Wednesday, February 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI ऑफिस की लड़कियाँ --2

FUN-MAZA-MASTI


ऑफिस की लड़कियाँ --2

 बॉम्बे से आने के बाद चुदाई का माहौल थोडा मस्त हो गया था. उस शनिवार रात को फिर अखिला के साथ घूमने का प्लान बना, जिसका अंत भरपूर चुदाई में हुआ. उसके मोटे मोटे मस्त मम्मों पे लंड रगड़ने की याद से लौड़ा हर बार सख्त हो जाता है. लेकिन असली मजा अगले हफ्ते काम पे शुरू हुआ. मैंने सुबह सुबह हमेशा की तरह अखिला को अपने कमरे में बुलाया और कुछ जापानी कागज़ खोल के बैठ गया. दोनों ड्राईंग देखने के बहाने आस पास बैठे रहे. सामने डेस्क पे कंप्यूटर और उसके पीछे मैं और अखिला आस पास कुर्सियों पे बैठे बैठे एकदम नजदीक आ गए. थोड़ी देर में मेरा हाथ उसकी टांग पर जा पहुंचा, उसने अपनी टाँगे थोड़ी खोली फिर उसका हाथ भी मेरे जांघ पे आ टिका. मैंने उसका हाथ पकड़ा के अपने खड़े लौड़े के ऊपर ला रखा. अखिला ऊपर ही ऊपर से हलके हलके मेरे लंड को पुचकारने लगी. लंड और सख्त होता गया. मैंने उसकी टांगों के बीच में अपना हाथ और अन्दर पहुंचा दिया, लेकिन अब तक चूत तक न पहुँच पाया था के दरवाज़ा खुला और दिया अन्दर आ गयी. हालाँकि वो मेरे डेस्क के सामने से ये सब नहीं देख सकती थी, लेकिन अचानक उसके आने से मैं चौंका और मैंने अपना हाथ अखिला की रानों से हटा लिया. लेकिन अखिला में मेरे लौड़े से छेडछाड चालू रखी. दिया थोड़ी इधर उधर की बात करने लगी, फिर मेरे डेस्क के झुक के बातें करने लगी – पूछा के पिछले हफ्ते की ट्रिप कैसी रही, वगैरह. उस दिन उसने कुछ ज्यादा ही लो-कट टी-शर्ट पहन रखी थी. उसकी ब्रा का तो पता नहीं चला लेकिन जब वो मेरे सामने झुकी तो उसके मम्मों के भीतर तक सब नज़र आने लगा. मेरी नज़रें उसके मम्मों की दुधिया त्वचा से फिसलती उसके मम्मों के बीच में आ टिकी. उसने झुके झुके अपने एक बाजू को अपने मम्मों के नीचे से यूँ लपेटा के मम्मे और उभर के बाहर आने लगे. इधर अखिला मेरी और कनखियों के देख के मुस्कराने लगी और उसने मुठियाना जारी रखा. मुझसे और झेला न जा रहा था और थोड़ी देर में मेरे मुंह से शब्द निकलने बंद हो गए. दिया ने पूछा- सब ठीक तो है, बॉस. मैंने कहा- हाँ, थोड़ी देर में आओ, लेकिन उसने गुफ्तगू चालू रखी. अब मेरा दिल कर रहा था के टेबल के उपर से लपक के उसकी चूचियों से चिमट जाऊं, लेकिन हिम्मत न हुई. ऐसा बहुत बार हुआ है के मैं लड़कियों की फ्लिर्टिंग का गलत मतलब ले बैठा और बेकार में चांटा खा बैठा. वैसे भी, काम पे ये सब. सो लौड़े के उफान पे शान्ति तब आयी जब मेरा वीर्य आखिर बाहर निकला. अखिला ने हलके हलके सहलाना जारी रखा. मैं बड़ी मुश्किल से हांफने पे काबू रख पा रहा था. मैंने ऊपर देख के आँखें बंद कर ली. हिम्मत नहीं हुई के आँखें खोलूँ लेकिन जब खोली तो दिया सामने मुस्करा रही थी और अखिला अभी भी मेरे भीगे लौड़े को सहला रही थी.

आँखें खोली तो देखा दिया मेरे बाजू में खड़ी थी. और अखिला अभी भी मेरा लंड सहला रही थी. दिया बोली – “बॉस, मैं भी कुछ मदद करूँ?” मैं थोडा हकलाया सा, लेकिन मेरा अश्लील दिमाग तुरंत समझ गया के इनकी मिली-भगत है. मैं अखिला की तरफ देख के मुस्कराया. मुझे अपनी किस्मत पे भरोसा नहीं हो रहा था. अब अखिला अपनी सीट से खड़ी हो गयी और दिया से बोली- “लो अब तुम्ही संभालो, अगर कुछ बचा हो”, कहके हंसी. मेरा लंड हलके हलके से फिर सख्त होना शुरू होने लगा. अब दिया मेरे बाजू में बैठी और अखिला मेरे पीछे खड़ी हो गयी. ऑफिस में चुदाई का तो माहौल बिलकुल नहीं हो पाता, लेकिन लड़कियों से टेबल के पीछे पीछे मुठीयाने से अगर कोई गलती से कमरे में आ भी जाता तो देख नहीं पाता. अब अखिला मेरे पीछे एकदम मेरे कंधे के साथ मम्मे लगा के खड़ी हो गयी. दिया मेरे साथ बैठ के मेरा लंड ऊपर ऊपर से सहलाने लगी. लंड अभी भी एकदम नर्म था. मैंने आव देखा न ताव कस के उसकी चूचियां दबोच ली. एकदम नर्म नर्म कोमल कोमल चूचियों को छू के हाथों में लर्जन सी उठ गयी. इतने जोर से चूचियां दबाई के दिया उफ्फ़ कर उठी. बोली- कोई आ जाएगा. मैंने कहा- ठीक है, लेकिन बाद में प्रोग्राम बनाना पड़ेगा. वो मेरे बैठे लौड़े को सहलाते हुए बोली, ठीक है, लेकिन मैं अकेली नहीं चलने वाली. कहके उसने अखिला की और देखा. मैंने कहा, “हाँ हाँ, तीनों चलेंगे”. जैसे मैं एहसान कर रहा हूँ. मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे, लेकिन लौड़े में अभी भी सख्ती नहीं आयी थी. वो थोड़ी देर उपर से सहलाती रही, फिर उसने लंड को थोडा टटोला. मैंने पीछे से उसकी जींस में हाथ दे दिया. उसने अन्दर बहुत ही टाईट पेंटी पहन रखी थी. उसने अपनी गांड ऊपर को उठायी पर मेरा हाथ ज्यादा अन्दर न जा पाया. दिया ने लंड टटोल के पकड़ा तो लंड में थोडा जोश सा आया. मैंने घूम के अखिला के मम्मे पे ऊपर ऊपर से अपने होंठों से हलके से चुस्की ली. लौड़े में ऐसी झनझनाहट सी उठी के दिया ने भी महसूस किया. उसने हलके से मेरे लंड को दबाया फिर उसने हलके हलके से अपने हाथ से लंड दबा के अपना हाथ ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. लौड़े में सख्ती धीरे धीरे बढ़ती गयी. एक मुठ लगाने के बाद दूसरी मुट्ठ में और भी ज्यादा आता है, इससे तो आप सहमत ही होंगे. तो ऐसी ही कुछ अपनी हालत थी. हर हलके हलके झटके से लौड़ा और उठा जा रहा था और मेरे शरीर की सारी गर्मी जैसे लौड़े में समा रही थी. मैंने अपना हाथ दिया की जींस में से निकल कर उसकी गांड के नीचे दे दिया और उसके कूल्हों को हौले हौले दबाने लगा. वो बहुत हलके हलके से सिस्कारियां लेने लगी. पीछे से अखिला मेरे कानों में हौले हौले से बोलने लगी – “बॉस, मजा आ रहा है ना”. मैं हकलाते हकलाते कुछ तो बोला हूँगा. मैंने दिया की गांड थोड़े जोर से दबानी शुरू कर दी, उसने भी मेरे लौड़े पे दबाव थोड़ा बढ़ा दिया. फिर वो मेरे कान में हलके हलके सिस्कारियां लेते हुए बोली- “बॉस, थोड़ा और जोर से, हाँ, मजा आ रहा है, वैसे ही करो जैसे अखिला के साथ किया था” मैंने हाँफते हाँफते कहा- “ज़रूर, आज रात एकदम”. कह के मैंने अपना मुंह ज़रा घुमाया और अखिला के मम्मों पे रगड़ने लगा, वो भी हल्की हल्की सिस्कारियां लेते हुए बोली- “बॉस, हम लोग कब से सोच रहे थे के तुम कोई शुरुआत करो, लेकिन तुम तो एकदम शर्मीले निकले, हमें ही करना पड़ा”. मैंने मन ही मन सोचा- “ठीक है, ऐसा सोचती है तो बढ़िया है, लेकिन मेरे से जो पूरी रात गांड मरवाई, वो मेरी शर्म का सबूत तो नहीं है”. खैर, दिया के हाथों में तेजी आती रही और मेरे लंड ने उठान मारनी शुरू कर दी. मैं ज़ोरों से दिया की गांड दबाता रहा. जींस के बाहर से भी उसकी टाईट पेंटी का साफ़ पता चल रहा था और उसकी गांड बड़ी सख्त महसूस हो रही थी. फिर दिया अपना हाथ मेरे लौड़े के एकदम निचले सिरे पे ले आयी और मैं एकदम मस्त हो गया. उसने जोर से अपने हाथों को मेरे लौड़े के निचले हिस्से पे कसा और दबाव और बढ़ा दिया, जैसे के निचोड़ रही हो. मैंने सिसकी सी लेते हुए कहा- “पूरा निचोड़ डालोगी, जानेमन”. दिया हंसी और बोली -”बॉस, जो काम आपने पकडाया है, पूरा करके ही रुकुंगी”. अखिला हंस पडी. मुझे थोड़ी करतूत सूझी. मैंने अखिला से कहा – “ज़रा दरवाजे पे खड़ी हो जाओ और नज़र रखो”. अखिला को मेरी खुराफात समझ में तो नहीं आयी लेकिन वो दरवाजे के पास खड़ी होके एक फाइल पढने की एक्टिंग करने लगी. मैंने अपनी पेंट की चैन खोली, चड्ढी नीचे सरकाई और अपने खड़े लंड को बाहर निकाला, फिर दिया का हाथ लेके अपना लंड उस में थाम दिया. फिर मैंने दिया से पूछा- “कुल्फी चलेगी?” दिया ने मेरी तरफ प्रशन्वाचक अंदाज़ से देखा, मैंने कुल्फी चूसने का मुंह बनाया और उसकी समझ में आ गया. बोली -”यहाँ?”. मैंने कहा -”हाँ मेरी जान, चिन्ता मत करो, दिया दरवाजे पे खड़ी है”. दिया नीचे फर्श पे घुटने लगा के बैठ गयी, फिर उसने मेरी टांगों को थोड़ा खोला और ठीक टांगों के बीच में बैठ गयी. जहां मैं बैठा था, वहाँ से मेरे और दिया के चेहरे के बीच में मेरा खडा लंड नज़र आ रहा था. उसने अपने हाथ से मेरे लंड को थोडा सा अपनी और खींचा और छोड़ दिया जैसे के गिटार की तार से छेड़ की हो. मेरा लौड़ा थोड़ी देर आगे पीछे होता रहा. एक सिरहन सी मेरे पेट से ले के लौड़े के सिरे तक दौड़ गयी. फिर दिया ने अपना हाथ ले के मेरे लौड़े की त्वचा को थोडा नीचे सरकाया और मेरा लाल सुपाड़ा एकदम बाहर निकल आया. फिर दिया ने हलके से मेरे सुपाडे पे पप्पी जड़ दी. आनंद से मेरी आँखें बंद हो उठी. मैंने अपना हाथ दिया के सर पे फिराया. मैंने आँखें खोली. उसके सुन्दर मासूम चेहरे पे शरारत लिखी हुई थी. हमारी आँखें एक दुसरे से मिली, मैं मुस्कुराया और मैंने अपने हाथ से उसके मुंह को अपने तने हुए लौड़े की ओर खींचा.
उसने हलके से ट्टटों के बीच में किस्स किया, फिर हलके हलके ऊपर आते आते मेरे तने हुए लंड के नीचे किस्स करते करते ऊपर सुपाडे की और आना ज़ारी रखा. उसके हर चुम्बन के साथ मेरे लौड़े को जैसे बिजली का झटका सा लगता था. उसके चुम्बन भी ऐसे, होंठ हलके हलके खुले हुए, एकदम नर्म नर्म गद्देदार और हलके से गीले गीले. ऐसे चुम्बन ले रही थी जैसे थोडा सा भी लंड पे दबाव डाला तो लंड टूट जाए. उसके गर्म गर्म सांस मेरे लंड से टकरा रहे थे. जैसे जैसे वो मेरे लौड़े के सुपाडे के नजदीक आती रही, मेरे लौड़े की छलांगें बढ़ती गयी. फिर उसने मेरे सुपाडे के ठीक नीचे पप्पी ली और रुक कर मेरी तरफ देखने लगी. मेरा लौड़ा सांस के साथ ऊपर को उठा, और सांस के साथ नीचे आ के उसके होठों से टकराया, उसके होंठ थोड़े खुले थे, वो मुस्कुराई. फिर उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी गेंदों से ले के सुपाडे तक चाटती हुई आयी. फिर उसने मेरे सुपाडे के इर्द गिर्द अपनी जीभ घुमाई. मेरी आह सी निकली. मैं बोला- “वो, तुम तो एकदम एक्सपर्ट निकली”. उसने जवाब देने के लिए अपना सर पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन मेरे हाथ ने उसे मेरे लौड़े से जुदा न होने दिया. मैंने कहा- “काम जारी रखो, डार्लिंग”. अब उसने अपनी जीभ मेरे सुपाडे के इर्द गिर्द घुमा के मेरे लंड के छेड़ पे लगा दी. फिर जीभ उठाने गिराने लगी और मेरे लंड से और सहा नहीं जा रहा था. मेरे लंड से हल्की सी चिकनाहट निकली और उसकी जीभ से लगी. उसने चाटना जारी रखा. फिर उसने अपना मुंह खोला और मेरे लंड को अपने नर्म नर्म होंठों के आगोश में दबोच लिया. इतना जोर से लंड चूसा के मेरी जोर से आह निकल उठी. दरवाजे पे खादी अखिला ने भी आवाज सुन के पलट के देखा, लेकिन इस हालत में अब मेरा खुद पे काबू नहीं था.
वो लौड़े को चूसने लगी और मुंह के अन्दर ही अन्दर से अपनी जीभ मेरे पंड पे घुमाने लगी. मैंने झुक के उसकी कमीज़ में हाथ डाल दिया, लेकिन उसकी ब्रा में हाथ डालना थोडा मुश्किल प्रतीत हुआ. मैंने उसका एंगेल थोडा अडजस्ट किया. अब मेरा हाथ उसकी ब्रा के अन्दर जा पा रहा था. मेरा हाथ उसके नर्म नर्म मम्मों पे फिसलता हुआ उसके चूश्कों तक पहुँच गया. अखिला के निप्पल भरे भरे और एकदम नर्म थे लेकिन दिया के निप्पल एकदम सख्त थे. मैंने उसके निप्पलों के चारों और अपनी उंगलियाँ फिराई और निप्पलों को अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच में पकड़ लिया. हल्की सी सिस्कारे के साथ दिया ने लौड़े को थोडा और अपने मुंह में घुसेड़ा और बचे हुए लंड को हाथ में पकड़ के हलके हलकेसे मुठीयाने लगी. मैंने उसके हाथ हटा दिए और बोला- “जानेमन, मुंह से करो खाली. हाथ तो मैं भी हिला लेता हूँ.” सुन कर दिया ने लौड़े को और मुंह में घुसेड़ा और थोडा और ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया. फिर उसने अपना सर आगे पीछे करना शुरू किया. उसके मुंह की गर्माइश में लौड़ा एकदम सातवें आसमान पे जा पहुंचा था. बीच में दिया एक बार रुकी, लंड को हाथों में पकड़ा और चारों और से चूमा, चाटा और फिर मुंह में ले लिया. फिर वो ज़ोरों से अपने मुंह में मेरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी. मैं इधर उसके मम्मों से खेले जा रहा था. बीच बीच में हलके से उसके निप्पलों पे च्यूंटी मार देता. मेरा लौड़ा अब किसी भी सेकंड सामान विसर्जन करने वाला था. मैंने दिया के सर पे हाथ रखा, मुंह आसमान की और किया और उसके हलक में अपना गरम गरम माल उतार दिया. दिया ने चूसना बंद किया और अपना सर पीछे करना चाहा लेकिन मैं आँखें बंद करके उसके सर को पकडे कोई दो मिनट तक बैठा रहा. जब मेरा सामान सब निकल चुका था, दिया ने हलके हलके से लंड को फिर चूसना शुरू किया. मेरे मुंह से लगातार एक लम्बी आह निकलती रही.
थोड़ी देर बाद दिया ने अपने मुंह से मेरा लंड बाहर निकाला. उसने मेरा लंड इतने ढंग से साफ़ किया था के एकदम सूखा सूखा सा लग रहा था. लंड के सिरे पे एक और बूँद सी निकल आयी. मैंने उसके होठों पे थोड़ी देर लंड रगडा. इतनी मस्त फीलिंग थी के बयान नहीं कर सकता. फिर मैंने थोड़ी देर उसके गाल पे लंड रखा. जी कर रहा था के पूरी उम्र उसके मुंह पे लंड रगड़ता रहूँ लेकिन अखिला खांस उठी. मैंने तुरंत अपनी पेंट की चैन बंद की, दिया जो एक नेपकिन ढून्ढ रही थी मेरे वीर्य को अपने मुंह से उगलने के लिए, होंठ भींच के बैठ गयी. बेचारी पे थोडा तरस आया, क्यूंकि मेरे ओफ्फिस में आने वाला प्राणी कोई १० मिनट तक मुझसे बात करता रहा और बीच में दिया को जवाब देना पड़ा. उस दिन दिया को मेरे वीर्य का घूँट पीना पड़ा, वो भी ओफ्फिस के दुसरे बन्दे के सामने.

उस रात ऑफिस के बाद हम तीनों अलग अलग अपने घर गए, तैयार हुए और डिन्नर के लिए एक रेस्टोरंट में मिलना तय हुआ. दोनों लडकियां एकदम सज धज के तैयार हो के आयी थी. एकदम परियां लग रही थी. अखिला एकदम टाईट टी-शर्ट और टाईट सुपर-मिनी में एकदम भरपूर हरी भरी चुदाई के लिए तैयार अप्सरा लग रही थी तो दिया टाईट जींस शोर्ट्स और लो-कट टी-शर्ट में अपनी गौरी गौरी चमड़ी के चलते एकदम परी लग रही थी. कपडे ऐसे फिट आ रहे दोनों को के न तो टाईट लग रहे थे, ना ढीले, ऐसे जैसे के शरीर का ही हिस्सा हों. एक एक उभार, शरीर का उतार चढ़ाव ऊपर से नज़र आ रहा था. भूख तो किसे थी, तो थोडा बहुत खाया, फिर दिया और अखिला को अपने साथ घर वापिस लेने के लिए हम लोग कार में बैठे. पूरे डिन्नर में दिया की चुदाई कैसे करनी है, सोचता रहा. खैर, कार में दिया मेरे पीछे बैठी थी और अखिला मेरे साथ पैसेंजर सीट पे. अपनी औटोमटिक ट्रांस मिशन के चलते गेअर बदलने की ज़रुरत थी नहीं, तो मेरा बायाँ हाथ फ्री था. सो मैंने गाडी शुरू कर के अपना हाथ अखिला की गोरी -चिट्टी और एकदम चिकनी चमचमाती जाँघों पे रख दिया. मैंने अपना हाथ उसके जाँघों में फेरना शुरू कर दिया तो उसने भी अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया. मेरा लौड़ा पहले ही खडा हुआ था. मैं अपने आप को बता रहा था के थोड़ा धीरे धीरे नहीं तो घर पहुँचने से पहले माल ना निकल जाए. मैंने अपना हाथ ऊपर ले जाते हुए उसकी मिनी को ऊपर सरका दिया. मेरा हाथ ऊपर बढ़ता हुआ उसकी चूत के एकदम ऊपर पेंटी से जा टकराया. एकदम नर्म नर्म, गर्म गर्म और हल्की सी गीली चूत थी उसकी. मैं अपनी उंगली से उसकी चूत की लकीर पे लकीरें बनाता रहा. वो एकदम मद मस्त हो उठी. मैंने दिया से कहा – कभी अखिला के मम्मे पकडे हैं? उसने कहा- नहीं. मैंने कहा- पकड़ के देखो, कितने मजेदार हैं. उसने दूसरी और सरक के खट्टाक से अखिला के मम्मे पकड़ लिए. अखिला वासना से एकदम उत्तेजित हुई जा रही थी, सो आहें भरने लगी. मैंने दिया से बोला के हलके हलके दबाती रहो, तो उसने अखिला के मम्मे दबाने शुरू कर दिए. मैंने अपने हाथ से पेंटी को एक तरफ सरकाया, और उँगलियों से उसकी नंगी चूत को छू लिया. वो एकदम तड़प उठी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के होंठ को एक और खींचा, और हलके हलके से अपनी उंगली घुसा दी. उसने कस के मेरे हाथ को पकड़ लिया. उसकी गीली चूत में मैं हलके हलके उंगली अन्दर बाहर करने लगा. पीछे से दिया उसके चूचे दबाये जा रही थी. अखिला अब चूत से चू सी रही थी और कांपने लगी. मैं उंगली और अंगूठे से उसकी चूत से छेड़खानी करता रहा. करते करते घर आ गया. अखिला ने अपने कपडे सीधे किये और कार से बाहर निकली. मेरा घर दूसरी मंजिल पे था, तो मैंने उन्हें आगे आगे कर दिया और उनके पीछे पीछे उनकी गांड मचलते हुए देखते हुए ऊपर चढ़ गया. मैंने ऊपर आ के दरवाजा खोला और हम तीनों अन्दर चले आये. अन्दर घुसते ही तीनों ने एक साथ किस्स किया. मैं थोडा पीछे हट के दोनों लड़कियों को आपस में चुम्बन लेने के नज़ारे का आनंद लेने लगा. वो दोनों आँखें बंद कर के इतने प्यार से एक दुसरे को किस्स कर रही थी के दिल किया के दोनों के होंठों के बीच में अपना लंड दे दूं. आपस में किस्स करते करते दोनों लडकियां एक दुसरे के काफी नज़दीक आ गयी. दिया ने अपना हाथ उठाया और अखिला की बाजू को हलके से छुआ, फिर हलके से उसकी बाजू पे हाथ फेरते हुए उस के नजदीक आ गयी. अब दोनों के मम्मे आपस में टकरा रहे थे. मैंने उन दोनों को ज्वाइन किया इस चुम्बन प्रक्रिया में. मैं दोनों के होंठ बड़ी देर तक चूसता रहा. मैंने एक हाथ अखिला की कमर पे रखा और दूसरा दिया की कमर पे और उन की कमर सहलाते हुए अपना हाथ दोनों की रीढ़ पे दौडाते हुए उनकी गांडों तक ले गया. किस्स करते करते मैं उनकी गांडे सहलाता रहा और फिर मैंने दोनों के कूल्हों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया. दोनों लडकियां मेरी और थोड़ी घूमी, और अब उनकी चूचियां मेरी छाती से भी लग रही थी. अखिला की उठी उठी एकदम तनी हुई चूचियां एक तरफ तो दूसरी और दिया की नाजुक नाजुक दूधिया चूचियां, जिन्हें मैंने अब तक देखा नहीं था.
करते करते दोनों लड़कियों के हाथ एक दुसरे के मम्मों पे पहुँच गए. मैंने दिया के शोर्ट्स की बटन खोली और नीचे खिसकानी शुरू कर दी. दुसरे हाथ से मैंने अखिला के गोल गुन्दाज़ कूल्हों को पकड़ा और मिनी स्किर्ट को ऊपर उठा के उसकी पेंटी पर हाथ रख के उसके नितम्बों को थाम के दबाने लगा. दिया ने अखिला की टी-शर्ट ऊपर उठाई. मैंने सोचा के दिया को मैं थोड़ी ज्यादा सीधी समझ रहा था, लेकिन दिया तेज है और अखिला इस सब चुदाव के बाद भी उतनी खुली नहीं है. ऐसा लग रहा था के मैं और दिया मिले के अखिला को चोद रहे हैं.
अखिला ने अन्दर बिना स्ट्रेप वाली ब्रा पहन राखी थी, जो बड़ी मुश्किल से उसके मोटे मोटे चूचों को अपने काबू में कर पा रही थी. मैंने झुक के उसके ब्रा के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा निकाल के ज़मीन पे फ़ेंक डाली. उसके एकदम दूधिया और तने हुए चूचों को देख के न्यूटन की गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी शर्मा जाए. उसके हलके गुलाबी रंग के निप्पल काफी बड़े और स्पंज की तरह नर्म नर्म थे. मैंने अपनी उँगलियों से उसके निप्पलों पे एक च्यूंटी मारी.दुसरे को दिया चूसने लगी. मैं दिया के पीछे जाके खडा हो गया और उसकी शोर्ट्स को नीचे उतारने लगा. उसकी शोर्ट्स उतार के मैं झुक के उसकी गांड को पेंटी के ऊपर ऊपर से चूमने लगा और हाथों से दबोच दबोच के दबाने लगा. फिर मैं उसकी पेंटी भी उतार दी. उसकी गांड नर्म नर्म थी और एकदम मॉडल जैसी शेप वाली, एकदम नाजुक मैंने उसके एक कूल्हे पर दाँतों से हलके से काटा, फिर थोड़े जोर से काटा लेकिन दिया ने उफ्फ़ तक न की. वो अखिला के मम्मों को दबाती, चबाती और चूसती रही. फिर मैंने अपनी पेंट और चड्ढी उतार फेंकी. मैं दिया के पीछे खडा हो गया. मेरा तना हुआ लंड मैंने उसके कूल्हों के बीच में रखा और उसके पीछे से उससे चिपट गया. फिर मैंने अपने हाथ सामने डाल के उसके टी-शर्ट में हाथ दे दिए. थोड़ी देर मैं टी-शर्ट में हाथ डाल के उसने नर्म नर्म चूचे दबाता रहा और उसके सख्त निप्पल पे च्यूंटी काटने लगा. दिया भी अखिला की तरह आहें भरने लगी. करते करते मैंने दिया की टी-शर्ट भी उतार फेंकी. फिर मैंने अपने उसके पीछे खड़े खड़े अपने हाथों से उसके दोनों कूल्हों को थामा और थोडा चौड़ा किया. मेरा लंड अब और ज्यादा आराम से उसके कूल्हों के बीच में बैठा था.
अपने हाथों से दिया के दोनों कूल्हे पकड़ के मैंने अपना लंड एकदम दिया के नितम्बों के बीच में सटा दिया. मेरी जाँघों से जब उसके नर्म नर्म कूल्हे आ लगे तो दिल में हाय हाय सी मच उठी. मैंने अपना हाथ उसके गोल गोल कूल्हों के नीचे ले जाते हुए उसकी गांड के छेड़ के नजदीक ले जाके दोनों और खोलने की कोशिश की. एकदम नर्म और नाजुक गांड थी उसकी. फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके कूल्हे पे जोर लगाते हुए उसकी गांड एक और को खींची और दूसरा हाथ उसके दोनों कूल्हों के बीच में सरका दिया. हाथ सरकते हुए उसकी गांड के छेड़ से जा लगा. एकदम गर्म गर्म गांड. मैंने अपनी उंगली और नीचे को सरकाई और उसकी गांड और चूत के बीच के नर्म हिस्से को सहलाने लगा. दिया ऐसी बदहवास हुई के उसने जोर से अखिला की चूची पे दांत गदा दिए. बदले में अखिला ने उसकी चूची जोर से दबा डाली. मैंने अपनी उंगली और नीचे सरकाई और उसकी एकदम क्लीन शेव की हुई फुद्दी के द्वार तक जा पहुंचा. उसकी चूत एकदम गीली थी. मैंने अपनी मंझली उंगली उसकी चूत में घुसेड दी. वो आह भर उठी. मैंने अब तर्जनी उसकी गांड में दाल दी और अपने एक ही हाथ की उँगलियों से उसकी गांड और चूत एक साथ चोदने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही मजे लेने बाद मैंने उसको आगे को झुका दिया और पीछे से अपने लंड को उसके पीछे लगा दिया. दिया बोली – हाय इतना मोटा है. मैंने कहा- कोई नहीं, अन्दर जाएगा तो ज्यादा मजा आएगा. मैंने थोड़ा नीचे घुस के अपने लंड से उसकी चूत टटोलने का प्रयास किया. लंड से एकदम धुंआ निकल रहा होगा और चूत से पानी बरस रहा था. लेकिन लंड को चूत ना मिली. मैंने अपने एक हाथ से लंड पकड़ा और दुसरे से उसके कूल्हे को अद्जुस्त करके थोड़ा खोला. अब लंड उसके चूत के दरवाजे पे दस्तक दे रहा था. मैंने थोड़ी देर अपने शिश्न को उसकी चूत पे रगडा फिर उसकी टाईट चूत में थोडा सा अन्दर दिया. फिर उस की गीली चूत में लौड़ा सरकता ही गया. अब मैंने अखिला को अपने साथ बुला के खड़ा किया और दिया को और झुका दिया. दिया ने पास वाली दीवार का सहारा ले लिया. मैंने एक हाथ से उसकी जांघें दबाई और दुसरे हाथ को उसकी कमर पे रख के थोड़ा और आगे को झुकाया और एक ज़ोरदार धक्का दिया. लंड पूरा चूत में जा घुसा और दिया सी-सी करने लगी. मैंने झुक के उसकी चूची पकड़ी और उसके नर्म नर्म मम्मों को दबाने लगा. फिर साथ खड़ी अखिला के मम्मों में मैंने अपना मुंह छिपा लिया कभी उसके ताने हे मम्मों के नीचे से पप्पी लेता, कभी होठों से, कभी हलके हलके होंठों से उसके निप्पल काट खाता, कभी दांतों से. दूसरा हाथ मैंने उसके कूल्हों के पीछे ड़ाल दिया और उसके सुडौल गोल मटौल कूल्हों को भरपूर ताक़त से दबाने लगा. अखिला और भी नजदीक आके एकदम मुझसे लिपट के खड़ी हो गयी. इस दौरान मैंने दिया की चूत में दौ-चार ज़ोरदार धक्के लगाए. उसके गीलेपन से लंड फिसल फिसल के अन्दर बाहर जा भी रहा था और उसकी कसी हुई चूत मेरे लौड़े पर चारों और से गर्मी और कसाव बरसा रही थी. मैंने अखिला के कान में बाथरूम से तेल लाने को कहा. अखिला तो समझ गयी लेकिन दिया ने सूना नहीं. मैंने दिया के कन्धों पे दोनों हाथ रखे और झटके लगाने शुरू कर दिए. फच्च- फच्च की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी. जब मैं लंड बाहर को लेता तो मेरी जांघें दिया की गांड से बस हल्की सी छूती और जब मेरा लौड़ा पूरा अन्दर होता तो एकदम उसके गांड से सट जाती. मैंने मुश्किल से ५ मिनट उसे चौड़ा होगा के अखिला तेल ले आयी. तेल की बोतल में ऊपर एक हल्का सा छेद था. मैंने अखिला को इशारा किया तो उसने तेल की पिचकारी से दिया की गांड का निशाना बना कर एक धार उसकी गांड पे बरसा दी. दिया चौंकी और उसने अपनी गांड को थोडा अलग करने की कोशिश की लेकिन मैंने एक हाथ से उसका कांदा थाम रखा था और दूसरे हाथ से उसका कूल्हा. फिर मेरे कहने पे अखिला ने अपनी उंगली से तेल उसकी गांड पे मलना शुरू कर दिया. दिया को अब तो समझ आ ही गया होगा के उसका क्या हश्र होने वाला है.
फिर अखिला ने अपनी उंगली दिया की गांड में दे दी और दोनों लौंडियाँ ऐसे सिस्कारियां भरने लगी के गांड में कुछ फंसा दिया हो. वास्तव में कम से कम एक लडकी की गांड में तो कुछ फंसा ही था. फिर अखिला ने अपने हाथों से उसके कूल्हों को दोनों और फैलाने की कोशिश की. मैंने दिया को थोडा सीधा किया ताकी गांड में देने का कोण बने. उसका भूरा भूरा छेद दिखाई दे रहा था. मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और सुप्पाड़े को उसकी गांड से रगडा, फिर हल्का सा अन्दर घुसाया. उसने एकदम गांड भींच ली और उसके नर्म नर्म कूल्हे एकदम टाईट हो गए. मैंने कहा- “रिलेक्स, ऐसे कैसे अन्दर जाएगा”. वो बोली-”क्यूँ? ज़रूरी है?” मैंने कहा-” मज़ा आयेगा मेरी जान. मैं गांड मारने में एक्सपर्ट हूँ”. अब अश्लील बातें मैंने शुरू की थी, लेकिन लड़कियों को खाली बहाना चाहिए था.
उन्होंने ने अश्लील शब्द बोलने शुरू कर दिए.
इस बार पहले अखिला बोली – “बॉस- तुम गांड मारने के बहुत शौक़ीन हो, क्या बात है.” उसके मुंह से गंदी बातें सुन के लंड ने ज़रा झटका सा लिया. मैं उसकी चूची पकड़ के बोला – “डार्लिंग, चूत भी साथ में चोदते हैं, ऐसी बात नहीं”. दिया बोली – “मैंने कभी पीछे से नहीं लिया, थोडा आराम से डालना”. मैंने कहा – “ऐसे नहीं, तमीज से बात करो” तो बोली – “मैंने गांड नहीं मरवाई ना, तो डर लगता है.” मैंने कहा- “कोई बात नहीं, रानी, आज गांड मरवाने के मजे भी ले लेना, लेकिन गांड इतनी टाईट मत करो. लौड़ा अन्दर लो फिर कितनी भी टाईट करो, फर्क नहीं पड़ता.” वो बोली- “इतना मौटा है, अन्दर घुसेगा भी?” मैं बोला – “अपनी सहेली से पूछो – एक रात में कितनी बार अन्दर लिया था” तो दिया ने जवाब दिया- “ये भी पूछो दौ दिन गांड में दर्द रहा था के नहीं”. मैं बोलते बोलते रुका के मैं अकेला थोड़े न था लेकिन सोचा शायद अखिला ने पूरी बात ना बताई हो, सो बोला – “ठीक है, जानेमन आराम से मारेंगे तुम्हारी गांड”.
फिर मैंने अपने अंगूठों को लगा के उसकी गांड चौड़ी की और लौड़े को हाथ में लेके थोडा अन्दर घुसाने की कोशिश की. लौड़े का सुपाड़ा थोडा सा ही अन्दर जा पाया. मैंने कहा, चलो, लेट के करते हैं. मैंने दिया को उसकी बायीं करवट लिटाया अखिला को बोला उसकी दायीं टांग उठाए फिर मैंने अपने एक हाथ से अन्दर की तरफ से हाथ ड़ाल के उसका दायाँ कूल्हा ऊपर उठाया ताकि उसकी गांड खुले. उसकी नर्म नर्म गांड को ऐसे दबाने में और उससे खेलने में मजा आ रहा था. अब गांड थोड़ी खुली तो मैंने तेल लगे लौड़े को थोडा सा अन्दर धकेला. अब मेरा सुपाड़ा अन्दर था. मैंने उसका कूल्हा और ऊपर उठाया फिर थोडा और जोर लगाया, लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा. दिया ने अपना हाथ मेरे बाजू पे कास दिया, बोली- बस, और नहीं जाएगा अन्दर. मैंने सोचा के इससे पहले के ये ज्यादा हाय तौबा करके मजा किरकिरा करे, झटके से काम करो. सो मैंने अपने लौड़े से खटाक से झटका देके पूरा लंड एक झटके में अन्दर घुसा दिया, तेल में चिकना हुआ लंड एकदम मानो चीरता हुआ गांड में घुसता चला गया. दिया एकदम दर्द से कराह उठी मैंने अपने हाथ से उसका मुंह पकड़ के उसके मुंह में उंगली डाली तो वो चूसने लगी. फिर मैंने उसे घुमा के उसकी गांड में लंड डाले डाले अपने ऊपर बिठाया और बिस्तर के कोने में आ बैठा. मैं अपने पैर नीचे लटकाए बैठा था और वो मेरे लौड़े को अपनी गांड में लिए मेरी गोद में ऐसे बैठी थी के जैसे कुर्सी में बैठी हो.
अब वक़्त था धक्के लगाने का. सामने से अखिला आ के उसके साथ चुम्मा-चाटी करने लगी और उसके मम्मों को सहलाने लगी. मैंने अपने हाथों को उसके कूल्हों के नीचे लगाया और थोडा अपनी जाँघों और कूल्हों से जोर लगा के और थोडा अपने हाथों से उसके कूल्हों को उठा उठा के उसे उछाल उछाल के उसकी गांड मारने लगा. उसकी गांड इतनी टाईट थी के लंड का सारा रस निकालने पे आमादा हो. थोड़ी देर बाद अखिला ने उसके घुटने उठाए और उसके पैर मेरे घुटनों पे रख दिए. वो अब मेरे लौड़े पे ऐसे बैठी थी जैसे जमीन पे बैठी हो, घुटने छाती के सामने, गांड मेरे लंड पे और पैर मेरे घुटनों पे. अब अखिला ने अपने चूचे दिया के मुंह से लगाए और ऐसे प्यार से चुसाने लगी के मेरा पहले ही खडा लंड दिया की गांड में और चौड़ा हुआ जा रहा था. मैं दिया को अपने लौड़े पे बिठाये पीछे से लेते लेते लेट गया और उसकी कमर को पकड़ के जोर से ऊपर धक्के लगाने लगा. दिया के पतली और हल्की होने के चलते मेरे शरीर पे ज्यादा भार भी न था और अब वो खुद थोडा उछल उछल कर गांड चुदवाने लगी. मैंने कहा- “क्यूँ मजा आ रहा है ना”, वो बोली – “धत्त, बेशर्म “. मैंने कहा, हाँ, गांड मारते हुए बड़ी शर्म आ रही है मुझे तो वो हंसने लगी. अब भी उसके चेहरे पे दर्द के कारण तनाव नज़र आ रहा था.
मैं ऐसे ही उसकी गांड न जाने कितनी देर चोदता रहा फिर अखिला मेरे बाजू में आ लेटी. मैंने कस के उसके चूचे दबाने शुरू कर दिए. दुसरे हाथ से मैंने उसकी गांड दबानी शुरू कर दी. दिया ने मेरे लौड़े पे फुदकते फुदकते मुड़ के देखा और बोली – अब इसकी भी गांड मारोगे क्या? मैंने कहा- “क्यूँ नहीं, मस्त है ना.” दिया की चूचियां इतनी नुकीली थी के वो खुद ही अपनी चूचियों से अखिला की गांड मार ले और वो जब मुडी तो उसकी चूचियों के नुकीले निप्पल नज़र आये. मैंने थोड़ा ऊपर उठ के अपने अंगूठे और उंगली के बीच में उसका निप्पल पकड़ा और रगड़ रगड़ के दबाने लगा. मेरा लौड़ा अब एकदम माल निकालने वाला था तो मैंने थोडा सा धीरे होके दिया को साइड पे लिटाया, दो मिनट और जोर जोर से गांड में धक्के लगाए और लौड़ा निकाल लिया. अब लौड़ा इतना सख्त था और निकलने के इतने नजदीक था के खुद ही ऊपर नीचे होने लगा. मैंने तेल की शीशी उठाई और अपनी उंगली पे थोडा देल छिड़क के अखिला की गांड में घुसा दी. दिया अपने हाथों से मेरे लौड़े को हलके हलके ऊपर कर रही थी. मैंने अपना लंड अखिला की गांड पे लगाया और धीरे धीरे घुसाया. उसकी गांड २-३ दिन पहले बुरी तरह चुदने के बावजूद एकदम टाईट थी. मेरा लंड घुसते घुसते पूरा घुस गया और पूरा घुसते ही मेरा वीर्य निकल आया. मैंने अपने हाथ दिया की चुचियों में गड़ा दिए वो बोली – “ऐसे नहीं, जानवर हो क्या?”, लेकिन मैं सुनने की अवस्था में नहीं था. मैंने अपने शरीर को तीर कमान की तरह मोड़ा और आँखें बंद करके एक हाथ से दिया की चूची भींचते हुए अखिला की गांड से एकदम सटे हुए धक्का लगाया, रुका और फिर धक्का लगाया. तीन चार ऐसे धक्के लगाने के बाद मेरा लौदा धीरे धीरे नर्म होने लगा. मैंने लंड बाहर निकाला और उसके नर्म नर्म गोल हरे भरे कूल्हे से रगड़ के पोंछा. उसकी गांड से सफ़ेद वीर्य रिसने लगा. मैं एकदम ख़त्म सा हो गया था, सुबह दौ-दौ मुठ और अब दो लड़कियों की चुदाई. इस उम्र में इतनी एक्सरसाइज करने से हालत खराब हो जाती है. मैं तो चाहता था के लडकियां घर रुकें और रात में फिर एक दौ बार चुदाई का प्रोग्राम बने लेकिन लड़कियों ने घर वापिस जाने की जिद लगाई तो छोड़ के आना पड़ा. लेकिन दौ लड़कियों को एक साथ चौदने का माहौल और दो महीन चला. फिर मेरी नौकरी चली गयी और मुझे दुसरे शहर जाना पड़ा तो हमेशा की तरह दूसरी लडकियां ढूंढनी पडी. कभी मौका लगा तो इन लड़कियों की चुदाई की और भी कहानियां सुनाऊँगा.

 

 

 

 

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