FUN-MAZA-MASTI
raj sharma stories
राधा का राज--11 end
गतान्क से आगे....................
फिर उसने जो किया मैने भी आज तक कभी नही किया था. ना ही राज शर्मा को उसके इस हरकत की कोई आशा थी. उसने राज शर्मा के दोनो नितंब अपने हाथों से पकड़ लिए और फिर अपने होंठों को उसके नितंबों से उपर उठा कर अपनी जीभ निकाल ली. रचना ने अपने दोनो हाथों से राज शर्मा के दोनो नितंबों को अलग किया और वाउ….. वो अपनी जीभ राज शर्मा के गुदा द्वार पर फिराने लगी. राज शर्मा भी एक बार चिहुनक उठा. रचना अपनी जीभ दोनो टाँगों के जोड़ से लेकर जहाँ पर राज शर्मा के दोनो नितंब ख़तम होते हैं वहाँ तक फिरा रही थी.
अब राज शर्मा से रहा नही गया और उसने रचना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया. रचना उसे एक बार मना की मगर वो सुना नही. तो उसने भी राज शर्मा की उत्तेजना का आनंद लेने का मन बना लिया. राज शर्मा के सामने वो लेट कर अपनी दोनो टाँगें हवा मे फैला कर छत की ओर उठा दी. और राज शर्मा के बालों को पकड़ कर उसके सिर को अपनी दोनो जांघों के बीच दबा दिया. राज शर्मा अपनी उंगलियों से रचना की योनि की फांकों को अलग करके उसके अंदर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा. रचना उसके सिर को सख्ती से अपनी दोनो जांघों के बीच दबा कर अपनी कमर को उपर की ओर उचका रही थी. राज शर्मा उसकी योनि का रस चाट चाट कर सॉफ कर रहा था. तभी रचना अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से तकिये पर पटाकने लगी,
"आआआअहह… ..ऊऊऊओह…सुउुुुुुउरााआआ आज……..म्म्म्मममम… ..राआआआईईएल्ल्ला आ………..बाचााआअ… .मुझीईए….आआआहह ह………..माणिईीई… ..गगैइिईईईईईईईई……" रचना की चीखों से पूरा कमरा गूँज गया. रचना के रस का बहाव ख़त्म होने के बाद वो धम से बिस्तर पर इस तरह गिरी मानो किसी ने किस गुब्बारे से हवा निकाल दी हो. अब वो बिस्तर पर निस्चल पड़ी ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी. उसका पूरा बदन हर साँस के साथ उपर नीचे हो रहा था.
राज शर्मा ने रचना का पूरा वीर्य अपनी जीभ से सॉफ कर दिया. उसके दोनो हाथ रचना के स्तनो को मसल रहे थे और जीभ योनि के अंदर फिर रही थी. उसकी हरकतों से रचना वापस गर्म होने लगी. उनकी हरकतों से मेरी योनि भी गीली हो गयी. मैने अपने कपड़े भी उतार दिए और अपनी उंगलियों से अपनी योनि को सहलाने लगी.
कुछ देर बाद राज शर्मा ने रचना की टाँगों को छत की ओर उठा दिया. मैने आगे बढ़ कर रचना की दोनो टाँगें अपने हाथों से थाम ली. राज ने उसकी दोनो टाँगों के बीच बैठ कर रचना की योनि को अपनी उंगलियों से फैलाया और उसके योनि के द्वार पर अपने लंड को सटा कर एक ज़ोर के धक्के के साथ अपने लंड को पूरा अंदर कर दिया. और वो रचना के स्तनो को चूमते हुए उसके उपर लेट गया.
मैने एक ज़ोर की साँस ली. मेरी कोशिश आख़िर कामयाब हो चुकी थी. मैने रचना को अपने हज़्बेंड से चुदवा कर अपने साथ अरुण द्वारा किए गये सामूहिक बलात्कार का बदला ले लिया.
राज शर्मा ज़ोर ज़ोर से रचना के साथ संभोग करने लगा. रचना भी पूरी उत्तेजना मे अपनी दोनो टाँगों को मेरी पकड़ से छुड़ा कर राज शर्मा की कमर को आलिंगन मे जाकड़ लिया. रचना किसी बेल की तरह राज शर्मा के बदन से लिपटी हुई थी और उसके कमर की हरकत के साथ रचना का भी बदन बिस्तर से उपर नीचे हो रहा था. रचना ने आगे बढ़ कर मेरी टाँगों के जोड़ पर अपना चेहरा रख कर मेरी योनि को अपनी उंगलियों से सहलाने लगी थी.
"थॅंक उूउउ राआाआल…..तूने मेरी बरसो की चाहत को पूरा कर दिया. आआआहह….. मैं कब से इस दिन का सपना देख रही थी…" रचना अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने होंठों पर झुकाया और मेरे होंठों को चूमने लगी.
"तो फिर इतने दिन नखरें क्यों करती रही?" मैने पूछा.
"कैसे मैं हा हा अपने दिल की बात बिनाअ किसीइ संकोच के अपनीी जुबाअं पर लाती. आख़िर हम हम हम हूँ हूँ तो एक औरत ही नाअ…..वो भी शाआदी शुदाा….एम्म्म" वो राज शर्मा की दोनो सख़्त चुचियों पर अपने हाथ फिराने लगी.
"अया राआआजज आआहह आौर्र्रररज़ोर सीई और ज़ोर सीई…….हां हां ऐसे…ऑफ ओफफफफ्फ़…" रचना कुछ देर मे स्खलित हो गयी. मगर उसका मन अभी तक नही भरा था और वो वापस उसी आवेग से फिर राज शर्मा
के धक्कों का जवाब देने लगी. पूरा बिस्तर दोनो के धक्कों से चरमरा रहा था. दोनो पसीने पसीने हुए एक दूसरे को हराने के प्रयास मे लगे हुए थे.
रचना मुझे प्यार किए जा रही थी और मैं खुशी से उसके चेहरे को उसके बालों को सहला रही थी. कोई पंद्रह मिनट तक लगातार इसी तरह संभोग करने के बाद राज शर्मा ने उसे किसी गुड़िया की तरह उठाया और बिस्तर पर हाथ और पैरों के बल उल्टा करके झुका दिया. अब वो रचना को पीछे की तरफ से ठोकने लगा. उसके हर धक्के के साथ रचना के दोनो बड़े बड़े स्तन उच्छल रहे थे. रचना का मुँह खुला हुआ था आँखें मानो पथरा गयी थी. वो एक टक बस मुझे देख रही थी उसके मुँह से किस तरह की कोई आवाज़ नही आ रही थी सिर्फ़. मैने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके मुँह मे अपनी जीभ फिराने लगी. तब मानो उसे होश आया और वो "आअहह हाइईईई…..ऊऊऊंम्म म्माआ" करने लगी.
राज शर्मा का स्टॅम्न्ना वैसे भी बहुत ज़्यादा था और उसके बाद एक नयी योनि ठोकने को मिली थी इसलिए उसकी उत्तेजना ख़त्म होने का नाम ही नही ले रही थी. रचना ज़्यादा देर अपने शरीर के बोझ को अपने हाथों के सहारे उठा कर नही रख पाई. उसकी कोहनियों ने जवाब दे दिया और उसका चेहरा धप्प से तकिये पर गिरा. उसका चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था और सिर्फ़ कमर राज शर्मा की ओर उठी हुई थी जिस पर राज शर्मा वार पे वार किए जर आहा था. कोई आधे घंटे तक बिना रुके रचना को चोदने के बाद राज शर्मा नेढेर सारा वीर्य रचना की योनि मे भर दिया. जब तक आख़िरी क़तरा रचना की योनि मे नही चला गया तब तक रचना की योनि मे अपना वीर्य किसी पिस्टन की तरह अपने लंड से पंप करता रहा. दोनो वही हानफते हुए लुढ़क गये. रचना का तो इसी दौरान तीन बार स्खलन हो चुका था.
कुछ देर राज शर्मा के सुस्ता लेने के बाद मैने उसके लंड को अपनी जीभ से वापस उत्तेजित किया और उसके लंड पर चढ़ाई कर मैने अपनी गर्म हो चुकी योनि की प्यास बुझाई. हमने सारी रात जाग कर बिताई. हम दोनो ने मिल कर राज शर्मा को खूब निचोड़ा. राज शर्मा जब दूसरे राज शर्मा के उदय होने का समय आया तो थकान से नींद की आगोश मे चला गया. हम दोनो भी उसके नग्न बदन से लिपट कर सो गये.
इसके बाद तो बस सिलसिला चल निकला. मैने रचना को विस्वास दिला दिया था कि हम तीनो के बीच के संबंधों के बारे मे हम हमेशा गुप्त रखेंगे. चाहे वो अरुण ही क्यों ना हो. अब हम एक ही कमरे मे एक ही बिस्तर पर सोते थे. जब अरुण आता तो रचना अपने मकान मे चली जाती वरना वो सारा दिन हमारे साथ ही रहती. राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ फूला नही समाता था. अरुण जब भी आता मुझे ज़रूर सबकी नज़र बचा कर एक दो बार अपने लंड से ठोक ही देता था. लेकिन अब मैं उतना बुरा नही मानती थी क्योंकि मैने उससे बदला ले लिया था. उसकी बीवी को मेरा पति अपनी दूसरी बीवी बना कर उसके साथ जब मर्ज़ी जितना मर्ज़ी सेक्स करता था. लेकिन राज शर्मा और मेरे प्यार मे किसी तरह का कोई बासी पन नही आया था. बालिक राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ और ज़्यादा कामुक हो गया था.
साल भर इस तरह मेहनत करने के बाद हम दोनो को एक साथ मेहनत का फल मिला. ऑलमोस्ट साथ साथ ही हम प्रेगञेन्ट हो गये. दोनो के पेट मे राज शर्मा का ही अंश था. लेकिन अरुण खुशी से फूला नही समा रहा था
दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
--11
gataank se aage....................
Fir usne jo kiya maine bhi aj tak kabhi nahi kiya tha. Na hi Raj sharma ko uske is harkat ki koi asha thi. Usne Raj sharma ke dono nitamb apne hathon se pakad liye aur fir apne honthon ko uske nitambon se upar utha kar apni jeebh nikal li. Rachna ne apne dono hathon se Raj sharma ke dono nitambon ko alag kiya aur wow….. wo apni jeebh Raj sharma ke guda dwaar par firane lagi. Raj sharma bhi ek baar chihunk utha. Rachna apni jeebh Dono tangon ke jod se lekar jaha par Raj sharma ke dono nitamb khatam hote hain wahan tak fira rahi thi.
Ab Raj sharma se raha nahi gaya aur usne Rachna ko utha kar bistar par patak diya. Rachna use ek baar mana ki magar wo suna nahi. To usne bhi Raj sharma ki uttejna ka anand lene ka man bana liya. Raj sharma ke samne wo let kar apni dono tangen hawa me faila kar chat ki or utha di. Aur Raj sharma ke balon ko pakad kar uske sir ko apni dono janghon ke beech daba diya. Raj sharma apni ungliyon se Rachna ki yoni ki fankon ko alag karke uske andar apni jeebh dal kar chatne laga. Rachna uske sir ko sakhti se apni dono janghon ke beech daba kar apni kamar ko upar ki or uchka rahi thi. Raj sharma uski yoni ka ras chat chaat kar saaf kar raha tha. Tabhi Rachna apne sir ko jor jor se takiye par patakne lagi,
"aaaaaaahhhhhh… ..ooooooohhhhhhh…
suuuuuuuuuraaaaaaaa
aj……..mmmmmmm… ..Raaaaaaaaeeeeelllaa aa………..baachaaaaaaa…
.mujheeeee….aaaaaahhh h………..mainiiiii… ..ggaiiiiiiiiiii……" Rachna ki
cheekhon se poora karma goonj gaya. Rachna K eras ka bahaw khatm hone ke
baad wo dham se bistar par is tarah giri mano kisi ne kis gubbare se
hawa nikal di ho. Ab wo bistar par nischal padi jor jor se hanf rahi
thi. Uska poora badan har saans ke saath upar neeche ho raha tha.
Raj sharma ne Rachna ka poora veerya apni jeebh se saaf kar diya. Uske dono hath Rachna ke stano ko masal rahe the aur jeebh yoni ke andar fir rahi thi. Uski harkaton se Rachna wapas garm hone lagi. Unki harkaton se meri yoni bhi geeli ho gayee. Maine apne kapde bhi utar diye aur apni ungliyon se apni yoni ko sahlane lagi.
Kuch der baad Raj sharma ne Rachna ki tangon ko chat ki or utha diya. Maine age badh kar Rachna ki dono tangen apne hathon se tham liya. Raj sharma uski dono tangon ke beech baith kar Rachna ki yoni ko apni ungliyon se failaya aur uske yoni ke dwaar par apne lund ko sata kar ek jor ke dhakke ke saath apne lund ko poora andar kar diya. Aur wo Rachna ke stano ko choomte huye uske upar let gaya.
Maine ek jor ki saans li. Meri koshish akhir kamyaab ho chuki thi. Maine Rachna ko apne husband se chudwa kar apne saath Arun dwara kiye gaye samuhik balatkar ka badla le liya.
Raj sharma jor jor se Rachna ke saath sambhog karne laga. Rachna bhi poori uttejna me apni dono tangon ko meri pakad se chhuda kar Raj sharma ke kamar ko alundan me jakad liya. Rachna kisi bel ki tarah Raj sharma ke badan se lipti hui thi aur uske kamar ki harkat ke saath Rachna ka bhi badan bistar se upar neeche ho raha tha. Rachna ne age badh kar meri tangon ke jod par apna chehra rakh kar meri yoni ko apni ungliyon se sahlane lagi thi.
"thank uuuu Raaaaaaaal…..tuune meri barsooooo ki chaaahat ko poora kar diya. Aaaaaahhh….. main kab se is din ka sapnaaaaa dekh rahiiii thi…" Rachna apne hathon se mere chehre ko pakad kar apne honthon par jhukaya aur mere honthon ko choomne lagi.
"to fir itne din nakhren kyon karti rahi?" maine poochha.
"Kaise maaii huh huh apne dil kiii baat binaaa kisiii sankoch ke apnii jubaaan par latiii. Akhir hum hum hum hun hun to ek aurat hi naaa…..wo bhi shaaadi shudaaaa….mmmm" wo Raj sharma ke dono sakht chuchiyon par apne hath firane lagi.
"aaah Raaaaaajj aaaahhh aaaurrrrrjor seeee aur jor seeee…….haan haan aise…off offfff…" Rachna kuch der me skhalit ho gayee. magar uska man abhi tak nahi bhara tha aur wo wapas usi aweg se fir Raj sharma
ke dhakkon ka jawab dene lagi. Poora bistar dono ke dhakkon se charmara raha tha. Dono pessene paseene huye ek doosre ko harane ke prayas me lage huye the.
Rachna mujhe pyaar kiye ja rahi thi aur main khushi se uske chehre ko uske balon ko sahla rahi thi. Koi panDoctorah minut tak lagataar isi tarah sambhog karne ke baad Raj sharma ne use kisi gudiya ki tarah uthaya aur bistar par hath aur pairon ke bal ulta karke jhuka diya. Ab wo Rachna ko peechhe ki taraf se thokne laga. Uske har dhakke ke saath Rachna ke dono bade bade stan uchhal rahe the. Rachna ka munh khula hua tha ankhen mano pathra gayi thi. Wo ek tak baus mujhe dekh rahi thi uske munh se kis tarah ki koi awaj nahi a rahi thi sirf. Maine age badh kar uske honthon par apne honth rakh diye aur uske munh me apni jeebh firane lagi. Tab mano use hosh aya aur wo "aaahhh haaiiiii…..oooooommm mmaaa" karne lagi.
Raj sharma ka stamnina waise bhi bahut jyada tha aur uske baad ek nayi yoni thokne ko mili thi isliye uski uttejna khatm hone ka naam hi nahi le rahi thi. Rachna jyada der apne shareer ke bojh ko apne hathon ke sahare utha kar nahi rakh payee. Uski kohniyon ne jawab de diya aur uska chehra dhapp se takiye par gira. Uska chehra takiye me dhansa hua tha aur sirf kamar Raj sharma ki or uthi hui thi jis par Raj sharma war pe war kiye jar aha tha. Koi adhe ghante tak bina ruke rachna ko chodane ke baad Raj sharma dher sara veerya Rachna ki yoni me bhar diya. Jab tak akhiri katra Rachna ki yoni me nahi chala gaya tab tak Rachna ki yoni me apna veerya kisi Piston ki tarah apne lund se pump karta raha. Dono wahi hanfte huye ludhak gaye. Rachna ka to isi doudaan teen baar skhalan ho chuka tha.
Kuch der Raj sharma ke susta lene ke baad maine uske lund ko apni jeebh se wapas uttejit kiya aur uske lund par chadhai kar maine apni garm ho chuki yoni ki pyaas bujhai. Hum saari raat jag kar bitaye. Hum dono ne mil kar Raj sharma ko khoob nichoda. Raj sharma jab doosre Raj sharma ke uday hone ka samay aya to thakan se neend ki agosh me chala gaya. Hum dono bhi uske nagn badan se lipat kar so gaye.
Iske baad to bus silsila chal nikla. Maine Rachna ko viswas dila diya tha ki hum teeno ke beech ke sambandhon ke bare me hum humesha gupt rakhenge. Chahe wo Arun hi hi kyon na ho. Ab hum ek hi kamre me ek hi bistar par sote the. Jab Arun ata to Rachna apne makan me chali jati warna wo sara din humare saath hi rahti. Raj sharma do do biwiyan pakad phoola nahi samata tha. Arun jab bhi ata mujhe jaroor sabki najar bacha kar ek do baar apne lund se thok hi deta tha. Lekin ab main utna bura nahi manti thi kyonki Maine usse badla le liya tha. Uski biwi ko mera pati apni doosri biwi bana kar uske saath jab marji jitna marji sex karta tha. Lekin Raj sharma aur mere pyaar me kisi tarah ka koi baasi pan nahi aya tha. Balik Raj sharma do do biwiyan pakad aur jyada kamuk ho gaya tha.
Saal bhar is tarah mehnat karne ke baad hum dono ko ek saath mehnat ka fal mila. almost saath saath hi hum pregnent ho gaye. dono ke pet me Raj sharma ka hi ansh tha. Lekin Arun khushi se foola nahi sama raha tha
THE END
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raj sharma stories
राधा का राज--11 end
गतान्क से आगे....................
फिर उसने जो किया मैने भी आज तक कभी नही किया था. ना ही राज शर्मा को उसके इस हरकत की कोई आशा थी. उसने राज शर्मा के दोनो नितंब अपने हाथों से पकड़ लिए और फिर अपने होंठों को उसके नितंबों से उपर उठा कर अपनी जीभ निकाल ली. रचना ने अपने दोनो हाथों से राज शर्मा के दोनो नितंबों को अलग किया और वाउ….. वो अपनी जीभ राज शर्मा के गुदा द्वार पर फिराने लगी. राज शर्मा भी एक बार चिहुनक उठा. रचना अपनी जीभ दोनो टाँगों के जोड़ से लेकर जहाँ पर राज शर्मा के दोनो नितंब ख़तम होते हैं वहाँ तक फिरा रही थी.
अब राज शर्मा से रहा नही गया और उसने रचना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया. रचना उसे एक बार मना की मगर वो सुना नही. तो उसने भी राज शर्मा की उत्तेजना का आनंद लेने का मन बना लिया. राज शर्मा के सामने वो लेट कर अपनी दोनो टाँगें हवा मे फैला कर छत की ओर उठा दी. और राज शर्मा के बालों को पकड़ कर उसके सिर को अपनी दोनो जांघों के बीच दबा दिया. राज शर्मा अपनी उंगलियों से रचना की योनि की फांकों को अलग करके उसके अंदर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा. रचना उसके सिर को सख्ती से अपनी दोनो जांघों के बीच दबा कर अपनी कमर को उपर की ओर उचका रही थी. राज शर्मा उसकी योनि का रस चाट चाट कर सॉफ कर रहा था. तभी रचना अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से तकिये पर पटाकने लगी,
"आआआअहह… ..ऊऊऊओह…सुउुुुुुउरााआआ आज……..म्म्म्मममम… ..राआआआईईएल्ल्ला आ………..बाचााआअ… .मुझीईए….आआआहह ह………..माणिईीई… ..गगैइिईईईईईईईई……" रचना की चीखों से पूरा कमरा गूँज गया. रचना के रस का बहाव ख़त्म होने के बाद वो धम से बिस्तर पर इस तरह गिरी मानो किसी ने किस गुब्बारे से हवा निकाल दी हो. अब वो बिस्तर पर निस्चल पड़ी ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी. उसका पूरा बदन हर साँस के साथ उपर नीचे हो रहा था.
राज शर्मा ने रचना का पूरा वीर्य अपनी जीभ से सॉफ कर दिया. उसके दोनो हाथ रचना के स्तनो को मसल रहे थे और जीभ योनि के अंदर फिर रही थी. उसकी हरकतों से रचना वापस गर्म होने लगी. उनकी हरकतों से मेरी योनि भी गीली हो गयी. मैने अपने कपड़े भी उतार दिए और अपनी उंगलियों से अपनी योनि को सहलाने लगी.
कुछ देर बाद राज शर्मा ने रचना की टाँगों को छत की ओर उठा दिया. मैने आगे बढ़ कर रचना की दोनो टाँगें अपने हाथों से थाम ली. राज ने उसकी दोनो टाँगों के बीच बैठ कर रचना की योनि को अपनी उंगलियों से फैलाया और उसके योनि के द्वार पर अपने लंड को सटा कर एक ज़ोर के धक्के के साथ अपने लंड को पूरा अंदर कर दिया. और वो रचना के स्तनो को चूमते हुए उसके उपर लेट गया.
मैने एक ज़ोर की साँस ली. मेरी कोशिश आख़िर कामयाब हो चुकी थी. मैने रचना को अपने हज़्बेंड से चुदवा कर अपने साथ अरुण द्वारा किए गये सामूहिक बलात्कार का बदला ले लिया.
राज शर्मा ज़ोर ज़ोर से रचना के साथ संभोग करने लगा. रचना भी पूरी उत्तेजना मे अपनी दोनो टाँगों को मेरी पकड़ से छुड़ा कर राज शर्मा की कमर को आलिंगन मे जाकड़ लिया. रचना किसी बेल की तरह राज शर्मा के बदन से लिपटी हुई थी और उसके कमर की हरकत के साथ रचना का भी बदन बिस्तर से उपर नीचे हो रहा था. रचना ने आगे बढ़ कर मेरी टाँगों के जोड़ पर अपना चेहरा रख कर मेरी योनि को अपनी उंगलियों से सहलाने लगी थी.
"थॅंक उूउउ राआाआल…..तूने मेरी बरसो की चाहत को पूरा कर दिया. आआआहह….. मैं कब से इस दिन का सपना देख रही थी…" रचना अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने होंठों पर झुकाया और मेरे होंठों को चूमने लगी.
"तो फिर इतने दिन नखरें क्यों करती रही?" मैने पूछा.
"कैसे मैं हा हा अपने दिल की बात बिनाअ किसीइ संकोच के अपनीी जुबाअं पर लाती. आख़िर हम हम हम हूँ हूँ तो एक औरत ही नाअ…..वो भी शाआदी शुदाा….एम्म्म" वो राज शर्मा की दोनो सख़्त चुचियों पर अपने हाथ फिराने लगी.
"अया राआआजज आआहह आौर्र्रररज़ोर सीई और ज़ोर सीई…….हां हां ऐसे…ऑफ ओफफफफ्फ़…" रचना कुछ देर मे स्खलित हो गयी. मगर उसका मन अभी तक नही भरा था और वो वापस उसी आवेग से फिर राज शर्मा
के धक्कों का जवाब देने लगी. पूरा बिस्तर दोनो के धक्कों से चरमरा रहा था. दोनो पसीने पसीने हुए एक दूसरे को हराने के प्रयास मे लगे हुए थे.
रचना मुझे प्यार किए जा रही थी और मैं खुशी से उसके चेहरे को उसके बालों को सहला रही थी. कोई पंद्रह मिनट तक लगातार इसी तरह संभोग करने के बाद राज शर्मा ने उसे किसी गुड़िया की तरह उठाया और बिस्तर पर हाथ और पैरों के बल उल्टा करके झुका दिया. अब वो रचना को पीछे की तरफ से ठोकने लगा. उसके हर धक्के के साथ रचना के दोनो बड़े बड़े स्तन उच्छल रहे थे. रचना का मुँह खुला हुआ था आँखें मानो पथरा गयी थी. वो एक टक बस मुझे देख रही थी उसके मुँह से किस तरह की कोई आवाज़ नही आ रही थी सिर्फ़. मैने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके मुँह मे अपनी जीभ फिराने लगी. तब मानो उसे होश आया और वो "आअहह हाइईईई…..ऊऊऊंम्म म्माआ" करने लगी.
राज शर्मा का स्टॅम्न्ना वैसे भी बहुत ज़्यादा था और उसके बाद एक नयी योनि ठोकने को मिली थी इसलिए उसकी उत्तेजना ख़त्म होने का नाम ही नही ले रही थी. रचना ज़्यादा देर अपने शरीर के बोझ को अपने हाथों के सहारे उठा कर नही रख पाई. उसकी कोहनियों ने जवाब दे दिया और उसका चेहरा धप्प से तकिये पर गिरा. उसका चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था और सिर्फ़ कमर राज शर्मा की ओर उठी हुई थी जिस पर राज शर्मा वार पे वार किए जर आहा था. कोई आधे घंटे तक बिना रुके रचना को चोदने के बाद राज शर्मा नेढेर सारा वीर्य रचना की योनि मे भर दिया. जब तक आख़िरी क़तरा रचना की योनि मे नही चला गया तब तक रचना की योनि मे अपना वीर्य किसी पिस्टन की तरह अपने लंड से पंप करता रहा. दोनो वही हानफते हुए लुढ़क गये. रचना का तो इसी दौरान तीन बार स्खलन हो चुका था.
कुछ देर राज शर्मा के सुस्ता लेने के बाद मैने उसके लंड को अपनी जीभ से वापस उत्तेजित किया और उसके लंड पर चढ़ाई कर मैने अपनी गर्म हो चुकी योनि की प्यास बुझाई. हमने सारी रात जाग कर बिताई. हम दोनो ने मिल कर राज शर्मा को खूब निचोड़ा. राज शर्मा जब दूसरे राज शर्मा के उदय होने का समय आया तो थकान से नींद की आगोश मे चला गया. हम दोनो भी उसके नग्न बदन से लिपट कर सो गये.
इसके बाद तो बस सिलसिला चल निकला. मैने रचना को विस्वास दिला दिया था कि हम तीनो के बीच के संबंधों के बारे मे हम हमेशा गुप्त रखेंगे. चाहे वो अरुण ही क्यों ना हो. अब हम एक ही कमरे मे एक ही बिस्तर पर सोते थे. जब अरुण आता तो रचना अपने मकान मे चली जाती वरना वो सारा दिन हमारे साथ ही रहती. राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ फूला नही समाता था. अरुण जब भी आता मुझे ज़रूर सबकी नज़र बचा कर एक दो बार अपने लंड से ठोक ही देता था. लेकिन अब मैं उतना बुरा नही मानती थी क्योंकि मैने उससे बदला ले लिया था. उसकी बीवी को मेरा पति अपनी दूसरी बीवी बना कर उसके साथ जब मर्ज़ी जितना मर्ज़ी सेक्स करता था. लेकिन राज शर्मा और मेरे प्यार मे किसी तरह का कोई बासी पन नही आया था. बालिक राज शर्मा दो दो बीवियाँ पकड़ और ज़्यादा कामुक हो गया था.
साल भर इस तरह मेहनत करने के बाद हम दोनो को एक साथ मेहनत का फल मिला. ऑलमोस्ट साथ साथ ही हम प्रेगञेन्ट हो गये. दोनो के पेट मे राज शर्मा का ही अंश था. लेकिन अरुण खुशी से फूला नही समा रहा था
दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
--11
gataank se aage....................
Fir usne jo kiya maine bhi aj tak kabhi nahi kiya tha. Na hi Raj sharma ko uske is harkat ki koi asha thi. Usne Raj sharma ke dono nitamb apne hathon se pakad liye aur fir apne honthon ko uske nitambon se upar utha kar apni jeebh nikal li. Rachna ne apne dono hathon se Raj sharma ke dono nitambon ko alag kiya aur wow….. wo apni jeebh Raj sharma ke guda dwaar par firane lagi. Raj sharma bhi ek baar chihunk utha. Rachna apni jeebh Dono tangon ke jod se lekar jaha par Raj sharma ke dono nitamb khatam hote hain wahan tak fira rahi thi.
Ab Raj sharma se raha nahi gaya aur usne Rachna ko utha kar bistar par patak diya. Rachna use ek baar mana ki magar wo suna nahi. To usne bhi Raj sharma ki uttejna ka anand lene ka man bana liya. Raj sharma ke samne wo let kar apni dono tangen hawa me faila kar chat ki or utha di. Aur Raj sharma ke balon ko pakad kar uske sir ko apni dono janghon ke beech daba diya. Raj sharma apni ungliyon se Rachna ki yoni ki fankon ko alag karke uske andar apni jeebh dal kar chatne laga. Rachna uske sir ko sakhti se apni dono janghon ke beech daba kar apni kamar ko upar ki or uchka rahi thi. Raj sharma uski yoni ka ras chat chaat kar saaf kar raha tha. Tabhi Rachna apne sir ko jor jor se takiye par patakne lagi,
"aaaaaaahhhhhh… ..ooooooohhhhhhh…
Raj sharma ne Rachna ka poora veerya apni jeebh se saaf kar diya. Uske dono hath Rachna ke stano ko masal rahe the aur jeebh yoni ke andar fir rahi thi. Uski harkaton se Rachna wapas garm hone lagi. Unki harkaton se meri yoni bhi geeli ho gayee. Maine apne kapde bhi utar diye aur apni ungliyon se apni yoni ko sahlane lagi.
Kuch der baad Raj sharma ne Rachna ki tangon ko chat ki or utha diya. Maine age badh kar Rachna ki dono tangen apne hathon se tham liya. Raj sharma uski dono tangon ke beech baith kar Rachna ki yoni ko apni ungliyon se failaya aur uske yoni ke dwaar par apne lund ko sata kar ek jor ke dhakke ke saath apne lund ko poora andar kar diya. Aur wo Rachna ke stano ko choomte huye uske upar let gaya.
Maine ek jor ki saans li. Meri koshish akhir kamyaab ho chuki thi. Maine Rachna ko apne husband se chudwa kar apne saath Arun dwara kiye gaye samuhik balatkar ka badla le liya.
Raj sharma jor jor se Rachna ke saath sambhog karne laga. Rachna bhi poori uttejna me apni dono tangon ko meri pakad se chhuda kar Raj sharma ke kamar ko alundan me jakad liya. Rachna kisi bel ki tarah Raj sharma ke badan se lipti hui thi aur uske kamar ki harkat ke saath Rachna ka bhi badan bistar se upar neeche ho raha tha. Rachna ne age badh kar meri tangon ke jod par apna chehra rakh kar meri yoni ko apni ungliyon se sahlane lagi thi.
"thank uuuu Raaaaaaaal…..tuune meri barsooooo ki chaaahat ko poora kar diya. Aaaaaahhh….. main kab se is din ka sapnaaaaa dekh rahiiii thi…" Rachna apne hathon se mere chehre ko pakad kar apne honthon par jhukaya aur mere honthon ko choomne lagi.
"to fir itne din nakhren kyon karti rahi?" maine poochha.
"Kaise maaii huh huh apne dil kiii baat binaaa kisiii sankoch ke apnii jubaaan par latiii. Akhir hum hum hum hun hun to ek aurat hi naaa…..wo bhi shaaadi shudaaaa….mmmm" wo Raj sharma ke dono sakht chuchiyon par apne hath firane lagi.
"aaah Raaaaaajj aaaahhh aaaurrrrrjor seeee aur jor seeee…….haan haan aise…off offfff…" Rachna kuch der me skhalit ho gayee. magar uska man abhi tak nahi bhara tha aur wo wapas usi aweg se fir Raj sharma
ke dhakkon ka jawab dene lagi. Poora bistar dono ke dhakkon se charmara raha tha. Dono pessene paseene huye ek doosre ko harane ke prayas me lage huye the.
Rachna mujhe pyaar kiye ja rahi thi aur main khushi se uske chehre ko uske balon ko sahla rahi thi. Koi panDoctorah minut tak lagataar isi tarah sambhog karne ke baad Raj sharma ne use kisi gudiya ki tarah uthaya aur bistar par hath aur pairon ke bal ulta karke jhuka diya. Ab wo Rachna ko peechhe ki taraf se thokne laga. Uske har dhakke ke saath Rachna ke dono bade bade stan uchhal rahe the. Rachna ka munh khula hua tha ankhen mano pathra gayi thi. Wo ek tak baus mujhe dekh rahi thi uske munh se kis tarah ki koi awaj nahi a rahi thi sirf. Maine age badh kar uske honthon par apne honth rakh diye aur uske munh me apni jeebh firane lagi. Tab mano use hosh aya aur wo "aaahhh haaiiiii…..oooooommm mmaaa" karne lagi.
Raj sharma ka stamnina waise bhi bahut jyada tha aur uske baad ek nayi yoni thokne ko mili thi isliye uski uttejna khatm hone ka naam hi nahi le rahi thi. Rachna jyada der apne shareer ke bojh ko apne hathon ke sahare utha kar nahi rakh payee. Uski kohniyon ne jawab de diya aur uska chehra dhapp se takiye par gira. Uska chehra takiye me dhansa hua tha aur sirf kamar Raj sharma ki or uthi hui thi jis par Raj sharma war pe war kiye jar aha tha. Koi adhe ghante tak bina ruke rachna ko chodane ke baad Raj sharma dher sara veerya Rachna ki yoni me bhar diya. Jab tak akhiri katra Rachna ki yoni me nahi chala gaya tab tak Rachna ki yoni me apna veerya kisi Piston ki tarah apne lund se pump karta raha. Dono wahi hanfte huye ludhak gaye. Rachna ka to isi doudaan teen baar skhalan ho chuka tha.
Kuch der Raj sharma ke susta lene ke baad maine uske lund ko apni jeebh se wapas uttejit kiya aur uske lund par chadhai kar maine apni garm ho chuki yoni ki pyaas bujhai. Hum saari raat jag kar bitaye. Hum dono ne mil kar Raj sharma ko khoob nichoda. Raj sharma jab doosre Raj sharma ke uday hone ka samay aya to thakan se neend ki agosh me chala gaya. Hum dono bhi uske nagn badan se lipat kar so gaye.
Iske baad to bus silsila chal nikla. Maine Rachna ko viswas dila diya tha ki hum teeno ke beech ke sambandhon ke bare me hum humesha gupt rakhenge. Chahe wo Arun hi hi kyon na ho. Ab hum ek hi kamre me ek hi bistar par sote the. Jab Arun ata to Rachna apne makan me chali jati warna wo sara din humare saath hi rahti. Raj sharma do do biwiyan pakad phoola nahi samata tha. Arun jab bhi ata mujhe jaroor sabki najar bacha kar ek do baar apne lund se thok hi deta tha. Lekin ab main utna bura nahi manti thi kyonki Maine usse badla le liya tha. Uski biwi ko mera pati apni doosri biwi bana kar uske saath jab marji jitna marji sex karta tha. Lekin Raj sharma aur mere pyaar me kisi tarah ka koi baasi pan nahi aya tha. Balik Raj sharma do do biwiyan pakad aur jyada kamuk ho gaya tha.
Saal bhar is tarah mehnat karne ke baad hum dono ko ek saath mehnat ka fal mila. almost saath saath hi hum pregnent ho gaye. dono ke pet me Raj sharma ka hi ansh tha. Lekin Arun khushi se foola nahi sama raha tha
THE END
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