FUN-MAZA-MASTI
बुर की महक
सादर नमस्कार। मेरी कहानी अभी हाल ही की है, मेरी कहानी पढ़ कर मुझे एक महिला ने पत्र लिखा और मुझे से बात करने की ख्वाहिश जाहिर की। मैंने उनको उस पत्र का उत्तर दे दिया और उन्होंने मुझे याहू पर जोड़ लिया और फिर हमारी उनसे तीन दिन तक अलग-अलग विषय पर बात हुई, जिससे उनके मन का एक वहम या सही कहूँ डर था, निकल गया।
मैंने उनसे पूछा- आपने मुझसे बात की, क्या मैं जान सकता हूँ ऐसा क्यों किया?
तब उन्होंने जवाब दिया, “मैं आपको पूरा परख लेना चाहतीं थी और इसलिए बात कर रही थी।”
मैंने उनसे उनके बारे में कुछ नहीं पूछा था वो अपने आप बोलीं- मैं शादीशुदा हूँ और काम करती हूँ, मेरे शौहर भी बड़े ओहदे पर हैं और ज्यादातर विभागीय काम से बाहर रहना पड़ता है। उनका भी काम कुछ ऐसा ही है जिससे वो लोग माह में केवल चार दिन साथ रह पाते हैं !
मैंने कहा- आपने बताया नहीं, आप कहाँ से हैं? और मैं आपके पास कहाँ आ जाऊँ?
इस पर मोहतरमा ने बताया कि वो कानपुर की रहने वाली हैं और कुछ दिनों के लिए देहरादून के फार्म हाउस में रहेंगी। मुझे उनके साथ वहाँ एक हफ्ते रहना होगा। पैसे की कोई दिक्कत नहीं आयेगी लेकिन समय पूरा देना होगा।
मैं बोला- ठीक है लेकिन मेरी शर्त है।
इस पर बोली- क्या?
मैं बोला- आपको अपना स्वास्थ्य पत्र देना होगा, मैं आपको अपना दे दूँगा क्योंकि इस काम में कोई भी किसी भी तरह का यौन रोग लग सकता है।
महिला बोली- ठीक है, जब मैं वहाँ आ जाऊँगा तब मेरा और अपना साथ-साथ जांच करवा लेंगी।
उन्होंने अपना नाम नीलू बताया। नीलू ने मेरे अकाउंट में एडवांस रुपये दे दिए और मैं तुरंत ट्रेन से देहरादून पहुँच गया।
नीलू वहाँ पहले से थी और देहरादून स्टेशन पर लेने आई। मुझे लेकर वो सीधे क्लिनिक ले गई और मेरा और अपना खून जांच को दिया और वहाँ से उसके फार्म हॉउस गए।
वहाँ पर नीलू के पास दो काम करने वालीं लड़कियाँ थीं, वो लोग उसके फार्म हाउस में पीछे कमरे बने थे, उसी में रहती थीं।
वे लोग खाना बना कर और सफाई कर के अपने रूम पर चलीं जाती थीं। उस दिन हम लोग करीब दो बजे घर पहुँचे। उन लोगों ने खाना खिलाया और सफाई कर के चली गईं।
मुझे नीलू ने रूम दे दिया था, मैं वहाँ गया। थोड़ी देर बाद नीलू आई और मेर साथ आकर लेट गई।
बोली- अब बताओ कैसा लग रहा है?
मैं बोला- अच्छा है गर्मी ज्यादा नहीं है और मस्त जगह है और क्या चाहिए?
बोली- अब आप को मेरे साथ वही करना जो मैं चाहूँगी।
इस पर मैं बोला पड़ा, “आप बोलो कि जो मैं कहूँ, वही करो।
इस पर दोनों जोर से हँस पड़े।
उसने मुझे कहा- लड़कियाँ आज शाम को घर में नहीं आयेंगी, केवल सुबह उनको समय दिया है 9 से 12 और उस बीच आप अपने कपड़े पहनोगे, नहीं तो जो मैं दे रही हूँ, उसी में रहना होगा।
मैं बोला- ठीक है।
इसके बाद उसने सामान निकाला, एक से एक बढ़ कर सामान था। देख कर ही मन ललचा जाये, लेकिन अपना सोच बस यही है कि अपने काम से काम रखो, ईमानदारी से करो और चले जाओ।
उसने कुछ बोला नहीं। उसने अपना काम खत्म किया फिर उसने मुझे अपने अलमारी से एक बैग दिया जिसमें सामान रखा था। उसने पांच चड्डियाँ दीं, बहुत ही अजीब किस्म की थीं।
उनको बहुत नीचे से पहनते हैं और वह छोटी होकर कम से कम भाग जो आवश्यक है, को ढक कर रखती हैं, साथ में उसने बनियान दीं, जो थोड़ा लम्बी थीं। अगर पहन लो तो पता ही न चले की नीचे चड्डी पहनी है कि नहीं।
फिर उसमें से उसने कुछ बैंड दिए जिनको अपने लिंग पर चढ़ा लेना होता है, जिससे उनका आकार भिन्न हो जाता है।
हम लोग आराम से घर में थे ही, कोई चिंता की बात थी नहीं।
अब नीलू ने कहा- तैयार होकर आ जाओ।
मैं गया, नहाया और उसके दिए कपड़े को पहन कर आ गया।
इधर नीलू तो मिनी स्कर्ट में थी ही और ऊपर उसने एक छोटी शर्ट डाल ली थी। जब मैं गया तो उसने मुझे उठ कर अपनी बाँहों में ले लिया जिसके लिए मैं कतई तैयार नहीं था।
उसने कहा- मजा आ जायेगा।
फिर उसने कहा- मैं उसके घुटनों के बीच में अपना सिर रख कर नीचे बैठ जाऊँ।
मैं बैठ गया। उसका जाँघ गर्म थी और फिर सिर उसके जननांग से बिल्कुल नज़दीक था।
उसने मुझे कहा- आलोक जरा मेरी चड्डी निकाल दो।
मैंने उसकी आज्ञा तुरंत मान ली। उसको थोड़ा सा उठाया और नीचे से उसकी चड्डी खींच ली।
उसकी चड्डी उसके पानी से ऊपर की तरफ गीली हो गई थी।
उसने कहा- अच्छा अब जरा मेरी चड्डी का गीला हिस्सा अपने मुँह पर रख लो और वैसे ही थोड़ी देर रखो।
उसने जब देखा मैंने वैसे ही किया तो उसने फिर कहा- अब जरा अपनी सेवा करो !
और उसने मेरा सिर अपनी बुर के अंदर घुसा दिया। मेरी नाक उसके बुर के ऊपर थी और मेरा मुँह उसके बुर के ऊपर।
उसकी बुर की महक आ रही थी, जिससे मेरे कान गर्म हो गए। मैं समझ गया कि उसको क्या चाहिए और फिर मैं लग गया अपने पुराने काम पर, लगा उसकी बुर को चूसने और चाटने। उसकी बुर बिल्कुल गीली थी और उसका पानी निकल रहा था और मेरे चाटने की वजह से वो और खुल कर गीली हो गई, उसने मेरा मुँह अपनी चूत के अंदर और जोर से दबा दिया ताकि मैं और अंदर उसकी चूत के अंदर भगनासा को अपनी जबान से छू सकूँ।
उसने अपना पैर फैलाए नहीं थे, जिसकी वजह से मेरा मुँह उसके चूत के अंदर तक जा नहीं पा रहा था। और नीलू पैर फैला भी नहीं रही थी कारण यह था कि उसकी चूत और उसकी झिल्ली पर मेरे मुँह और नाक का दबाव पड़ रहा था और वो इसका मजा ले रही थी जबकि मैं उसकी चूत के अंदर तक चाटने की कोशिश कर रहा था।
हमारी चटाई की वजह से नीलू जोरदार अकड़ के साथ अपना पानी गिराने लगी।
उसका पानी थोड़ा नमकीन था, सोचा नहीं चाटूँगा, पर मस्त पानी निकला और मुँह दबा होने की वजह से पूरा मेरे मुँह में उतर गया।
नीलू थक कर सुस्त पड़ गई और कुर्सी के एक तरफ ढुलक गई, उसकी सांस फूल रही थी।
उसको मजा आया था। मैं वहाँ से उठा और अपना मुँह धोया और अपने दांत और गला साफ़ किया और उसके पास आकर बैठ गया।
मुझे छोटी चड्डी में डाल कर नीलू मजा ले रही थी, क्योंकि मेरा लिंग फूल कर बाहर झाँकने की कोशिश कर रहा था। उसको मजा आ रहा था। मेरे लिंग से भी चिकना पानी आ रहा था।
उसने मुझे कहा- यहाँ आओ।
और मैं गया तो उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे लिंग को पकड़ कर हाथ से खेलने लगी, वो उसको खींचती फिर उसका ऊपरी हिस्सा खोल देती और उसके छेद पर उंगली रगड़ कर मुझे ‘सिसकारी’ लेने को मजबूर करती। कभी उसके नीचे के जोड़ को रगड़ने लगती, जिसकी वजह से मेरा लिंग पानी निकालने को मजबूर हो गया।
नीलू भी यही चाह रही थी और वो मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैंने उसके मुँह में ही अपना वीर्य गिरा दिया और मुझे अचरज हुआ देख कर कि उसने वीर्य को इतने कायदे से पिया कि एक बूँद बाहर नहीं आई और मेरे लिंग को निचोड़ कर सारा वीर्य पी गई और फिर मुझे छोड़ दिया, बोली- जाओ, आराम कर लो।
मैं तो आराम कर ही चुका था, लेकिन इस काम में भी थकान आ ही जाती है। क्योंकि आप दूसरे के मन के हिसाब से काम कर रहे हैं आप अपने मन से नहीं कर पा रहे हैं।
उसने अपना कमर पर स्कर्ट का हुक खोला और लेट गई, उसकी सांस फूल रही थी, थक गई थी। मैं बोला- मैं अपने कमरे मैं जाऊँ या आपके कमरे में ही रहूँ?
बोली- तो आज अपने कमरे में ही रहो।
शायद उसको कुछ डर हो या पता नहीं?
मैं अपना कमरे में गया और टीवी ऑन कर के लेटे-लेटे समाचार देखने लगा और उसी में सो गया। गहरी नींद सोया कि पता ही न चला कि आस-पास क्या हुआ या जो भी बात हो जब जगा तो देखा नीलू सामान सजा कर मेरे पास ही कुर्सी पर बैठी थी। सामान भी क्या था चोकलेट, दलिया और एक बैंड लिए बैठी थी।
मैं बोला- यह क्या है?
बोली- बस तुम फ्रेश हो कर आ जाओ और वो नया करने जा रही है।
जब मैं आया तो बोली- जरा ये बैंड अपने लिंग और लटकन पर चढ़ा लो और मेरे पास आओ। मेरी झांट साफ़ नहीं थी, बाल अधिक से थे और जब बैंड चढ़ाया तो बाल खिंचने लगे और वो भी दर्द दे कर मजा ले रही थी।
लिंग पर रबड़ चढ़ गया तो वो पूरा अच्छे से तन कर खड़ा हो गया और रबड़ भी कैसा था कि लिंग पर एक तरफ से और दूसरी तरफ से पूरा लटकन पर उसके दो छल्ले थे।
अब उसने ढेर सारी क्रीम लिंग के ऊपर गिरा कर, लगी चूसने।
मुझे भी मजा आ रहा था। लिंग तन्नाया खड़ा और पानी नहीं निकाल रहा था।
अब मुझे समझ आया कि उसने बैंड क्यों लगाया था। वो देर तक चूस रही थी और मेरा पानी जल्दी नहीं गिरने वाला था।
जब अच्छे से चूस चुकी, तब उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो। उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया।
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया। उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो। उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया।
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया। उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
उसके बुर में छेद पर से उंगली से झाग हटाया, नहीं तो रेज़र से उसकी बुर कट जाती। उसको साफ़ कर के उसके बुर को साफ़ करने लगा। उसके बुर के किनारे को पकड़ कर उसके बाल धीरे से साफ़ करने लगा।
उसकी बुर चिकनी हो गई थी। बार-बार उसका किनारा छूट जाता था। बहुत आराम से काम करना था। उसके बुर के अंदर तक साफ़ कर के उसके ऊपर के बाल आराम से जल्दी साफ़ हो गए।
उसको कपड़े से पौंछ दिया और साफ़ पानी से धोया। उसको फिर पूछा, उसको मजा आ गया था।
लेटे हुए उसने अपनी आँख बंद कर लीं थी और शायद रंगीन सपने में सो गई थी।
मैंने भी एक काम किया, उसकी साफ़ चिकनी बुर को देखा, लम्बी चिकनी सटी हुई महीन फांक थी। इतनी साफ़ और कोई बच्चे हुए नहीं थे, इसलिए चौड़ी हुई नहीं।
उसकी बुर में मैंने चाकलेट के टुकड़े किये और डाल दिए। अंदर जाते ही वो पिघल गई। उसके बुर के अंदर मैंने बदमाशी में सारी चाकलेट डाल दी और सब उसके अंदर उसकी बुर की गर्मी से पिघल गई।
अब मैं अपने घुटने पर बैठ कर उसके बुर में अपनी जुबान से चाकलेट लगा चाटने और उसके बुर की सफाई करने लगा।
नीलू तो मजा ले रही थी और जैसे-जैसे माल कम हो रहा था। मुझे मेहनत के साथ उसकी बुर खींच कर खोल कर अंदर तक चाटना पड़ रहा था। मैंने उसकी सारी बुर साफ़ कर दी। नीलू ऐंठ कर पड़ी रही। उसका पानी बह चुका था।
उसने मुझे कहा- आलोक, वाकयी में मजा आ रहा है।
उसने कहा- आज मजा आ गया, मैं सोच रही थी कि देखूँ तू इसमें क्या करता है, और तुमने मेरा दिल बाग़-बाग़ कर दिया।
वो उठी और बोली- चलो अब नाश्ता कर लो।
मैं बोला- इतना अच्छा नाश्ता तो किया है।
तो वो जोर से हंसी फिर बोली- अभी लड़कियाँ खाना बनाने आ जायेंगी। तुमको अपने कपड़े बदलने होंगे। उनके सामने चड्डी में रहोगे?
मैं बोला- अगर तुम कहो तो क्या फर्क पड़ता है, रह लूँगा।
नीलू फिर जोर से हंसी बोली- अच्छा चलो अब आ जाओ।
फिर हम लोग नाश्ता करने बैठ गए, नाश्ता किया, मैंने दलिया खाया।
उसने कहा- कुछ और लो।
मैंने नहीं लिया और फिर उठ कर फ्रिज से अनार और तरबूज निकाल लिया। उसको साफ़ कर के मैंने अनार और फिर तरबूज खाया और फिर अपनी मैगजीन लेकर पढ़ने लगा, और नीलू अपने कमरे मैं जाकर अपना काम करने लगी।
थोड़ी देर में लड़कियाँ आईं और काम करने लगीं। काम खत्म कर नीलू को बता कर घंटे भर में चल गई।
नीलू बोली- आलोक, तुम कहीं घूमना चाहो तो चलो बाहर होकर आयेंगे।
मैं बोला- अगर आप चलना चाहो तो चलो।
बोली- चलो पास ही थोड़ी देर का रास्ता है नदी तक होकर आते हैं।
मैं बोला- चलो।
नीलू ने अपनी कार निकाली और हम लोग निकल गए। नदी वहाँ से दूर थी। असल में वो एक झरना था, जिसका पानी वहाँ से हो कर निकल रहा था। गर्मी तो थी ही, और दिन का समय था।
मैं बोला- यहाँ पर नहीं जाये।
नीलू बोली- मैं तो कपड़े लाई नहीं, इसलिए मैं तो पानी में नहीं जाऊँगी। अगर तुम लाये हो तो जाओ।
मैं बोला- मैं कौन सा कपड़ा लाया हूँ। बस मुझे तो चड्डी चाहिए, मैं उसी में नहा लूँगा।
मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और पानी में उतर गया। पानी तो ठंडा था लेकिन मजा आ गया। ज्यादा पानी भी नहीं था कि देर लगे। मुझे नहाते देखकर नीलू वहीं पर बैठ गई और मुझे देखने लगी।
मैं बोला नहाना हो तो आ जाओ। तुम यहाँ पर अपनी बिकिनी में नहा लो, कोई है भी नहीं जो देखे।
नीलू तैयार नहीं हुई, फिर मैं निकल आया और अपनी चड्डी उतार कर दूसरी पहन ली और कपड़े पहन कर कार में आ गया।
नीलू बोली- तुम नहाते वक़्त मस्त लग रहे थे। तुमको देख कर लग रहा था कि बस चूम लूँ।
मैं बोला- अरे मैडम, क्या बोलती हो आप?
बोली- सही।
और फिर हम लोग वहाँ से वापस फार्म हाउस आ गये।
नीलू आकर तुरंत गई, अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर फ्रिज से संतरे का जूस निकाल कर पिया।
मुझसे बोली- तुम क्या लोगे?
मैं बोला- मैं तो अनार या तरबूज लूँगा।
नीलू बोल पड़ी, “अरे यार तुम तरबूज क्यों लेना चाहते हो?
मैं बोला- गर्मी का फल है, ले लो। संतरे का जूस तो कभी भी मिल जायेगा।
वो जोर से हंसी, बोली- ले लो, ले लो।
मैंने अपना फल खाया और बोला- नीलू मैडम अगर आप बोलो तो मैं थोड़ा आराम कर लूँ, नदी मैं नहाने से थकान आ गई है।
बोली- जाओ, मैं अपना काम कर लूँ फिर बुलाती हूँ।
वो अपने कमरे मैं चली गई।
मैं अपने कमरे में आया और चड्डी पहन कर लेट गया और जल्दी ही सो गया। थका तो था ही, अच्छी नींद आ गई।
नीलू ने मुझे तकरीबन दो घंटे बाद जगाया, तकरीबन तीन बजे थे।
बोली- चलो कुछ काम करो, आज मेरी अपने ढंग से जो सेवा करो, मैं लूँगी और फिर वहीं पर लेट गई।
मैंने उसको बोला- तुम आज क्या पसंद करोगी, दोपहर में क्या करूँ?
बोली- जो चाहे करो।
मैं समझ गया, आज इसको बुर में तेज़ खुजली हो रही है।
मैं बोला- चलो अब नया ही करूँ।
उसका मन ललचा रहा था कि पिछली रात की तरह उसकी बुर को मैं फिर चूसूं, उससे खेलूँ।
मैं उसके पास ही बैठ कर उसकी स्कर्ट हटा कर उसको ऊपर से नंगा कर दिया। फिर उसके बुर पर अपनी थूक लगाया, उसको थोड़ा चिकना किया और उसको सहलाने लगा।
फिर मैंने सोचा कि चोदने से अच्छा है, मालिश से ही इसका पानी निकाल दूँ क्योंकि इसने अभी तक इसका मजा लिया नहीं था।
मैं उठ कर तेल लाया और उसके बुर को तेल से नहला दिया। उसकी बुर साफ़ चिकनी थी और तेल से और चमचमा गई थी।
फिर क्या था, मेरा हाथ उसके ऊपर लगा भागने, उसकी बुर से लेकर गांड तक तेल भर दिया। उसके बुर की ऊपरी पारी को धीरे-धीरे मालिश करने लगा, उसकी पारी लाल हो गई।
उसको थोड़ी देर मसलने से ही नीलू के पसीना आ गया था जबकि कमरे में वातनुकूलित यंत्र चल रहा था।
उसको देख कर कोई भी कह सकता था कि अब कोई भी उसके अंदर लिंग डाल कर उसको ठंडा कर दे। लेकिन मेरा यह काम नहीं था। फिर मैंने उसके ऊपर की पारी को छोड़ कर उसकी दोनों तरफ की पुत्तियों को मसलना शुरू किया। इस क्रिया ने उसको मचला दिया।
वो बार-बार उठ कर बैठ जाती। उसको बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी एक-एक फांक की आराम से मालिश की, अब उसका पानी निकाल रहा था, जो तेल में मिलकर उसको थोड़ा भरी कर रहा था।
मैं आराम से उसको मसाज देने के बाद अपनी उंगली उसके अंदर प्रविष्ट कर दी, जिससे वो गनगना गई। फिर उसके योनि के अंदर उसके ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे मालिश करने लगा। उसकी इस वजह से उतेज्ना चरम पर आ गई।
वो बिल्कुल लाल हो चुकी थी पसीने से तर। उसके भगनासे की झालर को धीरे से छेड़ दिया और फिर क्या था, नीलू उठ कर बस लिपट गई और मेरा चड्डी निकालकर मेरे लिंग को जबरन अपने योनि में डाल लिया।
फिर क्या था! लगा गाड़ी चलाने और थोड़ी देर में मेरा वीर्य उसके योनि में भर गया। वो निढाल पड़ी थी, पसीने से तर और उसको कुछ सूझ नहीं रहा था।
मैं भी थक कर उसके ऊपर पड़ा था। उसको शायद अच्छा लग रहा था, मेरा उसके ऊपर पड़ा रहना। उसकी थकान दूर हो रही थी। मैं उसके ऊपर पड़ा रहा।
फिर जब लिंग खुद-ब-खुद बाहर आ गया, मैं उठा और अपने को साफ़ कर के कपड़े पहन कर बैठ गया, और नीलू वहीं आखें बंद करके पड़ी रही। शायद नीलू सो गई थी। मैं कुछ देर बाद वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चला गया।
तकरीबन दो घंटे बाद नीलू आई, और बोली- मजा आ गया यार, बहुत अच्छा लगा आज।
मैं बोला- चलो, मेरा काम आपको पसंद आया यही अपनी तारीफ है।
उसने कहा- आलोक, देखने में तुम साधारण लगते हो लेकिन तुम काम सटीक करते हो। कोई बड़ा या मोटा लिंग न होकर के भी साधारण में भी तुम अच्छा काम कर लेते हो।
फिर हम लोगों ने खाना खाया और बात करते हुए रात तकरीबन गयारह बजा दिए।
तभी नीलू को कोई फोन आया और बात करने के बाद बोली- आलोक, हम लोग कल शाम को निकलेंगे, क्योंकि मुझे एक काम आ गया है। जिसको करना जरूरी होगा।
मैं बोला- जैसा आप बोलो।
फिर उसने कहा- आज रात तुम मेरे बुर की चुसाई जरूर कर देना, क्योंकि पहले दिन जो किया था, उसने मुझे पागल बना दिया है। आज तुमको मैं कुछ और सामान डालकर चूसने को कहूँगी।
वो दलिया लाई और कहा- आज इसको मेरे बुर में डाल कर खाओ, देखूँ तो।
मैं बोला- चलो, आज यह भी करके देखते हैं।
रात एक बज गया था। मैं आया और नीलू भी अपने बुर को साफ़ कर के आ गई थी।
मैंने उसको वहीं पर चित लेटा कर उसके बुर में चम्मच से दलिया डाल दिया। फिर मुँह उसके बुर के अंदर अपनी जीभ डाल-डाल कर खाने लगा।
उसको तो चूत चटवाने का ही चस्का लग गया था।
उसने कहा- तुमको दलिया डालने की जरूरत नहीं है, वो डालती जाएगी और मैं उसको साफ़ करूं।
वो डालती जाती और मैं खाता जाता। उसका पानी निकल आया था। आज पानी थोड़ा दूसरा निकला। उसका पानी सफ़ेद था। मैं उसको भी चाट गया।
उसने मुझे कहा- यार बस अब चाट लिया और जाओ लेट जाओ।
मैं उठ गया, अपने को फ्रेश किया और सो गया। सुबह मैं देर तक सोया हुआ था। तकरीबन 11 बजे जगा। नीलू नहा कर तैयारी कर रही थी।
उसने कहा- चलो फ्रेश होकर तैयार हो जाओ, एक घंटे के बाद निकल जायेंगे।
फिर मैं जल्दी फ्रेश होकर निकल गया, स्टेशन पर मुझे छोड़ कर नीलू एयरपोर्ट चली गई और मैं वापस आ गया।
आप सब पाठकों से निवेदन है कि आप अपनी राय जरूर दें !
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बुर की महक
सादर नमस्कार। मेरी कहानी अभी हाल ही की है, मेरी कहानी पढ़ कर मुझे एक महिला ने पत्र लिखा और मुझे से बात करने की ख्वाहिश जाहिर की। मैंने उनको उस पत्र का उत्तर दे दिया और उन्होंने मुझे याहू पर जोड़ लिया और फिर हमारी उनसे तीन दिन तक अलग-अलग विषय पर बात हुई, जिससे उनके मन का एक वहम या सही कहूँ डर था, निकल गया।
मैंने उनसे पूछा- आपने मुझसे बात की, क्या मैं जान सकता हूँ ऐसा क्यों किया?
तब उन्होंने जवाब दिया, “मैं आपको पूरा परख लेना चाहतीं थी और इसलिए बात कर रही थी।”
मैंने उनसे उनके बारे में कुछ नहीं पूछा था वो अपने आप बोलीं- मैं शादीशुदा हूँ और काम करती हूँ, मेरे शौहर भी बड़े ओहदे पर हैं और ज्यादातर विभागीय काम से बाहर रहना पड़ता है। उनका भी काम कुछ ऐसा ही है जिससे वो लोग माह में केवल चार दिन साथ रह पाते हैं !
मैंने कहा- आपने बताया नहीं, आप कहाँ से हैं? और मैं आपके पास कहाँ आ जाऊँ?
इस पर मोहतरमा ने बताया कि वो कानपुर की रहने वाली हैं और कुछ दिनों के लिए देहरादून के फार्म हाउस में रहेंगी। मुझे उनके साथ वहाँ एक हफ्ते रहना होगा। पैसे की कोई दिक्कत नहीं आयेगी लेकिन समय पूरा देना होगा।
मैं बोला- ठीक है लेकिन मेरी शर्त है।
इस पर बोली- क्या?
मैं बोला- आपको अपना स्वास्थ्य पत्र देना होगा, मैं आपको अपना दे दूँगा क्योंकि इस काम में कोई भी किसी भी तरह का यौन रोग लग सकता है।
महिला बोली- ठीक है, जब मैं वहाँ आ जाऊँगा तब मेरा और अपना साथ-साथ जांच करवा लेंगी।
उन्होंने अपना नाम नीलू बताया। नीलू ने मेरे अकाउंट में एडवांस रुपये दे दिए और मैं तुरंत ट्रेन से देहरादून पहुँच गया।
नीलू वहाँ पहले से थी और देहरादून स्टेशन पर लेने आई। मुझे लेकर वो सीधे क्लिनिक ले गई और मेरा और अपना खून जांच को दिया और वहाँ से उसके फार्म हॉउस गए।
वहाँ पर नीलू के पास दो काम करने वालीं लड़कियाँ थीं, वो लोग उसके फार्म हाउस में पीछे कमरे बने थे, उसी में रहती थीं।
वे लोग खाना बना कर और सफाई कर के अपने रूम पर चलीं जाती थीं। उस दिन हम लोग करीब दो बजे घर पहुँचे। उन लोगों ने खाना खिलाया और सफाई कर के चली गईं।
मुझे नीलू ने रूम दे दिया था, मैं वहाँ गया। थोड़ी देर बाद नीलू आई और मेर साथ आकर लेट गई।
बोली- अब बताओ कैसा लग रहा है?
मैं बोला- अच्छा है गर्मी ज्यादा नहीं है और मस्त जगह है और क्या चाहिए?
बोली- अब आप को मेरे साथ वही करना जो मैं चाहूँगी।
इस पर मैं बोला पड़ा, “आप बोलो कि जो मैं कहूँ, वही करो।
इस पर दोनों जोर से हँस पड़े।
उसने मुझे कहा- लड़कियाँ आज शाम को घर में नहीं आयेंगी, केवल सुबह उनको समय दिया है 9 से 12 और उस बीच आप अपने कपड़े पहनोगे, नहीं तो जो मैं दे रही हूँ, उसी में रहना होगा।
मैं बोला- ठीक है।
इसके बाद उसने सामान निकाला, एक से एक बढ़ कर सामान था। देख कर ही मन ललचा जाये, लेकिन अपना सोच बस यही है कि अपने काम से काम रखो, ईमानदारी से करो और चले जाओ।
उसने कुछ बोला नहीं। उसने अपना काम खत्म किया फिर उसने मुझे अपने अलमारी से एक बैग दिया जिसमें सामान रखा था। उसने पांच चड्डियाँ दीं, बहुत ही अजीब किस्म की थीं।
उनको बहुत नीचे से पहनते हैं और वह छोटी होकर कम से कम भाग जो आवश्यक है, को ढक कर रखती हैं, साथ में उसने बनियान दीं, जो थोड़ा लम्बी थीं। अगर पहन लो तो पता ही न चले की नीचे चड्डी पहनी है कि नहीं।
फिर उसमें से उसने कुछ बैंड दिए जिनको अपने लिंग पर चढ़ा लेना होता है, जिससे उनका आकार भिन्न हो जाता है।
हम लोग आराम से घर में थे ही, कोई चिंता की बात थी नहीं।
अब नीलू ने कहा- तैयार होकर आ जाओ।
मैं गया, नहाया और उसके दिए कपड़े को पहन कर आ गया।
इधर नीलू तो मिनी स्कर्ट में थी ही और ऊपर उसने एक छोटी शर्ट डाल ली थी। जब मैं गया तो उसने मुझे उठ कर अपनी बाँहों में ले लिया जिसके लिए मैं कतई तैयार नहीं था।
उसने कहा- मजा आ जायेगा।
फिर उसने कहा- मैं उसके घुटनों के बीच में अपना सिर रख कर नीचे बैठ जाऊँ।
मैं बैठ गया। उसका जाँघ गर्म थी और फिर सिर उसके जननांग से बिल्कुल नज़दीक था।
उसने मुझे कहा- आलोक जरा मेरी चड्डी निकाल दो।
मैंने उसकी आज्ञा तुरंत मान ली। उसको थोड़ा सा उठाया और नीचे से उसकी चड्डी खींच ली।
उसकी चड्डी उसके पानी से ऊपर की तरफ गीली हो गई थी।
उसने कहा- अच्छा अब जरा मेरी चड्डी का गीला हिस्सा अपने मुँह पर रख लो और वैसे ही थोड़ी देर रखो।
उसने जब देखा मैंने वैसे ही किया तो उसने फिर कहा- अब जरा अपनी सेवा करो !
और उसने मेरा सिर अपनी बुर के अंदर घुसा दिया। मेरी नाक उसके बुर के ऊपर थी और मेरा मुँह उसके बुर के ऊपर।
उसकी बुर की महक आ रही थी, जिससे मेरे कान गर्म हो गए। मैं समझ गया कि उसको क्या चाहिए और फिर मैं लग गया अपने पुराने काम पर, लगा उसकी बुर को चूसने और चाटने। उसकी बुर बिल्कुल गीली थी और उसका पानी निकल रहा था और मेरे चाटने की वजह से वो और खुल कर गीली हो गई, उसने मेरा मुँह अपनी चूत के अंदर और जोर से दबा दिया ताकि मैं और अंदर उसकी चूत के अंदर भगनासा को अपनी जबान से छू सकूँ।
उसने अपना पैर फैलाए नहीं थे, जिसकी वजह से मेरा मुँह उसके चूत के अंदर तक जा नहीं पा रहा था। और नीलू पैर फैला भी नहीं रही थी कारण यह था कि उसकी चूत और उसकी झिल्ली पर मेरे मुँह और नाक का दबाव पड़ रहा था और वो इसका मजा ले रही थी जबकि मैं उसकी चूत के अंदर तक चाटने की कोशिश कर रहा था।
हमारी चटाई की वजह से नीलू जोरदार अकड़ के साथ अपना पानी गिराने लगी।
उसका पानी थोड़ा नमकीन था, सोचा नहीं चाटूँगा, पर मस्त पानी निकला और मुँह दबा होने की वजह से पूरा मेरे मुँह में उतर गया।
नीलू थक कर सुस्त पड़ गई और कुर्सी के एक तरफ ढुलक गई, उसकी सांस फूल रही थी।
उसको मजा आया था। मैं वहाँ से उठा और अपना मुँह धोया और अपने दांत और गला साफ़ किया और उसके पास आकर बैठ गया।
मुझे छोटी चड्डी में डाल कर नीलू मजा ले रही थी, क्योंकि मेरा लिंग फूल कर बाहर झाँकने की कोशिश कर रहा था। उसको मजा आ रहा था। मेरे लिंग से भी चिकना पानी आ रहा था।
उसने मुझे कहा- यहाँ आओ।
और मैं गया तो उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे लिंग को पकड़ कर हाथ से खेलने लगी, वो उसको खींचती फिर उसका ऊपरी हिस्सा खोल देती और उसके छेद पर उंगली रगड़ कर मुझे ‘सिसकारी’ लेने को मजबूर करती। कभी उसके नीचे के जोड़ को रगड़ने लगती, जिसकी वजह से मेरा लिंग पानी निकालने को मजबूर हो गया।
नीलू भी यही चाह रही थी और वो मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैंने उसके मुँह में ही अपना वीर्य गिरा दिया और मुझे अचरज हुआ देख कर कि उसने वीर्य को इतने कायदे से पिया कि एक बूँद बाहर नहीं आई और मेरे लिंग को निचोड़ कर सारा वीर्य पी गई और फिर मुझे छोड़ दिया, बोली- जाओ, आराम कर लो।
मैं तो आराम कर ही चुका था, लेकिन इस काम में भी थकान आ ही जाती है। क्योंकि आप दूसरे के मन के हिसाब से काम कर रहे हैं आप अपने मन से नहीं कर पा रहे हैं।
उसने अपना कमर पर स्कर्ट का हुक खोला और लेट गई, उसकी सांस फूल रही थी, थक गई थी। मैं बोला- मैं अपने कमरे मैं जाऊँ या आपके कमरे में ही रहूँ?
बोली- तो आज अपने कमरे में ही रहो।
शायद उसको कुछ डर हो या पता नहीं?
मैं अपना कमरे में गया और टीवी ऑन कर के लेटे-लेटे समाचार देखने लगा और उसी में सो गया। गहरी नींद सोया कि पता ही न चला कि आस-पास क्या हुआ या जो भी बात हो जब जगा तो देखा नीलू सामान सजा कर मेरे पास ही कुर्सी पर बैठी थी। सामान भी क्या था चोकलेट, दलिया और एक बैंड लिए बैठी थी।
मैं बोला- यह क्या है?
बोली- बस तुम फ्रेश हो कर आ जाओ और वो नया करने जा रही है।
जब मैं आया तो बोली- जरा ये बैंड अपने लिंग और लटकन पर चढ़ा लो और मेरे पास आओ। मेरी झांट साफ़ नहीं थी, बाल अधिक से थे और जब बैंड चढ़ाया तो बाल खिंचने लगे और वो भी दर्द दे कर मजा ले रही थी।
लिंग पर रबड़ चढ़ गया तो वो पूरा अच्छे से तन कर खड़ा हो गया और रबड़ भी कैसा था कि लिंग पर एक तरफ से और दूसरी तरफ से पूरा लटकन पर उसके दो छल्ले थे।
अब उसने ढेर सारी क्रीम लिंग के ऊपर गिरा कर, लगी चूसने।
मुझे भी मजा आ रहा था। लिंग तन्नाया खड़ा और पानी नहीं निकाल रहा था।
अब मुझे समझ आया कि उसने बैंड क्यों लगाया था। वो देर तक चूस रही थी और मेरा पानी जल्दी नहीं गिरने वाला था।
जब अच्छे से चूस चुकी, तब उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो। उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया।
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया। उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो। उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया।
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया। उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके। फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया।
उसके बुर में छेद पर से उंगली से झाग हटाया, नहीं तो रेज़र से उसकी बुर कट जाती। उसको साफ़ कर के उसके बुर को साफ़ करने लगा। उसके बुर के किनारे को पकड़ कर उसके बाल धीरे से साफ़ करने लगा।
उसकी बुर चिकनी हो गई थी। बार-बार उसका किनारा छूट जाता था। बहुत आराम से काम करना था। उसके बुर के अंदर तक साफ़ कर के उसके ऊपर के बाल आराम से जल्दी साफ़ हो गए।
उसको कपड़े से पौंछ दिया और साफ़ पानी से धोया। उसको फिर पूछा, उसको मजा आ गया था।
लेटे हुए उसने अपनी आँख बंद कर लीं थी और शायद रंगीन सपने में सो गई थी।
मैंने भी एक काम किया, उसकी साफ़ चिकनी बुर को देखा, लम्बी चिकनी सटी हुई महीन फांक थी। इतनी साफ़ और कोई बच्चे हुए नहीं थे, इसलिए चौड़ी हुई नहीं।
उसकी बुर में मैंने चाकलेट के टुकड़े किये और डाल दिए। अंदर जाते ही वो पिघल गई। उसके बुर के अंदर मैंने बदमाशी में सारी चाकलेट डाल दी और सब उसके अंदर उसकी बुर की गर्मी से पिघल गई।
अब मैं अपने घुटने पर बैठ कर उसके बुर में अपनी जुबान से चाकलेट लगा चाटने और उसके बुर की सफाई करने लगा।
नीलू तो मजा ले रही थी और जैसे-जैसे माल कम हो रहा था। मुझे मेहनत के साथ उसकी बुर खींच कर खोल कर अंदर तक चाटना पड़ रहा था। मैंने उसकी सारी बुर साफ़ कर दी। नीलू ऐंठ कर पड़ी रही। उसका पानी बह चुका था।
उसने मुझे कहा- आलोक, वाकयी में मजा आ रहा है।
उसने कहा- आज मजा आ गया, मैं सोच रही थी कि देखूँ तू इसमें क्या करता है, और तुमने मेरा दिल बाग़-बाग़ कर दिया।
वो उठी और बोली- चलो अब नाश्ता कर लो।
मैं बोला- इतना अच्छा नाश्ता तो किया है।
तो वो जोर से हंसी फिर बोली- अभी लड़कियाँ खाना बनाने आ जायेंगी। तुमको अपने कपड़े बदलने होंगे। उनके सामने चड्डी में रहोगे?
मैं बोला- अगर तुम कहो तो क्या फर्क पड़ता है, रह लूँगा।
नीलू फिर जोर से हंसी बोली- अच्छा चलो अब आ जाओ।
फिर हम लोग नाश्ता करने बैठ गए, नाश्ता किया, मैंने दलिया खाया।
उसने कहा- कुछ और लो।
मैंने नहीं लिया और फिर उठ कर फ्रिज से अनार और तरबूज निकाल लिया। उसको साफ़ कर के मैंने अनार और फिर तरबूज खाया और फिर अपनी मैगजीन लेकर पढ़ने लगा, और नीलू अपने कमरे मैं जाकर अपना काम करने लगी।
थोड़ी देर में लड़कियाँ आईं और काम करने लगीं। काम खत्म कर नीलू को बता कर घंटे भर में चल गई।
नीलू बोली- आलोक, तुम कहीं घूमना चाहो तो चलो बाहर होकर आयेंगे।
मैं बोला- अगर आप चलना चाहो तो चलो।
बोली- चलो पास ही थोड़ी देर का रास्ता है नदी तक होकर आते हैं।
मैं बोला- चलो।
नीलू ने अपनी कार निकाली और हम लोग निकल गए। नदी वहाँ से दूर थी। असल में वो एक झरना था, जिसका पानी वहाँ से हो कर निकल रहा था। गर्मी तो थी ही, और दिन का समय था।
मैं बोला- यहाँ पर नहीं जाये।
नीलू बोली- मैं तो कपड़े लाई नहीं, इसलिए मैं तो पानी में नहीं जाऊँगी। अगर तुम लाये हो तो जाओ।
मैं बोला- मैं कौन सा कपड़ा लाया हूँ। बस मुझे तो चड्डी चाहिए, मैं उसी में नहा लूँगा।
मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और पानी में उतर गया। पानी तो ठंडा था लेकिन मजा आ गया। ज्यादा पानी भी नहीं था कि देर लगे। मुझे नहाते देखकर नीलू वहीं पर बैठ गई और मुझे देखने लगी।
मैं बोला नहाना हो तो आ जाओ। तुम यहाँ पर अपनी बिकिनी में नहा लो, कोई है भी नहीं जो देखे।
नीलू तैयार नहीं हुई, फिर मैं निकल आया और अपनी चड्डी उतार कर दूसरी पहन ली और कपड़े पहन कर कार में आ गया।
नीलू बोली- तुम नहाते वक़्त मस्त लग रहे थे। तुमको देख कर लग रहा था कि बस चूम लूँ।
मैं बोला- अरे मैडम, क्या बोलती हो आप?
बोली- सही।
और फिर हम लोग वहाँ से वापस फार्म हाउस आ गये।
नीलू आकर तुरंत गई, अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर फ्रिज से संतरे का जूस निकाल कर पिया।
मुझसे बोली- तुम क्या लोगे?
मैं बोला- मैं तो अनार या तरबूज लूँगा।
नीलू बोल पड़ी, “अरे यार तुम तरबूज क्यों लेना चाहते हो?
मैं बोला- गर्मी का फल है, ले लो। संतरे का जूस तो कभी भी मिल जायेगा।
वो जोर से हंसी, बोली- ले लो, ले लो।
मैंने अपना फल खाया और बोला- नीलू मैडम अगर आप बोलो तो मैं थोड़ा आराम कर लूँ, नदी मैं नहाने से थकान आ गई है।
बोली- जाओ, मैं अपना काम कर लूँ फिर बुलाती हूँ।
वो अपने कमरे मैं चली गई।
मैं अपने कमरे में आया और चड्डी पहन कर लेट गया और जल्दी ही सो गया। थका तो था ही, अच्छी नींद आ गई।
नीलू ने मुझे तकरीबन दो घंटे बाद जगाया, तकरीबन तीन बजे थे।
बोली- चलो कुछ काम करो, आज मेरी अपने ढंग से जो सेवा करो, मैं लूँगी और फिर वहीं पर लेट गई।
मैंने उसको बोला- तुम आज क्या पसंद करोगी, दोपहर में क्या करूँ?
बोली- जो चाहे करो।
मैं समझ गया, आज इसको बुर में तेज़ खुजली हो रही है।
मैं बोला- चलो अब नया ही करूँ।
उसका मन ललचा रहा था कि पिछली रात की तरह उसकी बुर को मैं फिर चूसूं, उससे खेलूँ।
मैं उसके पास ही बैठ कर उसकी स्कर्ट हटा कर उसको ऊपर से नंगा कर दिया। फिर उसके बुर पर अपनी थूक लगाया, उसको थोड़ा चिकना किया और उसको सहलाने लगा।
फिर मैंने सोचा कि चोदने से अच्छा है, मालिश से ही इसका पानी निकाल दूँ क्योंकि इसने अभी तक इसका मजा लिया नहीं था।
मैं उठ कर तेल लाया और उसके बुर को तेल से नहला दिया। उसकी बुर साफ़ चिकनी थी और तेल से और चमचमा गई थी।
फिर क्या था, मेरा हाथ उसके ऊपर लगा भागने, उसकी बुर से लेकर गांड तक तेल भर दिया। उसके बुर की ऊपरी पारी को धीरे-धीरे मालिश करने लगा, उसकी पारी लाल हो गई।
उसको थोड़ी देर मसलने से ही नीलू के पसीना आ गया था जबकि कमरे में वातनुकूलित यंत्र चल रहा था।
उसको देख कर कोई भी कह सकता था कि अब कोई भी उसके अंदर लिंग डाल कर उसको ठंडा कर दे। लेकिन मेरा यह काम नहीं था। फिर मैंने उसके ऊपर की पारी को छोड़ कर उसकी दोनों तरफ की पुत्तियों को मसलना शुरू किया। इस क्रिया ने उसको मचला दिया।
वो बार-बार उठ कर बैठ जाती। उसको बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी एक-एक फांक की आराम से मालिश की, अब उसका पानी निकाल रहा था, जो तेल में मिलकर उसको थोड़ा भरी कर रहा था।
मैं आराम से उसको मसाज देने के बाद अपनी उंगली उसके अंदर प्रविष्ट कर दी, जिससे वो गनगना गई। फिर उसके योनि के अंदर उसके ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे मालिश करने लगा। उसकी इस वजह से उतेज्ना चरम पर आ गई।
वो बिल्कुल लाल हो चुकी थी पसीने से तर। उसके भगनासे की झालर को धीरे से छेड़ दिया और फिर क्या था, नीलू उठ कर बस लिपट गई और मेरा चड्डी निकालकर मेरे लिंग को जबरन अपने योनि में डाल लिया।
फिर क्या था! लगा गाड़ी चलाने और थोड़ी देर में मेरा वीर्य उसके योनि में भर गया। वो निढाल पड़ी थी, पसीने से तर और उसको कुछ सूझ नहीं रहा था।
मैं भी थक कर उसके ऊपर पड़ा था। उसको शायद अच्छा लग रहा था, मेरा उसके ऊपर पड़ा रहना। उसकी थकान दूर हो रही थी। मैं उसके ऊपर पड़ा रहा।
फिर जब लिंग खुद-ब-खुद बाहर आ गया, मैं उठा और अपने को साफ़ कर के कपड़े पहन कर बैठ गया, और नीलू वहीं आखें बंद करके पड़ी रही। शायद नीलू सो गई थी। मैं कुछ देर बाद वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चला गया।
तकरीबन दो घंटे बाद नीलू आई, और बोली- मजा आ गया यार, बहुत अच्छा लगा आज।
मैं बोला- चलो, मेरा काम आपको पसंद आया यही अपनी तारीफ है।
उसने कहा- आलोक, देखने में तुम साधारण लगते हो लेकिन तुम काम सटीक करते हो। कोई बड़ा या मोटा लिंग न होकर के भी साधारण में भी तुम अच्छा काम कर लेते हो।
फिर हम लोगों ने खाना खाया और बात करते हुए रात तकरीबन गयारह बजा दिए।
तभी नीलू को कोई फोन आया और बात करने के बाद बोली- आलोक, हम लोग कल शाम को निकलेंगे, क्योंकि मुझे एक काम आ गया है। जिसको करना जरूरी होगा।
मैं बोला- जैसा आप बोलो।
फिर उसने कहा- आज रात तुम मेरे बुर की चुसाई जरूर कर देना, क्योंकि पहले दिन जो किया था, उसने मुझे पागल बना दिया है। आज तुमको मैं कुछ और सामान डालकर चूसने को कहूँगी।
वो दलिया लाई और कहा- आज इसको मेरे बुर में डाल कर खाओ, देखूँ तो।
मैं बोला- चलो, आज यह भी करके देखते हैं।
रात एक बज गया था। मैं आया और नीलू भी अपने बुर को साफ़ कर के आ गई थी।
मैंने उसको वहीं पर चित लेटा कर उसके बुर में चम्मच से दलिया डाल दिया। फिर मुँह उसके बुर के अंदर अपनी जीभ डाल-डाल कर खाने लगा।
उसको तो चूत चटवाने का ही चस्का लग गया था।
उसने कहा- तुमको दलिया डालने की जरूरत नहीं है, वो डालती जाएगी और मैं उसको साफ़ करूं।
वो डालती जाती और मैं खाता जाता। उसका पानी निकल आया था। आज पानी थोड़ा दूसरा निकला। उसका पानी सफ़ेद था। मैं उसको भी चाट गया।
उसने मुझे कहा- यार बस अब चाट लिया और जाओ लेट जाओ।
मैं उठ गया, अपने को फ्रेश किया और सो गया। सुबह मैं देर तक सोया हुआ था। तकरीबन 11 बजे जगा। नीलू नहा कर तैयारी कर रही थी।
उसने कहा- चलो फ्रेश होकर तैयार हो जाओ, एक घंटे के बाद निकल जायेंगे।
फिर मैं जल्दी फ्रेश होकर निकल गया, स्टेशन पर मुझे छोड़ कर नीलू एयरपोर्ट चली गई और मैं वापस आ गया।
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