FUN-MAZA-MASTI
पंडित & शीला पार्ट--10
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गतांक से आगे ......................
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और माधवी के होंठ सच में फडक रहे थे ..उनमे एक अजीब सा कम्पन भी था ..
पंडित का तो मन कर रहा था की माधवी के फड़कते हुए होंठों को अपने तपते हुए होंठों से जला डाले, पर हमेशा की तरह वो अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था ..
पंडित : "माधवी ..पता है न इसे क्या कहते हैं ..??"
पंडित ने उसकी मस्तानी आँखों में देखते हुए , अपने लंड को जड़ से पकड़ कर उसके सामने लहराया ..
माधवी : " जी ... जी ..पता है ..ल ..लंड ...कहते हैं ..इसको .."
पंडित मुस्कुराया और बोल : "वो तो दुनिया वाले कहते हैं ..तुम इसको देखो और अपने हिसाब से इसका कोई नाम रखो ..और हमेशा फिर इसे उसी नाम से पुकारना .."
माधवी पंडित की शैतानी भरी बात सुनकर बोली : "आप देखने में इतने बदमाश नहीं है जितने असल में हो .."
कहते -2 उसने पण्डित के लंड के ऊपर वाले हिस्से को पकड़ा और धीरे से सहला दिया ..
पंडित : "देखने से तो तुम्हे भी कोई नहीं बता सकता की तुम्हारे अन्दर इतनी आग भरी हुई है ..पर ये तो सिर्फ मुझे पता है ना .."
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियाँ उसके भरे हुए कलश के ऊपर फेरा दी ..पीले सूट के अन्दर से लाल रंग के निप्पल उभर कर अपना रंग दिखाने लगे . उसने नीचे आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी .
पंडित : "बोलो न ..कोई अच्छा सा नाम दे दो ..अपनी मर्जी से .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "घोडा ..."
पंडित जी को अपने लंड का नाम सुनकर हंसी आ गयी ..और बोले : "घोडा ..अच्छा है ...पर घोडा ही क्यों .."
माधवी : "देखो न ..घोड़े जैसा ही तो है ये ..लम्बा ..मोटा ..और मुझे देखकर घोड़े जैसे ही हिनहिना रहा है .."
माधवी अब खुल कर बातें कर रही थी ..और पंडित जी भी यही चाहते थे .
पंडित : "अब तुमने मेरे घोड़े को अस्तबल से बाहर निकाल ही दिया है तो इसको चारा भी खिला दो .." पंडित जी के हाथ थोडा ऊपर हुए और उसके गीले होंठों के ऊपर उनकी मोटी उँगलियाँ थिरकने लगी ..माधवी जानती थी की पंडित जी का इशारा किस तरफ है ..
माधवी ने अपने होंठ खोले , मोती जैसे दांतों के बीच से लाल जीभ बाहर निकली और पंडित जी के "घोड़े" को अपने अस्तबल में ले जाकर चारा खिलाने लगी ..
माधवी ने घोड़े के मुंह यानी आगे वाले हिस्से को अपने मुंह में लिया और अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगी ..माधवी के हाथों की पकड़ अब पूरी तरह से पंडित के घोड़े के ऊपर जम चुकी थी ..
पंडित ने अपनी आँखे बंद कर ली और आराम से लंड चुस्वायी के मजे लेने लगा ...
पंडित : "तुमने मेरे लंड का नाम तो घोडा रख दिया ..अब मैं भी तुम्हारी चूत का नाम रखना चाहता हु .."
माधवी ने उनके घोड़े को चूसते -2 अपनी आँखे उनके चेहरे की तरफ की और आँखों ही आँखों में पुछा : "क्या नाम ...बोलो "
पंडित : "उसका नाम मैंने रखा है ...बिल्ली .."
जैसे पंडित अपने लंड का नाम सुनकर हंसा था, ठीक वैसे ही माधवी भी अपनी चूत का ऐसा अजीब सा नाम सुनकर हंस दी ..
माधवी : " बिल्ली ...बिल्ली ही क्यों ..."
पंडित : "क्योंकि मुझे पता है ..जिस तरह से तुम मेरे घोड़े को चूस रही हो ..वैसे ही तुम्हारी चूत भी बिल्ली की तरह इसे चाटेगी और इसका सार दूध पी जायेगी .."
पंडित जी की बात सूनते -2 माधवी के चेहरे का रंग बदलने लगा ...वो और भी उत्तेजना से भरकर उनके घोड़े को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
पंडित जी का हाथ माधवी के सर के पीछे आकर उसे सहला रहा था ..और फिर अचानक पंडित ने उसके सर को अपने लंड के ऊपर दबा कर अपना पूरा घोडा उसके मुंह के अन्दर तक दौड़ा दिया ..माधवी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ..और घोडा सीधा जाकर उसके गले की दिवार से जा टकराया ..उसे खांसी भी आई पर उसने पंडित जी के घोड़े को अपने मुंह से नहीं निकाला ..पंडित जी आखिर उसे गुरु की तरह एक शिक्षा जो दे रहे थे ..लंड चूसने की ..और जैसा वो चाहते हैं , उसे तो वैसा करना ही होगा ..वर्ना वो बुरा मान जायेंगे ..
माधवी ने उनके घोड़े नुमा लंड को अपनी जीभ, दांत और होंठों से सहलाकर, चुभलाकर और चूसकर पुरे मजे देने शुरू कर दिए ..कोई कह नहीं सकता था की माधवी आज पहली बार किसी का लंड चूस रही है ..
माधवी के मुंह से ढेर सारी लार निकल कर घोड़े को नहला रही थी ..और चूसने पर सड़प -2 की आवाजें भी निकल रही थी ..
पंडित जी ने कुछ और ज्ञान देने की सोची : "माधवी ..सिर्फ घोड़े को चूसने से कुछ नहीं होता ..उसके नीचे उसके दो भाई भी हैं ..उनकी भी सेवा करो कुछ .."
पंडित जी ने अपनी बॉल्स की तरफ इशारा किया ..
माधवी को वैसे भी पंडित जी की बांसुरी बजाने में मजा आ रहा था ..उनके गुलाब जामुन खाकर शायद और भी मजा आये ..ये सोचते हुए उसने अपने मुंह से उनका घोडा बाहर निकाला और उसे अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी ..और अपने मोटे होंठों को धीरे-2 उसपर फिस्लाते हुए नीचे की तरफ गयी ..लंड के मुकाबले वहां की त्वचा थोड़ी कठोर थी ..और वहां से अजीब सी और नशीली सी महक भी आ रही थी ..माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना मुंह खोलकर पंडित जी के गुलाब जामुन का का प्रसाद अपने मुंह में ग्रहण कर लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उफ्फ्फ्फ़ माधवी .....उम्म्म्म्म्म .....
माधवी को पंडित की सिस्कारियां सुनकर पता चल गया की उन्हें यहाँ पर चुस्वाने में ज्यादा मजा आ रहा है ..
उसके होंठों ने पक्क की आवाजें करते हुए पंडित जी की गोलियों को चुरन की गोलियों की तरह चूसना शुरू कर दिया ..
माधवी ने आँखे खोली, उसके मुंह में पंडित जी की दोनों बॉल्स थी ..और उनका लंड ठीक उसकी दोनों आँखों के बीच में था ..और पंडित जी की आँखों में देखते हुए माधवी ने दांतों से हल्के -2 काटना भी शुरू कर दिया ..
पंडित जी के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..माधवी जिस तरह से उनके लिंग और उसके नीचे लटके हुए उसके भाइयों को चूस रही थी ..ऐसा लग रहा था की आज वो सब कुछ करने के मूड में हैं ..
पंडित जी का हाथ उसके बिखरे हुए बालों के ऊपर फिसल रहा था ..और आवेश में आकर माधवी ने पंडित के गीले लंड और बॉल्स वाले हिस्से को अपने पुरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया ..
उसके होंठों की लाल लिपिस्टिक ...उसकी आँखों का काला काजल ..और उसकी साँसों की गर्माहट अपने निशान वहां पर छोड़ रही थी .
माधवी के चेहरे पर भी काजल और लिपिस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी ..
उसके मुंह से उन्नन अह्ह्ह्ह की आवाजें निकल रही थी ...
पंडित जी को अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना अब मुश्किल हो गया ..और अगले ही पल, बिना किसी चेतावनी के , उनके घोड़े के मुंह से ढेर सारी सफ़ेद झाग बाहर निकलने लगी ...
माधवी के मुंह के ऊपर गर्म पानी की बोछारें पड़ी तो उसकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...
वो अपना मुंह खोलकर , अपनी आँखे बंद करके उनके लंड को तब तक मसलती रही, जब तक उसमे एक भी बूँद ना बची ..
माधवी का पूरा चेहरा पंडित जी के लंड की सफेदी में नहा कर गीला और चिपचिपा हो गया ..
पंडित : "ये सब साफ़ अपने चेहरे से साफ़ करके पी जाओ ..तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ जायेगी .."
पंडित जी की बात का कोई विरोध न करते हुए उसने अपनी उँगलियों से पंडित जी के रस को समेटा और सड़प -2 करते हुए सब साफ़ कर गयी ..वो स्वादिष्ट भी था इसलिए उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई ..
पंडित जी : "अब बोलो ..कैसा लगा .."
माधवी : "अच्छा था ...मतलब ..बहुत अच्छा था ..मैंने तो आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था ..पर मुझे ये करना और इसका स्वाद दोनों ही पसंद आये .."
माधवी ने दिल खोलकर पंडित के लंड और उसके माल की तारीफ की .
पंडित : "ये तो अच्छी बात है ..अब ठीक ऐसे ही तुम्हे गिरधर के घोड़े को भी अपने मुंह का हुनर दिखाना है ..और फिर शायद वो तुम्हारी बिल्ली का दूध भी पी जाये ।।।"
माधवी : "मेरी बिल्ली का दूध वो कभी नहीं पियेंगे ..एक दो बार शुरू में उन्होंने वहां पर चुम्बन दिया था ..पर उससे आगे वो नहीं बड़े ..और सच कहूँ पंडित जी ..मुझे ...मुझे हमेशा से ही ये चाह रही है की कोई ...मेरा मतलब गिरधर ..मेरी चू ...चूत वाले हिस्से को जी भरकर प्यार करें ..."
ये बोलते -2 उसकी आवाज भारी होती चली गयी ..शायद उत्तेजना उसके ऊपर हावी होती जा रही थी ..
पंडित ने फिर से उसी अंदाज में कहा : "वो नहीं करता तो कोई बात नहीं ...मैं हु ना ..."
माधवी को जैसे इसी बात का इन्तजार था ...वो कुछ ना बोली ..बस मूक बनकर बैठी रही ..जैसे उसे सब मंजूर हो ..
पंडित ने उसे खड़े होने को कहा ..और बोले : "तुम अपने सारे कपडे उतार डालो ..सारे के सारे ..."
वो पंडित जी की बात सुनकर किसी रोबट की तरह से उठी और अपने सूट की कमीज पकड़कर ऊपर खींच डाली ..नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..उसके दोनों मुम्मे उछल कर पंडित जी की आँखों के सामने नाचने लगे ..
और फिर उसने लास्टिक वाली पायजामी को पकड़ा और उसे भी नीचे की तरफ खिसका दिया ..सामने थी माधवी की चूत के रस से भीगी हुई फूलों वाली कच्छी ..जिसमे से काम रस छन-छनकर बाहर की तरफ बह रहा था ..
पंडित ने इशारा करके उसे कच्छी उतारने को भी कहा ..माधवी ने पंडित की आँखों में देखते-2 उसे भी नीचे खिसका दिया ..
उसकी चूत वाले हिस्से को देखकर पंडित हेरान रह गया ..
वहां जंगल था ...घना जंगल ..सतपुड़ा के घने जंगल जैसा ..
पंडित : "ये क्या माधवी ..तुमने अपने शरीर के सबसे सुन्दर हिस्से को घने बालों के बीच छुपा कर रखा हुआ है ..इन्हें देखकर तो कोई भी यहाँ मुंह नहीं मार पायेगा .."
पंडित के मुंह से अपनी चूत के बारे में ऐसी बातें सुनकर माधवी का दिल टूट सा गया ..जिसे पंडित ने तुरंत जान लिया ..
पंडित : "मेरा कहने का मतलब ये है माधवी की तुम्हे इसे पूरा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ..जैसे तुम्हारे मुंह के होंठ है ना नर्म और मुलायम ..ठीक वैसे ही ये भी हैं ..पर इन बालों की वजह से वो नरमी पूरी तरह से महसूस नहीं हो पाएगी ..समझी .."
माधवी ने हाँ में सर हिलाया ..
पंडित : "तुम एक काम करो, यहाँ बैठो, मैं इसे साफ़ कर देता हु .."
माधवी कुछ बोल पाती इससे पहले ही पंडित नंगा ही भागता हुआ अपने बाथरूम में गया और शेविंग किट उठा लाया ..और पलक झपकते ही उसने शेविंग क्रीम लगायी और रेजर से आराम से उसकी बिल्ली के बाल काटने लगा ..
जैसे -2 उसकी चूत साफ़ होती जा रही थी ..घने और काले बालों के पीछे छुपी हुई उसकी रसीली और सफ़ेद रंग की चूत उजागर होती जा रही थी ..पांच मिनट में ही पंडित के जादुई हाथों ने उसे चमका डाला ...माधवी भी अपनी बिल्ली की खूबसूरती देखकर हेरान रह गयी ..उसे शायद अपनी जवानी के दिनों की बिना बाल वाली चूत याद आ गयी ..आज भी वो वैसे ही थी ..
पंडित ने पानी के छींटे मारकर उसकी चूत को साफ़ किया और अपने कठोर हाथों को पहली बार उसकी चिकनी चूत के ऊपर जोरों से फेराया ..
अह्ह्ह्ह्ह .....म्म्म्म्म्म्म ...
पंडित के हाथ की बीच वाली ऊँगली माधवी की चूत में फंसी रह गयी .....जिसकी वजह से वो तड़प गयी ..उसका शरीर कमान की तरह से ऊपर उठ गया ..पंडित ने अपना मुंह नीचे किया ..और अपनी ऊँगली को एक झटके से बाहर की तरफ खींचा ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........पंडित .....जी ...
पंडित की ऊँगली एक झटके में माधवी की चूत के दाने को रगडती हुई बाहर आई और उसके साथ ही ढेर सारा रस भी छिंटो के साथ उनके मुंह पर बरसा ..एक बूँद उनके खुले हुए मुंह में भी चली गयी ..जिसे उन्होंने चखा और फिर बोले : "तुम्हारी बिल्ली का दूध तो बड़ा ही मीठा है .. "
ये सुनकर माधवी मुस्कुरायी और पंडित के सर को पकड़कर बुरी तरह से अपनी चूत पर दबा दिया और फुसफुसाई : "तो पी लो न पंडित जी ..सब आपके लिए ही है ..."
पंडित ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ राखी और सारा रस समेटकर पीने लगा ..अब आँखे बंद करके मजा लेने की बारी माधवी की थी ...
पंडित ने उसकी टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना पूरा मुंह उसकी टांगो के बीच डालकर रसीली पार्टी के मजे लेने लगा ..और जैसे ही पंडित ने अपने होंठों में माधवी की चूत के दाने को पकड़कर मसला ..वो अपना मुंह खोलकर ..उठ खड़ी हुई ..और उनके चेहरे पर जोर लगाकर पीछे धकेलने लगी ...पर पंडित भी खाया हुआ इंसान था ..उसने उसके दाने को अपने होंठों में दबाये रखा और उसे जोर से चूसता रहा ..और तब तक चूसता रहा जब तक माधवी की चूत के अन्दर से उसे बाड़ के आने की आवाजें नहीं आ गयी ..और जैसे ही उसकी चूत से कल कल करता हुआ मीठा जल बाहर की तरफ आया ..पंडित के चोड़े मुंह ने उसे बीच में ही लपक लिया ...और चटोरे बच्चे की तरह सब पी गया ...
माधवी बेचारी अपने ओर्गास्म के धक्को को पंडित के मुंह के ऊपर जोरों से मार मारकर निढाल होकर वहीँ गिर पड़ी ..
आज जैसा सुख उसे अपनी पूरी जिदगी में नहीं आया था ..
पंडित के बिस्तर पर वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी ..और सोच रही थी की अब पंडित क्या करेगा ..सिर्फ एक ही तो चीज बची है अब ..चुदाई ..
और चुदाई की बात सोचते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ..
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पंडित & शीला पार्ट--10
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और माधवी के होंठ सच में फडक रहे थे ..उनमे एक अजीब सा कम्पन भी था ..
पंडित का तो मन कर रहा था की माधवी के फड़कते हुए होंठों को अपने तपते हुए होंठों से जला डाले, पर हमेशा की तरह वो अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था ..
पंडित : "माधवी ..पता है न इसे क्या कहते हैं ..??"
पंडित ने उसकी मस्तानी आँखों में देखते हुए , अपने लंड को जड़ से पकड़ कर उसके सामने लहराया ..
माधवी : " जी ... जी ..पता है ..ल ..लंड ...कहते हैं ..इसको .."
पंडित मुस्कुराया और बोल : "वो तो दुनिया वाले कहते हैं ..तुम इसको देखो और अपने हिसाब से इसका कोई नाम रखो ..और हमेशा फिर इसे उसी नाम से पुकारना .."
माधवी पंडित की शैतानी भरी बात सुनकर बोली : "आप देखने में इतने बदमाश नहीं है जितने असल में हो .."
कहते -2 उसने पण्डित के लंड के ऊपर वाले हिस्से को पकड़ा और धीरे से सहला दिया ..
पंडित : "देखने से तो तुम्हे भी कोई नहीं बता सकता की तुम्हारे अन्दर इतनी आग भरी हुई है ..पर ये तो सिर्फ मुझे पता है ना .."
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियाँ उसके भरे हुए कलश के ऊपर फेरा दी ..पीले सूट के अन्दर से लाल रंग के निप्पल उभर कर अपना रंग दिखाने लगे . उसने नीचे आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी .
पंडित : "बोलो न ..कोई अच्छा सा नाम दे दो ..अपनी मर्जी से .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "घोडा ..."
पंडित जी को अपने लंड का नाम सुनकर हंसी आ गयी ..और बोले : "घोडा ..अच्छा है ...पर घोडा ही क्यों .."
माधवी : "देखो न ..घोड़े जैसा ही तो है ये ..लम्बा ..मोटा ..और मुझे देखकर घोड़े जैसे ही हिनहिना रहा है .."
माधवी अब खुल कर बातें कर रही थी ..और पंडित जी भी यही चाहते थे .
पंडित : "अब तुमने मेरे घोड़े को अस्तबल से बाहर निकाल ही दिया है तो इसको चारा भी खिला दो .." पंडित जी के हाथ थोडा ऊपर हुए और उसके गीले होंठों के ऊपर उनकी मोटी उँगलियाँ थिरकने लगी ..माधवी जानती थी की पंडित जी का इशारा किस तरफ है ..
माधवी ने अपने होंठ खोले , मोती जैसे दांतों के बीच से लाल जीभ बाहर निकली और पंडित जी के "घोड़े" को अपने अस्तबल में ले जाकर चारा खिलाने लगी ..
माधवी ने घोड़े के मुंह यानी आगे वाले हिस्से को अपने मुंह में लिया और अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगी ..माधवी के हाथों की पकड़ अब पूरी तरह से पंडित के घोड़े के ऊपर जम चुकी थी ..
पंडित ने अपनी आँखे बंद कर ली और आराम से लंड चुस्वायी के मजे लेने लगा ...
पंडित : "तुमने मेरे लंड का नाम तो घोडा रख दिया ..अब मैं भी तुम्हारी चूत का नाम रखना चाहता हु .."
माधवी ने उनके घोड़े को चूसते -2 अपनी आँखे उनके चेहरे की तरफ की और आँखों ही आँखों में पुछा : "क्या नाम ...बोलो "
पंडित : "उसका नाम मैंने रखा है ...बिल्ली .."
जैसे पंडित अपने लंड का नाम सुनकर हंसा था, ठीक वैसे ही माधवी भी अपनी चूत का ऐसा अजीब सा नाम सुनकर हंस दी ..
माधवी : " बिल्ली ...बिल्ली ही क्यों ..."
पंडित : "क्योंकि मुझे पता है ..जिस तरह से तुम मेरे घोड़े को चूस रही हो ..वैसे ही तुम्हारी चूत भी बिल्ली की तरह इसे चाटेगी और इसका सार दूध पी जायेगी .."
पंडित जी की बात सूनते -2 माधवी के चेहरे का रंग बदलने लगा ...वो और भी उत्तेजना से भरकर उनके घोड़े को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
पंडित जी का हाथ माधवी के सर के पीछे आकर उसे सहला रहा था ..और फिर अचानक पंडित ने उसके सर को अपने लंड के ऊपर दबा कर अपना पूरा घोडा उसके मुंह के अन्दर तक दौड़ा दिया ..माधवी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ..और घोडा सीधा जाकर उसके गले की दिवार से जा टकराया ..उसे खांसी भी आई पर उसने पंडित जी के घोड़े को अपने मुंह से नहीं निकाला ..पंडित जी आखिर उसे गुरु की तरह एक शिक्षा जो दे रहे थे ..लंड चूसने की ..और जैसा वो चाहते हैं , उसे तो वैसा करना ही होगा ..वर्ना वो बुरा मान जायेंगे ..
माधवी ने उनके घोड़े नुमा लंड को अपनी जीभ, दांत और होंठों से सहलाकर, चुभलाकर और चूसकर पुरे मजे देने शुरू कर दिए ..कोई कह नहीं सकता था की माधवी आज पहली बार किसी का लंड चूस रही है ..
माधवी के मुंह से ढेर सारी लार निकल कर घोड़े को नहला रही थी ..और चूसने पर सड़प -2 की आवाजें भी निकल रही थी ..
पंडित जी ने कुछ और ज्ञान देने की सोची : "माधवी ..सिर्फ घोड़े को चूसने से कुछ नहीं होता ..उसके नीचे उसके दो भाई भी हैं ..उनकी भी सेवा करो कुछ .."
पंडित जी ने अपनी बॉल्स की तरफ इशारा किया ..
माधवी को वैसे भी पंडित जी की बांसुरी बजाने में मजा आ रहा था ..उनके गुलाब जामुन खाकर शायद और भी मजा आये ..ये सोचते हुए उसने अपने मुंह से उनका घोडा बाहर निकाला और उसे अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी ..और अपने मोटे होंठों को धीरे-2 उसपर फिस्लाते हुए नीचे की तरफ गयी ..लंड के मुकाबले वहां की त्वचा थोड़ी कठोर थी ..और वहां से अजीब सी और नशीली सी महक भी आ रही थी ..माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना मुंह खोलकर पंडित जी के गुलाब जामुन का का प्रसाद अपने मुंह में ग्रहण कर लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उफ्फ्फ्फ़ माधवी .....उम्म्म्म्म्म .....
माधवी को पंडित की सिस्कारियां सुनकर पता चल गया की उन्हें यहाँ पर चुस्वाने में ज्यादा मजा आ रहा है ..
उसके होंठों ने पक्क की आवाजें करते हुए पंडित जी की गोलियों को चुरन की गोलियों की तरह चूसना शुरू कर दिया ..
माधवी ने आँखे खोली, उसके मुंह में पंडित जी की दोनों बॉल्स थी ..और उनका लंड ठीक उसकी दोनों आँखों के बीच में था ..और पंडित जी की आँखों में देखते हुए माधवी ने दांतों से हल्के -2 काटना भी शुरू कर दिया ..
पंडित जी के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..माधवी जिस तरह से उनके लिंग और उसके नीचे लटके हुए उसके भाइयों को चूस रही थी ..ऐसा लग रहा था की आज वो सब कुछ करने के मूड में हैं ..
पंडित जी का हाथ उसके बिखरे हुए बालों के ऊपर फिसल रहा था ..और आवेश में आकर माधवी ने पंडित के गीले लंड और बॉल्स वाले हिस्से को अपने पुरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया ..
उसके होंठों की लाल लिपिस्टिक ...उसकी आँखों का काला काजल ..और उसकी साँसों की गर्माहट अपने निशान वहां पर छोड़ रही थी .
माधवी के चेहरे पर भी काजल और लिपिस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी ..
उसके मुंह से उन्नन अह्ह्ह्ह की आवाजें निकल रही थी ...
पंडित जी को अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना अब मुश्किल हो गया ..और अगले ही पल, बिना किसी चेतावनी के , उनके घोड़े के मुंह से ढेर सारी सफ़ेद झाग बाहर निकलने लगी ...
माधवी के मुंह के ऊपर गर्म पानी की बोछारें पड़ी तो उसकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...
वो अपना मुंह खोलकर , अपनी आँखे बंद करके उनके लंड को तब तक मसलती रही, जब तक उसमे एक भी बूँद ना बची ..
माधवी का पूरा चेहरा पंडित जी के लंड की सफेदी में नहा कर गीला और चिपचिपा हो गया ..
पंडित : "ये सब साफ़ अपने चेहरे से साफ़ करके पी जाओ ..तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ जायेगी .."
पंडित जी की बात का कोई विरोध न करते हुए उसने अपनी उँगलियों से पंडित जी के रस को समेटा और सड़प -2 करते हुए सब साफ़ कर गयी ..वो स्वादिष्ट भी था इसलिए उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई ..
पंडित जी : "अब बोलो ..कैसा लगा .."
माधवी : "अच्छा था ...मतलब ..बहुत अच्छा था ..मैंने तो आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था ..पर मुझे ये करना और इसका स्वाद दोनों ही पसंद आये .."
माधवी ने दिल खोलकर पंडित के लंड और उसके माल की तारीफ की .
पंडित : "ये तो अच्छी बात है ..अब ठीक ऐसे ही तुम्हे गिरधर के घोड़े को भी अपने मुंह का हुनर दिखाना है ..और फिर शायद वो तुम्हारी बिल्ली का दूध भी पी जाये ।।।"
माधवी : "मेरी बिल्ली का दूध वो कभी नहीं पियेंगे ..एक दो बार शुरू में उन्होंने वहां पर चुम्बन दिया था ..पर उससे आगे वो नहीं बड़े ..और सच कहूँ पंडित जी ..मुझे ...मुझे हमेशा से ही ये चाह रही है की कोई ...मेरा मतलब गिरधर ..मेरी चू ...चूत वाले हिस्से को जी भरकर प्यार करें ..."
ये बोलते -2 उसकी आवाज भारी होती चली गयी ..शायद उत्तेजना उसके ऊपर हावी होती जा रही थी ..
पंडित ने फिर से उसी अंदाज में कहा : "वो नहीं करता तो कोई बात नहीं ...मैं हु ना ..."
माधवी को जैसे इसी बात का इन्तजार था ...वो कुछ ना बोली ..बस मूक बनकर बैठी रही ..जैसे उसे सब मंजूर हो ..
पंडित ने उसे खड़े होने को कहा ..और बोले : "तुम अपने सारे कपडे उतार डालो ..सारे के सारे ..."
वो पंडित जी की बात सुनकर किसी रोबट की तरह से उठी और अपने सूट की कमीज पकड़कर ऊपर खींच डाली ..नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..उसके दोनों मुम्मे उछल कर पंडित जी की आँखों के सामने नाचने लगे ..
और फिर उसने लास्टिक वाली पायजामी को पकड़ा और उसे भी नीचे की तरफ खिसका दिया ..सामने थी माधवी की चूत के रस से भीगी हुई फूलों वाली कच्छी ..जिसमे से काम रस छन-छनकर बाहर की तरफ बह रहा था ..
पंडित ने इशारा करके उसे कच्छी उतारने को भी कहा ..माधवी ने पंडित की आँखों में देखते-2 उसे भी नीचे खिसका दिया ..
उसकी चूत वाले हिस्से को देखकर पंडित हेरान रह गया ..
वहां जंगल था ...घना जंगल ..सतपुड़ा के घने जंगल जैसा ..
पंडित : "ये क्या माधवी ..तुमने अपने शरीर के सबसे सुन्दर हिस्से को घने बालों के बीच छुपा कर रखा हुआ है ..इन्हें देखकर तो कोई भी यहाँ मुंह नहीं मार पायेगा .."
पंडित के मुंह से अपनी चूत के बारे में ऐसी बातें सुनकर माधवी का दिल टूट सा गया ..जिसे पंडित ने तुरंत जान लिया ..
पंडित : "मेरा कहने का मतलब ये है माधवी की तुम्हे इसे पूरा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ..जैसे तुम्हारे मुंह के होंठ है ना नर्म और मुलायम ..ठीक वैसे ही ये भी हैं ..पर इन बालों की वजह से वो नरमी पूरी तरह से महसूस नहीं हो पाएगी ..समझी .."
माधवी ने हाँ में सर हिलाया ..
पंडित : "तुम एक काम करो, यहाँ बैठो, मैं इसे साफ़ कर देता हु .."
माधवी कुछ बोल पाती इससे पहले ही पंडित नंगा ही भागता हुआ अपने बाथरूम में गया और शेविंग किट उठा लाया ..और पलक झपकते ही उसने शेविंग क्रीम लगायी और रेजर से आराम से उसकी बिल्ली के बाल काटने लगा ..
जैसे -2 उसकी चूत साफ़ होती जा रही थी ..घने और काले बालों के पीछे छुपी हुई उसकी रसीली और सफ़ेद रंग की चूत उजागर होती जा रही थी ..पांच मिनट में ही पंडित के जादुई हाथों ने उसे चमका डाला ...माधवी भी अपनी बिल्ली की खूबसूरती देखकर हेरान रह गयी ..उसे शायद अपनी जवानी के दिनों की बिना बाल वाली चूत याद आ गयी ..आज भी वो वैसे ही थी ..
पंडित ने पानी के छींटे मारकर उसकी चूत को साफ़ किया और अपने कठोर हाथों को पहली बार उसकी चिकनी चूत के ऊपर जोरों से फेराया ..
अह्ह्ह्ह्ह .....म्म्म्म्म्म्म ...
पंडित के हाथ की बीच वाली ऊँगली माधवी की चूत में फंसी रह गयी .....जिसकी वजह से वो तड़प गयी ..उसका शरीर कमान की तरह से ऊपर उठ गया ..पंडित ने अपना मुंह नीचे किया ..और अपनी ऊँगली को एक झटके से बाहर की तरफ खींचा ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........पंडित .....जी ...
पंडित की ऊँगली एक झटके में माधवी की चूत के दाने को रगडती हुई बाहर आई और उसके साथ ही ढेर सारा रस भी छिंटो के साथ उनके मुंह पर बरसा ..एक बूँद उनके खुले हुए मुंह में भी चली गयी ..जिसे उन्होंने चखा और फिर बोले : "तुम्हारी बिल्ली का दूध तो बड़ा ही मीठा है .. "
ये सुनकर माधवी मुस्कुरायी और पंडित के सर को पकड़कर बुरी तरह से अपनी चूत पर दबा दिया और फुसफुसाई : "तो पी लो न पंडित जी ..सब आपके लिए ही है ..."
पंडित ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ राखी और सारा रस समेटकर पीने लगा ..अब आँखे बंद करके मजा लेने की बारी माधवी की थी ...
पंडित ने उसकी टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना पूरा मुंह उसकी टांगो के बीच डालकर रसीली पार्टी के मजे लेने लगा ..और जैसे ही पंडित ने अपने होंठों में माधवी की चूत के दाने को पकड़कर मसला ..वो अपना मुंह खोलकर ..उठ खड़ी हुई ..और उनके चेहरे पर जोर लगाकर पीछे धकेलने लगी ...पर पंडित भी खाया हुआ इंसान था ..उसने उसके दाने को अपने होंठों में दबाये रखा और उसे जोर से चूसता रहा ..और तब तक चूसता रहा जब तक माधवी की चूत के अन्दर से उसे बाड़ के आने की आवाजें नहीं आ गयी ..और जैसे ही उसकी चूत से कल कल करता हुआ मीठा जल बाहर की तरफ आया ..पंडित के चोड़े मुंह ने उसे बीच में ही लपक लिया ...और चटोरे बच्चे की तरह सब पी गया ...
माधवी बेचारी अपने ओर्गास्म के धक्को को पंडित के मुंह के ऊपर जोरों से मार मारकर निढाल होकर वहीँ गिर पड़ी ..
आज जैसा सुख उसे अपनी पूरी जिदगी में नहीं आया था ..
पंडित के बिस्तर पर वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी ..और सोच रही थी की अब पंडित क्या करेगा ..सिर्फ एक ही तो चीज बची है अब ..चुदाई ..
और चुदाई की बात सोचते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ..
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