FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--9
गतांक से आगे ...........
मैंने ऊँगली को गोल गोल अन्दर घुमाना शुरू किया. उन्होंने खुद समझाया ..कैसे गोल गोल करते हैं ...सारी नर्व्स ऊपर तक ही होती हैं इसलिए ज्यादा अन्दर तक करने की जरुरत नहीं ..हाँ कैसे उंगली को चम्मच की तरह मोड़ के अन्दर दबा सकते हैं, कब ओर कितना अन्दर बाहर करा सकते हैं ओर सबसे ज्यादा जरुरी बात ..क्लिट ढूँढने की...करते समय तो वो बीच में दबी रहेगी...इसलिए अंदाज इत्ता अच्छा होना चहिये की बिना देखे उसे छु सको, छेड़ सको...कैसे उसको दो उंगली के बीच में दबा सकते हैं...कैसे अंगूठे से उंगली करने के साथ साथ...अगर ढंग से करो तो २-३ मिनट में ही झड जायेगी. लेकिन सबसे जरुरी बात उन्होए जो समझाई की ...पहले उसे बाकी जगहों से गर्म करो...किस करके..जोबन मर्दन, जांघे ओर चूत सहला के ...उसके बाद ही क्लिट पे हाथ लगाओ..वरना एक तो वो उचकेगी ओर दूसरा मजे की जगह दर्द भी हो सकता है. फिर उन्होंने मेरी आँखे बंद करवायीं ओर कहा की मैं उनकी क्लिट टच करूँ. वो हिल डुल जा रही थीं. तीन चार बार ट्राई करने के बाद ही मैं ढूंढ पाया. लेकिन जब दो तीन बार लगातार मैं ने कर लिया तो खुश होके उन्होंने मुझे किस कर लिया ओर बोलीं..
" तुम अच्छे स्टुडेंट हो..."
" तो अच्छे स्टुडेंट को इनाम क्या मिलेगा..." मैंने शरारत से पूछा.
" मिलेगा ...जरुर मिलेगा...जो वो चाहता है वही मिलेगा." मुस्करा के वो बोलीं. फिर कहने लगी हर जगह रोशनी नहीं होगी कभी रात के अँधेरे में कभी बाग़ में झुरमुट में...तो अँधेरे में सही जगह लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए. ओर उन्होंने ब्रा से मेरी आँखे बाँध दी ओर बोला की ठीक है चलो अब तुम अपने हथियार को ...मैं उनकी बात काट कर बोला...हथियार या..
" तुम अब पक्के हुए...अपने लंड को मेरी बुर पे,..चलो...सिर्फ तीन मौक़ा है अगर सही हुआ तो इनाम वरना ऐसे ही सो जाना..."
पहली बार तो मैं एक दम फेल हो गया. दूसरी बार मेरा अंदाज सही था...लेकिन वो आखिरी मौके पे सरक गयीं ओर बोलीं की क्या तुम सोचते हो वो टांग फैला के खड़ी रहेगी...तब मेरी बुद्धि खुली. मैंने पहले तो उनके हाथ कब्जे में किये, पैरों से जांघे फैलायीं ओर फिर उसे...लंड को सीधे सेंटर पे ...बुर पे ओर थोड़ी देर रगड़ के जैसा उन्होंने समझाया था ..वो खूब गीली हो गयीं तब छोड़ा.
इस पूरी पढ़ाई के दौरान कभी उनका हाथ, कभी होंठ मेरे उसको बार बार छेड़ रहे थे ओर वो उसी तरह तना हुआ था.
" भाभी...अब तो ..."मैंने अपने तन्नाये लंड की ओर इशारा किया.
"चलो तुम भी ना ..".ये कह के उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया ओर मैं पलंग पे लेट गया. मेरा क़ुतुब मीनार हवा में था.
"करुँगी मैं बस तुम लेटे रहना....अनाड़ी कहीं उल्टा सीधा कर दो तो...अगर हिले डुले तो ना बहोत मारूंगी...."
वो पलंग से उठ के चल दी ओर जब वो लौटी तो उनके हाथ में दो बोतल थीं.
उसे उन्होंने टेबल पे रख दी और मेरे पैरों के बीच में आके बैठ गयीं.
उन्होंने उसमें से ब्राउन बाटल उठाई और थोडा सा तेल अपनी हथेली पे लिया. और हलके से मला. फिर वो तेल मेरे तन्नाये हुए लिंग पे हलके हलके लगाने लगीं. गजब की सुरसुरी हो रही थी. क्या फीलिंग थी मैं बता नहीं सकता. चन्दा भाभी ने मेरी और मुस्कारते हुए देखा और बोला...
" मालूम है ये क्या है..."
मैंने ना ने सर हिलाया.
उन्होंने अबकी ढेर सारा तेल बोतल से लिया और सीधे मेरे लिंग पे चुपड़ दिया. वो चमक रहा था. लेकिन थोड़ी देर में ही उसने जैसे तेल सोख लिया हो. भाभी ने फिर कुछ तेल अपने हाथ में लिया, मला और 'उस पे' मालिश करने लगी. अबकी उनकी उंगलियाँ कस कस के मुठिया रही थीं. जोश के मारे मेरी हालत खराब थी. वो नीचे से तेल लगाती थीं और ऊपर तक लेकिन सुपाडे पे आ के रुक जाती थीं.
" ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा..." हंस के वो बोलीं.
भाभी की बात सही थी. मैंने कित्ती बार मजमें वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था... लोहे की तरह कड़ा हो जाता है..खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न.
तेल मलते हुए भाभी बोलीं, " देवर जी ये असली सांडे का तेल है...अफ्रीकन..मुश्किल से मिलता है. इसका असर मैं देख चुकी हूँ..ये दुबई से लाये थे दो बाटल. केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कडियल नाग है. "
मैं समझ गया की भाभी के 'उनके' की क्या हालत है.
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उँगलियों से मालिश करने लगीं. जोश के मारे मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
" भाभी करने दीजिये न...बहोत मन कर रहा है...और...कब तक असर रहेगा इस तेल का. ."
" अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लुंगी..बस थोड़ा देर रुको...हाँ इस का असर कम से कम पांच छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है. मोटाई भी बढती है और कडापन भी..." भाभी बोलीं.
भाभी ने वो बोतल बंद कर के दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली. जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है. उन्होंने खोल के दो चार बूंदे सीधे मेरे सुपाडे के छेद पे पहले डालीं. मजे से मैं गिनगिना गया.
" क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना. याद आया...वैसे तो मुझे किसी चिकने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे , घोड़े का लगता है...इसलिए. मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ...लेकिन किसी लड़की के साथ ..कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से ...फिर खूब वैसलीन चुपड के उंगली करना. अपने लंड में भी खूब वैस्लीन मल लेना. हाँ एक बात और तुम एक काम करो...अपना सुपाडा कभी कवर मत करना. इसको खुला ही रखना.
क्यों भाभी, " मैंने उत्सकुता से पूछा.
पूरे सुपाडे पे तेल लगाते हुए वो बोली, " अरे देवर जी, आपको आम खाने से मतलब या...यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के...आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी. अरे पठान के...कया ख़ास बात होती है...खुला रहने से बचपन से रगड़ खा खा के..वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस.. तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है. और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़ के अच्छी तरह , देर तक चोदे, ये नहीं की बस .घुसेड़ा, निकाला और कहानी ख़तम. जो मरद औरत को झाड के झडे, वो असली मर्द. तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपडे से रगड़ खा खा के ये भी samjh गए और हाँ अगर तुम मुझ से पहले गए तो समझ लेना..."
तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थीं...
" भाभी ...प्लीज..." मेरी आँखे गुहार लगा रही थीं.
" चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये...बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिस भी मत करना. "
मैंने वोमन ऑन टाप की कयी कहानियाँ पढी थी, फोटुये और फिल्मे भी देखी थी, लेकिन वो सीन..चंदा भाभी पर वो जोबन था...नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में..लंबे लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग.. बड़ी बड़ी कजरारी आंखे, गले में नेकलेस जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ...खूब बडे बड़े लेकिन एक दम कड़ी मस्त चूंचिया..गोरी गोरी चिकनी जांघेँ...और उस के बीच काली झुरमूट...
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
" क्यों ले लू इसे अपने अन्दर..." हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
" एक दम " मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
" क्यों ले लू इसे अपने अन्दर..." हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
" एक दम " मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
उनका जन्नत का ख़जाना मेरे 'उससे' टच कर रहा था. बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श...भाभी रुक गयी थी.
मैं बेताब हो रहा था. मैंने अपनी कमर उचकायी की ..
" मना किया था ना की हिलोगे नहीं...बदमाश..." भाभी ने आँखे तरेरीं.
मैं एकदम रुक गया. भाभी मुस्कराने लगीं और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की. अपने हाथों से उनहोने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया..और मेरा सुपाडा उनकी चूत के अंदर...उन्होंने मेरे जंधे पकड़ के एक और धक्का दिया...और बोलीं...
" अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत...वैसे भी कल तुम्ही होली में अच्छी तरह से ..चुदवाओ ठीक से बोल...आ रहा है मजा..."और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा.
सुपाडा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था. दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चूका था. जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए...वो उसी तरह ..
मैं चाह रहा था की भाभी जल्दी से पूरा अन्दर ले लें पर वो तो...उन्होंने कस के सुपाडे को अपनी चूत से कस कस के भींचना शुरू कर दिया. साथ ही उनके एक हाथ ने मेरे एक निपल को कस के पिंच कर लिया. उनके लम्बे नाखून वहां निशाना बना रहे थे.
अब मुझ से नहीं रहा गया. मैंने कस के अपने दोनों हाथो से उनके झुके हुए मस्त रसीले जोअबं पकड़ लिए और कस कस के दबाने लगा.
जवाब में भाभी ने एक जोर का धकका मारा और आधा लंड अन्दर चला गया. लेकिन अब वो रुक गयीं.
वो गोल गोल अपनी कमर घुमा रही थीं.
अब मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उनकी कमर कस के पकड़ी और नीचे से जोर का धक्का मारा. साथ ही मैंने अपने हाथ से उनकी कमर पकड़ के नीचे की ओर खिंचा.
अब बजी थोड़ी सी मेरे हाथ में थी. भाभी सिसकियाँ भर रही थीं. ओर मेरा लंड सरक सरक के ओर उनकी चूत में घूस रहा था.
" तुम ना ...बदमाश कल अगर तुम्हारी..." लेकिन भाभी की बात बीच में रह गयी क्योंकि मैंने कस के उनकी क्लिट दबा दी ओर वो जोर से सिसकी भरने लगी.."
" साल्ले ...बहन चोद..मेरी सीख मेरे ही ऊपर तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारू. " ओर फुल स्पीड चुदाई चालू हो गयी.
भाभी की चूंची मेरी छाती से रगड़ रही थी. मैंने कस को उनको बांहों में भींच रखा था. और उन्होंने भी कस के मुझे पकड़ रखा था. हचक के सटा सट...उपर नीचे...उपर नीचे...थोड़ी देर तक भाभी खुद पुश कर रही थीं और साथ में मैं...उनकी कमर पकड़ के...लेकिन कुछ देर बाद ...उन्होंने जोर कम कर दिया और`मैं ही अपनी कमर उचका के उनकी कमर नीचे खींच के...चूतड उठा के अपना लंड उनकी चूत में सटा सट...थोड़ी देर बाद ऐसी ही जबरदस्त चुदाई के बाद ..
भाभी ने मेरे कान में कहा..
' सुनो ...तुम अपनी टाँगें कस के मेरी पीठ पे पीछे बाँध लो. पूरी ताकत से..."
उस समय 'मेरा' पूरी तरह से भाभी के अन्दर पैबस्त था.
मैंने वही किया.
भाभी ने भी कस के अपने हाथ मेरी पीठ के नीचे कर के बाँध लिए.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.तभी भाभी ने पलटी और ...गाडी नाव के उपर.
" बस ऐसे ही रहो थोड़ी देर..." नीचे से भाभी बोलीं और उन्होंने कुछ ऐडजस्ट किया और मैं उनकी जाँघों के बीच..
भाभी मुझे देख के मुस्करा रही थीं. मैंने भाभी को पहले हलके से फिर पुरी ताकत से किस किया. उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया. मुझे भाभी की बात याद आई. थोड़ी ही देर में मेरा होंठ उनके एक निपल को कस के चूस रहा था और दूसरा निपल मेरी उँगलियों के बीच था. धक्कों की रफ्तार मैंने कम कर दी थी. भाभी मस्त सिसकियाँ भर रही थीं. कुछ देर baad ही वो चूतड उचाकने लगीं,
" करो ना देवर जी...और जोर से करो बह्होत मजा आ रहा है....ओह्ह ओह्ह
भाभी सिसक रही थीं बोल रही थीं...
मैं कौन होता था अपनी इस मस्त भाभी को मना करने वाला.मैंने पूरी तेजी से कमर चलानी शुरू कर दी. इंजन के पिस्टन की तरह...भाभी ने पाने हाथों से मेरे चूतड कस के पकड़ रखे थे...मस्त गालियाँ ..चीखे...
" साल्ले रुके तो तेरी गांड मार लुंगी...कल पूरी पिचकारी तेरी गांड फैला के पेल दूँगी. बहन छोड़...तेरी बहन को मेरे सारे देवर चोदें...बहोत्त मजा...हाँ ..."
और भाभी ने फिर पोज बदल दिया. वो मेरी गोद में थीं. उनकी फैली जांघे मेरी कमर के चारो ओर...चून्चिया मेरे सीने से रगड़ती, मैं अब हलके हलके धक्के मार रहा था. साथ में हम लोग बातें भी कर रहे थे...
क्रमशः....................
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" तुम अच्छे स्टुडेंट हो..."
" तो अच्छे स्टुडेंट को इनाम क्या मिलेगा..." मैंने शरारत से पूछा.
" मिलेगा ...जरुर मिलेगा...जो वो चाहता है वही मिलेगा." मुस्करा के वो बोलीं. फिर कहने लगी हर जगह रोशनी नहीं होगी कभी रात के अँधेरे में कभी बाग़ में झुरमुट में...तो अँधेरे में सही जगह लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए. ओर उन्होंने ब्रा से मेरी आँखे बाँध दी ओर बोला की ठीक है चलो अब तुम अपने हथियार को ...मैं उनकी बात काट कर बोला...हथियार या..
" तुम अब पक्के हुए...अपने लंड को मेरी बुर पे,..चलो...सिर्फ तीन मौक़ा है अगर सही हुआ तो इनाम वरना ऐसे ही सो जाना..."
पहली बार तो मैं एक दम फेल हो गया. दूसरी बार मेरा अंदाज सही था...लेकिन वो आखिरी मौके पे सरक गयीं ओर बोलीं की क्या तुम सोचते हो वो टांग फैला के खड़ी रहेगी...तब मेरी बुद्धि खुली. मैंने पहले तो उनके हाथ कब्जे में किये, पैरों से जांघे फैलायीं ओर फिर उसे...लंड को सीधे सेंटर पे ...बुर पे ओर थोड़ी देर रगड़ के जैसा उन्होंने समझाया था ..वो खूब गीली हो गयीं तब छोड़ा.
इस पूरी पढ़ाई के दौरान कभी उनका हाथ, कभी होंठ मेरे उसको बार बार छेड़ रहे थे ओर वो उसी तरह तना हुआ था.
" भाभी...अब तो ..."मैंने अपने तन्नाये लंड की ओर इशारा किया.
"चलो तुम भी ना ..".ये कह के उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया ओर मैं पलंग पे लेट गया. मेरा क़ुतुब मीनार हवा में था.
"करुँगी मैं बस तुम लेटे रहना....अनाड़ी कहीं उल्टा सीधा कर दो तो...अगर हिले डुले तो ना बहोत मारूंगी...."
वो पलंग से उठ के चल दी ओर जब वो लौटी तो उनके हाथ में दो बोतल थीं.
उसे उन्होंने टेबल पे रख दी और मेरे पैरों के बीच में आके बैठ गयीं.
उन्होंने उसमें से ब्राउन बाटल उठाई और थोडा सा तेल अपनी हथेली पे लिया. और हलके से मला. फिर वो तेल मेरे तन्नाये हुए लिंग पे हलके हलके लगाने लगीं. गजब की सुरसुरी हो रही थी. क्या फीलिंग थी मैं बता नहीं सकता. चन्दा भाभी ने मेरी और मुस्कारते हुए देखा और बोला...
" मालूम है ये क्या है..."
मैंने ना ने सर हिलाया.
उन्होंने अबकी ढेर सारा तेल बोतल से लिया और सीधे मेरे लिंग पे चुपड़ दिया. वो चमक रहा था. लेकिन थोड़ी देर में ही उसने जैसे तेल सोख लिया हो. भाभी ने फिर कुछ तेल अपने हाथ में लिया, मला और 'उस पे' मालिश करने लगी. अबकी उनकी उंगलियाँ कस कस के मुठिया रही थीं. जोश के मारे मेरी हालत खराब थी. वो नीचे से तेल लगाती थीं और ऊपर तक लेकिन सुपाडे पे आ के रुक जाती थीं.
" ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा..." हंस के वो बोलीं.
भाभी की बात सही थी. मैंने कित्ती बार मजमें वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था... लोहे की तरह कड़ा हो जाता है..खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न.
तेल मलते हुए भाभी बोलीं, " देवर जी ये असली सांडे का तेल है...अफ्रीकन..मुश्किल से मिलता है. इसका असर मैं देख चुकी हूँ..ये दुबई से लाये थे दो बाटल. केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कडियल नाग है. "
मैं समझ गया की भाभी के 'उनके' की क्या हालत है.
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उँगलियों से मालिश करने लगीं. जोश के मारे मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
" भाभी करने दीजिये न...बहोत मन कर रहा है...और...कब तक असर रहेगा इस तेल का. ."
" अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लुंगी..बस थोड़ा देर रुको...हाँ इस का असर कम से कम पांच छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है. मोटाई भी बढती है और कडापन भी..." भाभी बोलीं.
भाभी ने वो बोतल बंद कर के दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली. जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है. उन्होंने खोल के दो चार बूंदे सीधे मेरे सुपाडे के छेद पे पहले डालीं. मजे से मैं गिनगिना गया.
" क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना. याद आया...वैसे तो मुझे किसी चिकने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे , घोड़े का लगता है...इसलिए. मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ...लेकिन किसी लड़की के साथ ..कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से ...फिर खूब वैसलीन चुपड के उंगली करना. अपने लंड में भी खूब वैस्लीन मल लेना. हाँ एक बात और तुम एक काम करो...अपना सुपाडा कभी कवर मत करना. इसको खुला ही रखना.
क्यों भाभी, " मैंने उत्सकुता से पूछा.
पूरे सुपाडे पे तेल लगाते हुए वो बोली, " अरे देवर जी, आपको आम खाने से मतलब या...यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के...आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी. अरे पठान के...कया ख़ास बात होती है...खुला रहने से बचपन से रगड़ खा खा के..वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस.. तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है. और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़ के अच्छी तरह , देर तक चोदे, ये नहीं की बस .घुसेड़ा, निकाला और कहानी ख़तम. जो मरद औरत को झाड के झडे, वो असली मर्द. तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपडे से रगड़ खा खा के ये भी samjh गए और हाँ अगर तुम मुझ से पहले गए तो समझ लेना..."
तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थीं...
" भाभी ...प्लीज..." मेरी आँखे गुहार लगा रही थीं.
" चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये...बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिस भी मत करना. "
मैंने वोमन ऑन टाप की कयी कहानियाँ पढी थी, फोटुये और फिल्मे भी देखी थी, लेकिन वो सीन..चंदा भाभी पर वो जोबन था...नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में..लंबे लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग.. बड़ी बड़ी कजरारी आंखे, गले में नेकलेस जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ...खूब बडे बड़े लेकिन एक दम कड़ी मस्त चूंचिया..गोरी गोरी चिकनी जांघेँ...और उस के बीच काली झुरमूट...
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
" क्यों ले लू इसे अपने अन्दर..." हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
" एक दम " मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
" क्यों ले लू इसे अपने अन्दर..." हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
" एक दम " मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
उनका जन्नत का ख़जाना मेरे 'उससे' टच कर रहा था. बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श...भाभी रुक गयी थी.
मैं बेताब हो रहा था. मैंने अपनी कमर उचकायी की ..
" मना किया था ना की हिलोगे नहीं...बदमाश..." भाभी ने आँखे तरेरीं.
मैं एकदम रुक गया. भाभी मुस्कराने लगीं और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की. अपने हाथों से उनहोने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया..और मेरा सुपाडा उनकी चूत के अंदर...उन्होंने मेरे जंधे पकड़ के एक और धक्का दिया...और बोलीं...
" अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत...वैसे भी कल तुम्ही होली में अच्छी तरह से ..चुदवाओ ठीक से बोल...आ रहा है मजा..."और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा.
सुपाडा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था. दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चूका था. जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए...वो उसी तरह ..
मैं चाह रहा था की भाभी जल्दी से पूरा अन्दर ले लें पर वो तो...उन्होंने कस के सुपाडे को अपनी चूत से कस कस के भींचना शुरू कर दिया. साथ ही उनके एक हाथ ने मेरे एक निपल को कस के पिंच कर लिया. उनके लम्बे नाखून वहां निशाना बना रहे थे.
अब मुझ से नहीं रहा गया. मैंने कस के अपने दोनों हाथो से उनके झुके हुए मस्त रसीले जोअबं पकड़ लिए और कस कस के दबाने लगा.
जवाब में भाभी ने एक जोर का धकका मारा और आधा लंड अन्दर चला गया. लेकिन अब वो रुक गयीं.
वो गोल गोल अपनी कमर घुमा रही थीं.
अब मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उनकी कमर कस के पकड़ी और नीचे से जोर का धक्का मारा. साथ ही मैंने अपने हाथ से उनकी कमर पकड़ के नीचे की ओर खिंचा.
अब बजी थोड़ी सी मेरे हाथ में थी. भाभी सिसकियाँ भर रही थीं. ओर मेरा लंड सरक सरक के ओर उनकी चूत में घूस रहा था.
" तुम ना ...बदमाश कल अगर तुम्हारी..." लेकिन भाभी की बात बीच में रह गयी क्योंकि मैंने कस के उनकी क्लिट दबा दी ओर वो जोर से सिसकी भरने लगी.."
" साल्ले ...बहन चोद..मेरी सीख मेरे ही ऊपर तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारू. " ओर फुल स्पीड चुदाई चालू हो गयी.
भाभी की चूंची मेरी छाती से रगड़ रही थी. मैंने कस को उनको बांहों में भींच रखा था. और उन्होंने भी कस के मुझे पकड़ रखा था. हचक के सटा सट...उपर नीचे...उपर नीचे...थोड़ी देर तक भाभी खुद पुश कर रही थीं और साथ में मैं...उनकी कमर पकड़ के...लेकिन कुछ देर बाद ...उन्होंने जोर कम कर दिया और`मैं ही अपनी कमर उचका के उनकी कमर नीचे खींच के...चूतड उठा के अपना लंड उनकी चूत में सटा सट...थोड़ी देर बाद ऐसी ही जबरदस्त चुदाई के बाद ..
भाभी ने मेरे कान में कहा..
' सुनो ...तुम अपनी टाँगें कस के मेरी पीठ पे पीछे बाँध लो. पूरी ताकत से..."
उस समय 'मेरा' पूरी तरह से भाभी के अन्दर पैबस्त था.
मैंने वही किया.
भाभी ने भी कस के अपने हाथ मेरी पीठ के नीचे कर के बाँध लिए.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.तभी भाभी ने पलटी और ...गाडी नाव के उपर.
" बस ऐसे ही रहो थोड़ी देर..." नीचे से भाभी बोलीं और उन्होंने कुछ ऐडजस्ट किया और मैं उनकी जाँघों के बीच..
भाभी मुझे देख के मुस्करा रही थीं. मैंने भाभी को पहले हलके से फिर पुरी ताकत से किस किया. उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया. मुझे भाभी की बात याद आई. थोड़ी ही देर में मेरा होंठ उनके एक निपल को कस के चूस रहा था और दूसरा निपल मेरी उँगलियों के बीच था. धक्कों की रफ्तार मैंने कम कर दी थी. भाभी मस्त सिसकियाँ भर रही थीं. कुछ देर baad ही वो चूतड उचाकने लगीं,
" करो ना देवर जी...और जोर से करो बह्होत मजा आ रहा है....ओह्ह ओह्ह
भाभी सिसक रही थीं बोल रही थीं...
मैं कौन होता था अपनी इस मस्त भाभी को मना करने वाला.मैंने पूरी तेजी से कमर चलानी शुरू कर दी. इंजन के पिस्टन की तरह...भाभी ने पाने हाथों से मेरे चूतड कस के पकड़ रखे थे...मस्त गालियाँ ..चीखे...
" साल्ले रुके तो तेरी गांड मार लुंगी...कल पूरी पिचकारी तेरी गांड फैला के पेल दूँगी. बहन छोड़...तेरी बहन को मेरे सारे देवर चोदें...बहोत्त मजा...हाँ ..."
और भाभी ने फिर पोज बदल दिया. वो मेरी गोद में थीं. उनकी फैली जांघे मेरी कमर के चारो ओर...चून्चिया मेरे सीने से रगड़ती, मैं अब हलके हलके धक्के मार रहा था. साथ में हम लोग बातें भी कर रहे थे...
क्रमशः....................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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