Tuesday, January 21, 2014

raj sharma stories राधा का राज--10

FUN-MAZA-MASTI

raj sharma stories
राधा का राज--10गतान्क से आगे....................
राज शर्मा का आज काम पर जाने का मन नही था आज रचना को सुबह से ही परेशान कर रहा था. रचना मेरी ओट लेकर उससे बच रही थी. हम दोनो ने उसे किसी तरह धकेलते हुए नर्सरी भेजा. रचना आज सुबह से बहुत प्यारी लग रही थी. दोपहर खाना खा कर हम दोनो ने रेस्ट किया. आज हम दोनो ने छुट्टी ले रखी थी. आज का ये स्पेशल दिन हम दोनो सहेलियाँ साथ एंजाय करना चाहते थे.

शाम को जब राज शर्मा के आने का समय नज़दीक आने लगा तो रचना का उतावलापन बढ़ने लगा था. आज ब्यूटी पार्लर से रचना तैयार होकर आई थी. पार्लर वाले ने उसे किसी परी की तरह सँवारने मे कोई कमी नही रखी थी. मैने भी उसे किसी दुल्हन की तरह सँवारा था. लाल भारी बनारसी सारी मे वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. माथे पर सिंदूर, गले पर भारी मन्गल्सुत्र, ऐसा लग रहा था मानो आज रचना की पहली सुहागरात हो.

वो बन संवर कर राज शर्मा का इंतेजार करने लगी. ऐसा लग रहा था मानो आज ही उसकी शूहाग रात हो. वो नर्वस काफ़ी हो रही थी.

शाम सात बजे राज शर्मा घर आया. रचना को मैने अंदर रहने को कहा और मैं जाकर दरवाजा खोली. और अंदर आने दिया. राज शर्मा की आँखें इधर उधर घूम रही थी. वो रचना को ढूँढ रहा था. मैं मुस्कुरा दी.

" क्या हुआ किसे ढूँढ रहे हो?"

" नही वो मेरा मतलब है…तुम्हारी सहेली दिखाई नही दे रही है…." वो एक खिसियानी सी हँसी हंसता हुआ पूछा.

"किसे रचना को?" मैने उससे मज़ा लेते हुए पूछा.

" हां हाआँ कहाँ छिपि है वो?"

" अरे मैं तो तुम्हे बताना ही भूल गयी. दोपहर को अरुण आया था. उसे और बच्चे को हफ्ते भर के लिए अपने साथ ले गया." मैने अपने चेहरे पर बनावटी दुख लाते हुए कहा.

राज शर्मा बिना कुछ कहे सोफे पर बैठ गया. ऐसा लग रहा था मानो किसी बच्चे के सामने से उसका सबसे प्यारा खिलोना हटा लिया गया हो. उसका खिला हुआ चेहरा मुरझा सा गया. वो कुछ देर चुप रहा फिर पूछा, "क्या हुआ? ऐसे अचानक? वो कुछ नही बोली?"

" क्या कहती? अरुण उसका हज़्बेंड है उसका रचना पर पूरा हक़ है." कह कर मैं अपनी हँसी को दबाती हुई वहाँ से किचन मे चली गयी. किचन मे रचना सब सुन रही थी. मेरे आते ही मुझ से दबी आवाज़ मे बोली, " राधा मैं तुझे मार डालूंगी. क्यों तरसा रही है उसे इतना बेचारा दीवाना हो गया तो."

" तो क्या हम दो हैं ना उसे वापस रास्ते पर लाने के लिए. ले जा उसके लिए पानी ले जा. वैसे जैसे पहली रात को कोई दुल्हन ले जाती है." रचना का गाल शर्म से लाल हो गया.

वो एक ट्रे मे पानी लेकर ड्रोइन्ग रूम मे गयी. किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह पलकें झुका कर छोटे छोटे कदम भरती हुई राज शर्मा के पास पहुँची. उसे उस रूप मे आते देख राज शर्मा का मुँह खुला का खुला रह गया. उसकी पलकें भी झपकना भूल गयी. वो एक तक रचना को धीरे धीरे उसके करीब आता देखता रहा.

"कैसी लग रही है मेरी सहेली?" मैने राज शर्मा के बदन पर अपनी कोहनी से टोहका दिया.

वो किसी अनाड़ी प्रेमी की तरह कभी मुझे देखता कभी रचना को. रचना उसके करीब आकर सीधे बिना किसी हिचक के उसकी गोद मे बैठ गयी और पानी का ग्लास उठाकर राज शर्मा के होंठों से लगाया.

" कैसी लग रही हूँ मैं?" उसने राज शर्मा की आँखों मे अपनी आँखें डाल कर पूछा.

"बहुत खूबसूरत. मानो मेरी नयी दुल्हन आई हो." राज शर्मा ने अटकते हुए कहा. राज शर्मा ने उसके हाथों से ग्लास लेकर टेबल पर रख दिया और उसे खींच कर अपने सीने मे जाकड़ लिया. दोनो के होंठ आपस मे गूँथ गये. कभी ये उसको काटती तो कभी वो इसे काटता. दोनो के जीभ एक दूसरे के मुँह मे घुस कर मंथन कर रहे थे. काफ़ी देर तक एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद भी जब दोनो अलग नही हुए तो मैने खांस कर उनको चौंकाया. दोनो झटके से अलग हो गये.

" अरे अब दोनो मे शर्म कैसी" मैं उनकी हालत पर हँसने लगी. रचना राज शर्मा के पास उससे सॅट कर बैठ गयी. हम हँसी मज़ाक करने लगे जिससे महॉल खुशनुमा हो गया.

शाम को खाना खाने के बाद रचना ने अपने बच्चे को दूध पिला कर जल्दी सुला दिया.

"आज हम चारों एक ही कमरे मे सोएंगे. तेरे बच्चे का झूला जिसमे वो सोता है उसे हमारे कमरे मे लगा ले." मैने रचना को कहा. रचना ने वैसे ही किया. रचना जब बच्चे को झूले पर सुलाने के लिए कमरे मे गयी मैने राज शर्मा को कमरे मे धक्का दे दिया.

राज शर्मा सम्हलते हुए बेडरूम मे घुसा. बिस्तर के सिरहाने पर रचना बैठी अपने बच्चे को सुला रही थी. राज शर्मा आगे बढ़ कर उसके पास पहुँचा. रचना उसे अपनी ओर आते देख कर आँखें सख्ती से बंद कर ली. मानो उसे डर हो कि उसके साथ जो कुछ हो रहा हो वो एक सपना हो. उसका बदन भी राज शर्मा के निकटता के एहसास से अकड़ गया था. चुचियाँ कुछ बाहर की ओर निकल आई थी और निपल्स कड़े हो गये थे. राज शर्मा उसके पास जा कर उसे अपनी बाहों मे भर लिया. रचना राज शर्मा के बाहों का सहारा लेकर उठ खड़ी हुई और उसके बदन से लिपट गयी.

राज शर्मा उसके काँपते होंठ पर अपने होंठ रख दिए. शायद इसी पहल की प्रतीक्षा कर रही थी रचना. वो एकदम से राज शर्मा से लिपट गयी. मानो राज शर्मा के जिस्म मे अपना वजूद खो देना चाहती हो. मैं दरवाजे की आड़ से सब देख रही थी मगर उनके सामने आकर उनके आनंद मे बाधा नही बनना चाहती थी. मैं तो दोनो के पूरेगर्म हो जाने का इंतेज़ार कर रही थी. जिसके बाद तो उन्हे कुछ भी होश नही रहेगा कि कमरे मे कौन कौन है और किसके सामने वो संभोग कर रहा हैं. राज शर्मा ने धीरे से रचना के लरजते बदन को अपने से अलग किया और उसे कुछ पल अपने सामने खड़ी कर के निहारता रहा.

"मुझे भी अपने दिल मे अपने जीवन मे शामिल कर लो. मैं बरसों से तुम्हारी प्यासी हूँ आज मेरी प्यास बुझा दो." रचना ने रुकते रुकते कहा. राज शर्मा ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके सारी के आँचल को नीचे गिरा दिया. फिर सारी के प्लीट्स खोल कर उसे रचना के बदन से अलग कर के ज़मीन पर गिर जाने दिया. रचना अब पेटिकोट और ब्लाउस मे थी. राज शर्मा उसे बिस्तर के सिरहाने पर बिठा कर खुद बगल मे बैठ गया और रचना के चेहरे को अपने हाथों से थाम कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. रचना ने अपनी जीभ निकाल कर राज शर्मा के मुँह मे डाल दी जिसे राज शर्मा पूरे आवेग से चूस्ता रहा. कुछ देर बाद दोनो के होंठ अलग हुए.

"आज से मैं आपकी बिन ब्याही बीवी बन रही हूँ. आप तो मेरी कल्पना थे. जाने कितनी बार आपको सोच सोच कर मैं स्खलित हुई थी. मगर आज मेरी सहेली ने अपने दिल का टुकड़ा मुझे भी छूने दे दिया." रचना ने राज शर्मा के कपड़े अलग करते हुए कहा. कुछ ही देर मे राज शर्मा सिर्फ़ एक छोटी फ्रेंची मे बैठा हुआ था. रचना फिसल कर ज़मीन पर बैठ गयी. उसने राज शर्मा के पैरों के पंजो से चूमते हुए अपने होंठ उसके घने बालों भरे जांघों तक पहुँचाए. राज शर्मा का लंड फ्रेंची के अंदर से तना हुआ उभर रहा था. रचना किसी सेक्स की भूखी औरत की तरह अपने होंठ राज शर्मा की जांघों पर फिरा रही थी. फिर वो एक पल को रुकी और उपर राज शर्मा की आँखों मे झाँकते हुए अपना मुँह खोल कर उसके लंड को फ्रेंची के उपर से अपने दाँतों से पकड़ कर उस पर दो तीन बार अपनी जीभ फिराई.

राज शर्मा उसकी हरकतों से पूरे जोश मे आ गया. उसने रचना के बाल खोल कर उसके चेहरे पर बिखेर दिए. ऐसा लगा मानो चाँद को बादलों ने ढक लिया. रचना ने अपने हाथों से अपने बालों को चेहरे पर से हटा
दिया.

"आज मुझे सिर्फ़ प्यार करने दो. मुझे अपनी प्यास बुझा लेने दो. तुम्हारी मर्ज़ी कल पूरी कर लेना. आज मुझे मत रोकना." कहकर रचना ने धक्का दे कर राज शर्मा को बिस्तर पर गिरा दिया. राज शर्मा के पैर बिस्तर से नीचे झूल रहे थे बस कमर के उपर का भाग बिस्तर पर पसरा हुआ था. रचना उच्छल कर राज शर्मा के तने लंड पर बैठ गयी. और अपने दोनो पैर उसकी कमर के दोनो ओर रख कर अपनी पेटिकोट और पॅंटी से धकि योनि से राज शर्मा के लंड को छेड़ा. राज शर्मा ने उसके दोनो बूब्स सख्ती से ब्लाउस के उपर से पकड़ लिए और मसल्ने लगा. रचना ने एक झटके से उसके दोनो हाथ अपनी चुचियों पर से हटा कर अपने ब्लाउस के बटन्स खोल डाले. फिर उसने अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने ब्रा का हुक खोल दिया फिर दोनो को एक साथ अपने बदन से उतार कर दूर फेंक दिया अब वो भी टॉपलेस हो चुकी थी. राज शर्मा ने वापस उसके बूब्स को अपनी मुट्ठी मे भरना चाहा मगर वापस उसने राज शर्मा के इरादों को नाकाम कर दिया.

"ठहरो इतने उतावले मत हो. तुम्हारी इच्च्छा अभी पूरी करती हूँ." कहकर रचना अपने तने हुए निपल को राज शर्मा के पूरे बदन पर फिराने लगी. राज शर्मा उन निपल्स को अपने मुँह मे लेने के लिए उतावला हुआ जा रहा था मगर रचना अपने अंगूरों को उसकी पकड़ से बचाती हुई पूरे बदन पर फिरा रही थी फिर रचना अपने होंठ राज शर्मा के सीने पर फ़िराने लगी.

"कैसे हैं मेरे ये?..." रचना ने अपने स्तनो की ओर ललचाई नज़रों से देखते हुए राज शर्मा से पूछा.

"एम्म…बहुत अच्छे बहुत सुंदर….मुझे तो तुम्हारे बच्चे से जलन होती है जब मैं उसे इन चुचियों पर अपना हक़ जमाते देखता हूँ."

"हहा…मेरे बच्चे से क्यों जल रहे हो. मुझसे रिक्वेस्ट क्यों नही करते इनका रस पीना हो तो. पियोगे?"

राज शर्मा ने सिर हिलाया और अपना चेहरा आगे बढ़ाया मगर रचना ने उसे अपने से दूर कर दिया.

"नही ऐसे नही मुझ से रिक्वेस्ट करो…"

"मुझे अपने स्तनॉ को चूसने दो" राज शर्मा ने कहा

"से प्लीज़.."

"प्लीज़….. प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज पीने दो ना क्यों परेशान कर रही हो."

रचना बिस्तर पर आल्ति-पालती मार कर बैठ गयी और राज शर्मा का सिर पकड़ कर अपनी गोद मे रख लिया. राज शर्मा को किसी दूध पीते बच्चे की तरह अपना स्तन पान कराने लगी.

"पता है राज शर्मा मेरा बच्चा जब एक स्तन से दूध पीता है तो दूसरे निपल से खेलता रहता है." राज शर्मा उसका इरादा समझ कर वैसा ही करने लगा. राज शर्मा एक स्तन को पूरा खाली करके दूसरे स्तन पर टूट पड़ा.

"बस…बस….कुछ मेरे बच्चे के लिए भी तो छोड़ो." रचना ने मुस्कुराते हुए कहा.

"कोई बात नही. तुम्हारा बच्चा बॉटल से दूध पी लेगा."

जब राज शर्मा का स्तनो को पीने का काम ख़त्म हुआ तो वो अपने होंठों को जीभ से चाटते हुए उठ कर बैठा. अब रचना की बारी थी. वो राज शर्मा पर सवार हो गयी. उसने राज शर्मा को वापस बिस्तर पर लेटने को मजबूर कर दिया. वो खुद राज शर्मा के नग्न बदन के उपर लेट गयी.

रचना अपनी जीभ निकाल कर राज शर्मा के छोटे छोटे निपल्स को सहलाने लगी. राज शर्मा उत्तेजना मे च्चटपटा रहा था. रचना राज शर्मा के पैरों पर सरक्ति हुई कुछ नीचे हुई. फिर अपनी जीभ राज शर्मा की नाभि से होते हुए उसके लंड की तरफ सरक गयी. राज शर्मा के पूरे बदन पर घने काले बाल हैं जिसकी वजह से वो बिना कपड़ों का और भी सेक्सी लगता है.

रचना नीचे की तरफ सरक्ति हुई राज शर्मा के लंड तक पहुँची. राज शर्मा का लंड बुरी तरह से तना हुआ झटके खा रहा था. उसके लंड के टोपे के उपर से चमड़ी हट जाने के कारण उसके लंड का काला सा किसी बिल्लियर्ड्स की गेंद की तरह चमक रहा था. उसके टिप से प्रेकुं निकल कर पूरे टोपे पर सन गया था. रचना कुछ देर तक उसके लंड को अपने हाथों मे लेकर प्यार भारी निगाहों से निहारती रही और राज शर्मा रचना की अगली हरकत का इंतेज़ार कर रहा था. कुछ देर बाद रचना ने अपनी नज़रें उठाकर राज शर्मा को देखा और मुस्कुरा कर बोली.

"बहुत प्यारा है. लेकिन ख़तरनाक भी इसकी लंबाई देख कर डर लग रहा है." रचना ने अपनी उंगलिया राज शर्मा के लंड पर फिराई. उसके लंड के टोपे पर से अपनी उंगलियों मे राज शर्मा के प्रेकुं को समेट कर अपने मुँह मे भर लिया. "म्‍म्म्ममम……ताअस्तयईई है."

"इसे मुँह मे लो." राज शर्मा की आवाज़ उत्तेजना मे भारी हो गयी थी. उसने रचना के सिर को अपने हाथों से पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया. रचना अपने सिर को झटक कर राज शर्मा के चंगुल से बचना चाहती थी मगर इस बार उसकी एक नही चली. राज शर्मा की ताक़त के आगे वो तो बिल्कुल निसाहाय थी. राज शर्मा ने उसके चेहरे को अपने लंड पर झुका दिया. रचना के सिर को इधर उधर हिलाने के कारण उसका चेहरा राज शर्मा के लंड से निकल रहे रस से सन गया था.

"नही राअज प्लीज़…..मुझे अपने हिसाब से प्यार करने दो" लकिन राज शर्मा उसको बिल्कुल भी ढील देने के मूड मे नही था. इतनी दूर से दोनो के बीच चल रहा घमासान देखने मे मुझे दिक्कत हो रही थी. इसलिए मैं कमरे मे घुस आई. दोनो को मेरे आने की खबर भी नही लगी.

ज़ोर आज़माइश के कारण रचना के बाल चारों ओर फैल कर उसके चेहरे को बार बार छिपा ले रहे थे. मैने उसके बालों को चेहरे से हटा कर एक गाँठ बाँध दी. किसी दूसरे हाथ का आभास पकड़ रचना ने नज़रें उठाई और मुझे देख कर मुस्कुरा दी. अब उसका विरोध भी ढीला पड़ चुका था. उसने आख़िर अपने हथियार डाल दिए और अपने मुँह को खोल कर राज शर्मा के टोपे को अपने मुँह मे ले लिया. उसने सिर उठा कर राज शर्मा की आँखों मे इस तरह झाँका मानो पूछ रही हो अब तो खुश.

रचना अब तेज़ी से उसके लंड को अपने मुँह मे लेने लगी. बीच बीच मे राज शर्मा उत्तेजना मे उसके सिर को अपने हाथों से थाम कर अपने लंड पर दबा देता. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरे सामने कोई ब्लू फिल्म चल रही हो.

फिर रचना राज शर्मा के लंड को अपने मुँह से निकाल कर उसके नीचे नस्पाती की तरह लटकते दोनो गेंदों को अपनी जीभ से चाटने लगी. राज शर्मा की उत्तेजना अब काफ़ी बढ़ चुकी थी. अगर जल्दी ही कुछ ना किया जाता तो उसका फव्वारा चालू हो जाता. लेकिन रचना हालत को समझ गयी. वो राज शर्मा के वीर्य को वेस्ट करने के मूड मे नही थी. वो झटके से राज शर्मा के बंधन से अपने को छुड़ा कर उठी. और उसने राज शर्मा को करवट लेकर मुँह के बल सोने को मजबूर कर दिया. अब रचना अपने होंठ राज शर्मा की गर्देन से लेकर उसके नितंबों तक फिराने लगी. उसके होंठ धीरे धीरे राज शर्मा की पीठ को सहलाते हुए नीचे आने लगे. फिर उसके होंठ राज शर्मा के दोनो नितंबो पर फिरने लगे.
क्रमशः........................
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 --10
gataank se aage....................
Raj sharma ka aaj kaam par jane ka man nahi tha aaj Rachna ko subah se hi pareshaan kar raha tha. Rachna meri ot lekar usse bach rahi thi. Hum don one use kisi tarah dhakelte huye nursery bheja. Rachna aaj subah se bahut pyaari lag rahi thi. Dopahar khana kha kar hum don one rest kiya. Aaj hum don one chhutti le rakhi thi. Aaj ka ye special din hum dono saheliyan saath enjoy karma chahte the.

Shaam ko jab Raj sharma ke ane ka samay najdeek ane laga to Rachna ka utawlapan badhne laga tha. Aaj beauty parlor se Rachna taiyaar hokar aye thi. Parlor wale ne use kisi padi ki tarah sanwarne me koi kami nahi rakhi thi. Maine bhi use kisi dulhan ki tarah sanwara tha. Lal bhari banarsi sari me wo bahut hi khoobsurat lag rahi thi. Mathe par sindoor, gale par bhari mangalsutra, aisa lag raha tha mano aaj rachna ki pahli suhagraat ho.

Wo ban sanwar kar Raj sharma ka intejaar karne lagi. Aisa lag raha tha mano aaj hi uski shag raat ho. Wo nervous kafi ho rahi thi.

Shaam saat baje Raj sharma ghar aya. Rachna ko maine andar rahne ko kaha aur main jakar darwaja kholi. Aur andar ane diya. Raj sharma ki ankhen idhar udhar ghoom rahi thi. Wo Rachna ko dhoondh raha tha. Main muskura di.

" kya hua kise dhoondh rahe ho?"

" nahi wo merea matlab hai…tumhari saheli dikhai nahi de rahi hai…." Wo ek khisiyani si hansi hansta hua poochha.

"kise Rachna ko?" maine usse maja lete huye poochha.

" haan haaan kahan chhipi hai wo?"

" are main to tumhe batana hi bhool gayee. dopahar ko Arun aya tha. Use aur bachche ko hafte bhar ke liye apne saath le gaya." Maine apne chehre par banawti dukh late huye kaha.

Raj sharma bina kuch kahe sofe par baith gaya. Aisa lag raha tha mano kisi bachche ke samne se uska sabse pyara khilona hata liya gaya ho. Uska khila hua chehra mudjha sa gaya. Wo kuch der chup raha fir poochha, "kya hua? Aise achanak? Wo kuch nahi boli?"

" kya kahti? Arun uska husband hai uska Rachna par poora haq hai." Kah kar main apni hansi ko dabati hui wahan se kitchen me chali gayee. Kitchen me Rachna sab sun rahi thi. Mere ate hi mujh se dabi awaj me boli, " Radha main tujhe maar daloongi. Kyon tarsa rahi hai use itna bechara deewana ho gaya to."

" to kya hum do hain na use wapas raste par lane ke liye. Le ja uske liye pani le ja. Waise jaise pahli raat ko koi dulhan le jati hai." Rachna ka gaal sharm se laal ho gaya.

Wo ek tray me pani lekar Doctorawing room me gayee. Kisi nayi naveli dulhan ki tarah palken jhuka kar chote chote kadam bharti hui Raj sharma ke paas pahunchi. use us roop me ate dekh Raj sharma ka munh khula ka khula rah gaya. Uski palken bhi jhapakna bhool gayee. Wo ek tak Rachna ko dheere dheere uske kareeb ata dekhta raha.

"Kaisi lag rahi hai meri saheli?" maine Raj sharma ke badan par apni kohni se tohka diya.

Wo kisi anadi premi ki tarah kabhi mujhe dekhta kabhi Rachna ko. Rachna uske kareeb akar seedhe bina kisi hichak ke uski god me baith gayee aur pani ka glass uthakar Raj sharma ke honthon se lagaya.

" kaisi lag rahi hoon main?" usne Raj sharma ki ankhon me apni ankhen daal kar poochha.

"bahut khoobsoorat. Mano meri nayee dulhan aye ho." Raj sharma ne atakte huya kaha. Raj sharma ne uske hathon se glass lekar table par rakh diya aur use kheench kar apne seene me jakad liya. Dono ke honth apas me gunth gaye. Kabhi ye usko katti to kabhi wo ise katta. Dono ke jeebh ek doosre ke much me ghus kar manthan kar rahe the. Kafi der tak ek doosre ko choomne chatne ke baad bhi jab dono alag nahi huye to maine khans kar unko chaunkaya. Dono jhatke se alag ho gaye.

" are ab dono me sharm kaisi" main unki halat par hansne lagi. Rachna Raj sharma ke paas usse sat kar baith gayee. hum hansi majak karne lage jisse mahol khushnuma ho gaya.

Shaam ko khana khan eke baad Rachna ne apne bachche ko doodh pila kar jaldi sula diya.

"aaj hum charon ek hi kamre me soyenge. Tere bachche ka jhoola jisme wo sota hai use humare kamre me laga le." Maine Rachna ko kaha. Rachna ne waise hi kiya. Rachna jab bachche ko jhoole par sulane ke liye kamre me gayi maine Raj sharma ko kamre me dhakka de diya.

Raj sharma samhalte huye beDoctoroom me ghusa. Bistar ke sirhane par Rachna baithi apne bachche ko sula rahi thi. Raj sharma age badh kar uske paas pahuncha. Rachna use apni or ate dekh kar ankhen sakhti se band kar li. Mano use dar ho ki uske saath jo kuch ho raha ho wo ek sapna ho. Uska badan bhi Raj sharma ke nikatta ke ehsaas se akad gaya tha. Chuchiyaan kuch bahar ki or nikal aye thi aur nipples kade ho gaye the. Raj sharma uske paas ja kar use apni bahon me bhar liya. Rachna Raj sharma ke bahon ka sahara lekar uth khadi hui aur uske badan se lipat gayee.

Raj sharma uske kanpte honth par apne honth rakh diye. Shayad isi pahal ki pratiksha kar rahi thi Rachna. Wo ekdum se Raj sharma se lipat gayee. mano Raj sharma ke jism me apna wajood kho dena chahti ho. Main darwaje ki ad se sab dekh rahi thi magar unke samne akar unke anand me badha nahi banna chahti thi. Main to dono ke pooregarm ho jane ka intezaar kar rahi thi. Jiske baad to unhe kuch bhi hosh nahi rahega ki kamre me kaun kaun hai aur kiske samne wo sambhog kar rhea hain. Raj sharma ne dheere se Rachna ke larajte badan ko apne se alag kiya aur use kuch pal apne samne khadi kar ke niharta raha.

"mujhe bhi apne dil me apne jeevan me samil kar lo. Main barson se tumhari pyaasi hoon aaj meri pyaas bujha do." Rachna ne rukte rukte kaha. Raj sharma ne uske kandhe par hath rakh kar uske sari ke anchal ko neeche gira diya. Fir sari ke pleats khol kar use rachna ke badan se alag kar ke jameen par gir jane diya. Rachna ab petticoat aur blouse me thi. Raj sharma use bistar ke sirhane par bitha kar khud bagal me baith gaya aur rachna ke chehre ko apne hathon se thaam kar uske honthon par apne honth rakh diye. Rachna ne apni jeebh nikal kar Raj sharma ke munh me daal di jise Raj sharma poore aweg se choosta raha. Kuch der baad dono ke honth alag huye.

"Aaj se main apki bin byahi biwi ban rahi hoon. Aap to meri kalpna the. Jane kitni baar apko soch soch kar main skhalit hui thi. Magar aaj meri saheli ne apne dil ka tukda mujhe bhi chhone de diya." Rachna ne Raj sharma ke kapde alag karte huye kaha. Kuch hi der me Raj sharma sirf ek choti frenchie me baitha hua tha. Rachna fisal kar jameen par baith gayee. Usne Raj sharma ke pairon ke panjo se choomte huye apne honth uske ghane balon bhare janghon tak pahunchae. Raj sharma ka lund frenchie ke andar se tana hua ubhar raha tha. Rachna kisi sex ki bhookhi aurat ki tarah apne honth Raj sharma ki janghon par fira rahi thi. Fir wo ek pal ko ruki aur upar Raj sharma ki ankhon me jhankte huye apna munh khol kar uske lund ko frenchie ke upar se apne danton se pakad kar us par do teen baar apni jeebh firai.

Raj sharma uski harkaton se poore josh me a gaya. Usne Rachna ke baal khol kar uske chehre par bikher diye. Aisa laga mano chand ko badlon ne dhak liya. Rachna ne apne hathon se apne balon ko chehre par se hata
diya.

"aaj mujhe sirf pyaar karne do. Mujhe apni pyaas bujha lene do. Tumhari marji kal poori kar lena. Aaj mujhe mat rokna." Kahkar Rachna ne dhakka de kar Raj sharma ko bistar par gira diya. Raj sharma ke pair bistar se neeche jhool rahe the bus kamar ke upar ka bhag bistar par pasra hua tha. Rachna uchhal kar Raj sharma ke tane lund par baith gayee. Aur apne dono pair uski kamar ke dono or rakh kar apni petticoat aur panty se dhaki yoni se Raj sharma ke lund ko chheda. Raj sharma ne uske dono boobs sakhti se blouse ke upar se pakad liye aur masalne laga. Rachna ne ek jhatke se uske dono hath apni chuchiyon par se hata kar apne blouse ke buttons khol dale. Fir usne apne hath peeche le ja kar apne bra ka hook khol diya fir dono ko ek saath apne badan se utar kar door fenk diya ab wo bhi topless ho chuki thi. Raj sharma ne wapas uske boobs ko apni mutthi me bharna chaha magar wapas usne Raj sharma ke iradon ko nakam kar diya.

"thahro itne utawle mat ho. Tumhari ichchha abhi poori karti hoon." Kahkar Rachna apne tane huye nipple ko Raj sharma ke poore badan par firane lagi. Raj sharma un nipples ko apne munh me lene ke liye utawla hio raha tha magar Rachna apne angooron ko uski pakad se bachati hui poore badan par fira rahi thi fir rachna apne honth Raj sharma ke seene par firane lagi.

"kaise hain mere ye?..." Rachna ne apne stano ki or lalchayee najron se dekhte huye Raj sharma se poochha.

"mmm…bahut achche bahut sundar….mujhe to tumhare bachche se jalan hoti hai jab main use in chuchiyon par apna haq jamate dekhta hoon."

"haha…mere bachche se kyon jal rahe ho. Mujhse request kyon nahi karte inka ras peena ho to. Piyoge?"

Raj sharma ne sir hilaya aur apna chehra age badhaya magar Rachna ne use apne se door kar diya.

"nahi aise nahi mujh se request karo…"

"mujhe apne stnao ko choosne do" Raj sharma ne kaha

"Say pleeeese.."

"Pleeese….. pleeesss peene do na kyon pareshaan kar rahi ho."

Rachna bistar par alti-palti mar kar baith gayee aur Raj sharma ka sir pakad kar apni god me rakh liya. Raj sharma ko kisi doodh peete bachche ki tarah apna stan pan karane lagi.

"pata hai Raj sharma mera bachcha jab ek stan se doodh peeta hai to doosre nipple se khelta rahta hai." Raj sharma uska irada samajh kar waisa hi karne laga. Raj sharma ek stank o poora khali karke doosre stan par toot pada.

"bus…bus….kuch mere bachche ke liye bhi to chodo." Rachna ne muskurate huye kaha.

"Koi bat nahi. Tumhara bachcha bottle se doodh pee lega."

Jab Raj sharma ka stano ko peene ka kaam khatm hua to wo apne honthon ko jeebh se chatte huye uth kar baitha. Ab Rachna ki baari thi. Wo Raj sharma par sawar ho gayee. Usne Raj sharma ko wapas bistar par letne ko majboor kar diya. Wo khud Raj sharma ke nagn badan ke upar let gayee.

Rachna apni jeebh nikal kar Raj sharma ke chote chote nipples ko sahlane lagi. Raj sharma uttejna me chhatpata raha tha. Rachna Raj sharma ke pairon par sarakti hui kuch neeche hui. Fir apni jeebh Raj sharma ki nabhi se hote huye uske lund ki taraf sarak gayee. Raj sharma ke poore badan par ghane kale baal hain jiski wajah se wo bina kapdon ka aur bhi sexy lagta hai.

Rachna neeche ki taraf sarakti hui Raj sharma ke lund tak pahunchi. Raj sharma ka lund buri tarah se tana hua jhatke kha raha tha. Uske lund ke tope ke upar se chamdi hat jane ke karan uske lund ka kala sa kisi billiards ki gend ki tarah chamak raha tha. Uske tip se precum nikal kar poore tope par san gaya tha. Rachna kuch Doctor tak uske lund ko apne hathon me lekar pyaar bhari nigahon se niharti rahi aur Raj sharma Rachna ke agle harkat ka intezaar kar raha tha. Kuch der baad Rachna ne apni najren uthakar Raj sharma ko daekha aur muskura kar boli.

"Bahut pyara hai. Lekin khatarnaak bhi iski lambai dekh kar dar lag raha hai." Rachna ne apni ungliya Raj sharma ke lund par firayee. Uske lund ke tope par se apni ungliyon me Raj sharma ke precum ko samet kar apne munh me bhar liya. "mmmmmm……taaastyeeeeee hai."

"ise munh me lo." Raj sharma ki awaj uttejna me bhari ho gayee thi. Usne Rachna ke sir ko apne hathon se pakad kar apne lund par jhukaya. Rachna apne sir ko jhatak kar Raj sharma ke changul se bachna chahti thi magar is baar uski ek nahi chali. Raj sharma ki takat ke age wo to bilkul nisahay thi. Raj sharma ne uske chehre ko apne lund par jhuka diya. Rachna ke sir ko idhar udhar hilane ke karan uska chehra Raj sharma ke lund se nikal rah eras se san gaya tha.

"Nahi Raaaj pleeeese…..mujhe apne hisaab se pyaar karne dooooo" Lakin Raj sharma usko bilkul bhi dheel den eke mood me nahi tha. Itni door se dono ke beech chal raha ghamasan dekhne me mujhe dikkat ho rahi thi. Isliye main kamre me ghus aye. Dono ko mere ane ki khabar bhi nahi lagi.

Jor ajmainsh ke karan Rachna ke baal charon or fail kar uske chehre ko bar bar chhipa le rahe the. Maine uske balon ko chehre se hata kar ek ganth bandh di. Kisi dossre hath ka abhas pakad Rachna ne najren uthai aur mujhe dekh kar muskura di. Ab uska virodh bhi dheela par chuka tha. Usne akhir apne hathiyaar daal diye aur apne munh ko khol kar Raj sharma ke tope ko apne munh me le liya. Usne sir utha kar Raj sharma ki ankhon me is tarah jhanka mano pooch rahi ho ab to khush.

Rachna ab teji se uske lund ko apne munh me lene lagi. Beech beech me Raj sharma uttejna me uske sir ko apne hathon se tham kar apne lund par daba deta. Mujhe aisa lag raha tha mano mere samne koi Blue film chal rahi ho.

Fir Rachna Raj sharma ke lund ko apne munh se nikal kar uske neeche Naspati ki tarah latakte dono gendon ko apni jeebh se cjatne lagi. Raj sharma ki uttejna ab kafi badh chuki thi. Agar jaldi hi kuch na kiya jata to uska fawwara chalu ho jata. Lekin Rachna halat ko samajh gayee. Wo Raj sharma ke veerya ko waste karne ke mood me nahi thi. Wo jhatke se Raj sharma ke bandhan se apne ko chhuda kar uthi. Aur usne Raj sharma ko karwat lekar munh ke bal sone ko majboor kar diya. Ab Rachna apne honth Raj sharma ki garden se lekar uske nitambon tak firane lagi. Uske honth dheere dheere Raj sharma ki peeth ko sahlate huye neeche ane lage. Fir uske honth Raj sharma ke dono nitambo par firne lage.
KRAMASHASH...........................















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