Wednesday, February 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI ऑफिस की लड़कियाँ --1

FUN-MAZA-MASTI


ऑफिस की लड़कियाँ --1

अब भाई लोगों, जैसा मैंने आपसे पहले बोला था, मेरी सोच वक़्त में थोड़ी आगे पीछे जाती रहेगी. आप लोग सोच रहे होंगे, ऐसा क्या चौदु आदमी है जो इतनी लडकियां छोड़ बैठा है, तो मैं सिर्फ ये कहूँगा के अगर सिर्फ लडकियां चोदने की बात रहती तो ठीक है लेकिन ज़िंदगी में और भी काफी चीज़ें हैं, जो आपके पास हैं लेकिन मेरे पास नहीं. मेरी ज़िन्दगी सिर्फ चोद का प्रकरण बन कर रह गयी है. लेकिन उम्मीद है के इससे आपका मनोरंजन हो रहा होगा. कई बार कहानियां लिखते लिखते खड़ा हो जाता है तो या तो मुठियाना पड़ता है या किसी पुरानी महबूबा या रंडी के ठिकाने पे पहुँच जाता हूँ. खैर, सफाइयां बाद में, पहले आपको अपनी अगली कहानी सुनाता हूँ. ये कहानी उन दिनों की है जब मैं ऑफिस में नया नया मेनेजर बना था. छोटी कंपनी थी, तो काफी ज़िम्मेदारी थी. अपने डिपार्टमेंट में लोगों को मैं ही भर्ती करता था. मुझे जानते हो समझ ही गए होंगे के मैंने माल लडकियां ठूंस ठूंस के भर राखी होंगी. खैर, केवल दौ लडकियां थी. लेकिन माल थी दोनों- एक मेरी सेक्रेटरी – दिल्ली की एकदम तेज़ और कॉलेज से ताजा निकली हुई लडकी और दूसरी चंडीगढ़ से- मेरे डिपार्टमेंट में इंटरप्रेटर का काम करती थी – यानी के जापानी से इंग्लिश और इंग्लिश से जापानी में ट्रांसलेट करती थी. दिल्ली वाली का नाम दिया शर्मा और चंडीगढ़ वाली का नाम अखिला बत्रा. दोनों बहुत ही सुन्दर, गौरी चिट्टी. दिया थोड़े पतले फ्रेम की- साढ़े पांच फूट लम्बी, एकदम मस्त फिगर – गौल गौल गांड, तीखे फीचर, एकदम पतली कमर, लेकिन मम्मे छोटे छोटे. ऊपर से शक्ल ऐसी के एकदम ताजा और नाजाकत से भरी. जब भी वो अपनी टाईट जीन पहन के आती थी, मैं उसको बार बार ऑफिस में बुलाता रहता था और जब वो उठ के जाती थी तो उसकी मचलती गांड को घूरता रहता था. अब ऐसी बातें छिपती नहीं हैं. उसने भी जाते जाते ऑफिस के दरवाजे में मुड़ के खड़े होके बातें करनी शुरू कर दी. अब हर बार यही होता – मैं उसे ऑफिस में बुलाता, थोड़ी देर बात होती, फिर जाते जाते वो दरवाजे में खड़ी हो जाती, मेरी और गांड करके और टाँगे क्रॉस कर लेती ताकि गांड पे और ज्यादा ध्यान जाए. बार बार मेरी नज़रें उसके मुस्कुराते चेहरे से फिसल फिसल के उसकी गांड पे आ गिरती. उसके जाने के बाद मैं देर तक लंड सहलाता रहता.
अखिला भी कोई कम माल नहीं थी, दिया से कोई ३-४ इंच लम्बी और भरे भरे मम्मे, मस्त गौल गुन्दाज गांड और बीच में लम्बी, पतली कमर, भरे भरे होंठ ऐसे के बस बैठ के या तो चूसते रहो या लंड मुंह में देके चुसाते रहो. जापानी कंपनी के साथ काम करके थोड़ी थोड़ी जापानी मुझे भी आती थी लेकिन मैं जब भी मौका मिलता था, बहाने से अखिला को बुला के कोई कांट्रेक्ट या ड्राइंग खोल के ट्रांसलेट करने बुला लेता था. वो अपनी कुर्सी एकदम मेरे साथ लगा के मेरे साथ बैठ जाती थी और मैं लंड खड़ा होने के कारण १० मिनट तक उठने लायक नहीं रहता था. उसका मुंह मेरे मुंह के इतने नजदीक होता था के बस ज़रा सा झुकूं तो किस्स हो जाए, लेकिन ऑफिस है सो सावधान रहना पड़ता था. ऊपर से उसकी मंगनी अभी हुई थी तो सोचा के ज्यादा चांस नहीं है. खैर मेरे जैसे तजुर्बेकार को पता होना चाहिए के ये सब चुदाई के रास्ते में नहीं आता. मेरे ऑफिस में और भी लोग थे, लेकिन मैं ही अकेला मेनेजर था और मेरे ही पास ओपेल एस्ट्रा कार थी, सो टौर मेरे ही थे. मैं लगातार दोनों को लाइन डालता रहता के कोई तो फंसे नहीं तो ऐसे ही देख देख के मजे लेते रहने में भी कोई हर्ज नहीं था मुझे. थी दोनों सहेलियां लेकिन मैं अनजाने में उनके बीच आ गया जिसका नतीजा आप थोड़ी देर में जान ही जायेंगे – कुछ अच्छा कुछ बुरा. शुरू ये कुछ इस तरह हुआ के मैं अखिला के साथ बैठा कुछ पेपर ट्रांसलेट कर रहा था के दिया आ गयी. जाते जाते उसने थोडा फ्लर्ट मारा-”बॉस कभी घुमाओ वुमाओ यार” तो मैंने कहा – “कोई नहीं शाम को क्लब चलते हैं.” दिया ने दरवाजे में अपने उसी अंदाज में खड़े होके मेरी और मुस्कान दी, अंगडाई सी दी और मेरी नज़र उसकी गांड पे जा पहुँची, बोली – “हाँ हाँ, जैसे ले जाओगे”. “अब की बार सच्ची ले जाऊंगा, मैं बुला.” मेरे कंधे पे हल्का सा एक नर्म और गर्म स्पर्श हुआ और अखिला बोली – “मुझे भी ले चलोगे?” था तो हल्का सा मजाक, लेकिन मेरी और झुकते हुए अखिला का मम्मा मेरे कंधे से रगड़ा गया था. मैं थोडा चौंक गया, अखिला संभली लेकिन दिया को नज़र आ गया. बोली – “हाँ, बॉस, दोनों को ले चलो”, फिर जाते जाते उसने आँख मारी और निकल गयी.
मुझे उसके बाद ज्यादा समझ में आया नहीं क्या करूं, श्याम को घर जाके मुठ्ठी मारी दोनों के नाम की तब जी को चैन पड़ा. फिर मैंने एक प्लान बनाया और उस प्लान के तहत काम करना शुरू कर दिया. अब तक मुझे एकदम साफ़ नज़र आ गया था के दोनों लडकियां चुदने पे आमादा हैं, लेकिन ऑफिस से बाहर मिलें तो कैसे. और वैसे भी पहले धीरे धीरे शुरुआत करने से गलतफहमी होने की सम्भावना कम रहेगी. अब मैं पूरा पलान बना के अगले दिन एकदम तैयार ऑफिस पहुँच गया. अखिला को अपने कमरे में बुला के पहले इधर उधर की बातें की, साथ में हिंट देता रहा पूछा के क्या किया कल रात, शनिवार को क्या कर रही है, वगैरा. एक बार भी उसने अपने मंगेतर का नाम लेके मूड खराब नहीं किया. फिर मैंने अपनी ड्राइंग्स खोली, और उसे अपने पास बैठाया. इस बार मैंने अपने कुर्सी उसकी कुर्सी के नजदीक खिसका ली. ड्राविंग बीच में रख के मैं थोडा और झुक कर अखिला के चेहरे के नजदीक अपना चेहरा ले आया. वो भी थोड़ी और नजदीक आ गयी. मैंने अपनी कोहनी उसकी और झुका दी तो उसने भी सट से अपना चूचा मेरे बाजू से लगा दिया. मैं थोड़ी देर ऐसे ही काम की नौटंकी करते हुए अपने बाजू से उसका मम्मा सहलाता रहा. उसका मम्मा पकड़ने की हिम्मत न हुई के कहीं कोई आ ना जाए. इतना सोचते ही दरवाजे पे किसी ने दस्तक दी, दिया थी. अन्दर आ के उसे माजरा समझ में आ गया.
मेरे बाजू से अखिला का मम्मा रगड़ते देख के वो थोड़ी झिझकी, लेकिन मैंने उसे अन्दर बुला लिया. “यार, मेरे बॉम्बे वाला इंस्पेशन कब है?”, मैंने पूछा तो बोली – “अगले हफ्ते, जाओगे क्या?”. मैंने बहाना बनाया – “हाँ, देख के लग रहा है जाना पड़ेगा, शायद अखिला को भी जाना पड़े, ट्रांसलेट करने के लिए.” अखिला के मम्मों का हिलना मुझे अपने बाजूवों पर महसूस हुआ. “चलोगी, अखिला?” मैंने पूछा. वो बोल पाती या बहाना बना पाती, उससे पहले मैंने कहा – “मेरी गर्लफ्रेंड भी आजकल बॉम्बे में है, तुम मिल भी लेना.” “ओह कूल, ज़रूर, बॉस.”, अखिला बोली. “आपकी गर्ल फ्रेंड?”, दिया ने पूछा और अपने दोनों हाथ मेरे टेबल पे रख के मेरी और झुक गयी. उसकी बाहों के बीच में दब के मम्मे बीच में इकठ्ठे हो गए थे. वो थोड़ी और नीचे झुकी और मैं उसके शर्ट के ऊपर से झाँक पाया उसके मम्मे – एकदम दूधिया, चिकने और चमकदार, और इतने छोटे भी नहीं थे जितने मैं समझ रहा था. मैंने कहा – “हाँ, शिल्पा नाम है. तुमसे भी मिलवाऊंगा कभी.” खैर, ज्यादा कुछ नहीं उस दिन, बस अगले हफ्ते तक रोज़ अखिला के मम्मे अपने कन्धों से रगड़ते रहा. बॉम्बे का सिर्फ दौ दिन का टूर था, मतलब सिर्फ एक रात. अब मेरे पास मौका बहुत कम था- एक रात में अखिला की चुदाई कर पाऊँ तो कर पाऊँ, वापिस आ के दिया की नज़रों से छिप के चोदना मुश्किल है. आप सोच रहे होंगे मेरी बॉम्बे में गर्लफ्रेंड के बारे में – वास्तव में वो मेरी गर्ल फ्रेंड नहीं एक कॉल गर्ल है, जो मॉडल भी है. ये उन दिनों बॉम्बे में बहुत चल रहा था के काफी सारी मोड़ेल्स साथ साथ कॉल गर्ल का काम भी करती थी. नयी मॉडल के रेट- १०००० रुपये दौ घंटे के और २५००० पूरी रात के. टॉप मॉडल के २५००० दौ घंटे के और ५०००० से ले के एक लाख तक पूरी रात के. मेरी पहचान वाली मॉडल थी बीच की, लेकिन मैं उसका रेगुलर ग्राहक था तो कई बार पार्टीयों में भी साथ चले जाते थे. मैंने उसको फ़ोन करके बोला के एक रात हैं वहाँ, किसी तमीज वाली पार्टी में इन्वईट करो और एक लडकी साथ में है, जो इस टाइप पार्टी में कभी आयी नहीं है, उसकी चुदाई में मदद करवाए. शिल्पा सब समझ गयी और इस प्रकार अखिला की चुदाई की पूरी तैय्यारी हो गयी.
तो दोस्तों, हम बॉम्बे अखिला के साथ पहुँच गए. दिन में क्या हुआ, उसमें तो आपका इंटरेस्ट होगा नहीं, सो रात की बात करते हैं. अखिला मेरे और शिल्पा के साथ पार्टी में जाने को तैयार हो गयी. पार्टी थी एक फाइव स्टार होटल में प्राइवेट पार्टी, जिसमें मॉडल, बी-ग्रेड एक्टर और दल्ले टाइप लोग आते हैं. बाहर वाले को लगेगा के काफी हाई-फाई पार्टी हाई, लेकिन ये ज्यादातर लोग जान पहचान के लिए आये हुए थे. लडकियां इसलिए के कहीं कोई प्रोडूसर देख ले, रात में चुदाई हो जाए और शायद किसी मूवी में ब्रेक मिल जाए, लड़के भी शायद इसी उम्मीद से आते हों. हमने उसी होटल में रात के दौ कमरे बुक कर लिए.
डिन्नर के बाद हम पार्टी पहुंचे और थोड़े ड्रिंक्स के बाद, जैसे म्यूजिक डांस टाइप होने लगा, जनता नाचने लगी. मैं और शिल्पा भी चिपक चिपक के डांस करने लगे. अखिला देख रही थी तो मैंने शिल्पा की गांड ज़रा सा दबा के अखिला की और देख के मुस्करा दिया. अगले गाने पे हम साइड में आ गए, एक और ड्रिंक के लिए. शिल्पा ने अखिला से पूछा – डांस करोगी. अखिला बोली- “पार्टनर नहीं है.” शिल्पा बोली- “चिंता न करो, आओ”. मैं साइड में अपना ड्रिंक पीता रहा और शिल्पा और अखिला एक दुसरे के सामने खड़े हो के थिरकने लगे. शिल्पा ने अखिला से कहा – “मालूम है, लड़कों को क्या पसंद आता है सबसे ज्यादा?” अखिला ने पूछा – “नहीं, बताओ”. शिल्पा ने कहा – “लडकियां एक दुसरे से चिपकते हुए.”
“सच्ची? लेस्बियन?”
“अरे यार, लेस्बियन नहीं, खाली चिपकती लडकियां, हिजड़ों का भी खड़ा हो जाए ये देख के”
अखिला थोड़ी चौंक गयी, लेकिन उसने सोचा होगा के हाई सोसायटी के लोग हैं, ऐसे ही बात करते होंगे.
शिल्पा ने अपना जाल फेंकना जारी रखा – “अभी तुम्हारे लिए डांस पार्टनर लाते हैं.” कहके उसने अपने एक हाथ से अखिला का हाथ पकड़ के बालरूम स्टाइल में अखिला को पकड़ लिया. जैसे ही दोनों के मम्मे आपस में टकराए, मेरा लौड़ा टनं खड़ा हो गया. थोड़ी देर दोनों ऐसे ही झूमती रही, फिर शिल्पा एकदम अखिला से चिपक गयी. अखिला की भी झिझक खुल गयी थी और वो मूड में आ गयी थी. दोनों एक दुसरे से चिपकी हुई थी और लोगों ने दोनों को घूरना शुरू कर दिया था. शिल्पा ने अपना हाथ अखिला की कमर के हिस्से में, जहां टॉप ख़त्म हो गया था और स्किर्ट शुरू नहीं हुआ था, यानी के नंगे हिस्से पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया. मैंने सोचा मौका अच्छा है, अब बीच में घुस जाता हूँ, लेकिन इससे पहले के मैं पहुँच पाता, कोई और आ पहुंचा. वो ६ फुटा मोटा, काला शिल्पा का दल्ला. मैं थोडा हैरान हुआ के ये यहाँ क्या कर रहा है, लेकिन थोडा पीछे हट गया. मैं दल्लों से कभी पंगे नहीं लेता.
दल्ले महाराज पीछे से नाचने की एक्टिंग करते हुए अखिला के पीछे तक जा पहुंचे. फिर झूमती हुई अखिला के कंधे पे हाथ रखा,और पीठ पर सरकाते हुए उसकी कमर में हाथ दाल दिया. अखिला थोडा दारु में, थोडा माहौल में और थोडा शिल्पा के जाल में मस्त हुई जा रही थी और उसने बिलकुल भी ध्यान न दिया. मैंने सोचा- चुद गयी आज तो ये, लेकिन मेरे से नहीं, इस मादरचोद दल्ले से. मैं सोचने लगा के क्या किया जाए.
इधर दल्ला अखिला की कमर में हाथ ड़ाल के पीछे से नाच रहा था, उधर शिल्पा सामने से. थोड़ी देर बाद शिल्पा पीछे हट गयी और एक और काला मोटा बंदा उस की जगह आ गया. अब अखिला बीच में मजे से झूम रही थी और एक हट्टा कट्टा मादरचोद उसके पीछे और एक सामने. धीरे धीरे करके दोनों उसके नजदीक आने लगे, इतने नजदीक के दोनों ने अपने अपने लौड़े से गांड पे पीछे से और उस के पेट पे आगे से रगडा रगडी करने लगे. सामने वाले ने एक हाथ से अखिला का हाथ पकड़ा और दुसरे से सामेंसे उसके कंधे पे हाथ यूँ रख लिया के पूरा बाजू अखिला के मम्मों से लगा रहे. पीछे वाले ने अपना हाथ कमर से नीचे सरका के अखिला के कूल्हे थाम लिए. दल्ला अब उसके कोमल कोमल कूल्हों को दबाने लगा और सामने वाले ने अपना हाथ नीचे करके उसके मम्मे दबोच लिए. देखने में मजा भी आ रहा था और सोच भी रहा था के कैसे बचाऊँ इसे. सारे ही लोग ऐसे चिपके हुए थे के किसी का ध्यान इनकी और जा नहीं रहा था, या फिर लोग जान बूझकर इन्हें अनदेखा कर रहे थे. मैंने सोचा साले अंडर वर्ल्ड के लोग न हों, कहाँ फंसा दिया बेचारी को. अब दोनों ने एकदम अखिला का सैंडविच बना लिया था और जोर जोर से रगड़े लगाने लगे. सामने वाले मौटे ने कई हफ़्तों की दाढी बना रखी थी, उसने अपनी दाढी अखिला के गालों पे रगडनी शुरू कर दी. अब अखिला थोड़ी बेचैन नज़र आने लगी. मैं आगे बढ़ा लेकिन शिल्पा ने रोक लिया. “ये क्या मजाक है?”, मैंने पूछा. “अरे, कोई नहीं, पूरा काम कर रही हूँ मियाँ, ये लडकी एकदम नयी है, अगर तुम इसकी लेने की कोशिश करते तो हरगिज़ कुछ न हो पाता और तुम्हारी नौकरी अलग मुश्किल में पद जाती, मेरे बन्दे इसको सेट कर देंगे फिर अपने बाप से भी चुदवा लेगी, बस मेरे साथ थोड़ी देर नाचते रहो और उसकी और देख के मुस्कुराते रगों. हम लोगों को आस पास देख के वो डरेगी नहीं.” कोई और चारा ना देख के मैं मान गया. अब सामने वाला भुसंड कहीं चला गया और पीछे वाला भुसंड अपना लंड मेरी अखिला की गांड पे लगा के उसकी कमर पकड़ के घिस्से लगाता रहा. फिर उस भुसंड ने पीछे से अखिला की कमर के चारों और अपनी बाहे लपेट दी, और घिस्से लगाना ज़ारी. अखिला ने हमारी और देखा, हम मुस्कराए, वो मुस्कराई और फिर मस्त हो गयी. दूसरे काले भुसंड का फिर आगमन हुआ, एक ड्रिंक ले के आया था अखिला के लिए. उसके बाद फिर अखिला को बीच में दबोच के दोनों बारी बारी मजे लेते रहे. फिर पीछे वाले दल्ले ने अपने घुटने मोड़ के अपने लंड को अखिला की गांड से सटाया, अपने हाथों को उसके इर्द गिर्द लपेटा और उठा लिया. तीनों हंसने लगे और सामने वाले चौदु ने अखिला के सैंडल पहने हुए पाँव उठाये और दोनों मादरचोद अखिला को यूँ ऊपर नीचे करने लगे जैसे पीछे वाला उसकी गांड मार रहा हो. देख के मेरा लौड़ा तन गया और शिल्पा के पेट पे जा चुभा. शिल्पा ने कहा- देखा, हो गए न तुम भी तैयार. मैंने शिल्पा की गांड पकड़ी और दबाने लगा, फिर मैंने आँख बंद करके दौ मिनट चुम्बन लिया होगा और आँख खुलते ही अखिला गायब, साथ में दोनों चौदु. मेरी गांड फट गयी, मैंने शिल्पा से पूछा, वो बोली- “ऊपर चलो, शिल्पा के रूम में. मुझे पता था तुम्हारे बस का नहीं है, इसलिए अपने दोस्तों को साथ लाई थी”
अब मेरे दिमाग की बत्ती जली, लेकिन मैं जब तक खुद देख न लेता, मानने वाला नहीं था. पुलिस की सोचता रहा, लेकिन सोचा के क्या बताऊंगा, कैसे लाया था शिल्पा को यहाँ. सो, कोई और चारा था नहीं. शिल्पा के साथ जल्दी जल्दी ऊपर जाके अखिला के कमरे में पहुंचे. दरवाजा खुला था और वाकई में दोनों चौदू अखिला के साथ उस कमरे में थे. मेरी सांस में सांस आयी. कमरे में हल्का हल्का सा म्यूजिक चल रहा था. दोनों दल्ले अखिला के घिस्से लगा रहे थे. दल्लों ने अपनी कमीजें उतार रखी थी, लेकिन अखिला ने अभी भी पूरे कपडे पहन रखे थे. अखिला अब एकदम मस्त हुई जा रही थी. मुझे देख के बोली, आ जाओ, मियाँ, आप ही की कमी थी. अब मैं और शिल्पा एक कौने में चिपट के चुम्मा छाती करने लगे और वो दोनों अखिला के शरीर के साथ खिलवाड़ करने लगे. थोडा ध्यान दिया तो देखा अखिला के सैंडल नहीं थे, अब वो नंगे पैर थी. फिर थोड़ी देर में, तीनों बिस्तर पे थे. दल्ला अभी भी पीछे से लौड़ा घिसा रहा था और कपड़ों के ऊपर से ही अखिला के मम्मे दबा रहा था जबकी सामने वाला पहलवान अपनी दाढी को अखिला के पेट से रगड़ रहा था. उसके पेट पे हलकी हलकी लाली नज़र आ रही थी.
अब सामने वाले पहलवान ने अखिला की टांगों पे हाथ फिराना शुरू कर दिया और अपना हाथ अखिला की स्किर्ट में ड़ाल दिया. स्कर्ट ऊपर उठती गयी, अखिला हंसती भी रही और सिस्कारियां भी भर्ती रही. शिल्पा ने मेरे हाथ में एक गोली पकड़ा दी- ये लो, वयाग्रा, घंटों लंड खड़ा रहेगा, ज़रुरत पड़ेगी, बोल के हंसी. मैंने सोचा, कहीं नींद की गोली न हो, फिर सोचा के अगर इन लोगों ने अखिला की लेनी होती तो अकेले अकेले भी ले लेते, मुझे ऊपर बुलाने की ज़रुरत नहीं थी. सोच के मैंने गोली चबा ली. लौड़ा वैसे ही फुन्कारें मार रहा था, इसलिए असर पता नहीं चला. इधर पहलवान ने अखिला की स्किर्ट उतार के उसकी पंटी उतार डाली. फिर पहलवान ने अखिला की चूत में उंगली डाली ही थी के अखिला ने बहुत जोर से आह भरी. मैंने अपनी पेंट खोली, चड्ढी उतारी और शिल्पा ने मेरा लंड पकड़ लिया. फिर शिल्पा बैठ के मेरे लंड को किस्स करने लगी. पहलवान और दल्ले ने भी अपना अपना लौड़ा निकला, और अखिला की टॉप और ब्रा खोल डाली. कमरे की लाइट में एकदम चांदनी जैसी खिल रही थी अखिला. मैरून रंग की चूत, शेव की हुई चूत, गदराई कमर और गदराये मम्मे, कम से कम ३६ साइज़ रहा होगा.अब पहलवान ने अपना लंड अखिला के होठों से रगड़ना शुरू कर दिया. अखिला ने मुंह हिला के लौड़े को चबाने की कोशिश तो की, लेकिन नाकाम रही. पहलवान ने अखिला की चूत में उंगली ड़ालते हुए इशारा किया- आ जाओ भाई. और मैंने आव देखा न ताव, लौड़ा अखिला की चूत के मुंह से लगाया और एक झटके में सर्र से अन्दर. अखिला चीख सी उठी. मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा.पीछे से नंगी होके शिल्पा भी आ गयी. उसने अपने मम्मों को मेरे मुंह पे रखा और जोर जोर से अखिला की चूचीया दबाने लगी. पहलवान ने शिल्पा को दबोच लिया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया. दल्ले ने शिल्पा के मुंह में दे दिया, लेकिन नज़र सब की अखिला पे रही.
मैंने अखिला की चूत को तरह तरह के अंदाज़ में चौड़ा. उसके मम्मों को जोर से दबाया, चबाया, उधर से शिल्पा बार बार अखिला के निप्पल चबा रही थी. पहलवान रह रह के उसकी चूचियों पे च्यूंटी मार देता था. इतना क्रूर व्यवहार देख के मेरा लंड और सख्त हुआ जा रहा था. मैंने पहले अखिला को उसकी कमर पे लिटा के चौड़ा, फिर उसे कुत्ती बना के चौड़ा, फिर उसे साइड पे लिटा के चौदा. फिर उसका सर फर्श पे, और टाँगे बिस्तर पे, ऊपर नीचे करके चौदा. चौदते चौदते थक गया तो उसके मुंह में लंड ड़ाल के चुसाने लगा. फिर उसके मम्मों को अपने लंड पे रगडा. इस बीच पहलवान ने अपनी उंगली पे एक क्रीम लगा के अखिला की गांड में घुसेड दी. शिल्पा ने आँख मारी. इन सब को पता है के मैं गांड का कितना शौक़ीन हूँ, मैंने सोचा. फिर मैं अखिला को बिस्तर पे औंधा करके उसकी गांड से लौड़ा लगाया. अखिला ने आह भरी और मेरा लौड़ा सरकते सरकते घुसता चला गया.फिर मैंने जोर जोर से अपनी पंजाबन की गांड मारनी शुरू कर दी. मैं वहशी की तरह उसके चूचों को मसलता रहा, उधर से पहलवान अखिला के चूचे को अपनी और यूँ खींच रहा था के नोंच के अपने साथ ले जाएगा. इतने सुन्दर और टाईट चूचे, के पूछो मत. एकदम रुई जैसे निप्पल, पहले मैं हाथों से उसके निप्पल रगड़ता रहा, नोंचता रहा और चुंटी मारता रहा, फिर मैंने उसकी गांड से लंड निकला और निप्पल पे रगड़ता रहा. फिर मैंने उसकी गांड से निकला लंड उसके मुंह में ड़ाल दिया. “बहन की लौड़ी, इन दल्लों से चुदना चाहती थी ना, अब अपनी गांड का स्वाद चख”, मैंने सोचा, लेकिन कहा नहीं. ऐसा मैंने ३-४ बार किया. शिल्पा ने वायग्रा न दी होती तो कब का वीर्य निकल चूका होता, लेकिन लौड़े ने फुन्फ्कारें मारते हुए अखिला के तीनों छेदों- मुंह, गांड और चूत का बहुत बुरा हश्र बनाया. फिर मैंने सोचा के टू-इन-वन करते हैं, पहलवान को बुलाया, पहलवान ने कंडम पहना, फिर पहलवान नीचे लेता, अखिला उसके ऊपर, मुंह नीचे करके, पहलवान ने उसकी चूत में लौड़ा घुसाया और मैंने उसकी गांड में. फिर दोनों ने इतनी जोर से इतनी कास के पेला, के मज़ा आ गया. मेरे और पहलवान में हौड सी लगी थी के कौन जोर से चूची दबाता है और कौन जोर से गांड चौड़ी करता है और कौन जोर से धक्के लगता है. पहलवान ने भी वायग्रा ले रखी थी! हैरानी और ख़ुशी मुझे इस बात की होती रही के अखिला मज़े ले रही थी. अब मेरी पहलवान से ऐसी यारी हुई के इस के बाद कई और लड़कियों का उद्घाटन हम ऐसे ही करेंगे, लेकिन वो कहानी बाद में.
काफी देर तक चुदाई के बाद शिल्पा ने हमे ज्वाइन कर लिया. दल्ले ने अखिला के मुंह में लंड डाला और शिल्पा ने अखिला के दोनों हाथ ठाम लिए. दल्ले ने अखिला का सर पकड़ के उसके हलक तक अपना लंड ठूंस दिया. अखिला की आँखों से आंसूं से आ गए. मैंने धक्के धीरे किये तो शिल्पा बोली- कोई बात नहीं, ये नोर्मल है. बोल के उसने अखिला की चुचियों पे अपने दांत गदा दिए. पहलवान ने भी धक्के जोर कर दिए. मेरे अन्दर का जानवर मजे ले रहे था और मैंने भी धक्के ज़ोरों से मारने शुरू कर दिए. दल्ला अपने लौड़े को अखिला के हलक तक पूरा घुसा देता, फिर पूरा निकाल लेता, साथ में लार सी निकल आती. शिल्पा हटी, उसने अपना पुर्से खोला और कपडे टांगने वाले कलिप निकाल लाई. मैंने सोचा, इसका क्या काम. मेरे देखते देखते शिल्पा ने एक एक क्लिप अखिला के निप्पलों पे लगा दी, अखिला इधर हमारे झटकों से जूझ रही थी, उधर दल्ले के लौड़े से मुंह बंद था और अब ये यातना. कसम से बहुत मजा आ रहा था. शिल्पा ने क्लिप्स ले के अखिला के नाक पे, पेट पे, कांच में, और जितनी नर्म जगह नज़र आयी, वहाँ लगा दिए. अखिला पसीने पसीने हुई जा रही थी, पूरा शरीर गौरे की बजाय एकदम लाल और जहां जहां क्लिप्स लगाई थी, वहाँ वहाँ से एकदम सुर्ख लाल. फिर शिल्पा कभी क्लिप्स को खींचती, कभी हिलाती, एकदम मजे ले रही थी. हम इधर ज़ोरों से धक्के देते रहे. थोड़ी देर बाद मैं थक गया तो मैंने कहा, अबी अकेले मैं चौदूंगा. दोनों मान गए और मैंने अखिला को साइड पे लिटाया, गांड में लंड घुसाया, हाथों से उसके शरीर पे कभी चूंटी मारी कभी उसके कूल्हों के बीचे में रख उसकी गांड खोलने की कोशिश की, कभी क्लिप्स खींची. मुझे ये बताते हुए शर्म आती अगर अखिला ने बाद में कहा न होता के उसे भी मजा आया था. खैर, जम के चुदने के बाद जब मेरा वीर्य निकला, मैंने अपना काण्डम उतारा और सारा माल अखिला के मुंह पे निकाल दिया. उसकी गर्दन कास के पकड़ी के वो थूक न पाए, और वो गतागत पी गयी. उसकी आँखों में थोड़ी नमी सी थी, शायद वीर्य के स्वाद से, शायद योन-यातना से. मैं एकदम मर सा गया, इतनी थकान हो गयी थी. मैं लेता और खर्राटे लेने लगा. थोड़ी देर में आँख खुली, दल्ला और पहलवान दोनों अखिला की आगे और पीछे से ले रहे थे. एकदम जानवरों की तरह, कभी अपने नाखून, कभी दांतों और कभी क्लिप्स से जगह जगह यातना देने से नहीं चूक रहे थे. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. अब अखिला के मुंह में देने का मेरा नंबर था.
उस रात बहुत चुदाई हुई, दोनों लड़कियों की. शिल्पा भी न बच पायी, उसका भी नंबर आया. उसकी गांड में तो पहलवान और दल्ले दोनों ने एक साथ लंड डाले. उनके घर की बात, मैं कौन होता हूँ.
अगले दिन सुबह जब अखिला की आँख खुली तो मैं एकदम तैयार था. मैंने उससे पूछा के कैसा लग रहा है, वो बोली के बहुत मजा आया पार्टी में. फिर करेंगे दुबारा. उसके शरीर पे रात भर के नोचने के निशाँ साफ़ नज़र आ रहे थे. मैं मुस्करा दिया. मुझे एक खटका हुआ लेकिन, के कहीं दल्ले और पहलवान ने उसे कोई दवाई तो नहीं पिलाई थी के उसे कुछ याद न रहे. मैंने सुना तो है के ऐसा कुछ होता है, लेकिन उसका इस्तेमाल गैर कानूनी भी है और मेरे उसूलों के खिलाफ भी. मैंने ज्यादा उस रात के बारे में कभी अखिला से बात न की, लेकिन जो मज़ा उस रात आया, बहुत कम बार आया है. और ऐसे मौकों में ज्यादातर पहलवान भी मेरे साथ था.
अगले अंक में मैं आपको बताऊंगा के अखिला ने कैसे मेरी मदद की दिया को चुदाने में.







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