चोड़ने की सोच ली है. तुम क्या कहती हो रीता ??
रीता :- तुम्हारे पास बहुत सारे विकल्प है. तुम्हे किसी का गुलाम बनने की ज़रूरत नही है. और अब तो तुम्हारे पास हुनर भी है.
मैं :- मुझे ये काताई पसंद नही है.
रीता :- तो फिर तुम शो बिज़्नेस से क्यू नही जुड़ जाती. मैं केयी क्लब्स मे काम कर चुकी हू. तुम वहाँ बहुत पैसे कमा सकती हो.
मैं :- तुम कहाँ काम करती थी ??
रीता :- मैने ज़्यादातर आधुनिक नगरॉ मे ही काम किया है. मैं तुम्हे बहुत से अड्रेस दे सकती हू, जहाँ तुम्हे आराम से काम मिल जाएगा. तुम वो सब जगह के नाम और अड्रेस लिख लो. साथ ही मैं तुम्हारे लिए अपने कुछ चाहने वालो के हाथो ज़िकरा भी कर दूँगी.
वो दिन मेरी लिए वहाँ आखरी दिन था……..मैने सब से विदा लिया. वहाँ से जाते वक़्त सारी लड़कियाँ मुझसे गले मिल- मिल कर रो रही थी. सबसे दुखी तो चाची थी. आख़िर उनकी सबसे पसंदीदा और कस्टमर्स की जान जो अब वो जगह छ्चोड़ के जा रही थी.
मैं भी भावनाओ मे डूबकर सबके साथ रोने लगी. चाची ने मुझे बाहर टॅक्सी तक छ्चोड़ा और फिर रोते हुए अंदर चली गयी. और मैने टॅक्सी वाले को रेलवे स्टेशन चलने को कह दिया.
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ट्रेन के एक कॉमपार्टमेंट मे मैं बैठी पेपर पढ़ रही थी. मैने शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी. मेरे सामने एक बुड्ढ़ा बैठा था. वो मेरी ही तरह कोई इंग्लीश न्यूसपेपर पढ़ रहा था.
जैसे ही ट्रेन मे से धूप की कुछ किरण मेरी टाँगो मे पड़ी वो घूर कर मेरी जाँघो को देखने लगा, जो की स्कर्ट उपर हो जाने के कारण सॉफ दिख रही थी.
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी के- वो मेरी जाँघो को घूर रहा है. मैं वहाँ से उठी अपनी स्कर्ट को ठीक किया. अपना पर्स उठाया और कॅबिन के बाहर निकल गयी. वो बुड्ढ़ा मुझे बाहर निकलने तक घूरे ही जा रहा था.
कॉमपार्टमेंट से बाहर निकलकर मैने एक सिग्रटते जलाई और चैन से एक कश मारा. और कश मारते हुए इधर उधर देखने लगी. तभी मुझे बाजू वाले कॉमपार्टमेंट के बाहर एक जाना पहचाना से चेहरा दिखा. जिसे मैं शायद देखना नही चाहती थी. और वो भी मुझे ही घूरे जा रहा था.
वो मूह मे कुछ चबाते हुए मेरे पास आया और मुझे घूरते हुए कहा- शहर जा रही हो ?
मैं :- इस ट्रेन मे हू तो शहर ही जाऊंगी ना.
वो :- मैने तुम्हे चाची के यहाँ देखा था.
मैं :- और मैने भी तुम्हे वहाँ देखा था. क्या तुम मे बिल्कुल भी शरम नाम की चीज़ नही है, कितना गंदा बर्ताव तुमने सीमा के साथ किया था रॉकी.
रॉकी :- थोड़ा गुस्से मे अपने मूह मे जो चबा रहा था उसे थुक्ते हुए- मैने उसके लिए खून तक बहा दिया और वो अपनी बातो से मुकर गयी. ये मुझे कातयि पसंद नही है.
रॉकी :- तुम्हे अपनी ज़बान का पक्का रहना होगा अगर तुम रॉकी के साथ हो तो…….नही तो तुम गये….
मैं :- तुम तमाशा बनाते हो ?
रॉकी :- अब तुम कॉन से वेश्याघर जा रही हो ?
मैं :- कोई भी वेश्याघर नही. मैं अब ये सब छ्चोड़ रही हू.
रॉकी :- बहुत अच्छे, इतने लाजवाब स्तनो के साथ तुम जो चाहो वो कर सकती हो.
उसने मेरे कपड़ो के अंदर हाथ डालकर मेरे स्तनो को ज़ोर से दबा डाला.
मैने उसे चिल्लाते हुए कहा- हरम्जदे !
रॉकी :- तुम हर किसी से नही चुद्वाती थी ना चाची के यहाँ.
मैं :- तुम जैसो के साथ तो बिल्कुल नही !
रॉकी :- वो तो मैं तय कर लूँगा.
मैं :- भाड़ मे जाओ तुम ! कुछ समझे के नही .
रॉकी ने मुझे गुस्से से देखा और मुझे एक तरफ धकेलते हुए कहा- चलो उस तरफ चलो.
मैं :- पागल हो गये हो क्या ?
पर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे धकेलते हुए कहने लगा- चलो भी ! कभी ट्रेन मे किया नही है क्या ?
और वो मुझे घसीटते हुए ट्रेन के बाथरूम मे ले गया. मैने चिल्लाते हुए कहा- मैं मदद के लिए चिल्लाउन्गि.
उसने अब मेरे उप्पेर के कपड़े उतार के मेरे अंडरगार्मेंट भी उतार दिए थे.
अब वो मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैने भी उसके लंड को ज़ोर से दबाया, मुझे भी मज़ा आ रहा था पर मेरे से जयदा मज़ा वो ले रहा था.
क्रमशः........................
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