Tuesday, January 21, 2014

raj sharma stories राधा का राज--9

FUN-MAZA-MASTI

raj sharma stories
राधा का राज--9गतान्क से आगे....................
वो अपने हाथों से अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी. रचना के बेडरूम मे पहुँच कर पहले बच्चे को धीरे से बिस्तर पर सुला दिया. फिर मैं रचना को अपनी बाहों मे भर कर उसे अपने बेडरूम मे ले गयी. राज शर्मा पीछे रह गया था बच्चे के चारों ओर तकिया लगा कर आने के लिए.

"राधा मुझे शर्म आ रही है. राज शर्मा तेरा हज़्बेंड है. मुझे ऐसा नही करना चाहिए." रचना ने मेरी ओर किसी याचक की तरह देखा. उसकी आँखों मे रिक्वेस्ट थी.


" जब मुझे इससे कोई परेशानी नही है तो तू क्यों अपने आप को परेशान कर रही है. तू मेरी बहन की तरह है. हम एक दूसरे के बिना नही जी सकते तो फिर अपनी सबसे प्यारी चीज़ को अपने इस प्यारे बहन के साथ बाँटने मे मुझे किसी भी तरह का झिझक नही है." मैं उसे अपने बेड पर बिठाया. राज शर्मा भी बेडरूम मे आ चुका था.

मैने राज शर्मा को रचना की गोद मे सिर रख कर लेटने का इशारा किया. राज शर्मा किसी अज्ञानकारी बच्चे की तरह बिना कुछ कहे रचना की गोद मे सिर रख कर लेट गया. रचना राज शर्मा के चेहरे को निहारने लगी और अपनी लंबी लंबी उंगलियों से राज शर्मा के बालों को सहलाने लगी. मैने रचना के एक स्तन को अपने हाथों से थाम कर राज शर्मा की ओर बढ़ाया राज शर्मा ने झट अपना मुँह खोल कर उसके खड़े निपल को अपने मुँह मे भर लिया.

वो किसी बच्चे की तरह आवाज़ करता हुआ रचना के निपल को चूसने लगा. रचना के स्तनो से दूध निकल कर उसके मुँह मे समा रहा था. रचना बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. वो अब अपने उपर कंट्रोल नही कर पा रही थी. उसके मुँह से,

"आआआआहह… ..ऊऊऊऊहह… .म्‍म्म्मममम……..न्नराआआआईल…….
राआआाईलाम…
….
म्माआआआआ" जैसी आवाज़ें निकल रही थी.

रचना ने अपने नाखूनो से राज शर्मा के सीने पर कई घाव कर दिए. वो राज शर्मा के बालों भरे सीने को सहला रही थी. उसका हाथ राज शर्मा के सीने को सहलाते हुए उसके पेट की तरफ बढ़ा और सकुचाते हुए उसके पायजामे के उपर फिरने लगा. राज शर्मा का लंड पायजामे के अंदर किसी तंबू के बीच वाले बॅमबू की तरह नज़र आ रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर के अपने काँपते हाथों से राज शर्मा के लंड को टटोला और आहिस्ता से उसे अपनी मुट्ठी मे भर लिया. वो राज शर्मा के लंड को पायजामे के उपर से सहलाने लगी. ये देख कर मैने राज शर्मा के पायजामे को ढीला कर के उसके लंड को बाहर निकाल कर रचना का हाथ उस पर रख दिया. नग्न गर्म लंड का स्पर्श पाते ही रचना ने अपना हाथ उस पर से हटा लिया और चौंक कर अपनी आँखें खोल दी. उसका मुँह अस्चर्य से खुल गया और मुँह पर अपनी हथेली रख कर अपनी चीख को रोका.

"राधा ये तो काफ़ी बड़ा है." उसने मेरी की तरफ देखा.

" तुझे पसंद है?" मैने पूछा मगर उसने कोई जवाब नही दिया बस राज शर्मा के लंड को एकटक देखती रही.

राज शर्मा रचना के स्तनो को मसल मसल कर उससे दूध का एक एक कतरा चूस रहा था. रचना का ध्यान राज शर्मा की हरकतों पर नही था. वो तो राज शर्मा के लंड को अपनी मुट्ठी मे लेकर सहला रही थी. राज शर्मा काफ़ी देर तक उसके स्तनो को चूस कर उठा और रचना से लिपट कर उसे बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा. मैं भी उसे इस काम मे मदद करने लगी. मगर रचना ने अपने बदन को अकड़ा लिया और हमारा विरोध करने
लगी.

"नही राधा ये सही नही है." उसने अपने हाथों से राज शर्मा के चेहरे को दूर धकेलते हुए कहा.

"क्यों इसमे ग़लत क्या है? ये एक जिस्मानी भूख है. तुम किसी का हक़ तो नही छ्चीन रही हो. मैं तो खुशी से तुम्हारी ये तड़प मिटाना चाहती हूँ. और जो तुम्हारे सामने है वो कोई और नही राज शर्मा है. उसके साथ जब इतना सब हो गया तो अब आख़िरी काम से झिझक क्यों रही है. अपने दिल पर हाथ रख कर बोल कि राज शर्मा तुझे पसंद नही है. मैं आज के बाद कभी तुझ से कुछ नही कहूँगी."

"नही राधा….चूमने सहलाने तक तो ठीक है मगर सेक्स……" रचना बिस्तर से उतरने लगी.

" रचना क्या हो गया है तुझे आज?" मैने पूछा.

रचना ने अपना सिर झुका दिया और धीमे से कहा," राधा आज नही….मुझे कुछ वक़्त दो अपने दिल और दिमाग़ के बीच चल रहे द्वंद को काबू करने के लिए. प्लीज़"

" ठीक है आज नही लेकिन कल राज शर्मा को अपने जिस्म को छूने की इजाज़त देने का वादा करो."

"ठीक है मैं ….मैं वादा करती हूँ. आज छोड़ दो कल तुम लोगों की जो मर्ज़ी करना." रचना ने कहा.

" ठीक है राज शर्मा कल प्यार कर लेना मेरी सहेली को आज मेरी तो प्यास बुझा दो." कह कर मैं वहीं रचना के सामने अपने वस्त्र उतारने लगी. गर्म तो थी ही दोनो के संबंधों को लेकर. मेरी योनि से रस बह कर बाहर आ रहा था. रचना उठने को हुई तो राज शर्मा ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया.

" तुम मत जाओ… यहीं रहो इससे हमारा मज़ा दुगना हो जाएगा." रचना बिना कुछ कहे वहीं पर रुक गयी. राज शर्मा ने मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया और मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख कर मेरी कमर को उँचा किया. फिर मेरी योनि को चादर से पोंच्छा जिससे गीलापन कुछ ख़तम हो जाए. फिर मेरी योनि पर अपने लंड को टिका कर रचना को कहा,

"तुम इसे अपने हाथों से सेट करो अपनी सहेली की योनि मे." रचना ने वैसे ही किया और अपने सूखे होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरी योनि मे राज शर्मा के लंड को अंदर तक धंसते देखती रही. मैने रचना को अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

राज शर्मा ने पूरे जोश से मुझे ठोकना शुरू किया. मैं "आहूऊऊहह" करने लगी. आज उसके धक्कों मे ग़ज़ब का जोश था. रचना हम दोनो के पास बैठ कर कभी मेरे बदन को सहलाती कभी राज शर्मा को सहलाती. राज शर्मा ने उसे अपनी बाहों मे ले कर अपने सीने मे कस कर दबा दिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से दबा लिया. रचना उत्तेजित हो गयी थी. वो राज शर्मा के अंदर बाहर हो रहे रस से भीगे हुए लंड को अपनी उंगलियों से सहला रही थी.

वो उत्तेजित हो कर बड़बड़ाने लगा," ले ले…और ले…कल तेरी सहेली को भी इसी तरह थोकून्गा. रचनाआअ कैसा लग रहा है…..कैसा लग रहा है तुझे. कल आएगी ना मेरे बदन के नीचे?"

मैं भी उसका साथ देने लगी," हां हाआँ कल बता देना मेरी सहेली को कि तुम किसी शेर से कम नही हो. कल उसका अंग अंग तोड़ देना. उसकी योनि ठोक ठोक कर सूजा देना. इस तरह मसल कर रख देना उसे कि वो भी तुम्हारी गुलाम होकर रह जाए."

रचना ने हमारे रस से भीगी हुई उंगलियाँ उठा कर राज शर्मा को दिखाई तो राज शर्मा ने रचना के हाथो को पकड़ कर उसके मुँह की ओर मोड़ दिया. रचना बिना किसी तरह का इनकार किए उन उंगलियों को मुँह मे भर कर चूसने लगी.

"आहह राधा……..म्‍म्म्ममम….मजाआ… .आ गयाआअ" आज राज शर्मा इतना उत्तेजित था कि जल्दी ही अपना सारा वीर्य मेरी योनि मे उडेल कर निढाल हो गया.

वो मेरी बगल मे गिर गया. रचना अभी भी टॉपलेस थी. वो उठ कर राज शर्मा के वीर्य टपकते लंड को पास से देखने लगी.राज शर्मा ने उसके सिर को अपने हाथों से थाम कर अपने लंड पर झुकाया. रचना ने झिझकते हुए उसके लंड के टॉप पर अपने होंठ च्छुआ कर एक किस किया.

"लो इसे मुँह मे लेकर प्यार करो." राज शर्मा ने कहा तो वो झिझकने लगी.

" इसमे झिझक कैसी? तुम्हारे साथ संभोग तो कर नही रहा है. तूने कल के लिए कहा तो राज शर्मा ने मान लिया अब उसके लंड को प्यार करने से भी क्यों झिझक रही है. वैसे तो राज शर्मा के लंड को याद कर करके झाड़ जाती है अब नखरे दिखा रही है." मैने उसके ज़ज्बात को चोट पहुँचाया तो उसने भी बिना किसी कशमकश के अपने होंठ खोल कर राज शर्मा के लंड को अंदर प्रवेश करने की जगह दे दी. राज शर्मा का लंड उसके मुँह मे घुस गया उसके बाल खुल कर चेहरे को चारों ओर से ढांप लिए थे. मैने उसके बालों को चेहरे पर से हटाया तो रचना का प्यारा सा चेहरा राज शर्मा के लंड को अपने होंठों के बीच से अंदर बाहर करता नज़र आया. रचना राज शर्मा के लंड को तेज़ी से अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. राज शर्मा अपनी गर्देन को बिस्तर से उठा कर रचना की हरकतों को निहार रहा था. रचना के सिर को अपने दोनो हाथों से थम रखा था. रचना राज शर्मा के लंड के साथ मच मैंतुन करते हुए उसके बॉल्स को अपने हाथों से सहला रही थी. बीच बीच मे लंड को अपने मुँह से निकाल कर उसके बाल्स पर अपनी जीभ फिरा देती थी. एक दो बार तो उसके एक एक बॉल को अपने मुँह मे भर कर भी उसने चूसा. राज शर्मा का लंड इतने सबके बाद भी सोया कैसे रह सकता था. वो वापस अपने पूरे फॉर्म मे आ गया था. अब उसे दोबारा सुलाना मेरी ज़िम्मेदारी थी. लेकिन मैने अपनी तरफ से कोई उतावलापन नही दिखाया. मैं इस बार राज शर्मा के रस का स्वाद रचना को देना चाहती थी. रचना का भी शायद यही प्लान था. इसलिए जब राज शर्मा का लंड उत्तेजना मे फुंफ़कारने लगा, झटके देने लगा तो रचना ने अपनी गति बढ़ा दी. राज शर्मा भी उसके सिर को सख्ती से पकड़ कर अपने लंड को पूरा अंदर करने की नाकाम कोशिश करने लगा. रचना हाँफ रही थी. काफ़ी देर से उस लंड से जो मशक्कत करना पड़ रहा था. आख़िर राज शर्मा ने उसके सिर को अपने लंड पर सख्ती से दबा कर ढेर सारा वीर्य उसके मुँह मे उडेल दिया. रचना साँस लेने को च्चटपटा रही थी मगर राज शर्मा के आगे उसकी एक नही चल पा रही थी. राज शर्मा ने उसे तभी छोड़ा जब उसका लंड पूरा खाली होकर सिकुड़ने लगा था.

राज शर्मा ने उसे खींच कर अपने पसीने से भीगे बदन से लिपटा लिया. रचना भी किसी कमजोर लता की तरह उसके बदन से लिपट गयी और अपने कसे हुए स्तनो को राज शर्मा की चौड़ी छाती पर मसल्ने लगी. राज शर्मा के लंड को अपने हाथों से सहला रही थी. रचना राज शर्मा के सीने मे अपना चेहरा छिपा कर आँखें बंद करके पड़ी थी.

कुछ देर बाद रचना धीरे से उठी और दौड़ते हुए सीधे बाथरूम मे घुस गयी. काफ़ी देर तक अपने बदन की गर्मी को ठंडे पानी से ठंडा करने के बाद ही वो बाहर निकली.

मैने उसे अपने साथ सोने के लिए मनाना चाहा मगर वो मेरी बात बिल्कुल भी नही मानी और अपने बेडरूम मे चली गयी. कुछ ही देर मे राज शर्मा भी खर्राटे लेने लगा. मैं दबे पाओ उठी और रचना के बेडरूम मे झाँक कर देखा. रचना बिल्कुल निवस्त्र लेटी हुई थी. उसका एक हाथ दोनो पैरों के जोड़ों के बीच रखा हुआ था और उसकी लंबी लंबी उंगलियाँ उसकी योनि के अंदर बाहर हो रही थी. वो अपने दोनो पैरों को एक दूसरे के साथ सख्ती से भींच रखी थी. और उन्हे एक दूसरे पर रगड़ रही थी. उसके मुँह से हल्की हल्की कराह की आवाज़ निकल रही थी. मैने उसको डिस्टर्ब करना उचित नही समझा और उसी तरह दबे पाओ वापस चली आए. आज की रात उसके फ़ैसले की रात थी. उसे नींद तो आनी ही नही थी. हो सकता है सारी रात सोचने मे निकल जाए. इसलिए मैं उसे किसी तरह की रुकावट नही देना चाहती थी.

अगली सुबह मैं उठी तो सामने रचना को खड़े हुए पाया. उसके हाथ मे चाइ की ट्रे थी.

"उठ गयी राधा?" उसने चहकते हुए पूछा. उसका चेहरा खुशी से दमक रहा था. उसने एक छोटी सी, जांघों के बीच तक लंबी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी उसके कंधे से दो डोरियों पर लटकी हुई थी. उसके पहनावे को और उसके बातों की खनक से मैं समझ गयी कि उसने फ़ैसला कर लिया है और वो फ़ैसला मैं जैसा चाहती हूँ वैसा ही हुआ है.

"आ बैठ बिस्तर पर." मैने बिस्तर मे जगह बनाते हुए कहा. मैं उस वक़्त बिल्कुल नग्न थी. राज शर्मा भी नग्न एक ओर करवट लेकर लेटा हुया था.

" लगता है रात को बेचारा ठीक से सो नही पाया. तूने लगता है बिकुल ही निचोड़ लिया है इसे." रचना ने कहा.

" अरे ये तो पूरा सांड है सांड. घंटो धक्के मारता रहे फिर भी इसके लंड पर कोई असर नही पड़ता. तू झेलेगी तब पता चलेगा कि किस चीज़ से बना है ये पहाड़." मैने रचना की जांघों पर एक चिकोटी काटी.

" तू मुझे बहुत परेशान करती है. मेरी सबसे अच्छी सहेली मेरी सबसे बड़ी दुश्मन बन रही है." रचना ने मुझे गुदगुदी करते हुए कहा, "क्यों मेरे जज्बातों को हवा दे रही है. जब से पहली बार तेरे
राज शर्मा को देखा था तब से ही मन ही मन मैं इसे चाहती थी. लेकिन तूने हमारे बीच परे पर्दे को टुकड़े टुकड़े कर दिया. अगर मैं तेरे राज शर्मा को लेकर भाग गयी तो?"

" तो क्या तूने अपनी सहेली को इतने कमजोर दिल वाला समझा है क्या? मुझे मालूम है कि मैं तुम दोनो से जितना प्यार करती हूँ तुम दोनो मुझसे उससे भी कहीं ज़्यादा प्यार करते हो."

हम दोनो के दूसरे को गुद गुडी कर रहे थे, चिकोटी काट रहे थे. इस तरह छीना झपटी मे बहुत जल्दी ही रचना का भी हमारे जैसा ही हाल हो गया. उसकी नाइटी भी उसके बदन से मैने नोच कर अलग कर दी. हम तीनो उस कमरे मे बिल्कुल नग्न थे. राज शर्मा भी इस धीन्गा मुष्टि मे सोया नही रह सका और आँखें रगड़ता हुया उठा. सामने एक नही दो दो नग्न खूबस्सूरत महिलाओं को देख कर उसका लंड एकदम से हरकत करने लगा. हम दोनो नेउसे धक्का देकर बिस्तर पर वापस गिरा दिया और उसके ऊपर कूद कर उसके लंड को सहलाने मसल्ने लगे. राज शर्मा हमारी हरकतों का मज़ा लेने लगा. वो हम दोनो को अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा और हमारी कमर को अपने बाजूयों मे भर कर अपने सीने से जाकड़ लिया. उसके बाजुओं मे इतना दम था कि हम दोनो छ्छूटने के लिए च्चटपटाने लगे. रचना किसी तरह उसकी बाजुओं से फिसल गयी और उसे ठेंगा दिखाती हुई अपने कपड़े उठाकर कमरे से भाग गयी.
क्रमशः...........................



 --9
gataank se aage....................
Wo apne hathon se apne badan ko dhanpne ki koshish kar rahi thi. Rachna ke beDoctoroom me pahunch kar pahle bachche ko dheere se bistar par sula diya. Fir main Rachna ko apni bahon me bhar kar use apne beDoctoroom me le gayee. Raj sharma peechhe rah gaya tha bachche ke charon or takiya laga kar an eke liye.

"Radha mujhe sharm a rahi hai. Raj sharma tera husband hai. Mujhe aisa nahi karma chahiye." Rachna ne meri or kisi yachak ki tarah dekha. Uski ankhon me request thi.


" Jab mujhe isse koi pareshani nahi hai to tu kyon apne aap ko pareshaan kar rahi hai. Tu meri bahan ki tarah hai. Hum ek doosre ke bina nahi ji sakte to fir apni sabse pyaari cheej ko apne is pyaare bahan ke saath bantne me mujhe kisi bhi tarah ka jhijhak nahi hai." Main use apne bed par bithaya. Raj sharma bhi beDoctoroom me a chuka tha.

Maine Raj sharma ko Rachna ki god me sir rakh kar letne ka ishara kiya. Raj sharma kis agyankari bachche ki tarah bina kuch kahe Rachna ki god me sir rakh kar let gaya. Rachna Raj sharma ke chehre ko niharne lagi aur apni lambi lambi ungliyon se Raj sharma ke balon ko sahlane lagi. Maine Rachna ke stank o apne hathon se tham kar Raj sharma ki or badhaya Raj sharma ne jhat apna munh khol kar uske khade nipple ko apne munh me bhar liya.

Wo kisi bachche ki tarah awaj karta hua Rachna ke nipple ko choosne laga. Rachna ke stano se doodh nikal kar uske munh me sama raha tha. Rachna bahut uttejit ho chuki thi. Wo ab apne upar control nahi kar pa rahi thi. Uske munh se,

"aaaaaaaahhhhh… ..oooooooohhhhh… .mmmmmmm……..nnraaaaaaaaeeeel…….raaaaaaaaeelaam…
….
mmaaaaaaaaaa" jaisi awajen nikal rahi thi.

Rachna ne apne nakhoono se Raj sharma ke seene par kai ghav kar diye. Wo Raj sharma ke baalon bhare seene ko sahla rahi thi. Uska haath Raj sharma ke Seene ko sahlate huye uske pet ki taraf badha aur sakuchate huye uske paijame ke upar firne laga. Raj sharma ka lund Paijame ke andar kisi Tamboo ke beech wale bamboo ki tarah najar a raha tha. Usne apni ankhen band kar ke apne kanpte hathon se Raj sharma ke lund ko tatola aur ahista se use apni mutthi me bhar liya. Wo Raj sharma ke lund ko paijame ke upar se sahlane lagi. Ye dekh kar maine Raj sharma ke paijame ko dheela kar ke uske lund ko bahar nikal kar Rachna ka hath us par rakh diya. Nagn garm lund ka sparsh pate hi Rachna ne apnam hath us par se hata liya aur chaunk kar apni ankhen khol di. Uska munh ascharya se khul gaya aur munh par apni hatheli rakh kar apni cheekh ko roka.

"Raadha ye to kafi bada hai." Usne Raadha ki taraf dekha.

" Tujhe pasand hai?" maine poochha magar usne koi jawab nahi diya bus Raj sharma ke lund ko ektak dekhti rahi.

Raj sharma Rachna ke stano ko masal masal kar usse doodh ka ek ek katra choos raha tha. Rachna ka dhyan Raj sharma ki harkaton par nahi tha. Wo to Raj sharma ke lund ko apni mutthi me lekar sahla rahi thi. Raj sharma Kafi der tak uske stano ko choos kar utha aur Rachna se lipat kar use bistar par litane ki koshish karne laga. Main bhi use is kaam me madad karne lagi. Magar Rachna ne apne badan ko akad liya aur humara virodh karne
lagi.

"nahi Radha ye sahi nahi hai." Usne apne hathon se Raj sharma ke chehre ko door dhakelte huye kaha.

"kyon isme galat kya hai? Ye ek jismani bhookh hai. Tum kisi ka haq to nahi chheen rahi ho. Main to khushi se tumhari ye tadap mitana chahti hoon. Aur jo tumhare samne hai wo koi aur nahi Raj sharma hai. Uske saath jab itna sab ho gaya to ab akhiri kaam se jhijhak kyon rahi hai. Apne dil par hath rakh kar bol ki Raj sharma tujhe pasand nahi hai. Main aaj ke baad kabhi tujh se kuch nahi kahoongi."

"nahi Radha….choomne sahlane tak to theek hai magar sex……" Rachna bistar se utarne lagi.

" Rachna kya ho gaya hai tujhe aaj?" Maine poochha.

Rachna ne apna sir jhuka diya aur dheeme se kaha," Raadha aaj nahi….mujhe kuch waqt do apne dil aur dimaag ke beech chal rahe dwand ko kaboo karne ke liye. Pleeeeese"

" Theek hai aaj nahi lekin kal Raj sharma ko apne jism ko chhone ki ijajat dene ka wada karo."

"Theek hai main ….main wada karti hoon. Aaj chod do kal tum logon ki jo marji karma." Rachna ne kaha.

" Theek hai Raj sharma kal pyaar kar lena meri saheli ko aaj meri to pyaas bujha do." Kah kar main wahin Rachna ke samne apne wastr utarne lagi. Garm to thee hi dono ke sambandhon ko lekar. Meri yoni se ras bah kar bahar a raha tha. Rachna uthne ko hui to Raj sharma ne uska haath pakad kar rok liya.

" Tum mat jao… yahin raho isse humara maja dugna ho jayega." Rachna bina kuch kahe wahin par ruk gayee. Raj sharma ne meri tangon ko apne kandhe par rakh liya aur meri kamar ke neeche ek takiya rakh kar meri kamar ko uncha kiya. Fir meri yoni ko chadar se ponchha jisse geelapan kuch khatam ho jaye. Fir meri yoni par apne lund ko tika kar Rachna ko kaha,

"tum ise apne hathon se set karo apni saheli ki yoni me." Rachna ne waise hi kiya aur apne sookhe honthon par jeebh firate huye meri yoni me Raj sharma ke lund ko andar tak dhanste dekhti rahi. Maine Rachna ko apne paas kheench liya aur uske honthon par apne honth rakh diye.

Raj sharma ne poore josh se mujhe thokna shuru kiya. Main "aahhhhoooooohhhh" karne lagi. Aaj uske dhakkon me gazab ka josh tha. Rachna hum dono ke paas baith kar kabhi mere badan ko sahlati kabhi Raj sharma ko sahlati. Raj sharma ne use apni bahon me le kar apne seene me kas kar daba diya aur uske honthon ko apne danton se daba liya. Rachna uttejit ho gayee thi. Wo Raj sharma ke andar bahar hot eras se bheege huye lund ko apni ungliyon se sahla rahi thi.

Wo uttejit ho kar badbadane laga," le le…aur le…kal teri saheli ko bhi isi tarah thokoonga. Rachnaaaaa kaisa lag raha hai…..kaisa lag raha hai tujhe. Kal ayegi na mere badan ke neeche?"

Main bhi uska saath dene lagi," haan haaan kal bata dena meri saheli ko ki tum kisi sher se kam nahi ho. Kaal uska an gang tod dena. Uski yoni thok thok kar suja dena. Is tarah Masal kar rakh dena use ki wo bhi tumhari gulaam hokar rah jaye."

Rachna ne humare ras se bhigi hui ungliyan utha kar Raj sharma ko dikhai to Raj sharma ne Rachna ke hatho ko pakad kar uske munh ki or mod diya. Rachna bina kisi tarah ka inkar kiye un ungliyon ko munh me bhar kar choosne lagi.

"Aahhhhh Radhaaaaaa……..mmmmmm….majaaaa… .a gayaaaaa" Aaj Raj sharma itna uttejit tha ki jaldi hi apna sara veerya meri yoni me udhel kar nidhaal ho gaya.

Wo meri bagal me gir gaya. Rachna abhi bhi topless thi. Wo uth kar Raj sharma ke veerya tapkate lund ko paas se dekhne lagi.Raj sharma ne uske sir ko apne hathon se tham kar apne lund par jhukaya. Rachna ne jhijhakte huye uske lund ke top par apne honth chhua kar ek kiss kiya.

"lo ise munh me lekar pyaar karo." Raj sharma ne kaha to wo jhijhakne lagi.

" isme jhijhak kaisi? Tumhare saath sambhog to kar nahi raha hai. Tune kal ke liye kaha tu Raj sharma ne maan liya ab uske lund ko pyaar karne se bhi kyon jhijhak rahi hai. Waise to Raj sharma ke lund ko yaad kar karke jhad jati hai ab nakhre dikha rahi hai." Maine uske jajbat ko chot pahunchaya to usne bhi bina kisi kashmakash ke apne honth khol kar Raj sharma ke lund ko andar pravesh karne ki jagah de di. Raj sharma ka lund uske munh me ghus gaya uske baal khul kar chehre ko charon or se dhanp liye the. Maine uske balon ko chehre par se hataya to Rachna ka pyaara sa chehra Raj sharma ke lund ko apne honthon ke beech se andar bahar karta najar aya. Rachna Raj sharma ke lund ko teji se apne munh me andar bahar kar rahi thi. Raj sharma apni garden ko bistar se utha kar Rachna ki harkaton ko nihaar raha tha. Rachna ke sir ko apne dono hathon se tham rakha tha. Rachna Raj sharma ke lund ke saath much mainthun karte huye uske balls ko apne hathon se sahla rahi thi. Beech beech me lund ko apne munh se nikal kar uske baals par apni jeebh fira deti thi. Ek do baar to uske eke k ball ko apne munh me bhar kar bhi usne choosa. Raj sharma ka lund itne sabke baad bhi soya kaise rah sakta tha. Wo wapas apne poore form me a gaya tha. Ab use dobara sulana meri jimmedari thi. Lekin maine apni taraf se koi utawlapan nahi dikhaya. Main is baar Raj sharma ke ras ka swaad Rachna ko dena chahti thi. Rachna ka bhi shayad yahi plaan tha. Isliye jab Raj sharma ka lund uttejna me funfkarne laga, jhatke dene laga to Rachna ne apni gati badha di. Raj sharma bhi uske sir ko sakhti se pakad kar apne lund ko poora andar karne ki nakam koshish karne laga. Rachna hanf rahi thi. Kafi der se us lund se jo mashakkat karma par raha tha. Akhir Raj sharma ne uske sir ko apne lund par sakhti se daba kar dher sara veerya uske munh me udhel diya. Rachna saans lene ko chhatpata rahi thi magar Raj sharma ke age uski ek nahi chal pa rahi thi. Raj sharma ne use tabhi choda jab uska lund poora khali hokar sikudne laga tha.

Raj sharma ne use kheench kar apne paseene se bheege badan se lipta liya. Rachna bhi kisi kamjor lata ki tarah uske badan se lipat gayee aur apne kase huye stano ko Raj sharma ki chaudi chhati par masalne lagi. Raj sharma ke lund ko apne hathon se sahla rahi thi. Rachna Raj sharma ke seene me apna chehra chhipa kar ankhen band karke padi thi.

Kuch der baad Rachna dheere se uthi aur daudte huye seedhe bathroom me ghus gayee. kafi der tak apne badan ki garmi ko thande paani se thanda karne ke baad hi wo bahar nikali.

Maine use apne saath sone ke liye manana chaha magar wo meri baat bilkul bhi nahi mani aur apne beDoctoroom me chali gayee. Kuch hi der me Raj sharma bhi kharrate lene laga. Main dabe pao uthi aur Rachna ke beDoctoroom me jhaank kar dekha. Rachna bilkul nivastr leti hui thi. Uska ek haath dono pairon ke jodon ke beech rakha hua tha aur uski lambi lambi ungliyan uski yoni ke andar bahar ho rahi thi. Wo apne dono pairon ko ek doosre ke saath sakhti se bheench rakhi thi. Aur unh eek doosre par ragad rahi thi. Uske munh se halki halki karah ki awaj nikal rahi thi. Maine usko disturb karma uchit nahi samjha aur usi tarah dabe pao wapas chali aye. Aaj ki raat uske faisle ki raat thi. Use neend to ani hi nahi thi. Ho sakta hai saari raat sochne me nikal jaye. Isliye main use kisi tarah ki rukawat nahi dena chahti thi.

Agli subah main uthi to samne Rachna ko khade huye paya. Uske haath me Chai ki tray thi.

"uth gayee Radha?" usne chchakte huye poochha. Uska chehra khushi se damak raha tha. Usne ek choti si, janghon ke beech tak lambi nighty pahan rakhi thi. Nighty uske kandhe se do doriyon par latki hui thi. Uske pahnawe ko aur uske baton ki khanak se main samajh gayee ki usne faisla kar liya hai aur wo faisla main jaisa chahti hoon waisa hi hua hai.

"aa baith bistar par." Maine bistar me jagah banate huye kaha. Main us waqt bilkul nagn thi. Raj sharma bhi nagn ek or karwat lekar leta huya tha.

" lagta hai raat ko bechara theek se so nahi paya. Tune lagta hai bikul hi nichod liya hai ise." Rachna ne kaha.

" are ye to poora sand hai sand. Ghanto dhakke marta rahe fir bhi iske lund par koi sasar nahi parta. Tu jhelegi tab pata chalega ki kis cheej se bana hai ye pahad." Maine Rachna ki janghon par ek chikoti kati.

" tu mujhe bahut pareshaan karti hai. Meri sabse achchi saheli meri sabse badi dushman ban rahi hai." Rachna ne mujhe gudgudi karte huye kaha, "kyon mere jajbaton ko hawa de rahi hai. Jab se pahli baar tere
Raj sharma ko dekha tha tab se hi man hi man main ise chahti thi. Lekin tune hamare beech pare parde ko tukre tukre kar diya. Agar main tere Raj sharma ko lekar bhag gayee to?"

" to kya tune apni saheli ko itne kamjor dil wala samjha hai kya? Mujhe maloom hai ki main tum dono se jitna pyaar karti hoon tum dono mujse usse bhi kahin jyada pyaar karte ho."

Hum dono ke doosre ko gud gudi kar rahe the, chikoti kat rahe the. Is tarah china jhapti me bahut jaldi hi Rachna ka bhi humare jaisa hi haal ho gaya. Uski nighty bhi uske badan se maine noch kar alag kar di. Hum teeno us kamre me bilkul nagn the. Raj sharma bhi is dheenga mushti me soya nahi rah saka aur ankhen ragadta huya utha. Samne ek nahi do do nagn khoobssoorat mahilaon ko dekh kar uska lund ekdum se harkat karne laga. Hum dono use dhakka dekar bistar par wapas gira diye aur uske oopar kood kar uske bada ko sahlane masalne lage. Raj sharma hamari harkaton ka maja lene laga. Wo hum dono ko apni bahon me bhar kar choomne laga aur humare kamar ko apne bajooyon me bhar kar apne seene se jakad liya. Uske bajuon me itna dum tha ki hum dono chhootne ke liye chhatpatane lage. Rachna kisi tarah uski bajuon se fisal gayee aur use thenga dikhati hui apne kapde uthakar kamre se bhaag gayee.
KRAMASHASH...........................













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