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पापा का दोस्त --3
गतान्क से आगे..................
अब्बू की बात सुनकर मुझे अपने कानो पर यकीन ही नही हुआ. मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी के जिस आदमी ने रास्ते भर मेरा रेप किया वो ही मेरे अब्बू का दोस्त निकला. अब्बू की बात सुनकर मैं घूम शुम होगई थी. यहा मेरी हालत खराब होरही थी उधर वसीम के चेहरे पर चमक आगाई थी और वो मुस्करता हुआ अब्बू से बोला, यार तुझे हमारा इंट्रोडक्षन करवाने की ज़रूरत नही है मैं तेरी बेटी को अछी तरहा जानता हूँ. वसीम की बात सुनकर मैं सन्नाटे मे आगाई के कही वो अब्बू को सब कुछ ना बता दे, मेरे पूरे जिस्म मे कपकपि शुरू हो चुक्की थी, ऐक तरफ मेरी हालत बिगड़ चुक्की थी दोसरि तरफ अब्बू खुशी और हेरात से बोले, अरे यार वो केसे? वसीम मुस्काराया और बोला, यार हम ने ऐक ही कॉमपार्टमेंट मे सफ़र किया है और तुम यकीन करो मेरा सफ़र बोहत अछा गुज़रा है तुम्हारी बेटी बोहत अछी कंपनी देती है और बोहत फार्मबरदार है. वसीम की बात सुनकर मैं सिर्फ़ उसे देख कर ही रह गई. जब के अब्बू वसीम से मेरी तारीफ सुनकर खुशी से बोले, अरे वाह ये तो और अछा होगया के तुम दोनो का पहले से ही इंट्रोडक्षन होगया है अब जान पहचान होगाई है तो घर मे भी तुम्हे बोरियत नही होगी सोनिया ट्रेन की तरहा तुम्हे घर मे भी कंपनी दे दिया करे गी. वसीम हस्ते हुए बोला, हा यार ज़रूर मुझे सोनिया की कंपनी मिले गी तो मेरा वक़्त भी अछा कट जाए गा. अब्बू मुझे देख कर बोले, सोनिया बेटी तुम इतनी खामोश क्यूँ हो किया तुम्हे खुशी नही होई, मुझे किया खुशी होनी थी अलबत्ता मुझे तो सदमा होगया था पर मैं ने अब्बू से सब कुछ छुपाना था इसी लिए मैं फीकी सी हँसी हँसी और बोली, नही अब्बू ऐसी तो कोई बात नही है बस ज़रा मेरी तबीयत ठीक नही है. मेरी बात सुनकर अब्बू हँसे और फखार से बोले, अरे बेटी तुम्हे रास्ते मे ही वसीम को बता देना था अपनी तबीयत के बारे मे मेरा दोस्त डॉक्टर है. अब्बू फिर वसीम से बोले, यार तो घर चल कर सोनिया का चेक-अप कर लेना. वसीम हंसा और बोला, हा हा यार ज़रूर क्यूँ नही अगर सोनिया ने रास्ते मे ही मुझे बताया होता तो मैं रास्ते मे ही इसका एलाज़ कर देता. मैं इन दोनो की बाते सुने जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी के नज़ाने अभी मेरे नसीब मे और किया लिखा था. मैं अब्बू को बता भी नही सकती थी के आप का दोस्त जिस पर आप को फखार है उसने रास्ते भर मेरे साथ किया सलूक़ किया है. वसीम मुस्करा मुस्करा कर मुझे देखे जा रहा था. मुझे उसकी नज़रे ज़हर लग रही थी और मैं सोच रही थी के मैं जल्दी से घर पहुचने तक मुझे इसकी मनहूस नज़रों से छुटकारा मिले, पर मैं जानती थी के मुझे घर मे भी ये शक्स सकून नही लेने देगा. फिर जब हमारा मुलाज़िम (शार्फ़ो बाबा) ने आकर अब्बू से कहा के साहिब गाड़ी मे समान रख दिया है तो अब्बू ने शार्फ़ो बाबा को मेरा समान भी पकड़ा दिया और उसके साथ साथ गाड़ी तक आगे. शार्फ़ो बाबा पहले शायद वसीम का समान रख कर आये थे. कार मे मैं अगली सीट पर बैठ गई ताकि वसीम की हरकतों से बच सकू. शार्फ़ो बाबा कार ड्राइव कर रहे थे. शार्फ़ो बाबा की उमर कोई 65 या 70 साल होगी. मैं ने जब से होश संभाला था शार्फ़ो बाबा को घर मे देखा था. मैं शार्फ़ो बाबा की बोहत लड़ली थी और बिटिया बिटिया कहते हुए शार्फ़ो बाबा की ज़बान नही थकती थी. घर पहुँचे तो अम्मी ने खुशी से मेरा इस्तक़्बाल किया. मैं अम्मी के सीने से लग गई मेरा बोहत रोने को दिल चाह रहा था मगर मैं रो नही सकती थी मैं ने खामोश रहना था ताकि मेरे मा बाप की इज़्ज़त मे कोई फ़र्क़ ना आए. अभी घर आए हुए कुछ देर भी नही गुज़री थी के मुझे ऐक और सदमा सहना पड़ा. जब मुझे ये पता चला के अब्बू ने वसीम के लिए मेरे कमरे के बराबर वाला कमरा सेट करवाया है तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मैं ने जल्दी से अपने आप को संभाला. अब्बू ने मुझे से कहा, बेटी तुम अपने मेहमान को इनका कमरा दिखाओ ताकि ये आराम कर सकैं. अपना मेहमान का सुनकर मेरी जान जल कर रह गई. मैं ने खोखार नज़रों से वसीम को देखा तो वो मुझे देख कर हँसने लगा. मैं अम्मी और अब्बू के सामने अपनी केफियत को ज़ाहिर नही करना चाहती थी इसलिए मैं वसीम से बोली, आइए वसीम साहिब मैं आप को आप का कमरा दिखा दूं. मैं ने पलट कर सीढ़ियों की तरफ कदम बढ़ाए तो वसीम मेरे पीछे पीछे आने लगा. हमारा घर डबल स्टोरी था निचले हिस्से मे अम्मी और अब्बू का कमरा था जब के मेरा कमरा उपर के फ्लोर पर था. दोनो फ्लोर पर 5, 5 कमरे थे. शार्फ़ो बाबा भी निचले फ्लोर पर रहते थे. मेरे और वसीम के कमरे के बीच मे भी ऐक दरवाज़ा था जो दोनो कमरों को आपस मे मिलाता था. फिर जब मैं वसीम को लेकर उसके कमरे मे आई तो वसीम ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के मुझे लिपटा लिया. मैं मचल कर बोली, छोड़ मुझे कमीने हरामी छोड़ मुझे, मैं बुरी तरहा से अपने हाथ पैर चलाने लगी. वसीम की गिरफ़्त काफ़ी मज़बूत थी इसलिए मैं खुद को छुड़ा नही पाई. वसीम हंस कर बोला, ऐसे केसे छोड़ दूँ मेरी जान अभी तो मैं ने तुम्हारा चेक-अप भी तो करना है. मैं मचलती हुई बोली, मुझे नही करवाना है चेक-अप छोड़ो मुझे वरना मैं शोर मचा दूँगी. वसीम हंसा और बोला, हा हा मचाओ शोर और बुलाओ अपने बाप को और अपने बाप को बताओ के मैं ने रास्ते भर तुम्हारे साथ किया किया है. फिर जब मैं ये बात ज़माने भर को बताउन्गा तो तुम्हारे बाप की बोहत इज़्ज़त हो जाय गी. वसीम की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई और मैं ने अपनी जिदो जेहाद ख़तम करदी.
मेरी हालत पर वसीम हँसने लगा और बोला, तुम जितना मेरा साथ दोगि उतना ही तुम्हारे लिए अछा है और इस तरहा ये बात हम दोनो तक रहे गी और अगर तुमने शोर मचाया तो फिर मैं ये बात हर किसी को बता दूँगा. वसीम ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया फिर उनसे मेरी कमीज़ उठा कर मेरी शलवार का आज़ारबंद खोलना चाहा तो मैं ने उसका हाथ पकड़ लिया. वसीम मेरी तरफ देख कर बोला, तुम मेरा साथ दोगि या तुम अपने मा बाप की बदनामी चाहती हो. वसीम की बात सुनकर मैं ने उसका हाथ छोड़ दिया. वसीम ने मुस्करा कर मेरी शलवार का अज़रबंद खोल कर मेरी शलवार खींच कर उतार दी. नीचे मेरी अंडरवेर थी वसीम ने उसे भी खींच कर उतार दिया. फ्री वसीम ने मेरी चूत को सहला कर अपनी पैंट और अंडरवेर उतार दी. मैं ने देखा के उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच लंबा लंड फुल आकड़ा हुआ था. मैं ने वसीम से मिन्नत करना चाही पर उसने मुझे बोलने का मोका ही नही दिया और अपना पूरा लंड ऐक ही झटके मे मेरी चूत मे डाल दिया. मेरे हलाक़ से ऐक हल्की से चीख निकल गई. मेरी चूत रास्ते भर की चुदाई से पहले ही सोजी होई थी और अब जो वसीम ने ऐक झटके से अपना लंड मेरी चूत मे डाला तो तकलीफ़ के मारे मेरी आँखों मे आँसू आ गये. वसीम तेज़ी के साथ झटके मार रहा था और मैं दर्द के मारे मरी जा रही थी. वसीम ने पूरे 30 मिनिट तक तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करी. चोदने के बाद वो मुस्करा कर मुझ से कहने लगा, मेरी जान अभी मेरी प्यास नही भुजी है मगर फिर भी मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ मगर रात मे तुम्हारे मा बाप के सोने के बाद मैं तुम्हारे कमरे मे आओंगा तुम बीच का दरवाज़ा खोला रखना और याद रहे तुम ने मेरी हर बात पर अमल करना है वरना बाद के नतीजे की तुम खुद ज़िमेदार होगी. ये कह कर वो मुझ पर से उतार गया . मैं कुछ नही बोली और चुप चाप उठ गई. मेरी टाँगों से जान निकल रही थी इस लिए मैं लड़खड़ाती हुई अपने कमरे मे आगाई और बिस्तर पर गिर कर रोने लगी. मेरी हालत बोहत खराब होरही थी इस लिए मैं रात का खाना खाने के लिए भी नीचे नही गई. शार्फ़ो बाबा मुझे बुलाने भी आए मगर मैं ने उन्हे भी मना कर दिया. मैं ने सोच लिया था के रात मे वसीम को चोदने नही दूँगी इसलिए मैं ने बीच का दरवाज़ा अपनी तरफ से लॉक कर दिया. मैं ने सोच लिया था के मैं अब वसीम से नही चुदवाउंगी चाहे कुछ होजाय. मैं अपने कमरे मे लेटी रही और अपने और वसीम के बारे मे सोचती रही यहा तक के रात के 12 बज गये. थोड़ी देर बाद मुझे बीच के दरवाज़े का हॅंडल घूमता हुआ महसूस हुआ फिर हल्के से दरवाज़े पर दस्तक भी होई मगर मे लेटी रही. थोड़ी दायर तक दरवाज़े पर दस्तक होती रही फिर बंद हो गई. मैं ने थोड़ी देर इंतेज़ार किया मगर फिर दस्तक नही होई. मैं सोने की कोशिश कर रही थी मगर मुझे नींद नही आरहि थी अजीब से बेचेनी हो रही थी. मैं बिस्तर पर कर्वते बदल रही थी के घड़ी ने 1 बजने का एलान किया. मैं ने चोंक कर दरवाज़े की तरफ देखा और वसीम के बारे मे सोचने लगी के वो सो गया होगा या जाग कर मेरा इंतेज़ार कर रहा होगा. मैं काफ़ी देर से वसीम के बारे मे सोच रही थी और मुझे उसके बारे मे सोचना अछा लग रहा था. दिन भर तो मैं वसीम से नफ़रत करती रही मगर अब मुझे उस से नफ़रत महसूस नही होरही थी. मैं खुद हेरान थी के मुझे क्या होरहा है. मेरी निगाहों मे बार बार उसका लंबा मोटा लंड आरहा था और मुझे अपनी चूत मे अजीब से खुजली सी महसूस होरही थी. मुझे अपने जिस्म पर कपड़े बुरे लगने लगे थे इस लिए मैं ने उठ कर अपने तमाम कपड़े उतार कर फेंक दिए और पूरी नंगी होगई. मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देखने लगी. मेरा जिस्म बोहत खूबसूरत और सेक्सी है. मेरी 27 की कमर पर 36 के मम्मे अजीब बहार दिखा रहे थे. मैं ने सोचा मैं इतनी खूबसूरत और सेक्सी जिस्म की मालिक हूँ और अगर वसीम मुझे चोदने के लिए पागल होरहा है तो इस मे उसका कोई कसूर नही है, और अगर मैं किसी और को भी कही अकेले मिलू तो वो भी मुझे चोदने से गुरीज़ नही करे गा क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है. मैं ने अपने दिल और दिमाग़ से लड़ते हुए जब अपनी सूजी हुई चूत पर हाथ फेरा तो मेरी ऐक सिसकारी निकल गई. मुझे अछा लगा तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी. मेरी चूत मे दर्द था मगर इस दर्द मे ऐक अजीब सा नशा था. मैं ने गोर से अपनी चूत को देखा तो मुझे अपनी चूत अधूरी अधूरी सी और प्यासी सी लगी मेरी चूत वसीम के लंड को पुकार रही थी. मैं ने वसीम के लंड का ख़याल किया तो मैं बेकरार सी होगई और मैं उसके पास जाने के लिए तैयार होगई. ऐक दम से मेरे दिमाग़ ने मुझे झंझोड़ा और कहा के ये मैं क्या करने जा रही हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक तो वसीम मेरी नज़रों मे दुनिया का सब से नीच और ज़लील इंसान था अब मैं उसके पास जाने के लिए ही बेकरार हो रही हूँ. मेरा दिल मुझ से बोला, छोड़ो सब पुरानी बाते ये सब बेकार की बाते है, देखो अपनी चूत की तरफ देखो किया ये वसीम के लंड के बगैर अधूरी नही है क्या तेरी चूत को वसीम के लंड की प्यास नही है? मैं ने अपनी चूत पर हाथ फेरा और वो मुझे वसीम का नाम लेती हुई महसूस हुई, अभी दिल और दिमाग़ की जंग जारी थी और फिर दिमाग़ हार गया और दिल जीत गया, मैं सब कुछ भुला कर ऐक दम से दरवाज़े की तरफ बढ़ी, ऐक बार फिर मेरे दिमाग़ ने मुझे समझाया पर जब मैं ने अपने दिल पर हाथ रखा तो वाहा से सिर्फ़ वसीम वसीम ही निकलता हुआ महसूस हुआ., अब मेरे दिल मे वसीम के लिए कोई नफ़रत नही थी बलके मेरे दिल मे उसके लिए प्यार आरहा था और मैं ने सोच लिया के जो कुछ भी वसीम ने मेरे साथ किया उस मे वसीम का कोई कसूर नही था. मैं फ़ैसला कर चुक्की थी के अब मैं वसीम की सारी शिकायते ख़तम कर दूँगी. दरवाज़े के पास आकर मैं ने ऐक नज़र अपने नंगे जिस्म पर डाली और बीच का दरवाज़ा खोल कर वसीम के कमरे मे आगई. वसीम साहिब बेड पर लेटे हुए टीवी देख रहे थे. दरवाज़े की आवाज़ पर उन्हो ने दरवाज़े की तरफ देखा फिर मुझे नंगा खड़ा देख कर वो हेरान होगये और फिर मुस्कराने लगे. वो मुस्करा कर बोले, मुझे पता था सोनिया के तुम ज़रूर आओ गी. मैं चलती हुई उनके करीब आगई और बोली, हा वसीम साहिब मैं आगई हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक मैं आप से नफ़रत करती थी मगर अब मैं आप से नफ़रत नही कर पा रही हूँ. ट्रेन मे आप ने जो कुछ भी मेरे साथ किया था मैं उसमे आप को कसूर वार नही मानती क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है अगर आप की जगह वाहा और कोई होता तो वो भी मेरे साथ वो ही कुछ करता जो आप ने किया. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, ये अछी बात है सोनिया के तुम ने सच को समझा और मुझे माफ़ कर दिया. मैं बोली, मगर वसीम साहिब मैं आप से ऐक बात के लिए नाराज़ हूँ. मेरी बात सुनकर उन्हो ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुस्करा कर बोले, अब क्या नाराज़गी ही मेरी जान को मुझ से. मैं लगावट से बोली, देखिए वसीम साहिब आप ने मेरी कुँवारी चूत का क्या हाल किया है देखिए ये कितनी सूज गई है और जगह जगह से कट भी गई है. वसीम साहिब ने मेरी बात सुनकर मेरी दोनो टाँगों को पहला दिया और मेरी चूत पर हाथ फेरते हो बोले, अरे हा सोनिया वाकई तुम्हारी चूत की तो काफ़ी बुरी हालत होगई है मुझे अपनी हरकत पर बोहत अफ़सोस है सोनिया मैं ने तुम्हारे साथ बोहत ग़लत किया है. मैं सिसकारी ले कर बोली, आआहह वसीम साहिब अगर आप ने ग़लत किया है तो सही भी आप ही कीजिए आप डॉक्टर हैं मेरी चूत का एलाज़ करे. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, अगर ऐसी बात है तो मैं अभी इस पर दवा लगाता हूँ. वसीम साहिब ने उठ कर अपना बेग खोला और उसमे से ऐक स्प्रे और ऐक दवा की शीशी निकाल ली. फिर मेरे पास आकर उन्हो ने स्प्रे बॉटल से मेरी चूत पर स्प्रे किया. स्प्रे काफ़ी ठंडा था और उसकी ठंडक मेरी चूत के अंदर तक उतर गई. फिर उन्हो ने कॉटन पर दवाई निकाली और मेरी चूत की मालिश करने लगे. थोड़ी देर की मालिश से ही मेरी चूत का दर्द ख़तम होगया और उसकी सूजन भी काफ़ी हद तक कम होगई. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, लो मेरी जान अब तुम्हारी चूत ऐक दम फर्स्ट क्लास है और इस की सूजन भी सुबह तक बिल्कुल ठीक होजाय गी. उन्हो ने दवाई वापिस अपने बेग मे रख दी और बोले, अब तुम आराम करो सुबह तक तुम ऐक दम फ्रेश हो जाओ गी. मैं अभी तक लेटी हुई थी मैं ने लेटे लेटे ही उनका हाथ पकड़ लिया और बोली, वसीम साहिब क्या आप प्यासे ही रहे गे मुझे चोदे गे नही? वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, नही मेरी जान अभी तुम्हारी चूत पूरी तरहा सही नही हुई है मैं ने अभी चोदा तो इसकी हालत और खराब होज़ायगी.
क्रमशः........................
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पापा का दोस्त --3
गतान्क से आगे..................
अब्बू की बात सुनकर मुझे अपने कानो पर यकीन ही नही हुआ. मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी के जिस आदमी ने रास्ते भर मेरा रेप किया वो ही मेरे अब्बू का दोस्त निकला. अब्बू की बात सुनकर मैं घूम शुम होगई थी. यहा मेरी हालत खराब होरही थी उधर वसीम के चेहरे पर चमक आगाई थी और वो मुस्करता हुआ अब्बू से बोला, यार तुझे हमारा इंट्रोडक्षन करवाने की ज़रूरत नही है मैं तेरी बेटी को अछी तरहा जानता हूँ. वसीम की बात सुनकर मैं सन्नाटे मे आगाई के कही वो अब्बू को सब कुछ ना बता दे, मेरे पूरे जिस्म मे कपकपि शुरू हो चुक्की थी, ऐक तरफ मेरी हालत बिगड़ चुक्की थी दोसरि तरफ अब्बू खुशी और हेरात से बोले, अरे यार वो केसे? वसीम मुस्काराया और बोला, यार हम ने ऐक ही कॉमपार्टमेंट मे सफ़र किया है और तुम यकीन करो मेरा सफ़र बोहत अछा गुज़रा है तुम्हारी बेटी बोहत अछी कंपनी देती है और बोहत फार्मबरदार है. वसीम की बात सुनकर मैं सिर्फ़ उसे देख कर ही रह गई. जब के अब्बू वसीम से मेरी तारीफ सुनकर खुशी से बोले, अरे वाह ये तो और अछा होगया के तुम दोनो का पहले से ही इंट्रोडक्षन होगया है अब जान पहचान होगाई है तो घर मे भी तुम्हे बोरियत नही होगी सोनिया ट्रेन की तरहा तुम्हे घर मे भी कंपनी दे दिया करे गी. वसीम हस्ते हुए बोला, हा यार ज़रूर मुझे सोनिया की कंपनी मिले गी तो मेरा वक़्त भी अछा कट जाए गा. अब्बू मुझे देख कर बोले, सोनिया बेटी तुम इतनी खामोश क्यूँ हो किया तुम्हे खुशी नही होई, मुझे किया खुशी होनी थी अलबत्ता मुझे तो सदमा होगया था पर मैं ने अब्बू से सब कुछ छुपाना था इसी लिए मैं फीकी सी हँसी हँसी और बोली, नही अब्बू ऐसी तो कोई बात नही है बस ज़रा मेरी तबीयत ठीक नही है. मेरी बात सुनकर अब्बू हँसे और फखार से बोले, अरे बेटी तुम्हे रास्ते मे ही वसीम को बता देना था अपनी तबीयत के बारे मे मेरा दोस्त डॉक्टर है. अब्बू फिर वसीम से बोले, यार तो घर चल कर सोनिया का चेक-अप कर लेना. वसीम हंसा और बोला, हा हा यार ज़रूर क्यूँ नही अगर सोनिया ने रास्ते मे ही मुझे बताया होता तो मैं रास्ते मे ही इसका एलाज़ कर देता. मैं इन दोनो की बाते सुने जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी के नज़ाने अभी मेरे नसीब मे और किया लिखा था. मैं अब्बू को बता भी नही सकती थी के आप का दोस्त जिस पर आप को फखार है उसने रास्ते भर मेरे साथ किया सलूक़ किया है. वसीम मुस्करा मुस्करा कर मुझे देखे जा रहा था. मुझे उसकी नज़रे ज़हर लग रही थी और मैं सोच रही थी के मैं जल्दी से घर पहुचने तक मुझे इसकी मनहूस नज़रों से छुटकारा मिले, पर मैं जानती थी के मुझे घर मे भी ये शक्स सकून नही लेने देगा. फिर जब हमारा मुलाज़िम (शार्फ़ो बाबा) ने आकर अब्बू से कहा के साहिब गाड़ी मे समान रख दिया है तो अब्बू ने शार्फ़ो बाबा को मेरा समान भी पकड़ा दिया और उसके साथ साथ गाड़ी तक आगे. शार्फ़ो बाबा पहले शायद वसीम का समान रख कर आये थे. कार मे मैं अगली सीट पर बैठ गई ताकि वसीम की हरकतों से बच सकू. शार्फ़ो बाबा कार ड्राइव कर रहे थे. शार्फ़ो बाबा की उमर कोई 65 या 70 साल होगी. मैं ने जब से होश संभाला था शार्फ़ो बाबा को घर मे देखा था. मैं शार्फ़ो बाबा की बोहत लड़ली थी और बिटिया बिटिया कहते हुए शार्फ़ो बाबा की ज़बान नही थकती थी. घर पहुँचे तो अम्मी ने खुशी से मेरा इस्तक़्बाल किया. मैं अम्मी के सीने से लग गई मेरा बोहत रोने को दिल चाह रहा था मगर मैं रो नही सकती थी मैं ने खामोश रहना था ताकि मेरे मा बाप की इज़्ज़त मे कोई फ़र्क़ ना आए. अभी घर आए हुए कुछ देर भी नही गुज़री थी के मुझे ऐक और सदमा सहना पड़ा. जब मुझे ये पता चला के अब्बू ने वसीम के लिए मेरे कमरे के बराबर वाला कमरा सेट करवाया है तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मैं ने जल्दी से अपने आप को संभाला. अब्बू ने मुझे से कहा, बेटी तुम अपने मेहमान को इनका कमरा दिखाओ ताकि ये आराम कर सकैं. अपना मेहमान का सुनकर मेरी जान जल कर रह गई. मैं ने खोखार नज़रों से वसीम को देखा तो वो मुझे देख कर हँसने लगा. मैं अम्मी और अब्बू के सामने अपनी केफियत को ज़ाहिर नही करना चाहती थी इसलिए मैं वसीम से बोली, आइए वसीम साहिब मैं आप को आप का कमरा दिखा दूं. मैं ने पलट कर सीढ़ियों की तरफ कदम बढ़ाए तो वसीम मेरे पीछे पीछे आने लगा. हमारा घर डबल स्टोरी था निचले हिस्से मे अम्मी और अब्बू का कमरा था जब के मेरा कमरा उपर के फ्लोर पर था. दोनो फ्लोर पर 5, 5 कमरे थे. शार्फ़ो बाबा भी निचले फ्लोर पर रहते थे. मेरे और वसीम के कमरे के बीच मे भी ऐक दरवाज़ा था जो दोनो कमरों को आपस मे मिलाता था. फिर जब मैं वसीम को लेकर उसके कमरे मे आई तो वसीम ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के मुझे लिपटा लिया. मैं मचल कर बोली, छोड़ मुझे कमीने हरामी छोड़ मुझे, मैं बुरी तरहा से अपने हाथ पैर चलाने लगी. वसीम की गिरफ़्त काफ़ी मज़बूत थी इसलिए मैं खुद को छुड़ा नही पाई. वसीम हंस कर बोला, ऐसे केसे छोड़ दूँ मेरी जान अभी तो मैं ने तुम्हारा चेक-अप भी तो करना है. मैं मचलती हुई बोली, मुझे नही करवाना है चेक-अप छोड़ो मुझे वरना मैं शोर मचा दूँगी. वसीम हंसा और बोला, हा हा मचाओ शोर और बुलाओ अपने बाप को और अपने बाप को बताओ के मैं ने रास्ते भर तुम्हारे साथ किया किया है. फिर जब मैं ये बात ज़माने भर को बताउन्गा तो तुम्हारे बाप की बोहत इज़्ज़त हो जाय गी. वसीम की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई और मैं ने अपनी जिदो जेहाद ख़तम करदी.
मेरी हालत पर वसीम हँसने लगा और बोला, तुम जितना मेरा साथ दोगि उतना ही तुम्हारे लिए अछा है और इस तरहा ये बात हम दोनो तक रहे गी और अगर तुमने शोर मचाया तो फिर मैं ये बात हर किसी को बता दूँगा. वसीम ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया फिर उनसे मेरी कमीज़ उठा कर मेरी शलवार का आज़ारबंद खोलना चाहा तो मैं ने उसका हाथ पकड़ लिया. वसीम मेरी तरफ देख कर बोला, तुम मेरा साथ दोगि या तुम अपने मा बाप की बदनामी चाहती हो. वसीम की बात सुनकर मैं ने उसका हाथ छोड़ दिया. वसीम ने मुस्करा कर मेरी शलवार का अज़रबंद खोल कर मेरी शलवार खींच कर उतार दी. नीचे मेरी अंडरवेर थी वसीम ने उसे भी खींच कर उतार दिया. फ्री वसीम ने मेरी चूत को सहला कर अपनी पैंट और अंडरवेर उतार दी. मैं ने देखा के उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच लंबा लंड फुल आकड़ा हुआ था. मैं ने वसीम से मिन्नत करना चाही पर उसने मुझे बोलने का मोका ही नही दिया और अपना पूरा लंड ऐक ही झटके मे मेरी चूत मे डाल दिया. मेरे हलाक़ से ऐक हल्की से चीख निकल गई. मेरी चूत रास्ते भर की चुदाई से पहले ही सोजी होई थी और अब जो वसीम ने ऐक झटके से अपना लंड मेरी चूत मे डाला तो तकलीफ़ के मारे मेरी आँखों मे आँसू आ गये. वसीम तेज़ी के साथ झटके मार रहा था और मैं दर्द के मारे मरी जा रही थी. वसीम ने पूरे 30 मिनिट तक तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करी. चोदने के बाद वो मुस्करा कर मुझ से कहने लगा, मेरी जान अभी मेरी प्यास नही भुजी है मगर फिर भी मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ मगर रात मे तुम्हारे मा बाप के सोने के बाद मैं तुम्हारे कमरे मे आओंगा तुम बीच का दरवाज़ा खोला रखना और याद रहे तुम ने मेरी हर बात पर अमल करना है वरना बाद के नतीजे की तुम खुद ज़िमेदार होगी. ये कह कर वो मुझ पर से उतार गया . मैं कुछ नही बोली और चुप चाप उठ गई. मेरी टाँगों से जान निकल रही थी इस लिए मैं लड़खड़ाती हुई अपने कमरे मे आगाई और बिस्तर पर गिर कर रोने लगी. मेरी हालत बोहत खराब होरही थी इस लिए मैं रात का खाना खाने के लिए भी नीचे नही गई. शार्फ़ो बाबा मुझे बुलाने भी आए मगर मैं ने उन्हे भी मना कर दिया. मैं ने सोच लिया था के रात मे वसीम को चोदने नही दूँगी इसलिए मैं ने बीच का दरवाज़ा अपनी तरफ से लॉक कर दिया. मैं ने सोच लिया था के मैं अब वसीम से नही चुदवाउंगी चाहे कुछ होजाय. मैं अपने कमरे मे लेटी रही और अपने और वसीम के बारे मे सोचती रही यहा तक के रात के 12 बज गये. थोड़ी देर बाद मुझे बीच के दरवाज़े का हॅंडल घूमता हुआ महसूस हुआ फिर हल्के से दरवाज़े पर दस्तक भी होई मगर मे लेटी रही. थोड़ी दायर तक दरवाज़े पर दस्तक होती रही फिर बंद हो गई. मैं ने थोड़ी देर इंतेज़ार किया मगर फिर दस्तक नही होई. मैं सोने की कोशिश कर रही थी मगर मुझे नींद नही आरहि थी अजीब से बेचेनी हो रही थी. मैं बिस्तर पर कर्वते बदल रही थी के घड़ी ने 1 बजने का एलान किया. मैं ने चोंक कर दरवाज़े की तरफ देखा और वसीम के बारे मे सोचने लगी के वो सो गया होगा या जाग कर मेरा इंतेज़ार कर रहा होगा. मैं काफ़ी देर से वसीम के बारे मे सोच रही थी और मुझे उसके बारे मे सोचना अछा लग रहा था. दिन भर तो मैं वसीम से नफ़रत करती रही मगर अब मुझे उस से नफ़रत महसूस नही होरही थी. मैं खुद हेरान थी के मुझे क्या होरहा है. मेरी निगाहों मे बार बार उसका लंबा मोटा लंड आरहा था और मुझे अपनी चूत मे अजीब से खुजली सी महसूस होरही थी. मुझे अपने जिस्म पर कपड़े बुरे लगने लगे थे इस लिए मैं ने उठ कर अपने तमाम कपड़े उतार कर फेंक दिए और पूरी नंगी होगई. मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देखने लगी. मेरा जिस्म बोहत खूबसूरत और सेक्सी है. मेरी 27 की कमर पर 36 के मम्मे अजीब बहार दिखा रहे थे. मैं ने सोचा मैं इतनी खूबसूरत और सेक्सी जिस्म की मालिक हूँ और अगर वसीम मुझे चोदने के लिए पागल होरहा है तो इस मे उसका कोई कसूर नही है, और अगर मैं किसी और को भी कही अकेले मिलू तो वो भी मुझे चोदने से गुरीज़ नही करे गा क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है. मैं ने अपने दिल और दिमाग़ से लड़ते हुए जब अपनी सूजी हुई चूत पर हाथ फेरा तो मेरी ऐक सिसकारी निकल गई. मुझे अछा लगा तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी. मेरी चूत मे दर्द था मगर इस दर्द मे ऐक अजीब सा नशा था. मैं ने गोर से अपनी चूत को देखा तो मुझे अपनी चूत अधूरी अधूरी सी और प्यासी सी लगी मेरी चूत वसीम के लंड को पुकार रही थी. मैं ने वसीम के लंड का ख़याल किया तो मैं बेकरार सी होगई और मैं उसके पास जाने के लिए तैयार होगई. ऐक दम से मेरे दिमाग़ ने मुझे झंझोड़ा और कहा के ये मैं क्या करने जा रही हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक तो वसीम मेरी नज़रों मे दुनिया का सब से नीच और ज़लील इंसान था अब मैं उसके पास जाने के लिए ही बेकरार हो रही हूँ. मेरा दिल मुझ से बोला, छोड़ो सब पुरानी बाते ये सब बेकार की बाते है, देखो अपनी चूत की तरफ देखो किया ये वसीम के लंड के बगैर अधूरी नही है क्या तेरी चूत को वसीम के लंड की प्यास नही है? मैं ने अपनी चूत पर हाथ फेरा और वो मुझे वसीम का नाम लेती हुई महसूस हुई, अभी दिल और दिमाग़ की जंग जारी थी और फिर दिमाग़ हार गया और दिल जीत गया, मैं सब कुछ भुला कर ऐक दम से दरवाज़े की तरफ बढ़ी, ऐक बार फिर मेरे दिमाग़ ने मुझे समझाया पर जब मैं ने अपने दिल पर हाथ रखा तो वाहा से सिर्फ़ वसीम वसीम ही निकलता हुआ महसूस हुआ., अब मेरे दिल मे वसीम के लिए कोई नफ़रत नही थी बलके मेरे दिल मे उसके लिए प्यार आरहा था और मैं ने सोच लिया के जो कुछ भी वसीम ने मेरे साथ किया उस मे वसीम का कोई कसूर नही था. मैं फ़ैसला कर चुक्की थी के अब मैं वसीम की सारी शिकायते ख़तम कर दूँगी. दरवाज़े के पास आकर मैं ने ऐक नज़र अपने नंगे जिस्म पर डाली और बीच का दरवाज़ा खोल कर वसीम के कमरे मे आगई. वसीम साहिब बेड पर लेटे हुए टीवी देख रहे थे. दरवाज़े की आवाज़ पर उन्हो ने दरवाज़े की तरफ देखा फिर मुझे नंगा खड़ा देख कर वो हेरान होगये और फिर मुस्कराने लगे. वो मुस्करा कर बोले, मुझे पता था सोनिया के तुम ज़रूर आओ गी. मैं चलती हुई उनके करीब आगई और बोली, हा वसीम साहिब मैं आगई हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक मैं आप से नफ़रत करती थी मगर अब मैं आप से नफ़रत नही कर पा रही हूँ. ट्रेन मे आप ने जो कुछ भी मेरे साथ किया था मैं उसमे आप को कसूर वार नही मानती क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है अगर आप की जगह वाहा और कोई होता तो वो भी मेरे साथ वो ही कुछ करता जो आप ने किया. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, ये अछी बात है सोनिया के तुम ने सच को समझा और मुझे माफ़ कर दिया. मैं बोली, मगर वसीम साहिब मैं आप से ऐक बात के लिए नाराज़ हूँ. मेरी बात सुनकर उन्हो ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुस्करा कर बोले, अब क्या नाराज़गी ही मेरी जान को मुझ से. मैं लगावट से बोली, देखिए वसीम साहिब आप ने मेरी कुँवारी चूत का क्या हाल किया है देखिए ये कितनी सूज गई है और जगह जगह से कट भी गई है. वसीम साहिब ने मेरी बात सुनकर मेरी दोनो टाँगों को पहला दिया और मेरी चूत पर हाथ फेरते हो बोले, अरे हा सोनिया वाकई तुम्हारी चूत की तो काफ़ी बुरी हालत होगई है मुझे अपनी हरकत पर बोहत अफ़सोस है सोनिया मैं ने तुम्हारे साथ बोहत ग़लत किया है. मैं सिसकारी ले कर बोली, आआहह वसीम साहिब अगर आप ने ग़लत किया है तो सही भी आप ही कीजिए आप डॉक्टर हैं मेरी चूत का एलाज़ करे. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, अगर ऐसी बात है तो मैं अभी इस पर दवा लगाता हूँ. वसीम साहिब ने उठ कर अपना बेग खोला और उसमे से ऐक स्प्रे और ऐक दवा की शीशी निकाल ली. फिर मेरे पास आकर उन्हो ने स्प्रे बॉटल से मेरी चूत पर स्प्रे किया. स्प्रे काफ़ी ठंडा था और उसकी ठंडक मेरी चूत के अंदर तक उतर गई. फिर उन्हो ने कॉटन पर दवाई निकाली और मेरी चूत की मालिश करने लगे. थोड़ी देर की मालिश से ही मेरी चूत का दर्द ख़तम होगया और उसकी सूजन भी काफ़ी हद तक कम होगई. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, लो मेरी जान अब तुम्हारी चूत ऐक दम फर्स्ट क्लास है और इस की सूजन भी सुबह तक बिल्कुल ठीक होजाय गी. उन्हो ने दवाई वापिस अपने बेग मे रख दी और बोले, अब तुम आराम करो सुबह तक तुम ऐक दम फ्रेश हो जाओ गी. मैं अभी तक लेटी हुई थी मैं ने लेटे लेटे ही उनका हाथ पकड़ लिया और बोली, वसीम साहिब क्या आप प्यासे ही रहे गे मुझे चोदे गे नही? वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, नही मेरी जान अभी तुम्हारी चूत पूरी तरहा सही नही हुई है मैं ने अभी चोदा तो इसकी हालत और खराब होज़ायगी.
क्रमशः........................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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