FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम कोमल, उम्र 22 साल। मैं भोपाल की रहने वाली हूँ। आज मैं अपनी पहली चुदाई के बारे में आप को बताना चाहूँगी कि मेरे साथ किस तरह घटना घटी और मैं चुद गई।
मेरी उम्र उस समय 19 साल थी और मैं कॉलेज प्रथम वर्ष में पढ़ती थी।
मेरी आंटी ने नए घर के मुहूर्त के लिए बुलाया था, लेकिन मम्मी-पापा रिश्तेदार की शादी में कानपुर गए हुए थे।
आंटी ने मुझे कहा- कोई बात नहीं, तुम अकेली आ जाओ। उन्होंने मुझे पता बताया, लेकिन मुझे समझ नहीं आया।
फिर आंटी बोलीं- ठीक है, तुम्हारे अंकल (पापा के दोस्त अशोक) का घर रास्ते में पड़ता है। तुम वहाँ 11 बजे तक पहुँच जाओ, फिर मैं गाड़ी भेज दूँगी तो तुमको ढूँढने में परेशानी नहीं होगी।
मैं अशोक अंकल के बारे में आप सबको बता दूँ। अंकल मेरे पापा की कम्पनी में ही काम करते हैं और उनका हमारे घर में आना-जाना लगा रहता है। उनकी उम्र 42 साल कद 5 फुट 10 इंच और एकदम पतला, तंदरुस्त शरीर।
उनको देख कर कोई नहीं बोल सकता कि वो 42 साल के हैं, दिखने में वो 35 साल के लगते हैं। शादी हो गई है लेकिन उनका परिवार बिहार के गाँव में रहता है। भोपाल में वो अकेले कंपनी के फ्लैट में रहते है।
मैं घर से नई गहरे नीले रंग का टॉप और जींस पहन कर अंकल के घर करीब 10.30 पर पहुँच गई और सोच रही थी, छुट्टी का दिन है, अशोक अंकल अगर घर पर नहीं हुए तो क्या करुँगी।
लेकिन अंकल घर पर ही थे, मुझे देख कर बोले- कोमल आज कैसे आना हुआ? आओ बैठो।
मैंने सारा किस्सा उनको बताया। उनका घर बिल्कुल अस्त-व्यस्त था। उनके ढेर सारे कपड़े सोफे पर पड़े हुए थे।
मैं बोली- अंकल, मैं आपका घर थोड़ा ठीक कर देती हूँ।
वो बोले- नहीं, तू बैठ आते ही काम करने की बोलने लगी। थोड़ी देर बैठ गप-शप करेंगे, फिर तो तुझे थोड़ी देर में जाना ही है।
मैंने कहा- चलो ठीक है, मैं आपके लिए चाय बना दूँ?
अंकल बोले- नहीं मैंने पी ली है, अगर तुमको पीनी हो तो बना लो।
मुझे लगा अंकल ने शायद आज सुबह-सुबह से ही शराब पी रखी थी।
करीब 11 बजे आंटी का फ़ोन आया कि गाड़ी अभी फ्री नहीं हुई है शायद 1 बज जायेगा। तब तक तुम वहीं इंतजार करो।
अंकल बोले- कोई बात नहीं, तुम यही रुको और कहाँ जाओगी?
यहाँ से मेरी चूत की पहली चुदाई के खेल की शुरूआत होती है। अंकल को मौका मिल गया, 2 घंटे का समय था और उन्होंने मुझे पटाने के लिए बातें करनी शुरू की।
वो बोले- कोमल अब तो तुम्हें कॉलेज जाते हुए 6 महीने हो गए। कैसा लगा कॉलेज का माहौल?
मैं बोली- बहुत अच्छा ! स्कूल की तरह कोई बंदिश नहीं, ड्रेस भी जो मर्ज़ी हो पहन कर जाओ। पूरी आज़ादी लगती है अंकल।
अंकल बोले- और क्या आज़ादी लगती है?
मैं बोली- कोई पीरियड, अगर मन ना हो तो छोड़ देती हूँ।
अंकल बोले- तो जो पीरियड छोड़ देती हो तो कॉलेज में क्या करती हो।
मैं बोली- अपनी फ्रेंड्स के साथ टाइम पास।
"हुम्म, कितने बॉय फ्रेंड्स बन गए हैं तेरे?"
मैं बोली- अंकल खाली फ्रेंड्स हैं, बॉय फ्रेंड्स नहीं।
अंकल बोले- झूठ बोलती है मुझसे? सच्ची बोल, कितने बॉय-फ्रेंड्स हैं तेरे? एक तो अभी तुझे बाइक पर छोड़ कर गया था, मैंने देखा था और कितने हैं?
मैं बोली- नहीं अंकल बस वही एक है। आपने कैसे देख लिया?
वो बोले- मैंने देखा नहीं था, तुक्का मारा था हा हा हा हा।
मैं भी सोचने लगी कि कैसी बेवकूफ हूँ, अपनी पोल अपने आप खोल दी।
फिर अंकल बोले- क्या-क्या करती हो? कहाँ-कहाँ जाती हो, उसके साथ? उसका नाम क्या है?
मैं बोली- अंकल, उसका नाम विशाल है, बस कॉलेज में ही मिलते हैं।
अंकल बोले- अच्छा अभी तू कॉलेज से आई थी ! है ना? झूठी कहीं की ! वो तेरे घर गया और तुझे यहाँ लेकर आया या नहीं? तू मुझ से डर मत, बस सच-सच बता दे।
मैं बोली- अंकल उसके साथ मैं पिक्चर जाती हूँ और डिनर पर भी एक बार गई थी।
अंकल बोले- 'हम्म…' फिर डिनर के बाद क्या किया।
मैं बोली- वो मुझे अपने घर ले गया और उसके घर पर उस दिन कोई नहीं था, लेकिन मैंने उसे कहा कि मुझे डर लग रहा है और उसको काफी बोलने के बाद उसने मुझे घर छोड़ दिया।
अंकल बोले- किस बात का डर लग रहा था तुझे?
मैं चुप रही।
अंकल बोले- आज मैं तेरा सारा डर ख़त्म कर देता हूँ।
अंकल मेरे पास आये और मुझे चूमने लगे।
मैं बोली- अंकल, यह क्या कर रहे हैं आप?
अंकल बोले- देख अब तू बच्ची नहीं रही, तुझे सब कुछ मालूम होना चाहिए।
उस समय मुझे अपने पुराने एक अंकल की याद आ गई, पहले मैं वो काफ़ी पुराना किस्सा आपको बताती हूँ, जब मेरी लम्बाई 5 फुट की हो गई थी और मैं उम्र से मस्त लगती थी, मैं एकदम दुबली स्लिम गोरी थी और उस उम्र में मेरी चूचियों के उभार भी उम्र के हिसाब से बड़े थे, स्कूल में शर्ट और स्कर्ट ड्रेस पहनती थी।
उन दिनों एक दूर के अंकल हमारे घर में करीब एक महीना रहे थे, और क्योंकि हमारे घर में एक ही बेडरूम था तो अंकल और मैं हॉल में सोते थे।
रात को अंकल बोले- कोमल चिपक कर के सोओ ! और मैं उन से चिपक कर सो गई। अंकल ने मुझे किस किया और धीरे-धीरे मेरे शरीर पर हाथ फिराने लगे।
मुझे तब सेक्स के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। अंकल ने धीरे से मेरी चड्डी पर हाथ लगाया। मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन कुछ खास महसूस नहीं हुआ।
अंकल का लंड पूरा कड़क हो कर मेरे शरीर से टकरा रहा था। मुझे नहीं पता था कि यह क्या है कड़क-कड़क सी चीज़। अंकल काफी देर मेरी चड्डी पर हाथ फिराते रहे।
अगले दिन स्कूल में मैंने अपनी सहेली को यह बात बताई, वो बड़ी चालू थी, वो बोली- अरे आदमी के पास लंड होता है, वही तुझे चुभ रहा होगा और वो तेरी चूत पर हाथ फ़िरा रहे थे।
मैं बोली- चूत लंड क्या है ये सब?
सहेली बोली- देख जहाँ से तुम पेशाब करती हो, वो लड़की के पास होती है। उसे चूत बोलते है। और आदमी के पास पेशाब करने वाले को लंड बोलते है।
मैं बोली- लंड क्या चूत से अलग होता है?
वो बोली- हाँ लंड एक डंडे जैसे होता है और चूत तो तेरे पास है ही। आज रात को अंकल का लंड देख लेना मालूम पड़ जायेगा।
मैं बोली- तुझे कैसे पता है ये सब?
वो बोली- मेरे भाई का लंड पकड़ती हूँ मैं, और वो मेरी चूत को प्यार करता है, चाटता है। मैं उसका लंड भी चूसती हूँ। बड़ा मज़ा आता है।
मेरे मन में भी अब लंड देखने की इच्छा होने लगी। मैं रात होने का इंतजार करने लगी। रात को अंकल ने फिर वही चालू किया।
मैं बोली- अंकल, लंड क्या होता है?
वो बोले- तुम देखोगी लंड क्या होता है? यह लो, देखो मेरा लंड, लेकिन किसी को बोलना नहीं।
और अंकल ने अपनी लुंगी ऊपर कर के चड्डी निकाल कर के लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मुझे लंड देख कर बड़ा मज़ा आया और मैं बोली- अंकल इससे क्या करते हैं?
वो बोले- तुम अभी नासमझ हो, नहीं तो तुम्हें चोद कर समझा देता।
मैं बोली- ‘चोद’ क्या?
वो बोले- कोमल जब लड़की की चूत में लंड अन्दर डाल कर धक्के देते हैं, उसे चुदाई बोलते हैं।
मैं बोली- मुझे देखना है, चुदाई कैसे होती है?
अंकल बोले- अच्छा मुझे अच्छी तरह से तेरी चूत दिखा।
अंकल ने मुझे नंगी कर दिया और मेरी चूत में उंगली डाली।
लेकिन मेरी चूत में थोड़ी सी उंगली अन्दर जाते ही काफी दर्द हुआ। अंकल ने फ़ौरन मेरी चूत में से उंगली निकाल ली कि कहीं मैं चिल्ला ना पड़ूँ।
अंकल ने मना कर दिया, बोले- अभी तुम्हारी चूत बहुत छोटी है, यह लंड का झटका सह नहीं पायेगी। जरा सी उंगली भी अन्दर घुसी नहीं और तुम बर्दाश्त नहीं कर पाई हो तो, इतना मोटा लंड कैसे ले पाओगी? तुम जब बड़ी हो जाओगी, तब चुदाना। अभी नहीं। अभी तुम खाली मेरे लंड से खेल लो।
और अंकल मेरी चूत को मसलने लगे। आज मुझे कुछ गुदगुदी सी हो रही थी। मैं अंकल का लंड पकड़ कर खेलने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। पहली बार लंड पकड़ा था। उनके लंड के नीचे दो गोली थीं, उनसे भी खेली मैं !
अंकल बोले- कोमल, लंड को ज़रा कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करो।
मैं लंड को कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी। काफी देर लंड हिलाने के बाद उस में कुछ ‘गोंद’ जैसा निकला।
मैं डर गई कि क्या हुआ?
अंकल बोले- मज़ा आ गया कोमल !
मैं बोली- अंकल यह क्या है? सफ़ेद-सफ़ेद सा गोंद जैसा?
अंकल बोले- यह वीर्य रस है और जब ये निकलता है तो बड़ा सुकून मिलता है।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या सुकून मिलता है पर मैं चुप रही।
फिर हम दोनों सो गए। अगले दिन सुबह मम्मी-पापा को मंदिर में पूजा करने जाना था। घर पर मैं और अंकल ही थे।
बोले- कोमल चल आज तुझे कस कर नहला दूँ तू अच्छी तरह नहीं नहाती है।
मैं कुछ समझी नहीं, लेकिन मैं उनको मना नहीं कर पाई।
अंकल ने बाथरूम में मेरे कपड़े निकाल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरी छोटी-छोटी चीकू जैसी चूचियों को मसलने लगे।
फिर अंकल ने भी अपने सारे कपड़े निकाल कर एकदम नंगे हो गए, और फिर वो नीचे बैठ गए और मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया।
उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था। उन्होंने मुझे काफी चूमा और मेरी चूची को मसलते रहे। उनका लंड पूरा खड़ा हो गया था। उनका लंड काफी मोटा लम्बा काला था।
अंकल ने फिर मुझे मुँह की तरफ अपनी गोदी बिठाया और फव्वारा चालू कर दिया।
अंकल मेरी चूत में छोटी वाली उंगली थोड़ी डाल कर हिला रहे थे। शायद वो देख रहे होंगे कि मेरी चूत अभी चुद सकती है या नहीं।
अंकल ने अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया और बोले- कोमल खेल लो, तुम इसे अपना ही लंड समझो।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे उनका लंड पकड़ कर खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उनके साथ नंगी होने के बाद मुझे लग रहा था कि वो मुझे आज चोद दें और मैं भी अपनी सहेली को बताऊँ कि मैंने अंकल से चूत चुदवा ली।
चुदाई के खेल की शुरूआत
मेरा नाम कोमल, उम्र 22 साल। मैं भोपाल की रहने वाली हूँ। आज मैं अपनी पहली चुदाई के बारे में आप को बताना चाहूँगी कि मेरे साथ किस तरह घटना घटी और मैं चुद गई।
मेरी उम्र उस समय 19 साल थी और मैं कॉलेज प्रथम वर्ष में पढ़ती थी।
मेरी आंटी ने नए घर के मुहूर्त के लिए बुलाया था, लेकिन मम्मी-पापा रिश्तेदार की शादी में कानपुर गए हुए थे।
आंटी ने मुझे कहा- कोई बात नहीं, तुम अकेली आ जाओ। उन्होंने मुझे पता बताया, लेकिन मुझे समझ नहीं आया।
फिर आंटी बोलीं- ठीक है, तुम्हारे अंकल (पापा के दोस्त अशोक) का घर रास्ते में पड़ता है। तुम वहाँ 11 बजे तक पहुँच जाओ, फिर मैं गाड़ी भेज दूँगी तो तुमको ढूँढने में परेशानी नहीं होगी।
मैं अशोक अंकल के बारे में आप सबको बता दूँ। अंकल मेरे पापा की कम्पनी में ही काम करते हैं और उनका हमारे घर में आना-जाना लगा रहता है। उनकी उम्र 42 साल कद 5 फुट 10 इंच और एकदम पतला, तंदरुस्त शरीर।
उनको देख कर कोई नहीं बोल सकता कि वो 42 साल के हैं, दिखने में वो 35 साल के लगते हैं। शादी हो गई है लेकिन उनका परिवार बिहार के गाँव में रहता है। भोपाल में वो अकेले कंपनी के फ्लैट में रहते है।
मैं घर से नई गहरे नीले रंग का टॉप और जींस पहन कर अंकल के घर करीब 10.30 पर पहुँच गई और सोच रही थी, छुट्टी का दिन है, अशोक अंकल अगर घर पर नहीं हुए तो क्या करुँगी।
लेकिन अंकल घर पर ही थे, मुझे देख कर बोले- कोमल आज कैसे आना हुआ? आओ बैठो।
मैंने सारा किस्सा उनको बताया। उनका घर बिल्कुल अस्त-व्यस्त था। उनके ढेर सारे कपड़े सोफे पर पड़े हुए थे।
मैं बोली- अंकल, मैं आपका घर थोड़ा ठीक कर देती हूँ।
वो बोले- नहीं, तू बैठ आते ही काम करने की बोलने लगी। थोड़ी देर बैठ गप-शप करेंगे, फिर तो तुझे थोड़ी देर में जाना ही है।
मैंने कहा- चलो ठीक है, मैं आपके लिए चाय बना दूँ?
अंकल बोले- नहीं मैंने पी ली है, अगर तुमको पीनी हो तो बना लो।
मुझे लगा अंकल ने शायद आज सुबह-सुबह से ही शराब पी रखी थी।
करीब 11 बजे आंटी का फ़ोन आया कि गाड़ी अभी फ्री नहीं हुई है शायद 1 बज जायेगा। तब तक तुम वहीं इंतजार करो।
अंकल बोले- कोई बात नहीं, तुम यही रुको और कहाँ जाओगी?
यहाँ से मेरी चूत की पहली चुदाई के खेल की शुरूआत होती है। अंकल को मौका मिल गया, 2 घंटे का समय था और उन्होंने मुझे पटाने के लिए बातें करनी शुरू की।
वो बोले- कोमल अब तो तुम्हें कॉलेज जाते हुए 6 महीने हो गए। कैसा लगा कॉलेज का माहौल?
मैं बोली- बहुत अच्छा ! स्कूल की तरह कोई बंदिश नहीं, ड्रेस भी जो मर्ज़ी हो पहन कर जाओ। पूरी आज़ादी लगती है अंकल।
अंकल बोले- और क्या आज़ादी लगती है?
मैं बोली- कोई पीरियड, अगर मन ना हो तो छोड़ देती हूँ।
अंकल बोले- तो जो पीरियड छोड़ देती हो तो कॉलेज में क्या करती हो।
मैं बोली- अपनी फ्रेंड्स के साथ टाइम पास।
"हुम्म, कितने बॉय फ्रेंड्स बन गए हैं तेरे?"
मैं बोली- अंकल खाली फ्रेंड्स हैं, बॉय फ्रेंड्स नहीं।
अंकल बोले- झूठ बोलती है मुझसे? सच्ची बोल, कितने बॉय-फ्रेंड्स हैं तेरे? एक तो अभी तुझे बाइक पर छोड़ कर गया था, मैंने देखा था और कितने हैं?
मैं बोली- नहीं अंकल बस वही एक है। आपने कैसे देख लिया?
वो बोले- मैंने देखा नहीं था, तुक्का मारा था हा हा हा हा।
मैं भी सोचने लगी कि कैसी बेवकूफ हूँ, अपनी पोल अपने आप खोल दी।
फिर अंकल बोले- क्या-क्या करती हो? कहाँ-कहाँ जाती हो, उसके साथ? उसका नाम क्या है?
मैं बोली- अंकल, उसका नाम विशाल है, बस कॉलेज में ही मिलते हैं।
अंकल बोले- अच्छा अभी तू कॉलेज से आई थी ! है ना? झूठी कहीं की ! वो तेरे घर गया और तुझे यहाँ लेकर आया या नहीं? तू मुझ से डर मत, बस सच-सच बता दे।
मैं बोली- अंकल उसके साथ मैं पिक्चर जाती हूँ और डिनर पर भी एक बार गई थी।
अंकल बोले- 'हम्म…' फिर डिनर के बाद क्या किया।
मैं बोली- वो मुझे अपने घर ले गया और उसके घर पर उस दिन कोई नहीं था, लेकिन मैंने उसे कहा कि मुझे डर लग रहा है और उसको काफी बोलने के बाद उसने मुझे घर छोड़ दिया।
अंकल बोले- किस बात का डर लग रहा था तुझे?
मैं चुप रही।
अंकल बोले- आज मैं तेरा सारा डर ख़त्म कर देता हूँ।
अंकल मेरे पास आये और मुझे चूमने लगे।
मैं बोली- अंकल, यह क्या कर रहे हैं आप?
अंकल बोले- देख अब तू बच्ची नहीं रही, तुझे सब कुछ मालूम होना चाहिए।
उस समय मुझे अपने पुराने एक अंकल की याद आ गई, पहले मैं वो काफ़ी पुराना किस्सा आपको बताती हूँ, जब मेरी लम्बाई 5 फुट की हो गई थी और मैं उम्र से मस्त लगती थी, मैं एकदम दुबली स्लिम गोरी थी और उस उम्र में मेरी चूचियों के उभार भी उम्र के हिसाब से बड़े थे, स्कूल में शर्ट और स्कर्ट ड्रेस पहनती थी।
उन दिनों एक दूर के अंकल हमारे घर में करीब एक महीना रहे थे, और क्योंकि हमारे घर में एक ही बेडरूम था तो अंकल और मैं हॉल में सोते थे।
रात को अंकल बोले- कोमल चिपक कर के सोओ ! और मैं उन से चिपक कर सो गई। अंकल ने मुझे किस किया और धीरे-धीरे मेरे शरीर पर हाथ फिराने लगे।
मुझे तब सेक्स के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। अंकल ने धीरे से मेरी चड्डी पर हाथ लगाया। मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन कुछ खास महसूस नहीं हुआ।
अंकल का लंड पूरा कड़क हो कर मेरे शरीर से टकरा रहा था। मुझे नहीं पता था कि यह क्या है कड़क-कड़क सी चीज़। अंकल काफी देर मेरी चड्डी पर हाथ फिराते रहे।
अगले दिन स्कूल में मैंने अपनी सहेली को यह बात बताई, वो बड़ी चालू थी, वो बोली- अरे आदमी के पास लंड होता है, वही तुझे चुभ रहा होगा और वो तेरी चूत पर हाथ फ़िरा रहे थे।
मैं बोली- चूत लंड क्या है ये सब?
सहेली बोली- देख जहाँ से तुम पेशाब करती हो, वो लड़की के पास होती है। उसे चूत बोलते है। और आदमी के पास पेशाब करने वाले को लंड बोलते है।
मैं बोली- लंड क्या चूत से अलग होता है?
वो बोली- हाँ लंड एक डंडे जैसे होता है और चूत तो तेरे पास है ही। आज रात को अंकल का लंड देख लेना मालूम पड़ जायेगा।
मैं बोली- तुझे कैसे पता है ये सब?
वो बोली- मेरे भाई का लंड पकड़ती हूँ मैं, और वो मेरी चूत को प्यार करता है, चाटता है। मैं उसका लंड भी चूसती हूँ। बड़ा मज़ा आता है।
मेरे मन में भी अब लंड देखने की इच्छा होने लगी। मैं रात होने का इंतजार करने लगी। रात को अंकल ने फिर वही चालू किया।
मैं बोली- अंकल, लंड क्या होता है?
वो बोले- तुम देखोगी लंड क्या होता है? यह लो, देखो मेरा लंड, लेकिन किसी को बोलना नहीं।
और अंकल ने अपनी लुंगी ऊपर कर के चड्डी निकाल कर के लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मुझे लंड देख कर बड़ा मज़ा आया और मैं बोली- अंकल इससे क्या करते हैं?
वो बोले- तुम अभी नासमझ हो, नहीं तो तुम्हें चोद कर समझा देता।
मैं बोली- ‘चोद’ क्या?
वो बोले- कोमल जब लड़की की चूत में लंड अन्दर डाल कर धक्के देते हैं, उसे चुदाई बोलते हैं।
मैं बोली- मुझे देखना है, चुदाई कैसे होती है?
अंकल बोले- अच्छा मुझे अच्छी तरह से तेरी चूत दिखा।
अंकल ने मुझे नंगी कर दिया और मेरी चूत में उंगली डाली।
लेकिन मेरी चूत में थोड़ी सी उंगली अन्दर जाते ही काफी दर्द हुआ। अंकल ने फ़ौरन मेरी चूत में से उंगली निकाल ली कि कहीं मैं चिल्ला ना पड़ूँ।
अंकल ने मना कर दिया, बोले- अभी तुम्हारी चूत बहुत छोटी है, यह लंड का झटका सह नहीं पायेगी। जरा सी उंगली भी अन्दर घुसी नहीं और तुम बर्दाश्त नहीं कर पाई हो तो, इतना मोटा लंड कैसे ले पाओगी? तुम जब बड़ी हो जाओगी, तब चुदाना। अभी नहीं। अभी तुम खाली मेरे लंड से खेल लो।
और अंकल मेरी चूत को मसलने लगे। आज मुझे कुछ गुदगुदी सी हो रही थी। मैं अंकल का लंड पकड़ कर खेलने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। पहली बार लंड पकड़ा था। उनके लंड के नीचे दो गोली थीं, उनसे भी खेली मैं !
अंकल बोले- कोमल, लंड को ज़रा कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करो।
मैं लंड को कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी। काफी देर लंड हिलाने के बाद उस में कुछ ‘गोंद’ जैसा निकला।
मैं डर गई कि क्या हुआ?
अंकल बोले- मज़ा आ गया कोमल !
मैं बोली- अंकल यह क्या है? सफ़ेद-सफ़ेद सा गोंद जैसा?
अंकल बोले- यह वीर्य रस है और जब ये निकलता है तो बड़ा सुकून मिलता है।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या सुकून मिलता है पर मैं चुप रही।
फिर हम दोनों सो गए। अगले दिन सुबह मम्मी-पापा को मंदिर में पूजा करने जाना था। घर पर मैं और अंकल ही थे।
बोले- कोमल चल आज तुझे कस कर नहला दूँ तू अच्छी तरह नहीं नहाती है।
मैं कुछ समझी नहीं, लेकिन मैं उनको मना नहीं कर पाई।
अंकल ने बाथरूम में मेरे कपड़े निकाल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरी छोटी-छोटी चीकू जैसी चूचियों को मसलने लगे।
फिर अंकल ने भी अपने सारे कपड़े निकाल कर एकदम नंगे हो गए, और फिर वो नीचे बैठ गए और मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया।
उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था। उन्होंने मुझे काफी चूमा और मेरी चूची को मसलते रहे। उनका लंड पूरा खड़ा हो गया था। उनका लंड काफी मोटा लम्बा काला था।
अंकल ने फिर मुझे मुँह की तरफ अपनी गोदी बिठाया और फव्वारा चालू कर दिया।
अंकल मेरी चूत में छोटी वाली उंगली थोड़ी डाल कर हिला रहे थे। शायद वो देख रहे होंगे कि मेरी चूत अभी चुद सकती है या नहीं।
अंकल ने अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया और बोले- कोमल खेल लो, तुम इसे अपना ही लंड समझो।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे उनका लंड पकड़ कर खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उनके साथ नंगी होने के बाद मुझे लग रहा था कि वो मुझे आज चोद दें और मैं भी अपनी सहेली को बताऊँ कि मैंने अंकल से चूत चुदवा ली।
अंकल मेरी चूत में छोटी वाली उंगली थोड़ी डाल कर हिला रहे थे। शायद वो देख रहे होंगे कि मेरी चूत अभी चुद सकती है या नहीं।
अंकल ने अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया और बोले- कोमल खेल लो, तुम इसे अपना ही लंड समझो।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे उनका लंड पकड़ कर खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उनके साथ नंगी होने के बाद मुझे लग रहा था कि वो मुझे आज चोद दें और मैं भी अपनी सहेली को बताऊँ कि मैंने अंकल से चूत चुदवा ली।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे उनका लंड पकड़ कर खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उनके साथ नंगी होने के बाद मुझे लग रहा था कि वो मुझे आज चोद दें और मैं भी अपनी सहेली को बताऊँ कि मैंने अंकल से चूत चुदवा ली।
अंकल ने मुझे अपने नंगे बदन से चिपका लिया। वो मेरी चूत में उंगली डालने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन मेरी चूत में उनकी छोटी उंगली ही बड़ी मुश्किल से थोड़ी सी ही गई कि मेरी चीख निकल गई।
“आह... आह... आह... आह... आह... मर गई रे... बड़ा दर्द हो रहा है... अंकल ओह... ओह.. निकाल लो...”
लेकिन वो नहीं माने और उन्होंने फिर उंगली को अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद मुझे दर्द के बदले मज़ा आने लगा था। मैं भी मज़े से उनके लंड को आगे-पीछे करने लगी।
फिर वो बोले- कोमल खड़ी हो जाओ।
मैं बोली- क्या हुआ अंकल नाराज़ हो गए क्या?
वो बोले- अरे नहीं रे पागल ! तू खड़ी तो हो।
मैं खड़ी हुई तो अंकल ने मेरी चूत पर अपनी जीभ लगाई और चूत के ऊपर-नीचे मेरी चूत चाटने लगे।
मुझे बड़ी गुदगुदी हुई और खूब मज़ा आ रहा था। फिर अंकल ने चूत के दोनों पट को अपनी जीभ से चाटा और थोड़ा दांत से हल्का सा काटा भी।
मैं बोली- अंकल दर्द होता है, काटो नहीं।
फिर उन्होंने चूत पर प्यार से जीभ फिराई। मेरी चूत पर उस समय छोटे-छोटे भूरे रंग के रोयें थे।
अंकल ने उनको भी चाटा। उस दिन अंकल ने मुझे अपनी गोदी में ले कर खूब दबाया। मेरी चूत उस समय छोटी थी। चोदने लायक नहीं थी वरना उस दिन अंकल मेरी चूत चोदे बिना नहीं रहते।
मुझे तो कुछ भी पता नहीं था, लेकिन अंकल जो भी कर रहे थे, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं भी अंकल का लंड और गोली मसल रही थी।
अंकल बोले- कोमल लंड को मुँह में लेने की कोशिश करो।
मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन उनका लंड इतना मोटा था कि मेरे छोटे से मुँह में वो नहीं आया।
अंकल बोले- चल मुँह में नहीं आता, कोई बात नहीं इसे बाहर से ही चाट कर मज़ा ले ले।
मैं लंड को एक हाथ से पकड़ कर लंड को चाटने लगी। थोड़ी देर बाद उनके लंड से वही रस निकलने लगा, और फिर अंकल ने मुझे नहलाया।
बाद मैं अंकल ने मुझे कपड़े नहीं पहनने दिए और खुद भी नंगे रहे। उन्होंने अपना लैपटॉप ऑन किया और बोले- आ आज तुझे चुदाई दिखाता हूँ, क्या होती है?
मैं बोली- कैसे?
उन्होंने कोई वेबसाइट खोली तो उसमें दो आदमी और एक लड़की पूरे नंगे थे। एक ने लड़की की चूत में लंड डाल रखा था और दूसरे ने लड़की के मुँह में, और दोनों जोर-जोर से हिल रहे थे और लड़की मज़े से हँस रही थी और बोल रही थी- फक मी हार्ड।
अंकल ने मुझे अपनी गोदी में बिठाया और बोले- कोमल, देख यह चुदाई होती है।
बाद में अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाकर बोले- चाटो तुम भी, मज़ा आएगा।
मैं अंकल का लंड चाटने लगी, अंकल मेरी चूत को मसल रहे थे। इस बार मुझे अपनी चूत में ऐसा लगा जैसे चींटी रेंग रही है, और ऐसा मन हुआ कि कोई मेरी चूत में भी लंड डाल कर मुझे चोद डाले।
शायद मेरी चूत चुदने लायक नहीं थी, इसी डर से अंकल ने मेरी चूत में कभी लंड नहीं डाला।
फिर थोड़े दिन बाद मैं धीरे-धीरे सब बात भूल कर पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी।
आज अशोक अंकल ने जब ये बातें कीं, तो मुझे वो पुरानी बातें याद आ गईं।
“मैं तेरा अंकल हूँ, मुझ से तो कोई डर नहीं है ना !” और अंकल ने मुझे खड़ा कर के भींच कर अपनी बाहों में ले लिया और मेरे कान को हल्के से अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।
मुझे इतनी कस कर पकड़ रखा था कि मैं निकल ही नहीं सकती थी। नीचे मुझे कड़क डंडा अपनी चूत पर चुभ रहा था। अंकल ने फिर मेरी गर्दन, कंधों पर चुम्बन करना चालू किया और फिर मेरे चेहरे के बाद मेरे होंठ को चूसने लगे।
मुझे अपने अन्दर कुछ होने लगा। मुझे लगा कि आज मेरी चूत को लंड से चुदाई का मज़ा मिलेगा। मुझे नहीं पता चल रहा था कि मेरे बदन में क्या हो रहा है। कुछ अलग सा अहसास, कुछ गुदगुदी सी हो रही थी।
अंकल ने मुझे 5 मिनट तक ऐसे ही मुझे अपनी बाहों में दबा कर प्यार किया, और फिर मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाया।
मैं दर्द से चिल्ला पड़ी, “आह !”
आज तक मेरी चूचियों को किसी ने नहीं दबाया था। मुझे काफी दर्द हो रहा था।
अंकल बोले- तू अपना टॉप और ब्रा निकाल फिर दर्द नहीं होगा मज़ा आयेगा।
और उन्होंने मेरा टॉप निकाल दिया और बोले- वाह मेरी जान, तेरी चूचियाँ तो काफी बड़ी मस्त हो गई हैं।
वे मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगे। मुझे दर्द भी हो रहा था और कुछ अलग सी गुदगुदी भी हो रही थी।
मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं अंकल को मना करूँ या और दबाने के लिए कहूँ। फिर भी अंकल से शर्म आ रही थी।
मैं बोली- अंकल प्लीज़ छोड़ दो, मुझे मुझे दर्द हो रहा है।
लेकिन अंकल कहाँ मानने वाले थे। अंकल ने मेरी एक चूची मुँह में ली और दूसरी को हाथ से दबाने लगे।
चूची पर मुँह लगते ही मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर अंकल ने दांत से मेरी चूची को काटा और मैं चिल्ला पड़ी।
मैं बोली- अंकल प्लीज़ धीरे-धीरे करो।
अशोक अंकल धीरे-धीरे अपना हाथ मेरी जींस पर ले गए और मेरी जींस खोल डाली। उसे अपने पैर से नीचे की तरफ कर दी। अब मैं खाली चड्डी में थी।
अंकल ने मेरी चड्डी में हाथ डाला और मेरी चूत को अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर मसला और मुझे चूमते रहे।
अंकल ने मुझे खींच कर सोफे पर बिठाया और मेरी चड्डी भी निकाल डाली और मेरी चूत के ऊपर मुँह लगा कर अपनी जीभ से चूत को टुनयाने लगे और धीरे-धीरे चूत को चाटने लगे।
मेरी चूत के दाने को बड़े प्यार से उन्होंने जीभ से चाटा। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर में जैसे बिजली का करंट दौड़ रहा हो। मैं काफी गर्म हो गई थी।
अंकल ने दोनों हाथ से मेरी चूत खोली और जीभ मेरी चूत के अन्दर डाल दी और जीभ को चूत के अन्दर-बाहर करने लगे। करीब 10 मिनट तक अंकल ने मेरी चूत को चाट-चाट कर काफी गीला कर दिया था।
मेरी चूत में से काफी पानी निकल रहा था। मुझे काफी मज़ा आ रहा था।
वो बोले- कोमल रानी तुम तो बिल्कुल सील-पैक हो आज तक किसी से चुदी नहीं हो।
मैं बोली- नहीं अंकल, मैंने आज तक किसी के साथ ऐसा नहीं किया।
अंकल मेरे ऊपर आ गए और मुझे प्यार करने लगे और मुझे बोले- कोमल प्यार करती रहो तो तुम्हें भी खूब मज़ा आयेगा।
मैं भी अशोक अंकल को प्यार करने लगी और अंकल मेरे मुँह में जीभ डाल कर प्यार करने लगे।
अंकल का लौड़ा पूरा कड़क हो गया था। मेरे मन में हो रहा था कि कब अंकल मेरी चूत में लौड़ा डालेंगे! मैं शर्म के मारे बोल नहीं सकी कि मेरी चूत में लौड़ा डालो।
तभी अंकल उठे और मेरे मुँह के पास अपने लंड को लाये और बोले- कोमल लंड को चूमो।
मैं जैसे ही लंड को चुम्बन करने लगी, उन्होंने लंड मेरे मुँह में डाल दिया और बोले- चूसो लंड को, कोमल रानी।
मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला ही नहीं, और मैं लौड़ा चूसने लगी।
धीरे-धीरे मुझे भी लंड चूसने में मज़ा आने लगा। आज मैं चुदाई का पूरा मज़ा लेने के मूड में आ गई थी।
अंकल ने 10 मिनट बाद लंड मुँह से निकाला और फिर मेरी चूत को अपने थूक से और गीला किया। फिर अंकल ने धीरे से मेरी चूत के ऊपर अपना लंड रखा।
मैं समझ गई कि अब मेरी चूत में अशोक अंकल अपना लंड डालेंगे और मैं उत्तेजना से मरी जा रही थी कि मेरी चूत को आज चुदाई का मज़ा मिले।
अंकल बोले- कोमल रानी मज़ा आ रहा है ना?
मैं बोली- हूँ।
अंकल ने मेरी चूत को हाथ से पकड़ कर चौड़ी की और लंड टिका कर जोर का धक्का मारा।
मैं चिल्लाई, “मर गई रे, अंकल बहुत दर्द हो रहा है, आ…आ…आआह… ओह माँ… मुझे बचा लो, मैं मर जाऊँगी, नहीं चुदानी मुझे अपनी चूत, आह आह आह और मैं रोने लगी।
मेरी चूत में से खून निकलने लगा। लेकिन अंकल भी पुराने बेटीचोद थे। उन्होंने फिर एक बड़े जोर का धक्का दिया तो करीब आधा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस गया।
अंकल बोले- कोमल घबरा नहीं पहली बार ही थोड़ा सा दर्द होगा क्योंकि आज तेरी चूत की झिल्ली टूटी है ना, इसलिए खून निकला है, कोई हर बार थोड़े निकलेगा ! ऐसा तो हर लड़की की पहली चुदाई में खून निकलता है। आज दर्द सह ले फिर रोज़ आएगी कि अंकल मुझे चोदो। आधा लंड तो चला भी गया है तेरी चूत में।
मैं डर गई। आधे लंड से ही मेरी तो हालत ख़राब हो गई थी। पूरा अन्दर जायेगा तो मैं तो मर ही जाऊँगी।
उस समय मुझे लगा मुझे चुदाई नहीं चहिये बस किसी तरह अंकल अपना लंड बाहर निकल लें।
लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूत को दोनों हाथ से फैला कर जोर से धक्का मारा और अंकल का पूरा 9 इंच का लवड़ा मेरी चूत में घुस गया।
मुझे ऐसे लग रहा था जैसे लंड मेरे पेट तक घुस गया हो। अंकल पूरा लंड अन्दर घुसेड़ कर थोड़ी देर मेरे ऊपर लेट गए और मुझे किस करना चालू किया।
एक मिनट बाद अंकल ने लंड अन्दर-बाहर करने लगे। अब मुझे भी मज़ा आने लगा। फिर अंकल ने धक्के देने की स्पीड तेज कर दी। मुझे और मज़ा आने लगा।
बीस मिनट तक धक्के मारने के बाद अंकल ने लंड निकाला और मेरी चूची पर लंड रखा और अपने हाथ से लंड को आगे-पीछे करने लगे।
अंकल ने लंड का वीर्य रस मेरी दोनों चूची पर निकाला और हाथ से पूरी चूची पर रस लगा दिया।
मेरी चूत में से खूब पानी निकल रहा था और मुझे ऐसे लगा कि मैं स्वर्ग में हूँ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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