FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--12
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गतांक से आगे ......................
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पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."
पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..
रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."
रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..
पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."
वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."
पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"
रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."
और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "
पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."
रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."
उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...
एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."
पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."
रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."
पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."
चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...
पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."
ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .
पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."
पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .
रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..
पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "
पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."
पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..
और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..
आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."
पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."
पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..
पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."
रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...
पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...
रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..
पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..
वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..
पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."
इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."
नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर मुस्लिम लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।
वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."
इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,
पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."
इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..
पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..
अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .
घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .
रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..
शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."
शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .
पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."
शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .
"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..
पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..
तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..
पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..
अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..
पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."
शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..
पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."
पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..
शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..
उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."
लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..
पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."
रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..
तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..
पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..
पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..
गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..
पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."
पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...
पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..
अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..
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पंडित & शीला पार्ट--12
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गतांक से आगे ......................
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पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."
पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..
रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."
रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..
पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."
वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."
पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"
रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."
और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "
पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."
रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."
उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...
एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."
पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."
रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."
पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."
चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...
पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."
ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .
पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."
पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .
रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..
पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "
पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."
पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..
और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..
आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."
पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."
पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..
पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."
रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...
पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...
रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..
पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..
वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..
पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."
इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."
नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर मुस्लिम लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।
वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."
इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,
पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."
इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..
पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..
अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .
घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .
रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..
शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."
शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .
पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."
शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .
"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..
पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..
तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..
पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..
अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..
पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."
शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..
पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."
पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..
शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..
उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."
लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..
पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."
रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..
तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..
पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..
पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..
गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..
पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."
पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...
पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..
अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..
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