FUN-MAZA-MASTI
सभी को मेरा नमस्कार।
सबसे पहले मेरा परिचय, मेरा नाम राज है। मेरे चाचा की लड़की डॉली बहुत ही खूबबसूरत है, उसका जिस्म मानो संगमरमर सा तराशा हुआ है। पतली कमर, गोरा बदन, गोलाई ली हुई दो चूचियाँ, गोल उठी हुई पिछाड़ी, मानो कोई ज़न्नत की अप्सरा हो पर चूंकि वो मेरी बहन है, इसलिये मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है, जब मैं BA के दूसरे में पढ़ता था और मेरी बहन यानी डॉली 12वीं में पढ़ती थी। मेरे चाची के रिश्तेदार के घर में शादी थी, तो उसमें सभी को जाना था, पर चूंकि डॉली के पेपर नज़दीक थे, तो वो नहीं जा सकती थी।
चाचाजी के सारे परिवार का जाना ज़रूरी था, तो चाची मेरी माँ के पास आईं और अपनी परेशानी बताने लगीं। इस पर मेरी माँ ने चाची को जाने की सलाह दी, और डॉली को हमारे घर पर छोड़ जाने को कहा।
शाम को चाचा का सारा परिवार शादी में चला गया तथा डॉली अपनी किताबें लेकर हमारे घर आ गई। रात को हम सभी ने एक साथ खाना खाया। खाने के बाद हम सभी टीवी देखने बैठ गये, डॉली के पेपर नज़दीक थे तो उसने कहा कि वो थोड़ा पढ़ेगी, और वो साइड वाले कमरे में पढ़ने चली गई।
थोड़ी देर में वो किताब ले कर मेरे पास आई और बोली कि उसे मैथ के कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं, तो मैं उसे मैथ पढाने बैठ गया। मैं आपको बता दूँ कि मैं पढ़ने में काफ़ी होशियार हूँ।
काफ़ी देर हो गई तो मेरी माँ ने कहा कि उसे नींद आ रही है, और वो सोने जा रही हैं।
माँ ने मुझसे कहा- तुम डॉली को लेकर अपने कमरे में जाओ और वहीं जा कर आराम से पढ़ो।
यह कह कर माँ और पापा सोने चले गये। चूंकि हम भाई-बहन हैं, तो इसमें और निर्देश की ज़रूरत नहीं थी।
कुछ देर वहीं पढ़ने के बाद मैंने कहा- चलो अब रूम में जा कर पढ़ते हैं।
मुझे भी कंप्यूटर पर कुछ काम करना था। इस पर हम दोनों मेरे रूम में आ गये। रूम में आने के बाद मैं अपना काम करने लग गया।
डॉली ने कहा- भैया पहले मैं कपड़े बदल कर आती हूँ फ़िर पढ़ने बैठूँगी।
यह कह कर वो अपने साथ लाया हुआ नाईट-सूट लेकर बाथरूम में चली गई। मैं अपना काम करने लगा।
थोड़ी देर में वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसने बिना बाजू की बनियान पहनी हुई थी। उसकी स्लीवलैस बनियान से उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी नज़र आ रही थीं।
जब वो थोड़ी सी झुकी तो बनियान से उसकी चूचियाँ मुझे नज़र आ गई। मुझे इस प्रकार से देखने पर वो थोड़ी शरमा गई। साथ में वो रेशमी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमें उसकी चिकनी टाँगें एकदम संगमरमर सी लग रही थीं।
चूंकि निक्कर रेशमी टाइप कपड़े की बनी थी तो वो उसके बदन से चिपक रही थी, जिसकी वज़ह से उसकी आगे से फ़ूली हुई चूत की शेप साफ नज़र आ रही थी।
जब वो मुड़ी तो मुझे एक और झटका लगा, उसके उभरे हुए चूतड़ों की बनावट बहुत ही साफ नज़र आ रही थी। उसकी पिछाड़ी की दरार देख कर मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया। इससे पहले मैंने डॉली को इस नज़र से कभी नहीं देखा था।
वो बेड पर बेठ कर पढ़ने लगी। मैं अभी तक उसकी चूचियों को ही देख रहा था। मेरे इस प्रकार से घूरने पर वो हल्की सी शरमा गई और अपनी बनियान को ठीक करने लगी।
इस पर मैंने हड़बड़ा कर अपनी नज़र हटा ली और कंप्यूटर पर अपना काम करने लगा। अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम, डॉली पर ज्यादा था। मेरा लंड अभी भी वैसा ही खड़ा था।
अचानक डॉली बोली- भईया, मुझे यह सवाल समझ में नहीं आ रहा है।
मैंने कहा- रुको अभी आता हूँ।
इतना कह कर ज़ैसे ही मैं खड़ा हुआ, मैंने देखा कि डॉली की नज़र मेरे तंबू की तरह खड़े लंड पर टिकी हुई है।
जैसे ही मेरी नज़र डॉली से मिली वो सकपका गई। मैं सीधा बाथरूम की ओर भागा। वहाँ जाकर मैंने अपने कपड़े उतारे और शावर को चालू करके उसके नीचे खड़ा हो गया।
मेरे जिस्म पर पड़ती पानी की बूंदें मेरे सेक्स की आग को और भड़का रही थी, जिसका शांत होना अब ज़रूरी हो गया था।
मेरे हाथ अब मेरे लंड पर आ गये थे। मैंने डॉली की चूचियों व गांड को याद करके मुठ मारना चालू कर दी। थोड़ी देर मैं मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य उगल दिया।
अब मैं बिना चड्डी के निक्कर पहन कर बाहर आ गया। मैंने देखा कि डॉली अभी भी पढ़ रही है।
मैं डॉली के साथ बेड पर बैठ गया। उसने किताब निकाली और मैं उसे सवाल समझाने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी माँ आई। माँ ने देखा कि हम पढ़ रहे हैं तो माँ ने डॉली से कहा कि अगर उसे नींद आ रही है, तो वो यहीं सो सकती है।
मेरे रूम में डबल-बेड लगा हुआ था, तो दोनों को सोने में कोई परेशानी नहीं थी, माँ की नज़र में आखिर हम भाई-बहन ही तो थे।
माँ के जाते ही डॉली ने कहा- अब वो सोना चाहती है।
यह कह कर वो अपनी किताबें समेटने लगी। किताबें उठाने के लिये जैसे ही वो थोड़ा सा झुकी, मेरी नज़र फ़िर उसकी चूचियों पर पड़ गई। बनियान से झांकती दो मस्त-मस्त, गोल-गोल संतरे के साईज़ की चूचियाँ।
मेरा लंड में फ़िर उफ़ान आना शुरू हो गया। मैंने निक्कर के अंदर अंडरवियर नहीं पहना था, इसलिये मेरी निक्कर का अगला भाग तंबू की तरह खड़ा हो गया।
मेरे लंड का उफ़ान डॉली की नज़र में भी आ गया था क्योंकि मैंने देखा कि वो चोरी-चोरी मेरे लंड को देख रही है।
और वो देखे भी क्यों नहीं आखिर वो भी जवान थी।
किताबें उठाने के बाद वो बाथरूम में घुस गई। अभी तक मेरे दिमाग का शैतान भी जाग गया था।
डॉली के बाथरूम में ज़ाते ही मैं भी उठा और दरवाज़े में बने छोटे से होल से अंदर झांकने लगा।
अंदर का नज़ारा देख कर मेरे तो होश उड़ गये। डॉली अंदर बिना निक्कर के नंगी खड़ी थी।
मैंने देखा कि उसकी आँखें बंद थीं और वो ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूचियों को मसल रही थी। चूचियों के ऊपर उसके हाथ गोल-गोल घूम रहे थे। बीच-बीच में वो चूचियों की घुंडी को भी मसल रही थी।
अब उसका एक हाथ चूत पर पहुँच चुका था, अब वो अपने चूत के दाने को मसल रही थी। जैसे ही उसके हाथ की स्पीड बढ़ी डॉली के जबड़े कसते चले गये।
अचानक मैंने देखा कि उसका जिस्म ढीला पड़ गया यानि कि अब उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था।
डॉली ने हल्का सा शावर लिया और जैसे ही वो कपड़े पहन कर बाहर आने को हुई, मैं झट से बिस्तर पर आ गया।
मेरी हालत ऐसे हो रही थी जैसे मैं 10 किलोमीटर दौड़ कर आ रहा हूँ। मेरा शरीर पसीने से भीग रहा था।
आज ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, वो भी इस हालत में। मेरा लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह कठोर हो गया था।
मुझे प्यास भी लग रही थी। मैं पानी पीने के लिये उठा, इतने में डॉली भी बाहर आ गई।
भीगा-भीगा सा उसका बदन, भीगे-भीगे से उसके बाल, बालों से टपकतीं चेहरे को भिगोती पानी की बूंदे, संगमरमर सा गोरा बदन। डॉली किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
एक किस्म से मैं उसके बदन को घूर रहा था। वो भी मुझे देख रही थी कि मुझे क्या हो गया है। अचानक उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गई।
शायद उसका कुंवारा मन भी बहक गया था तभी तो वो भी एकटक मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
फ़िर जैसे मुझे होश आया और मैं बाथरूम के अंदर घुस गया। फ़िर वोही कहानी, मैंने अपना लंड निकाल, मुठ मारी और ठंडा हो कर बाहर आ गया।
मैंने देखा कि डॉली बिस्तर पर लेटी हुई है, हालांकि अभी वो अभी जाग ही रही थी।
आज ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, वो भी इस हालत में। मेरा लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह कठोर हो गया था।
मुझे प्यास भी लग रही थी। मैं पानी पीने के लिये उठा, इतने में डॉली भी बाहर आ गई।
भीगा-भीगा सा उसका बदन, भीगे-भीगे से उसके बाल, बालों से टपकतीं चेहरे को भिगोती पानी की बूंदे, संगमरमर सा गोरा बदन। डॉली किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
एक किस्म से मैं उसके बदन को घूर रहा था। वो भी मुझे देख रही थी कि मुझे क्या हो गया है। अचानक उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गई।
शायद उसका कुंवारा मन भी बहक गया था तभी तो वो भी एकटक मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
फ़िर जैसे मुझे होश आया और मैं बाथरूम के अंदर घुस गया। फ़िर वोही कहानी, मैंने अपना लंड निकाल, मुठ मारी और ठंडा हो कर बाहर आ गया। मैंने देखा कि डॉली बिस्तर पर लेटी हुई है, हालांकि अभी वो अभी जाग ही रही थी।
मैं भी उसकी बगल में जाकर लेट गया। नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। शायद उसका भी यही हाल था। क्योंकि दोनों चुदाई से अनजान थे।
अब मेरा दिल कर रहा था कि डॉली को चोद दूँ, पर दिल डर रहा था।
कहीं यह सब डॉली के दिल में ना हो तो खामखाह ही बेइज्जती हो जाएगी। इसके लिये डॉली का रज़ामंद होना बहुत ज़रूरी था।
मन मसोस कर मैं भी लेट गया पर नींद कोसों दूर थी।
वासना जब दिमाग पर हावी हो जाती है, तो इन्सान अच्छा-बुरा, रिश्ते-नाते सब भूल जाता है।
आज मेरे साथ भी वही हो रहा था। मैंने देखा कि डॉली सो गई है। मैंने अपना हाथ उठाया और उसकी नंगी टाँग पर रख दिया जैसे ये सब नींद में हो रहा हो।
धीरे-धीरे मैंने हाथ को सरका कर निक्कर के ऊपर उसकी चूत पर रख दिया। मेरी हिम्मत बढ़ रही थी, अब मेरा हाथ उसके गोरे पेट पर सरकते हुए उसकी चूची पर आ गया। मेरी गांड भी फ़ट रही थी।
मैंने देखा कि डॉली अभी भी सो रही है तो मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबाना चालू कर दिया।
डॉली थोड़ी सी कुनमुनाई तो मैंने झट से अपना हाथ हटा लिया।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी। अब मैंने धीरे से डॉली की निक्कर का नाड़ा ढीला कर दिया।
उसकी निक्कर को थोड़ा सा नीचे किया तो उसकी चिकनी गुलाबी चूत की दरार सी नज़र आई।
मैं पहली बार इतने करीब से चूत को देख रहा था। मैंने निक्कर को थोड़ा सा और नीचे करना चाहता था पर डर था कि कहीं डॉली जाग ना जाये।
इतने में डॉली ने करवट ली और मेरी तरफ़ गांड करके सो गई। मैं अब कुछ नहीं कर सकता था।
मन मसोसकर डॉली से सट कर सो गया। आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली तो अपने ऊपर कुछ दबाब सा महसूस हुआ।
मैंने देखा कि डॉली की नंगी टाँग मेरी नंगी टाँग पर चढ़ी हुई है।
मेरे लंड पर फ़िर तूफ़ान आना शुरू हो गया। मैं चुपचाप लेटा रहा। डॉली फ़िर हल्की सी हिली। अब उसकी टाँग मेरे लंड के ऊपर थी।
अब मेरा अपने आप पर नियंत्रण खत्म हो चुका था। मैंने फ़िर अपना हाथ डॉली की चिकनी टाँग पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
डॉली की तरफ़ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने धीरे से अपना हाथ डॉली की निक्कर में घुसा दिया।
‘अहा !’ क्या चिकनी चूत थी !
मेरे हाथ की उंगलियाँ चूत की दरार के अंदर तक थिरक रही थीं। असीम आनन्द आ रहा था। अब मेरी बीच वाली उंगली डॉली की चूत के छेद तक पहुँच चुकी थी।
मैंने उंगली अंदर घुसानी चाही तो चूत टाईट होने की वज़ह उंगली घुस नहीं सकी।
अब मैंने डॉली की निक्कर को नीचे सरका दिया। डॉली की चिकनी चूत मेरे सामने थी।
मैंने भी अपनी निक्कर को नीचे सरकाया और अपने लंड को डॉली की चूत पर रगड़ने लगा।
मेरा लंड पहली बार किसी चूत को स्पर्श कर रहा था। अब तक मेरा दिल खुल गया था। धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अचानक वही हो गया जिसका डर था। डॉली ने अपनी आँखें खोल दीं। वो मेरे लोहे जैसे लंड और अपनी खुली हुई चूत को बारी-बारी देख रही थी।
मेरी तो मानो गांड ही फ़ट गई थी। मेरा चेहरा किसी पिटी हुई गांड की तरह हो गया था।
डर के मारे मेरा लंड भी बैठ गया। कुछ देर तक मेरे लंड को देखने के बाद डॉली ज़ोर से हँसी और बोली- भैया मज़ा आ रहा था, रुक क्यों गये?
इसका मतलब वो इतनी देर से सोने का नाटक कर रही थी। मेरे लंड में फ़िर जान आ गई।
मैंने डॉली को अपने सीने से लगा लिया और बेतहाशा चूमने लगा। अब डॉली भी मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने उसकी बनियान भी उतार दी। साथ ही खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों नंगे थे।
नाईट बल्ब की रोशनी में डॉली का अंग-अंग चमक रहा था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से रगड खा रही थीं, हम दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
अब मेरे हाथ चूचियों की गोलाई नाप रहे थे। मैंने चूचियों को चूसना चालू कर दिया। मेरा एक हाथ उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
डॉली पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। अब वो भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे कर रही थी।
मैंने घुमा कर डॉली को अपने ऊपर ले लिया। उसके पूरे शरीर का भार मेरे ऊपर था। उसकी चूत मेरे लंड को ऊपर से रगड़ रही थी।
वो मेरे पूरे बदन को पागलों की तरह चूम रही थी। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने गालों के ऊपर घुमाने लगी।
उसने लंड के सुपाड़े को बहर निकाला और मेरे गुलाबी सुपाड़े पर अपनी जीभ घूमाने लगी।
मैंने उसे अपनी तरफ़ इस तरह से घुमा लिया कि अब हम दोनों 69 वाली पोज़ीशन में आ गये।
अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत। थोड़ी देर बाद मुझे मुँह में कुछ नमकीन सा पानी महसूस हुआ। इसका मतलब डॉली झड़ रही थी।
अब मुझे भी महसूस हुआ कि मेरा पानी अब निकलने वाला है तो मैंने लंड को डॉली के मुँह से बाहर खींच लिया।
अब मैंने डॉली को सीधा किया और उसकी चूचियों को चूसने लगा। कभी मैं उसकी चूचियों को चूसता, कभी उसके होंठों को।
मैंने अपनी ज़ीभ डॉली के होंठों में घुसा दी। अब हम दोनों एक-दूसरे की ज़ीभ को ऐसे चूस रहे थे, जैसे आइस्क्रीम को चूसते हैं।
मैंने अपनी ज़ीभ डॉली की चूत मैं घुसा दी। मेरी ज़ीभ चूत के अंदर लपलपा रही थी। बीच-बीच में मैं चूत के दाने को दांतों से काट भी लेता।
पूरा कमरा सिसकारियों से गूंज़ रहा था। डॉली भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी चूत चुसवा रही थी।
मज़े की बात ये थी कि इतनी देर से हम दोनों ने एक भी शब्द नहीं बोला ।
डॉली चुप्पी तोड़ते हुए बोली- भैया अब सहन नहीं हो रहा है।
इतना सुनते ही मैंने उसकी टाँगें खोल दीं और अपने लंड का टोपा डॉली की चूत पर रखकर हल्का सा झटका मारा तो लंड फ़िसल कर बाहर आ गया।
चुदाई के मामले में हम दोनों ही अनुभवहीन थे। मैं उठा और अलमारी से क्रीम निकाल कर ले आया। मैंने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगली में लगाई और उंगली चूत के छेद में घुसा दी।
डॉली हल्की सी उछली। अब मैं उंगली को धीरे-धीरे चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
कमरे में डॉली की कामुक आवाज़ गूंज़ रही थी।
"ओह भैया... फ़क्क मी।"
मैंने भी ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगाई और लंड को डॉली की चूत पर टिका दिया।
जैसे ही मैंनें लंड को हल्का सा झटका दिया करीब आधा इंच लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। डॉली दर्द से बिलबिला उठी।
मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और एक ज़ोर का झटका दिया। करीब आधा लंड डॉली की चूत में घुस चुका था।
डॉली ज़ोर से चीखी पर उसकी चीख अंदर तक ही घुट कर रह गई। मैं भी वहीं रुक गया।
डॉली की आँखें फ़टी हुई थीं और उनसे झमाझम आँसू बह रहे थे। डॉली की चूत की झिल्ली फ़ट चुकी थी और उससे खून बह रहा था।
मैंनें डॉली के होंठों को चूमना शुरू कर दिया साथ ही उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गई। अब धीरे-धीरे मैं लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
अब डॉली को भी मज़ा आ रहा था। मेरा लंड डॉली की चूत में गपागप जा रहा था। वो भी अपने चूतड़ उछाल कर चुद रही थी। पूरा कमरा सिसकारियों और फ़च-फ़च की आवाज़ से गूंज़ रहा था।
अचानक डॉली ने मुझे धक्का दिया और मुझे नीचे करके खुद ऊपर आ गई। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर टिका कर गप से बैठ गई।
उसके दोनों हाथ मेरी टाँगों के ऊपर थे और वो उछल-उछल कर चुदवा रही थी।
उसकी सुर्ख लाल चूत जैसे मेरे लंड को खा रही थी। मेरे दोनों हाथ उसके चूतडों की गोलाईयों पर घूम रहे थे।
करीब 35-40 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों का बदन ऐंठा और दोनों एक साथ झड़ गये।
उसकी चूत का पानी और मेरा वीर्य मेरे लंड से होता हुआ बेड तक फ़ैल चुका था। डॉली निढाल हो कर मेरे ऊपर गिर गई।
काफ़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद डॉली बाथरूम जाने के लिये उठी तो दर्द की वज़ह से लड़खड़ा गई।
मैं उसे पकड़ कर बाथरूम ले गया। वो बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। बाथरूम में जाकर हमने शावर चालू कर दिया।
डॉली की चूत फ़ूल कर पाव रोटी बन गई थी। हम एक-दूसरे को साफ़ कर रहे थे।
जैसे ही डॉली ने मेरे लंड पर साबुन लगाया मेरा लंड एक बार फ़िर खड़ा हो गया।
ठंड़े पानी से नहाने के कारण अब डॉली की जान में जान आ गई थी। अब डॉली मेरे लंड को मसल रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर घुमाने लगा।
हम दोनों फ़िर चुदाई के लिये तैयार हो गये। डॉली घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैंने उसे फ़र्श पर ही लेटा दिया। उसके दोनों घुटने मोड़ कर उसकी छाती से लगा दिये।
डॉली की लाल चूत इस प्रकार नज़र आ रही थी जैसे कि कोई सुर्ख गुलाब खिला हुआ हो।
मैंने अपना लंड डॉली की चूत के ऊपर रखा और एक झटके से पूरा अंदर डाल दिया।
डॉली को हल्का सा दर्द हुआ पर वो सहन कर गई। अब मैं उसे धकाधक चोद रहा था।
डॉली भी बड़बड़ा रही थी, "भैया अपनी बहन को चोद दो ! ओह भैया इतने दिन पहले क्यों नहीं चोदा, फ़ाड़ दो अपनी बहन की चूत।"
"ले अपने भाई का लण्ड, आज तेरी चूत फ़ाड़ कर ही छोडूंगा।"
करीब 25 मिनट की धकापेल चुदाई में डॉली दो बार झड़ चुकी थी और शायद वो थक भी चुकी थी।
मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। डॉली ने मेरा लंड हाथ में ले लिया आगे-पीछे करने लगी।
5-7 झटकों के बाद लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। डॉली का चेहरा वीर्य से भीग गया। हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ़ किया और लिपट के सो गये।
सुबह हमारी चुदाई क एक और दौर चला। कहते हैं कि इश्क़ और मुश्क़ छुपाए नहीं छुपते हैं।
अगर हमारी चुदाई की बात खुल गई तो समाज़ में बड़ी बदनामी होगी। इसलिये हम दोनों ने फ़ैसला किया कि यह हमारी आखिरी चुदाई है।
इसका मतलब यह नहीं कि हम आगे से चुदाई नहीं करेंगे। हमने एक-दूसरे से वायदा किया कि वो अपनी सहेलियाँ मुझसे चुदवायेगी और मैं उसे अपने दोस्तों से चुदवाऊँगा।
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ओह भैया... फ़क्क मी
सभी को मेरा नमस्कार।
सबसे पहले मेरा परिचय, मेरा नाम राज है। मेरे चाचा की लड़की डॉली बहुत ही खूबबसूरत है, उसका जिस्म मानो संगमरमर सा तराशा हुआ है। पतली कमर, गोरा बदन, गोलाई ली हुई दो चूचियाँ, गोल उठी हुई पिछाड़ी, मानो कोई ज़न्नत की अप्सरा हो पर चूंकि वो मेरी बहन है, इसलिये मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है, जब मैं BA के दूसरे में पढ़ता था और मेरी बहन यानी डॉली 12वीं में पढ़ती थी। मेरे चाची के रिश्तेदार के घर में शादी थी, तो उसमें सभी को जाना था, पर चूंकि डॉली के पेपर नज़दीक थे, तो वो नहीं जा सकती थी।
चाचाजी के सारे परिवार का जाना ज़रूरी था, तो चाची मेरी माँ के पास आईं और अपनी परेशानी बताने लगीं। इस पर मेरी माँ ने चाची को जाने की सलाह दी, और डॉली को हमारे घर पर छोड़ जाने को कहा।
शाम को चाचा का सारा परिवार शादी में चला गया तथा डॉली अपनी किताबें लेकर हमारे घर आ गई। रात को हम सभी ने एक साथ खाना खाया। खाने के बाद हम सभी टीवी देखने बैठ गये, डॉली के पेपर नज़दीक थे तो उसने कहा कि वो थोड़ा पढ़ेगी, और वो साइड वाले कमरे में पढ़ने चली गई।
थोड़ी देर में वो किताब ले कर मेरे पास आई और बोली कि उसे मैथ के कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं, तो मैं उसे मैथ पढाने बैठ गया। मैं आपको बता दूँ कि मैं पढ़ने में काफ़ी होशियार हूँ।
काफ़ी देर हो गई तो मेरी माँ ने कहा कि उसे नींद आ रही है, और वो सोने जा रही हैं।
माँ ने मुझसे कहा- तुम डॉली को लेकर अपने कमरे में जाओ और वहीं जा कर आराम से पढ़ो।
यह कह कर माँ और पापा सोने चले गये। चूंकि हम भाई-बहन हैं, तो इसमें और निर्देश की ज़रूरत नहीं थी।
कुछ देर वहीं पढ़ने के बाद मैंने कहा- चलो अब रूम में जा कर पढ़ते हैं।
मुझे भी कंप्यूटर पर कुछ काम करना था। इस पर हम दोनों मेरे रूम में आ गये। रूम में आने के बाद मैं अपना काम करने लग गया।
डॉली ने कहा- भैया पहले मैं कपड़े बदल कर आती हूँ फ़िर पढ़ने बैठूँगी।
यह कह कर वो अपने साथ लाया हुआ नाईट-सूट लेकर बाथरूम में चली गई। मैं अपना काम करने लगा।
थोड़ी देर में वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसने बिना बाजू की बनियान पहनी हुई थी। उसकी स्लीवलैस बनियान से उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी नज़र आ रही थीं।
जब वो थोड़ी सी झुकी तो बनियान से उसकी चूचियाँ मुझे नज़र आ गई। मुझे इस प्रकार से देखने पर वो थोड़ी शरमा गई। साथ में वो रेशमी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमें उसकी चिकनी टाँगें एकदम संगमरमर सी लग रही थीं।
चूंकि निक्कर रेशमी टाइप कपड़े की बनी थी तो वो उसके बदन से चिपक रही थी, जिसकी वज़ह से उसकी आगे से फ़ूली हुई चूत की शेप साफ नज़र आ रही थी।
जब वो मुड़ी तो मुझे एक और झटका लगा, उसके उभरे हुए चूतड़ों की बनावट बहुत ही साफ नज़र आ रही थी। उसकी पिछाड़ी की दरार देख कर मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया। इससे पहले मैंने डॉली को इस नज़र से कभी नहीं देखा था।
वो बेड पर बेठ कर पढ़ने लगी। मैं अभी तक उसकी चूचियों को ही देख रहा था। मेरे इस प्रकार से घूरने पर वो हल्की सी शरमा गई और अपनी बनियान को ठीक करने लगी।
इस पर मैंने हड़बड़ा कर अपनी नज़र हटा ली और कंप्यूटर पर अपना काम करने लगा। अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम, डॉली पर ज्यादा था। मेरा लंड अभी भी वैसा ही खड़ा था।
अचानक डॉली बोली- भईया, मुझे यह सवाल समझ में नहीं आ रहा है।
मैंने कहा- रुको अभी आता हूँ।
इतना कह कर ज़ैसे ही मैं खड़ा हुआ, मैंने देखा कि डॉली की नज़र मेरे तंबू की तरह खड़े लंड पर टिकी हुई है।
जैसे ही मेरी नज़र डॉली से मिली वो सकपका गई। मैं सीधा बाथरूम की ओर भागा। वहाँ जाकर मैंने अपने कपड़े उतारे और शावर को चालू करके उसके नीचे खड़ा हो गया।
मेरे जिस्म पर पड़ती पानी की बूंदें मेरे सेक्स की आग को और भड़का रही थी, जिसका शांत होना अब ज़रूरी हो गया था।
मेरे हाथ अब मेरे लंड पर आ गये थे। मैंने डॉली की चूचियों व गांड को याद करके मुठ मारना चालू कर दी। थोड़ी देर मैं मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य उगल दिया।
अब मैं बिना चड्डी के निक्कर पहन कर बाहर आ गया। मैंने देखा कि डॉली अभी भी पढ़ रही है।
मैं डॉली के साथ बेड पर बैठ गया। उसने किताब निकाली और मैं उसे सवाल समझाने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी माँ आई। माँ ने देखा कि हम पढ़ रहे हैं तो माँ ने डॉली से कहा कि अगर उसे नींद आ रही है, तो वो यहीं सो सकती है।
मेरे रूम में डबल-बेड लगा हुआ था, तो दोनों को सोने में कोई परेशानी नहीं थी, माँ की नज़र में आखिर हम भाई-बहन ही तो थे।
माँ के जाते ही डॉली ने कहा- अब वो सोना चाहती है।
यह कह कर वो अपनी किताबें समेटने लगी। किताबें उठाने के लिये जैसे ही वो थोड़ा सा झुकी, मेरी नज़र फ़िर उसकी चूचियों पर पड़ गई। बनियान से झांकती दो मस्त-मस्त, गोल-गोल संतरे के साईज़ की चूचियाँ।
मेरा लंड में फ़िर उफ़ान आना शुरू हो गया। मैंने निक्कर के अंदर अंडरवियर नहीं पहना था, इसलिये मेरी निक्कर का अगला भाग तंबू की तरह खड़ा हो गया।
मेरे लंड का उफ़ान डॉली की नज़र में भी आ गया था क्योंकि मैंने देखा कि वो चोरी-चोरी मेरे लंड को देख रही है।
और वो देखे भी क्यों नहीं आखिर वो भी जवान थी।
किताबें उठाने के बाद वो बाथरूम में घुस गई। अभी तक मेरे दिमाग का शैतान भी जाग गया था।
डॉली के बाथरूम में ज़ाते ही मैं भी उठा और दरवाज़े में बने छोटे से होल से अंदर झांकने लगा।
अंदर का नज़ारा देख कर मेरे तो होश उड़ गये। डॉली अंदर बिना निक्कर के नंगी खड़ी थी।
मैंने देखा कि उसकी आँखें बंद थीं और वो ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूचियों को मसल रही थी। चूचियों के ऊपर उसके हाथ गोल-गोल घूम रहे थे। बीच-बीच में वो चूचियों की घुंडी को भी मसल रही थी।
अब उसका एक हाथ चूत पर पहुँच चुका था, अब वो अपने चूत के दाने को मसल रही थी। जैसे ही उसके हाथ की स्पीड बढ़ी डॉली के जबड़े कसते चले गये।
अचानक मैंने देखा कि उसका जिस्म ढीला पड़ गया यानि कि अब उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था।
डॉली ने हल्का सा शावर लिया और जैसे ही वो कपड़े पहन कर बाहर आने को हुई, मैं झट से बिस्तर पर आ गया।
मेरी हालत ऐसे हो रही थी जैसे मैं 10 किलोमीटर दौड़ कर आ रहा हूँ। मेरा शरीर पसीने से भीग रहा था।
आज ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, वो भी इस हालत में। मेरा लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह कठोर हो गया था।
मुझे प्यास भी लग रही थी। मैं पानी पीने के लिये उठा, इतने में डॉली भी बाहर आ गई।
भीगा-भीगा सा उसका बदन, भीगे-भीगे से उसके बाल, बालों से टपकतीं चेहरे को भिगोती पानी की बूंदे, संगमरमर सा गोरा बदन। डॉली किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
एक किस्म से मैं उसके बदन को घूर रहा था। वो भी मुझे देख रही थी कि मुझे क्या हो गया है। अचानक उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गई।
शायद उसका कुंवारा मन भी बहक गया था तभी तो वो भी एकटक मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
फ़िर जैसे मुझे होश आया और मैं बाथरूम के अंदर घुस गया। फ़िर वोही कहानी, मैंने अपना लंड निकाल, मुठ मारी और ठंडा हो कर बाहर आ गया।
मैंने देखा कि डॉली बिस्तर पर लेटी हुई है, हालांकि अभी वो अभी जाग ही रही थी।
आज ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, वो भी इस हालत में। मेरा लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह कठोर हो गया था।
मुझे प्यास भी लग रही थी। मैं पानी पीने के लिये उठा, इतने में डॉली भी बाहर आ गई।
भीगा-भीगा सा उसका बदन, भीगे-भीगे से उसके बाल, बालों से टपकतीं चेहरे को भिगोती पानी की बूंदे, संगमरमर सा गोरा बदन। डॉली किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
एक किस्म से मैं उसके बदन को घूर रहा था। वो भी मुझे देख रही थी कि मुझे क्या हो गया है। अचानक उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गई।
शायद उसका कुंवारा मन भी बहक गया था तभी तो वो भी एकटक मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
फ़िर जैसे मुझे होश आया और मैं बाथरूम के अंदर घुस गया। फ़िर वोही कहानी, मैंने अपना लंड निकाल, मुठ मारी और ठंडा हो कर बाहर आ गया। मैंने देखा कि डॉली बिस्तर पर लेटी हुई है, हालांकि अभी वो अभी जाग ही रही थी।
मैं भी उसकी बगल में जाकर लेट गया। नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। शायद उसका भी यही हाल था। क्योंकि दोनों चुदाई से अनजान थे।
अब मेरा दिल कर रहा था कि डॉली को चोद दूँ, पर दिल डर रहा था।
कहीं यह सब डॉली के दिल में ना हो तो खामखाह ही बेइज्जती हो जाएगी। इसके लिये डॉली का रज़ामंद होना बहुत ज़रूरी था।
मन मसोस कर मैं भी लेट गया पर नींद कोसों दूर थी।
वासना जब दिमाग पर हावी हो जाती है, तो इन्सान अच्छा-बुरा, रिश्ते-नाते सब भूल जाता है।
आज मेरे साथ भी वही हो रहा था। मैंने देखा कि डॉली सो गई है। मैंने अपना हाथ उठाया और उसकी नंगी टाँग पर रख दिया जैसे ये सब नींद में हो रहा हो।
धीरे-धीरे मैंने हाथ को सरका कर निक्कर के ऊपर उसकी चूत पर रख दिया। मेरी हिम्मत बढ़ रही थी, अब मेरा हाथ उसके गोरे पेट पर सरकते हुए उसकी चूची पर आ गया। मेरी गांड भी फ़ट रही थी।
मैंने देखा कि डॉली अभी भी सो रही है तो मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबाना चालू कर दिया।
डॉली थोड़ी सी कुनमुनाई तो मैंने झट से अपना हाथ हटा लिया।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी। अब मैंने धीरे से डॉली की निक्कर का नाड़ा ढीला कर दिया।
उसकी निक्कर को थोड़ा सा नीचे किया तो उसकी चिकनी गुलाबी चूत की दरार सी नज़र आई।
मैं पहली बार इतने करीब से चूत को देख रहा था। मैंने निक्कर को थोड़ा सा और नीचे करना चाहता था पर डर था कि कहीं डॉली जाग ना जाये।
इतने में डॉली ने करवट ली और मेरी तरफ़ गांड करके सो गई। मैं अब कुछ नहीं कर सकता था।
मन मसोसकर डॉली से सट कर सो गया। आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली तो अपने ऊपर कुछ दबाब सा महसूस हुआ।
मैंने देखा कि डॉली की नंगी टाँग मेरी नंगी टाँग पर चढ़ी हुई है।
मेरे लंड पर फ़िर तूफ़ान आना शुरू हो गया। मैं चुपचाप लेटा रहा। डॉली फ़िर हल्की सी हिली। अब उसकी टाँग मेरे लंड के ऊपर थी।
अब मेरा अपने आप पर नियंत्रण खत्म हो चुका था। मैंने फ़िर अपना हाथ डॉली की चिकनी टाँग पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
डॉली की तरफ़ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने धीरे से अपना हाथ डॉली की निक्कर में घुसा दिया।
‘अहा !’ क्या चिकनी चूत थी !
मेरे हाथ की उंगलियाँ चूत की दरार के अंदर तक थिरक रही थीं। असीम आनन्द आ रहा था। अब मेरी बीच वाली उंगली डॉली की चूत के छेद तक पहुँच चुकी थी।
मैंने उंगली अंदर घुसानी चाही तो चूत टाईट होने की वज़ह उंगली घुस नहीं सकी।
अब मैंने डॉली की निक्कर को नीचे सरका दिया। डॉली की चिकनी चूत मेरे सामने थी।
मैंने भी अपनी निक्कर को नीचे सरकाया और अपने लंड को डॉली की चूत पर रगड़ने लगा।
मेरा लंड पहली बार किसी चूत को स्पर्श कर रहा था। अब तक मेरा दिल खुल गया था। धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अचानक वही हो गया जिसका डर था। डॉली ने अपनी आँखें खोल दीं। वो मेरे लोहे जैसे लंड और अपनी खुली हुई चूत को बारी-बारी देख रही थी।
मेरी तो मानो गांड ही फ़ट गई थी। मेरा चेहरा किसी पिटी हुई गांड की तरह हो गया था।
डर के मारे मेरा लंड भी बैठ गया। कुछ देर तक मेरे लंड को देखने के बाद डॉली ज़ोर से हँसी और बोली- भैया मज़ा आ रहा था, रुक क्यों गये?
इसका मतलब वो इतनी देर से सोने का नाटक कर रही थी। मेरे लंड में फ़िर जान आ गई।
मैंने डॉली को अपने सीने से लगा लिया और बेतहाशा चूमने लगा। अब डॉली भी मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने उसकी बनियान भी उतार दी। साथ ही खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों नंगे थे।
नाईट बल्ब की रोशनी में डॉली का अंग-अंग चमक रहा था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से रगड खा रही थीं, हम दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
अब मेरे हाथ चूचियों की गोलाई नाप रहे थे। मैंने चूचियों को चूसना चालू कर दिया। मेरा एक हाथ उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
डॉली पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। अब वो भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे कर रही थी।
मैंने घुमा कर डॉली को अपने ऊपर ले लिया। उसके पूरे शरीर का भार मेरे ऊपर था। उसकी चूत मेरे लंड को ऊपर से रगड़ रही थी।
वो मेरे पूरे बदन को पागलों की तरह चूम रही थी। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने गालों के ऊपर घुमाने लगी।
उसने लंड के सुपाड़े को बहर निकाला और मेरे गुलाबी सुपाड़े पर अपनी जीभ घूमाने लगी।
मैंने उसे अपनी तरफ़ इस तरह से घुमा लिया कि अब हम दोनों 69 वाली पोज़ीशन में आ गये।
अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत। थोड़ी देर बाद मुझे मुँह में कुछ नमकीन सा पानी महसूस हुआ। इसका मतलब डॉली झड़ रही थी।
अब मुझे भी महसूस हुआ कि मेरा पानी अब निकलने वाला है तो मैंने लंड को डॉली के मुँह से बाहर खींच लिया।
अब मैंने डॉली को सीधा किया और उसकी चूचियों को चूसने लगा। कभी मैं उसकी चूचियों को चूसता, कभी उसके होंठों को।
मैंने अपनी ज़ीभ डॉली के होंठों में घुसा दी। अब हम दोनों एक-दूसरे की ज़ीभ को ऐसे चूस रहे थे, जैसे आइस्क्रीम को चूसते हैं।
मैंने अपनी ज़ीभ डॉली की चूत मैं घुसा दी। मेरी ज़ीभ चूत के अंदर लपलपा रही थी। बीच-बीच में मैं चूत के दाने को दांतों से काट भी लेता।
पूरा कमरा सिसकारियों से गूंज़ रहा था। डॉली भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी चूत चुसवा रही थी।
मज़े की बात ये थी कि इतनी देर से हम दोनों ने एक भी शब्द नहीं बोला ।
डॉली चुप्पी तोड़ते हुए बोली- भैया अब सहन नहीं हो रहा है।
इतना सुनते ही मैंने उसकी टाँगें खोल दीं और अपने लंड का टोपा डॉली की चूत पर रखकर हल्का सा झटका मारा तो लंड फ़िसल कर बाहर आ गया।
चुदाई के मामले में हम दोनों ही अनुभवहीन थे। मैं उठा और अलमारी से क्रीम निकाल कर ले आया। मैंने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगली में लगाई और उंगली चूत के छेद में घुसा दी।
डॉली हल्की सी उछली। अब मैं उंगली को धीरे-धीरे चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
कमरे में डॉली की कामुक आवाज़ गूंज़ रही थी।
"ओह भैया... फ़क्क मी।"
मैंने भी ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगाई और लंड को डॉली की चूत पर टिका दिया।
जैसे ही मैंनें लंड को हल्का सा झटका दिया करीब आधा इंच लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। डॉली दर्द से बिलबिला उठी।
मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और एक ज़ोर का झटका दिया। करीब आधा लंड डॉली की चूत में घुस चुका था।
डॉली ज़ोर से चीखी पर उसकी चीख अंदर तक ही घुट कर रह गई। मैं भी वहीं रुक गया।
डॉली की आँखें फ़टी हुई थीं और उनसे झमाझम आँसू बह रहे थे। डॉली की चूत की झिल्ली फ़ट चुकी थी और उससे खून बह रहा था।
मैंनें डॉली के होंठों को चूमना शुरू कर दिया साथ ही उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गई। अब धीरे-धीरे मैं लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
अब डॉली को भी मज़ा आ रहा था। मेरा लंड डॉली की चूत में गपागप जा रहा था। वो भी अपने चूतड़ उछाल कर चुद रही थी। पूरा कमरा सिसकारियों और फ़च-फ़च की आवाज़ से गूंज़ रहा था।
अचानक डॉली ने मुझे धक्का दिया और मुझे नीचे करके खुद ऊपर आ गई। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर टिका कर गप से बैठ गई।
उसके दोनों हाथ मेरी टाँगों के ऊपर थे और वो उछल-उछल कर चुदवा रही थी।
उसकी सुर्ख लाल चूत जैसे मेरे लंड को खा रही थी। मेरे दोनों हाथ उसके चूतडों की गोलाईयों पर घूम रहे थे।
करीब 35-40 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों का बदन ऐंठा और दोनों एक साथ झड़ गये।
उसकी चूत का पानी और मेरा वीर्य मेरे लंड से होता हुआ बेड तक फ़ैल चुका था। डॉली निढाल हो कर मेरे ऊपर गिर गई।
काफ़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद डॉली बाथरूम जाने के लिये उठी तो दर्द की वज़ह से लड़खड़ा गई।
मैं उसे पकड़ कर बाथरूम ले गया। वो बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। बाथरूम में जाकर हमने शावर चालू कर दिया।
डॉली की चूत फ़ूल कर पाव रोटी बन गई थी। हम एक-दूसरे को साफ़ कर रहे थे।
जैसे ही डॉली ने मेरे लंड पर साबुन लगाया मेरा लंड एक बार फ़िर खड़ा हो गया।
ठंड़े पानी से नहाने के कारण अब डॉली की जान में जान आ गई थी। अब डॉली मेरे लंड को मसल रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर घुमाने लगा।
हम दोनों फ़िर चुदाई के लिये तैयार हो गये। डॉली घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैंने उसे फ़र्श पर ही लेटा दिया। उसके दोनों घुटने मोड़ कर उसकी छाती से लगा दिये।
डॉली की लाल चूत इस प्रकार नज़र आ रही थी जैसे कि कोई सुर्ख गुलाब खिला हुआ हो।
मैंने अपना लंड डॉली की चूत के ऊपर रखा और एक झटके से पूरा अंदर डाल दिया।
डॉली को हल्का सा दर्द हुआ पर वो सहन कर गई। अब मैं उसे धकाधक चोद रहा था।
डॉली भी बड़बड़ा रही थी, "भैया अपनी बहन को चोद दो ! ओह भैया इतने दिन पहले क्यों नहीं चोदा, फ़ाड़ दो अपनी बहन की चूत।"
"ले अपने भाई का लण्ड, आज तेरी चूत फ़ाड़ कर ही छोडूंगा।"
करीब 25 मिनट की धकापेल चुदाई में डॉली दो बार झड़ चुकी थी और शायद वो थक भी चुकी थी।
मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। डॉली ने मेरा लंड हाथ में ले लिया आगे-पीछे करने लगी।
5-7 झटकों के बाद लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। डॉली का चेहरा वीर्य से भीग गया। हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ़ किया और लिपट के सो गये।
सुबह हमारी चुदाई क एक और दौर चला। कहते हैं कि इश्क़ और मुश्क़ छुपाए नहीं छुपते हैं।
अगर हमारी चुदाई की बात खुल गई तो समाज़ में बड़ी बदनामी होगी। इसलिये हम दोनों ने फ़ैसला किया कि यह हमारी आखिरी चुदाई है।
इसका मतलब यह नहीं कि हम आगे से चुदाई नहीं करेंगे। हमने एक-दूसरे से वायदा किया कि वो अपनी सहेलियाँ मुझसे चुदवायेगी और मैं उसे अपने दोस्तों से चुदवाऊँगा।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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