FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते--
रीमा एक मुंह बोली माँ --18 आज बेटा अब तू इस तरफ आ जा अब दूसरे हाथ का पसीना चूस। मैं फिर से रीमा की पहले हाथ की तरफ आकर बैठ गया और रीमा ने अपन हाथ आगे बढा दिया जिस पर पसीने की काफी बूंदे जमा थी। मेरे बगल मे बैठते ही रीमा ने अपनी जाँघ मेरी जाँघ से सटा दी उसकी मोटी चिकनी जाँघ के स्पर्श मात्र से ही मेरे शरीर में झुरझुरी दौड गयी। दोनो के बदन बहुत ही गर्म थे तो ये बात तो तय थी की दोनो के बदन के गर्मी और रूम के गर्म तापमान के कारण उसकी जाँघ पसीने में भीग जाने वाली थी और जिस तरह से गद्देदार सोफा था वह पसीना सारा बह कर चूत के पास ही जमा होता। अब मैं समझ रहा था रीमा चाहाती थी की मैं उसके पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूं वह जान चुकी थी उसका पसीना भी मुझे कितना उत्तेजित कर रहा था तो पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूंगा तो वह रस तो मेरे लिये किसी शराब से कम नंही होता। मैंने रीमा के दूसरे हाथ पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर पीना शुरु कर दिया। सबसे पहले एक एक बूंद को चूम पर पिया उसके बाद उसके बाद उसके हाथ को अपनी जीभ से चाटने लगा। रीमा फिर से अपने काम पर लग गयी थी और मेरे लंड को अपने दूसरे थूक लगे हाथ से सहला रही थी। थोडी देर में मैंने उसके हाथ को भी चाट कर उसका सारा पसीना पी लिया। लो मा मैंने तुम्हारे दोनो हाथ का पसीना कोहनी तक पी लिया है अब मुझे अपनी बाँहो और काँख से भी पसीना पीने दो न माँ। मुझे तुम्हारी काँख मे नाक घुसा कर तुम्हारे पसीने की महक को सूघंना है। तुम्हारे काँख से निकलती निकलती पसीने की महक मुझे बहुत उत्तेजित करती है माँ। तो सूघं ले बेटा और पसीना भी पी ले तेरी माँ ने कब मना किया है। मेरे बदन का ये पसीना तेरे लिये ही तो है। अब जब भी जहाँ से भी पसीना निकलेगा तू पी लेना तेरी माँ कभी भी मना नंही करेगी।
चल मैं अपनी बाँह उठाती हूँ जिससे तुझे मेरा पसीना पीने मे असानी हो। तू सोफे के बगल में खडा हो जा और चाट मेरी बाँह का रस। मैं सोफे के बगल मैं खडा हो गया और रीमा ने अपनी बाँह थोडी उपर कर दी पर अपनी काँख खोल कर मुझे नंही दिखायी और बोली ले चाट मेरी बाँह फिर मेरी काँख चाटना समझा। मैं सहमति में सर हिला दिया और रीमा की बाँह को चूमने लगा। इतनी मोटी और माँसल बाँह देख कर ही मेरा मन मचल रहा था मन कर रहा था कि रीमा अपनी बाँह और अपने बदन के बीच मेरे लंड को दबा ले और मैं उसकी बाँह चोदूं उसकी गद्देदार बाँह और बदन के बीच दबे मेरे लंड की कल्पना से ही मेरा लंड मचल रहा था। और मैं मस्ती मे उसकी बाँह से पसीना पीता जा रहा था। रीमा को शायद बहुत ही पसीना आता था क्योकी पसीना उसकी बाँह में बूंदो के रूप मे झलक रहा था और उसके चिकने बदन के कारण बह भी रहा था। जिसे में चूम और चाट कर पीता जा रहा था। रीमा प्यार से अपनी गोल मटोल चूचीयो पर हाथ फेर रही थी और मजा ले रही थी कि कैसे एक जवान मर्द जोकि उसके बेटे की उम्र का है उसके बदन का आशिक हो गया था।
उसकी घुंडियाँ एक दम तन कर खडी थी और इतनी कडी थी कि अगर उसने ब्लाऊस पहना होता तो उसमे छेद कर देती। मैंने थोडी ही देर मे उसकी बाँह से उसका सारा पसीना चूस और चाट कर साफ कर दिया और रीमा से बोला माँ मैंने पसीना पी लिया अब तो मुझे अपनी पसीने से भरी काँख दिखाओ न मुझे उसकी गंध को सुघंने दो न माँ। बडी जल्दी पी लिया मेरी बाँह का पसीना बडा उतवला लग रहा है काँख मे मुँह घुसाने का जरा देखूं तो पिया भी है या ऐसे ही बोल रहा है जिससे माँ तुझे अपनी काँख मे मुँह घुसाने दे और अपनी काँख का पसीना पीने दे। रीमा ने अपनी बाँह को देखा और मैंने सही मे उसकी बाँह पर जमा सारा पसीना पी लिया था और उसकी बाँह मेरे थूक से चका चक चमक रही थी। हूँ मेरी काँख कुछ ज्यादा ही पंसद आ गयी है मेरे लाडाले को पर अभी थोडा इतजार कर पहले आकर दूसरी बाँह भी चाट बाहर से फिर मैं अपनी दोनो काँख खोल दूंगी जो चाहे करना समझा। कह कर रीमा ने अपनी दूसरी बाँह भी थोडी से उठा ली और मैं रीमा के दूसरी तरफ आ गया और पहले पसीने भरी बाँह को निहारा फिर टूट पडा उसकी बाँह पर भूखे कुत्ते की तरह और चाटने लगा उसका पसीना। रीमा मेरी बेताबी समझ रही थी उसको पता था की मुझे बालो भरी काँख और उसका पसीना कितना पंसद है बहुत बार चाट करते हुये मैंने उसे अपनी इस इच्छा के बारे में बताया था। इसलिये ही उसने ये सब किया थी जिससे वह मेरी इस इच्छा को पूरी कर सके। रीमा मंद मंद मुस्कुराते हुये मुझे अपनी बाँह चटवाती रही और खुद अपनी चूचीयो और उसकी घुडियो से खेलती रही। उसकी चूत फिर से पूर्ण रूप से गर्म हो गयी थी श्याद इसीलिये अब उसने अपनी घुंडियो को कस कर मसलना भी शुरु कर दिया था। जब रीमा की चूत गर्म होती थी वह अपनी चूचीयो के साथ बडी बेदर्दी का सलूक करती थी क्योकी ऐसा करने मे उसे और भी आनंद प्राप्त होता था।
मैंने थोडी ही देर में उसकी बाँह चाट कर उसका पसीना भी पी लिया और उसको भी अपने थूक से चमका दिया। रीमा ने देखा और बोली अच्छा चाटा बेटे तूने तेरी जीभ मुझे मेरे बदन पर बहुत मजा दे रही है क्या जीभ चलाता है तू मेरे बदन पर एक एक तार बज जाता है मेरे बदन का। अब तूने मेरे को चाट कर इतना मजा दिया है तो मै सोचती हूँ की तुझको भी तेरा इनाम दे दूँ। बडा तडप रहा था न तू मेरी काँख के लिये ले आजा देख ले अपना मस्ती का खजाना। बोल पहले किस तरफ की काँख चाटेगा मैं पहली बाँयी और की काँख चाटूंगा माँ। ठीक है दिखाती हूँ पर इतना सोच ले काँख को चाटने से पहले बाँह के अंदर का हिस्सा जोकि मेरे बदन से चिपका हुया था उस पर अभी भी पसीना लगा है पहले उसको चाटेगा और उसके बाद ही काँख चाटेगा अपने आप को काबू में रखना समझा। हाँ माँ मैं अपने को काबू मे रखूंगा। रीमा सोफे पर अपने चूतड को थोडा आगे खिस्का कर पसर कर बैठ गयी और अपना हाथ फैला कर सोफे पर रख दिया। ऐसा करने से रीमा की गाँड एक दम खिसक कर सोफे के किनारे मे आ गयी और रीमा के बदन के बोझ से रीमा के चूतड और फैल गये और उसकी टाँगे भी थोडी चौडी हो गयी। जिससे उसकी गीली चूत एक दम खुल गयी। ले आजा मेरे लाल तेरी माँ काँख खोल कर बैठी है चूस ले मेरे एक एक काँख के बाल से एक एक बूंद पसीना।
रीमा ने जैसे ही अपना हाथ पूरी तरह खोल कर सोफे पर रखा मैं रीमा के बगल में सोफे पर बैठ गया। रीमा की काँख खुलने से उसके बदन से पसीने के एक तीखी गंध निकली मैंने भी झट से अपनी नाक उसकी काँख तक ले गया और जोर जोर से साँस लेकर उसके पसीने की तीखी गंध सुघंने लगा। रीमा की पसीने की तीखी गंघ से मेरे शरीर में खून का दौरान और भी बढ गया। और मेरे लंड ने एक झटका मार कर अपनी खुशी का इजहार किया। रीमा भी मुझे अपनी काँख सुंघते हुये देख रही थी उसका दूसरा हाथ जो अभी तक उसकी चूचीयो पर चल रहा था फिसल कर उसकी चूत पर चला गया और वह अपनी चूत को बाहर से प्यार से सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ उसकी चूत के द्वार पर प्यार से चल रही थी जैसे उसे जता रही हो की वह चूत से कितना प्यार करती थी। मै थोडी देर तक उसकी पसीने की गंध को सूघता रहा फिर मैंने अपना ध्यान उसकी बाँह की और लगाया और उसकी बाँह को चाटने लगा और उस पर चिपके पसीने को पीने लगा। मुझे उसकी काँख मे मुँह घुसाने की बडी जल्दी थी इसलिये मैंने जल्दी जल्दी उसकी बाँह पर लगा सारा पसीना पी लिया। अब मैं उसकी काँख पर टूट पडने को तैयार था।
मैंने पहले रीमा की काँख और एक बार फिर से सूंघा और फिर उसकी काँख निहारने लगा। काले घने बालो से भरी और पसीने से लबालब उसकी काँख बहुत ही मस्त लग रही थी। उसकी काँख के बहुत से बालो पर पसीनो की बूंदे जमा थी। वह पसीने के बूंदे किसी मोती के समान लग रही थी। जो इस काले घने बालो के जंगल मे बिखरे पडे थे। जब भी मैं किसी औरत ही बालो भरी काँख को देखता था तो मेरा लंड तन जाता था। इंटरनेट पर तो न जाने कितनी बार बालो से भारी काँख देख कर मैंने मुठ मारी थी। रीमा के बदन मे वह सारे लक्षण थे जो मुझे उत्तेजित करते थे। मैं थोडी देर तक सिर्फ रीमा की काँख को निहारता ही रहा। जब रीमा ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसको सहलाया त्ब जाकर मुझे कुछ होश आया कि मुझे क्या करना है वर्ना मैं तो रीमा की काँख की खूबसूरती में ही खो गया था। ओह माँ क्या खूबसूरत काँख है तुम्हारी एक दम जन्नत का नजारा है। पंसद आयी हाँ माँ तो देख क्या रहा है पूरे पसीने से भरी है घुसा दे अपना मुँह। मैं तो बस इसकी खूबसूरती निहार रहा था। पर तुम सही कह रही हो अब मुझसे भी दूर नंही रहा जा रहा अब तो काँख मे मुँह घुसाना हे पडेगा। मैंने एक आखरी बार एक गहरी साँस लेकर रीमा के पसीने के गंध को सूंघा और अपनी जीभ निकाल कर रीमा की काँख एक आस पास के हिस्से पर जो थोडा बहुत पसीना लगा था उसको चाटने लगा। ऐसा करते वक्त मैंने इस बात का ध्यान रखा कि मेरा चेहरा रीमा की काँख के बालो से न टकराये क्योकी मैं रीमा की काँख के बालो मे जमे पसीन के मोतियो को तोडना नंही चाहाता था। मैं चाहाता था कि मैं खुद अपनी जीभ पर लेकर उन मोतियो का सेवन करूं। मैंने पहले रीमा की काँख के आस पास का पसीना साफ किया अब रीमा के पसीने के मोतियो को पीने की बारी थी।
मैंने अपनी पूरी जीभ जितनी भी बाहर निकाल सकता था निकाली और उसके एक बाल पर जमा उसके पसीने की एक बूंद को अपने जीभ में भर लिया और फिर उसे पी लिया ऐसा करने से रीमा का बाल मेरी जीभ से रगड खा गया। एक बाल से रीमा के नशीले पसीने को पीने का मजा ही कुछ और था मेरा लंड आगे की कारवायी की बारे में सोच कर ही उत्तेजित हो रहा था। रीमा भी इन सब बात से उत्तेजित थी और अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत के साथ खेल रही थी। मैंने उसकी एक एक बाल से पसीना पीना शुरु किया ये थोडा मुश्किल था पर मैं उसकी पूरी काँख को मुँह मे भरने से पहले उसकी काँख के बालो पर लगी पसीने की बूंदो को पीना चाहाता था। मैं एक एक बाल को मुँह मे लेता और उसको चूसता एक एक बाल करके चूसने से मुझे पसीना पीने में थोडा वक्त लग गया। पर मैं इससे संतुष्ट था। जब मुझे एक भी पसीने की बूंद नंही नजर आयी तो मैंने उसकी काँख के बालो को पूरा मुँह मे भर कर चूसने का निर्णय लिया। क्योकि मैं जानता था कि इस काँख के नीचे पसीने का बडा तालाब है तो मैं उसे कैसे छोड देता। मैंने अपना मुँह बडा सा खोला और उसकी काँख को ज्यादा से ज्यादा मुँह मे भर लिया। उसकी काँख से बहुत से बाल मेरे मुँह मे समा गये। मुँह मे बाल भर लेने के बाद मैंने उसके बालो को चूसना शुरु कर दिया। मैं ऐसे चूस रहा था की जैसे उस्की काँख कोई संतरे की फाँक हो और उसके बाल रस से भरे संतरे के रेशे।
रीमा की काँख पसीने से भरी बडी थी जैसे ही मैंने रीमा की काँख के बाल मुँह मे भर कर चूसना शुरू किया रस भरा पसीना मेरे मुँह मे समाने लगा और उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही भा गया। उसकी काँख मे इतना ज्यादा पसीने कारण यह था कि उसकी काँख के बाल बहुत ही घने थे और बहुत ही ज्यादा बाल थे उसकी काँख मे जिसकी वजह से शायद उसको बहुत पसीना आता था। और यही वजह थी की उसने मुझे बताया था कि वह ज्यादातर स्लीवल्स बलाउस पहनती है। ताकि उसकी काँख को थोडी हवा लग सके। पर मेरे लिये तो रीमा की ये पसीने भरी काँख जन्नत थी और अभी मैं उस जन्नत का मजा ले रहा था। मैं रीमा के बालो को मुँह मे भरता उसको थोडी देर चूस कर उसका पसीना पीता और फिर थोडे और बाल मुँह मे भर कर उस भाग के पसीने को पीता इस तरह चूस चूस कर मैंने उसकी बालो मे भरा सारा पसीना पी लिया। रीमा मुझे काँख का पसीना पीला कर बहुत ही गर्म हो गयी थी। और उसकी चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी रीमा अपनी चूत की भूख को शांत करने के लिये अपनी उंगलियो से उसको कुरेद रही थी। फिर उसकी चूत खोल कर अपने अंगूठे से अपनी चूत के दाने को रगडना शुरु कर दिया था। फिर जब मैने जोर जोर से उसकी बालो को मुँह मे भर कर चूसना शुरु किया तो रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे घुसेडी और अपने चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगडते हुये अपनी चूत अपनी उंगलियो से चोदने लगी। वह अपनी चूत की गर्मी को इस तरीके शांत करना चाहाती थी।
सारा पसीना पी लेने बाद भी मैंने अपनी जीभ उसकी बालो की बीच घुसा कर देखा कंही कोई पसीने की बूंद छूट तो नंही गयी है। जब मुझे पूरी तरह विश्वास हो गया की मैंने सारा पसीना पी लिया है तभी मैने उसकी काँख को छोडा। माँ तुम्ने तो आज मुझे अपने बदन का अमृत पीला कर मेरे लंड को अमर कर दिया अब तुम्को अपने इस पसीने से घबराने की कोई जरुरत नंही है। जब भी तुम्हारी काँख पसीन से भर जाये बस मुझे बता देना मैं चूस कर तुम्हारा पसीना पी लूंगा और तुम्को इस पसीन से मुक्ति दिला दूंगा। और अगर ये पसीना तुम्हारे ब्लाउस मे समा गया तो भी मैं तुम्हारा ब्लाउस चूस कर इसका पसीना पी लूंगा। हाँ बेटा तेरी माँ भी बहुत खुश है कि तू आज मेरा पसीना पी रहा है मेरे राजा बेटा इस काँख का पसीना तो तूने पी लिया अब जरा दूसरी काँख का पसीना भी पी मेरे लाल। देख वह भी पसीने से लबालब भरी है। देख मेरी चूत भी कितनी खुश है तेरे से एक दम गर्म हो गयी है तेरे लिये पी ले मेरे लाल मेरा पसीना पी ले रीमा ने जोर जोर से अपनी उंगलियो से अपनी चूत की चुदायी करते हुये कहा। हाँ माँ अभी पीता हू तुम्हारी दूसरी काँख का भी पसीना। रीमा की ये प्यार भरी इच्छा सुन कर मैं भी मचल उठा और रीमा के दूसरी और आकर बैठ गया। रीमा ने अपना दूसरा हाथ खोल कर मेरे सामने कर दिया और जिस काँख को अभी मैंने चूसा था उससे अपनी चूत सहलाने लगी। मुझे याद आया की रीमा अपने हाथ से अपनी चूत चोद रही थी इसका मतलब उसकी उंगलियाँ चूत रस में भीगी होगी मैंने रीमा की हथेली पकडी और उसकी चूत रस से भरी उंगलियो को चाटने लगा।
बडा ही अधीर है तू जरा सा भी चूत रस नंही छोड सकता साला हूँ ठीक है तेरे प्यार में ही तो बहा रही है मेरी चूत इतना रस पी ले। मैंने थोडी ही देर मैं चाट और चूस कर उसकी उंगलियो को साफ कर दिया। फिर रीमा की बाँह मे लगा पसीना चाटने लगा मैं जल्दी से जल्दी उसकी दूसरी काँख मे भी मुँह घुसाना चाहाता था जल्दी से उसका पसीना चाटने के बाद मैंने रीमा की काँख में मुँह घुसा कर उसके पसीने की तीखी गंध को सुंघने लगा। काफी देर तक मैं पसीने की गंध को सूंघता रहा। फिर पहले की तरह काँख के आस पास के हिस्से का पसीना पिया और बालो से पसीने के मोती। अब मुझसे बिल्कुल नंही रहा गया और मैंने अपना मुँह रीमा की काँख में घुसा दिया और उसके पसीने से भरी काँख पीने लगा। इस काँख एक पसीने को भी मैंने उसी जोश के साथ पीया जैसे पहली काँख के पसीने को पिया था। मस्त रीमा अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत चोदती रही अब तो वह मस्ती में बहुत जोर जोर से करहा रही थी और उसकी उंगलियाँ किसी पिस्टन की भांति जोर जोर से उसकी चूत के अंदर चल रही थी। जब चूस और चाट कर पसीने की एक एक बूंद मैंने पी ली तब जाकर हि मैंने रीमा की काँख को छोडा। ओह मेरे लाल तेरी जीभ ने देख क्या जादू कर दिया मेरी चूत पर देख चूत रस की नदी बह निकली है इससे इतना रस तुझे पीला चुकी है पर रस रुकने का नाम ही नंही ले रहा शायद इतने सालो की माँ बेटे की तडप से कुछ ज्यादा ही भावुक हो गयी है। तभी इतना रस बहा रही है अब इसको थोडा शांत करना पडेगा वर्ना ये तो ऐसे ही रोती रहेगी तो मेरा क्या होगा बेटा। हाँ माँ तुम ठीक कहती हो इसको थोडा सा मजा तो देना ही पडेगा मैं ऐसा करता हूँ की चूत चाट कर तुम्हें झडा देता हूँ तुम टाँगे खोल कर लेट जाओ मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा अब।
नंही बेटा अबकी बार ऐसे नंही पहले तू नीचे लेट जा मैं तेरे मुँह पर बैठ कर चूसवाउंगी। मैं तेरे मुँह की सवारी करना चाहाती हूँ और इस तरह से मुझे थोडी मेहनत भी करनी पडेगी जिससे मेरे शरीर का और भी पसीना निकलेगा और अभी भी काफी जगह मेरे बदन की बची है जिन पर जमा पसीना तुमको अभी पीना है और मेरे मेहनत करने से तुम्को ज्यादा पसीना पीन को मिलेगा। रीमा की बात का अर्थ समझ कर मैं ने सहमति में सर हिला दिया और बोला काहाँ लेटूं माँ बोलो चल इधर कालीन पर लेट जा मेरे लाल। मैंन नीचे कालीन पर चित लेट गया रीमा ने पास पडे कुशन को उठाया और बोली ले इसको अपने सिर के नीचे लगा ले इससे तेरे को चूसने में आसानी होगी। मैं कुशन सर के नीचे लगा कर लेट गया। रीमा मेरे शरीर के दोनो और अपने पैर रख कर खडी हो गयी। क्या नजारा दिखायी दिया मुझे नीचे मोटी मोटी जाँघो की बीच रस की नदी बहाती चूत रानी। जो अभी मेरे मुँह पर विराजमान होने को तैयार थी। और चूत राने के रस का प्यासा उनका एक भक्त चूत रानी को सेवा भाब से निहार रहा था। रीमा मुझे देख कर मुस्कुरायी और मेरे सामने धीमी गति मे बैठी जैसे कोई धीमी गति का रिप्ले दिखाते है टी वी में। वह ऐसे बैठी थी जैसे औरते मूतने के वक्त बैठती है। उसकी रस भरी खुली चूत मेरी आँखो के सामने थी।
रीमा ने अपने बदन को आगे झुकाया जिससे उसकी चूत आगे खिसक कर ठीक मेरे चेहरे के सामने आ गयी फिर रीमा ने नीचे देख कर अपने चूतडो को थोडा हिला कर चूत के मुँह को ठीक मेरे होंठो के सामने कर दिया। और बोली ले बेटा चाट मेरी चूत साली बहुत पनिया गयी है। पी ले रस भरी चूत कह कर रीमा ने अपने चूत मेरे होंठो पर टिका दी। रीमा की चूत काफी गीली थी मेरे होठों पर जैसे ही रीमा ने अपनी चूत रखी मेरे होंठ रीमा के चूत रस से गीले हो गये। और रीमा ने ने अपने चूतडो को हिला कर मेरे होंठो को अपने चूत रस से गीला कर दिया। मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो पर फिरायी फिर मैंने पहले उसकी चूत को चूमा एक एक इंच को चूमा और अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा। मोटी पुत्तियो वाली चूत चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। रीमा की चूत लगता था कभी शांट होती ही नंही थी अभे थोडी देर पहले ही तो मैने चूस कर रीमा की चूत को झडाया था और उसकी चूत फिर से गर्म हो गयी थी और झडने को तैयार थी। पर मेरे लिये तो यह सारा अनुभव नया ही था क्योकी मैंने आज तक कोई भी औरत नंगी नंही देखी थी और मुझे मिली भी तो इतनी मस्त रसीली चूत पहली बार मैंने तो जब से आया था बस मस्ती के सातवें आसमान पर था। और जैसा कि रीमा ने कहा था कि मेरे जैसे जवान मर्दो को चूत रस का सेवन करना चाहिये और चूत रस का सेवन करके मेरा लंड मस्त होकर और भी मोटा होता जा रहा था।
मैंने रीमा की चूत को मुँह मे भर कर चूसना शुरु कर दिया था। रीमा भी अपने हौदे जैसे चूतड मेरे मुँह पर दबा कर मजा ले रही थी। मैंने सबसे पहले उसकी चूत चाट कर उसकी चूत पर बाहरी हिस्सो पर लगा सारा रस पीया फिर मैंने अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार मैं फिराने लगा। कभी उसकी चूत की दरार मे जीभ फिराता तो कभी चूत के चारो और फिर मेरे ऐसा करने ने रीमा की चूत जो रस बहाती उसको चूत मुँह मे भर कर चूसता। ऐसे चूसने से रीमा की चूत और गर्म होती जा रही थी। और वह अब और भी जोर से अपने चूत मेरे मुँह बर दबाने लगी। वह अपनी चूत का दाना मेरी जीभ से रगडना चाहाती थी ताकी वह झड कर मजा ले सके। अरे ओ गाँडू क्या कर रहा है साले मादरचोद मुझे झडाने के लिये चूत चूस रहा है कि गर्म करने के लिये साली मेरी चूत तो और भी मस्ता गयी है। अबे मेरी चूत का दाना चूस साले मुझे झडा पहले तो अपनी जीभ से मेरा बदन चाट कर इतनी आग लगा दी मेरे बदन में और अब तडपा रहा है साला वह भी अपनी माँ को मादर चोद चूस जोर से चूस मेरी चूत खेल मत कर। रीमा की प्यार भरी फटकार सुनकर मैंने उसकी चूत को एक बार मुँह मे भर कर चूसा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत का दाना कुरेदने लगा। जो मस्ती मे खडा होकर उसकी चूत के घूंघट से थोडा बाहर आ गया था।
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बदनाम रिश्ते--
रीमा एक मुंह बोली माँ --18 आज बेटा अब तू इस तरफ आ जा अब दूसरे हाथ का पसीना चूस। मैं फिर से रीमा की पहले हाथ की तरफ आकर बैठ गया और रीमा ने अपन हाथ आगे बढा दिया जिस पर पसीने की काफी बूंदे जमा थी। मेरे बगल मे बैठते ही रीमा ने अपनी जाँघ मेरी जाँघ से सटा दी उसकी मोटी चिकनी जाँघ के स्पर्श मात्र से ही मेरे शरीर में झुरझुरी दौड गयी। दोनो के बदन बहुत ही गर्म थे तो ये बात तो तय थी की दोनो के बदन के गर्मी और रूम के गर्म तापमान के कारण उसकी जाँघ पसीने में भीग जाने वाली थी और जिस तरह से गद्देदार सोफा था वह पसीना सारा बह कर चूत के पास ही जमा होता। अब मैं समझ रहा था रीमा चाहाती थी की मैं उसके पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूं वह जान चुकी थी उसका पसीना भी मुझे कितना उत्तेजित कर रहा था तो पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूंगा तो वह रस तो मेरे लिये किसी शराब से कम नंही होता। मैंने रीमा के दूसरे हाथ पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर पीना शुरु कर दिया। सबसे पहले एक एक बूंद को चूम पर पिया उसके बाद उसके बाद उसके हाथ को अपनी जीभ से चाटने लगा। रीमा फिर से अपने काम पर लग गयी थी और मेरे लंड को अपने दूसरे थूक लगे हाथ से सहला रही थी। थोडी देर में मैंने उसके हाथ को भी चाट कर उसका सारा पसीना पी लिया। लो मा मैंने तुम्हारे दोनो हाथ का पसीना कोहनी तक पी लिया है अब मुझे अपनी बाँहो और काँख से भी पसीना पीने दो न माँ। मुझे तुम्हारी काँख मे नाक घुसा कर तुम्हारे पसीने की महक को सूघंना है। तुम्हारे काँख से निकलती निकलती पसीने की महक मुझे बहुत उत्तेजित करती है माँ। तो सूघं ले बेटा और पसीना भी पी ले तेरी माँ ने कब मना किया है। मेरे बदन का ये पसीना तेरे लिये ही तो है। अब जब भी जहाँ से भी पसीना निकलेगा तू पी लेना तेरी माँ कभी भी मना नंही करेगी।
चल मैं अपनी बाँह उठाती हूँ जिससे तुझे मेरा पसीना पीने मे असानी हो। तू सोफे के बगल में खडा हो जा और चाट मेरी बाँह का रस। मैं सोफे के बगल मैं खडा हो गया और रीमा ने अपनी बाँह थोडी उपर कर दी पर अपनी काँख खोल कर मुझे नंही दिखायी और बोली ले चाट मेरी बाँह फिर मेरी काँख चाटना समझा। मैं सहमति में सर हिला दिया और रीमा की बाँह को चूमने लगा। इतनी मोटी और माँसल बाँह देख कर ही मेरा मन मचल रहा था मन कर रहा था कि रीमा अपनी बाँह और अपने बदन के बीच मेरे लंड को दबा ले और मैं उसकी बाँह चोदूं उसकी गद्देदार बाँह और बदन के बीच दबे मेरे लंड की कल्पना से ही मेरा लंड मचल रहा था। और मैं मस्ती मे उसकी बाँह से पसीना पीता जा रहा था। रीमा को शायद बहुत ही पसीना आता था क्योकी पसीना उसकी बाँह में बूंदो के रूप मे झलक रहा था और उसके चिकने बदन के कारण बह भी रहा था। जिसे में चूम और चाट कर पीता जा रहा था। रीमा प्यार से अपनी गोल मटोल चूचीयो पर हाथ फेर रही थी और मजा ले रही थी कि कैसे एक जवान मर्द जोकि उसके बेटे की उम्र का है उसके बदन का आशिक हो गया था।
उसकी घुंडियाँ एक दम तन कर खडी थी और इतनी कडी थी कि अगर उसने ब्लाऊस पहना होता तो उसमे छेद कर देती। मैंने थोडी ही देर मे उसकी बाँह से उसका सारा पसीना चूस और चाट कर साफ कर दिया और रीमा से बोला माँ मैंने पसीना पी लिया अब तो मुझे अपनी पसीने से भरी काँख दिखाओ न मुझे उसकी गंध को सुघंने दो न माँ। बडी जल्दी पी लिया मेरी बाँह का पसीना बडा उतवला लग रहा है काँख मे मुँह घुसाने का जरा देखूं तो पिया भी है या ऐसे ही बोल रहा है जिससे माँ तुझे अपनी काँख मे मुँह घुसाने दे और अपनी काँख का पसीना पीने दे। रीमा ने अपनी बाँह को देखा और मैंने सही मे उसकी बाँह पर जमा सारा पसीना पी लिया था और उसकी बाँह मेरे थूक से चका चक चमक रही थी। हूँ मेरी काँख कुछ ज्यादा ही पंसद आ गयी है मेरे लाडाले को पर अभी थोडा इतजार कर पहले आकर दूसरी बाँह भी चाट बाहर से फिर मैं अपनी दोनो काँख खोल दूंगी जो चाहे करना समझा। कह कर रीमा ने अपनी दूसरी बाँह भी थोडी से उठा ली और मैं रीमा के दूसरी तरफ आ गया और पहले पसीने भरी बाँह को निहारा फिर टूट पडा उसकी बाँह पर भूखे कुत्ते की तरह और चाटने लगा उसका पसीना। रीमा मेरी बेताबी समझ रही थी उसको पता था की मुझे बालो भरी काँख और उसका पसीना कितना पंसद है बहुत बार चाट करते हुये मैंने उसे अपनी इस इच्छा के बारे में बताया था। इसलिये ही उसने ये सब किया थी जिससे वह मेरी इस इच्छा को पूरी कर सके। रीमा मंद मंद मुस्कुराते हुये मुझे अपनी बाँह चटवाती रही और खुद अपनी चूचीयो और उसकी घुडियो से खेलती रही। उसकी चूत फिर से पूर्ण रूप से गर्म हो गयी थी श्याद इसीलिये अब उसने अपनी घुंडियो को कस कर मसलना भी शुरु कर दिया था। जब रीमा की चूत गर्म होती थी वह अपनी चूचीयो के साथ बडी बेदर्दी का सलूक करती थी क्योकी ऐसा करने मे उसे और भी आनंद प्राप्त होता था।
मैंने थोडी ही देर में उसकी बाँह चाट कर उसका पसीना भी पी लिया और उसको भी अपने थूक से चमका दिया। रीमा ने देखा और बोली अच्छा चाटा बेटे तूने तेरी जीभ मुझे मेरे बदन पर बहुत मजा दे रही है क्या जीभ चलाता है तू मेरे बदन पर एक एक तार बज जाता है मेरे बदन का। अब तूने मेरे को चाट कर इतना मजा दिया है तो मै सोचती हूँ की तुझको भी तेरा इनाम दे दूँ। बडा तडप रहा था न तू मेरी काँख के लिये ले आजा देख ले अपना मस्ती का खजाना। बोल पहले किस तरफ की काँख चाटेगा मैं पहली बाँयी और की काँख चाटूंगा माँ। ठीक है दिखाती हूँ पर इतना सोच ले काँख को चाटने से पहले बाँह के अंदर का हिस्सा जोकि मेरे बदन से चिपका हुया था उस पर अभी भी पसीना लगा है पहले उसको चाटेगा और उसके बाद ही काँख चाटेगा अपने आप को काबू में रखना समझा। हाँ माँ मैं अपने को काबू मे रखूंगा। रीमा सोफे पर अपने चूतड को थोडा आगे खिस्का कर पसर कर बैठ गयी और अपना हाथ फैला कर सोफे पर रख दिया। ऐसा करने से रीमा की गाँड एक दम खिसक कर सोफे के किनारे मे आ गयी और रीमा के बदन के बोझ से रीमा के चूतड और फैल गये और उसकी टाँगे भी थोडी चौडी हो गयी। जिससे उसकी गीली चूत एक दम खुल गयी। ले आजा मेरे लाल तेरी माँ काँख खोल कर बैठी है चूस ले मेरे एक एक काँख के बाल से एक एक बूंद पसीना।
रीमा ने जैसे ही अपना हाथ पूरी तरह खोल कर सोफे पर रखा मैं रीमा के बगल में सोफे पर बैठ गया। रीमा की काँख खुलने से उसके बदन से पसीने के एक तीखी गंध निकली मैंने भी झट से अपनी नाक उसकी काँख तक ले गया और जोर जोर से साँस लेकर उसके पसीने की तीखी गंध सुघंने लगा। रीमा की पसीने की तीखी गंघ से मेरे शरीर में खून का दौरान और भी बढ गया। और मेरे लंड ने एक झटका मार कर अपनी खुशी का इजहार किया। रीमा भी मुझे अपनी काँख सुंघते हुये देख रही थी उसका दूसरा हाथ जो अभी तक उसकी चूचीयो पर चल रहा था फिसल कर उसकी चूत पर चला गया और वह अपनी चूत को बाहर से प्यार से सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ उसकी चूत के द्वार पर प्यार से चल रही थी जैसे उसे जता रही हो की वह चूत से कितना प्यार करती थी। मै थोडी देर तक उसकी पसीने की गंध को सूघता रहा फिर मैंने अपना ध्यान उसकी बाँह की और लगाया और उसकी बाँह को चाटने लगा और उस पर चिपके पसीने को पीने लगा। मुझे उसकी काँख मे मुँह घुसाने की बडी जल्दी थी इसलिये मैंने जल्दी जल्दी उसकी बाँह पर लगा सारा पसीना पी लिया। अब मैं उसकी काँख पर टूट पडने को तैयार था।
मैंने पहले रीमा की काँख और एक बार फिर से सूंघा और फिर उसकी काँख निहारने लगा। काले घने बालो से भरी और पसीने से लबालब उसकी काँख बहुत ही मस्त लग रही थी। उसकी काँख के बहुत से बालो पर पसीनो की बूंदे जमा थी। वह पसीने के बूंदे किसी मोती के समान लग रही थी। जो इस काले घने बालो के जंगल मे बिखरे पडे थे। जब भी मैं किसी औरत ही बालो भरी काँख को देखता था तो मेरा लंड तन जाता था। इंटरनेट पर तो न जाने कितनी बार बालो से भारी काँख देख कर मैंने मुठ मारी थी। रीमा के बदन मे वह सारे लक्षण थे जो मुझे उत्तेजित करते थे। मैं थोडी देर तक सिर्फ रीमा की काँख को निहारता ही रहा। जब रीमा ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसको सहलाया त्ब जाकर मुझे कुछ होश आया कि मुझे क्या करना है वर्ना मैं तो रीमा की काँख की खूबसूरती में ही खो गया था। ओह माँ क्या खूबसूरत काँख है तुम्हारी एक दम जन्नत का नजारा है। पंसद आयी हाँ माँ तो देख क्या रहा है पूरे पसीने से भरी है घुसा दे अपना मुँह। मैं तो बस इसकी खूबसूरती निहार रहा था। पर तुम सही कह रही हो अब मुझसे भी दूर नंही रहा जा रहा अब तो काँख मे मुँह घुसाना हे पडेगा। मैंने एक आखरी बार एक गहरी साँस लेकर रीमा के पसीने के गंध को सूंघा और अपनी जीभ निकाल कर रीमा की काँख एक आस पास के हिस्से पर जो थोडा बहुत पसीना लगा था उसको चाटने लगा। ऐसा करते वक्त मैंने इस बात का ध्यान रखा कि मेरा चेहरा रीमा की काँख के बालो से न टकराये क्योकी मैं रीमा की काँख के बालो मे जमे पसीन के मोतियो को तोडना नंही चाहाता था। मैं चाहाता था कि मैं खुद अपनी जीभ पर लेकर उन मोतियो का सेवन करूं। मैंने पहले रीमा की काँख के आस पास का पसीना साफ किया अब रीमा के पसीने के मोतियो को पीने की बारी थी।
मैंने अपनी पूरी जीभ जितनी भी बाहर निकाल सकता था निकाली और उसके एक बाल पर जमा उसके पसीने की एक बूंद को अपने जीभ में भर लिया और फिर उसे पी लिया ऐसा करने से रीमा का बाल मेरी जीभ से रगड खा गया। एक बाल से रीमा के नशीले पसीने को पीने का मजा ही कुछ और था मेरा लंड आगे की कारवायी की बारे में सोच कर ही उत्तेजित हो रहा था। रीमा भी इन सब बात से उत्तेजित थी और अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत के साथ खेल रही थी। मैंने उसकी एक एक बाल से पसीना पीना शुरु किया ये थोडा मुश्किल था पर मैं उसकी पूरी काँख को मुँह मे भरने से पहले उसकी काँख के बालो पर लगी पसीने की बूंदो को पीना चाहाता था। मैं एक एक बाल को मुँह मे लेता और उसको चूसता एक एक बाल करके चूसने से मुझे पसीना पीने में थोडा वक्त लग गया। पर मैं इससे संतुष्ट था। जब मुझे एक भी पसीने की बूंद नंही नजर आयी तो मैंने उसकी काँख के बालो को पूरा मुँह मे भर कर चूसने का निर्णय लिया। क्योकि मैं जानता था कि इस काँख के नीचे पसीने का बडा तालाब है तो मैं उसे कैसे छोड देता। मैंने अपना मुँह बडा सा खोला और उसकी काँख को ज्यादा से ज्यादा मुँह मे भर लिया। उसकी काँख से बहुत से बाल मेरे मुँह मे समा गये। मुँह मे बाल भर लेने के बाद मैंने उसके बालो को चूसना शुरु कर दिया। मैं ऐसे चूस रहा था की जैसे उस्की काँख कोई संतरे की फाँक हो और उसके बाल रस से भरे संतरे के रेशे।
रीमा की काँख पसीने से भरी बडी थी जैसे ही मैंने रीमा की काँख के बाल मुँह मे भर कर चूसना शुरू किया रस भरा पसीना मेरे मुँह मे समाने लगा और उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही भा गया। उसकी काँख मे इतना ज्यादा पसीने कारण यह था कि उसकी काँख के बाल बहुत ही घने थे और बहुत ही ज्यादा बाल थे उसकी काँख मे जिसकी वजह से शायद उसको बहुत पसीना आता था। और यही वजह थी की उसने मुझे बताया था कि वह ज्यादातर स्लीवल्स बलाउस पहनती है। ताकि उसकी काँख को थोडी हवा लग सके। पर मेरे लिये तो रीमा की ये पसीने भरी काँख जन्नत थी और अभी मैं उस जन्नत का मजा ले रहा था। मैं रीमा के बालो को मुँह मे भरता उसको थोडी देर चूस कर उसका पसीना पीता और फिर थोडे और बाल मुँह मे भर कर उस भाग के पसीने को पीता इस तरह चूस चूस कर मैंने उसकी बालो मे भरा सारा पसीना पी लिया। रीमा मुझे काँख का पसीना पीला कर बहुत ही गर्म हो गयी थी। और उसकी चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी रीमा अपनी चूत की भूख को शांत करने के लिये अपनी उंगलियो से उसको कुरेद रही थी। फिर उसकी चूत खोल कर अपने अंगूठे से अपनी चूत के दाने को रगडना शुरु कर दिया था। फिर जब मैने जोर जोर से उसकी बालो को मुँह मे भर कर चूसना शुरु किया तो रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे घुसेडी और अपने चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगडते हुये अपनी चूत अपनी उंगलियो से चोदने लगी। वह अपनी चूत की गर्मी को इस तरीके शांत करना चाहाती थी।
सारा पसीना पी लेने बाद भी मैंने अपनी जीभ उसकी बालो की बीच घुसा कर देखा कंही कोई पसीने की बूंद छूट तो नंही गयी है। जब मुझे पूरी तरह विश्वास हो गया की मैंने सारा पसीना पी लिया है तभी मैने उसकी काँख को छोडा। माँ तुम्ने तो आज मुझे अपने बदन का अमृत पीला कर मेरे लंड को अमर कर दिया अब तुम्को अपने इस पसीने से घबराने की कोई जरुरत नंही है। जब भी तुम्हारी काँख पसीन से भर जाये बस मुझे बता देना मैं चूस कर तुम्हारा पसीना पी लूंगा और तुम्को इस पसीन से मुक्ति दिला दूंगा। और अगर ये पसीना तुम्हारे ब्लाउस मे समा गया तो भी मैं तुम्हारा ब्लाउस चूस कर इसका पसीना पी लूंगा। हाँ बेटा तेरी माँ भी बहुत खुश है कि तू आज मेरा पसीना पी रहा है मेरे राजा बेटा इस काँख का पसीना तो तूने पी लिया अब जरा दूसरी काँख का पसीना भी पी मेरे लाल। देख वह भी पसीने से लबालब भरी है। देख मेरी चूत भी कितनी खुश है तेरे से एक दम गर्म हो गयी है तेरे लिये पी ले मेरे लाल मेरा पसीना पी ले रीमा ने जोर जोर से अपनी उंगलियो से अपनी चूत की चुदायी करते हुये कहा। हाँ माँ अभी पीता हू तुम्हारी दूसरी काँख का भी पसीना। रीमा की ये प्यार भरी इच्छा सुन कर मैं भी मचल उठा और रीमा के दूसरी और आकर बैठ गया। रीमा ने अपना दूसरा हाथ खोल कर मेरे सामने कर दिया और जिस काँख को अभी मैंने चूसा था उससे अपनी चूत सहलाने लगी। मुझे याद आया की रीमा अपने हाथ से अपनी चूत चोद रही थी इसका मतलब उसकी उंगलियाँ चूत रस में भीगी होगी मैंने रीमा की हथेली पकडी और उसकी चूत रस से भरी उंगलियो को चाटने लगा।
बडा ही अधीर है तू जरा सा भी चूत रस नंही छोड सकता साला हूँ ठीक है तेरे प्यार में ही तो बहा रही है मेरी चूत इतना रस पी ले। मैंने थोडी ही देर मैं चाट और चूस कर उसकी उंगलियो को साफ कर दिया। फिर रीमा की बाँह मे लगा पसीना चाटने लगा मैं जल्दी से जल्दी उसकी दूसरी काँख मे भी मुँह घुसाना चाहाता था जल्दी से उसका पसीना चाटने के बाद मैंने रीमा की काँख में मुँह घुसा कर उसके पसीने की तीखी गंध को सुंघने लगा। काफी देर तक मैं पसीने की गंध को सूंघता रहा। फिर पहले की तरह काँख के आस पास के हिस्से का पसीना पिया और बालो से पसीने के मोती। अब मुझसे बिल्कुल नंही रहा गया और मैंने अपना मुँह रीमा की काँख में घुसा दिया और उसके पसीने से भरी काँख पीने लगा। इस काँख एक पसीने को भी मैंने उसी जोश के साथ पीया जैसे पहली काँख के पसीने को पिया था। मस्त रीमा अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत चोदती रही अब तो वह मस्ती में बहुत जोर जोर से करहा रही थी और उसकी उंगलियाँ किसी पिस्टन की भांति जोर जोर से उसकी चूत के अंदर चल रही थी। जब चूस और चाट कर पसीने की एक एक बूंद मैंने पी ली तब जाकर हि मैंने रीमा की काँख को छोडा। ओह मेरे लाल तेरी जीभ ने देख क्या जादू कर दिया मेरी चूत पर देख चूत रस की नदी बह निकली है इससे इतना रस तुझे पीला चुकी है पर रस रुकने का नाम ही नंही ले रहा शायद इतने सालो की माँ बेटे की तडप से कुछ ज्यादा ही भावुक हो गयी है। तभी इतना रस बहा रही है अब इसको थोडा शांत करना पडेगा वर्ना ये तो ऐसे ही रोती रहेगी तो मेरा क्या होगा बेटा। हाँ माँ तुम ठीक कहती हो इसको थोडा सा मजा तो देना ही पडेगा मैं ऐसा करता हूँ की चूत चाट कर तुम्हें झडा देता हूँ तुम टाँगे खोल कर लेट जाओ मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा अब।
नंही बेटा अबकी बार ऐसे नंही पहले तू नीचे लेट जा मैं तेरे मुँह पर बैठ कर चूसवाउंगी। मैं तेरे मुँह की सवारी करना चाहाती हूँ और इस तरह से मुझे थोडी मेहनत भी करनी पडेगी जिससे मेरे शरीर का और भी पसीना निकलेगा और अभी भी काफी जगह मेरे बदन की बची है जिन पर जमा पसीना तुमको अभी पीना है और मेरे मेहनत करने से तुम्को ज्यादा पसीना पीन को मिलेगा। रीमा की बात का अर्थ समझ कर मैं ने सहमति में सर हिला दिया और बोला काहाँ लेटूं माँ बोलो चल इधर कालीन पर लेट जा मेरे लाल। मैंन नीचे कालीन पर चित लेट गया रीमा ने पास पडे कुशन को उठाया और बोली ले इसको अपने सिर के नीचे लगा ले इससे तेरे को चूसने में आसानी होगी। मैं कुशन सर के नीचे लगा कर लेट गया। रीमा मेरे शरीर के दोनो और अपने पैर रख कर खडी हो गयी। क्या नजारा दिखायी दिया मुझे नीचे मोटी मोटी जाँघो की बीच रस की नदी बहाती चूत रानी। जो अभी मेरे मुँह पर विराजमान होने को तैयार थी। और चूत राने के रस का प्यासा उनका एक भक्त चूत रानी को सेवा भाब से निहार रहा था। रीमा मुझे देख कर मुस्कुरायी और मेरे सामने धीमी गति मे बैठी जैसे कोई धीमी गति का रिप्ले दिखाते है टी वी में। वह ऐसे बैठी थी जैसे औरते मूतने के वक्त बैठती है। उसकी रस भरी खुली चूत मेरी आँखो के सामने थी।
रीमा ने अपने बदन को आगे झुकाया जिससे उसकी चूत आगे खिसक कर ठीक मेरे चेहरे के सामने आ गयी फिर रीमा ने नीचे देख कर अपने चूतडो को थोडा हिला कर चूत के मुँह को ठीक मेरे होंठो के सामने कर दिया। और बोली ले बेटा चाट मेरी चूत साली बहुत पनिया गयी है। पी ले रस भरी चूत कह कर रीमा ने अपने चूत मेरे होंठो पर टिका दी। रीमा की चूत काफी गीली थी मेरे होठों पर जैसे ही रीमा ने अपनी चूत रखी मेरे होंठ रीमा के चूत रस से गीले हो गये। और रीमा ने ने अपने चूतडो को हिला कर मेरे होंठो को अपने चूत रस से गीला कर दिया। मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो पर फिरायी फिर मैंने पहले उसकी चूत को चूमा एक एक इंच को चूमा और अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा। मोटी पुत्तियो वाली चूत चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। रीमा की चूत लगता था कभी शांट होती ही नंही थी अभे थोडी देर पहले ही तो मैने चूस कर रीमा की चूत को झडाया था और उसकी चूत फिर से गर्म हो गयी थी और झडने को तैयार थी। पर मेरे लिये तो यह सारा अनुभव नया ही था क्योकी मैंने आज तक कोई भी औरत नंगी नंही देखी थी और मुझे मिली भी तो इतनी मस्त रसीली चूत पहली बार मैंने तो जब से आया था बस मस्ती के सातवें आसमान पर था। और जैसा कि रीमा ने कहा था कि मेरे जैसे जवान मर्दो को चूत रस का सेवन करना चाहिये और चूत रस का सेवन करके मेरा लंड मस्त होकर और भी मोटा होता जा रहा था।
मैंने रीमा की चूत को मुँह मे भर कर चूसना शुरु कर दिया था। रीमा भी अपने हौदे जैसे चूतड मेरे मुँह पर दबा कर मजा ले रही थी। मैंने सबसे पहले उसकी चूत चाट कर उसकी चूत पर बाहरी हिस्सो पर लगा सारा रस पीया फिर मैंने अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार मैं फिराने लगा। कभी उसकी चूत की दरार मे जीभ फिराता तो कभी चूत के चारो और फिर मेरे ऐसा करने ने रीमा की चूत जो रस बहाती उसको चूत मुँह मे भर कर चूसता। ऐसे चूसने से रीमा की चूत और गर्म होती जा रही थी। और वह अब और भी जोर से अपने चूत मेरे मुँह बर दबाने लगी। वह अपनी चूत का दाना मेरी जीभ से रगडना चाहाती थी ताकी वह झड कर मजा ले सके। अरे ओ गाँडू क्या कर रहा है साले मादरचोद मुझे झडाने के लिये चूत चूस रहा है कि गर्म करने के लिये साली मेरी चूत तो और भी मस्ता गयी है। अबे मेरी चूत का दाना चूस साले मुझे झडा पहले तो अपनी जीभ से मेरा बदन चाट कर इतनी आग लगा दी मेरे बदन में और अब तडपा रहा है साला वह भी अपनी माँ को मादर चोद चूस जोर से चूस मेरी चूत खेल मत कर। रीमा की प्यार भरी फटकार सुनकर मैंने उसकी चूत को एक बार मुँह मे भर कर चूसा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत का दाना कुरेदने लगा। जो मस्ती मे खडा होकर उसकी चूत के घूंघट से थोडा बाहर आ गया था।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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