FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--18
गतांक से आगे ...........
मेरे बारामुडा में हाथ डाल के अन्दर भी हाथ फिराते बोली ..." अरे यहाँ भी तो एकदम चिकना हो गया है. ' उसे' उसने मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करते हुए छेड़ा,
" हे...गुंजा का नाम लेके ६१-६२ किया की नहीं..."
" छोड़ो ना यार ..." मेरे जंग बहादुर की हालत खराब होती जारही थी. वो अब पूरे जोश में आ रहा था.
"पहले बताओ,...." अब उसकी उंगली मेरे सुपाडे के मुंह पे थी."
" नहीं यार...मैंने बोला ना की अब..." मेरी निगाह घडी पे थीं. १० बज रहे थे..." उन्ह १२-१४ घंटे के बाद...बस अब ये तुम्हारे अन्दर घुस के ६१-६२ करेगा. "
" तुम ना ...अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली..."असल में कल जब तुम्हे ...वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए...मैंने कहा एकदम तो वो बोली...बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली...मूंछे हैं तो फिर...कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे....." और वो खिलखिला के हंसने लगी...
" तुम दोनों ना...आने दो उसको स्कूल से..."
" वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है..." वो बोली.
" मतलब...अभी " मैं चकराया अभी से....
" और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास....लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी..." अदा से वो बोली.
" अभी से अभी तो वो ...." मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला...
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो...जानते हो मेरी क्लास मैं ..."
तुम ना ...अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली..."असल में कल जब तुम्हे ...वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए...मैंने कहा एकदम तो वो बोली...बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली...मूंछे हैं तो फिर...कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे....." और वो खिलखिला के हंसने लगी...
" तुम दोनों ना...आने दो उसको स्कूल से..."
" वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है..." वो बोली.
" मतलब...अभी " मैं चकराया अभी से....
" और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास....लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी..." अदा से वो बोली.
" अभी से अभी तो वो ...." मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला...
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो...जानते हो मेरी क्लास मैं ..."
अबकी बात काटने का काम मैंने किया. मैंने उसे मक्खन लगाते हुए कहा...."
" अरी मेरी सोनिये मुझे मालूम है...तू पाने क्लास में सबसे प्यारी है, सबसे सेक्सी है....और सबसे पहले तेरी बिल में सेंध लगने वाली है...".
आँखे नचाते हुए उसने कस के मेरा कान पकड़ के खिंचा और बोली...
" यही तो पता कुछ नहीं...लेकिन बोलेंगे जरुर...वैसे आधी बात तो सच है...सबसे सेक्सी और सोनी तो मैं हूँ....लेकिन मेरे प्यारे बुद्धुराम ...मेरी क्लास की मेरी आधे से जयादा सहेलियों की बिल में सेंध लग चुकी है....सिर्फ तीन चार बची हैं मेरे जैसी ...और मेरे पल्ले तो तेरे जैसा बुद्धू पड़ गया है इस लिए...पता है और उनमें से आधे से ज्यादा किस से फँसी हैं...."
" ना ...मुझे बात सुनने से ज्यादा उसके गुलाबी गालों को देखने में ज्यादा मजा आ रहा था. वो ईति एकसाइटेड लग रही थी...
" अरे यार ...अपने कजिन्स से किसी का चहेरा भाई है तो किसी का ममेरा, फुफेरा, मौसेरा....घर में किसी को शक भी नहीं होता मौका भी मिल जाता है... अचानक उस की कजारारी आँखों में एक नयी चमक उभरी. मैं समझ गया कोई शैतानी इस के दिमाग में आयी है. वो मेरे पास सट गयी और बोली...
" सुन ना...वो जो तेरी कजिन है ना..चलवा दू उस से तेरा चक्कर ...अरे वही जिसका नाम ले के कल मम्मी और चंदा भाभी तुम्हे मस्त गालिया सुना रहे थीं...तो उन की बात सच करवा दो ना इस होली मैं...अरे यार इत्ती बुरी भी नहीं है...मस्त है...हाँ थोड़ा छोटा है ...ढूढते रह जाओगे टाईप...लेकिन कुछ मेहनत करोगे तो उसका भी मस्त हो जाएगा...वैसे हम दोनों का भी फायदा है उसमें...." किसी चतुर सुजान की तरह वो बोली.
" क्या ..." मुझसे बिना पूछे नहीं रहा गया....
" अरे यार कभी हम लोगों को एक साथ चिपटा चिपटी करते देख लेगी तो कहीं ...गाएगी तो नहीं...अगर एक बार तुम से खुद करवा लेगी तो...वैसे बुरी नहीं है वो..." मुस्करा के वो बोली.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की वो मजाक कर रही है या सीरियस है...मैंने बात मैंने बात चेंज करने की कोशिश की....
" ये तुम कर क्या रही हो..." और अब उलटे मुझे डाट पड़ गई...
' तुम ना ..देखो तुम्हारी बातों में आके मैं भी ना...कित्ता टाइम निकल गया...अब मुझे ही डांट पड़ेगी और समझ में भी नहीं आ रहा है...की...." वो मुझे हड़काते हुए बोली." बताओ न...." मैंने पूछने की कोशिश की और अबकी थोड़ा कामयाब हो गया...
" अरे यार वो तुम्हारी भाभी ना...थोड़ी देर में यहाँ दंगल शुरू होगा..."
" " दंगल मतलब..." मेरी समझ में नहीं आया ...
" अरे यार ...तुम बात तो पूरी नहीं करने देते और बीच में .. अरे यहाँ कुछ स्नैक्स वैक्स का इंतजाम करना था ..दूबे भाभी ने दही बड़े बनाए हैं..अभी उनकी ननद रितू लेके आ रही होगी..तो मीठे के लिए आज सुबह...चन्दा भाभी ने गुझिया गरम गरम बनायी है...वैसी ही जिसे खा के कल तूम झूम गए थे...लेकिन होली में गुझिया खाता कौन है खा कह के लोग थक जाते हैं और लोगों को शक भी रहता है की कहीं उसमें...और वैसे तो उनहोने ठंडाई भी बनायीं है लेकिन उसमें भी...."
" पड़ी है की नहीं उसमें..." मैं मुस्करा के पुछा...
" अरे एक दम चंदा भाभी बनाए....उन्होंने मुझे कहा है की अगर नहीं चढ़ी तो वो मेरी ऐसी की तैसी कर देंगी आज ...लेकिन जल्दी कोई हाथ नहीं लगाएगा...ठंडाई में "
"बात तो तेरी सही है यार ...हूँ...हूँ...ऐसा करते हैं है सुन ..कल वो नाथा हलवाई के यहाँ से वो गुलाब जामुन लाये थे ना..." मैंने आइडिया दिया...
" अरे वो..डबल डोज वाली ना स्पेशल...हाँ आइडिया तो तुम्हारा ठीक है...किसी को पता भी नहीं चलेगा...
वो खुश होके बोली.
" हाँ एक बात और कितना टाइम है सब के आने में..." मैंने पूछा.
" बस दस पंद्रह मिनट."
" अरे तो ठीक है दो .बोतल बियर .कल लाये थे ना."
" हाँ..." उसकी आँखों में चमक आ गयी.
" बस पांच मिनट बाद उसे फ्रिज से निकाल के ...मैं सील खोल दूंगा...और` बर्फ ड़ाल के ...." मैं बोला.
" सील खोलने का बहोत मन करता है तुम्हारा...अब तक कितने की खोल चुके हो..." खी खी करके वो हंसी...
" एक की तो आज खोलने वाला हूँ..." उस के गाल पे चिकोटी काट के मैं बोला.
" धत्त ...और शर्मा के वो टेसू हो गयी. यही अदा उस की जान लेती थी कभी इतना शर्माती थी और`कभी इत्ती बोल्ड
वो प्लेट में गुलाब जामुन लगाने लगी...और मैं बीयर की बोतल ले आया...लेकिन मुझे एक आइडिया और आया...मैंने भाभी के कमरे में कुछ इम्पोर्टेड दारु देखी थी. मैं पीता नहीं था लेकिन अंदाज तो था ही....बैकार्डी जिसमें ८० % अल्कोहल थी, वोदका कैनेबिस ...जिसमें ८०% अल्कोहल के साथ कनेबिस भी होती है और एक बाटल ...स्त्रह ओरिजिनल औस्ट्रीया की रम जो काफी स्ट्रांग होती है. मुझे भी शरारत सूझी. मैंने दो बाटल लिम्का और स्प्राईट में ...बैकार्डी और वोदका और पेप्सी और कोक में रम मिला दी और उसको इस तरह बंद कर दियाजैसे सील हों. ये बात मैंने गुड्डी को भी नहीं बतायी. ७-८ ग्लास लगा के मैंने उसमें बियर निकाल दी और गुड्डी को बोला की कोई पूछे तो बोल देना की इम्पोर्टेड कोल्ड ड्रिंक है मैं लाया हूँ.
वो प्लेटों में लाल, गुलाबी, नीला, रंग गुलाल अबीर रख रही थी.
" ये रंग तुम्हारे लिए नहीं है..." मुस्करा के वो बोली.
" मुझे मालूम है मेरे ऊपर तो तुम्हारा रंग चढ़ गया है अब...किसी रंग का कोई असल नहीं होने वाला है...." हंस के मैंने बोला.
" मारूंगी.' वो बनावटी गुस्स्से में बोली और एक हाथ में प्लेट से गुलाबी रंग ले के ..मेरे गालों पे ...
" अच्छा चलो डाल..आज रात को ना बताया तो...पूरी पिचकारी अन्दर`कर दूंगा....और`पूरा सफेद रंग..." मैं बोला.
" कर देना कौन डरता है...रात की रात को देखी जायेगी अभी तो मैं ..." और दूसरे हाथ में प्लेट से लाल रंग ले के...सीधे मेरे बार्मुडा में ...
' वहां " रगड़ रगड़ के लगाती हुयी बोली...बहोत रात की बात कर के डरा रहे थे ना ...इस पिचकारी को पिचका के रख दूंगी और एक एक बूँद सफेद रंग निचोड़ लुंगी..." अब उस पे होली का रंग चढ़ गया था.
जो रंग उसने मेरे गाल पे लगाया था वो मैंने उसके गाल पे लगा दिया अपने गाल से उसके गाल को रगड़ के...
थोड़ी देर में हम लोग उबरे जब अन्दर से चन्दा भाभी की आवाज आई...
" हे प्लेट वेट लगा दिया...और वो दूबे भाभी.रीत . आई की नहीं..."
" प्लेट वेट लगा दिया...दूबे भाभी थोड़ी देर में आएँगी...हाँ रीत बस आ रही होगी.." गुड्डी ने वहीँ से हंकार लगाई. " हे येरीत ..." मैंने पूछा.
" क्यों बिना देखे दिल मचलने लगा..बोला तो था ना की दूबे भाभी की ननद है..हमारे स्कूल में ही पढ़ती थी. इसी साल इन्टर किया है...लेकिन कम से कम तुम उस की सील नहीं तोड़ सकते.."
" मतलब ..." मैंने ना समझने का नाटक किया.
गुड्डी ने तीन उंगलियाँ दिखायीं.
" तीन...एक साथ या बारी बारी से..." मुस्कराते हुए मैंने पूछा.
" आ रही होंगी ...तुम खुद ही पूछ लेना. " हंसते हुए वो बोली. फिर उस की गाथा चालू हो गई.
" वो गुंजा के बराबर ही थी...या शायद और...खुद दूबे भाभी और उस की दीदी ने....उस के जीजा के साथ...पहले तो उन लोगो ने उसे भांग पिला दी थी और फिर दूबे भाभी ने उस के हाथ पकड़ के ..ये कह के की जीजा का तो साल्ली पे हक़ होता है ..सब तुम्हारे जैसे सीधे जीजा तो होते नहीं...वो तो वैसे भी खुल्लम खुला अपने ननदोई के साथ...फिर एक उनका कोई कजिन था....और एक ..." अतब तक सीढ़ी पे पद चाप
सुनाई पड़ी. वो चुप हो गयी लेकिन धीरे से बोली ...एक दम हिरोइन लगती हैं..कालेज में सब कैटरीना कैफ कहते थे.
तब तक वो सामने आगई.
वास्तव में कैटरीना ही लग रही थी.
पीला खूब टाईट कुरता...सफेद शलवार ...गले में दुपट्टा...उसके उभारों की छुपाने की नाकमयाब कोशिश करता...सुरु के पेड़ की तरह लम्बी , खूब गोरी... लम्बी लम्बी टाँगे...
मैं उसे देखता ही रह गया.
और वो भी...मुझे...
मेरे मुह से बेसाख्ता निकला...कैटरीना....
और उसके मुंह से................सलमान...
मैंने झुक के अपनी और देखा. गुंजा का टाप एक तो स्लीवलेस ...बस किसी तरह मुझे कवर किये हुए था....मेरी सारी मसल्स साफ साफ दिख रही थीं...जिम टोंड ना भी हों तो उनसे कम नहीं...और उस का बार्मुदा मेरे शार्ट से भी छोटा था...इसलिए...जाँघों की मसल्स भी ..थोड़ी देर पहले ही गुड्डी से जिस तरह चिपका चिपकी हुयी थी.उससे सबसे इम्पार्टेंट 'मसल' भी साफ दिख रही थी.
मैंने कुछ झिझकते हुए कहा, " वो मेरे कपडे...वो...कल..."
वो मुस्कराके बोली..." मुझे मालूम है मेरे पास है मेरे पास हैं घबडाइए नहीं...बिना फटे वटे मिल जायेंगे आपको.."
मुझे याद आया कल चन्दा भाभी ने बताया तो था की दूबे भाभी का लांड्री, रंगरेज, ब्लाक प्रिंटिंग का काम चलता है.
मेरी निगाहें उसके छलकते उरोजों पे टिकी थीं...और उसकी नीचे...
हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे को देखा. दोनों की चोरी पकड़ी गयी.
हम दोनों एक साथ जोर से हंस दिए..गुड्डी ने बोला..." उफ्फ मैं आप दोनों का इंट्रो तो करवाया ही नहीं....ये हैं रीत ये ...आनंद "..मैंने एक बार फिर उसे देखा ....
पीछे लग रहा था धुन बज रही है मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त ...मैं चीज बड़ी हूँ मस्त....
मुझे मालूम है,...एक बार हम दोनों फिर एक साथ बोले...
" अरे आती हुयी बहार का...खुशबु का, खिलखिलाती कलियों का...गुनगुनाती धुप का इंट्रो थोड़ी देना पड़ता है...वो अपना अहसास खुद करा देती हैं..." मैं बोला....
" मुझे आप के बारे में सब मालूम है इसने इसकी मम्मी ने...सब बताया है लेकिन मैं सोच रही थी...की..." उस कली ने बोला.
" की हम आपके हैं कौन..." मुस्कराके मैं बोला.
" इकजैक्टली..." वो हंस के बोली.
" अरे मैं बताती हूँ ना..ये बिन्नो भाभी के देवर ..तो..." गुड्डी बोली.
" चुप मुझे जोड़ने दे..."
" बिन्नो ...भाभी...यानी तुम्हारो मम्मी की ननद यानि चन्दा भाभी..मेरी भाभी सबकी ननद ...और मैंने भी इस सबकी ननद तो फिर आप उनके देवर ... तो आप ...मेरे तो देवर हुए..." और कैटरीना ने मेरी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया..
" एक दम सही लेकिन सिर्फ दो बातें गलत..." मैं बोला और बजाय हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाने मैं गले मिलनेके लिए बढ़ा.
वो खुद आगे बढ़ के मेरी बाहों में आ गय
क्रमशः.....................
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" अभी से अभी तो वो ...." मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला...
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो...जानते हो मेरी क्लास मैं ..."
तुम ना ...अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली..."असल में कल जब तुम्हे ...वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए...मैंने कहा एकदम तो वो बोली...बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली...मूंछे हैं तो फिर...कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे....." और वो खिलखिला के हंसने लगी...
" तुम दोनों ना...आने दो उसको स्कूल से..."
" वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है..." वो बोली.
" मतलब...अभी " मैं चकराया अभी से....
" और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास....लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी..." अदा से वो बोली.
" अभी से अभी तो वो ...." मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला...
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो...जानते हो मेरी क्लास मैं ..."
अबकी बात काटने का काम मैंने किया. मैंने उसे मक्खन लगाते हुए कहा...."
" अरी मेरी सोनिये मुझे मालूम है...तू पाने क्लास में सबसे प्यारी है, सबसे सेक्सी है....और सबसे पहले तेरी बिल में सेंध लगने वाली है...".
आँखे नचाते हुए उसने कस के मेरा कान पकड़ के खिंचा और बोली...
" यही तो पता कुछ नहीं...लेकिन बोलेंगे जरुर...वैसे आधी बात तो सच है...सबसे सेक्सी और सोनी तो मैं हूँ....लेकिन मेरे प्यारे बुद्धुराम ...मेरी क्लास की मेरी आधे से जयादा सहेलियों की बिल में सेंध लग चुकी है....सिर्फ तीन चार बची हैं मेरे जैसी ...और मेरे पल्ले तो तेरे जैसा बुद्धू पड़ गया है इस लिए...पता है और उनमें से आधे से ज्यादा किस से फँसी हैं...."
" ना ...मुझे बात सुनने से ज्यादा उसके गुलाबी गालों को देखने में ज्यादा मजा आ रहा था. वो ईति एकसाइटेड लग रही थी...
" अरे यार ...अपने कजिन्स से किसी का चहेरा भाई है तो किसी का ममेरा, फुफेरा, मौसेरा....घर में किसी को शक भी नहीं होता मौका भी मिल जाता है... अचानक उस की कजारारी आँखों में एक नयी चमक उभरी. मैं समझ गया कोई शैतानी इस के दिमाग में आयी है. वो मेरे पास सट गयी और बोली...
" सुन ना...वो जो तेरी कजिन है ना..चलवा दू उस से तेरा चक्कर ...अरे वही जिसका नाम ले के कल मम्मी और चंदा भाभी तुम्हे मस्त गालिया सुना रहे थीं...तो उन की बात सच करवा दो ना इस होली मैं...अरे यार इत्ती बुरी भी नहीं है...मस्त है...हाँ थोड़ा छोटा है ...ढूढते रह जाओगे टाईप...लेकिन कुछ मेहनत करोगे तो उसका भी मस्त हो जाएगा...वैसे हम दोनों का भी फायदा है उसमें...." किसी चतुर सुजान की तरह वो बोली.
" क्या ..." मुझसे बिना पूछे नहीं रहा गया....
" अरे यार कभी हम लोगों को एक साथ चिपटा चिपटी करते देख लेगी तो कहीं ...गाएगी तो नहीं...अगर एक बार तुम से खुद करवा लेगी तो...वैसे बुरी नहीं है वो..." मुस्करा के वो बोली.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की वो मजाक कर रही है या सीरियस है...मैंने बात मैंने बात चेंज करने की कोशिश की....
" ये तुम कर क्या रही हो..." और अब उलटे मुझे डाट पड़ गई...
' तुम ना ..देखो तुम्हारी बातों में आके मैं भी ना...कित्ता टाइम निकल गया...अब मुझे ही डांट पड़ेगी और समझ में भी नहीं आ रहा है...की...." वो मुझे हड़काते हुए बोली." बताओ न...." मैंने पूछने की कोशिश की और अबकी थोड़ा कामयाब हो गया...
" अरे यार वो तुम्हारी भाभी ना...थोड़ी देर में यहाँ दंगल शुरू होगा..."
" " दंगल मतलब..." मेरी समझ में नहीं आया ...
" अरे यार ...तुम बात तो पूरी नहीं करने देते और बीच में .. अरे यहाँ कुछ स्नैक्स वैक्स का इंतजाम करना था ..दूबे भाभी ने दही बड़े बनाए हैं..अभी उनकी ननद रितू लेके आ रही होगी..तो मीठे के लिए आज सुबह...चन्दा भाभी ने गुझिया गरम गरम बनायी है...वैसी ही जिसे खा के कल तूम झूम गए थे...लेकिन होली में गुझिया खाता कौन है खा कह के लोग थक जाते हैं और लोगों को शक भी रहता है की कहीं उसमें...और वैसे तो उनहोने ठंडाई भी बनायीं है लेकिन उसमें भी...."
" पड़ी है की नहीं उसमें..." मैं मुस्करा के पुछा...
" अरे एक दम चंदा भाभी बनाए....उन्होंने मुझे कहा है की अगर नहीं चढ़ी तो वो मेरी ऐसी की तैसी कर देंगी आज ...लेकिन जल्दी कोई हाथ नहीं लगाएगा...ठंडाई में "
"बात तो तेरी सही है यार ...हूँ...हूँ...ऐसा करते हैं है सुन ..कल वो नाथा हलवाई के यहाँ से वो गुलाब जामुन लाये थे ना..." मैंने आइडिया दिया...
" अरे वो..डबल डोज वाली ना स्पेशल...हाँ आइडिया तो तुम्हारा ठीक है...किसी को पता भी नहीं चलेगा...
वो खुश होके बोली.
" हाँ एक बात और कितना टाइम है सब के आने में..." मैंने पूछा.
" बस दस पंद्रह मिनट."
" अरे तो ठीक है दो .बोतल बियर .कल लाये थे ना."
" हाँ..." उसकी आँखों में चमक आ गयी.
" बस पांच मिनट बाद उसे फ्रिज से निकाल के ...मैं सील खोल दूंगा...और` बर्फ ड़ाल के ...." मैं बोला.
" सील खोलने का बहोत मन करता है तुम्हारा...अब तक कितने की खोल चुके हो..." खी खी करके वो हंसी...
" एक की तो आज खोलने वाला हूँ..." उस के गाल पे चिकोटी काट के मैं बोला.
" धत्त ...और शर्मा के वो टेसू हो गयी. यही अदा उस की जान लेती थी कभी इतना शर्माती थी और`कभी इत्ती बोल्ड
वो प्लेट में गुलाब जामुन लगाने लगी...और मैं बीयर की बोतल ले आया...लेकिन मुझे एक आइडिया और आया...मैंने भाभी के कमरे में कुछ इम्पोर्टेड दारु देखी थी. मैं पीता नहीं था लेकिन अंदाज तो था ही....बैकार्डी जिसमें ८० % अल्कोहल थी, वोदका कैनेबिस ...जिसमें ८०% अल्कोहल के साथ कनेबिस भी होती है और एक बाटल ...स्त्रह ओरिजिनल औस्ट्रीया की रम जो काफी स्ट्रांग होती है. मुझे भी शरारत सूझी. मैंने दो बाटल लिम्का और स्प्राईट में ...बैकार्डी और वोदका और पेप्सी और कोक में रम मिला दी और उसको इस तरह बंद कर दियाजैसे सील हों. ये बात मैंने गुड्डी को भी नहीं बतायी. ७-८ ग्लास लगा के मैंने उसमें बियर निकाल दी और गुड्डी को बोला की कोई पूछे तो बोल देना की इम्पोर्टेड कोल्ड ड्रिंक है मैं लाया हूँ.
वो प्लेटों में लाल, गुलाबी, नीला, रंग गुलाल अबीर रख रही थी.
" ये रंग तुम्हारे लिए नहीं है..." मुस्करा के वो बोली.
" मुझे मालूम है मेरे ऊपर तो तुम्हारा रंग चढ़ गया है अब...किसी रंग का कोई असल नहीं होने वाला है...." हंस के मैंने बोला.
" मारूंगी.' वो बनावटी गुस्स्से में बोली और एक हाथ में प्लेट से गुलाबी रंग ले के ..मेरे गालों पे ...
" अच्छा चलो डाल..आज रात को ना बताया तो...पूरी पिचकारी अन्दर`कर दूंगा....और`पूरा सफेद रंग..." मैं बोला.
" कर देना कौन डरता है...रात की रात को देखी जायेगी अभी तो मैं ..." और दूसरे हाथ में प्लेट से लाल रंग ले के...सीधे मेरे बार्मुडा में ...
' वहां " रगड़ रगड़ के लगाती हुयी बोली...बहोत रात की बात कर के डरा रहे थे ना ...इस पिचकारी को पिचका के रख दूंगी और एक एक बूँद सफेद रंग निचोड़ लुंगी..." अब उस पे होली का रंग चढ़ गया था.
जो रंग उसने मेरे गाल पे लगाया था वो मैंने उसके गाल पे लगा दिया अपने गाल से उसके गाल को रगड़ के...
थोड़ी देर में हम लोग उबरे जब अन्दर से चन्दा भाभी की आवाज आई...
" हे प्लेट वेट लगा दिया...और वो दूबे भाभी.रीत . आई की नहीं..."
" प्लेट वेट लगा दिया...दूबे भाभी थोड़ी देर में आएँगी...हाँ रीत बस आ रही होगी.." गुड्डी ने वहीँ से हंकार लगाई. " हे येरीत ..." मैंने पूछा.
" क्यों बिना देखे दिल मचलने लगा..बोला तो था ना की दूबे भाभी की ननद है..हमारे स्कूल में ही पढ़ती थी. इसी साल इन्टर किया है...लेकिन कम से कम तुम उस की सील नहीं तोड़ सकते.."
" मतलब ..." मैंने ना समझने का नाटक किया.
गुड्डी ने तीन उंगलियाँ दिखायीं.
" तीन...एक साथ या बारी बारी से..." मुस्कराते हुए मैंने पूछा.
" आ रही होंगी ...तुम खुद ही पूछ लेना. " हंसते हुए वो बोली. फिर उस की गाथा चालू हो गई.
" वो गुंजा के बराबर ही थी...या शायद और...खुद दूबे भाभी और उस की दीदी ने....उस के जीजा के साथ...पहले तो उन लोगो ने उसे भांग पिला दी थी और फिर दूबे भाभी ने उस के हाथ पकड़ के ..ये कह के की जीजा का तो साल्ली पे हक़ होता है ..सब तुम्हारे जैसे सीधे जीजा तो होते नहीं...वो तो वैसे भी खुल्लम खुला अपने ननदोई के साथ...फिर एक उनका कोई कजिन था....और एक ..." अतब तक सीढ़ी पे पद चाप
सुनाई पड़ी. वो चुप हो गयी लेकिन धीरे से बोली ...एक दम हिरोइन लगती हैं..कालेज में सब कैटरीना कैफ कहते थे.
तब तक वो सामने आगई.
वास्तव में कैटरीना ही लग रही थी.
पीला खूब टाईट कुरता...सफेद शलवार ...गले में दुपट्टा...उसके उभारों की छुपाने की नाकमयाब कोशिश करता...सुरु के पेड़ की तरह लम्बी , खूब गोरी... लम्बी लम्बी टाँगे...
मैं उसे देखता ही रह गया.
और वो भी...मुझे...
मेरे मुह से बेसाख्ता निकला...कैटरीना....
और उसके मुंह से................सलमान...
मैंने झुक के अपनी और देखा. गुंजा का टाप एक तो स्लीवलेस ...बस किसी तरह मुझे कवर किये हुए था....मेरी सारी मसल्स साफ साफ दिख रही थीं...जिम टोंड ना भी हों तो उनसे कम नहीं...और उस का बार्मुदा मेरे शार्ट से भी छोटा था...इसलिए...जाँघों की मसल्स भी ..थोड़ी देर पहले ही गुड्डी से जिस तरह चिपका चिपकी हुयी थी.उससे सबसे इम्पार्टेंट 'मसल' भी साफ दिख रही थी.
मैंने कुछ झिझकते हुए कहा, " वो मेरे कपडे...वो...कल..."
वो मुस्कराके बोली..." मुझे मालूम है मेरे पास है मेरे पास हैं घबडाइए नहीं...बिना फटे वटे मिल जायेंगे आपको.."
मुझे याद आया कल चन्दा भाभी ने बताया तो था की दूबे भाभी का लांड्री, रंगरेज, ब्लाक प्रिंटिंग का काम चलता है.
मेरी निगाहें उसके छलकते उरोजों पे टिकी थीं...और उसकी नीचे...
हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे को देखा. दोनों की चोरी पकड़ी गयी.
हम दोनों एक साथ जोर से हंस दिए..गुड्डी ने बोला..." उफ्फ मैं आप दोनों का इंट्रो तो करवाया ही नहीं....ये हैं रीत ये ...आनंद "..मैंने एक बार फिर उसे देखा ....
पीछे लग रहा था धुन बज रही है मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त ...मैं चीज बड़ी हूँ मस्त....
मुझे मालूम है,...एक बार हम दोनों फिर एक साथ बोले...
" अरे आती हुयी बहार का...खुशबु का, खिलखिलाती कलियों का...गुनगुनाती धुप का इंट्रो थोड़ी देना पड़ता है...वो अपना अहसास खुद करा देती हैं..." मैं बोला....
" मुझे आप के बारे में सब मालूम है इसने इसकी मम्मी ने...सब बताया है लेकिन मैं सोच रही थी...की..." उस कली ने बोला.
" की हम आपके हैं कौन..." मुस्कराके मैं बोला.
" इकजैक्टली..." वो हंस के बोली.
" अरे मैं बताती हूँ ना..ये बिन्नो भाभी के देवर ..तो..." गुड्डी बोली.
" चुप मुझे जोड़ने दे..."
" बिन्नो ...भाभी...यानी तुम्हारो मम्मी की ननद यानि चन्दा भाभी..मेरी भाभी सबकी ननद ...और मैंने भी इस सबकी ननद तो फिर आप उनके देवर ... तो आप ...मेरे तो देवर हुए..." और कैटरीना ने मेरी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया..
" एक दम सही लेकिन सिर्फ दो बातें गलत..." मैं बोला और बजाय हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाने मैं गले मिलनेके लिए बढ़ा.
वो खुद आगे बढ़ के मेरी बाहों में आ गय
क्रमशः.....................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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