FUN-MAZA-MASTI
raj sharma stories
राधा का राज --3
गतान्क से आगे....................
मैं उसके पास आकर दोनो पैरों को फैला कर उसकी गोद मे बैठ गई. उसके सिर को पकड़ कर आपनी एक छाती पर दबा दिया.
"लो चूमो इसे. ये सिर्फ़ तुम्हारे लिए हैं. क्या अब भी तुम्हे लगता है कि हमारे बीच किसी तरह की कोई दीवार है?" उसके होंठ मेरे स्तनो पर फिर रहे थे.
"ब्रा खोल्दो" मैने उसके कानो मे फुसफुसाते हुए कहा. मगर उसे कोई हरकत करता नहीं देख कर मैने खुद ही ब्रा को शरीर से अलग कर दिया. आज मैं इतनी उत्तेजित थी कि ज़रूरत पड़ने पर राज शर्मा को रेप
भी करने को तैयार थी.
" देखो ये कितने बेताब हैं तुम्हारे होंठों के. कितने दिनो से तड़प रही थी……" कहकर मैने उसके होंठों से अपने निपल सटा दिए. पहले वो थोड़ा झिझका फिर धीरे से उसके होंठ खुले और मेरा एक निपल मुँह मे प्रवेश कर गया. वो अपने जीभ से निपल के टिप को गुदगुदाने लगा.
"कैसे हैं?" मैने शरारत से पूछा.
उसका मुँह मे मेरे निपल होने के कारण सिर्फ़ "उम्म्म्म" जैसी आवाज़ ही निकली.
"मुझे कुछ भी समझ मे नही आया. ठीक से कहो. मुझे सुनना है."
उसने अपने मुँह को उठाया और मेरे होंठों से दो इंच दूर अपने होंठ लाकर धीरे से कहा. "बहुत अच्छे. मैने कभी इतनी हसीन साथी की कल्पना भी नही की थी. मैं एक ग़रीब…." मैने अपने हाथ उसके मुँह पर रख कर आगे बोलने नही दिया.
"बस अब मुझे सिर्फ़ प्यार करो. मैने अपनी जिंदगी मे कभी अपने जज्बातों को आवारा होने नही दिया. मगर आज मैं झूमना चाहती हूँ. आज सिर्फ़ प्यार पाना चाहती हूँ तुमसे." उसने वापस अपने होंठ मेरे स्तनो पर लगा दिए. मैने उसके सिर को अपनी दोनो चुचियों के बीच की खाई मे दबा दिया.
" आ हाआँ प्लस्सस. हेयेयन आअज मुझे नीचूओद लूओ.पूरा रास पीई जाऊओ. " मैं उसके बालों मे हाथ फिराते हुए बुदबुदाने लगी. उसने मेरे निपल को अपने मुँह मे डाल कर तेज तेज चूसने लगा. मैं "आआआआआआअहह ह उम्म्म्मममम ओफफफफफफफफूऊ" जैसी आवाज़ें अपने मुँह से निकाल रही थी. मैं उसके दूसरे हाथ को आपने दूसरे ब्रेस्ट पर रख कर दबाने लगी. कुछ देर बाद उसने दूसरे निपल को चूसना शुरू कर दिया उसके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. स्पर्श इतना हल्का था मानो शारीर पर कोई रुई फिरा रहा हो.
कुछ देर बाद उसने मुँह उठा ते हुए कहा, " मेडम….राधा अब भी सम्हल जाइए अब भी वक्त है. हम मे अओर आपमे ज़मीन आसमान का फिर्क़ है." मैं एक झटके से उठी. अपने शरीर से आखरी वस्त्र भी नोच डाला. उसके सामने अब मैं बिल्कुल निवस्त्र थी जबकि वो पूरे कपड़ों मे था. मेरा चेहरा गुस्से मे लाल सुर्ख हो रहा था.
"देखो इस शरीर की एक झलक पाने के लिए कई लोग बेचैन रहते हैं और आज मैं खुद तुम्हारे सामने बेशर्म होकार नंगी खड़ी हूँ और तुम मुझ से दूर भाग रहे हो." मैने कहा, "अगर किसी कोई मुझे इस तरह की हरकतें करते हुए देख ले तो उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं होगा. मुझे सब कठोर, ठंडी और मगरूर लड़की समझते हैं. और तुम?…देखो किस तरह मुझे अपने सामने निर्लज्ज होकर गिड़गिदाने पर मजबूर कर रहे हो. अगर इतना ही सोचना था तो पहले दिन ही मुझसे दूर हो जाते. क्यों हवा दी तुमने मेरे जज्बातों को?"
मैने उसका हाथ पकड़ खींच कर उठा दिया और लगभग खींचते हुए बेडरूम मे ले गई. उसे बेड के पास खड़ा कर के मैं उसके कपड़ों पर ऐसे टूट पड़ी मानो कोई भूखा किसी स्वादिस्त खाने को देख कर
टूट पड़ता है. कुछ ही देर मे वो भी मेरी ही हालात मे आगाया.
आज पहली बार मैने उसे पूरी तरह नग्न अवस्था मे देखा था. कॅबिन मे आने के बाद वो हमेशा बदन पर पयज़ामा पहना रहता था. जिसे ढीला करके मैं उसके लंड को प्यार करती थी. मैने उसे एक ज़ोर का धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. उसे बिस्तर पर पटक कर मैं उस पर चढ़ बैठी. उसके शरीर के एक एक अंग को चूमने चाटने लगी. उसके निपल्स को दाँतों से हल्के से काट दिया. उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ ते हुए अपनी जीभ उसके मुँह मे दे दिया. वो भी मेरी जीभ को चूसने लगा. मेरे हाथ उसके लंड को सहला रहे थे.
मैं उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों को चूमते हुए उपर बढ़ने लगी. उपर आते आते मेरे होंठ उसकी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गये. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके अंडकोषों पर फिराना शुरू किया. मैने अब अपना ध्यान उसके लंड पर कर दिया. पहले उसके लंड को चूमा फिर उसे मुँह मे ले कर चूसने लगी. लंड का साइज़ बढ़ कर लंबा और मोटा हो गया. उसका साइज़ देख कर एक बार तो मैं सिहर गयी थी कि ये दानव तो मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा.
"बहुत ही शैतान है ये. इसने मुझे ऐसा रोग लगाया कि अब ये मेरा नशा बन गया है. आज मैं इसे ठंडा करूँगी अपने पानी से." फिर मैने उनको उल्टा करने की कोशिश की तो उन्हों ने खुद ही करवट बदल कर पेट के बल लेट कर मेरी कोशिश आसान कर दी. मैं अब अपने होंठों को उनकी पीठ पर चलाने लगी. मेहनत का काम करते रहने के कारण उनके बदन बहुत ही बलिष्ठ और सख़्त था. मुझे अपने कोमल बदन को उनके बदन से रगड़ने मे मज़ा आ रहा था ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने बदन को किसी दीवार से रगड़ रही हूँ. मैने उनकी पूरी पीठ पर और उनके नितंबों पर अपनी जीभ फिरा कर उनको खूब प्यार किया.
काफ़ी देर ताक हम दोनो एक दूसरे के बदन से खेलते रहे. फिर मैं उसकी तरफ देख कर बोली, " आज मैं अपना कोमार्य तुम्हें भेंट कर रही हूँ. इससे महनगी कोई चीज़ मेरे पास नहीं है. ये मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कितना प्यार है उसे दर्शाती है. प्लीज़ मुझे लड़की से आज औरत बना दो."
मैने उसे चित लिटाकर उसका खड़े लंड के दोनो ओर अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी. मैने उनके लंड को अपने चूत के मुहाने पार रख कर उनके लंड पर बैठने के लिए ज़ोर लगाई मगर अनारी होने के कारण एवं मेरी चूत का साइज़ छ्होटा होने के कारण लंड अंदर नाहीं जा पाया. मैने फिर अपनी कमर उठाकर उसके लंड को अपने हाथों से सेट किया और शरीर को ज़ोर से नीचे किया मगर फिर उसका लंड फिसल गया. मैने झुंझला कर उसकी ओर देखा.
"कुछ करो नाआ. कैसे आदमी हो तब से मैं कोशिश कर रही हूँ और तुम चुप चाप पड़े हुए हो. क्या हो गया है तुम्हे." तब जाकर उसने अपनी झिझक को ख़त्म कर के मुझे बिस्तर पर पाटक दिया. मेरी टाँगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूम लिया.
" ये हुआ ना असली मर्द. वाह मेरे शेर! मसल दो मुझे. मेरी सारी गर्मी निकाल दो" उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि मे घुसने लगा मैने अपने दोनो हाथों से अपनी योनि के फांकों को चौड़ा करके उसकी जीभ का स्वागत किया. वो मेरी योनि मे जीभ फिराने लगा. एक तेज सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ने लगी. मुझे लगने लगा कि अब वो उठे और मेरे योनि मे चल रही खुजली को शांत कर दे. मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी. इस कोशिश मे मेरी कमर भी बिस्तर छोड़ कर उसकी जीभ को पाने के लिए उपर उठने लगी.
काफ़ी देर तक मेरी गीली चूत पर जीभ फिराने के बाद वो उठा. मैं तो उसके जीभ से ही एक बार झाड़ गयी.
"राआाज बस और नही. प्लीज़ अब और मत सताओ. अब बस मुझे अपने लंड से फाड़ डालो. आआअहह राआाज आअज मुझे पता चला कि इसमे कितना मज़ा छिपा होता है. म्म्म्ममममम" उसने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को मेरी टपकती चूत पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.
" आआआआआः उउउउउउउउईईईई माआआआ" उसका लंड रास्ता बनाता हुआ आगे बढ़कर मेरे कौमार्य की झिल्ली पर जा रुका. उसने मेरी ओर देख कर एक मुस्कुराहट दी.
"ये तुम्हारे लिए है मेरी जान तुम्हारे लिए ही तो बचा कर रखा था. लो इस पर्दे को हटा कर मुझे अपना लो."
अब उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा तो पूरा लंड मेरे अंदर फाड़ता हुआ समा गया. "ऊऊऊओफ़ माअर ही डालोगे क्या? ऊउउउउईईईईइ मा मर गई" मैं बुरी तरह तड़पने लगी. वो लंड को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर रुका. अपने लंड को उसी अवस्था मे रोक कर वो मेरे उपर लेट गया. वो मेरे होंठों को चूमने लगा. मैने भी आगे बढ़ कर उसके होंठ अपने दांतो के बीच दबा कर उसे चूमने लगी. इस तरह मेरे ध्यान योनि से उठ रही दर्द की लहरों की तरफ से हट गया. मैं उत्तेजित तो पूरी तरह ही हो रही थी. मैने अपने लंबे नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा दिए. जिससे हल्का हल्का खून रिसने लगा था.धीरे धीरे मेरा दर्द गायब हो गया. उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर मुझे सिर से पकड़ कर कुछ उठाया और अपने लंड को दिखाया. लंड पर खून के कुछ कतरे लगे हुए थे. मैं खुशी से झूम उठी. मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी टाँगे चौड़ी कर के अपनी योनि मे डाल लिया. उसने वापस अपने लंड को जड़ तक मेरी योनि मे डाल दिया.
उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर वापस अंदर डाल दिया. फिर तो उसने खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए. मैं भी पूरी ज़ोर से नीचे से उसका साथ दे रही थी. अंदर बाहर अंदर बाहर जबरदस्त धक्के लग रहे थे. 45 मिनट के बाद वो मेरे अंदर ढेर सारा वीर्य उधेल दिया. मैं तो तब ताक तीन बार निकाल चुकी थी. वो थॅक कर मेरे शरीर पर लेट गया. मैं तो उसकी मर्दानगी की कायल हो चुकी थी. हम एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फिरा रहे थे.
कुछ देर बाद वो बगल मे लेट गया मैं उस हालत मे उसके सीने के ऊपर अपना सिर रख कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी.वो मेरे बालों से खेल रहा था.
" थॅंक यू" मैने कहा "मैं आज बहुत खुश हूँ. मेरा एक एक अंग तुम्हारी मर्दानगी का कायल हो गया है. मुझे लड़की से औरत बनाने वाला एक जबरदस्त लंड है. जिसके धक्के खाकर तो मेरी हालत पतली हो गयी. मगर खुश मत होना आज सारी रात तुम्हारी बरबादी करूँगी." वो मुस्कुरा रहा था.
"क्यों मन नही भरा अब भी?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
"इतनी जल्दी कभी मन भर सकता है क्या?" वो मेरे निपल्स से खेलते हुए हँसने लगा.
मैने उसकी आँखो मे झाँकते हुए पूछा, " अब बोलो मुझ से प्यार करते हो? देखो ये चादर हम दोनो के मिलन की गवाह है." मैने चादर पर लगे खून के धब्बों की ओर इशारा किया. उसने सिर हिलाया.
"मुझसे शादी करोगे? धात मैं भी कैसी पगली हूँ आज तक मैने तो तुमसे पूछा भी नहीं कि तुम शादीशुदा हो कि नहीं और देखो अपना सब कुछ तुम्हे दे दिया."
" अगर मैं कहूँ कि मैं शादीशुदा हूँ तो ?" उसने अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लाते हुए पूछा.
" तो क्या? मेरी किस्मत. अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो. चाहे जिस रूप मे मुझे स्वीकार करो" मेरी आँखें नम हो गयी.
" जब सब सोच ही लिया तो फिर तुम जब चाहे फेरों का बंदोबस्त कर लो. मैं अपने घर भी खबर कर देता हूँ." उसने कहा.
" येस्स्स!" मैने अपने दोनो हाथ हवा मे उँचे कर दिए फिर उस पर भूकी शेरनी की तरह टूट पड़ी. इस बार उसने भी मुझे अपने ऊपर खींच लिया. एक और मरथोन राउंड चला. इस बार मैं उस पर चढ़ कर उसके लंड पर चढ़ाई कर रही थी. अब शरम किस लिए ये तो अब मेरा होने वाला शोहार था. काफ़ी देर तक करने के बाद उसने मुझे चौपाया बना कर पीछे से अपना लंड डाल कर धक्के मारने लगा. मेरी नज़र सिरहाने की तरफ डॉक्टोरेस्सैंग टेबल पर लगे मिरर पर गया. बड़ी शानदार जोड़ी लग रही थी. वो पीछे से धक्के लगा रहा था और मेरे बड़े बड़े उरोज़ आगे पीछे उच्छल रहे थे. मैं पोज़िशन चेंज कर के मिरर के सामानांतर अगाई. उसका मोटा काला लंड मेरी चूत मे जाता हुआ काफ़ी एग्ज़ाइटिंग लग रहा था. मैं एक के बाद एक कई बार लगातार अपना पानी छोड़ने लगी. लेकिन उसका तब भी नही निकला था. उसके बाद भी वो काफ़ी देर तक करता रहा. फिर उसने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. उसका वीर्य मेरी योनि से उफन कर बिस्तर पर गिर रहा था. वो थक कर मेरे उपर गिर पड़ा. मैं उसके वजन को अपने हाथों और पैरों के बल सम्हल नही पाई और मैं भी उसके बदन के नीच ढेर हो गयी. हम दोनो पसीने से लथपथ हो रहे थे. कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे.
" तुम खुश तो हो ना?" मैने उससे पूछा.
" तुमसा साथी पा कर कौन नही खुश होगा." राज शर्मा ने कहा, "हर बच्चा परी के सपने देखता है मगर मुझ को तो सक्छात परी मिल गयी" .
फिर हम दोनो उठ कर साथ साथ नहाए. तैयार होकर मैं खाना बनाकर उसे अपने हाथों से खिलाई. और उसने मुझे खिलाया. फिर वापस हम बेडरूम मे आ गये. रात भर राउंड पर राउंड चलते रहे. सुबह तक मेरा तो उसने बुरा हाल कर दिया था ऐसा लग रहा था मानो मुझे मथ्नि मे डाल कर मठ दिया हो. चूत का हाल तो बहुत ही बुरा था. पहले ही मिलन मे इतनी घिसाई तो उसके हिम्मत तोड़ने के लिए काफ़ी थी. लाल होकर फूल गयी थी. फोड़े की तरह दुख रहा था. सुबह तक तो मुझमे उठकर खड़े होने की ताक़त भी नहीं बची थी. सुबह 6.0 ओ'क्लॉक को वो उठा और तैयार होकर मेरे मकान से निकल गया जिससे किसी को पता नही चले. जाने से पहले मुझे होंठों पर एक चुंबन देकर उठाया.
"मत जाओ अब मुझे छोड़कर" मैने उस से विनती की.
"अजीब पागल लड़की है" उसने कहा, "पहले शादी हो जाने दो फिर बाँध लेना मुझे."
" सहारा देकर उठा तो सकते हो."
उसने मुझे सहारा देकर उठाया. उसके जाने के बाद मैं सोफे पर ढेर हो गयी. सुबह मुझ से मिलने मेरी एक मात्र सहेली रचना आई.
"क्या हुआ मेरी बन्नो?" मैने अपना हाल सुनाया तो वो भी खुश हुई. लेकिन जब राज शर्मा के काम काज के बारे मे सुना तो कुछ मायूस हो गयी. लेकिन मैने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करती हूँ और हम दोनो मिलकर ग्रहस्थी की गाड़ी खींच लेंगे. तब जाकर वो कुछ अस्वस्थ हुई.
मुझे काफ़ी टाइम लगा अपने परिवार वालो को मनाने मे लेकिन आख़िर मे जीत मेरी ही हुई. मेरे घरवालों ने समझाने की कोशिश की मगर मेरा निश्चय देख कर शांत हो गये.
महीने भर बाद हम दोनो ने एक सादे स्मरोह मे मंदिर मे जाकर शादी करली. मैने ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो की जल्दी ही आगेया. नये जगह जाय्न करने के बाद मैने शादी का अननौंसेमेट किया. तबतक मैं ऑलरेडी 3 मंत्स प्रेग्नेंट थी. रचना ने भी मेरे साथ ही सेम जगह ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो कि मंजूर होगया. राज शर्मा ने एक छोटी मोटी सी नर्सरी खोल ली.
मेरे साथ मेरी प्यारी सहेली रचना का भी ट्रान्स्फर उसी जगह हो गया था जो कि हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात थी. राज ने नयी जगह पर एक नर्सरी खोल ली. जो कि उसकी महनत से अच्छा चल बैठा. मेरी पहली प्रेग्नेन्सी जो कि शादी से पहले ही हो गयी थी मिसकॅरियेज हो गया. हम दोनो बच्चों के मामले मे कोई भी जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे. इसलिए हम ने शादी के बाद काफ़ी सुरक्षा के साथ ही संभोग किया. रचना और राज शर्मा मे काफ़ी चुहल बाजी चलती रहती थी. जिसमे मुझे मज़ा आता था.
कुछ दिनो बाद रचना की शादी वहीं पास के एक फॉरेस्ट ऑफीसर अरुण से हो गयी. रचना यू.पी. से बिलॉंग करती थी. अरुण बहुत ही हँसमुख और रंगीन मिज़ाज आदमी था. उसकी पोस्टिंग हमारे हॉस्पिटल से 80 किमी दूर एक जंगल मे थी. शुरू शुरू मे तो हर दूसरे दिन भाग आता था. कुछ दिनों बाद हफ्ते मे दो दिन के लिए आने लगा. हम चारों आपस मे काफ़ी खुले हुए थे. अक्सर आपस मे रंगीले जोक्स और द्वियार्थी संवाद करते रहते थे. उसकी नज़र शुरू से ही मुझ पर थी. मगर ना तो मैने उसे कभी लिफ्ट दिया ना ही उसे ज़्यादा आगे बढ़ने का मौका मिला. होली के समय ज़रूर मौका देख कर रंग लगाने के बहाने मुझसे लिपट गया था और मेरे कुर्ते मे हाथ डाल कर मेरी चुचियों को कस कर मसल दिया था. इससे पहले कि वो और आगे बढ़ता मैं उसके चंगुल से निकल कर भाग गयी थी. उसकी इस हरकत पर किसी की नज़र नहीं पड़ी थी इसलिए मैने भी चुप रहना बेहतर समझा. वरना बेवजह हम सहेलियों मे दरार पड़ जाती. मैं उससे ज़रूर अब कुछ कतराने लगी थी. मगर वो मेरे निकट ता के लिए मौका खोजता रहता था.
क्रमशः........................
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gataank se aage....................
Main uske paas aakar dono pairon ko phaila kar uski god me baith gai. Uske sir ko pakad kar aapni ek chaati par daba diya.
"Lo choomo ise. Ye sirf tumhare liye hain. Kya ab bhi tumhe lagta hai ki humare beech kisi tarah ki koi deewaar hai?" uske honth mere stano par fir rahe the.
"bra kholdo" maine uske kaano me phusphusate hue kaha. Magar use koi harkat karta nahin dekh kar maine khud hi bra ko shareer se alag kar diya. Aaj main itni uttejit thi ki jaroorat padane par Raj sharma ko rape
bhi karne ko taiyaar thi.
" Dekho ye kitne betaab hain tumhare honthon ke. Kitne dino se tadap rahi thi……" Kahkar maine uske honthon se apne nipple sata diye. Pahle Wo thoda jhijhka fir dheere se uske honth khule aur mera ek nipple munh me pravesh kar gaya. Wo apne jeebh se nipple ke tip ko gudgudane laga.
"Kaise hain?" maine shararat se poochha.
Uska munh me mere nipple hone ke karan sirf "ummmm" jaisi awaj hi nikali.
"mujhe kuch bhi samajh me nahi aya. Theek se kaho. Mujhe sunna hai."
Usne apne munh ko uthaya aur mere honthon se do inch door apne honth lakar dheere se kaha. "bahut achche. Maine kabhi itni haseen sathi ki kalpana bhi nahi ki thi. Main ek gareeb…." Maine apne hath uske munh par rakh kar age bolne nahi diya.
"bus ab mujhe sirf pyaar karo. Maine apni jindagi me kabhi apne jajbaaton ko awara hone nahi diya. Magar aaj main jhoomna chahti hoon. Aaj sirf pyaar pana chahti hoon tumse." Usne wapas apne honth mere stano par laga diye. Maine uske sir ko apni dono chuchiyon ke beech ki khai me daba diya.
" aah haaan plsss. Haaaan aaaj mujhe nichoood looo.poora raas peeee jaooo. " main uske baalon me haath firate hue budbudane lagi. Usne mere nipple ko apne munh me daal kar tej tej choosne laga. Main "aaaaaaaaaaaaahhhhh h ummmmmmm offffffffoooo" jaisi awajen apne munh se nikaal rahi thi. Main uske doosre haath ko aapne doosre breast par rakh kar dabaane lagi. Kuch der baad usne dusre nipple ko choosna shuru kar diya uske haath mere badae par ghoom rahe the. Sparsh itna halka thaa maano shaareer par koi rui fira raaha ho.
Kuch der bad usne munh utha te hue kaha, " Madam….Raadha aab bhi samhal jaiye ab bhi wakt hai. Ham me aaur aapme jameen asman ka firq hai." Main ek jhatke se uthi. Apne shareer se akhri vastra bhi noch daala. Uske samne ab main bilkul nivastr thi jabki wo poore kapdon me tha. Mera chehra gusse me lal surkh ho raha tha.
"Dekho is shareer ki ek jhalak pane ke liye kai log bechain rahte hain aur aaj main khud tumhare samne besharm hokaar nangi khadi hoon aur tum mujh se door bhag rahe ho." Maine kaha, "agar kisi koi mujhe is tarah ki harkaten karte huye dek le to use apni ankhon par wisvaas nahin hoga. Mujhe sab kathor, thandi aur magroor ladki samajhte hain. Aur tum?…dekho kis tarah mujhe apne samne nirlajj hokar gidgidane par majboor kar rahe ho. Agar itna hi sochna tha to pahle din hi mujhse door ho jate. Kyon hawa di tumne mere jajbaaton ko?"
maine uska haath pakad kheench kar utha diya aur lagbhag kheenchte hue beDoctoroom me le gai. Use bed ke paas kahda kaar ke main uske kapdon par aise toot padi mano koi bhookha kisi swadist khane ko dekh kar
toot parta hai. Kuch hi der me wo bhi meri hi halaat me agaaya.
Aaj pahli baar maine use poori tarah nagn awastha me dekha tha. Cabin me ane ke baad wo hamesha badan par payjama pahna rahta tha. Jise dheela karke main uske lund ko pyaar karti thi. Maai use ek jor ka dhakka dekar bistar par gira diya. Use bistar par patak kar main us par chadh baithi. Uske shareer ke ek ek ang ko choomne chaatne lagi. Uske nipples ko daanton se halke se kat diya. Uske honthon se apne honth ragad te hue apni jeebh uske munh me de diya. Wo bhi meri jeebh ko choosne laga. Mere haath uske lund ko sahla rahe the.
Maine uske pairon ke angoothe aur ungliyon ko choomte huye upar badhne lagi. Upar ate ate mere honth uski tangon ke jod tak pahunch gaye. Maine apni jeebh nikal kar uske andkoshon par firana shuru kiya. Maine ab apna dhyan uske lund par kar diya. Pahle uske lund ko chooma fir use munh me le kar choosne lagi. Lund ka size badh kar lamba aur mota ho gaya. Uska size dekh kar ek baar to main sihar gayi thi ki ye danav to meri yoni ko phad kar rakh dega.
"baahut hi sshitaan hai ye. Isne mujhe aisa rog lagaya ki ab ye mera nasha ban gaya hai. Aaj main ise thanda karoongi apne paani se." fir maine unko ulta karne ki koshish ki to unhon ne khud hi karwat badal kar pet ke bal let kar meri koshish asaan kar di. Main ab apne honthon ko unki peeth par chalane lagi. Mehnat ka kaam karte rahne ke karan unke badan bahut hi balishth aur sakht tha. Mujhe apne komal badan ko unke badan se ragadne me maja a raha tha aisa lag raha tha mano main apne badan ko kisi deewar se ragad rahi hoon. Maine unki poori peeth par aur unke nitambon par apni jeebh fira kar unko khoob pyaar kiya.
Kafi der taak hum dono ek doosre ke badan se khelte rahe. Fir main uski taraf dekh kar boli, " Aaj main apna kaomarya tumhen bhent kar rahi hoon. Isse mahngi koi cheej mere paas nahin hai. Ye mere dil me tumhare liye kitna pyaar hai use darshati hai. Please mujhe ladki se aaj aurat bana do."
Maine use chit litakar uska khade lund ke dono or apne ghutno ko mod kar baithi. Maine unke lund ko apne choot ke muhane paar rakh kar unke lund par batihne ke liye jor lagai magar anari hone ke karan evam meri choot ka size chhota hone ke karan lund andar naahin ja paaya. Maine fir apni kamar uthakar uske lund ko apne haathon se set kiya aur sharir ko jor se neeche kiya magar fir uska lund fisal gaya. Maine jhunjhla kar uski or dekha.
"Kuch karooo naaaa. kaise aadmi ho tab se main koshish kar rahi hoon aur tum chup chap pare hue ho. Kya ho gaya hai tumhe." Tab jaakar usne apni jhijhak ko khatm kar ke mujhe bistar par paatak diya. Meri tangon ko chouda kar ke meri chut ko choom liya.
" ye hua na asli mard. Wah mere sher! Masal do mujhe. Meri saari garmi nikaal do" Usne apni jeebh nikal kar meri yoni me ghusane laga maine apne dono hathon se apni yoni ke fankon ko chauda karke uski jeebh ka swagat kiya. Wo meri yoni me jeebh firane laga. Ek tej sihran si poore badan me daudne lagi. Mujhe lagne laga ki ab wo uthe aur mere yoni me chal rahi khujli ko shaant kar de. Main apne hathon se uske sir ko apni yoni par dabane lagi. Is koshish me meri kamar bhi bistar chod kar uski jeebh ko pane ke liye upar uthne lagi.
kafi der tak meri geeli choot par jeebh firane ke baad wo utha. Main to uske jeebh se hi ek baar jhad gayi.
"Raaaaaaj bus aur nahi. Pleeeeese ab aur mat satao. Ab bus mujhe apne lund se fad dalo. Aaaaahhh Raaaaaaj aaaj mujhe pataa chalaa ki isme kitnaa majaa chhipa hota hai. Mmmmmmmm" Usne meri taangon ko utha kar apne kandhe par rakha aur apne lundko meri tapakti choot paar rakh kar ek jor daar dhakka mara.
" aaaaaaaaaah uuuuuuuuiiiiiiii maaaaaaaa" uska lund rasta banaata hua age badhkar mere kaumarya ki jhilli par ja ruka. Usne meri or dekh kar ek muskurahat di.
"ye tumhare liye hai meri jaaan tumahre liye hi to bacha kar rakha tha. Lo is parde ko hata kar mujhe apna lo."
Aab usne ek aur jor daar dhakka mara to poora lund mere andar phadta hua sama gaya. "ooooooof maaar hii daloge kyaaaa? Uuuuuiiiiiiiii maaaa margayi" main buri tarah tadapne lagi. Wo lund ko poora aandar daal kar kuch der rukaa. Apne lund ko usi awastha me rok kar wo mere upar let gaya. Wo mere honthon ko choomne laga. Maine bhi age badh kar uske honth apne danto ke beech daba kar use choomne lagi. Is tarah mere dhyan yoni se uth rahi dard ki lahron ki taraf se hat gaya. Main uttejit to poori tarah hi ho rahi thi. Maine apne lambe nakhoon uski peeth par gada diye. Jisse halka halka khoon risne laga tha.Dheere dheere mera dard gayab ho gaya. Usne apne lund ko poora bahar nikal kar mujhe sir se pakad kar kuch uthaya aur apne lund ko dikhaya. Lund par khoon ke kuch katre lage huye the. Main khushi se jhoom uthi. Maine apne hathon se uske lund ko pakad kar khud hi apni tange chaudi kar ke apni yoni me daal liya. Usne wapas apne lund ko jad tak meri yoni me daal diya.
Usne lund ko thoda bahar nikal kar wapas andar daal diya. Phir to usne khoob jor jor se dhakke lagae. Main bhi poori jor se neeche se uska saath de rahi thi. Andar bahar andar bahar jabardast dhakke lag rahe the. 45 min ke baad Wo mere andar dher sara virya udhel diya. Main to tab taak teen baar nikaal chuki thi. Wo thaak kar mere shareer par let gaya. Main to uski mardangi ki kayal ho chuki thi. Hum ek doosre ko choom rahe the aor ek doosre ke badan par hath fira rahe the.
Kuch der baad Wo bagal me let gaya main us halat me uske seene ke oopar apna sir rakh kar uske seene ke baalon se khelne lagi.wo mere baalon se khel raha tha.
" Thank u" maine kaha "main aaj bahut khush hoon. Mere eke k ang tumhari mardangi ka kayal ho gaya hai. Mujhe ladki se aurat banana wala ek jabardast lund hai. Jiske dhakke khakar to meri haalat patli ho gayi. Magar khush mat hona aaj sari raat tumhari barabadi karoongi." Wo muskura raha tha.
"kyon man nahi bhara ab bhi?" usne muskurate huye poochha.
"itni jaldi kabhi man bhar sakta hai kya?" wo mere nipples se khelte huye hansne laga.
Maine uski ankon me jhankte hue poochha, " aab bolo mujh se pyar karte ho? Dekho ye chadar hum dono ke Milan ki gawah hai." Maine chadar par lage khoon ke dhabbon ki or ishara kiya. Usne sir hilaya.
"Mujhse shaadi karoge? Dhaat maai bhi kaisi pagli hoon aaj tak maine to tumse poochha bhi nahin ki tum shadishuda ho ki nahin aur dekho apna sab kuch tumhe de diya."
" agar main kahoon ki main shaadishuda hoon to ?" Usne apne honthon par ek kutil muskaan late hue poochha.
" To kya? meri kismat. Ab to tum hi mere sab kuch ho. Chahe jis roop me mujhe sweekar karo" meri aankhen naam ho gayee.
" Jab sab soch hi liya to fir tum jab chaahe pheron ka bandobast kar lo. Main apne ghar bhi khabar kar deta hoon." Usne kaha.
" Yesssss!" maine apne dono haath hawa me unche kar diye fir us par bhuki sherni ki tarah toot padi. is baar usne bhi muje apne oopar khinch liya. Ek aur marathon round chala. Is baar main us par chadh kar uske lund par chadhai kar rahi thi. Aab sharam kis liye ye to aab mera hone wala shohar tha. Kafi der tak karne ke baad usne mujhe chaupaya bana kar peeche se apna lund daal kar dhakke maarne laga. Meri nazar sirhane ki taraf Doctoressing table par lage mirror par gaya. Badi shandar jodi lag rahi thi. Wo peechhe se dhakke laga raha tha aur mere bade bade uroz age peechhe uchhal rahe the. Main position change kar ke mirror ke samanantar agai. Uska mota kala lund meri choot me jata hua kafi exciting lag raha tha. Maine ek ke baad ek kai baar lagatar apna paani chodane lagi. Lekin uska tab bhi nahi nikla tha. Uske baad bhi wo kafi der tak karta raha. Fir usne dher sara veerya meri yoni me daal diya. Uska veerya meri yoni se ufan kar bistar par gir raha tha. Wo thak kar mere upar gir pada. Main uske wajan ko apne hathon aur pairon ke bal samhal nahi payee aur main bhi uske badan ke neech dher ho gayi. Hum dono paseene se lathpath ho rahe the. Kuch der tak ek doosre ko choomte hue lete rahe.
" tum khush to ho na?" maine usse poochha.
" tumsa saathi pa kar kaun nahi khush hoga." Raj sharma ne kaha, "har bachcha pari ke sapne dekhta hai magar mujh ko to sakchhat pari mil gayee" .
Fir hum dono uth kar saath saath nahaye. Taiyaar hokar main khana banakar use apne haathon se khilayi. Aur usne mujhe khilaya. Fir wapas hum beDoctoroom me agaye. Raat bhar round par round chalet rahe. Subah tak mera to usne bura haal kar diya tha aisa lag raha tha mano mujhe mathni me daal kar math diya ho. Choot ka haal to bahut hi bura tha. Pahle hi Milan me itni ghisai to uske himmat todne ke liye kafi thi. Laal hokar fool gayi thi. Fode ki tarah dukh raha tha. Subah tak to mujhme uthkar khade hone ki taqat bhi nahin bachi thi. Subah 6.0 o'clock ko wo utha aur taiyaar hokar mere makan se nikal gaya jisse kisi ko pata nahi chale. Jaane se pahle mujhe honthon par ek chumban dekar uthayaa.
"mat jaao ab mujhe chodkar" maine us se vinti ki.
"Ajeeb pagal ladki hai" usne kaha, "pahle shaadi ho jaane do fir baandh lena mujhe."
" Sahara dekar utha to sakte ho."
Usne mujhe sahara dekar uthaya. Uske jaane ke baad main sofe par dher ho gayi. Subah mujh se milne meri ek matr saheli Rachna ayi.
"Kya hua meri banno?" maine apna haal sunaya to wo bhi khush hui. Lekin jab Raj sharma ke kaam kaaj ke bare me suna to kuch mayoos ho gayee. lekin maine usse kaha ki main usse pyaar karti hoon aur hum dono milkar grahasthi ki gadi kheench lenge. Tab jakar wo kuch aswasth hui.
Mujhe kafi time laga apne padivaar walo ko manane me leki akhir me jeet meri hi hui. Mere gharwaalon ne samjhane ki koshish ki magar mera nishchaya dekh kar shant ho gaye.
Maheene bhar baad hum dono ne ek saade smaroh me mandir me jakar shaadi karliya. Maine transfer ke liye apply kiya jo ki jaldi hi agaya. Naye jagah join karne ke baad maine shadi ka announcemet kiya. Tabtak main already 3 months pregnant thi. Rachna ne bhi mere saath hi same jagah transfer ke liye apply kiya jo ki manjoor hogaya. Raj sharma ne ek choti moti si nursery khol li.
Mare saath meri pyaari saheli Rachna ka bhi transfer usi jagah ho gaya tha jo ki humaare liye bahut hi khushi ki baat thi. Raaj ne nayi jagah par ek nursery khol li. Jo ki uski mahnat se achcha chal baitha. Meri pehli pregnancy jo ki shadi se pahle hi ho gayi thi miscarriage ho gaya. Hum dono bachchon ke mamle me koi bhi jaldi baaji nahin karna chahte the. Isliye humne shaadi ke baad kaafi suraksha ke saath hi sambhog kiya. Rachna aur Raj sharma me kafi chuhal baji chalti rahti thi. Jisme mujhe maja ata tha.
Kuch dino baad Rachna ki shaadi waheen paas ke ek forrest officer Arun se ho gayi. Rachna U.P. se belong karti thi. Arun bahut hi hansmukh aur rangeen mijaj aadmi tha. Uski posting hamare hospital se 80 kms door ek jungle me thi. Shuru shuru me to har doosre din bhag ata tha. Kuch dinon baad hafte me do din ke liye ane laga. Hum chaaron apas me kaafi khule huye the. Aksar apas me rangeele jokes aur dwiarthi samvad karte rahte the. Uski najar shuru se hi mujh par thi. Magar na to maine use kabhi lift diya na hi use jyada age badhne ka mauka mila. Holi ke samay jaroor mauka dekh kar rang lagane ke bahane mujhse lipat gaya tha aur mere kurte me hath daal kar meri chuchiyon ko kas kar masal diya tha. Isse pahle ki wo aur age badhta main uske changul se nikal kar bhag gayee thi. Uski is harkat par kisi ki najar nahin padi thi isliye maine bhi chup rahna behtar samjha. Warna bewajah hum saheliyon me darar par jaati. Main usese jaroor ab kuch katrane lagi thi. Magar wo mere nikat ta ke liye mauka khojta rahta tha.
KRAMASHASH.................... .......
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raj sharma stories
राधा का राज --3
गतान्क से आगे....................
मैं उसके पास आकर दोनो पैरों को फैला कर उसकी गोद मे बैठ गई. उसके सिर को पकड़ कर आपनी एक छाती पर दबा दिया.
"लो चूमो इसे. ये सिर्फ़ तुम्हारे लिए हैं. क्या अब भी तुम्हे लगता है कि हमारे बीच किसी तरह की कोई दीवार है?" उसके होंठ मेरे स्तनो पर फिर रहे थे.
"ब्रा खोल्दो" मैने उसके कानो मे फुसफुसाते हुए कहा. मगर उसे कोई हरकत करता नहीं देख कर मैने खुद ही ब्रा को शरीर से अलग कर दिया. आज मैं इतनी उत्तेजित थी कि ज़रूरत पड़ने पर राज शर्मा को रेप
भी करने को तैयार थी.
" देखो ये कितने बेताब हैं तुम्हारे होंठों के. कितने दिनो से तड़प रही थी……" कहकर मैने उसके होंठों से अपने निपल सटा दिए. पहले वो थोड़ा झिझका फिर धीरे से उसके होंठ खुले और मेरा एक निपल मुँह मे प्रवेश कर गया. वो अपने जीभ से निपल के टिप को गुदगुदाने लगा.
"कैसे हैं?" मैने शरारत से पूछा.
उसका मुँह मे मेरे निपल होने के कारण सिर्फ़ "उम्म्म्म" जैसी आवाज़ ही निकली.
"मुझे कुछ भी समझ मे नही आया. ठीक से कहो. मुझे सुनना है."
उसने अपने मुँह को उठाया और मेरे होंठों से दो इंच दूर अपने होंठ लाकर धीरे से कहा. "बहुत अच्छे. मैने कभी इतनी हसीन साथी की कल्पना भी नही की थी. मैं एक ग़रीब…." मैने अपने हाथ उसके मुँह पर रख कर आगे बोलने नही दिया.
"बस अब मुझे सिर्फ़ प्यार करो. मैने अपनी जिंदगी मे कभी अपने जज्बातों को आवारा होने नही दिया. मगर आज मैं झूमना चाहती हूँ. आज सिर्फ़ प्यार पाना चाहती हूँ तुमसे." उसने वापस अपने होंठ मेरे स्तनो पर लगा दिए. मैने उसके सिर को अपनी दोनो चुचियों के बीच की खाई मे दबा दिया.
" आ हाआँ प्लस्सस. हेयेयन आअज मुझे नीचूओद लूओ.पूरा रास पीई जाऊओ. " मैं उसके बालों मे हाथ फिराते हुए बुदबुदाने लगी. उसने मेरे निपल को अपने मुँह मे डाल कर तेज तेज चूसने लगा. मैं "आआआआआआअहह ह उम्म्म्मममम ओफफफफफफफफूऊ" जैसी आवाज़ें अपने मुँह से निकाल रही थी. मैं उसके दूसरे हाथ को आपने दूसरे ब्रेस्ट पर रख कर दबाने लगी. कुछ देर बाद उसने दूसरे निपल को चूसना शुरू कर दिया उसके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. स्पर्श इतना हल्का था मानो शारीर पर कोई रुई फिरा रहा हो.
कुछ देर बाद उसने मुँह उठा ते हुए कहा, " मेडम….राधा अब भी सम्हल जाइए अब भी वक्त है. हम मे अओर आपमे ज़मीन आसमान का फिर्क़ है." मैं एक झटके से उठी. अपने शरीर से आखरी वस्त्र भी नोच डाला. उसके सामने अब मैं बिल्कुल निवस्त्र थी जबकि वो पूरे कपड़ों मे था. मेरा चेहरा गुस्से मे लाल सुर्ख हो रहा था.
"देखो इस शरीर की एक झलक पाने के लिए कई लोग बेचैन रहते हैं और आज मैं खुद तुम्हारे सामने बेशर्म होकार नंगी खड़ी हूँ और तुम मुझ से दूर भाग रहे हो." मैने कहा, "अगर किसी कोई मुझे इस तरह की हरकतें करते हुए देख ले तो उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं होगा. मुझे सब कठोर, ठंडी और मगरूर लड़की समझते हैं. और तुम?…देखो किस तरह मुझे अपने सामने निर्लज्ज होकर गिड़गिदाने पर मजबूर कर रहे हो. अगर इतना ही सोचना था तो पहले दिन ही मुझसे दूर हो जाते. क्यों हवा दी तुमने मेरे जज्बातों को?"
मैने उसका हाथ पकड़ खींच कर उठा दिया और लगभग खींचते हुए बेडरूम मे ले गई. उसे बेड के पास खड़ा कर के मैं उसके कपड़ों पर ऐसे टूट पड़ी मानो कोई भूखा किसी स्वादिस्त खाने को देख कर
टूट पड़ता है. कुछ ही देर मे वो भी मेरी ही हालात मे आगाया.
आज पहली बार मैने उसे पूरी तरह नग्न अवस्था मे देखा था. कॅबिन मे आने के बाद वो हमेशा बदन पर पयज़ामा पहना रहता था. जिसे ढीला करके मैं उसके लंड को प्यार करती थी. मैने उसे एक ज़ोर का धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. उसे बिस्तर पर पटक कर मैं उस पर चढ़ बैठी. उसके शरीर के एक एक अंग को चूमने चाटने लगी. उसके निपल्स को दाँतों से हल्के से काट दिया. उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ ते हुए अपनी जीभ उसके मुँह मे दे दिया. वो भी मेरी जीभ को चूसने लगा. मेरे हाथ उसके लंड को सहला रहे थे.
मैं उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों को चूमते हुए उपर बढ़ने लगी. उपर आते आते मेरे होंठ उसकी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गये. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके अंडकोषों पर फिराना शुरू किया. मैने अब अपना ध्यान उसके लंड पर कर दिया. पहले उसके लंड को चूमा फिर उसे मुँह मे ले कर चूसने लगी. लंड का साइज़ बढ़ कर लंबा और मोटा हो गया. उसका साइज़ देख कर एक बार तो मैं सिहर गयी थी कि ये दानव तो मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा.
"बहुत ही शैतान है ये. इसने मुझे ऐसा रोग लगाया कि अब ये मेरा नशा बन गया है. आज मैं इसे ठंडा करूँगी अपने पानी से." फिर मैने उनको उल्टा करने की कोशिश की तो उन्हों ने खुद ही करवट बदल कर पेट के बल लेट कर मेरी कोशिश आसान कर दी. मैं अब अपने होंठों को उनकी पीठ पर चलाने लगी. मेहनत का काम करते रहने के कारण उनके बदन बहुत ही बलिष्ठ और सख़्त था. मुझे अपने कोमल बदन को उनके बदन से रगड़ने मे मज़ा आ रहा था ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने बदन को किसी दीवार से रगड़ रही हूँ. मैने उनकी पूरी पीठ पर और उनके नितंबों पर अपनी जीभ फिरा कर उनको खूब प्यार किया.
काफ़ी देर ताक हम दोनो एक दूसरे के बदन से खेलते रहे. फिर मैं उसकी तरफ देख कर बोली, " आज मैं अपना कोमार्य तुम्हें भेंट कर रही हूँ. इससे महनगी कोई चीज़ मेरे पास नहीं है. ये मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कितना प्यार है उसे दर्शाती है. प्लीज़ मुझे लड़की से आज औरत बना दो."
मैने उसे चित लिटाकर उसका खड़े लंड के दोनो ओर अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी. मैने उनके लंड को अपने चूत के मुहाने पार रख कर उनके लंड पर बैठने के लिए ज़ोर लगाई मगर अनारी होने के कारण एवं मेरी चूत का साइज़ छ्होटा होने के कारण लंड अंदर नाहीं जा पाया. मैने फिर अपनी कमर उठाकर उसके लंड को अपने हाथों से सेट किया और शरीर को ज़ोर से नीचे किया मगर फिर उसका लंड फिसल गया. मैने झुंझला कर उसकी ओर देखा.
"कुछ करो नाआ. कैसे आदमी हो तब से मैं कोशिश कर रही हूँ और तुम चुप चाप पड़े हुए हो. क्या हो गया है तुम्हे." तब जाकर उसने अपनी झिझक को ख़त्म कर के मुझे बिस्तर पर पाटक दिया. मेरी टाँगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूम लिया.
" ये हुआ ना असली मर्द. वाह मेरे शेर! मसल दो मुझे. मेरी सारी गर्मी निकाल दो" उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि मे घुसने लगा मैने अपने दोनो हाथों से अपनी योनि के फांकों को चौड़ा करके उसकी जीभ का स्वागत किया. वो मेरी योनि मे जीभ फिराने लगा. एक तेज सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ने लगी. मुझे लगने लगा कि अब वो उठे और मेरे योनि मे चल रही खुजली को शांत कर दे. मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी. इस कोशिश मे मेरी कमर भी बिस्तर छोड़ कर उसकी जीभ को पाने के लिए उपर उठने लगी.
काफ़ी देर तक मेरी गीली चूत पर जीभ फिराने के बाद वो उठा. मैं तो उसके जीभ से ही एक बार झाड़ गयी.
"राआाज बस और नही. प्लीज़ अब और मत सताओ. अब बस मुझे अपने लंड से फाड़ डालो. आआअहह राआाज आअज मुझे पता चला कि इसमे कितना मज़ा छिपा होता है. म्म्म्ममममम" उसने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को मेरी टपकती चूत पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.
" आआआआआः उउउउउउउउईईईई माआआआ" उसका लंड रास्ता बनाता हुआ आगे बढ़कर मेरे कौमार्य की झिल्ली पर जा रुका. उसने मेरी ओर देख कर एक मुस्कुराहट दी.
"ये तुम्हारे लिए है मेरी जान तुम्हारे लिए ही तो बचा कर रखा था. लो इस पर्दे को हटा कर मुझे अपना लो."
अब उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा तो पूरा लंड मेरे अंदर फाड़ता हुआ समा गया. "ऊऊऊओफ़ माअर ही डालोगे क्या? ऊउउउउईईईईइ मा मर गई" मैं बुरी तरह तड़पने लगी. वो लंड को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर रुका. अपने लंड को उसी अवस्था मे रोक कर वो मेरे उपर लेट गया. वो मेरे होंठों को चूमने लगा. मैने भी आगे बढ़ कर उसके होंठ अपने दांतो के बीच दबा कर उसे चूमने लगी. इस तरह मेरे ध्यान योनि से उठ रही दर्द की लहरों की तरफ से हट गया. मैं उत्तेजित तो पूरी तरह ही हो रही थी. मैने अपने लंबे नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा दिए. जिससे हल्का हल्का खून रिसने लगा था.धीरे धीरे मेरा दर्द गायब हो गया. उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर मुझे सिर से पकड़ कर कुछ उठाया और अपने लंड को दिखाया. लंड पर खून के कुछ कतरे लगे हुए थे. मैं खुशी से झूम उठी. मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी टाँगे चौड़ी कर के अपनी योनि मे डाल लिया. उसने वापस अपने लंड को जड़ तक मेरी योनि मे डाल दिया.
उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर वापस अंदर डाल दिया. फिर तो उसने खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए. मैं भी पूरी ज़ोर से नीचे से उसका साथ दे रही थी. अंदर बाहर अंदर बाहर जबरदस्त धक्के लग रहे थे. 45 मिनट के बाद वो मेरे अंदर ढेर सारा वीर्य उधेल दिया. मैं तो तब ताक तीन बार निकाल चुकी थी. वो थॅक कर मेरे शरीर पर लेट गया. मैं तो उसकी मर्दानगी की कायल हो चुकी थी. हम एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फिरा रहे थे.
कुछ देर बाद वो बगल मे लेट गया मैं उस हालत मे उसके सीने के ऊपर अपना सिर रख कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी.वो मेरे बालों से खेल रहा था.
" थॅंक यू" मैने कहा "मैं आज बहुत खुश हूँ. मेरा एक एक अंग तुम्हारी मर्दानगी का कायल हो गया है. मुझे लड़की से औरत बनाने वाला एक जबरदस्त लंड है. जिसके धक्के खाकर तो मेरी हालत पतली हो गयी. मगर खुश मत होना आज सारी रात तुम्हारी बरबादी करूँगी." वो मुस्कुरा रहा था.
"क्यों मन नही भरा अब भी?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
"इतनी जल्दी कभी मन भर सकता है क्या?" वो मेरे निपल्स से खेलते हुए हँसने लगा.
मैने उसकी आँखो मे झाँकते हुए पूछा, " अब बोलो मुझ से प्यार करते हो? देखो ये चादर हम दोनो के मिलन की गवाह है." मैने चादर पर लगे खून के धब्बों की ओर इशारा किया. उसने सिर हिलाया.
"मुझसे शादी करोगे? धात मैं भी कैसी पगली हूँ आज तक मैने तो तुमसे पूछा भी नहीं कि तुम शादीशुदा हो कि नहीं और देखो अपना सब कुछ तुम्हे दे दिया."
" अगर मैं कहूँ कि मैं शादीशुदा हूँ तो ?" उसने अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लाते हुए पूछा.
" तो क्या? मेरी किस्मत. अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो. चाहे जिस रूप मे मुझे स्वीकार करो" मेरी आँखें नम हो गयी.
" जब सब सोच ही लिया तो फिर तुम जब चाहे फेरों का बंदोबस्त कर लो. मैं अपने घर भी खबर कर देता हूँ." उसने कहा.
" येस्स्स!" मैने अपने दोनो हाथ हवा मे उँचे कर दिए फिर उस पर भूकी शेरनी की तरह टूट पड़ी. इस बार उसने भी मुझे अपने ऊपर खींच लिया. एक और मरथोन राउंड चला. इस बार मैं उस पर चढ़ कर उसके लंड पर चढ़ाई कर रही थी. अब शरम किस लिए ये तो अब मेरा होने वाला शोहार था. काफ़ी देर तक करने के बाद उसने मुझे चौपाया बना कर पीछे से अपना लंड डाल कर धक्के मारने लगा. मेरी नज़र सिरहाने की तरफ डॉक्टोरेस्सैंग टेबल पर लगे मिरर पर गया. बड़ी शानदार जोड़ी लग रही थी. वो पीछे से धक्के लगा रहा था और मेरे बड़े बड़े उरोज़ आगे पीछे उच्छल रहे थे. मैं पोज़िशन चेंज कर के मिरर के सामानांतर अगाई. उसका मोटा काला लंड मेरी चूत मे जाता हुआ काफ़ी एग्ज़ाइटिंग लग रहा था. मैं एक के बाद एक कई बार लगातार अपना पानी छोड़ने लगी. लेकिन उसका तब भी नही निकला था. उसके बाद भी वो काफ़ी देर तक करता रहा. फिर उसने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. उसका वीर्य मेरी योनि से उफन कर बिस्तर पर गिर रहा था. वो थक कर मेरे उपर गिर पड़ा. मैं उसके वजन को अपने हाथों और पैरों के बल सम्हल नही पाई और मैं भी उसके बदन के नीच ढेर हो गयी. हम दोनो पसीने से लथपथ हो रहे थे. कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे.
" तुम खुश तो हो ना?" मैने उससे पूछा.
" तुमसा साथी पा कर कौन नही खुश होगा." राज शर्मा ने कहा, "हर बच्चा परी के सपने देखता है मगर मुझ को तो सक्छात परी मिल गयी" .
फिर हम दोनो उठ कर साथ साथ नहाए. तैयार होकर मैं खाना बनाकर उसे अपने हाथों से खिलाई. और उसने मुझे खिलाया. फिर वापस हम बेडरूम मे आ गये. रात भर राउंड पर राउंड चलते रहे. सुबह तक मेरा तो उसने बुरा हाल कर दिया था ऐसा लग रहा था मानो मुझे मथ्नि मे डाल कर मठ दिया हो. चूत का हाल तो बहुत ही बुरा था. पहले ही मिलन मे इतनी घिसाई तो उसके हिम्मत तोड़ने के लिए काफ़ी थी. लाल होकर फूल गयी थी. फोड़े की तरह दुख रहा था. सुबह तक तो मुझमे उठकर खड़े होने की ताक़त भी नहीं बची थी. सुबह 6.0 ओ'क्लॉक को वो उठा और तैयार होकर मेरे मकान से निकल गया जिससे किसी को पता नही चले. जाने से पहले मुझे होंठों पर एक चुंबन देकर उठाया.
"मत जाओ अब मुझे छोड़कर" मैने उस से विनती की.
"अजीब पागल लड़की है" उसने कहा, "पहले शादी हो जाने दो फिर बाँध लेना मुझे."
" सहारा देकर उठा तो सकते हो."
उसने मुझे सहारा देकर उठाया. उसके जाने के बाद मैं सोफे पर ढेर हो गयी. सुबह मुझ से मिलने मेरी एक मात्र सहेली रचना आई.
"क्या हुआ मेरी बन्नो?" मैने अपना हाल सुनाया तो वो भी खुश हुई. लेकिन जब राज शर्मा के काम काज के बारे मे सुना तो कुछ मायूस हो गयी. लेकिन मैने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करती हूँ और हम दोनो मिलकर ग्रहस्थी की गाड़ी खींच लेंगे. तब जाकर वो कुछ अस्वस्थ हुई.
मुझे काफ़ी टाइम लगा अपने परिवार वालो को मनाने मे लेकिन आख़िर मे जीत मेरी ही हुई. मेरे घरवालों ने समझाने की कोशिश की मगर मेरा निश्चय देख कर शांत हो गये.
महीने भर बाद हम दोनो ने एक सादे स्मरोह मे मंदिर मे जाकर शादी करली. मैने ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो की जल्दी ही आगेया. नये जगह जाय्न करने के बाद मैने शादी का अननौंसेमेट किया. तबतक मैं ऑलरेडी 3 मंत्स प्रेग्नेंट थी. रचना ने भी मेरे साथ ही सेम जगह ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो कि मंजूर होगया. राज शर्मा ने एक छोटी मोटी सी नर्सरी खोल ली.
मेरे साथ मेरी प्यारी सहेली रचना का भी ट्रान्स्फर उसी जगह हो गया था जो कि हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात थी. राज ने नयी जगह पर एक नर्सरी खोल ली. जो कि उसकी महनत से अच्छा चल बैठा. मेरी पहली प्रेग्नेन्सी जो कि शादी से पहले ही हो गयी थी मिसकॅरियेज हो गया. हम दोनो बच्चों के मामले मे कोई भी जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे. इसलिए हम ने शादी के बाद काफ़ी सुरक्षा के साथ ही संभोग किया. रचना और राज शर्मा मे काफ़ी चुहल बाजी चलती रहती थी. जिसमे मुझे मज़ा आता था.
कुछ दिनो बाद रचना की शादी वहीं पास के एक फॉरेस्ट ऑफीसर अरुण से हो गयी. रचना यू.पी. से बिलॉंग करती थी. अरुण बहुत ही हँसमुख और रंगीन मिज़ाज आदमी था. उसकी पोस्टिंग हमारे हॉस्पिटल से 80 किमी दूर एक जंगल मे थी. शुरू शुरू मे तो हर दूसरे दिन भाग आता था. कुछ दिनों बाद हफ्ते मे दो दिन के लिए आने लगा. हम चारों आपस मे काफ़ी खुले हुए थे. अक्सर आपस मे रंगीले जोक्स और द्वियार्थी संवाद करते रहते थे. उसकी नज़र शुरू से ही मुझ पर थी. मगर ना तो मैने उसे कभी लिफ्ट दिया ना ही उसे ज़्यादा आगे बढ़ने का मौका मिला. होली के समय ज़रूर मौका देख कर रंग लगाने के बहाने मुझसे लिपट गया था और मेरे कुर्ते मे हाथ डाल कर मेरी चुचियों को कस कर मसल दिया था. इससे पहले कि वो और आगे बढ़ता मैं उसके चंगुल से निकल कर भाग गयी थी. उसकी इस हरकत पर किसी की नज़र नहीं पड़ी थी इसलिए मैने भी चुप रहना बेहतर समझा. वरना बेवजह हम सहेलियों मे दरार पड़ जाती. मैं उससे ज़रूर अब कुछ कतराने लगी थी. मगर वो मेरे निकट ता के लिए मौका खोजता रहता था.
क्रमशः........................
gataank se aage....................
Main uske paas aakar dono pairon ko phaila kar uski god me baith gai. Uske sir ko pakad kar aapni ek chaati par daba diya.
"Lo choomo ise. Ye sirf tumhare liye hain. Kya ab bhi tumhe lagta hai ki humare beech kisi tarah ki koi deewaar hai?" uske honth mere stano par fir rahe the.
"bra kholdo" maine uske kaano me phusphusate hue kaha. Magar use koi harkat karta nahin dekh kar maine khud hi bra ko shareer se alag kar diya. Aaj main itni uttejit thi ki jaroorat padane par Raj sharma ko rape
bhi karne ko taiyaar thi.
" Dekho ye kitne betaab hain tumhare honthon ke. Kitne dino se tadap rahi thi……" Kahkar maine uske honthon se apne nipple sata diye. Pahle Wo thoda jhijhka fir dheere se uske honth khule aur mera ek nipple munh me pravesh kar gaya. Wo apne jeebh se nipple ke tip ko gudgudane laga.
"Kaise hain?" maine shararat se poochha.
Uska munh me mere nipple hone ke karan sirf "ummmm" jaisi awaj hi nikali.
"mujhe kuch bhi samajh me nahi aya. Theek se kaho. Mujhe sunna hai."
Usne apne munh ko uthaya aur mere honthon se do inch door apne honth lakar dheere se kaha. "bahut achche. Maine kabhi itni haseen sathi ki kalpana bhi nahi ki thi. Main ek gareeb…." Maine apne hath uske munh par rakh kar age bolne nahi diya.
"bus ab mujhe sirf pyaar karo. Maine apni jindagi me kabhi apne jajbaaton ko awara hone nahi diya. Magar aaj main jhoomna chahti hoon. Aaj sirf pyaar pana chahti hoon tumse." Usne wapas apne honth mere stano par laga diye. Maine uske sir ko apni dono chuchiyon ke beech ki khai me daba diya.
" aah haaan plsss. Haaaan aaaj mujhe nichoood looo.poora raas peeee jaooo. " main uske baalon me haath firate hue budbudane lagi. Usne mere nipple ko apne munh me daal kar tej tej choosne laga. Main "aaaaaaaaaaaaahhhhh h ummmmmmm offffffffoooo" jaisi awajen apne munh se nikaal rahi thi. Main uske doosre haath ko aapne doosre breast par rakh kar dabaane lagi. Kuch der baad usne dusre nipple ko choosna shuru kar diya uske haath mere badae par ghoom rahe the. Sparsh itna halka thaa maano shaareer par koi rui fira raaha ho.
Kuch der bad usne munh utha te hue kaha, " Madam….Raadha aab bhi samhal jaiye ab bhi wakt hai. Ham me aaur aapme jameen asman ka firq hai." Main ek jhatke se uthi. Apne shareer se akhri vastra bhi noch daala. Uske samne ab main bilkul nivastr thi jabki wo poore kapdon me tha. Mera chehra gusse me lal surkh ho raha tha.
"Dekho is shareer ki ek jhalak pane ke liye kai log bechain rahte hain aur aaj main khud tumhare samne besharm hokaar nangi khadi hoon aur tum mujh se door bhag rahe ho." Maine kaha, "agar kisi koi mujhe is tarah ki harkaten karte huye dek le to use apni ankhon par wisvaas nahin hoga. Mujhe sab kathor, thandi aur magroor ladki samajhte hain. Aur tum?…dekho kis tarah mujhe apne samne nirlajj hokar gidgidane par majboor kar rahe ho. Agar itna hi sochna tha to pahle din hi mujhse door ho jate. Kyon hawa di tumne mere jajbaaton ko?"
maine uska haath pakad kheench kar utha diya aur lagbhag kheenchte hue beDoctoroom me le gai. Use bed ke paas kahda kaar ke main uske kapdon par aise toot padi mano koi bhookha kisi swadist khane ko dekh kar
toot parta hai. Kuch hi der me wo bhi meri hi halaat me agaaya.
Aaj pahli baar maine use poori tarah nagn awastha me dekha tha. Cabin me ane ke baad wo hamesha badan par payjama pahna rahta tha. Jise dheela karke main uske lund ko pyaar karti thi. Maai use ek jor ka dhakka dekar bistar par gira diya. Use bistar par patak kar main us par chadh baithi. Uske shareer ke ek ek ang ko choomne chaatne lagi. Uske nipples ko daanton se halke se kat diya. Uske honthon se apne honth ragad te hue apni jeebh uske munh me de diya. Wo bhi meri jeebh ko choosne laga. Mere haath uske lund ko sahla rahe the.
Maine uske pairon ke angoothe aur ungliyon ko choomte huye upar badhne lagi. Upar ate ate mere honth uski tangon ke jod tak pahunch gaye. Maine apni jeebh nikal kar uske andkoshon par firana shuru kiya. Maine ab apna dhyan uske lund par kar diya. Pahle uske lund ko chooma fir use munh me le kar choosne lagi. Lund ka size badh kar lamba aur mota ho gaya. Uska size dekh kar ek baar to main sihar gayi thi ki ye danav to meri yoni ko phad kar rakh dega.
"baahut hi sshitaan hai ye. Isne mujhe aisa rog lagaya ki ab ye mera nasha ban gaya hai. Aaj main ise thanda karoongi apne paani se." fir maine unko ulta karne ki koshish ki to unhon ne khud hi karwat badal kar pet ke bal let kar meri koshish asaan kar di. Main ab apne honthon ko unki peeth par chalane lagi. Mehnat ka kaam karte rahne ke karan unke badan bahut hi balishth aur sakht tha. Mujhe apne komal badan ko unke badan se ragadne me maja a raha tha aisa lag raha tha mano main apne badan ko kisi deewar se ragad rahi hoon. Maine unki poori peeth par aur unke nitambon par apni jeebh fira kar unko khoob pyaar kiya.
Kafi der taak hum dono ek doosre ke badan se khelte rahe. Fir main uski taraf dekh kar boli, " Aaj main apna kaomarya tumhen bhent kar rahi hoon. Isse mahngi koi cheej mere paas nahin hai. Ye mere dil me tumhare liye kitna pyaar hai use darshati hai. Please mujhe ladki se aaj aurat bana do."
Maine use chit litakar uska khade lund ke dono or apne ghutno ko mod kar baithi. Maine unke lund ko apne choot ke muhane paar rakh kar unke lund par batihne ke liye jor lagai magar anari hone ke karan evam meri choot ka size chhota hone ke karan lund andar naahin ja paaya. Maine fir apni kamar uthakar uske lund ko apne haathon se set kiya aur sharir ko jor se neeche kiya magar fir uska lund fisal gaya. Maine jhunjhla kar uski or dekha.
"Kuch karooo naaaa. kaise aadmi ho tab se main koshish kar rahi hoon aur tum chup chap pare hue ho. Kya ho gaya hai tumhe." Tab jaakar usne apni jhijhak ko khatm kar ke mujhe bistar par paatak diya. Meri tangon ko chouda kar ke meri chut ko choom liya.
" ye hua na asli mard. Wah mere sher! Masal do mujhe. Meri saari garmi nikaal do" Usne apni jeebh nikal kar meri yoni me ghusane laga maine apne dono hathon se apni yoni ke fankon ko chauda karke uski jeebh ka swagat kiya. Wo meri yoni me jeebh firane laga. Ek tej sihran si poore badan me daudne lagi. Mujhe lagne laga ki ab wo uthe aur mere yoni me chal rahi khujli ko shaant kar de. Main apne hathon se uske sir ko apni yoni par dabane lagi. Is koshish me meri kamar bhi bistar chod kar uski jeebh ko pane ke liye upar uthne lagi.
kafi der tak meri geeli choot par jeebh firane ke baad wo utha. Main to uske jeebh se hi ek baar jhad gayi.
"Raaaaaaj bus aur nahi. Pleeeeese ab aur mat satao. Ab bus mujhe apne lund se fad dalo. Aaaaahhh Raaaaaaj aaaj mujhe pataa chalaa ki isme kitnaa majaa chhipa hota hai. Mmmmmmmm" Usne meri taangon ko utha kar apne kandhe par rakha aur apne lundko meri tapakti choot paar rakh kar ek jor daar dhakka mara.
" aaaaaaaaaah uuuuuuuuiiiiiiii maaaaaaaa" uska lund rasta banaata hua age badhkar mere kaumarya ki jhilli par ja ruka. Usne meri or dekh kar ek muskurahat di.
"ye tumhare liye hai meri jaaan tumahre liye hi to bacha kar rakha tha. Lo is parde ko hata kar mujhe apna lo."
Aab usne ek aur jor daar dhakka mara to poora lund mere andar phadta hua sama gaya. "ooooooof maaar hii daloge kyaaaa? Uuuuuiiiiiiiii maaaa margayi" main buri tarah tadapne lagi. Wo lund ko poora aandar daal kar kuch der rukaa. Apne lund ko usi awastha me rok kar wo mere upar let gaya. Wo mere honthon ko choomne laga. Maine bhi age badh kar uske honth apne danto ke beech daba kar use choomne lagi. Is tarah mere dhyan yoni se uth rahi dard ki lahron ki taraf se hat gaya. Main uttejit to poori tarah hi ho rahi thi. Maine apne lambe nakhoon uski peeth par gada diye. Jisse halka halka khoon risne laga tha.Dheere dheere mera dard gayab ho gaya. Usne apne lund ko poora bahar nikal kar mujhe sir se pakad kar kuch uthaya aur apne lund ko dikhaya. Lund par khoon ke kuch katre lage huye the. Main khushi se jhoom uthi. Maine apne hathon se uske lund ko pakad kar khud hi apni tange chaudi kar ke apni yoni me daal liya. Usne wapas apne lund ko jad tak meri yoni me daal diya.
Usne lund ko thoda bahar nikal kar wapas andar daal diya. Phir to usne khoob jor jor se dhakke lagae. Main bhi poori jor se neeche se uska saath de rahi thi. Andar bahar andar bahar jabardast dhakke lag rahe the. 45 min ke baad Wo mere andar dher sara virya udhel diya. Main to tab taak teen baar nikaal chuki thi. Wo thaak kar mere shareer par let gaya. Main to uski mardangi ki kayal ho chuki thi. Hum ek doosre ko choom rahe the aor ek doosre ke badan par hath fira rahe the.
Kuch der baad Wo bagal me let gaya main us halat me uske seene ke oopar apna sir rakh kar uske seene ke baalon se khelne lagi.wo mere baalon se khel raha tha.
" Thank u" maine kaha "main aaj bahut khush hoon. Mere eke k ang tumhari mardangi ka kayal ho gaya hai. Mujhe ladki se aurat banana wala ek jabardast lund hai. Jiske dhakke khakar to meri haalat patli ho gayi. Magar khush mat hona aaj sari raat tumhari barabadi karoongi." Wo muskura raha tha.
"kyon man nahi bhara ab bhi?" usne muskurate huye poochha.
"itni jaldi kabhi man bhar sakta hai kya?" wo mere nipples se khelte huye hansne laga.
Maine uski ankon me jhankte hue poochha, " aab bolo mujh se pyar karte ho? Dekho ye chadar hum dono ke Milan ki gawah hai." Maine chadar par lage khoon ke dhabbon ki or ishara kiya. Usne sir hilaya.
"Mujhse shaadi karoge? Dhaat maai bhi kaisi pagli hoon aaj tak maine to tumse poochha bhi nahin ki tum shadishuda ho ki nahin aur dekho apna sab kuch tumhe de diya."
" agar main kahoon ki main shaadishuda hoon to ?" Usne apne honthon par ek kutil muskaan late hue poochha.
" To kya? meri kismat. Ab to tum hi mere sab kuch ho. Chahe jis roop me mujhe sweekar karo" meri aankhen naam ho gayee.
" Jab sab soch hi liya to fir tum jab chaahe pheron ka bandobast kar lo. Main apne ghar bhi khabar kar deta hoon." Usne kaha.
" Yesssss!" maine apne dono haath hawa me unche kar diye fir us par bhuki sherni ki tarah toot padi. is baar usne bhi muje apne oopar khinch liya. Ek aur marathon round chala. Is baar main us par chadh kar uske lund par chadhai kar rahi thi. Aab sharam kis liye ye to aab mera hone wala shohar tha. Kafi der tak karne ke baad usne mujhe chaupaya bana kar peeche se apna lund daal kar dhakke maarne laga. Meri nazar sirhane ki taraf Doctoressing table par lage mirror par gaya. Badi shandar jodi lag rahi thi. Wo peechhe se dhakke laga raha tha aur mere bade bade uroz age peechhe uchhal rahe the. Main position change kar ke mirror ke samanantar agai. Uska mota kala lund meri choot me jata hua kafi exciting lag raha tha. Maine ek ke baad ek kai baar lagatar apna paani chodane lagi. Lekin uska tab bhi nahi nikla tha. Uske baad bhi wo kafi der tak karta raha. Fir usne dher sara veerya meri yoni me daal diya. Uska veerya meri yoni se ufan kar bistar par gir raha tha. Wo thak kar mere upar gir pada. Main uske wajan ko apne hathon aur pairon ke bal samhal nahi payee aur main bhi uske badan ke neech dher ho gayi. Hum dono paseene se lathpath ho rahe the. Kuch der tak ek doosre ko choomte hue lete rahe.
" tum khush to ho na?" maine usse poochha.
" tumsa saathi pa kar kaun nahi khush hoga." Raj sharma ne kaha, "har bachcha pari ke sapne dekhta hai magar mujh ko to sakchhat pari mil gayee" .
Fir hum dono uth kar saath saath nahaye. Taiyaar hokar main khana banakar use apne haathon se khilayi. Aur usne mujhe khilaya. Fir wapas hum beDoctoroom me agaye. Raat bhar round par round chalet rahe. Subah tak mera to usne bura haal kar diya tha aisa lag raha tha mano mujhe mathni me daal kar math diya ho. Choot ka haal to bahut hi bura tha. Pahle hi Milan me itni ghisai to uske himmat todne ke liye kafi thi. Laal hokar fool gayi thi. Fode ki tarah dukh raha tha. Subah tak to mujhme uthkar khade hone ki taqat bhi nahin bachi thi. Subah 6.0 o'clock ko wo utha aur taiyaar hokar mere makan se nikal gaya jisse kisi ko pata nahi chale. Jaane se pahle mujhe honthon par ek chumban dekar uthayaa.
"mat jaao ab mujhe chodkar" maine us se vinti ki.
"Ajeeb pagal ladki hai" usne kaha, "pahle shaadi ho jaane do fir baandh lena mujhe."
" Sahara dekar utha to sakte ho."
Usne mujhe sahara dekar uthaya. Uske jaane ke baad main sofe par dher ho gayi. Subah mujh se milne meri ek matr saheli Rachna ayi.
"Kya hua meri banno?" maine apna haal sunaya to wo bhi khush hui. Lekin jab Raj sharma ke kaam kaaj ke bare me suna to kuch mayoos ho gayee. lekin maine usse kaha ki main usse pyaar karti hoon aur hum dono milkar grahasthi ki gadi kheench lenge. Tab jakar wo kuch aswasth hui.
Mujhe kafi time laga apne padivaar walo ko manane me leki akhir me jeet meri hi hui. Mere gharwaalon ne samjhane ki koshish ki magar mera nishchaya dekh kar shant ho gaye.
Maheene bhar baad hum dono ne ek saade smaroh me mandir me jakar shaadi karliya. Maine transfer ke liye apply kiya jo ki jaldi hi agaya. Naye jagah join karne ke baad maine shadi ka announcemet kiya. Tabtak main already 3 months pregnant thi. Rachna ne bhi mere saath hi same jagah transfer ke liye apply kiya jo ki manjoor hogaya. Raj sharma ne ek choti moti si nursery khol li.
Mare saath meri pyaari saheli Rachna ka bhi transfer usi jagah ho gaya tha jo ki humaare liye bahut hi khushi ki baat thi. Raaj ne nayi jagah par ek nursery khol li. Jo ki uski mahnat se achcha chal baitha. Meri pehli pregnancy jo ki shadi se pahle hi ho gayi thi miscarriage ho gaya. Hum dono bachchon ke mamle me koi bhi jaldi baaji nahin karna chahte the. Isliye humne shaadi ke baad kaafi suraksha ke saath hi sambhog kiya. Rachna aur Raj sharma me kafi chuhal baji chalti rahti thi. Jisme mujhe maja ata tha.
Kuch dino baad Rachna ki shaadi waheen paas ke ek forrest officer Arun se ho gayi. Rachna U.P. se belong karti thi. Arun bahut hi hansmukh aur rangeen mijaj aadmi tha. Uski posting hamare hospital se 80 kms door ek jungle me thi. Shuru shuru me to har doosre din bhag ata tha. Kuch dinon baad hafte me do din ke liye ane laga. Hum chaaron apas me kaafi khule huye the. Aksar apas me rangeele jokes aur dwiarthi samvad karte rahte the. Uski najar shuru se hi mujh par thi. Magar na to maine use kabhi lift diya na hi use jyada age badhne ka mauka mila. Holi ke samay jaroor mauka dekh kar rang lagane ke bahane mujhse lipat gaya tha aur mere kurte me hath daal kar meri chuchiyon ko kas kar masal diya tha. Isse pahle ki wo aur age badhta main uske changul se nikal kar bhag gayee thi. Uski is harkat par kisi ki najar nahin padi thi isliye maine bhi chup rahna behtar samjha. Warna bewajah hum saheliyon me darar par jaati. Main usese jaroor ab kuch katrane lagi thi. Magar wo mere nikat ta ke liye mauka khojta rahta tha.
KRAMASHASH....................
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