Monday, February 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक चुटकी सिन्दूर-1

FUN-MAZA-MASTI


एक चुटकी सिन्दूर-1 ( बिधवा से प्यार की सच्ची चुदाई )

              मेल से मिली सत्य कहानी को यहाँ लिख रहा हु 


रुचिका का शरीर  ८०% ऐसी ही है 
यह बात पिछले साल १९  ओक्टूबर २०१२  की है  मैं मेरी बाइक को सर्विसिंग  में देने के बाद टाटा मैजिक से घर की तरफ  रहा था तो उसी मैजिक  में एक बहुत ही सुन्दर महिला बैठी इनकी उम्र लगभग 28-30  के आसपास लगभग 5 फिट 5  इंच  आस पास उसकी हाईट है | ओ बहुत ही आकर्षक ,गोरे  रंग की सामन्य कद काठी की जिसे ना तो मोटी और ना ही दुबली -पतली कह सकते है ,मस्त जवानी का गदराया हुआ वदन जैसे गदराई हुई अमरुद होती है रुचिका के गोरे  गोरे गाल पर बाई तरफ तिल, सुन्दरता में चार चाँद लगा रहा है | जबकि मैं 45  साल का सादी  सुदा आकर्षक गेहुए रंग का पर मैं आज भी 35-37  साल का लगता हु मेरी हाईट लगभग 5 फिट 11इंच के आसपास होगी | मैजिक में भीड़ होने के कारण ओ मेरे पास ही सीट पर बैठ गई मेरे से सट कर , पर मैं संकोच के कारण बार बार उससे दूरी बनाने की कोसिस कर रहा था तो,ओ मुस्कुरा कर धीरे से बोली की "नीचे गिर जायेगे आप इतना खिसक कर कहा जायेगे " और फिर से मुस्कुरा दिया मैंने बोला ओके डोण्ट वरी नहीं गिरुगा मेरी चिंता करने के लिए धन्यवाद तो फिर से मुस्कुराई और बोली ओके | और फिर बात चीत का जो सिलसिला चला तो आज तक बंद नहीं हुआ उन्होंने ने मेरे बारे में पूछा की क्या करते है आप (पर मैंने नहीं बताया क्योकि ओरतो के स्वभाव होता है ज्यादा बात करना ओ अपनी ही बताती रही ) मैंने उनके बारे में पूछा  की आप क्या करती है तब पता चला की ओ एक स्थानीय गवर्मेंट जाब में है और अपनी ऑफिस का नाम भी बता दिया बात चीत से मैं अंदाजा की ये बहुत ही भोली भाली महिला है | मैं मेरे जगह पर उतर गया उसकी तरफ देखे बिना और ओ ऑफिस अपने  चली गई |  जब मैं साम को बाइक  लेने जाने लगा साम को तो सयोंग से ओ फिर मिल गई एक मैजिक में फिर हम दोनों मुस्कुराए और बात करने लगे बात बात में मैंने बोल दिया की क्या अजीब सयोंग है आज आप सुबह भी मिली  थी और साम को भी तो हसने लगी | अपने स्टाप के आने से पहले माजिक में कोई खराबी आ गई तो सभी  सवारी उतर गई तो हम दोनों भी  उतर गए और करीब एक किलोमीटर तक पैदल बात चीत करते हुए चले बात बात में मैंने पूछ लिया की आपके पति जी क्या करते है तो ओ उदास हो गई और बोली  मैं ''विडो'' हु तो मैंने सोरी बोला और माफी मागा तो ओ बोली की कोई बात नहीं ये तो सचाई है मना नहीं कर  सकती हु मैं और बात करते करते  'सो' रूम के पास आ गए तो मैंने उन मेडम को बोल ओके बाय मैं चालू तो बोली की बाय चलिए मेरा भी घर पास  में ही है तब मैंने उनसे उनका घर पूछ लिया ओपचारिकता वस्  जब ओ जाने लगी तो, मैं बोला की  नाम तो बता दीजिये तो बोली 'रुचिका जागीरदार' और हसने लगी और हस्ते हस्ते बोली की फोन नंबर भी दे दु क्या, तो मैं  बोला की जैसा उचित  समझे ' तो बोली की  हु आप सज्जन इंसान लगते है पर आप करते क्या है | इस बात क जबाब उसने नहीं सुना क्योकि उसके घर का कोई दिखा गया इससे ओ चली गई और मैं भी मेरी बाइक लिया और घर चला गया | पर ओ इतनी सुन्दर है की मैं कभी कभी उनकी सुन्दरता को निहारने के लिए रुचिका की ऑफिस के सामने दूर से ही देख लेता और आहे भरता पर हिम्मत नहीं पड़ती थी की मैं  उनसे फिर से मिलु
मैं सायद  ५ नवम्बर २०१२ को दिन मेरे ऑफिस में बैठा हुआ था (ऑफिस के अन्दर बैठा हुआ मैं बाहर से नहीं दिखाई देता काले काच के कारण )की  मैंने देखा की रुचिका  मेरे ऑफिस की तरफ ही आ रही है , ओ अन्दर आई और रिसेप्सनिस्ट से नमस्कार किया और  अन्दर कम्पूटर लैब में चली गई उस  ९ बज रहे थे  (रिसेप्सनिस्ट टीक मेरे ऑफिस के सामने बैठती है ) मैं समझ गया ये यहाँ कंप्यूटर लर्न करने आती है | मैं रिसेप्सनिस्ट को बुलाया और पूछा की ये जो मेडम अन्दर गई है इनका एडमीसन कब हुआ  तो रिसेप्सनिस्ट ने बताया की अगस्त में हुआ है ये अभी तक दोपहर में आती थी आज से ही सुबह आना सुरु किया है  मैं रिसेप्सनिस्ट को बोला टीक है जाओ |  फिर मैं करीब ९.४५ पर ऑफिस से उठा और बाहर गया और फिर वापस ५ मिनट में आ गया ऑफिस में इस दौरान रुचिका ने मुझे देखा पर मैं उसे नहीं देखा जबकि तिरछि नजर से मैंने उसे देख लिया था | रुचिका जब  जाने लगी करीब १०.१५ बजे तो रिसेप्सनिस्ट से पूछा की ये कोन है जो ऑफिस में गए तो रिसेप्सनिस्ट ने बताया की ओ तो बड़े सर है तो ओ अन्दर आई ऑफिस का दरवाजा खोलकर मैं उसे अन्दर आते देख कर काम में बिजी होने का नाटक करके कुछ करने लगा रुचिका अन्दर आकर मेरी टेबल को हलके हाथ से ठोका जब मैं उसकी तरफ देखा तो बोली की गुड मोर्निंग सर तब मैं उसकी तरफ  देखा और गुड मोर्निंग बोला और फिर कहा कहिये क्या प्राब्लाम्ब  है आपकी तो रुचिका बोलती है की आप भूल गए क्या हमें (जबकि मुझे तो सब याद था मैं जान बुझ कर नाटक कर रहा था) तो मैं बोला की कुछ जाना पहचाना चेहरा लग रहा है मुझे ,अरे हां आप तो मैजिक में मिली थी न, तो रुचिका ने बोला हां तब मैंने बोला बैठिये रुचिका जी और सुनाये कैसी है आप तो रुचिका बोली टीक हु सर | 
 रुचिका उस दिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी ब्लू कलर की मैचिंग ब्लाउज में गजब की सुन्दर और सेक्सी लग रही थी मस्त गदराया हुआ जिस्म में गजब की सेक्स अपील थी ब्लाउज  ऊपर से ही रुचिका के बूब्स मस्त लग रहे थे मैं एक टक रुचिका की सुन्दरता को निहार रहा था तो रुचिका सर्मा गई और बोलती है की क्या हुआ सर मैं हकबका गया और झेप सा गया सरमाते हुए बोला कुछ नहीं इतनी सुन्दर है की आपको देखा तो देखता ही रहा गया तब रुचिका बोलती है की आप भी बहुत स्मार्ट है सर तब मैंने बोला की आप तो मेरे  रही है मैं कहा इतना स्मार्ट हु तो बोली की आप क्या है ये तो कोई ओरत ही बता सकती है फिर और कुछ बाते किया तब तक उस्का समय हो गया बोली की मैं चालू ऑफिस का समय हो गया तो मैंने बोला की टीक है आप जाए और जब रुचिका जाने लगी तो मैं उसे बोला की एक बात बोलू आप बुरा तो नहीं मानेगी तो बोली की बोलिए, तब मैंने उसे बोला की आप सन कोट (धुप से बचाने वाली) पहन कर बाजार और ऑफिस में जाया करे तो बोली क्यों तो मैंने बोला की लोगो की गलत नजरो और धुप से बच  जायेगी तो रुचिका जरा सा मुस्कुरा कर ओके बोली और चली गई मैं उसे तब तक अपलक देखता रहा जब तक ओ नजरो से ओझल नहीं हो गई रुचिका की चाल में भी एक गजब का नशा था पीछे से देखने पर उसकी कमर के आसपास हल्का मांसल सरीर दिख रहा था जो बहुत ही सेक्सी लग रहा था मुझे | अब ओ रोज आती लैब में मैं भी सभी स्टूडेंट की तरह रुचिका से भी पूछता की क्या सीखा आज समझ में आया की नहीं जब ओ बोलती की सर ये समझ नहीं आया तो मैंने फिर से समझा देता और यह रोज का क्रम बन गया |  
  रुचिका अब रोज रोज मेरे ऑफिस में आने लगी और घंटो बैठ कर बाते करती अपने घर परिवार के बारे में मैं भी रुचिका की बाते बड़े प्यार से सुनता और जो सही लगता ओ सलाह भी देता | रुचिका ने बताया की उसके पति की मौत एक बाइक दुर्घटना में हुई थी साल भर पहले रुचिका को सिर्फ एक लड़का और एक लड़की है रुचिका के सास - ससुर देवर -देवरानी का ब्यवहार अच्छा नहीं है ससुर और देवर दोनों की नियत खराब रहती है ऐसी बहुत सी बाते बताती थी सभी बाते यहाँ लिखना टीक  नहीं है | रुचिका ने बताया की जब ओ नहा कर निकलती है तो ससुर उसे ताकता रहता है एक दिन रात को देवर कमरे में घुस गया और जबरजस्ती करने लगा तो मैं छिल्लाकर उसे भगा दिया | 

      रुचिका से रोज रोज बाते करते करते कब प्यार हो गया समझ ही नहीं पाया अब तो ये हालत हो गई की रुचिका जिस दिन नहीं आये उस दिन मैं फोन लगाकर पूछ लेता की क्यो नहि आई इस तरह से नवम्बर माह कब निकल गया पता ही नहीं चला | इसी दौरान मैं रुचिका को इंटरनेट चलना सिखा दिया रुचिका के घर  में कंप्यूटर था तो मैंने  रुचिका को एक नेट सेटर और एक सिम भी दिला दिया और उस नेट सेटर से नेट कैसे चलाते है ये भी सिखा दिया | एक दिन रुचिका ने पूछा की इंटरनेट पर ब्लू फिल्मे कहा से देल्हते है तो मैंने उसे बताया और मेरे पास एक चिप थी जिसमे कुछ ब्लू फिल्मे थी ओ चिप् मैंने रुचिका को दे दिया | एक दिन मैं रुचिका को कुछ कुछ  तो रुचिका बार बार नाक  दबा रही थी तो मैं धीरे से पूछा की मैं बदबू मार रहा हु क्या तो बोली की नहीं आपका मुह से सिगरेट के बदबू आ रही है तो मैं  पास से उठकर चला आया तो रुचिका ने सोचा की मैं नाराज पड़  गया तो ओ भी 5 मिनट बाद ऑफिस   में आई और सोरी कहने लगी तो मैं बोला इट्स ओके मैं  आपके पास सिगरेट पी कर नहीं या करुगा तो रुचिका ने सिगरेट के नुकसान पर एक लंबा चौड़ा भाषण दे दिया और बोली की आप सिगरेट छोड़ दीजिये क्योकि मेरे हसबैंड भी सराब पीते थे जिस कारन हम दोनों का  होता था पर ओ नहीं माने और इसी सराब ने उन्हें मेरे से जुदा कर दिया और मैं अब आपको नहीं खोना चाहती हु  मैं रुचिका की बाते   बड़ी प्यार से  सुनता रहा और मनही मन  अब सिगरेट नहीं पिउगा रुचिका के ये सब्द '' मैं अब आपको नहीं खोना चाहती हु '' मुझे अन्दर तक झकझोर दिया क्योकि इस सब्द में रुचिका का प्यार झलक रहा था पर मैं फिर भी सिगरेट नहीं छोड़ पा रहा था बहुत कोशिस किया पर सिगरेट नहीं छुट रही थी |  सिगरेट के कारण मैं रुचिका के पास जाने में घबराता था की कही इसे बुरा नहीं लगे और ये बात रुचिका नहीं समझ पाई उसने सोचा की मैं नाराज पड़ गया हु सिगरेट वाली बात को लेकर इस कारण नहीं जाता हु रुचिका के पास एक दिन रुचिका फिर से ऑफिस में आई और बोलती है की आप पीजिये सिगरेट पर मेरे से नाराज नहीं पड़े मैं आपकी नाराजगी और आपसे दूरी सहन नहीं कर पाउगी इतने कहते हुए रुचिका की आँखों में आसू आ गए ओ सायद ९ दिसंबर २०१२ था | मेरे से रुचिका के आशु नहीं देखे गए और मैंने उसी प्रण कर लिया की आज से सिगरेट नहीं पिउगा पर मेरा यह प्रण महज कुछ घंटो में ही टूट गया पर सिगरेट पीने केबाद मन में बहुत दुःख होता था | इसी समय १० दिसंबर को १२/१२/१२ को लेकर कुछ लेख छापा किसी अखबार ने तो मैं उस लेख से बहुत प्रभावित हुआ और मन ही मन प्लान बनाया की रुचिका की कसम खा कर १२/१२/१२ को सिगरेट छोड़ दुगा ,मैं तुरंत ही रुचिका ही एक SMS किया की क्यों न हम इस तरीक को यादगार बना ले अपने जीवन में, अगले दिन ११/१२/१२ को रुचिका मेरे पास आई और SMS का मतलब पूछा तो मैंने उसे बताया की मैं आपकी  कसम खा कर हमेशा के लिए सिगरेट छोड़ना चाहता हु किसी मंदिर में चलकर , तो रुचिका ने बोला की टीक है चलिए आपकी जहा इच्छा हो वह चलिए आपके हित के लिए तो मैं मेरी जान भी दे सकती हु , रुचिका की इस बात पर मैं रुचिका का हाथ पकड़ा और किस कर लिया आज पहली बार मैंने रुचिका के जिस्म को स्पर्श किया है रुचिका का हाथ पकड़ते ही मेरे पुरे सरीर में बिजली से चमक गई ,मैंने रुचिका को बताया की कल एक घंटे के लिए ऑफिस से छुट्टी ले लेना कही मंदिर में चलेगे तो रुचिका ने कहा की आप कहे तो एक दिन की छुट्टी ले लू तो,मैंने बोला जैसी आपकी इच्छा तो रुचिका बोलती है की आप मुझे आप नहीं तुम कहे और हसने लगी फिर ऑफिस से उठी और अपने ऑफिस चली गई मैं रुचिका को जाते हुए अपलक देखता रहा | फिर मैं  दोपहर में रुचिका को फोन किया की कल कंप्यूटर सीखने नहीं आना और एक निश्चित जगह और समय बता दिया की मुझे वहा मिलना रुचिका ने कहा इट्स ओके कहा | 

                      अगले दिन १२ दिसंबर को रुचिका बताये हुए जगह पर करीब १० बजकर २०मिनट पर मिल गई मैं ऑफिस से निकलने के पहले घर में मेरी पत्नी को फोन कर दिया की मैं ऑफिस के कार्य से विश्वविद्यालय जा रहा हु |  मैंने रुचिका को मेरी बाइक में बिठा कर शहर से कुछ  किलोमीटर की दूरी पर ही  गया और और बोला की चलिए पास के ही एक मंदिर में चलते है (शिव जी ओ मंदिर शहर से करीब ७ किलोमीटर दूर है जहा मैं जाना चाहता था)  तो रुचिका ने कहा की मैं तो आज की पूरे दिन की छुट्टी ले लिया है  तब मैं बोला की फिर कही दूर चले क्या तो रुचिका बोलती है जैसी आपकी इच्छा तब मैंने रुचिका से बोला की चलो कही दूर चलते है और मैंने बाइक को दुसरी तरफ रोड में ले लिया एक प्रसिद्ध धार्मिक नगरी में जाने का प्लान बना लिया जो हमारे शहर से करीब ३५ KM दूर है | मैंने रुचिका को बोला की मुह  को सन कोट के कपडे से बाध लो नहीं तो धुप लगेगी मैं भी एक कपडे  से मुह को बाध लिया और हम एक सुहाने सफ़र की तरफ  बढ चले | रुचिका आज पहली बार मेरे साथ बाइक में कही जा रही है ,रुचिका पहले तो बाइक में कुछ दूरी बनाकर बैठी थी सीट पर पर जब कई  जगह पर ब्रेक लगता था तो रुचिका मेरे से चिपक जाती थी फिर रुचिका अपने आपको दूर करती थी पर कब तक आखिर में मैंने रुचिका को बोल दिया की इस तरह से बार बार खिस्कोगी तो थक जाओगी तो रुचिका हसने लगी और बोली की टीक ही अब नहीं खिस्कुगी और फिर रुचिका रस्ते भर मेरे साथ  ऐसी बैठी रही जैसी की मेरी पत्नी बैठती है ,रुचिका ने मेरे कंधे में हाथ रख कर चिपक कर बैठी रही रास्ते भर | 
                         
    हम दोनों बात करते करते रहे कब ओ प्रशिद धार्मिक नगरी आ गई पता ही नहीं चला ,रुचिका ने बोला की सबसे पहले कहा चलेगे तो मैंने बोल की आप जहा कहे वह चलू , तो रुचिका ने कहा की पहले शिव जी के मंदिर चलते है हम दोनों प्रशिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये तब तक साढ़े बारह बज गए जब दर्शन करके बाहर निकले तो मैं रुचिका से बोला की अब कहा चलू  तो रुचिका ने कहा की ये तो ऐसी जगह है जहा पर पूरा दिन घुमा जा सकता है मैं बोला टीक है फिर मैं शिवमंदिर से प्रसिद्ध गणेश जी के मंदिर गए फिर हम शहर से काफी दूर सुनसान सड़क से जहा पर दोनों तरफ ज्वार के खेत  थे उस जगह से होते हुए सबसे दूर शिव मंदिर में गए जहा पर मंदिर में बिलकुल भी भीड़ नहीं थी मंदिर में सिर्फ मैं और रुचिका थी | रुचिका ने कहा की चलये खाइये मेरी कसम आज के बाद आप सिगरेट नहीं पियेगे  तब मैंने घड़ी में देखा की उस समय पर बारह बजकर दस मिनट हो रहे थे मैंने रुचिका को बोला की रुको अभी मैं आपकी कसम १२/१२/१२/ को १२ बजकर १२ मिनट १२ सेकण्ड पर कसम खाउगा फिर जैसे ही घड़ी ने उक्त समय हुआ मैं रुचिका के सर पर हाथ रखकर कसम खा लिया की आज केबाद सिगरेट नहीं पिउगा |  जब मैं रुचिका  की कसम खा रहा था उस समय पर  मेरा दाया हाथ रुचिका के सर पर रखा हुआ था .और रुचिका उस समय पर खडी थी और मेरे मन में एक अजीब सी  घबराहट लग रही थी कसम खाते समय फिर भी हिम्मत करके मैंने रुचिका की कसम खा लिया भगवान मुझे इतनी शक्ति दे की मैं इस कसम को जीवन भर निभा सकू मैंने कसम खा लिया रुचिका की तो रुचिका भऊक होकर मंदिर के अन्दर ही जमीन  में बैठ गई तो मैं रुचिका के पास ही बैठकर रुचिका के गले में हाथ डाल दिया और रुचिका के गालो में कई जोरदार किस  ले लिया फिर मैंने रुचिका के गले में जबड़ो के नीचे भी कई जोरदार पप्पी लिया.और धीरे से रुचिका के बाह के नीचे कमर में हाथ डाल कर रुचिका को चिपका लिया ,इस दौरान मेरे हाथ से दीपा के स्तन भी दब गए फिर से मैंने रुचिका के गले और गालो में कई पप्पी लिया तो रुचिका ने बोला की अब बस करिए  कोई देख लेगा तो मैं रुचिका से दूर हटकर खडा हो गया तो रुचिका ने इशारा किया की बैठ जाइए तो मैं रुचिका के पास ही  बैठ गया और कुछ देर तक मंदिर के अन्दर  ही बैठा रहा फिर दोनों उठकर मंदिर से बाहर आ गये और उसी मंदिर के पास प्रसिद्ध नदी के किनारे घाट पर एक छायादार पेड़ के नीचे हम दोनों बैठ गए और घंटो तक वहा  बाते करते रहे मैंने रुचिका से पूछा की आप उस सुनसान जगह पर मेरे से डरी नहीं है जहा पर ढेर सारे ज्वार के खेत थे तो रुचिका ने कहा की नहीं आप पर पूरा विश्वास है मेरे को कोई गलत निगाह से देख भी नहीं सकता तो मैंने बोला की केरी ही नियत खराब हो जाए तो ,तब रुचिका ने कहा की आप ऐसे नहीं है मैं आपको पहचान गई हु आप बहुत ही नेक इंसान है आपमें मुझे कृष्ण भगवान् की छाया नजर आती है और इसी तरह बाते करते करते कब कब दो बज गए पता ही नहीं चला मैंने रुचिकसे पूछा की भूख लगी है तो ओ बोलती है की हां फिर  हम दोनों वहा से उठे और एक होटल में दोनों ने खाना खाया तब तक साढ़े तीन बज गए फिर वहा से एक राजा की प्रसिद्ध गुफा मंगाए जहा पर राजा ने तपस्या किया था उस गुफा के अन्दर गए गुफा को देखा उस समय पर उस गुफा में भी कोई नहि था हम दोनों गुफा के नादर बहुत देर तक बैठे रहे रुचिका अपना सर मेरी गोद में रख कर लेट गई और बोलती है की कास मेरे प्राण इसी तरह से आपकी गोद में निकल जाए तो मैं रुचिका के गाल पर एक हल्का सा थपड मारा और बोला की आज के बाद ऐसा नहीं बोलना और रुचिका के गाल में एक पप्पी ले लिया तो जबाब में रुचिका ने भी अपने दोनों हाथो से अपने तरफ खीच कर चिपका लिया और ढेर सारी किस लिए मेरे गालो में तब मैं रुचिका के स्तन को दबाने लगा ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर सच में रुचिका के स्तन उसी तरह से थे जैसे किसी कुवारी लडकी के होते है हलके हलके कठोरता लिए हुए रुचिका को बहुत अच्छा  लग रहा था स्तनों को दबवाना और यह क्रम करीब ४ मिनट तक चलता रहा तब हम दोनों सेक्स के लिए गर्म पड़ गए पर मैं अपने आप को कंट्रोल किया और रुचिका को बोला की चलो चलते है तो रुचिका बोली और कुछ देर तक बैठिये मैंने बोला नहीं हम दोनों बहक रहे है और यह जगह टीक नहीं है बहकने के लिए और फिर रुचिका को जबरजस्ती हाथ पकड़ कर उठाया और गुफा से बाहर आ गए और गुफा के बाहर उसी नदी के किनारे दोनों फिर से बैठ गए पानी में पाँव लटका कर और करीब साढ़े चार बजे तक बैठे रही फिर हम दोनों वहा  से उठे और वापस अपने शहर को आ गए मैं रुचिका को उसके घर से थोड़ी दूर उतार कर अपने ऑफिस आ गया जहा पर मेरी पत्नी बैठी हुई थी उन्होंने पूछा की हो गया काम तो मैंने बोला की हां हो गया पर झूठ बोलते हुए मन बहुत ही घबरा रहा था की कही इन्हें पता चल गया तो हमारे घर में लड़ाई सुरू हो जायेगी और मैं मन ही मन बहुत दुखी भी था की मैं मेरी इतनी वफादार और सुन्दर पत्नी को धोखा दे रहा हु | 
              अब रुचिका जब आती तो  मेरे ऑफिस में ही  ज्यादा  समय तक  बैठी रहती तो मैं उसे समझता की इस तरह से मेरे पास बैठोगी तो हम दोनों के बारे में पता चल जाएगा सभी को तो बोली की क्या करू कंट्रोल ही नहीं होता है लगता है की दिन भर आपके सामने बैठी रहू आपको देखती रहू तो मैंने बोला की मेरी भी यही हालत है पर सम्हाल कर रहना है हम दोनों को | एक दिन सायद उस दिन १४  दिसम्बर था रुचिका आई और सीधे लैब में चली गई मेरी ऑफिस की तरफ देखा तक नहीं मैं समझ गया की ये नाराज है मैं उसके पास जाता तब तक मेरे पास कुछ सज्जन आ गए मैं बातो में ब्यस्त हो गया उन्केजाने के बाद जब मैं लैब में गया तो वहा रुचिका नहीं मिली तो मैं एक शिक्षक से पूछ लिया तो पता चला की ओ दुसरे रूम में बैठी है मैं वहा  गया तो अँधेरे में बैठी हुई मिली मुझे तो मैं बोला की अँधेरे में क्यों बैठी हो जब मैं पास गया तो देखा की रुचिका रो रही  हैमैंने रुचिका के  रखा बड़े  सहलाया और पूछा की क्यों रो रही हो तो रुचिका और जोर जोर से हिचकिया ले ले कर रोने लगी तो मैं उसे बड़ी मुस्किल से चुप् कराया और मेरी ऑफिस में लाया,पानी पिलाया और फिर  बोला अब  रही हो तो रुचिका ने बताया की उसके घर से उसके देवर -देवरानी ,सास ससुर ,ननद नंदोई और मैं सभी नासिक जा रहे है सभी के पति साथ है मैं अकेली हु ये सोच कर बहुत दुःख लगा रहा इस आशु आ गए तब मैं रुचिका को समझाया की जो नहीं है तुम्हारे पास उसके लिए अब क्यों रो रही  हो कोई फायदा नहीं ओ तो चले गए अब  नाम पर कब  रहोगी इतना सुनते ही रुचिका फिर से रोने लगी उसके आँखों से आसुओ की धार बह निकली और तब मुझे बहुत दुःख हुआ और मैं भी रुचिका के साथ रोने लगा मैं सच में बहुत दुखी हो गया रुचिका का दुःख देख कर पर क्या कर  मैंने रुचिका को बोला की यदि मेरे वस् में होता तो मैं मेरी  देकर तुम्हारे पति को जिन्दा कर देता पर ऐसा संभव नहीं फिर मैं रुचिका को बहुत समझाया तो फिर रुचिका ऑफिस से उठी और चली गई मैं रुचिका के दुःख से बहुत दुखी थी रुचिका के  मैं फिर से फोन किया रुचिका को और समझाया पर समझाते समझाते मैं  खुद भी रो पड़ा तो रुचिका ने मुझे समझाया की सर आप मैं रोइये आप ऑफिस म है और वह बहुत से बच्चे है ओ सुनेगे तो क्या सोचेगे तब मैंने रुचिक को बोला की आज के बाद मेरे सामने नहीं रोना तो रुचिका ने कहा की आपकी कसम नहीं रोउगी पर आप तो चुप हो जाइये तब मैं चुप हो  गया फिर मैं कुछ देर बार रुचिका की ऑफिस गया वहां देखा की रुचिका काम कर रही है तो मैं वापस आ गया फिर एक दो दिन बाद रुचिका नासिक चली गई और फिर वापस आने के बाद फिर से मिली तब मैंने रुचिका को बताया की मैं सिगरेट पीना छोड़ दिया एक सप्ताह से ज्यादा हो गए तो रुचिका ने बोला की सच में तो मैंने बोला की तुम्हारी कसम में ओ ताकत है की मैं सिगरेट छोड़ दिया | दिसंबर का महीना कब निकल गया पता ही नहीं चल पाया इस दौरान मैं रुचिका के प्यार में ऐसा पागल हुआ की पत्नी की तरफ ध्यान ही देना बंद हो गया पुरे दिसंबर माह में सिर्फ एक बार पत्नी के साथ सम्भोग किया जबकि सप्ताह में दो बार कम से कम पत्नी के साथ सम्भोग करता था पर रुचिका के प्यार ने मुझे पागल कर दिया |  ३१ दिसंबर को रुचिका आई तो मैंने कहा की नए साल को कैसे मनाये की हमेसा याद रहे तो रुचिका ने कहा आप बताये तो मैंने फिर रुचिका को बोला की चलो कही बहार घूम कर आते नए साल में तो रुचिका तैयार हो गई हम दोनों ने प्लान बना लिया और रुचिका को बता दिया की कहा चलना  है |
रुचिका सलवार सूट में ऐसी ही लगती है

           
         अगले दिन १ जनवरी २०१३ को जाने के पहले ३१ दिसंबर को ही मेरी पत्नी को बता दिया था की मैं कल बाहर जा रहा हु कुछ  काम से | रुचिका एक निश्चित जगह पर 9  बजे  मिल गई मुझे |  मैंने मेरी  'आई 20' कार में रुचिका को बिठा लिया और फिर हम दोनों एक नए शहर  जो की हमारे शहर से 135  किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है वहा  के लिए निकल लिए ,रास्ते में कुछ दुरी पर रुचिका ने पूछा की आपके पास कार भी है क्या या किसी से माग कर लाये है तो मैं जोर से हस दिया और कार का रजिस्ट्रेसन कार्ड दे दिया हाथ में रुचिका उसे देखकर बोली ये तो आपकी कार है और मुझे पता ही नहीं था की आपके पास कार भी है तो मैं रुचिका की तरफ  देख कर मुस्कुरा दिया |  रस्ते में बहुत सा मनोहारी जंगल पड़ता है जिसमे मैंने रुचिका की बहुत सारी फोटो लिया मेरे गेलक्सी फोन से जब मैं फोटो लेने लगा उस समय पर रुचिका साड़ी पहने हुए थी और कट बाह का ब्लाउज में ओ बहुत ही सेक्सी लग रही थी  कुछ फोटो लेने के बाद रुचिका ने कहा की रुकिए मैं ड्रेस चेंज कर लेती हु तो मैंने बोला की क्यों तो बोलती है है की नदी में नहाने  में मजा नहीं आयेगा साडी में इसके बाद रुचिका कार से अपना कट बाह की  कुर्ती निकाल लाइ और रोड से थोडा हटकर जंगलमे ब्लाउज  को उतार कर कुर्ती पहन लिया और साडी उतार दिया तो मैं यह देख कर दंग रहा गया की क्योकि  रुचिका साड़ी के नीचे जींस पहन रखी थी रुचिका जींस और कुर्ती में २५ साल की जवान लड़की लग रही थी मैंने रुचिका की बहुत से फोटों लिया उस सुनसान जंगल में फिर हम प्यार से बाते करते हुए करीब ११.३० पर उस जगह पर पहुच गए जहा पर हम दोनों उस प्रसिद्ध नदी में स्नान करने लगे रुचिका के वदन जब पानी में गीले हो गए तो ऒर ज्यादा सेक्सी लगने लगी ऐसा लग रहा था की इसे पानी में हि चोद  दू पर भीड़ के कारण हिम्मत नहीं पडी   हमारे सामान नदी के घाट में रखे थे इस कारण ज्यादा नहीं नहा पाए और नदी से निकल कर रुचिका ने अपने कपडे को बदल कर फिर से एक जींस और टाप पहन लिया फिर हम दोनों ने प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये जहा पर रुचिका ने उस मंदिर के पुजारी से दो हार माग लिया और करीब १२ बजे हम दोनों वहां से निकल लिए और एक छोटे से शहर में आ गए रास्ते में मैंने रुचिका से पूछा की घर चले या कही रूके तो रुचिका ने कहा की आप जैसा चाहे  तो मैं रुचिका को बोला की चलो यहाँ रुकते है और एक अच्छे से होटल में हम दोनों रुक गए उस समय करीब १२ बजकर ३० मिनट हो रहे थे मैंने होटल के रजिस्टर में रुचिका को अपनी पत्नी बताया |









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