FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--9
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गतांक से आगे ......................
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गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी स्कूल ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..
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पंडित & शीला पार्ट--9
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गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी स्कूल ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..
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