Raj-Sharma-stories
बिंदिया को चोदा चाची की मदद से
प्रेषक : दिलीप
दोस्तों मेरा नाम दिलीप है। चाची की चूत तो मैं खूब लेता था। मेरी चाची सरोज की चूत मारने के बाद मैंने सिगरेट जलाई और कश लेने लगा. चाची ने अपने भोसड़े को नेपकिन से साफ़ किया और वो नंगी ही किचन में गई और हम दोनों के लिए चाय ले के आई. चाय की चुस्की लेते लेते मैंने
चाची से पूछा, “
वो ऊपर के कमरे में जो लड़की आई हैं वो कौन हैं?”
मैंने जिस लड़की के बारे में पूछा था तो एक हॉट लड़की थी जिसे मैंने एक दो बार अपने सायकिल स्टोर से चाची के मकान में आते जाते देखा था. यह हॉट लड़की की उम्र कुछ 19 साल की थी. लेकिन उसकी फिगर बहुत ही लाजवाब थी जैसे की संगमरमर की गुड़िया.चाची मेरी बात में छिपा शैतान परख के बोली, “कोलेज की लड़की हैं. किराए के लिए कम पैसे थे इसलिए इस एक रूम में ही सब कुछ सेट किया हुआ हैं उसने. वैसे तू क्यों पूछ रहा हैं यह दिलीप?”
मैंने अपने सर को खुजाते हुए कहा, “नहीं चाची अच्छा माल हैं इसलिए पूछा.”
चाची बिना रुके आगे बोली, “तेरी चूत की भूख बढती ही जा रही हैं दिलीप. तेरे चाचा के दुबई जाने के बाद मैं तुझे अब तो हर हफ्ते 1-2 बार चोदने देती हूँ. लेकिन फिर भी मैं आय दिनों तेरे लंड के किस्से सुनती हूँ. पिछले हफ्ते ही पड़ोस की मालती के मोबाइल में मैंने तेरी फोटो देखी थी. उसकी भी ले आया क्या तू?”
मैंने चाची के मुहं से यह सब सुन के कहा, “अरे चाची आप आम खाओ बस. आप की चूत को कभी लौड़े की जरुरत पड़ती हैं बस वो बताओ. कहो तो मैं रोज आता हूँ आप की लेने के लिए. लेकिन बस एक बार इस हॉट लड़की से अपना सेटिंग करा दो बस.”
चाची ने अपने चुंचो के ऊपर ब्रा की टोपली डाली और वो अपनी पट्टी को खिंच के बोली, “देख मैं सेटिंग करा तो दूंगी लेकिन तुझे मुझे वादा करना पड़ेंगा की तू उसके बाद मेरे से ख़राब बर्ताव नहीं करेंगा. कही ऐसा ना हो की तू चीकू के पीछे आम को भूल जाएं”
“अरे प्रोमिस, 100 टका का प्रोमिस…!”
चाची के घर से निकलते वक्त भी मेरे दिल में उस हॉट लड़की की ही यादें चल रही थी.
चाची ने दो हफ्ते के भीतर ही अपना काम को मस्त अंजाम दे दिया. पहले तो उसने उस हॉट लड़की को अपने साथ खाने के लिए न्योता दे दिया. और फिर वो मुझे भी अक्सर डिनर पे बुलाने लगी. चाची की एक बेटी थी जिसकी उम्र कुछ 10 साल की हैं. चाची उसे किसी बहाने अपने मामा के वहाँ भेज देती जो पड़ोस की गली में रहता हैं और फिर हम तीनो एक साथ खाना खाते. इस हॉट लड़की का नाम बिंदिया था और वो यहाँ मेथ्स पढने आई थी. बिंदिया के साथ कुछ दिनों में ही मेरी पटने लगी. और एक दिन चाची ने मुझे कहा की आज खाने के वक्त मैं जानबूझ के उसकी जांघ पे हाथ रखूं. मुझे ऐसा करना जरा अजीब लग रहा था लेकिन चाची के कहने के मुताबिक़ उसे इस हॉट लड़की की आँखों में मेरे लिए कुछ दिख रहा था इसलिए मुझे थोड़ी हिम्मत करनी थी. ऊपर से चाची ने मुझे यह भी कहा की अगर बिंदिया भड़की तो वो उस के ऊपर ही इल्जाम डाल देंगी. मुझे यह करना तो ठीक नहीं लग रहा था लेकिन मैंने मन में ठान ली की चलो कर के तो देखूं चाची की आइडिया का अनुभव.
उस दिन चाची ने शाम में राजमा चावल बनाई थी. मैंने थोडा खाया और बिंदिया की तरफ देखा वो मुस्कुरा रही थी. मैंने भी उसे स्माइल दी और फिर धीरे से एकबार उसकी जांघ के ऊपर अपना हाथ घिस दिया. बिंदिया की आँखे चौंकी लेकिन वो ज्यादा कुछ भड़की नहीं. मैं हैरान था क्यूंकि मैंने सोचा था की बिंदिया भड़क जाएँगी. लेकिन यहाँ पे तो रास्ता साफ़ लग रहा था मुझे. मैंने बिंदिया की और देखा, अभी भी वो मुझे स्माइल दे रही थी और अब की तो उसकी स्माइल में और भी ज्यादा चमक थी. मैं समझ गया की यह हॉट लड़की भी लंड की खुराक मांग रही हैं अपनी जवान हिन्दुस्तानी चूत के अंदर. मैंने फिर तो जरा भी घबराए बिना उसकी चूत के ऊपर अपना हाथ रख दिया. बिंदिया की चूत के ऊपर के बालो की धारें मेरी ऊँगली पर अहसास दे रही थी और मैं देखा की बिंदिया राजमा चावल खाते खाते जैसे की अपनी जबान से होंठो को छू रही थी. चूत और लंड से छूने से क्या उत्तेजना होती हैं उसका तो सभी को अहसास हैं ही.
मैं बिंदिया के चूत और उसके नाभि के नीचे के भाग को सहला रहा था. तभी मेरे लंड के ऊपर किसी का हाथ आया. और लंड को सहलाने के अंदाज से मुझे पता चल गया की वो बिंदिया नहीं बल्कि सरोज चाची थी. मैं बिंदिया की चूत को सहला रहा था और सरोज चाची मेरे लंड को. बिंदिया अकेली के दोनों हाथ टेबल के ऊपर थे. अब मैंने अपने उलटे हाथ से ही बिंदिया के चूत के काने को सहलाया और पाया की चूत का पसीना निकला पड़ा था. बिंदिया से रहा नहीं जा रहा था जरा भी. फिर भी वो बड़े मजे से अपनी चूत का मसाज ले रही थी. उधर सरोज चाची ने भी मेरे लंड को सहला सहला के कड़ा कर दिया था. मेरा पेट तो यह स्पर्श से ही भर गया था इसलिए मैंने राजमा चावल पे तो ध्यान ही नहीं दिया.
अब मेरे साथ दो दो गर्म चूतें थी एक जिसे में लेता आया था अब तक. और दूसरी जिसे मैं लेना चाहता हूँ. हॉट लड़की के साथ मेरा सेटिंग इतनी जल्दी हो सकता हैं यह तो मुझे अंदाजा ही नहीं था. तभी मैंने चाची को इशारा किया और वो किचन में चल दी. बिंदिया को मैं कहा की मैं आज रात को पीछे से तुम्हारे रूम में आऊंगा. उसने कुछ और तो नहीं कहा बस मुझे यह हिदायत दी की मैं कंडोम ले के जाऊं उसके पास. मैं मनोमन खुश होता हुआ लड़की को चोदने के लड्डू फोड़ रहा था.
बिंदिया की चूत के अंदर लंड डाल के देसी सेक्स करना था अब तो मुझे बस और यही देसी सेक्स शाम तक मेरे दिमाग और दिल में घूमता रहा. विनय मेडिकल स्टोर से मैंने एक पेकेट कंडोम का लिया और साथ ही गांड के अंदर चिकनाहट के लगाने के लिए कोल्ड क्रीम भी ले ली. बिंदिया को पता नहीं था अब तक की इस देसी सेक्स को सेट करने में सरोज चाची का बड़ा हाथ था. इस बेचारी देसी लड़की को पता ही नहीं था की मैं चाची से एक ज़माने से देसी सेक्स करता आया हूँ और इसी चाची ने मेरे लिए यह नई चूत का सेटिंग किया हुआ हैं.
शाम के 7:30 बजे मैंने चाची के घर के पीछे की साइड से देखा, बिंदिया नई नवेली दुल्हन की तरह रेडी होक पीछे खिड़की में ही खड़ी थी. मैंने इशारा किया और उसने मुझे पीछे का दरवाजा दिखाया. मैं फट से अंदर घुसा और मेरे घुसते ही बिंदिया ने दरवाजा बंद कर दिया. मैंने उसे वही दरवाजे के ऊपर दबोच लिया और उसके गले के ऊपर किस करने लगा. आह आह अह ओह ओह की आवाजें बिंदिया के मुहं से निकल रही थी और मेरे देसी सेक्स के प्यासे लौड़े को और भी तना हुआ बनाने में मदद कर रही थी. बिंदिया ने नई फ़्रोक और पजामा पहना था शायद जिसकी कांजी की खुश्बू उसके कपड़ो से आ रही थी. बिंदिया का हाथ तभी मेरे लंड के ऊपर आया और वो उसे पकड़ के हिलाने लगी. मैंने अब उसके होंठो से अपने होंठ लगा दिए और जोरदार चुम्मा दे दिया. बिंदिया के फ़्रोक के उपर की जगह से हाथ अंदर डाल के मैंने उसके चुंचे पकड़ लिए. अब उसके मुहं से और भी जोर से आह आह निकल रहा था. 34 से भी बड़े उसके चुंचे जैसे देसी सेक्स के लिए तत्पर थे क्यूंकि निपल तो ऐसे कड़े थे जैसे की स्तन के ऊपर पत्थर बांध दिए गए हो. बिंदिया ने अपनी कमर के ऊपर हाथ ले जाके फ़्रोक की डोरी को खोला और फ़्रोक हाथ उठा के निकाल डाला. अंदर उसने मस्त लाल रंग की ब्रा डाली हुई थी. मैंने पीछे हाथ ले जाके अपने हाथों से उसकी ब्रा निकाल डाली. बिंदिया की आँखे बंद हो गई और वो मेरे लंड को जैसे की गियर हो वैसे मरोड़ने लगी.
अब मैंने मेरी पतलून खोल दी और जैसे ही अंदर की चड्डी हटाई मेरा देसी लंड बहार आकर देसी सेक्स की तड़प दिखाने लगा. मेरा लंड हिल हील के अपने उत्तेजित होने का सबूत दे रहा था. बिंदिया को मैंने कंधे पकड़ के लंड के पास बिठाया और उसके मुहं में जैसे ही लंड डालना चाहां वो बोली, ”नहीं बिना कंडोम के नहीं, कही बच्चा हो गया तो.”मैंने कहा, “अरे मुहं में देने से बच्चे होते तो मेरे 4 दर्जन बच्चे होते अब तक. मुहं में नहीं चूत में बिना कंडोम के देने से बच्चे होने के चांस होते हैं.”
बिंदिया ने फिर भी डरते डरते मेरे लौड़े को मुहं में लिया. देसी सेक्स भी भला मुखमैथुन के बिना सम्पूर्ण होता हैं क्या. उसके होंठ मेरे लंड के सुपाड़े को चाट रहे थे और वो बड़े मजे से मुझे लंड चुसवाने का मजा दे रही थी. आह आह अब तो मेरे मुहं ससे भी निकल रहा था. बिंदिया के मुहं के अंदर जैसे की चूत लगाई हुई थी; बड़ी कडक ग्रिप जो बनाई थी उसने मेरे लंड के ऊपर. मैंने अब उसके माथे को पकड़ा और उसके मुहं में ही झटके देने लगा. बिंदिया आह आह करते हुए मेरे मेरे लंड को चूस रही थी और मैं कुछ ऐसे ही आवाज से आनंद ले रहा था.
मैंने बिंदिया के मुहं में अच्छा ख़ासा समय बिताया और अब मेरा मन उसकी चूत में डालने के लिए बिलकुल रेडी था. मैंने अपना थूंक से लदा हुआ लंड बिंदिया के मुहं से निकाला और उसके नीचे के कपडे खोल दिए. जैसे मैंने सुबह उसकी चूत सहलाते हुए सोचा था चूत बिलकुल वैसी ही थी. उसके ऊपर थोड़े थोड़े बाल थे जैसे की मुझे पसंद हैं. मैंने उसकी टाँगे फाड़ी और देखा की देसी सेक्स की प्यास चूत में भी लगी हुई थी; जो निकलते हुए पानी से साफ़ दिख रहा था. मैंने अपनी जेब से कंडोम निकाला और लंड के ऊपर पहना दिया. बिंदिया ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और वो जैसे की उसकी मुठ मारने लगी. मैंने बिंदिया के गले के ऊपर एक चुम्मा दिया और फिर मैं मिशन चूत के लिए रेडी हुआ. बिंदिया ने अपनी दो ऊँगली से अपनी चूत को फाड़ा और अंदर की लाल चमड़ी मुझे दिखाने लगी. मैंने अपने लंड की उसके छेद के ऊपर सेट किया और एक हलके झटके से अंदर किया. एक जोर की चीख निकली और बिंदिया की आँख से आंसू बहार आ गए. मैंने अपने हाथ से उसका मुहं बंद कर दिया और लंड के हलके हलके झटके उसकी चूत में देने लगा. 2 मिनिट की हलकी चुदाई के बाद उसकी चूत मेरे लंड और देसी सेक्स दोनों से एडजस्ट हो गई. बिंदिया के मुहं से मैंने अपना हाथ अब हटा लिया. वो भी अब अपनी गांड हिला के मुझ से चुदने का मजा लेने लगी.
हम दोनों जैसे की एक दुसरे में समा गए थे और हलके हलके झटके कब फास्ट झटको में बदल गए पता ही नहीं चला. आह आह करती हुई बिंदिया भी जोर जोर से अपनी गांड हिला रही थी और मैं भी अपनी कमर हिला हिला के बिंदिया को ठोक रहा था. बिंदिया की चूत के अंदर मेरा वीर्य निकला लेकिन कंडोम की दीवार में जा के अटक गया. बिंदिया ने एक लंबी सांस ली और अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर टाईट पकड़ ली. मैंने बिंदिया के चुंचे चुसे और हलके से लंड को बहार निकाल लिया. मैंने प्लान तो चूत सेक्स के साथ गांड संभोग का भी किया था लेकिन बिंदिया के साथ एक दिन में सब करना पोसिबल नहीं था. भला देसी सेक्स की मुर्गी को एक ही दिन में काट के खा जाना अच्छी बात तो नहीं हैं ना..! इसलिए मैंने वो कोल्डक्रीम उसे मुहं पे लगाने के लिए दे दी।
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