FUN-MAZA-MASTI
मौसी के साथ रंगीन सफ़र -1
मामा जी की बेटी अंजू की शादी तय हुई जयपुर में. लड़के वाले चाहते थे की शादी जयपुर में ही हो इसलिए हमारे पूरे परिवार को देहरादून से जयपुर आना पड़ा. मै उह दिनों दिल्ली में इंजीनियरिंग कर रहा था, इसलिए मैं भी सीधा जयपुर शादी में पहुँच गया. हमारे परिवार वालों के लिए दो होटल और एक धर्मशाला का बंदोबस्त किया गया था. सभी बड़े बुज़ुर्ग मर्द धर्मशाला में रह रहे थे एक होटल में जो भी पति पत्नी जोड़े जैसे की मेरी बहने और जीजाजी और भैया भाभी रह रहे थे दुसरे होटल में परिवार की वोह औरते रह रही थी जिनके पति धर्मशाला में थे या फिर जिनके पति आए ही नहीं थे. रमा मौसी शादी में अकेली आये थी क्योंकि मौसाजी को देहरादून में अपने चचेरे भाई की बेटी इन्दू की शादी में काफी जिम्मेदारी मिली हुई थी.
अंजू की शहदी 14 फ़रवरी को थी और इन्दू की 17 फ़रवरी को. रमा मौसी को भी अंजू की शादी के बाद देहरादून जाना था. मेरे प्रैक्टिकल एग्जाम चल रहे थे लेकिन बीच में 14 - 15 तारीख को 2 दिन की छुट्टी मिली तो मै बभी शादी के लिए जयपुर पहुँच गया. दिल्ली से 13 तारीख को बस पकड़ कर जब तक मै जयपुर पहुंचा आधी रात हो चुकी की थी. मामा जी ने मुझे धरमशाला में जाने को कह दिया, वहां पहुँच कर देका तो परिवार के सभी ठरकी बुद्दे दारू पी रहे थे और एक कमरे में डीवीडी पर ब्लू फिल्म चल रही थी, मुझे वहां देख कर मेरे ताऊजी ने कहा, यहाँ बच्चों का कोई काम नहीं है, तू होटल चला जा.
दरसल अन्दर के कमरों में चार रंडियों के साथ जोरदार रंडीबाजी चल रही थी और ठरकी बुद्धे नहीं चाहते थे की उनका माहोल ख़राब हो. दम्पति वाले होटल में तो कोई कमरा ऐसा था नहीं जहा मै रह सकता इसलिए मै दुसरे होटल में पहुंचा और सोचा यहीं कही एडजस्ट हो जाऊंगा. तब रात के तीन बज चुके थे लेकिन एक कमरे में से जोर जोर से बातचीत सुनाई दे रही थी, मैंने कमरे की बेल बजाई तो दरवाज़ा खुला, सामे देखा रमा मौसी थी, मौसी को मैंने 10 साल से नहीं देखा था. मुझे देख रमा मौसी जोर से चिल्लाई "अरे देखो मनु भी पहुँच गया" और मौसी ने मुझे गले लगते हुए गाल पर चूम लिया, चुम्मी देते वक़्त ऐसा लगा की मौसी की जीभ ने मेरे गाल को चाट लिया और कुछ गीलापन गाल पर रह गया. मै कमरे में दाखिल हुआ तो देखा की वह पर मेरे मामीचाची और दो और मौसी पहले से मौजूद हैं. सभी औरत गप शप में लगी हुई चथी, मैंने मामी से कहा "मामीजी मेरे रात को सोने के लिए की कोई जगह है ? " मामी बोली " यह तो सिर्फ लेडीज
के लिए होटल है, तू धर्मशाला में क्यों नहीं गया" ?; मैंने कहा " गया था लेकिन वहां कोई जगह नहीं मिली, बड़े ताऊजी ने कहा की होटल में जाओ, सो मै यहाँ आ गया"
मा मौसी बोलीहमारे कमरे में एक गद्दा एक्स्ट्रा है तू वहां सो जा मै और सरू(दूसरी मौसी) पलंग पर सो जायेंगे. इतना कह कर रमा मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बगल वाले कमरे में ले गयी. वह पर एक गद्दाफर्श पर बिछा हुआ था. और एक खाली पलंग भी था. मौसी बोली तू फ्रेश हो जा और इधर सो जा मै और सरू थोड़ी देर बाद आएंगे. मौसी कमरे से बहार गयी तो मैंने भी कपडे उतारे, कमरे का दरवाजा
बंद किया और नहाने चला गया नाहते हुए रमा मौसी का ख्याल आया, मौसी लगभग 50 साल की हो चुकी थी और कुछ मोटे शरीर की थी, कद करीब 5 फुट 5 इंच, चूचि करीब 42 इंच, कमर 39 इंच और भारी भरकम चूतड़ 55 इंच. मौसी से गले लग कर और उसकी गीली चुम्मी ने मेरी ठरक जगा दी. नहाते समय मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खुलारखा, सामने पलंग पर अपना लैपटॉप रखा और उसमे एक देसी मलयालम ब्लू फिल्म लगायी, ब्लू फिल्म की हीरोइने चौड़ी गांड वाली थी, नहाते हुए मैंने रमा मौसी कके नाम का सडका मारा और फिर कुरता पायजामा पहन कर सो गया.
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मौसी के साथ रंगीन सफ़र -1
मामा जी की बेटी अंजू की शादी तय हुई जयपुर में. लड़के वाले चाहते थे की शादी जयपुर में ही हो इसलिए हमारे पूरे परिवार को देहरादून से जयपुर आना पड़ा. मै उह दिनों दिल्ली में इंजीनियरिंग कर रहा था, इसलिए मैं भी सीधा जयपुर शादी में पहुँच गया. हमारे परिवार वालों के लिए दो होटल और एक धर्मशाला का बंदोबस्त किया गया था. सभी बड़े बुज़ुर्ग मर्द धर्मशाला में रह रहे थे एक होटल में जो भी पति पत्नी जोड़े जैसे की मेरी बहने और जीजाजी और भैया भाभी रह रहे थे दुसरे होटल में परिवार की वोह औरते रह रही थी जिनके पति धर्मशाला में थे या फिर जिनके पति आए ही नहीं थे. रमा मौसी शादी में अकेली आये थी क्योंकि मौसाजी को देहरादून में अपने चचेरे भाई की बेटी इन्दू की शादी में काफी जिम्मेदारी मिली हुई थी.
अंजू की शहदी 14 फ़रवरी को थी और इन्दू की 17 फ़रवरी को. रमा मौसी को भी अंजू की शादी के बाद देहरादून जाना था. मेरे प्रैक्टिकल एग्जाम चल रहे थे लेकिन बीच में 14 - 15 तारीख को 2 दिन की छुट्टी मिली तो मै बभी शादी के लिए जयपुर पहुँच गया. दिल्ली से 13 तारीख को बस पकड़ कर जब तक मै जयपुर पहुंचा आधी रात हो चुकी की थी. मामा जी ने मुझे धरमशाला में जाने को कह दिया, वहां पहुँच कर देका तो परिवार के सभी ठरकी बुद्दे दारू पी रहे थे और एक कमरे में डीवीडी पर ब्लू फिल्म चल रही थी, मुझे वहां देख कर मेरे ताऊजी ने कहा, यहाँ बच्चों का कोई काम नहीं है, तू होटल चला जा.
दरसल अन्दर के कमरों में चार रंडियों के साथ जोरदार रंडीबाजी चल रही थी और ठरकी बुद्धे नहीं चाहते थे की उनका माहोल ख़राब हो. दम्पति वाले होटल में तो कोई कमरा ऐसा था नहीं जहा मै रह सकता इसलिए मै दुसरे होटल में पहुंचा और सोचा यहीं कही एडजस्ट हो जाऊंगा. तब रात के तीन बज चुके थे लेकिन एक कमरे में से जोर जोर से बातचीत सुनाई दे रही थी, मैंने कमरे की बेल बजाई तो दरवाज़ा खुला, सामे देखा रमा मौसी थी, मौसी को मैंने 10 साल से नहीं देखा था. मुझे देख रमा मौसी जोर से चिल्लाई "अरे देखो मनु भी पहुँच गया" और मौसी ने मुझे गले लगते हुए गाल पर चूम लिया, चुम्मी देते वक़्त ऐसा लगा की मौसी की जीभ ने मेरे गाल को चाट लिया और कुछ गीलापन गाल पर रह गया. मै कमरे में दाखिल हुआ तो देखा की वह पर मेरे मामीचाची और दो और मौसी पहले से मौजूद हैं. सभी औरत गप शप में लगी हुई चथी, मैंने मामी से कहा "मामीजी मेरे रात को सोने के लिए की कोई जगह है ? " मामी बोली " यह तो सिर्फ लेडीज
के लिए होटल है, तू धर्मशाला में क्यों नहीं गया" ?; मैंने कहा " गया था लेकिन वहां कोई जगह नहीं मिली, बड़े ताऊजी ने कहा की होटल में जाओ, सो मै यहाँ आ गया"
मा मौसी बोलीहमारे कमरे में एक गद्दा एक्स्ट्रा है तू वहां सो जा मै और सरू(दूसरी मौसी) पलंग पर सो जायेंगे. इतना कह कर रमा मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बगल वाले कमरे में ले गयी. वह पर एक गद्दाफर्श पर बिछा हुआ था. और एक खाली पलंग भी था. मौसी बोली तू फ्रेश हो जा और इधर सो जा मै और सरू थोड़ी देर बाद आएंगे. मौसी कमरे से बहार गयी तो मैंने भी कपडे उतारे, कमरे का दरवाजा
बंद किया और नहाने चला गया नाहते हुए रमा मौसी का ख्याल आया, मौसी लगभग 50 साल की हो चुकी थी और कुछ मोटे शरीर की थी, कद करीब 5 फुट 5 इंच, चूचि करीब 42 इंच, कमर 39 इंच और भारी भरकम चूतड़ 55 इंच. मौसी से गले लग कर और उसकी गीली चुम्मी ने मेरी ठरक जगा दी. नहाते समय मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खुलारखा, सामने पलंग पर अपना लैपटॉप रखा और उसमे एक देसी मलयालम ब्लू फिल्म लगायी, ब्लू फिल्म की हीरोइने चौड़ी गांड वाली थी, नहाते हुए मैंने रमा मौसी कके नाम का सडका मारा और फिर कुरता पायजामा पहन कर सो गया.
थकान की
वजह से अच्छी नींद आई. आगले दिन आँख तब खुली जब सुबह सरू मौसी ने हिला कर
मुझे उठाया और कहा "मनु उठ भी जा" चाय पी ले, मै जैसे ही उठने के लिए दूसरी
कर्वट घूमा तो देखा मेरे चेहरे के आगे रमा मौसीकी आलिश्हन गांड; बिलकुल
मेरे चेहरे के सामने है, मौसी अपने सूटकेस को फर्श पर रख कर उसमे से कुछ
सामान निकाल रही थी. वो तभी नाहा कर आई होगी क्योंकि उसकी हलके पीले रंग की
सलवार गीली थी. रमा मौसी ने चड्डी नहीं पेनी थी और गीली सलवार गांड पर
चिपकी हुई थी यह नज़ारा देख कर सुबह सुबह लंड तनक गया.
मैंने फिर से सोने का बहाना करते हुए अपनी आँखे बंद की और अपना चेहरा रमा मौसी की गांड मेके बिलकुल करीब रख दिया, गांड और चूत की भीनी सी खुशबू सूंघने को मिली तो लौड़ा पजामा फाड़ने को तैयार हो गया करीब पांच मिनिट तक मैं रमा मौसी की गांड सूंघता रहा एक - दो बार मौसी के चूतड़ मेरी नाक पर टकरा गए, यह रगड़ महसूस करने में बहुत मज़ा आया. काम हो जाने के बाद रमा मौसी पलटी और मेरी जांघ पकड़ कर धीरे से मुझे हिलाया और कहा अब उठ भी जा मनु चाय पी ले; ठंडी हो रही है. जांघ पकड़ते समय रमा मौसी ने अपना हाथ से मेरा लौड़ा हलके से छुआ था, मानो की गलती से. उसके बाद मौसी उठ कर कमरे से बाहर चली गयी. मै उठा और चाय पी कर बाथरूम चला गया. नहाते समय फिर से मुट्ठ मारना पड़ा क्योकि रमा मौसी की गांड की खुशबू मेरे ज़हन में बस गयी थी उसके ऊपर मौसी का मेरे लौड़े को छूना जैसे आग में घी.
मैंने फिर से सोने का बहाना करते हुए अपनी आँखे बंद की और अपना चेहरा रमा मौसी की गांड मेके बिलकुल करीब रख दिया, गांड और चूत की भीनी सी खुशबू सूंघने को मिली तो लौड़ा पजामा फाड़ने को तैयार हो गया करीब पांच मिनिट तक मैं रमा मौसी की गांड सूंघता रहा एक - दो बार मौसी के चूतड़ मेरी नाक पर टकरा गए, यह रगड़ महसूस करने में बहुत मज़ा आया. काम हो जाने के बाद रमा मौसी पलटी और मेरी जांघ पकड़ कर धीरे से मुझे हिलाया और कहा अब उठ भी जा मनु चाय पी ले; ठंडी हो रही है. जांघ पकड़ते समय रमा मौसी ने अपना हाथ से मेरा लौड़ा हलके से छुआ था, मानो की गलती से. उसके बाद मौसी उठ कर कमरे से बाहर चली गयी. मै उठा और चाय पी कर बाथरूम चला गया. नहाते समय फिर से मुट्ठ मारना पड़ा क्योकि रमा मौसी की गांड की खुशबू मेरे ज़हन में बस गयी थी उसके ऊपर मौसी का मेरे लौड़े को छूना जैसे आग में घी.
खैर तैयार हो कर मै बहार आया तो
पूरे होटल में चहल पहल हो रही थी, इतनी देर में मेरे बड़े भईया वहां आ गए और
मुझे अपने साथ बाज़ार ले गए, शादी का माहोल, कोई ना
कोई काम तो दिन भर चलता रहा और मैं उन कामों में व्यस्त रहा शाम को सभी
तैयार हो कर शादी के हॉल में पहुँच गए खूब हंसी मज़ाक चल रहा था, डीजे ने जब
म्यूजिक लगाया तो सभी परिवार वाले डांस करने चल पड़े डांस करते करते मै रमा
मौसीके करीब आगया और चार पांच बार मौसी की गांड पर मैंने हाथ फेर दिया.
मौसी को माने कोई आभास हुआ ही नहीं, डांस के बीच में मौसी बोली, चाल मनु
मुझे जूस पिला कर ला. मै और मौसी जूस काउंटर पर पहुंचे और हम दोनों ने एक
एक पीना कोलाडा लिया. मौसी बोली "मनु तू तो बड़ा स्मार्ट और हैंडसम हो गया
है रे तेरी शादी के लिए कोई लड़की देखने की ज़रुरत है या तूने कोई गर्लफ्रेंड
पटा रखी है, मैंने कहा "मौसी गर्लफ्रेंड्स तो कई पटा चुका हूँ लेकिन शादी
अभी कम से कम 5 साल बाद. "तब तक कुंवारे रह कर पड़े रहोगे क्या" ? मौसी ने
पुछा , "अरे मौसी शादी के बिना भी लाइफ एन्जॉय की जा सकती है", मैंने नटखट
अंदाज़ में कहा . मौसी ने मुझे आँख मारते हुए कहा की "तू बड़ा सयाना हो चला है रे".
हम दोने जा कर एक सोफे पर बैठ गए, वहा मेरे मम्मी पापा भी बैठे
थे चार लोगों के बैठने सेसोफे पर मामला टाइट हो गया और मुझे मौसी के साथ
चिपकने का एक मौका और मिल गया. मेरी मम्मी ने कहा " मनु कल समय से निकल
जाना क्यों की तुम्हारा एक प्रैक्टिकल अभी बाकी है, थोडा जा कर पढ़ाई भी कर
लेना"
मैंने कहा ठीक है कल सुबह रोडवेज बस से चला जाऊंगा, यह सुन कर रमा मौसी बोली, "मुझे भी देहरादून जाना है, मनु, दिल्ली तक तेरे साथ चलती हूँ कल रात मै अपने सहेली के घर रुक कर परसों सुबह शताब्दी एक्सप्रेस से देहरादून के लिए निकल जाऊंगी. यह सुन कर मेरी मम्मी बोली "यह ठीक रहेगा रमा, कम से कम इसी बहाने यह टाइम से तो निकल जायेगा" शादी ख़तम हुई और बीच में रमा मौसी से काफी बात चीत होती रही, कई बार मौसी ने मेरे हाथ को पकड़ा और मैंने भी मौसी की जांघो पर अपना हाथ फेरा. मुझे लग रहा था की मौसी के साथ बस का सफ़र रंगीन कटेगा.
मैंने कहा ठीक है कल सुबह रोडवेज बस से चला जाऊंगा, यह सुन कर रमा मौसी बोली, "मुझे भी देहरादून जाना है, मनु, दिल्ली तक तेरे साथ चलती हूँ कल रात मै अपने सहेली के घर रुक कर परसों सुबह शताब्दी एक्सप्रेस से देहरादून के लिए निकल जाऊंगी. यह सुन कर मेरी मम्मी बोली "यह ठीक रहेगा रमा, कम से कम इसी बहाने यह टाइम से तो निकल जायेगा" शादी ख़तम हुई और बीच में रमा मौसी से काफी बात चीत होती रही, कई बार मौसी ने मेरे हाथ को पकड़ा और मैंने भी मौसी की जांघो पर अपना हाथ फेरा. मुझे लग रहा था की मौसी के साथ बस का सफ़र रंगीन कटेगा.
गले दिन शादी का प्रोग्राम समाप्त
हुआ तो हम होटल से दिल्ली के लिये निकल पड़े, होटल के बहार से मैंने एक
ऑटोरिक्शा किया , मौसी का सामान उसमे रखा, सभी रिश्तेदारों से विदा ली और
बस अड्डे के लिए निकल पड़े, ऑटो में बैठते ही मुझे कुछ जोश आया और मैंने
मौसी के कंधे पर अपने एक हाथ रख दिया मौसी ने कोई भही रिएक्शन नहीं दिया
मौसी चुप चाप बैठी थी, जैसे की
ध्यान कहीं और हो, चेहरे पर शिकन भी दिखाई दे रही थी, पहले तो मुज्झे
घबराहट हुई की मौसी मुझ से नाराज़ हो गयी है, लेकिन बात कुछ और ही थी, मौसी
किसी और दुनिया में खोये होई थी, कोई चिंता अन्दर ही अन्दर सता रही थी,
मैंने सोचा का ना इस मौके की थोडा फायदा लिया जाये, मने धीरे स एक हाथ मौसी
के कंधे पर रखा और दुसरे हाथ से मौसी के गाल को सहलाते हुए मौसी के
खूबसूरत चेहरे को अपनी तरफ किया, और धहेरे से कहा "क्या हुआ मौसी जी आप ठीक
तो हो, मुझे कुछ चिंता हो रही है " रमा मौसी जैसे किसी सपने से बाहर आई और
उसके चेरे पर एक मुस्कान तो आई, लेकिन यह उदासी भर मुस्कान थी और बोली
"..उह मनु,कोई बात नहीं ...वैसे ही सब परिवार वाले इतने साल बाद मिले और
मुझे जल्दी वापस जाना पड़ रहा है." . मैंने कहा मौसी तो क्या हो गया आप तो
वापस मौसाजी के पास जा रही हो ना और इन्दू की शादी में बहुत रिश्तेदार
मिलेंगे, वहां पर दिल लग जाएगा". मौसी बोली "तेरा मौसा कौन सा बहुत खुश
होगा की मैं वापस आ रही हूँ, उसकी रंगीन अयाशी में खलल पड़ना शुरू हो
जायेगा"., पूरे खानदान में प्रमोद मौसाजी को बहुत ही शरीफ और सुलझा हुआ
माना जाता था, उनके बारे में मौसी के मुह से ऐसी बात यह बात मुझे कुछ अजीब
लगी.
मैंने कहा "मौसी क्यों मजाक करती हो, मौसाजी कौन सा कोई गलत काम करते होंगे "
" हँ सब तो यह ही सोचते हैं, असलियत तो कोई मेरे दिल से पूछे"
मैंने कहा "मौसी क्यों मजाक करती हो, मौसाजी कौन सा कोई गलत काम करते होंगे "
" हँ सब तो यह ही सोचते हैं, असलियत तो कोई मेरे दिल से पूछे"
मेरे दिमाग में मौसी के नजदीक
जाने का इरादा तो पहले से घर कर चूका था, मैंने सोचा, मौसी ने जो बात कही
है उसके अनुसार कुछ बात को आगे बढ़ाते हुए मौसी की फायदा उठाया जाये. इतनी
देर में हम बस अड्डे
पर पहुँच गए, सामने ही एक बस दिल्ली के लिए निकल रही थी. मैंने हाथ दिया और बस में अपना और मौसी का सामान चढ़ाया, मौसी ने ऑटोरिक्शा को पैसे दिए और बुस्मी चड़ने लगी मैंने पीछे की तरफ वाली
2 सीटर सीट पर सम्मान रखा फिर मैं सीट के बगल में खड़ा हुआ और मौसी के पहुँचने का इतेज़ार करने लगा, मेरा इरादा था की जब मौसी अन्दर घुसे तो मौसी की गांड के साथ मेरे लंड का टकराव हो जाए,
इस के बारे में सोचते हुआ लौड़े ने भी पूरी तयारी के साथ किसी पेनी तलवार की भाँती पोजीशन ले रखी थी. जब किस्मत बुलंद हो मांगे ज्यादा मिल जाता है, जैसे ही मौसी मेरे सामने आकर मुड़ी और मैंने लौड़े
को मौसी गांड का रुख दिखाया बस ड्राईवर ने तेजी से बस का क्लच छोड़ा और झटके से बस आगे की ओर चल पड़ी, ज्यों हे झटका लगा रमा मौसी मुझ पर गिरी, मेरे ताना हुआ लौड़ सीधा मौसी की गांड में घुस
गया. खुद को और मौसी को संभालने के लिए मैंने मौसी को बाहों में जकड लिया एक हाथ से मौसी की चूचि को भीच लिया दुसरे को मौसी के पेट पर; हम दोनों पीछे की तरफ एक साथ बाजू वाली 3 सीटर सीट पर
गिरे, मौसी का कंधा सीट के ग्रिप से टकराया और मौसी के मुह से एक चीख भी निकल गयी आह ..मै और मौसी उठे और अपनि सीट पर बैठ गए मौसी के दाहिने कंधे में दर्द हो रहा था और यह दर्द उनके चेहरे परनज़र आ रहा था. मैंने मौसी के कंधे को हलके से दबाया और उसे थोडा सा सहलाया, बस तब तक चल पड़ी थी, मैंने बस कंडक्टर को चिल्लाते हुए कहा, "देखते नहीं क्या की स्सवारी अभी बठी नहीं है, और बस चला दी"
कंडक्टर बोला "जा के ड्राईवर से खुद मगज मार ले यह चोटिया किसी की नहीं सुनता" मौसी ने मेरे हाथ पकड़ा और मुझे नीचे बिठा लिया और कहा "मनु छोड़ इनके मुह मत लग, देख मेरे कंधे में दर्द हो रहा है, मेरे बैग सेबादाम तेल के बोतल निकल कर हलके हाथ से थोडा तेल लगा दे तो मुझे आराम मिलेगा, थोड़ी देर पहले ही मौसी की गांड, चूचि और पेट का ज़ोरदार स्पर्श जो मिला था उसमे बहुत मज़ा आया था , मानो शरीर के रौंगटे खड़े होगए थे. उसके बाद जब हलके हाथ से मौसी के कंधे पर तेल लगाने का न्योता मिला हो तो मन बाग़ बाग़ गया. मौसी के बैग में से मैंने almond oil की बोतल निकाली मौसी ने अपने सूट का दुपट्टा हटाया और बोला धीरे सेथोडा तेल लगा दे मनु, दर्द हो रहा है; तेल की बोतल की दो बूँद मैनी मौसी की गोरी त्वचा पर डाली और अपने दाहिने हाथ की तीन उन्ग्लियौ से धेरे दीरे गोलाकार में घुमावदार मालिश शुरू की गर्दन से लर कर कंधे तक धीरे धीरेमैंने अपनी ऊँगली मौसी के कुरते के कपडे के अन्दर हाथ डाला , मैंने गर्दन से ले कर मौसी के कंधे तक रगड़ना शुरू किया, ब्बेच में मुई के ब्रा की पट्टी बार बार मेरे हाथ से टकरा रही थी, और मैं उसे धकेल कर साइड मएं कंधे कीतरफ खिसकाता गया जब तक की वोह कंधे से नीचे की ओरे खिसक गयी. बस में पीछे हमारे आलावा कोई सवारी नहीं थी इस लिए मै खड़ा हो कर बेख़ौफ़ मौसी के कंधे की मालिश कर रहा था, वैसे भी क्योंकि बस कंडक्टर औरआगे वाली सवारियों ने हमे गिरते हुए और कंडक्टर पर चिल्लाते हुए देखा था, इसलिये एक तरह से यह मालिश का मुझे लाइसेंस सा मिल गया था. मै यह मालिश मौसी के पीछे खड़े हो कर कर रहा था, कुछ समय बाद रमा मौसी ने कहा
मनु बैठ जा और बैठ कर हे मसाज कर दे, अचछा नहीं लग रहा तू खड़ा है. मै मौसी के दाहिने बगल में बैठा और मौसी के कुरते की गरदन में मैंने हाथ डाल दिया, लागे की तरफ से हाथ डालने के दो फायेद हुए, पहला की मौसी के चहरे के पास मेरा चेहरा था, और दूसरा यह की अब मेरा हाथ तो मौसी के दाहिने कंधे की मालिश कर रहा था लेकिन मेरी कोहनी मौसी की बाएं चूचि के साथ रगड़ रही थी, मौसी थोडा दाहिने को घूम कर बैठ गयी और मैं बाए तरफ , हम तकरीबन आमने सामने थे मौसी की गरम साँसे मुझे अपने चेहरे और गर्दन पर महसूस हो रही थी, यह अनुभव अत्यंत रोमांचक था, क्योकि ऐसी गरम साँसे इतने नजदीक से आज से पहले मैंने कभी महसूस नहीं की थी. हमारे बदन एक दुसरे से चिपके हुए थे मेरी टांग मौसी की मुलायम टांग से टकरा रही थी, मैंने अपना हाथ मौसी के कुरते में और अन्दर तक घुसाना शुरू किया, कन्धे की हड्डी से लेकर मौसी के उभरे हुए स्तन तक मेरी उँगलियाँ कोमल हरकत कर रही थी, मौसी ने अपनी आँख बंद कर ली और गहरी सांस भरने लगी
पर पहुँच गए, सामने ही एक बस दिल्ली के लिए निकल रही थी. मैंने हाथ दिया और बस में अपना और मौसी का सामान चढ़ाया, मौसी ने ऑटोरिक्शा को पैसे दिए और बुस्मी चड़ने लगी मैंने पीछे की तरफ वाली
2 सीटर सीट पर सम्मान रखा फिर मैं सीट के बगल में खड़ा हुआ और मौसी के पहुँचने का इतेज़ार करने लगा, मेरा इरादा था की जब मौसी अन्दर घुसे तो मौसी की गांड के साथ मेरे लंड का टकराव हो जाए,
इस के बारे में सोचते हुआ लौड़े ने भी पूरी तयारी के साथ किसी पेनी तलवार की भाँती पोजीशन ले रखी थी. जब किस्मत बुलंद हो मांगे ज्यादा मिल जाता है, जैसे ही मौसी मेरे सामने आकर मुड़ी और मैंने लौड़े
को मौसी गांड का रुख दिखाया बस ड्राईवर ने तेजी से बस का क्लच छोड़ा और झटके से बस आगे की ओर चल पड़ी, ज्यों हे झटका लगा रमा मौसी मुझ पर गिरी, मेरे ताना हुआ लौड़ सीधा मौसी की गांड में घुस
गया. खुद को और मौसी को संभालने के लिए मैंने मौसी को बाहों में जकड लिया एक हाथ से मौसी की चूचि को भीच लिया दुसरे को मौसी के पेट पर; हम दोनों पीछे की तरफ एक साथ बाजू वाली 3 सीटर सीट पर
गिरे, मौसी का कंधा सीट के ग्रिप से टकराया और मौसी के मुह से एक चीख भी निकल गयी आह ..मै और मौसी उठे और अपनि सीट पर बैठ गए मौसी के दाहिने कंधे में दर्द हो रहा था और यह दर्द उनके चेहरे परनज़र आ रहा था. मैंने मौसी के कंधे को हलके से दबाया और उसे थोडा सा सहलाया, बस तब तक चल पड़ी थी, मैंने बस कंडक्टर को चिल्लाते हुए कहा, "देखते नहीं क्या की स्सवारी अभी बठी नहीं है, और बस चला दी"
कंडक्टर बोला "जा के ड्राईवर से खुद मगज मार ले यह चोटिया किसी की नहीं सुनता" मौसी ने मेरे हाथ पकड़ा और मुझे नीचे बिठा लिया और कहा "मनु छोड़ इनके मुह मत लग, देख मेरे कंधे में दर्द हो रहा है, मेरे बैग सेबादाम तेल के बोतल निकल कर हलके हाथ से थोडा तेल लगा दे तो मुझे आराम मिलेगा, थोड़ी देर पहले ही मौसी की गांड, चूचि और पेट का ज़ोरदार स्पर्श जो मिला था उसमे बहुत मज़ा आया था , मानो शरीर के रौंगटे खड़े होगए थे. उसके बाद जब हलके हाथ से मौसी के कंधे पर तेल लगाने का न्योता मिला हो तो मन बाग़ बाग़ गया. मौसी के बैग में से मैंने almond oil की बोतल निकाली मौसी ने अपने सूट का दुपट्टा हटाया और बोला धीरे सेथोडा तेल लगा दे मनु, दर्द हो रहा है; तेल की बोतल की दो बूँद मैनी मौसी की गोरी त्वचा पर डाली और अपने दाहिने हाथ की तीन उन्ग्लियौ से धेरे दीरे गोलाकार में घुमावदार मालिश शुरू की गर्दन से लर कर कंधे तक धीरे धीरेमैंने अपनी ऊँगली मौसी के कुरते के कपडे के अन्दर हाथ डाला , मैंने गर्दन से ले कर मौसी के कंधे तक रगड़ना शुरू किया, ब्बेच में मुई के ब्रा की पट्टी बार बार मेरे हाथ से टकरा रही थी, और मैं उसे धकेल कर साइड मएं कंधे कीतरफ खिसकाता गया जब तक की वोह कंधे से नीचे की ओरे खिसक गयी. बस में पीछे हमारे आलावा कोई सवारी नहीं थी इस लिए मै खड़ा हो कर बेख़ौफ़ मौसी के कंधे की मालिश कर रहा था, वैसे भी क्योंकि बस कंडक्टर औरआगे वाली सवारियों ने हमे गिरते हुए और कंडक्टर पर चिल्लाते हुए देखा था, इसलिये एक तरह से यह मालिश का मुझे लाइसेंस सा मिल गया था. मै यह मालिश मौसी के पीछे खड़े हो कर कर रहा था, कुछ समय बाद रमा मौसी ने कहा
मनु बैठ जा और बैठ कर हे मसाज कर दे, अचछा नहीं लग रहा तू खड़ा है. मै मौसी के दाहिने बगल में बैठा और मौसी के कुरते की गरदन में मैंने हाथ डाल दिया, लागे की तरफ से हाथ डालने के दो फायेद हुए, पहला की मौसी के चहरे के पास मेरा चेहरा था, और दूसरा यह की अब मेरा हाथ तो मौसी के दाहिने कंधे की मालिश कर रहा था लेकिन मेरी कोहनी मौसी की बाएं चूचि के साथ रगड़ रही थी, मौसी थोडा दाहिने को घूम कर बैठ गयी और मैं बाए तरफ , हम तकरीबन आमने सामने थे मौसी की गरम साँसे मुझे अपने चेहरे और गर्दन पर महसूस हो रही थी, यह अनुभव अत्यंत रोमांचक था, क्योकि ऐसी गरम साँसे इतने नजदीक से आज से पहले मैंने कभी महसूस नहीं की थी. हमारे बदन एक दुसरे से चिपके हुए थे मेरी टांग मौसी की मुलायम टांग से टकरा रही थी, मैंने अपना हाथ मौसी के कुरते में और अन्दर तक घुसाना शुरू किया, कन्धे की हड्डी से लेकर मौसी के उभरे हुए स्तन तक मेरी उँगलियाँ कोमल हरकत कर रही थी, मौसी ने अपनी आँख बंद कर ली और गहरी सांस भरने लगी
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