FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--11
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गतांक से आगे ......................
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माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..
ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..
पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..
थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.
शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..
पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."
शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."
उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."
शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..
पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."
शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."
शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .
पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."
पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..
पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."
पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."
पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."
पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..
और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."
पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .
पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...
शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..
पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..
पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."
पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."
शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..
शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."
पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...
वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..
शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..
शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..
तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."
पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .
शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..
पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..
पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."
पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..
वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."
अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..
पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "
पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..
पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..
और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..
पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..
रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."
रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..
वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा स्कूल बेग कहाँ है .."
रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."
पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..
जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..
पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."
ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .
शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .
पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .
पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..
पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."
रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."
पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .
1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."
शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..
अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .
पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."
रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."
पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"
पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..
पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."
रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."
पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..
पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..
पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..
वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..
पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."
रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."
वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..
पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."
पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."
उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."
कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..
उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..
पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."
पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..
पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."
पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..
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पंडित & शीला पार्ट--11
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माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..
ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..
पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..
थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.
शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..
पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."
शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."
उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."
शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..
पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."
शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."
शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .
पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."
पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..
पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."
पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."
पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."
पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..
और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."
पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .
पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...
शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..
पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..
पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."
पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."
शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..
शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."
पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...
वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..
शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..
शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..
तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."
पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .
शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..
पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..
पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."
पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..
वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."
अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..
पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "
पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..
पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..
और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..
पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..
रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."
रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..
वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा स्कूल बेग कहाँ है .."
रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."
पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..
जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..
पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."
ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .
शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .
पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .
पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..
पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."
रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."
पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .
1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."
शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..
अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .
पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."
रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."
पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"
पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..
पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."
रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."
पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..
पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..
पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..
वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..
पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."
रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."
वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..
पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."
पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."
उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."
कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..
उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..
पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."
पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..
पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."
पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..
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