FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--47
गतांक से आगे ...........
लेकिन चाहने से क्या होता है ...और खास तौर से जब आपके साथ कोई हसीन नमकीन लड़की हो जो पिछले करीब २४ घंटे से आपकी ऐसी की तैसी करने पे जुटी हो...
और वही हुआ..
पहले तो उसने रिक्शे की बात पे ना ना कर दी...
" पैसा है तुम्हारे पास...चले हैं रिक्शे पे बैठने..." घुड़कते हुए वो बोली.
तब मुझे याद आया...मेरा मोबाइल , कार्ड्स पर्स सब तो इसी के पास था....
" हे मेरा पर्स वो...लेकिन मैंने ...तो..." हिम्मत कर के मैंने बोलने की कोशिश की.
" जगह जगह नोटिस लगी रहती है...यात्री अपने सामान की सुरक्षा खुद करें ....लेकिन पढ़े लिखे हो के...मेरे पास कोई पर्स वर्स नहीं है..." बडबडाते हुए वो बोली और फिर जैसे मुझे दिखाते हुए उसने अपना बड़ा सा झोले ऐसा पर्स खोला...बाकायदा मेरा पर्स भी था और मोबाइल भी...ऊपर से वो मेरा पर्स निकाल के मुझे दिखाते हुए बोली...देखो मैं अपना पर्स कितना संभाल कर रखती हूँ...तुम्हारी तरह नहीं ..”
.और फिर जिप बंद कर दिया. उसमें मेरी पूरी महीने की सैलरी पड़ी थी.
और उसके बाद रास्ते के बात पे तो वो एक दम तेल पानी ले के मेरे ऊपर चढ़ गयी..
" बनारस की कौन है...मैं या तुम ..." वो आँख निकाल के बोली.
" तुम हो..." मैंने तुरंत हामी भर ली.
" फिर..."
मैं चुप रहा. ऐसे सवाल का जवाब देना भी नहीं चाहिए .
" अरे उलटा पड़ेगा...लेकिन तुम्हे तो बचपन से ही सब काम उलटे करने की आदत है...यहाँ से गौदालिया कित्ता पास है...बगल में वो लक्सा वाली रोड पे एक माल भी खुल गया है...नयी सड़क के बगल वाली गली में सब चीजे इतनी सस्ती मिलती हैं...लेकीन कल से तुम्हे रेस्ट हाउस जाने की जल्दी पड़ी है ...." फिर मुझे मनाते हुए मेरे कंधे पे हाथ रख के बोली.." अरे मेरे बुद्धू राम जी..मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ लेकिन इससे टाइम बचेगा...यहाँ की एक एक गलियां मैं जानती हूँ..."
लेकिन गुड्डी का सारा सामान ..एक बड़ा सा बैग उठा के तो मैं चल रहा था..ऊपर से जनाब जी ने तुर्रा ये की मना कर दिया था की मैं इसे अपने पीठ पे ना रखूं...
मैं बड़बड़ा रहा था..".गधे का बोझ उठा कर कौन चल रहा है..."
" जो गधे ऐसी चीज रखेगा...वही गधे का काम करेगा… और क्या..." उसने मुस्कराती आँखों से मुझे देखते हुए चिढाया. और साथ में बोली " अच्छा चलो अब ये ब्रा उतार दो बहोत देर से पहने हो हां तुम्हारा मन कर रहा हो तो अलग बात है..." आँख नचा के वो बोली.
और जैसे ही मैंने उतारा सम्हाल के उसने अपने बैग में रख लिया.
मेरी सारी थकान और गुस्सा एक मिनट में पिघल गया.
गली गली हम लोग थोडी ही देर में गौदौलिया चौराहे पे पहुंच गये. भीड, धक्कम धुका, जब की अभी शाम भी नहीं हुयी थी.
समय तो कम लगा...लेकिन मैं जो नहीं चाहता था वही हुआ. मेरी शर्ट पे आगे और पीछे , जो ’अच्छी अच्छी बातें’ मेरी और मेरी ममेरी बहन के बारे में रीत और गुड्डी ने लिखी थीं..एक दम खुले आम दावत देते हुये...सब उसे पढ रहे थे और मुझे घूर रहे थे. और कुछ देर बाद मेरे मोबाइल का मैसेज बजा.
था तो वो गुड्डी के बैग मे...लेकिन उस ने तुरत फुरत निकाला और मेरी ओर बढाया और बोली ...बधाइ हो तेरी ममेरी बहन की पहली बुकिन्ग आ गयी. उन दुष्टों ने मेरी शर्ट पे मेरे मोबाइल के ९ दिजिट लिख रखे थे और आखिरी नम्बर की जगह ऐस्टेरिक लगा रखा था. पहले तो मै सोच रह था कि ये सेफ है कौन दसवां नम्बर ढून्ड पायेगा...लेकिन लगता है ये उतना मुश्किल नहीं था. गुड्डी ने जो मेसेज दिखाया, उसमें लिखा था कि क्या दो के साथ एक फ्री होगा या कम से कम कुछ डिस्काउन्ट...गुड्डी ने मुझे दिखाते हुये वो मेसेज पहले तो रीत को पास किया और फिर मुझे दिखाते हुये जवाब भेज दिया..." आपकी पहली बूकिन्ग थी इस लिये स्पेशल डिस्काउन्ट...तीसरा...५० % डिस्काउंट पे...लेकिन पहले दो के साथ...साथ...." उसने मेरे रोकते रोकते मेसेज भेज दिया. और जबतक मोबाइल मैं उससे लेता वापस उसके पर्स में...बाद में मैने नोटिस किया कि वो हर मेसेज के जवाब के साथ साथ रीत का नम्बर दे रही थी आगे की सेटिन्ग के लिये और मेसेज डिलिट भी कर दे रही थी. यानि कि मै चाह के भी कुछ नहीं कर सकता था. तभी मुझे जोर का झटका जोर से लगा...मेरी ममेरी बह्न का तो पूरा नम्बर साल्लीयों ने मेरे शर्ट के पीछे टांक रखा है, तो उस बिचारी के पास तो सीधे ही और वो कित्ति इम्ब्रासेड फील कर रही होगी....( लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं, मेसेज उसको मिले और एक से एक ....लेकिन जैसा उसने गुड्डी से बोला, की उसे खूब मजा आया और उसने भी उसी अन्दाज में उन लोगों को जवाब दिया. कईयों को तो उसने अपनी मेल आई डी और फेस बुक पेज के बारे में भी बता दिया.
वो समझ गयी थी की ये होली क प्रैंक है और उसी स्प्रीट में मजा ले रही थी. गुड्डी को उसने दिखाया की कईयों ने तो उसे अपने ’ अंग विशेष ’ के फोटो भी भेज दिये थे एक बार इस्तेमाल करने की गुजारिश के साथ. असल में वो फोटुयें तो मेरे मोबाइल पे भी आयीं इस रिक्वेस्ट के साथ कि..
." राजा, अरे तुन्हु मजा ला तोहरि बहिनियो क मजा देब...एक बार में पूरा सटासट सटासट...सरसों क तेल लगा के...तनिको ना दुखायी...मजा जबरद्स्त आयी...’
और साईज भी एक से एक , लम्बे भी मोटे भी..मै अपने आप को शेर समझता था...लेकिन वो भी मेरे से २० नहीं तो १९ भी नहीं थे. खैर मैं ये कहां कि बात ले बैठा...ये बात तो मेरे घर पहुंचने के बाद के प्रसंग में आनी है.
वो समझ गयी थी की ये होली क प्रैंक है और उसी स्प्रीट में मजा ले रही थी. गुड्डी को उसने दिखाया की कईयों ने तो उसे अपने ’ अंग विशेष ’ के फोटो भी भेज दिये थे एक बार इस्तेमाल करने की गुजारिश के साथ. असल में वो फोटुयें तो मेरे मोबाइल पे भी आयीं इस रिक्वेस्ट के साथ कि...
" राजा, अरे तुन्हु मजा ला तोहरि बहिनियो क मजा देब...एक बार में पूरा सटासट सटासट...सरसों क तेल लगा के...तनिको ना दुखायी...मजा जबरद्स्त आयी...’
और साईज भी एक से एक , लम्बे भी मोटे भी..मै अपने आप को शेर समझता था...लेकिन वो भी मेरे से २० नहीं तो १९ भी नहीं थे. खैर मैं ये कहां कि बात ले बैठा...ये बात तो मेरे घर पहुंचने के बाद के प्रसंग में आनी है.
खैर हम जब दुकान में घुसे तो गुड्डी जी ने बहोत अहसान कर मेरा मोबाइल मुझे वापस कर दिया..लेकिन पर्स क्रेडिट कार्ड उसी कि मुट्ठी में...और जब उसने शापिन्ग कि लिस्ट निकाली...उसके हाथ से फर्श तक निकली. मेरी तो रूह कांप गयी. लेकिन मुझे वो कार्ड निकाल के दिखाते हुये बोली...चिन्ता मत करो बच्चे..मैने और रीत ने चेक कर लिया था...ये प्लेटीनम कार्ड है...२ लाख तक तो ओवर ड्राफ्ट मिलेगा...और इसमें भी बैलेन्स काफी है.." वो दुकान ड्रेसेज की थी.
" क्या साइज है..." उसने पूछा.
जोबन उभार के गुड्डी बोली
...बस मेरी हो साइज समझ लीजिये...क्यों "
मुस्करा के वो बोली तो दूकान दार से लेकिन पुष्टि के लिये उसने मेरी ओर देखा.
दुकान दार कभी गुड्डी की ओर देखता तो कभी मेरी शर्ट पे पेन्ट, इश्त हार पे . तब तक गुड्डी ने आर्डर पेश कर दिया....स्लिव लेस टाप, वो भी हो सके तो शियर...एक दम आइटम गर्ल टाईप और एक लो कट जीन्स...आप समझ गये ना..." दुकान दार समझ गया शायद और अन्दर चला गया...लेकिन मेरे समझ में नही आया.
"ये किसके लिये ले रही हो, कौन पहनेगा इतना बोल्ड वो भी ….”
" तुम्हारे खिचडी वाले शहर में है ना ....खिलखिलाती हुयी वो बोली. और कौन तुम्हारा माल...तुम्हारी ममेरी बहन...गुड्डी...रंजीता...अरे यार उसे पटाना चाहते हो, उससे सटाना चाह्ते हो....तो बाहर से जा रहे हो...होली क मौका है कुछ हाट हाट गिफ़्ट तो ले जानी चाहिये ना ...तभी तो चिडिया दाना चुगेगी.’
वो बाहर आया...और साथ मे कयी टाप, सब के सब स्लिव लेस, लो कट....लाल, गुलाबी, पीला... और आलमोस्ट शियर ...
मेरे तो पैरों के तले जमीं सरक गयी...ये कोई भी कैसे....लेकिन गुड्डी ने तब तक मेरे हाथ में से मोबाइल छीन लिया और एक पिकचर निकालती हुयी दूकान दार को दिखाया..वो बड़ी प्राइवेट सी फोटो थी..उसने दोनों हाथ एक दूसरे में बाँध के ..सर के पीछे...उभारों को उभार के...मस्ती की अदा में हॉट माडल्स की नक़ल में...मैंने बस मोबाइल से खिंच ली ..मेरी ममेरी बहन ने मुझसे कहा था की मैं डिलीट कर दूँ लेकिन मैंने बोला की यार मेरे मोबाइल में है कर दूंगा...बस वो गुड्डी के हाथ और वही पिक्चर ...फिर बोली ..ठीक है लेकिन एक नम्बर छोटा...
" हे हे..अरे थोडा कम... हाट पहनने लायक तो हो..." मैंने दूकान दार से रिक्वेस्ट की...
वो बिचारा फिर अन्दर गया. गुड्डी ने ठसके से बिना मुड़े मुझे सुनाते हुए बोला..." पहनेगी वो और उसकी सात पुस्त....और पहनाओगे तुम अपने हाथ से ..देखना..."
तब तक मेरे फ़ोन पे एक मेसेज आया. नम्बर फोन बुक में नहीं था...मैंने खोला तो लिखा था...
" अरे पांच के बदले पच्चास लग जाय...
बिन चोदे ना छोड़ब चाहे जेहल होय जा...अरे बनारस में आके जरूर मिलना ....हो गुड्डी..."
जब तक मैं ये मेसेज देख ही रहा था वो फिर निकला. अबकी उसने जो टाप दिखाए वो थोड़े कम हाट लेकिन तब भी स्लीव लेस तो थे ही.
" दोनों टाइप के एक एक दे दीजिये..." गुड्डी बोली. मैं इरादा बदलता उसके पहले गुड्डी ने आर्डर दे दिया.
" हे तू भी तो कोई ले ले..." मैंने गुड्डी को बोला...
वो न न कराती रही पर मैंने उसके लिए भी टाप, कैपरी और एक बहोत ही टाईट लो कट जींस ले ली.
दूकान दार के सामने ही मुझसे बोली...ये सब तो ठीक है तेरी वो इसके अन्दर कुछ नहीं पहनेगी क्या...बनारस वालों का तो फायदा हो जाएगा..लेकिन ..."
दुकान दार मुस्कराने लगा और बोला मैं अभी दिखाता हूँ..मेरे पास एक से एक हाट ब्रा पैंटी हैं...और सचमुच जब उसने निकाली तो हम देखते रह गये...एक से एक...कलर, कट, डिजाइन...विक्टोरिया’स सिक्रेट भी मात खा जाय. जो गुड्डी ने छांटी, कयामत थी...वो. एक तो स्किन कलर की ध्यान से ना देखो तो लगेगा ही नहीं कि अन्दर कुछ पहने हैं की नहीं. और पतली इतनी की निपल का आकार प्रकार सब सामने आ जाय...लेकिन दुकान दार नहीं माना.
"मेरी सलाह मानिये तो ये वालि ले जाइये..."और उसने अन्दर से चुन के एक निकाली..थी तो वो भी स्किन कलर की लेकिन सिर्फ हाफ कप, अन्डर वायर्ड...और साथ में हल्के सी पैडेड..." उभार उभर के सामने आयेन्गे...३० कि होगी तो ३२ कि दिखेगी, कप साइज भी एक बडा दिखेगा. क्लिवेज भी पूरा खुल के ...." अब गुड्डी के लिये सोचने की बात ही नहीं थी. उसने एक सेल्क्ट कर लिया. और साथ मेन एक सफेद भि. मैने दुकान्दर से कहा...इन के दो सेट दे देना. फिर वो पैन्टी ले आया. गुड्डी जब तक चुन रही थी...वो धीरे से आके बोला..." साह्ब...वो जो आखिरी एस. एम. एस. मिला होगा ना...वो मैने ही भेजा है."
मेर माथा ठनका...तो इसका मतलब...." पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोडब...जहे जेहल होइ जाय " वाला मेसेज इन्ही जनाब का था. तब तक गुड्डी ने दो थान्ग नुमा पैन्टी पसन्द कर ली थीं. मैने फिर उसे दो सेट का इशारा किया......पैक करते हुये वो बोला सही चुना आपने इम्पोर्टेड है.
तब तो दाम बहोत होगा..." गुड्डी ने चौन्क के पूछा....
" अरे रहने दिजिये आप से पैसे कौन मांगता है....वो मेर मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा..."
" मतलब...ऐसा कुछ नहीं है..."
मैं उसे रोकते हुये बोला लेकिन बीच में गुड्डी बोली,
" अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये....होली के बाद जब वो आयेगी ना तो आप के पास ले के आयेन्गे.. और फिर हम दोनो मिल के आप की दुकान लूट लेंगें." गुड्डी की कातिल अदा और मुस्कान कत्ल करने के लिये काफी थी.
जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनो हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकाल के पैसे गिन गिन के रख रही थी. गुड्डी ने जोड के बताया...४०% ड्रेसेज पे और ४८% बिकनी टाप, पे छूट. कुल मिला के ४२% छूट...फिर नाराज होके मेरी ओर देख के बोली,
" तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो. अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते. बाद कि बात किसने देखी है , कौन वो तुम्हारे उपर मुकदमा करता...और फिर मानलो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका. फिर इसी बहाने जान पहचान बढती है. अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना...तडपा दुंगी. बस अपने से ६१-६२ करते रहना...बल्की वो भी नहीं कर सकते हो...मैने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इस्तेमाल मत करना."
और उसके बाद जिस अदा से उसने मुस्करा के तिरछी नजर से मुझे देखा...मै बस बेहोश नहीं हुआ....
क्रमशः.....................
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" पैसा है तुम्हारे पास...चले हैं रिक्शे पे बैठने..." घुड़कते हुए वो बोली.
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" हे मेरा पर्स वो...लेकिन मैंने ...तो..." हिम्मत कर के मैंने बोलने की कोशिश की.
" जगह जगह नोटिस लगी रहती है...यात्री अपने सामान की सुरक्षा खुद करें ....लेकिन पढ़े लिखे हो के...मेरे पास कोई पर्स वर्स नहीं है..." बडबडाते हुए वो बोली और फिर जैसे मुझे दिखाते हुए उसने अपना बड़ा सा झोले ऐसा पर्स खोला...बाकायदा मेरा पर्स भी था और मोबाइल भी...ऊपर से वो मेरा पर्स निकाल के मुझे दिखाते हुए बोली...देखो मैं अपना पर्स कितना संभाल कर रखती हूँ...तुम्हारी तरह नहीं ..”
.और फिर जिप बंद कर दिया. उसमें मेरी पूरी महीने की सैलरी पड़ी थी.
और उसके बाद रास्ते के बात पे तो वो एक दम तेल पानी ले के मेरे ऊपर चढ़ गयी..
" बनारस की कौन है...मैं या तुम ..." वो आँख निकाल के बोली.
" तुम हो..." मैंने तुरंत हामी भर ली.
" फिर..."
मैं चुप रहा. ऐसे सवाल का जवाब देना भी नहीं चाहिए .
" अरे उलटा पड़ेगा...लेकिन तुम्हे तो बचपन से ही सब काम उलटे करने की आदत है...यहाँ से गौदालिया कित्ता पास है...बगल में वो लक्सा वाली रोड पे एक माल भी खुल गया है...नयी सड़क के बगल वाली गली में सब चीजे इतनी सस्ती मिलती हैं...लेकीन कल से तुम्हे रेस्ट हाउस जाने की जल्दी पड़ी है ...." फिर मुझे मनाते हुए मेरे कंधे पे हाथ रख के बोली.." अरे मेरे बुद्धू राम जी..मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ लेकिन इससे टाइम बचेगा...यहाँ की एक एक गलियां मैं जानती हूँ..."
लेकिन गुड्डी का सारा सामान ..एक बड़ा सा बैग उठा के तो मैं चल रहा था..ऊपर से जनाब जी ने तुर्रा ये की मना कर दिया था की मैं इसे अपने पीठ पे ना रखूं...
मैं बड़बड़ा रहा था..".गधे का बोझ उठा कर कौन चल रहा है..."
" जो गधे ऐसी चीज रखेगा...वही गधे का काम करेगा… और क्या..." उसने मुस्कराती आँखों से मुझे देखते हुए चिढाया. और साथ में बोली " अच्छा चलो अब ये ब्रा उतार दो बहोत देर से पहने हो हां तुम्हारा मन कर रहा हो तो अलग बात है..." आँख नचा के वो बोली.
और जैसे ही मैंने उतारा सम्हाल के उसने अपने बैग में रख लिया.
मेरी सारी थकान और गुस्सा एक मिनट में पिघल गया.
गली गली हम लोग थोडी ही देर में गौदौलिया चौराहे पे पहुंच गये. भीड, धक्कम धुका, जब की अभी शाम भी नहीं हुयी थी.
समय तो कम लगा...लेकिन मैं जो नहीं चाहता था वही हुआ. मेरी शर्ट पे आगे और पीछे , जो ’अच्छी अच्छी बातें’ मेरी और मेरी ममेरी बहन के बारे में रीत और गुड्डी ने लिखी थीं..एक दम खुले आम दावत देते हुये...सब उसे पढ रहे थे और मुझे घूर रहे थे. और कुछ देर बाद मेरे मोबाइल का मैसेज बजा.
था तो वो गुड्डी के बैग मे...लेकिन उस ने तुरत फुरत निकाला और मेरी ओर बढाया और बोली ...बधाइ हो तेरी ममेरी बहन की पहली बुकिन्ग आ गयी. उन दुष्टों ने मेरी शर्ट पे मेरे मोबाइल के ९ दिजिट लिख रखे थे और आखिरी नम्बर की जगह ऐस्टेरिक लगा रखा था. पहले तो मै सोच रह था कि ये सेफ है कौन दसवां नम्बर ढून्ड पायेगा...लेकिन लगता है ये उतना मुश्किल नहीं था. गुड्डी ने जो मेसेज दिखाया, उसमें लिखा था कि क्या दो के साथ एक फ्री होगा या कम से कम कुछ डिस्काउन्ट...गुड्डी ने मुझे दिखाते हुये वो मेसेज पहले तो रीत को पास किया और फिर मुझे दिखाते हुये जवाब भेज दिया..." आपकी पहली बूकिन्ग थी इस लिये स्पेशल डिस्काउन्ट...तीसरा...५० % डिस्काउंट पे...लेकिन पहले दो के साथ...साथ...." उसने मेरे रोकते रोकते मेसेज भेज दिया. और जबतक मोबाइल मैं उससे लेता वापस उसके पर्स में...बाद में मैने नोटिस किया कि वो हर मेसेज के जवाब के साथ साथ रीत का नम्बर दे रही थी आगे की सेटिन्ग के लिये और मेसेज डिलिट भी कर दे रही थी. यानि कि मै चाह के भी कुछ नहीं कर सकता था. तभी मुझे जोर का झटका जोर से लगा...मेरी ममेरी बह्न का तो पूरा नम्बर साल्लीयों ने मेरे शर्ट के पीछे टांक रखा है, तो उस बिचारी के पास तो सीधे ही और वो कित्ति इम्ब्रासेड फील कर रही होगी....( लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं, मेसेज उसको मिले और एक से एक ....लेकिन जैसा उसने गुड्डी से बोला, की उसे खूब मजा आया और उसने भी उसी अन्दाज में उन लोगों को जवाब दिया. कईयों को तो उसने अपनी मेल आई डी और फेस बुक पेज के बारे में भी बता दिया.
वो समझ गयी थी की ये होली क प्रैंक है और उसी स्प्रीट में मजा ले रही थी. गुड्डी को उसने दिखाया की कईयों ने तो उसे अपने ’ अंग विशेष ’ के फोटो भी भेज दिये थे एक बार इस्तेमाल करने की गुजारिश के साथ. असल में वो फोटुयें तो मेरे मोबाइल पे भी आयीं इस रिक्वेस्ट के साथ कि..
." राजा, अरे तुन्हु मजा ला तोहरि बहिनियो क मजा देब...एक बार में पूरा सटासट सटासट...सरसों क तेल लगा के...तनिको ना दुखायी...मजा जबरद्स्त आयी...’
और साईज भी एक से एक , लम्बे भी मोटे भी..मै अपने आप को शेर समझता था...लेकिन वो भी मेरे से २० नहीं तो १९ भी नहीं थे. खैर मैं ये कहां कि बात ले बैठा...ये बात तो मेरे घर पहुंचने के बाद के प्रसंग में आनी है.
वो समझ गयी थी की ये होली क प्रैंक है और उसी स्प्रीट में मजा ले रही थी. गुड्डी को उसने दिखाया की कईयों ने तो उसे अपने ’ अंग विशेष ’ के फोटो भी भेज दिये थे एक बार इस्तेमाल करने की गुजारिश के साथ. असल में वो फोटुयें तो मेरे मोबाइल पे भी आयीं इस रिक्वेस्ट के साथ कि...
" राजा, अरे तुन्हु मजा ला तोहरि बहिनियो क मजा देब...एक बार में पूरा सटासट सटासट...सरसों क तेल लगा के...तनिको ना दुखायी...मजा जबरद्स्त आयी...’
और साईज भी एक से एक , लम्बे भी मोटे भी..मै अपने आप को शेर समझता था...लेकिन वो भी मेरे से २० नहीं तो १९ भी नहीं थे. खैर मैं ये कहां कि बात ले बैठा...ये बात तो मेरे घर पहुंचने के बाद के प्रसंग में आनी है.
खैर हम जब दुकान में घुसे तो गुड्डी जी ने बहोत अहसान कर मेरा मोबाइल मुझे वापस कर दिया..लेकिन पर्स क्रेडिट कार्ड उसी कि मुट्ठी में...और जब उसने शापिन्ग कि लिस्ट निकाली...उसके हाथ से फर्श तक निकली. मेरी तो रूह कांप गयी. लेकिन मुझे वो कार्ड निकाल के दिखाते हुये बोली...चिन्ता मत करो बच्चे..मैने और रीत ने चेक कर लिया था...ये प्लेटीनम कार्ड है...२ लाख तक तो ओवर ड्राफ्ट मिलेगा...और इसमें भी बैलेन्स काफी है.." वो दुकान ड्रेसेज की थी.
" क्या साइज है..." उसने पूछा.
जोबन उभार के गुड्डी बोली
...बस मेरी हो साइज समझ लीजिये...क्यों "
मुस्करा के वो बोली तो दूकान दार से लेकिन पुष्टि के लिये उसने मेरी ओर देखा.
दुकान दार कभी गुड्डी की ओर देखता तो कभी मेरी शर्ट पे पेन्ट, इश्त हार पे . तब तक गुड्डी ने आर्डर पेश कर दिया....स्लिव लेस टाप, वो भी हो सके तो शियर...एक दम आइटम गर्ल टाईप और एक लो कट जीन्स...आप समझ गये ना..." दुकान दार समझ गया शायद और अन्दर चला गया...लेकिन मेरे समझ में नही आया.
"ये किसके लिये ले रही हो, कौन पहनेगा इतना बोल्ड वो भी ….”
" तुम्हारे खिचडी वाले शहर में है ना ....खिलखिलाती हुयी वो बोली. और कौन तुम्हारा माल...तुम्हारी ममेरी बहन...गुड्डी...रंजीता...अरे यार उसे पटाना चाहते हो, उससे सटाना चाह्ते हो....तो बाहर से जा रहे हो...होली क मौका है कुछ हाट हाट गिफ़्ट तो ले जानी चाहिये ना ...तभी तो चिडिया दाना चुगेगी.’
वो बाहर आया...और साथ मे कयी टाप, सब के सब स्लिव लेस, लो कट....लाल, गुलाबी, पीला... और आलमोस्ट शियर ...
मेरे तो पैरों के तले जमीं सरक गयी...ये कोई भी कैसे....लेकिन गुड्डी ने तब तक मेरे हाथ में से मोबाइल छीन लिया और एक पिकचर निकालती हुयी दूकान दार को दिखाया..वो बड़ी प्राइवेट सी फोटो थी..उसने दोनों हाथ एक दूसरे में बाँध के ..सर के पीछे...उभारों को उभार के...मस्ती की अदा में हॉट माडल्स की नक़ल में...मैंने बस मोबाइल से खिंच ली ..मेरी ममेरी बहन ने मुझसे कहा था की मैं डिलीट कर दूँ लेकिन मैंने बोला की यार मेरे मोबाइल में है कर दूंगा...बस वो गुड्डी के हाथ और वही पिक्चर ...फिर बोली ..ठीक है लेकिन एक नम्बर छोटा...
" हे हे..अरे थोडा कम... हाट पहनने लायक तो हो..." मैंने दूकान दार से रिक्वेस्ट की...
वो बिचारा फिर अन्दर गया. गुड्डी ने ठसके से बिना मुड़े मुझे सुनाते हुए बोला..." पहनेगी वो और उसकी सात पुस्त....और पहनाओगे तुम अपने हाथ से ..देखना..."
तब तक मेरे फ़ोन पे एक मेसेज आया. नम्बर फोन बुक में नहीं था...मैंने खोला तो लिखा था...
" अरे पांच के बदले पच्चास लग जाय...
बिन चोदे ना छोड़ब चाहे जेहल होय जा...अरे बनारस में आके जरूर मिलना ....हो गुड्डी..."
जब तक मैं ये मेसेज देख ही रहा था वो फिर निकला. अबकी उसने जो टाप दिखाए वो थोड़े कम हाट लेकिन तब भी स्लीव लेस तो थे ही.
" दोनों टाइप के एक एक दे दीजिये..." गुड्डी बोली. मैं इरादा बदलता उसके पहले गुड्डी ने आर्डर दे दिया.
" हे तू भी तो कोई ले ले..." मैंने गुड्डी को बोला...
वो न न कराती रही पर मैंने उसके लिए भी टाप, कैपरी और एक बहोत ही टाईट लो कट जींस ले ली.
दूकान दार के सामने ही मुझसे बोली...ये सब तो ठीक है तेरी वो इसके अन्दर कुछ नहीं पहनेगी क्या...बनारस वालों का तो फायदा हो जाएगा..लेकिन ..."
दुकान दार मुस्कराने लगा और बोला मैं अभी दिखाता हूँ..मेरे पास एक से एक हाट ब्रा पैंटी हैं...और सचमुच जब उसने निकाली तो हम देखते रह गये...एक से एक...कलर, कट, डिजाइन...विक्टोरिया’स सिक्रेट भी मात खा जाय. जो गुड्डी ने छांटी, कयामत थी...वो. एक तो स्किन कलर की ध्यान से ना देखो तो लगेगा ही नहीं कि अन्दर कुछ पहने हैं की नहीं. और पतली इतनी की निपल का आकार प्रकार सब सामने आ जाय...लेकिन दुकान दार नहीं माना.
"मेरी सलाह मानिये तो ये वालि ले जाइये..."और उसने अन्दर से चुन के एक निकाली..थी तो वो भी स्किन कलर की लेकिन सिर्फ हाफ कप, अन्डर वायर्ड...और साथ में हल्के सी पैडेड..." उभार उभर के सामने आयेन्गे...३० कि होगी तो ३२ कि दिखेगी, कप साइज भी एक बडा दिखेगा. क्लिवेज भी पूरा खुल के ...." अब गुड्डी के लिये सोचने की बात ही नहीं थी. उसने एक सेल्क्ट कर लिया. और साथ मेन एक सफेद भि. मैने दुकान्दर से कहा...इन के दो सेट दे देना. फिर वो पैन्टी ले आया. गुड्डी जब तक चुन रही थी...वो धीरे से आके बोला..." साह्ब...वो जो आखिरी एस. एम. एस. मिला होगा ना...वो मैने ही भेजा है."
मेर माथा ठनका...तो इसका मतलब...." पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोडब...जहे जेहल होइ जाय " वाला मेसेज इन्ही जनाब का था. तब तक गुड्डी ने दो थान्ग नुमा पैन्टी पसन्द कर ली थीं. मैने फिर उसे दो सेट का इशारा किया......पैक करते हुये वो बोला सही चुना आपने इम्पोर्टेड है.
तब तो दाम बहोत होगा..." गुड्डी ने चौन्क के पूछा....
" अरे रहने दिजिये आप से पैसे कौन मांगता है....वो मेर मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा..."
" मतलब...ऐसा कुछ नहीं है..."
मैं उसे रोकते हुये बोला लेकिन बीच में गुड्डी बोली,
" अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये....होली के बाद जब वो आयेगी ना तो आप के पास ले के आयेन्गे.. और फिर हम दोनो मिल के आप की दुकान लूट लेंगें." गुड्डी की कातिल अदा और मुस्कान कत्ल करने के लिये काफी थी.
जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनो हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकाल के पैसे गिन गिन के रख रही थी. गुड्डी ने जोड के बताया...४०% ड्रेसेज पे और ४८% बिकनी टाप, पे छूट. कुल मिला के ४२% छूट...फिर नाराज होके मेरी ओर देख के बोली,
" तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो. अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते. बाद कि बात किसने देखी है , कौन वो तुम्हारे उपर मुकदमा करता...और फिर मानलो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका. फिर इसी बहाने जान पहचान बढती है. अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना...तडपा दुंगी. बस अपने से ६१-६२ करते रहना...बल्की वो भी नहीं कर सकते हो...मैने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इस्तेमाल मत करना."
और उसके बाद जिस अदा से उसने मुस्करा के तिरछी नजर से मुझे देखा...मै बस बेहोश नहीं हुआ....
क्रमशः.....................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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