FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--17
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गतांक से आगे ......................
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वो पंडित से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, पंडित के लंड से चुदकर वो प्रेग्नेंट होना चाहती थी ... अब पंडित के लिए भी अपने आप को संभालना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी के नूर टपकाते हुए चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे से बोले : "ठीक है ..जैसा तुम चाहो ..मैं तैयार हु तुम्हारी मदद करने के लिए ..."
पंडित का इतना कहना था की नूरी की आँखों से आंसू निकल गए और उसने आगे बढकर पंडित के गले में अपनी बाहें डाल दी ..उसके दोनों खरबूजे पंडित की छाती से पीसकर अपना गुदा वहां महसूस करवाने लगे ..
पंडित ने भी उसकी पीठ पर अपनी जकड बनाते हुए उसे अपने ऊपर खींच लिया ..और पीछे की तरफ लेट गया ..नूरी का गदराया हुआ जिस्म पंडित के ऊपर पड़ा हुआ था ..उसके रेशमी बालों ने दोनों तरफ से गिरकर उसके और पंडित के चेहरे को किसी जंगले की तरह से ढक लिया ..नूरी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और पंडित की आँखों में बड़े प्यार से देखा ..और फिर अपनी आँखे बंद करते हुए वो नीचे झुकी और पंडित के होंठों को अपने अन्दर समेट कर उसे जोर से चूम लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह ...क्या एहसास था ..उसके गुलाब की पंखड़ियों का ..ऐसा लग रहा था की गुलाब की पत्तियां उसके होंठों को चूस रही है ..इतना कोमल एहसास पंडित को आज तक नहीं हुआ था ...
पंडित ने दुगने जोश के साथ अपनी पकड़ बडाई और उसके होंठों को चूसने लगा ...
'उम्म्म्म ....पंडित जी ....धीरे ...अहह ...आप तो काफी जालिम लगते हैं इस मामले में ...'
नूरी की कम्प्लेंन सुनकर पंडित ने अपना उत्तेजना पर लगाम लगायी ..और अपने हाथ नीचे करके हमेशा से आँखों के आकर्षण का केंद्र रहे उसके उरोजों को पकड़ा और उन्हें सहलाने लगा ...मगर प्यार से.
उसकी ब्रेस्ट पर चमक रहे निप्पल पंडित को साफ़ महसूस हो रहे थे ..वो अभी -२ नहा कर आई थी इसलिए उसके शरीर की ठंडक पंडित को काफी सुखद लग रही थी ..
पंडित ने उसके सूट को नीचे से पकड़ा और ऊपर करके निकाल दिया ...उसने नीचे ब्लू कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..पंडित ने उसकी ब्रा भी खोल दी ..और जैसे ही वो खुली, उसमे से पके हुए फलों की तरह उसके दोनों आम बाहर निकल कर पंडित के चेहरे पर आ गिरे ..और पंडित के होंठ और जीभ जोर -२ से उनपर चलने लगे ...नूरी ने सोचा भी नहीं था की धार्मिक काम काज करने वाला ये पंडित सेक्स के ऐसे दांव पेंच भी जानता होगा जिसे देखकर लड़की के मुंह से तो क्या चूत से भी चीखे निकल जाए ...
'अह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....उम्म्म्म ....क्या करते हो ...अह्ह्ह ...बहुत मजा आ रहा है ...अह्ह्ह ...'
पंडित उसे ये सब मजे देने के लिए ही तो सब कर रहा था ...
पंडित के हाथ उसकी पायजामी की तरफ चले, उसने तो जैसे सोच लिया था की आज ही इसे प्रेग्नेंट करके रहेगा ...
पर तभी बाहर का दरवाजा खडका ..दोनों चोंक गए ..
नूरी ने जोर से पुछा : "कोन है ...बाहर "
"बेटा ...मैं ...हु ..खोलो ..." वो इरफ़ान की आवाज थी , कमीना दो घंटे में आने वाला था , पंडित ने मन ही मन सोचा ...
दोनों घबरा गए, नूरी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और पंडित को अपने कमरे में लेजाकर बेड के नीचे छुपा दिया और जाकर दरवाजा खोल दिया ..
दोनों की आवाजें पंडित साफ़ सुन पा रहा था ..
नूरी : "अब्बा जान ...आप काफी जल्दी आ गए ..."
इरफ़ान : "हाँ ..मैंने वो पैसे सीधा उसके खाते में जमा करवा दिए ..वो ए टी एम से निकलवा लेगी ..वहां जाने और आने में काफी समय लगता ..शाम को उसे देखने चला जाऊंगा ..अभी दूकान भी तो खोलनी है ..तू मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना, मैं नहा कर आता हु .."
वो नहाने के लिए जल्दी से गुसलखाने में घुस गए, नूरी ने भागकर पंडित को बाहर निकाल और उसे चुपचाप बाहर निकाल दिया ...पंडित को अपनी हालत आजकल के नोजवान आशिक जैसी लग रही थी जो लड़की के घर से उसके बाप के डर से छुप कर भाग रहा था ..पर जो भी हो, नूरी के जलते हुए बदन के आधे अधूरे एहसास ने पंडित के अन्दर की ज्वाला को और भी ज्यादा जला दिया था ..उसे अब जल्द से जल्द उसके साथ चुदाई करनी थी और उसे बच्चा देना था ...वो शाम को आने का वादा करके जल्दी से नीचे उतर गया ..
और वैसे भी , रितु के आने का टाईम भी होने वाला था ..
पंडित अपने कमरे में भागकर पहुंचा, चलते हुए उसका एक हाथ अपनी धोती के ऊपर था, वैसे धोती का तो एक बहाना ही था, असल में वो अपने खड़े हुए लंड को पकड़ कर चल रहा था, उसे डर था की उसका खड़ा हुआ लंड कोई देखा ना ले ..
दरवाजा बंद करके वो अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाते हुए आँखे बंद करके अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा और नूरी के बेपनाह हुस्न को याद करते हुए उसकी धोती कब नीचे गिर गयी, उसे भी पता नहीं चला ...
उसके लम्बे लंड के ऊपर चमक रहे सुपाडे पर नूरी के नाम का पसीना उभर आया ..उसने वो प्रिकम अपने पुरे लंड पर मलकर एक दबी हुई सी सिसकारी मारी ...नूरी के नाम की .
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....नूरी ......क्या माल है ....उम्म्म्म्म ....क्या मुम्मे थे तेरे .....इतने मीठे ....इतने कड़क निप्पल ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ....'
पंडित अपने दरवाजे की ओट लेकर खड़ा हुआ अपना लंड मसल रहा था ...तभी दरवाजे पर धीरे से किसी ने खडकाया ..
पंडित ने आनन् फानन में अपनी धोती ऊपर उठाई और अपने लंड को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए जैसे ही पूछना चाहा की कौन है ...बाहर से आवाज माधवी की आवाज आई "पंडित जी ...खोलिए तो जरा ..."
माधवी की रसीली आवाज सुनते ही पंडित के हाथों से धोती छुट गयी और उसने जल्दी से दरवाजा खोलकर माधवी का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा और दरवाजा फिर से बंद कर दिया ..
माधवी को पंडित जी से ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी ..पर अन्दर आकर जैसे ही उसकी नजर पंडित के खुन्कार लंड के ऊपर गयी उसका शरीर कांप सा गया ...उसकी आँखे बोजिल सी हो गयी और वो बेजान सी होकर वहीँ जमीन पर बैठकर पंडित ने नोने से लंड को निहारने लगी ...
पंडित की हालत पहले से ही खराब थी, माधवी की मर्जी जाने बिना ही वो हरकत में आ गया और आगे बढकर अपने श्रीखंड को उसके मुंह में धकेल दिया ...
उम्म्म्म्म .....
पंडित जी का मीठा उपहार पाकर वो गदगद हो उठी ...और उसका मीठा रस पीकर वो अपने मुंह और जीभ को उसपर जोरों से चलाने लगी ...
वैसे भी अपने पति की तरफ से खुल्ली छूट मिल जाने की वजह से वो पंडित से सब कुछ खुलकर करवाने को बेताब थी, और वो ये नहीं जानती थी की पंडित को ये सब पहले से ही पता है ..
पंडित ने अपने फैले हुए हाथों से उसके सर को जोर से पकड़ा हुआ था ...और अपनी हथेलियों से उसके कानों को रगड़ कर उसे और भी गरम कर रहा था ...
आज माधवी ने साडी पहनी हुई थी ..उसका पल्लू कर खिसक कर नीचे ढलक गया, उसे भी पता नहीं चला ..उसके दूध से भरे हुए थन बाहर निकलकर अपना दूध निकलवाने को मचलने लगे ..
पंडित के हाथ खिसकते हुए आगे आये और एक एक करके उसने माधवी के ब्लाऊस के बटन खोलने शुरू कर दिये.
माधवी ने भी पंडित जी की मदद करते हुए अपना ब्लाउस खोल दिया और अपनी ब्रा के कप नीचे खिसका कर अपने उरोज उनके समक्ष उपस्थित कर दिए ..
पंडित ने झुक कर उसके निप्पल अपने दोनों हाथों की उँगलियों में पकडे और उन्हें ऊपर की तरफ खींच दिया ...
माधवी दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण के साथ सिसक उठी ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी .....उफ्फ्फ दर्द होता है ...'
पर पंडित को उसपर कोई रहम नहीं आया, वो उसे ऊपर की तरफ खींचता चला गया, माधवी के मुंह से पंडित का डंडा बाहर निकल गया और उसके पुरे शरीर पर रगड़ खाता हुआ ठीक उसकी चूत के ६ इंच ऊपर आकर रुक गया ..
उत्तेजना के मारे माधवी के मुंह से लार निकल कर उसकी ठोडी और गर्दन को गीला कर रही थी ..पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और उसके होंठों से निकल रहे अमृत को चाटना शुरू कर दिया ...
माधवी के होंठों के ऊपर पंडित की जीभ ऐसे चल रही थी मानो वो कोई आइसक्रीम हो ..गर्दन पर पहुंचकर पंडित के हाथों के पंजे उसके मुम्मों को जोरों से मसलने लगे ...अब माधवी ने पंडित के सर को पकड़कर उसे अपने सीने से लगा लिया और आनंद सागर में गोते लगाते हुए पंडित से मुम्मे चुस्वाने का सुख भोगने लगी ..
माधवी ने सिसकारी मारते हुए कहा : "स्स्स्स पंडित जी ...आज मैं कितने सही समय पर आई आपके पास ...अह्ह्ह्ह्ह ...आई तो कुछ और काम से थी ...पर मुझे क्या मालुम था की मेरी किस्मत में आज सुबह -२ आपका प्रसाद लिखा होगा ...आअह्ह्ह्ह्ह "
कहते -२ उसने एक बार जोर से पंडित के लंड को पकड़ कर मसल दिया ...
पंडित का लंड उसकी चूत में अभी तक एक बार भी नहीं गया था ....और आज वो ये काम किसी भी कीमत पर करना ही चाहती थी ..पंडित की भी हालत खराब थी, नूरी की चूत मारने से वो आज वंचित रह गया था जिसकी वजह से उसके अन्दर काफी गुबार भर गया था .उसने घडी की तरफ देखा, रितु और शीला के आने का समय भी होने वाला था ..और उनके आने से पहले जैसी परिस्थिति हो जाती, जिसमे उसे बिना चूत मारे ही रहना पड़ा था, उसने आनन् फानन में माधवी को अपने बेड पर पटका और उसकी साडी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी गीली कच्छी को साईड में किया और अपना दनदनाता हुआ लंड एक ही बार में उसकी गर्म और रसीली चूत में पेल दिया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह पंडित जी ......उम्म्म्म्म .....मैं तो धन्य हो गयी ....अह्ह्ह्ह ....आपसे चुदवाकर उम्म्म्म्म ......क्या लंड है आपका .....मोटा ....और लम्बा .....उम्म्म्म ....."
वो पंडित के लंड को गिरधर के लंड से कम्पेयर कर रही थी ...इसलिए उसको आज काफी मजा भी आ रहा था ....उसकी साड़ी मोटी जाँघों के ऊपर सिमटी पड़ी थी ...और धक्के लगने की वजह से बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुकी थी ...ऊपर के दोनों कबूतर भी हर झटके से ऊपर उड़ जाते पर बंधे होने की वजह से वापिस नीचे आ जाते ..
पंडित खड़े-२ झटके मार रहा था ...उसका पसीने से भीगा हुआ शरीर अपने अन्दर की गर्मी को लंड के जरिये माधवी की चूत में ट्रांसफर करने में लगा हुआ था ...
माधवी के पैर भी नीचे थे और उसने अपने पैरों को दोनों तरफ फ़ेल कर पंडित को बीच में आदर सहित खड़ा किया हुआ था, और उतने ही आदर के साथ उनके खड़े हुए लंड को अपने अन्दर लिया हुआ था ..
अचानक पंडित के झटके तेज होने लगे ...
'अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ माधवी ...उम्म्म ....क्या टाईट चूत है तेरी ...अह्ह्ह ...लगता है गिरधर ने पूरा इस्तेमाल नहीं किया ...अह्ह्ह ...जवान बेटी हो गयी है तेरी ...अह्ह्ह्ह्ह ..फिर भी ....इतनी गरम चूत है तेरी ...'
माधवी के अन्दर की भट्टी भी आग उगलने लगी ..और एक भीषण गर्जन के साथ पंडित के लंड से पानी निकल कर माधवी की भट्टी की आग बुझाने लगा ...माधवी को भी ओर्गास्म के झटके अन्दर से लगने महसूस हुए और उसका पूरा शरीर अकड़ गया ...उसके पैर सामने हवा में सीधे हो गए ...पंडित ने अपने पुरे शरीर को माधवी के ऊपर लिटा दिया ..और बाकी के बचे हुए झटके दोनों ने एक साथ खाए ...एक दुसरे से लिपटे हुए .
'ओह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....आज जैसी चुदाई तो किसी ने नहीं की मेरी ....कितना शक्तिशाली है आपका लंड .....मुझे तो जन्नत की सैर करवा दी आपने आज ...मैं तो आपके लंड की मुरीद हो गयी ...कसम से ..'
पंडित ने उसकी बाते सुनते हुए अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए और माधवी को भी सही अवस्था में आने को कहा ..थोड़ी ही देर में दोनों सही तरीके से अपने आपको दरुस्त करके बैठ गए ..
पंडित ने दोनों दरवाजे खोल दिए और एक अगरबत्ती जला दी ताकि कमरे से सेक्स की महक निकल जाए ...
पंडित : "हां ...माधवी ...अब बोलो ...किस काम से आई थी तुम .."
माधवी शर्माते हुए बोली : "वो ..मैं ..आपको धन्यवाद देने आई थी ...की आपकी वजह से मेरे और गिरधर के बीच फिर से पहले जैसा अपनापन आ गया है .. "
पंडित : "मैं जानता हु ..."
माधवी चोंक कर बोली : "कैसे ????"
पंडित : "भूल गयी ...मैं अंतर्यामी हु ...मुझे सब पता चल जाता है ...तुम्हारे चेहरे को देखते ही मैं समझ गया था की तुम यहाँ किसलिए आई हो ..."
माधवी शरमाने लगी ...और धीरे से बोली : "अच्छा ...तभी आपने बिना कुछ पूछे मुझे अन्दर खींच लिया और ये सब कर डाला ...मुझे तो ऐसा लग रहा था की आप जैसे मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे की कब मैं आऊ और कब आप मुझे चो ...चोद डाले ..."
पंडित मुस्कुराने लगा ...और सोचने लगा 'अब इस अज्ञानी को कैसे समझाऊ '
तभी बाहर से रितु अन्दर आ गयी ...और अपनी माँ को पंडित के साथ बैठ देखकर बोली : "अरे माँ ...तुम यहाँ हो ...मैं तुम्हे घर पर देख रही थी ...वहां कोई नहीं था, मैं स्कूल से आकर कपडे भी बदल आई और खाना भी खा लिया ... "
माधवी : "अरे ...पंडित जी से बातें करते-२ मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहा ...अच्छा पंडित जी ..मैं चलती हु ...आप बस मेरी बच्ची की पढाई पर ध्यान दीजिये ...अगर हो सके तो अपनी तरफ से भी कोई शिक्षा इसे दे दिया करिए ..शीला जी तो स्कूल का पाठ्यकर्म पढाती है ...जीवन और ज्ञान से सम्बंधित बातें तो आपही बता सकते हैं न ..."
पंडित : "इसमें कहने वाली क्या बात है माधवी ..तुम चिंता मत करो ..रितु को हर तरह की शिक्षा मिलेगी ...तुम जाओ .."
माधवी पंडित जी को प्रणाम करके वहां से निकल गयी ...पंडित का ध्यान अब रितु के ऊपर गया ...वो आज पिंक कलर की लम्बी सी फ्रोक पहन कर आई थी ...स्लीवलेस थी वो ...और उसके दांये कंधे पर पंडित को उसकी ब्लेक ब्रा का स्ट्रेप भी नजर आ रहा था ...
पंडित बुदबुदाया 'ओह्ह्ह्ह रितु ....क्यों आग लगाती हो ...ऐसे अपने अंगों के दर्शन करवाकर ...'
आज वो रितु को सच में कुछ स्पेशल ज्ञान देने के मूड में था .
रितु के चेहरे पर भी आज एक अलग सी रौनक थी , कुछ नया सीखने की, नया देखने की , जीवन के रहस्यों को समझने की और उन्हें अपनाने की . वो सब कुछ सोचकर मंद -२ मुस्कुरा भी रही थी .
पंडित : " क्या बात है रितु , आज तुम काफी खुश नजर आ रही हो .."
रितु (अल्हड़पन और शोखी भरे स्वर में बोली ) : "आप तो सब चेहरा देखकर ही जान लेते है न ..आप ही बताइए मैं क्या सोच कर खुश हो रही हु .."
पंडित के ज्ञान को उसने सीधे शब्दों में चुनोती दे डाली .
पंडित भी मुस्कुराते हुए उसके पास खिसक आया और धीरे से बोला : "मुझे तो पता है की तुम क्या सोचकर मुस्कुरा रही हो ..पर ऐसा ना हो की मैं तुम्हे बताऊँ और तुम शरमा कर यहाँ से भाग जाओ ..."
रितु (सकुचाते हुए) : "नहीं ...ऐसा नहीं होगा ...आप बताइए तो सही .."
पंडित : "तो सुनो ...तुमने कल रात को अपने माँ पिताजी को वो सब करते हुए देखा जिसके विषय में सोचकर तुम २ दिनों से परेशान हो ..यानी सम्भोग ..है न .."
पंडित की बात सुनकर रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे शायद ये आशा भी नहीं थी की पंडित इतनी आसानी से उसके सामने उसकी पोल पट्टी खोल कर रख देगा ..और शायद ये भी अंदाजा नहीं था की पंडित सच में कल रात वाली बात जानता होगा ..मतलब, उसे ये तो पता था की पंडित मन की बात जान लेता है पर ये बात भी वो जान लेगा उसे उम्मीद नहीं थी ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की पंडित वो सब कैसे जानता है .
पंडित : "और मुझे ये भी पता है की तुम उन्हें देखते -२ क्या कर रही थी ..कैसे तुमने अपनी फ्रोक को उतार फेंका और ..."
"बस पंडित जी ....प्लीस ...और कुछ ना बोलिए ...मुझे शर्म आ रही है ...प्लीस ..." वो गहरी साँसे लेते हुए पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी ..जैसे उनके ज्ञान से रूबरू होकर अपनी अज्ञानता की माफ़ी मांग रही हो ..
पंडित ने उसकी गोरी-२ बाजुओं से पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और बोले : "इसमें शर्माने वाली कोनसी बात है रितु ...वो सब स्वाभाविक था, तुमने जो देखा उसके परिणामस्वरूप वो सब तो होना ही था ...बस तुम्हे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आया ....."
पंडित उसकी आधी अधूरी जानकारी के बारे में जानता था ..इसलिए ये सब बोला ..
रितु : "पंडित जी ..मुझे सच में इन सब चीजों के बारे में कुछ नहीं मालुम ..घर पर भी और स्कूल में भी कोई ऐसा नहीं है जो ये सब बताये ..आपने भी कल मुझे जो बात बतायी थी वो मेरे लिए बिलकुल नयी थी ..वरना आज तक तो मैं यही समझती थी की शायद किस्स करने से ...ही बच्चा ...हो जाता है ..."
पंडित : "ह्म्म्म ...पर तुम चिंता ना करो ..अब मेरे पास आकर तुम्हारा अज्ञानता का अँधेरा दूर हो जाएगा ...मैं रोज तुम्हे जीवन के हर पहलु से अवगत करवाऊंगा ..."
रितु ने हाँ में सर हिला दिया ..
वो ये सब बातें कर ही रहे थे की बाहर से शीला अन्दर आ गयी और पंडित जी के पैर छु कर वहीँ उनके पास जमीन पर बैठ गयी ..
पंडित ने शीला से कहा : "शीला ...आज हम दोनों मिलकर रितु के कुछ सवालों का निवारण करेंगी ..जो काम क्रीडा यानी सेक्स के बारे में हैं .."
पंडित की बात सुनकर रितु के साथ-२ शीला भी आश्चर्य से उन्हें देखने लगी ..
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वो पंडित से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, पंडित के लंड से चुदकर वो प्रेग्नेंट होना चाहती थी ... अब पंडित के लिए भी अपने आप को संभालना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी के नूर टपकाते हुए चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे से बोले : "ठीक है ..जैसा तुम चाहो ..मैं तैयार हु तुम्हारी मदद करने के लिए ..."
पंडित का इतना कहना था की नूरी की आँखों से आंसू निकल गए और उसने आगे बढकर पंडित के गले में अपनी बाहें डाल दी ..उसके दोनों खरबूजे पंडित की छाती से पीसकर अपना गुदा वहां महसूस करवाने लगे ..
पंडित ने भी उसकी पीठ पर अपनी जकड बनाते हुए उसे अपने ऊपर खींच लिया ..और पीछे की तरफ लेट गया ..नूरी का गदराया हुआ जिस्म पंडित के ऊपर पड़ा हुआ था ..उसके रेशमी बालों ने दोनों तरफ से गिरकर उसके और पंडित के चेहरे को किसी जंगले की तरह से ढक लिया ..नूरी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और पंडित की आँखों में बड़े प्यार से देखा ..और फिर अपनी आँखे बंद करते हुए वो नीचे झुकी और पंडित के होंठों को अपने अन्दर समेट कर उसे जोर से चूम लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह ...क्या एहसास था ..उसके गुलाब की पंखड़ियों का ..ऐसा लग रहा था की गुलाब की पत्तियां उसके होंठों को चूस रही है ..इतना कोमल एहसास पंडित को आज तक नहीं हुआ था ...
पंडित ने दुगने जोश के साथ अपनी पकड़ बडाई और उसके होंठों को चूसने लगा ...
'उम्म्म्म ....पंडित जी ....धीरे ...अहह ...आप तो काफी जालिम लगते हैं इस मामले में ...'
नूरी की कम्प्लेंन सुनकर पंडित ने अपना उत्तेजना पर लगाम लगायी ..और अपने हाथ नीचे करके हमेशा से आँखों के आकर्षण का केंद्र रहे उसके उरोजों को पकड़ा और उन्हें सहलाने लगा ...मगर प्यार से.
उसकी ब्रेस्ट पर चमक रहे निप्पल पंडित को साफ़ महसूस हो रहे थे ..वो अभी -२ नहा कर आई थी इसलिए उसके शरीर की ठंडक पंडित को काफी सुखद लग रही थी ..
पंडित ने उसके सूट को नीचे से पकड़ा और ऊपर करके निकाल दिया ...उसने नीचे ब्लू कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..पंडित ने उसकी ब्रा भी खोल दी ..और जैसे ही वो खुली, उसमे से पके हुए फलों की तरह उसके दोनों आम बाहर निकल कर पंडित के चेहरे पर आ गिरे ..और पंडित के होंठ और जीभ जोर -२ से उनपर चलने लगे ...नूरी ने सोचा भी नहीं था की धार्मिक काम काज करने वाला ये पंडित सेक्स के ऐसे दांव पेंच भी जानता होगा जिसे देखकर लड़की के मुंह से तो क्या चूत से भी चीखे निकल जाए ...
'अह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....उम्म्म्म ....क्या करते हो ...अह्ह्ह ...बहुत मजा आ रहा है ...अह्ह्ह ...'
पंडित उसे ये सब मजे देने के लिए ही तो सब कर रहा था ...
पंडित के हाथ उसकी पायजामी की तरफ चले, उसने तो जैसे सोच लिया था की आज ही इसे प्रेग्नेंट करके रहेगा ...
पर तभी बाहर का दरवाजा खडका ..दोनों चोंक गए ..
नूरी ने जोर से पुछा : "कोन है ...बाहर "
"बेटा ...मैं ...हु ..खोलो ..." वो इरफ़ान की आवाज थी , कमीना दो घंटे में आने वाला था , पंडित ने मन ही मन सोचा ...
दोनों घबरा गए, नूरी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और पंडित को अपने कमरे में लेजाकर बेड के नीचे छुपा दिया और जाकर दरवाजा खोल दिया ..
दोनों की आवाजें पंडित साफ़ सुन पा रहा था ..
नूरी : "अब्बा जान ...आप काफी जल्दी आ गए ..."
इरफ़ान : "हाँ ..मैंने वो पैसे सीधा उसके खाते में जमा करवा दिए ..वो ए टी एम से निकलवा लेगी ..वहां जाने और आने में काफी समय लगता ..शाम को उसे देखने चला जाऊंगा ..अभी दूकान भी तो खोलनी है ..तू मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना, मैं नहा कर आता हु .."
वो नहाने के लिए जल्दी से गुसलखाने में घुस गए, नूरी ने भागकर पंडित को बाहर निकाल और उसे चुपचाप बाहर निकाल दिया ...पंडित को अपनी हालत आजकल के नोजवान आशिक जैसी लग रही थी जो लड़की के घर से उसके बाप के डर से छुप कर भाग रहा था ..पर जो भी हो, नूरी के जलते हुए बदन के आधे अधूरे एहसास ने पंडित के अन्दर की ज्वाला को और भी ज्यादा जला दिया था ..उसे अब जल्द से जल्द उसके साथ चुदाई करनी थी और उसे बच्चा देना था ...वो शाम को आने का वादा करके जल्दी से नीचे उतर गया ..
और वैसे भी , रितु के आने का टाईम भी होने वाला था ..
पंडित अपने कमरे में भागकर पहुंचा, चलते हुए उसका एक हाथ अपनी धोती के ऊपर था, वैसे धोती का तो एक बहाना ही था, असल में वो अपने खड़े हुए लंड को पकड़ कर चल रहा था, उसे डर था की उसका खड़ा हुआ लंड कोई देखा ना ले ..
दरवाजा बंद करके वो अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाते हुए आँखे बंद करके अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा और नूरी के बेपनाह हुस्न को याद करते हुए उसकी धोती कब नीचे गिर गयी, उसे भी पता नहीं चला ...
उसके लम्बे लंड के ऊपर चमक रहे सुपाडे पर नूरी के नाम का पसीना उभर आया ..उसने वो प्रिकम अपने पुरे लंड पर मलकर एक दबी हुई सी सिसकारी मारी ...नूरी के नाम की .
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....नूरी ......क्या माल है ....उम्म्म्म्म ....क्या मुम्मे थे तेरे .....इतने मीठे ....इतने कड़क निप्पल ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ....'
पंडित अपने दरवाजे की ओट लेकर खड़ा हुआ अपना लंड मसल रहा था ...तभी दरवाजे पर धीरे से किसी ने खडकाया ..
पंडित ने आनन् फानन में अपनी धोती ऊपर उठाई और अपने लंड को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए जैसे ही पूछना चाहा की कौन है ...बाहर से आवाज माधवी की आवाज आई "पंडित जी ...खोलिए तो जरा ..."
माधवी की रसीली आवाज सुनते ही पंडित के हाथों से धोती छुट गयी और उसने जल्दी से दरवाजा खोलकर माधवी का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा और दरवाजा फिर से बंद कर दिया ..
माधवी को पंडित जी से ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी ..पर अन्दर आकर जैसे ही उसकी नजर पंडित के खुन्कार लंड के ऊपर गयी उसका शरीर कांप सा गया ...उसकी आँखे बोजिल सी हो गयी और वो बेजान सी होकर वहीँ जमीन पर बैठकर पंडित ने नोने से लंड को निहारने लगी ...
पंडित की हालत पहले से ही खराब थी, माधवी की मर्जी जाने बिना ही वो हरकत में आ गया और आगे बढकर अपने श्रीखंड को उसके मुंह में धकेल दिया ...
उम्म्म्म्म .....
पंडित जी का मीठा उपहार पाकर वो गदगद हो उठी ...और उसका मीठा रस पीकर वो अपने मुंह और जीभ को उसपर जोरों से चलाने लगी ...
वैसे भी अपने पति की तरफ से खुल्ली छूट मिल जाने की वजह से वो पंडित से सब कुछ खुलकर करवाने को बेताब थी, और वो ये नहीं जानती थी की पंडित को ये सब पहले से ही पता है ..
पंडित ने अपने फैले हुए हाथों से उसके सर को जोर से पकड़ा हुआ था ...और अपनी हथेलियों से उसके कानों को रगड़ कर उसे और भी गरम कर रहा था ...
आज माधवी ने साडी पहनी हुई थी ..उसका पल्लू कर खिसक कर नीचे ढलक गया, उसे भी पता नहीं चला ..उसके दूध से भरे हुए थन बाहर निकलकर अपना दूध निकलवाने को मचलने लगे ..
पंडित के हाथ खिसकते हुए आगे आये और एक एक करके उसने माधवी के ब्लाऊस के बटन खोलने शुरू कर दिये.
माधवी ने भी पंडित जी की मदद करते हुए अपना ब्लाउस खोल दिया और अपनी ब्रा के कप नीचे खिसका कर अपने उरोज उनके समक्ष उपस्थित कर दिए ..
पंडित ने झुक कर उसके निप्पल अपने दोनों हाथों की उँगलियों में पकडे और उन्हें ऊपर की तरफ खींच दिया ...
माधवी दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण के साथ सिसक उठी ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी .....उफ्फ्फ दर्द होता है ...'
पर पंडित को उसपर कोई रहम नहीं आया, वो उसे ऊपर की तरफ खींचता चला गया, माधवी के मुंह से पंडित का डंडा बाहर निकल गया और उसके पुरे शरीर पर रगड़ खाता हुआ ठीक उसकी चूत के ६ इंच ऊपर आकर रुक गया ..
उत्तेजना के मारे माधवी के मुंह से लार निकल कर उसकी ठोडी और गर्दन को गीला कर रही थी ..पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और उसके होंठों से निकल रहे अमृत को चाटना शुरू कर दिया ...
माधवी के होंठों के ऊपर पंडित की जीभ ऐसे चल रही थी मानो वो कोई आइसक्रीम हो ..गर्दन पर पहुंचकर पंडित के हाथों के पंजे उसके मुम्मों को जोरों से मसलने लगे ...अब माधवी ने पंडित के सर को पकड़कर उसे अपने सीने से लगा लिया और आनंद सागर में गोते लगाते हुए पंडित से मुम्मे चुस्वाने का सुख भोगने लगी ..
माधवी ने सिसकारी मारते हुए कहा : "स्स्स्स पंडित जी ...आज मैं कितने सही समय पर आई आपके पास ...अह्ह्ह्ह्ह ...आई तो कुछ और काम से थी ...पर मुझे क्या मालुम था की मेरी किस्मत में आज सुबह -२ आपका प्रसाद लिखा होगा ...आअह्ह्ह्ह्ह "
कहते -२ उसने एक बार जोर से पंडित के लंड को पकड़ कर मसल दिया ...
पंडित का लंड उसकी चूत में अभी तक एक बार भी नहीं गया था ....और आज वो ये काम किसी भी कीमत पर करना ही चाहती थी ..पंडित की भी हालत खराब थी, नूरी की चूत मारने से वो आज वंचित रह गया था जिसकी वजह से उसके अन्दर काफी गुबार भर गया था .उसने घडी की तरफ देखा, रितु और शीला के आने का समय भी होने वाला था ..और उनके आने से पहले जैसी परिस्थिति हो जाती, जिसमे उसे बिना चूत मारे ही रहना पड़ा था, उसने आनन् फानन में माधवी को अपने बेड पर पटका और उसकी साडी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी गीली कच्छी को साईड में किया और अपना दनदनाता हुआ लंड एक ही बार में उसकी गर्म और रसीली चूत में पेल दिया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह पंडित जी ......उम्म्म्म्म .....मैं तो धन्य हो गयी ....अह्ह्ह्ह ....आपसे चुदवाकर उम्म्म्म्म ......क्या लंड है आपका .....मोटा ....और लम्बा .....उम्म्म्म ....."
वो पंडित के लंड को गिरधर के लंड से कम्पेयर कर रही थी ...इसलिए उसको आज काफी मजा भी आ रहा था ....उसकी साड़ी मोटी जाँघों के ऊपर सिमटी पड़ी थी ...और धक्के लगने की वजह से बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुकी थी ...ऊपर के दोनों कबूतर भी हर झटके से ऊपर उड़ जाते पर बंधे होने की वजह से वापिस नीचे आ जाते ..
पंडित खड़े-२ झटके मार रहा था ...उसका पसीने से भीगा हुआ शरीर अपने अन्दर की गर्मी को लंड के जरिये माधवी की चूत में ट्रांसफर करने में लगा हुआ था ...
माधवी के पैर भी नीचे थे और उसने अपने पैरों को दोनों तरफ फ़ेल कर पंडित को बीच में आदर सहित खड़ा किया हुआ था, और उतने ही आदर के साथ उनके खड़े हुए लंड को अपने अन्दर लिया हुआ था ..
अचानक पंडित के झटके तेज होने लगे ...
'अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ माधवी ...उम्म्म ....क्या टाईट चूत है तेरी ...अह्ह्ह ...लगता है गिरधर ने पूरा इस्तेमाल नहीं किया ...अह्ह्ह ...जवान बेटी हो गयी है तेरी ...अह्ह्ह्ह्ह ..फिर भी ....इतनी गरम चूत है तेरी ...'
माधवी के अन्दर की भट्टी भी आग उगलने लगी ..और एक भीषण गर्जन के साथ पंडित के लंड से पानी निकल कर माधवी की भट्टी की आग बुझाने लगा ...माधवी को भी ओर्गास्म के झटके अन्दर से लगने महसूस हुए और उसका पूरा शरीर अकड़ गया ...उसके पैर सामने हवा में सीधे हो गए ...पंडित ने अपने पुरे शरीर को माधवी के ऊपर लिटा दिया ..और बाकी के बचे हुए झटके दोनों ने एक साथ खाए ...एक दुसरे से लिपटे हुए .
'ओह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....आज जैसी चुदाई तो किसी ने नहीं की मेरी ....कितना शक्तिशाली है आपका लंड .....मुझे तो जन्नत की सैर करवा दी आपने आज ...मैं तो आपके लंड की मुरीद हो गयी ...कसम से ..'
पंडित ने उसकी बाते सुनते हुए अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए और माधवी को भी सही अवस्था में आने को कहा ..थोड़ी ही देर में दोनों सही तरीके से अपने आपको दरुस्त करके बैठ गए ..
पंडित ने दोनों दरवाजे खोल दिए और एक अगरबत्ती जला दी ताकि कमरे से सेक्स की महक निकल जाए ...
पंडित : "हां ...माधवी ...अब बोलो ...किस काम से आई थी तुम .."
माधवी शर्माते हुए बोली : "वो ..मैं ..आपको धन्यवाद देने आई थी ...की आपकी वजह से मेरे और गिरधर के बीच फिर से पहले जैसा अपनापन आ गया है .. "
पंडित : "मैं जानता हु ..."
माधवी चोंक कर बोली : "कैसे ????"
पंडित : "भूल गयी ...मैं अंतर्यामी हु ...मुझे सब पता चल जाता है ...तुम्हारे चेहरे को देखते ही मैं समझ गया था की तुम यहाँ किसलिए आई हो ..."
माधवी शरमाने लगी ...और धीरे से बोली : "अच्छा ...तभी आपने बिना कुछ पूछे मुझे अन्दर खींच लिया और ये सब कर डाला ...मुझे तो ऐसा लग रहा था की आप जैसे मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे की कब मैं आऊ और कब आप मुझे चो ...चोद डाले ..."
पंडित मुस्कुराने लगा ...और सोचने लगा 'अब इस अज्ञानी को कैसे समझाऊ '
तभी बाहर से रितु अन्दर आ गयी ...और अपनी माँ को पंडित के साथ बैठ देखकर बोली : "अरे माँ ...तुम यहाँ हो ...मैं तुम्हे घर पर देख रही थी ...वहां कोई नहीं था, मैं स्कूल से आकर कपडे भी बदल आई और खाना भी खा लिया ... "
माधवी : "अरे ...पंडित जी से बातें करते-२ मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहा ...अच्छा पंडित जी ..मैं चलती हु ...आप बस मेरी बच्ची की पढाई पर ध्यान दीजिये ...अगर हो सके तो अपनी तरफ से भी कोई शिक्षा इसे दे दिया करिए ..शीला जी तो स्कूल का पाठ्यकर्म पढाती है ...जीवन और ज्ञान से सम्बंधित बातें तो आपही बता सकते हैं न ..."
पंडित : "इसमें कहने वाली क्या बात है माधवी ..तुम चिंता मत करो ..रितु को हर तरह की शिक्षा मिलेगी ...तुम जाओ .."
माधवी पंडित जी को प्रणाम करके वहां से निकल गयी ...पंडित का ध्यान अब रितु के ऊपर गया ...वो आज पिंक कलर की लम्बी सी फ्रोक पहन कर आई थी ...स्लीवलेस थी वो ...और उसके दांये कंधे पर पंडित को उसकी ब्लेक ब्रा का स्ट्रेप भी नजर आ रहा था ...
पंडित बुदबुदाया 'ओह्ह्ह्ह रितु ....क्यों आग लगाती हो ...ऐसे अपने अंगों के दर्शन करवाकर ...'
आज वो रितु को सच में कुछ स्पेशल ज्ञान देने के मूड में था .
रितु के चेहरे पर भी आज एक अलग सी रौनक थी , कुछ नया सीखने की, नया देखने की , जीवन के रहस्यों को समझने की और उन्हें अपनाने की . वो सब कुछ सोचकर मंद -२ मुस्कुरा भी रही थी .
पंडित : " क्या बात है रितु , आज तुम काफी खुश नजर आ रही हो .."
रितु (अल्हड़पन और शोखी भरे स्वर में बोली ) : "आप तो सब चेहरा देखकर ही जान लेते है न ..आप ही बताइए मैं क्या सोच कर खुश हो रही हु .."
पंडित के ज्ञान को उसने सीधे शब्दों में चुनोती दे डाली .
पंडित भी मुस्कुराते हुए उसके पास खिसक आया और धीरे से बोला : "मुझे तो पता है की तुम क्या सोचकर मुस्कुरा रही हो ..पर ऐसा ना हो की मैं तुम्हे बताऊँ और तुम शरमा कर यहाँ से भाग जाओ ..."
रितु (सकुचाते हुए) : "नहीं ...ऐसा नहीं होगा ...आप बताइए तो सही .."
पंडित : "तो सुनो ...तुमने कल रात को अपने माँ पिताजी को वो सब करते हुए देखा जिसके विषय में सोचकर तुम २ दिनों से परेशान हो ..यानी सम्भोग ..है न .."
पंडित की बात सुनकर रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे शायद ये आशा भी नहीं थी की पंडित इतनी आसानी से उसके सामने उसकी पोल पट्टी खोल कर रख देगा ..और शायद ये भी अंदाजा नहीं था की पंडित सच में कल रात वाली बात जानता होगा ..मतलब, उसे ये तो पता था की पंडित मन की बात जान लेता है पर ये बात भी वो जान लेगा उसे उम्मीद नहीं थी ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की पंडित वो सब कैसे जानता है .
पंडित : "और मुझे ये भी पता है की तुम उन्हें देखते -२ क्या कर रही थी ..कैसे तुमने अपनी फ्रोक को उतार फेंका और ..."
"बस पंडित जी ....प्लीस ...और कुछ ना बोलिए ...मुझे शर्म आ रही है ...प्लीस ..." वो गहरी साँसे लेते हुए पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी ..जैसे उनके ज्ञान से रूबरू होकर अपनी अज्ञानता की माफ़ी मांग रही हो ..
पंडित ने उसकी गोरी-२ बाजुओं से पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और बोले : "इसमें शर्माने वाली कोनसी बात है रितु ...वो सब स्वाभाविक था, तुमने जो देखा उसके परिणामस्वरूप वो सब तो होना ही था ...बस तुम्हे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आया ....."
पंडित उसकी आधी अधूरी जानकारी के बारे में जानता था ..इसलिए ये सब बोला ..
रितु : "पंडित जी ..मुझे सच में इन सब चीजों के बारे में कुछ नहीं मालुम ..घर पर भी और स्कूल में भी कोई ऐसा नहीं है जो ये सब बताये ..आपने भी कल मुझे जो बात बतायी थी वो मेरे लिए बिलकुल नयी थी ..वरना आज तक तो मैं यही समझती थी की शायद किस्स करने से ...ही बच्चा ...हो जाता है ..."
पंडित : "ह्म्म्म ...पर तुम चिंता ना करो ..अब मेरे पास आकर तुम्हारा अज्ञानता का अँधेरा दूर हो जाएगा ...मैं रोज तुम्हे जीवन के हर पहलु से अवगत करवाऊंगा ..."
रितु ने हाँ में सर हिला दिया ..
वो ये सब बातें कर ही रहे थे की बाहर से शीला अन्दर आ गयी और पंडित जी के पैर छु कर वहीँ उनके पास जमीन पर बैठ गयी ..
पंडित ने शीला से कहा : "शीला ...आज हम दोनों मिलकर रितु के कुछ सवालों का निवारण करेंगी ..जो काम क्रीडा यानी सेक्स के बारे में हैं .."
पंडित की बात सुनकर रितु के साथ-२ शीला भी आश्चर्य से उन्हें देखने लगी ..
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