Saturday, January 4, 2014

Raj-Sharma-stories खोली में मदहोशी--1


Raj-Sharma-stories

खोली में मदहोशी--1

बहु तुमने क्या साफ़ की?"

"धीरे बोलिए पिताजी, चुन्नू सुन लेगा. पूरी हजामत कर दी, एक बाल नहीं छोड़ा." ऐसा फुसफुसा कर सुनीता कमरे के कोने में खेलते हुए अपने बेटे चुन्नू को पढ़ाने लगी.

एक कमरे की खोली में रहते धावले परिवार के सदस्य किसी तरहं जीवन निर्वाह कर रहे थे. किशोर धावले दफ्तर में पियोन का काम करता था और रात को अक्सर शराब के नशे में आता था. उस रात भी वह नशे में धुत आया और खाना खा कर फर्श पर बिछे बिस्तर पर ढेर हो गया. किशोर के पिता साथ रखी खटाई पर लेट गए. सुनीता बत्ती बुझा पति और बच्चे के साथ सो गई.

खिड़की से आती बिजली के खम्बे की रौशनी कमरे को उजागर कर रही थी. सुनीता और उसके ससुर जगे हुए एक दुसरे को देख रहे थे. खटाई की ऊंचाई पर ससुर करवट लिए अपने पजामे से ढके गुप्तांग सहला रहे थे. फर्श पर पुत्र और पोते के साथ लेटी सुनीता से धीमी आवाज़ में पूछा, "अब तो दिखा दो बहु."

सुनीता ने आहिस्ता से अपना साड़ी व पेटीकोट उठाया और गोश्तदार जांघें फैला दी. पैंटी तो पहनी ही नहीं थी. बेशर्म बहु अपनी नंगी बुर ससुर को दिखाने लगी. खाट पर लेटे ससुर ने तुरंत अपना पजामा खोल दिया और अपने पांच- इंच खड़े हुए लिंग को हिलाने लगे. सुनीता ने अपनी चूत के सारे बाल ससुर के आदेश पर दोपहर में शेव कर दिए थे. फैली हुई मांसल जाँघों के बीच से झांकती सफा-चट योनी ससुर के बुढ़ापे को जवान कर रही थी. ससुर खाट से उठ कर फर्श पर आ गए.

"पिताजी थोड़ी देर और रुकिए, चुन्नू कहीं जग न जाए. ये तो खर्राटे मार कर सो रहे हैं पर चुन्नू की नींद अभी कच्ची है." सुनीता धीरे से बोली.

सुनीता चूत की फांकें खोल गीली सुराख़ प्रदर्शित कर रही थी. पायल उसके सुन्दर पैरों पर खनक रही थी. बुर दिखाती सुनीता ससुर के उठे लंड को निहारते हुए लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी. बहु के गुप्तांग पे ससुर का पूरा ध्यान केन्द्रित था.

"आइये पिता जी, आज मुझ पर उलटे चढिये." सुनीता ने साड़ी-पेटीकोट पेट के ऊपर खींच कर अपना निचला बदन पूर्णतया नग्न कर दिया. ससुर ने अपना पजामा उतार कर सुनीता के मुख पर अपना लौड़ा सिधाया और उस पर उलटे लेट गए. फिर उसकी मांसल जांघों के बीच अपना मुख धर दिया. 69 मुद्रा में सुनीता अपने ससुर की लुल्ली चूसने लगी और ससुर अपनी बहु की चूत लपक-लपक कर चाटने लगे. किशोर और चुन्नू साथ गहरी नींद में सो रहे थे.

"बहु झांटों के बिना युवा लड़की जैसी बुर लग रही है तुम्हारी." चाटना रोक कर ससुर मुड कर फुसफुसाए.

"आह...आह... आप ही के लिए गंजी करी है पिताजी. चुपचाप चाटिये, कहीं ये दोनों उठ न जाएँ ... आह... आह..." सुनीता ससुर के कठोर लौड़े की चुस्की लेते हुए मतवाली हो रही थी.

किशोर धावले खांसने लगा, "ए सुनीता पानी पिलाओ." खांसते खांसते लेटा हुआ किशोर उठ कर बैठ गया. अब तक ससुर तेज़ी से उठ खाट पर वापस लेट गय थे और अपने बेकपड़ा बदन को चादर से ढक लिया था.

"देखो तुम्हारी साड़ी घुटनों के ऊपर तक चढ़ी हुई है, बाबा देखेंगे तो क्या कहेंगे." किशोर पत्नी की उजागर निचली काया देख बोला. वह कुछ पल पहले हो रही रतिक्रिया से बेखबर था.

सुनीता सोने का नाटक करते हुए बोली, "सॉरी चुन्नू के बाबा, साड़ी सोते हुए उठ गई होगी, मैं आपके लिए पानी लाती हूँ."

"नहीं रुको सुनीता, देखो बाबा सो रहे हैं क्या?"

"हाँ, सो रहे हैं."

किशोर पत्नी की ओर आया और उसकी साड़ी पूरी ऊपर चढ़ा दी. "अरे तुमने पैंटी नहीं पहनी हुई!"

"भूल गई होंगी."

किशोर धावले ने पत्नी की टांगें फैलाईं और स्वयं झुक कर बुर के सम्मुख हो गय. "अरे तुमने यहाँ मेरा रेज़र चलाया, बहुत चिकनी लग रही हो."

किशोर सुनीता की मांसल रानों के बीच लेट कर पत्नी की चूत चाटने लगे, "बड़ी गीली हो, क्या बात है."

"अब गीली तो हूँगी ही, आप महीनों तक मेरे साथ कुछ नहीं करते तो रात को मेरा निजी भाग रिसता है. आप की जीभ बहुत अच्छी लग रही है." सुनीता ने ससुर की राल में लेप गीली बुर का कारण होशियारी से छिपा लिया. पति के सर को अपनी योनी में समाए हुए किशोर के बालों को पकड़ सुनीता उसके चेहरे को अपने बालहीन योनिमार्ग पर रगड़ रही थी.

खटिया पर लेटे ससुर छिप कर अपने बेटे और बहु की यौन क्रिया देख रहे थे. क्योंकि किशोर का चेहरा जाँघों के बीच के अँधेरे में लिप्त था, ससुर मौका देख सुनीता के उठे हुए पाजेब पहने पैरों को कोमलता से छू रहे थे. काम-क्रिया में मस्त हुई सुनीता ससुर से आँखें मिला मुस्करा रही थी. पुत्र से चूत चटवाती बहु को देख ससुर धीमे-धीमे हस्त मैथुन कर रहे थे

किशोर अनजान था की जो कामुक रस वह चपड़-चपड़ उत्सुकतापूर्वक ग्रहण कर रहा था वह उसके पिता का झूटन था. बस चुन्नू ही धावले परिवार की खोली का इकलौता सदस्य था जो वास्तव में सो रहा था.
"आई दादा के पेट के ऊपर क्यों बैठी हो?" नादान चुन्नू ने ससुर के ऊपर चढ़ी हुई अपनी माँ से जिज्ञासा पूर्वक पूछा. नाइटी पहनी सुनीता लेटे हुए ससुर की सवारी कर रही थी. चुदासी बहु ऊपर-नीचे, आगे-पीछे होते हुए ससुर का लंड निगल रही थी.

"चुन्नू मैंने कितनी बार तुम्हें कहा है, तुम टी.वी. पर कार्टून देखो और मुझे परेशान मत करो." भारी साँसें लेती सुनीता ने चुन्नू को फटकारा. नाइटी पहनी सुनीता अपने ससुर के ऊपर बैठ कर चुदवा रही थी. नाइटी ने खुद के बदन को ढका हुआ था और नीचे लेटे ससुर की इज्ज़त भी बरक़रार थी. नाइटी के अन्दर जो चल रहा था वह चुन्नू नहीं देख सकता था.

गुसलखाने से बहते पानी के बंद होने की आवाज़ आई. सम्भोग करती सुनीता तुरंत उठ खड़ी हुई और अपनी नाइटी गिरा दी. चूत के रसों में भीगा हुआ ससुर का खड़ा लंड स्पंदन करने लगा. ससुर भी झट से खड़े हो गए, लौड़ा संभाला और पायजामा बांधने लगे. गुसलखाने से किशोर धावले बाहर आया और सब साधारण पाया - सुनीता चाय बना रही थी, पिताजी अखबार पढ़ रहे थे और चुन्नू कार्टून देख रहा था. सुनीता और उसके ससुर ऐसे ही समय चुरा के कामुक खेल खेलते थे.

"आइये पिताजी, ये कपड़े सुखाने बाहर गए हैं." सुनीता शौचालय में गई और नाइटी चढ़ा कर नाली पर बैठ गई. सुनीता का सुडौल गोश्तदार बदन, मोटी-मोटी चिकनी जांघें, खरबूज जैसे भारी नितम्ब और बीच में बच्चे दानी के छेद को ससुर घूरने लगे. मादक योनी मुंडी हुई पंखुड़ियों से ढकी थी. सुनीता पेशाब करने लगी. ससुर मूतती बहु के सामने जा बैठे और अपना हात गरम बहती मूत्र धार में धोने लगे.

शौचघर के खुले दरवाज़े की दहलीज पर बैठे ससुर प्रसन्न थे. बहु के ताज़े प्रवाह में अपना हात गीला करते हुए बोले, "बहु तुम मूत्रत्याग करते हुए अत्यंत कामोत्तेजक दिखती हो, मन करता है तुम्हारी मूत की बौछार में स्नान कर लूँ."

"आइये न पिताजी, नीचे मुंह रखिये, मैं आपके मुख पर पेशाब करती हूँ." ससुर ने यह सुन शीघ्रता से अपने चेहरे को नाली और बहु की चूत के बीच में धर दिया.

मूत्र के कसैले स्वाद को चखते हुस ससुर का सर पूरा भीग गया था. सुनीता की फूली हुई चिकनी चूत से बहते पीले पेशाब की बॉस ससुर को और उत्तेजित कर रही थी. पवित्र बहु की मूत की बरसात में नहा कर ससुर तृप्त हो गए थे.

"पिताजी साफ़ कर लीजिये, ये आते ही होंगे." सुनीता उठ खड़ी हुई. पखाने की नाली पर विश्राम करते ससुर ने मग्गे में पानी लिया और अपना शीश धो लिया.

"बाबा आप सुबह तो नहाए थे अभी फिर क्यों?" किशोर धावले खोली में जब वापस आया तो पिता के गीले बाल देख हैरान हुआ.

"बेटे, बहुत पसीना आ रहा था तो सोचा नहा लूँ." सर पोंछते हुए किशोर के पिता ने सफ़ाई दी.

"पापा, पापा, आई भी दादा के साथ बाथरूम में थीं." चुन्नू ने भोलेपन अपनी पतिलंघन माँ का राज़ खोल दिया.

"पिताजी तौलिया भूल गए थे वही देने गई थी, ये चुन्नू तो कुछ भी बोल देता है." सुनीता ने बात संभाली और चुन्नू को डांटा.
इतवार को किशोर धावले की छुट्टी थी और वह परिवार के साथ टी.वी. देख रहा था. छुट्टी वाले दिन किशोर सुबह से ही शराब पीना शुरू कर देता था. दोपहर होते-होते किशोर इतने नशे में था की ज़मीन पर बिछे गद्दे बेहोश हो सो गया. चुन्नू बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था. यह अवसर पाते ही ससुर सुनीता के साथ जा बैठे और चिपट कर चूमने लगे. सुनीता भी उत्सुकता से चुम्बन का उत्तर देने लगी. ससुर-बहु की जबानें लड़ने लगीं.

"बहु स्तनपान कराओ." ससुर सुनीता का वक्षस्थल निहारते हुए बोले. सुनीता ने हँसते हुए अपने ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्रा चढ़ा के अपने दोनों मम्मे मुक्त कर दिए.

ससुर बहु की गोद में लेट गए और चूचुक के आस-पास अपनी जिव्हा घुमाने लगे. फिर निपल अपने मुंह में ले चूसने लगे. सुनीता के कड़े उठे हुए उत्तेजित स्तनाग्र को लप-लप चाटने लगे. मम्मे चूसते हुए कामोत्तेजित ससुर पायजामा खोल अपने लिंग की मुठ्ठ मारने लगे.

"मुझे दीजिये पिताजी, मैं सहला देती हूँ." बहु ने ससुर का पांच-इंच खड़ा लौड़ा अपने नियंत्रण में ले लिया. सुनीता की चूड़ियाँ हस्तमैथुन करते हुए छन-छन बज रही थीं. ससुर का मोटा कठोर लंड बहु की कोमल मुठ्ठी में लुका-छुपी खेल रहा था.

किशोर धावले बगल में बेहोश पड़ा था. सुनीता ने ससुर के लंड की मालिश की गति बढादी, कुछ जी देर में लौड़ा थरथराया और वीर्ये का फव्वारा निकाल दिया. थोडा स्खलित वीर्ये साथ में सोते किशोर के कपड़ों पर गिरा. सुनीता ने हात में चिपके द्रव्य को चाट लिया और ब्रा नीचे कर ब्लाउज के हुक बंद करने लगी. ससुर ने पायजामा चढ़ाया और अपनी खाट पर बैठ टी.वी. देखने लगे.
"बहु किशोर चला गया है, अब थोड़े सुविधापूर्ण लिबास में आ जाओ." ससुर ने सुनीता को सुझाव दिया. किशोर के दफ्तर जाते ही सुनीता अपनी साड़ी उतार देती थी और ससुर के सामने ब्लाउज़-पेटीकोट पहने रहती थी. चुन्नू को समझाया हुआ था की उसकी आई गरमी के कारण इन अंदरूनी वस्त्रों में घर का काम करती थी. आज भी उसने ऐसा ही किया.

ससुर ने विस्मित होकर धीरे से कहा, "बहु, आज तुमने जांघिया नहीं उतारा?"

"क्षमा कीजिये पिताजी, एक-दम भूल गई!" सुनीता चूड़ियाँ खनखनाते हुए पेटीकोट के अन्दर पहुँची और अपनी पैंटी उतार के अल्मारी में तह कर के रख दी. फिर शीशे के सामने जा कर होठों पर लिपस्टिक और माथे पर बिंदिया सजाई.

"अब आओ तुम्हार पैरों के नाखूनों पर नेल-पॉलिश लगा दूँ." ससुर ने लाल नेल-पॉलिश बहु को दिखाते हुए बुलाया.

सुसज्जित सुनीता शरारती मुस्कुराहट देते हुए ससुर के सामने कुर्सी रख कर बैठ गई. उसने टी.वी. देखते चुन्नू की ओर अपनी पीठ कर दी और फर्श पर बैठे ससुर की गोद में अपना पैर रख दिया.

"आई, दादा क्या कर रहे हैं?" उत्सुक चुन्नू ने मुड़ कर पूछा.

"दादा आई के पैर के नाखूनों में नेल-पॉलिश लगा रहे हैं." सुनीता ने अपने पुत्र को अनसुना किया और पेटीकोट चढ़ा लिया. ससुर के सामने अपने सुन्दर कमनीय पैरों को प्रत्यक्ष कर दिया. ससुर की नज़रें बहु के घुटनों के स्तर पर थीं.

"बेटी दूसरा पैर मेरे कंधे पर रख लो." ससुर ने बहु के गुप्तांगों का निरिक्षण करने की व्यवस्था की. सुनीता ने ऐसा ही किया और अपने पेटीकोट के अन्दर का बहुमूल्य रहस्य सुगम्य बनाया.

ससुर की आँखें आनंदित हो गईं. बहु की मोटी गोश्तदार नंगी रानें आखिरकार खुल गई थीं. बीच में बालहीन चूत का नज़ारा दिख रहा था. सुनीता बार-बार पीछे मुड़ के देख रही थी की चुन्नू कहीं बहु ससुर की काम-क्रिया न देख ले.

"बहु चिंता मत करो, चुन्नू टी.वी. देखने में व्यस्त है. मैं देख रहा हूँ उसको, जैसे ही वो इधर आएगा मैं तुम्हें सावधान कर दूंगा." ससुर ने फुसफुसाया. वे सुनीता के पैर के नाखूनों पर शिष्टता से लाल नेल-पॉलिश लगाने लगे और खुली हुई जाँघों के बीच का आकर्षक दृश्य टकटकी लगा के देखने लगे.

"पिताजी मुझे पता है की आपको मेरा योनिमुख निहारने में कितना हर्ष मिलता है. मैं इनके जाने की बेताबी से प्रतीक्षा करती हूँ ताकि आपको यह ख़ुशी दे सकूँ." सुनीता ससुर से काना-फूसी कर रही थी और टांग उठा कर अपनी शेव की हुई बुर को इस निःशुल्क कामुक प्रदर्शनी में प्रकाशित कर रही थी. ससुर बहु की रमणीय बालहीन चूत देखते हुए प्रेम से उसके पैरों की सेवा कर रहे थे. साथ-साथ वे सुनीता की अंदरूनी रानें मृदुलता से मल रहे थे, पर वह बहु की बुर को स्पर्श नहीं कर रहे थे. इस खेल से सुनीता की काम वासना उत्तेजित हो रही थी.

"बहु, चुन्नू आ रहा है, जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लो." ससुर ने चेतावनी दी. सुनीता ने झट से पेटीकोट नीचे किया और ससुर बहु के पैर पर नेल-पॉलिश लगाने लगे.

"चुन्नू तुम्हें कितनी बार कहा है, तुम टी.वी. पर कार्टून देखो और मुझे परेशान मत करो." सुनीता ने चुन्नू को फटकारा. बेटा वापस गया और टी.वी. देखने लगा. सुनीता ने फिर पेटीकोट उठा अपनी जंघाएँ फैलाईं और ससुर के कंधे पर एक पांव रख कामोत्तेजक नग्नता उजागर करी.

पैर और रानें मलते हुए ससुर ने देखा की बहु की चूत भड़क कर गीली हो गई थी. सुनीता की वासना जागृत हो रही थी, वह गहरी सांसें ले आँखें मूंदे हुई थी. ससुर घड़ी में समय देखा और बोले, "बेटी, मैंने मकान मालिक मांजरेकर साहब को आज बुलाया है, वे आते ही होंगे."

"उन्हें क्यूँ बुलाया पिताजी." सुनीता बेचैन हो एकाएक खड़ी हो गई. तभी खटखटाहट हुई और ससुर दरवाज़ा खोलने बढे.

"अरे ठहरिये पिताजी, मैं साड़ी तो पहन लूँ." सुनीता पेटीकोट को ठीक-ठाक करती हुई अपनी साड़ी ढूँढने लगी. लेकिन ससुर ने तत्काल खोली का द्वार खोल दिया. क़ीमती सूट पहने हुए मकान मालिक मांजरेकर साहब अन्दर आये, ससुर ने उनके पांव छूकर स्वागत किया. सुनीता वहीँ खड़ी हो शर्म से अपने वक्षस्थल को छिपाने लगी. केवल ब्लाउज़ और पेटीकोट में बेपर्दा, उसके गाल लज्जा से लाल हो गय और वह झेंप रही थी.

"शरमाओ नहीं सुनीता रानी, मुझे तुमसे ही बात करनी है. चुन्नू बेटे मेरा ड्राईवर तुम्हें आइस-क्रीम खिलाने ले जाएगा. भाग कर जाओ, कार में वो तुम्हारा तुम्हारा वेट कर रहा है." मांजरेकर साहब गहरी आवाज़ में बोले, चुन्नू दौड़ के खोली छोड़ नीचे खड़ी कार में चला गया. मांजरेकर साहब ने अपना कोट उतारा और सुनीता को ऊपर से नीचे तक ताकने लगे.

ससुर ने खोली का दरवाज़ा बंद कर कुण्डी लगा दी, "बेटी घबराओ नहीं, मांजरेकर साहब तुम्हें भोगना चाहते हैं. किशोर की कमाई से हमारा गुज़ारा कहाँ चलता है, मांजरेकर साहब हमारा किराया माफ़ कर देंगे और खूब रूपये भी देंगे. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, तुमसे मिलने ये महीने में बस एक दो बार आया करेंगे."

"लेकिन पिताजी आप तो पहले मांजरेकर काका के ड्राइवर रह चुके हैं और आप ही ने मुझे बताया था की काका वेश्याओं के पास जाते हैं. माफ़ कीजिये मांजरेकर काका मैं ये सब नहीं कहना चाहती थी." भयभीत सुनीता परेशान हो रही थी.

ससुर ने बात संभाली, "बेटी इसलिय मैं इनके पास गया था और तुम्हारी यौन सुख देने की निपुणता की प्रशंसा की थी. मेरे और इनके बीच कुछ नहीं छिपा, इन्होने ही तो हमें यह खोली दी है. इन्हें मैंने बताया की तुम्हारी यौनरुची प्रबल है जो मेरा बेटा किशोर नहीं बुझा पाता तो तुम मेरे साथ काम-क्रीड़ा करती हो. मैंने मांजरेकर साहब को राय दी की अगर ये तुम्हें अपनी रखैल बना लें तो हमारी आमदनी भी बढ़ जाएगी और सबसे महत्वपूर्ण जो कामोन्माद ये तुम्हें दे सकते हैं वो कोई और नहीं दे सकता. तुम सुरक्षित हो, मैं हरदम तुम्हारे साथ रहूँगा. मांजरेकर साहब के साथ मैंने कई रातें रंडी-खानों में बिताई हैं तो हमारे बीच कोई शर्म नहीं है." ससुर ब्लाउज़-पेटीकोट पहनी बहु को प्रलोभन देते हुए फुसलाने लगे.

"ठीक है पिताजी, आप जैसा उचित समझें. लेकिन आप काका की क्या विशिष्टता बता रहे हैं?" सुनीता थोड़ी तनाव मुक्त हो गई थी. मन ही मन उसकी इच्छा जग रही थी.

"सुनीता रानी मैं बताता हूँ." मांजरेकर साहब ने पैंट की चेन खोली और अपना लिंग निकाल कर हिलाने लगे. कुछ ही पल में उनका शिश्न आठ-इंच बड़ा हो गया. मोटे लौड़े का सुपाड़ा चमकने लगा.

ससुर बहु के पास गए और हात पकड़ कर मांजरेकर साहब के करीब ले आये. फिर ससुर ने सुनीता की हथेली सख्त लंड से जोड़ दी. ब्लाउज़-पेटीकोट पहनी सुनीता लौड़े को घूरते हुए स्वाभाविक रूप से सहलाने लगी. ससुर प्रसन्न होकर बोले, "इतना बड़ा खम्बा तुमने पहले नहीं देखा होगा बहु. आओ घुटनों के बल बैठो और इसे चूस के साहब की सेवा करो."

चरित्रहीन सुनीता वासना के वशीभूत घुटनों पर झुक कर मांजरेकर साहब का गीला सुपाड़ा चाटने लगी. फिर मुंह खोल मोटा लंड चाव से सुड़कते हुए चूसने लगी.

"शाबाश सुनीता रानी, धावले सही कह रहा था तुम तो अनुभवी रंडियों से भी अधिक कुशल हो!" मांजरेकर साहब सुनीता के शिश्न-चूषण से आनंदित हो रहे थे.

ससुर ने चूसने में मसरूफ़ बहु के ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्रा भी उतार फैंकी. फिर पेटीकोट के नाड़े को खोल घुटनों के बल बैठी सुनीता को पूर्णतयः नग्न कर दिया. सुनीता ने पैंटी तो पहले से ही उतार रखी थी. नंगी सुनीता मांजरेकर साहब से आँखें मिलाती हुई चुस्की लगाकर अपने मुंह से उनके लिंग को भिगो कर उत्तेजित कर रही थी. मांजरेकर साहब सुनीता के बालों को पकड़ कर अपने आठ-इंची मोटे लौड़े से उसका मुख-चोदन कर रहे थे. निर्लज्ज सुनीता की चूड़ियाँ शिश्न-चूषण के दौरान लौड़े को हाथ से हिलाने के कारण झनझना रही थीं.

"ठहरो बहु, अपनी गंजी बुर तो दिखाओ साहब को." ससुर ने सुनीता को निर्देश दिया.

बेकपड़ा सुनीता चूसना छोड़ कर उठ खड़ी हुई और ज़मीन पर बिछे गद्दे पर लेट गई. बेशर्म हो उसने अपनी टांगें उठाईं और पैरों को हवा में करके संभाल लिया. उसकी चाँदी की पाजेब पैरों की घुटिका से उतर घुटनों की ओर पिंडली पर स्थायी हो गई थी. लुभावनी सफाचट फूली हुई योनी प्रदर्शित कर मांजरेकर साहब को रिझाने लगी. मोटा लंड चूसने से उसकी लिपस्टिक लबों पर से कपोलों पर फैल गई थी. लम्बे बाल तितर-बितर हो उलझ गए थे.

"आइये साहब, देखिये इसकी गंजी बुर को. मुझे पता है की आपको शेव की हुई फुद्दियाँ पसंद हैं. मैंने ही इसकी बच्चादानी के बाल हटवाएं हैं."

शर्ट-पैंट पहने और अनावृत कड़ा लौड़ा हाथ में लिए मांजरेकर साहब नितम्बिनी सुनीता को प्रेम पूर्वक निहारने लगे. उसका सुडौल जिस्म, भारी कुल्हे, विलासमय स्तन अति आकर्षक दीख रहे थे. गोश्तदार चिकनी जंघाएँ गुप्तांग को अलंकृत कर रहीं थीं. पायल पैरों पर चढ़ी हुई चमक रही थी. घुटने पकड़ी हुई कोमल बाहों पर कांच की रंग-बिरंगी चूड़ियों का आभूषण लुभावना लग रहा था. चिकनी चूत के प्रवेश द्वार की पंखुड़ियों के बीच से झाँकता हुआ लाल चीरा कामोत्तेजना के रसों से गीला था. यह बहुमूल्य स्त्रीधन का खज़ाना लुटने के लिए आमंत्रण दे रहा था.

स्वयं की कामुक सुन्दरता में विलीन मांजरेकर साहब को चुदासी सुनीता ने पुकारा, "अब आइये मांजरेकर काका, यह दासी आपकी रखैल बनने के लिए उत्सुक है."

"शाबाश बहु, तुम से यही आशा थी. आइये साहब जी भर की चोदिये मेरी बहु को." ससुर गदगद हो कर बोले.

मांजरेकर साहब ने शर्ट और पैंट उतारी, फिर अंतर्वस्त्र उतारे तो सुनीता ने उनकी बलवान देह सराही. सुनीता को उनका हृष्ट-पुष्ट सफ़ेद बालों से भरा सीना देखा और मजबूत भुजाएँ जांचीं. अभी तक कठोर खड़ा हुआ आठ-इंची लंड फुंकार मार रहा था.

"धावले ज़रा अपनी राल से सुनीता डार्लिंग को घर्षणहीन करो, मैं इसकी तंग गली में सुगमता से प्रविष्ट होना चाहता हूँ. रानी तुम तब तक इसे और चूसो." मांजरेकर साहब लेटी हुई सुनीता के सिराहने पर जा बैठे. चुदासी औरत यजमान के सख्त लिंग को चुम्बन देने लगी. चूमते चूमते सुनीता उनके अण्डकोश चाटने लगी.

मालिक की आज्ञा का पालन करते हुए ससुर बहु की रानों के बीच बैठ उसकी बुर चाटने लगे. चपड़-चपड़ चाटते हुए ससुर ने पर्याप्त रूप से लंड चूसती सुनीता के योनिमार्ग को अपने थूक से लबा-लब लेप कर दिया. "साहब बहु की दरार चिकनी कर दी है, आप पधारिये. बहु नितम्ब के नीचे ये तकिये रख लो, साहब का मोटा शिश्न ग्रहण करने में आसानी होगी."

सुनीता ने उचक कर अपने चूतड़ तकियों से ऊँचे कर उठा दिए. मांजरेकर साहब सुनीता की उभरी हुई गीली चूत के पास आये और अपना आठ-इंची मोटे लौड़े को साध के प्यासी बुर में घुसाने लगे. और फिर धक्का मार पूरा लिंग चूत के अन्दर पेल दिया. सुनीता आँख बंद कर आनन्द से कराहने लगी. मांजरेकर साहब ने गति का इज़ाफा किया और सुनीता के मांसल कूल्हों पर चपत मारते हुए चोदने लगे. सुनीता आहें भरने लगी और हर धक्के का उचक-उचक कर जवाब देने लगी. मांजरेकर साहब ने सुनीता के घुटने उसके कानों के झुमकों के निकट टिका दिए थे, और फूली हुई चुदासी बुर को डट के चोद रहे थे.
"क्षमा कीजिये मांजरेकर साहब, बहु को शायद नज़ारा देख सदमा पहुँचा है इसलिए बाहर गई है. मैं उसे अभी वापस लेकर आता हूँ." ससुर मांजरेकर साहब के बँगले में अपनी बहु सुनीता को सजा-धजा कर ले आए थे. पर सुनीता ने जब देखा की मांजरेकर साहब लौंडेबाज़ी में मसरूफ़ हैं तो वो खफा हो निकल गई.

"धावले तुमने सुनीता डार्लिंग को बताया नहीं की हम यह शौक भी रखते हैं?" अपने नेपाली नौकर बादल की गाण्ड मारते हुए मांजरेकर साहब ने ससुर से पूछा.

"मैंने उचित नहीं समझा साहब. सोचा की आपको समलिंगी-मैथुन करता देख बहु जिज्ञासु हो जाएगी और आपकी योजना के अनुसार यहाँ चल रही काम-क्रिया में शामिल हो जाएगी." ससुर चिंतित हो समझाने लगे.

इतनी देर में सुनीता स्वयं ही कमरे में लौट आयी, "मांजरेकर काका, मैं अपने बचपने पर शर्मिंदा हूँ." साड़ी पहनी सुनीता सोफे पर गुदा-सहवास करवाते बादल के निकट जा बैठी. बादल आराम से लेटा अपने मालिक के आठ-इंची मोटे लौड़े को अपने युवा मलाशय में स्वीकार कर रहा था. रूपवान नेपाली नौकर की निर्बल लुल्ली चुदाई के साथ-साथ डोल रही थी. सुनीता अपने प्रेमी मांजरेकर काका के विशाल शिश्न को गोरे बादल की संकीर्ण पखाना-निर्गम नली में ओझल होता देख अचंभित और उत्तेजित हो रही थी. गाण्ड मरवाने का लुत्फ़ उठाता हुआ बादल सुनीता से नज़रें मिला मुस्कुरा रहा था और हर धक्के के साथ सिसकारी भर रहा था.

"सुनीता डार्लिंग, देखो हमारा बादल कितना सुन्दर लड़का है. यह समलिंगकामी है और केवल हमसे गुदा-सवारी कराता है. हमें इसके साथ सम्भोग करना बहुत पसंद है हालांकि तुम्हारे से अधिक नहीं." मांजरेकर साहब बादल का मल-द्वार प्रबलता से चोदते जा रहे थे.

"बहु, तनिक कपड़े उतारो. तुम और बादल मिल कर मांजरेकर साहब की सेवा करो. साहब अवश्य तुम दोनों को बराबर प्यार देंगे." ससुर बहु को प्रोत्साहन देने लगे.

"हाँ सुनीता रानी, तुम हमारे बादल के सलोने मुख-मंडल पर विराजो. इस गांडू को अपने रसों की मदिरा पिलाओ." आगे-पीछे हो मूसली घुसाते मांजरेकर साहब ने अपनी आकर्षक रखैल सुनीता को आदेश दिया.

कामोत्तेजित सुनीता ने तुरंत साड़ी के अन्दर पहुँच कर पैंटी निकाल दी. मांजरेकर साहब गुलाबी पैंटी लेकर सूंघने लगे. फिर सुनीता साड़ी-पेटीकोट कमर के ऊपर खींच कर सोफे पर चढ़ गई. चुद्ता समलिंगी बादल सूजी हुई गीली योनी को लालसा से देखने लगा. सुनीता ने अपने चूतड़ों को लेटे हुए बादल के चेहरे पर उकड़ूँ बन ठहरा दिया. बादल ने भारी कूल्हों के बीच छिपी चूत की उपरी त्वचा को खोल कर योनीमार्ग को बंधनमुक्त किया. रसीली बुर की महक बादल की नासिकाओं में बस गई और वह लपा-लप कुत्ते की तरंह चूत चाटने लगा.

"आह..आह... मांजरेकर काका इस लड़के की छोटी सी लुल्ली झटके खाती हुई कितनी प्यारी लग रही है!" नीचे लेटे समलिंगकामुक बादल की जीह्वा स्पर्श से मदहोश सुनीता की काम भावना प्रज्वलित हो गई थी.

मांजरेकर साहब ने बादल की लचीली टांगें हवा में उठा उसके गोरे नितम्ब समलैंगिक सहवास के योग्य व्यवस्थित किये हुए थे. तेल से चिकना किया हुआ मलाशय बहुधा अभ्यास के कारण घनिष्ठ लौड़ा आसानी से हज़म कर रहा था. बादल की ढीली नपुंसक लुल्ली उसकी गाण्ड में हो रहे सशक्त हमले का उत्तर देते हुए उसके स्वयं के पेट पर तमाचे मार रही थी. नेपाली बादल सुनीता की चूत का रस चखने के साथ-साथ अपने पिछवाड़े की खुजली भी शांत करा रहा था. मालिक के शिश्न को अपनी पखाना-निर्गम संवरणी से पकड़कर गरम नर-सुरंग में कैद किये हुए था. फच... फच... फच चपत जमाने की ध्वनी समलिंगी व्यभिचार की घोषणा कर रही थी.

"बहु मांजरेकर साहब को चुम्बन तो दो." दृश्य का मज़ा लते हुए ससुर ने बादल से चूत चटवाती सुनीता को सुझाव दिया. सुन्दर नेपाली नौकर बादल का चेहरा बहु के मांसल चूतड़ों के नीचे छिपा हुआ था. सुनीता आगे बढ़ कर अपने प्रेमी मांजरेकर काका के होठ चूमने लगी. दास की नर-गुदा सम्भोग करते मांजरेकर साहब अपनी रखैल की जीभ को चूसने लगे. बादल औरत और मर्द दोनों का आनंद उठा रहा था.

"सुनीता डार्लिंग, बादल के मुख को अपने गुप्तांग से दबाकर ज़ोंर से रगड़ो. यह स्वपीड़न-कामुक है, इसे पीड़ा सह कर कामोन्माद प्राप्त होता है." मांजरेकर साहब ने सुनीता का मार्गदर्शन किया. सुनीता ने अपना पूरा वज़न गांडू बादल का चेहरा दबोचने में लगा दिया. गुदा-मैथुन कराता बादल अपने सर के ऊपर सुनीता की चिकनी नशीली योनी की हुकूमत का मज़ा लेने लगा. सुनीता बादल की निर्बल लुल्ली हिलाने लगी, उसके लघु अंडकोष के नीचे मांजरेकर साहब का खम्बा पिस्टन की तरंह नर-योनी के अन्दर-बाहर हो रहा था. सुनीता प्रेमी की लौंडेबाज़ी में भाग ले कर संतुष्ट थी, उत्तेजित बुर देख-भाल स्त्रैण बादल कर रहा था.

"मांजरेकर काका, आप कहाँ पानी निकालेंगे?" सुनीता ने पूछा.

"बस निकलने वाला है सुनीता डार्लिंग, बादल को मुक्त करो यही मेरा पानी निगलेगा." सुनीता मांजरेकर साहब की बात मानते हुए अर्धनग्न अवस्था में सोफे पर खड़ी हो गई. कुछ ही पलों में साहब ने बादल की पखाना-निर्गम सुरंग से अपना लण्ड निकाला और समलिंगी नेपाली नौकर के पूरे खुले हुए मुंह में खाली कर दिया. सुरूप बादल पूरा वीर्ये बेसब्री से पी गया.

ससुर ताली बजाने लगे, "देखो बहु बादल का पुष्ठभाग कैसे कली से पुष्प बन गया है." सुनीता ने ससुर के कहने पर देखा की वाकई नेपाली गांडू का गुदा-द्वार सुर्ख लाल था और चुदाई से फैल गया था.
बेडरूम से छप-छप, फच-फच सुनाई देते मंद स्वर मैथुन का संकेत थे . किशोर ने जिज्ञासापूर्वक मांजरेकर साहब के शयनकक्ष की ओर कदम बढ़ाए . थोड़े से खुले हुए किवाड़ में झाँका तो देखा की मांजरेकर साहब चुदाई के जोश में खोए हुए थे . काम-क्रिया का परिश्रम करते हुए वर-वधु गंदे शब्द चिल्ला रहे थे . दम्पति का केवल निचला नग्न भाग किशोर धावले की दृष्टि में था . बिस्तर पर उलझे हुए जिस्मों का ऊपरी शेष भाग दरवाज़े से ताक- झाँक करता किशोर नहीं देख पा रहा था .

"ऐसे ही चुदवाया करो रानी , आज तो योनिमार्ग अतिशय गीला है ." मांजरेकर साहब अपनी रखैल सुनीता धावले की शुद्धता लूटते हुए पुकार रहे थे . वह इस हक़ीक़त से अनजान थे की उनकी प्रियतमा का कानूनी स्वामी कमरे के बाहर था .

शयनकक्ष के फ़र्श पर बिखरी हुई साड़ी किशोर धावले को जानी-पहचानी लग रही थी . कुर्सी पर ब्रा और पेटीकोट फेंका हुआ था . मांजरेकर साहब के नीचे चुदती किशोर की जोरू के पायल पहने मनमोहक पैर हर धक्के के समकालीन हिल रहे थे . इतनी देर में मांजरेकर साहब का नौकर बादल आ गया और किशोर धावले को कमरे में झांकता हुआ पाया . किशोर की बादल से नज़रें मिली तो वह झेंप गया और तुरंत बैठक में वापस आ गया .

"कैसे आना हुआ किशोर बेटे, माफ़ करना तुम अनचाहे हमारी यौन लीला के साक्षी बने . तुम तो जानते हो हम कितने रंगीले आदमी हैं ." बादल की हिदायत पर कुछ समय पश्चात् मांजरेकर साहब सुनीता को बेडरूम में छोड़ कर किशोर से मिलने आये और हँसते हुए दिल्लगी करने लगे .

"मालिक मैंने कुछ नहीं देखा . पिताजी ने आपके बगीचे की घास काटने को कहा था, वही रख-रखाव करने आया हूँ ." सम्भोग करती हुई पत्नी की बिखरी साड़ी पर ध्यान देने के बावजूद, बुद्धिहीन किशोर को कुछ संदेह नहीं हुआ .

गाउन पहने मांजरेकर साहब मूर्ख किशोर धावले की अनभिज्ञता से आश्वस्त हो गए . बगल के कमरे से किशोर की व्यभिचारिणी बीवी अपने पति और प्रेमी का वार्तालाप सुन रही थी . समागम से श्वासहीन, बेकपड़ा सुनीता धावले हाथ-पैर पसारे बिछौने पर ढेर थी . उसके सघन वक्षस्थल पर गाढ़ा श्वेत वीर्ये फैला हुआ था .

"धन्यवाद किशोर, तुम और तुम्हारे पिता हमारी कितनी सेवा करते हो . आज संध्या की फैंसी-ड्रेस पार्टी में क्या तुम बादल के साथ मदिरा सेवन में मदद कर सकते हो? हमारे थोड़े विशिष्ट अतिथि आयेंगे . सब लोग मुखौटा लगाए होंगे ताकि किसी को कोई पहचान न सके ." मांजरेकर साहब ने किशोर धावले को कार्य सौंपा .

"अवश्य मालिक, मैं अभी बागबानी करके जाता हूँ और साँझ को साफ़ कपड़े पहन कर काम करने आ जाऊँगा ." किशोर आश्वासन दे कर चला गया . मांजरेकर साहब वापस बेडरूम में किशोर की स्वच्छंद धर्मपत्नी और अपनी रखैल सुनीता धावले के पास गए .

"मांजरेकर काका यह आपने क्या कर दिया, इनके होते हुए मैं पार्टी में कैसे शामिल हो पाऊँगी ?" सुनीता ताज्जुब थी ."

"चिन्ता मत करो डार्लिंग, तुम तो स्कूली-छात्रा वाली वर्दी पहन रही हो और फिर मुखौटा भी पहने होगी . तुम्हारा बेवकूफ पति तुम्हें नहीं पहचान पायेगा ." मांजरेकर साहब ने अपनी सुन्दर प्रेयसी को साहस दिलाया .
"इस हथिनी जैसी चाल वाली छात्रा से हमारी भेंट तो कराओ मांजरेकर ." बनावटी फ़ौजी-वर्दी पहने नकाबपोश मंत्री जी ने अनुरोध किया . सुनीता श्वेत स्कूली-वर्दी की स्कर्ट पहने मटक-मटक कर पार्टी में आए कुलीन लोगों के साथ घुल-मिल रही थी . सब मेहमान मुखौटों के पीछे अपने चेहरे छिपाए हुए थे . सुनीता ने भी मुखमंडल मुखौटे से ढका हुआ था और हाथ में मदिरा का ग्लास लिए थी . ड्रिंक्स बांटता हुआ किशोर अपनी मास्क-पहनी गृहणी को अपर्याप्त एवं उकसाने वाले वस्त्र पहनी कोई वेश्या समझ रहा था . आख़िरकार ऐसी शिक्षालय वाली लघु स्कर्ट कोई रंडी ही सँभाल सकती थी . सुनीता की मोटी टांगें घुटनों से नीचे अनाश्रित थीं . उसने कन्याओं वाली दो चोटियाँ कर रखी थीं . पाँव में विद्यार्थियों वाले जूते और चोली के स्थान पर वर्दी की सफ़ेद कमीज़ पहनी थी . तंग पोशाक में से सुनीता का सुडौल शरीर फ़ूट-फ़ूट कर निकल रहा था .

"अवश्य मंत्री महोदय, यह हमारी सजनी सुनीता है . यह आपको हमारे बँगले का दौरा कराएगी ." मांजरेकर साहब ने सुनीता को देख आँख मारी और ध्यान दिया की उनकी बातें किशोर की श्रवणसीमा में न हों . दावत बाग़ में ज़ोरों से चल रही थी, उच्च्वर्गिये लोग विभिन्न प्रकार के वेषों में आये हुए थे .

प्रशिक्षित सुनीता ने मंत्री जी के साथ कोठी का निरीक्षण शयनकक्ष से आरम्भ किया . "मंत्री जी देखिये इस छात्रा के जूतों के फीते खुल गए हैं, तनिक बाँधने में मदद करेंगे ?" कामोत्तेजक ढंग से सुनीता ने बिस्तर पर आसीन मंत्री जी की जांघ पर पाँव रख दिया और उनका मुखौटा हटा दिया .

मंत्री जी उठी हुई टाँग से बेपर्दा सुनीता की गोश्तदार रानें निहारने लगे . फिर सिर झुका कर श्वेत-स्कर्ट की चुन्नटों के भीतर का दर्शन करने लगे . उत्तेजित हो पैरों को मलते हुए उन्हें चूमने लगे . हाथ पसार के सुनीता की लाल पैंटी उसके मांसल कूल्हों से उतारने लगे .

"मंत्री जी यह क्या अभद्र व्यवहार कर रहें हैं . आपकी छात्रा को लाज आ रही है ." सुनीता नटखट ढंग से मिथ्या विरोध करने लगी और स्वयं पैंटी का सरकाव सुगम कर दिया . मंत्री जी ने पैंटी उतार फेंकी और सुनीता की चिकनी बालहीन चूत स्कूली-स्कर्ट के अन्दर अनाभूषित कर दी . फिर खड़ी हुई सुनीता का पाँव अपने कंधे पर टिका दिया और उसकी मादक बुर उचक कर कुत्ते की तरंह सूंघने लगे . मंत्री जी का शीर्ष स्कर्ट के अन्दर संगुप्त था . उन्होंने सुनीता की लुभावनी योनी का मुखाभिगम आरम्भ कर दिया . भगोष्ठ की फांकें खोल अपनी ज़बान से लपड़-लपड़ चाटने लगे .

बेडरूम की खिड़की के बाहर बाग़ में से यह रति-क्रिया किशोर धावले देख रहा था . सुनीता का मुखौटा पहने होने के कारण वह अज्ञात था की मंत्री जी से जिह्वा-सम्भोग कराती औरत उसकी पतिव्रता जोरू थी . स्कूली वर्दी में सुनीता अति कामुक प्रतीत हो रही थी, किशोर अपना लण्ड पतलून के अन्दर सहला रहा था . अकस्मात् किशोर ने अपने गुप्तांग पर स्पर्श महसूस किया, उसने देखा की समलिंगी बादल मुस्कराता हुआ उसका लौड़ा पकड़ने के चेष्ठा कर रहा है . भड़के हुस किशोर को इसमें आपत्ति नहीं हुई और उसने नेपाली नौकर को अनुमति दे दी . बादल घुटनों पर बैठ किशोर की चेन खोलने लगा और फौरन शीष्ण-चूषण शुरू कर दिया . गांडू बादल का स्नेहमय गरम मुख किशोर की वासना उभाड़ने लगा . बादल कभी किशोर का सुपाड़ा चाटता तो कभी पूरे लिंग को ऊपर से नीचे तक चूमता . स्लर्प-स्लर्प ध्वनी करते हुए बादल आँखें मूँद लण्ड चुस्की लगाकर चूस रहा था .






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