हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मेरी इज़्ज़त लूट ली पार्ट-1
हेलो मेरा नाम कल्पना है. मे आपको मेरे बारे मे बताती हूँ मेरी उमर 24 साल है रंग गोरा और फिगर 34-26-36 है. मे एक प्राइवेट स्कूल मे टीचर हूँ. ये कहानी 2 साल पहले की है जब मे नयी नयी इस स्कूल मे जॉब को लगी थी. तब मेरी बी. एड की पढ़ाई ख़तम हुई थी और मुझे ये नौकरी लगी थी. मैं इस स्कूल मे मेद्स सिखाती हूँ. मे 8थ से लेकर 10थ स्ट्ड के बच्चो को मेद्स सिखाती हूँ. तब एक दो महीने हूए थे मुझे स्कूल को जाय्न करके. मे रोज़ स्कूल बससे आया जाया करती थी बस मे हमेशा हमारे स्कूल के बच्चे रहते थे बस हमेशा स्कूल के टाइम पर जाती थी इसलिए बस हमेशा ही खचाखच भारी रहती थी. मुझे तो हमेशा खड़े रहके जाना पड़ता था. ये बात तब की है जब अगस्त मे हमारे स्कूल का एग्ज़ॅम था और बारिश्के दिन थे.सभी बच्चे हाथ मे बुक लेके पढ़ाई करते थे बस मे भी सब पढ़ाई करते थे. पर इनमे से कुछ बच्चे थे जो पढ़ाई से ज़्यादा मौज मे ही खोए थे. वो हमारे स्कूल के सबसे पूराने और सबसे बिगड़े हुए लड़के थे. वो सब क्लास 9थ के स्टूडेंट थे और वो लाघबाग एक ही क्लास मे 4 बार फैल होगये थे इसबार स्कूल ने उन्हे ये हिदायत दी थी कि अगर इसबार वो फैल हो जाते है तो उनको स्कूलसे निकाला जाएगा. इत्तफ़ाक़से वो सब मेरे ही सब्जेक्ट मे फैल होते थे. उस दिन वो चारो मेरे पीछे खड़े थे भीड़ इतनी थी कि सब एक दूसरे से चिपक के खड़े थे उनमे से एक मुझसे चिपक के खड़ा था. बाहर बारिश हो रही थी और बस स्कूल की तरफ जा रही थी. सुबह का वक़्त था. बारिश के कारण मे भीग गयी थी. छाता तो था लेकिन हवा के वजह्से मे भीग गयी थी. मे स्कूल मे हमेशा साड़ी पेहन्के जाती थी हमारे स्कूल मे साड़ी पहनना कंपल्सरी था.
वो जो लड़का मेरे पिछे खड़ा था वो मुझसे इतना चिपका हुआ था कि उसका शरीर मेरे शरीर से रगड़ रहा था. मुझे उसपर बोहत गुस्सा आया पर सबके सामने अपने स्टूडेंट की इज़्ज़त खराब हो जाएगी इसलिए मे चुप थी. उसका हाथ मेरी कमर के उपर लग रहा था. जब स्कूल आया तो सब उतर गये तब उसे मेने अपने ऑफीस मे बूलाया और उसको बोहत पीटा और फिर उसे क्लास के सामने भी पीटा. मे स्कूल मैं बोहत सख़्त थी. मुझसे सारे बच्चे डरते थे. कुछ दिन बीत गये फिर एक दिन जब स्कूल छूटा तो बस मे जाते वक़्त वो सब मेरे पीछे ही खड़े थे. कुछ देर बस आगे जाने के बाद किसीने मेरे चूतरो पर ज़ोर का चांटा मारा. और वो चारो हस्ने लगे. मे डर गयी थी मैने उनकी तरफ गुस्से से देखा वो सब शांत हो गये. अगले दिन वो फिरसे मेरे पिछे खड़े हो गये. अब की बार फिरसे मेरे चूतरो पर किसी ने हाथ लगाया. मेने पलट के देखा तो वो सब कुछ हुआ ही नही ऐसे बिहेव कर रहे थे. मुझे बोहत गुस्सा आ रहा था. लेकिन मे कुछ कर भी नही सकती थी अगर मेने कुछ कहा तो उनके साथ मेरी भी बदनामी होगी स्कूल मे सब मुझे चिढ़ाते कि एक मेडम को उनके स्टूडेंट ने छेड़ा. इसलिए मेने उन चारो को फिरसे क्लास मे पीटा.
फिर कुछ दिन शान्ती से बीते लेकिन फिरसे एक दिन बस मे वो मेरे पिछे खड़े थे उनमे से एक ने मुझे चूटी काटी और मे चिल्लाई उईईईई म्म्माआआआआआआआ आ सब स्कूल के बच्चे मुझे देखने लगे और मुझसे पूछा क्या हुआ मेडम मैने कहा कुछ नही चीटी ने काटा और उनकी तरफ देखकर अपनी पीठ को खुजाने लगी. उनकी हिम्मत बोहत बढ़ रही थी. वो अब रोज़ मुझे परेशान कर रहे थे मुझे उनपर इतना गुस्सा था पर लड़की होने के कारण कुछ कर नही सकती थी मेने अब उनको पीटना भी छोड़ दिया था पिटाईका उनपर कोई असर ही नही होता था दूसरे दिन वो वही करते थे. मेने इसका गुस्सा उनके रिज़ल्ट पे निकाला और पहले एग्ज़ॅम मे उनको चारो को फैल कर दिया. रिज़ल्ट के दिन जब मैं बस मे घर जा रही थी रोज़ की तरह वो मेरे पिछे खड़े थे. और बस स्टॉप से निकली थी और आधे रास्ते मे उनमे से एक ने मेरे चूतरो पर हाथ रखा इसबार उसने हाथ निकाला नही. मेने पलट के देखा तो उनमे से सबसे हत्ते कत्ते स्टूडेंट ने मेरे चूतरो पर हाथ रखा था. मैं डर गयी मेने हाथ से उसका हाट हटाया और थोड़ी आगे सरक गयी . लेकिन वो नही माना और इसबार मेरे दोनो चूटरो पर उसके हाथ थे अब तो दूसरे ने भी हाथ रख दिया था.
इसबार मे चुपचाप खड़ी रही मेने अब ठान लिया था कि उनकी किसी हरकतपे रेस्पॉन्स ही नही करना मे वैसे ही खड़ी रही. लेकिन अब तो उनकी हिम्मत और बढ़ गयी उसने मेरे चूतरो से हाथ निकाला मेने चैन की साँस ली लेकिन अगले ही पल उसका हाथ पिच्छेसे मेरे छाती पर आ गया और मेरे बूब्स पर रगड़ ने लगा. भीड़के वजाहासे सामने वाले आदमी के कारण उसका हाथ किसिको नही दिख रहा था लेकिन फिर भी मेने हिम्मत नही हारी और वैसेही खड़ी रही वो मेरे बूब्स को दबाने लगा तो मेरे अंदर एक करेंट उठा और मेरे कमर मे अकड़ आगाई और मेरे चूत से पानी निकला और मे झार गयी मेरी पॅंटी गीली हो चुकी थी और मे कुछ हल्का महसूस कर रही थी. लेकिन मे बोहत डरी हुई थी. इतने मे उनका स्टॉप आ गया और वो सब उतर गये. लेकिन मुझे इधर पसीना छूट रहा था. मे पहली बार उस दिन झारी थी. मुझे कुछ अजीबसा महसूस हो रहा था मेरे शरीर को अजीबसा सकून मिल गया था. मैने घर जाने के बाद अपने कपड़े उतार कर देखा तो मेरी पॅंटी गीली हो गयी थी और चूत भी गीली थी. मेने अपनी चूत मई उंगली डाली और उस लड़के के हाथ का स्पर्श मेरे सामने आगेया और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मानो वही मेरी चूत मे उंगली कर रहा हो मेरे उंगलिसे मैं फिरसे झार गयी. मैं उनकी करतूतसे आज पहेली बार गुस्सा होने की बजाय खुश थी. लेकिन वो लड़के मुझे और कुछ कर ना दे इसलिए मे तीन चार दिन स्कूल गयी ही नही. लेकिन मेरे घर की हालत इतनी ठीक नही थी के मे घर मे रह सकू मेरे घर मे बोहत ग़रीबी थी. इसलिए मुझे स्कूल जाना पड़ा उस दिन वो लड़के मुझसे बोहत दूर खड़े थे कुछ दिन वो मेरे करीब नही आए. लेकिन अब मुझे उनका करीब आना पसंद था.
और उस दिन सॅटर्डे था स्कूल जल्दी छूट गया था और मैने रोज़की तरह घर जाने के लिए बस पकड़ी. आज बोहत ही भीड़ थी और वो चारो भी मेरे आसपास ही खड़े थे. बस अपने रास्ते निकल पड़ी मेने बस का टिकेट लिया और खड़ी थी कि अचानक मेरी झंघो पर सेकिसी का हाथ घूमता हुआ फिर मेरे चूतरो से मेरी छाती के उपर चला आया मुझे तो यही चाहिए था. मेने कुछ नही किया बल्कि उस लड़के के और करीब आगाई और उसको टच करके खड़ी हो गयी वो चारो मेरे आगे पीछे खड़े थे. उन्होने मुझे कवर कर लिया था इसलिए मैं किसिको दिखाई नही दे रही थी. हम सब पिछली सीट के यहा खड़े थे उस लड़के ने मेरे बूब्स दबाना शुरू किया मुझे मस्ती आ रही थी लेकिन मैने चुप खड़ी थी तभी स्टॉप पर बस रूकी और हमारे बाजूवालि दो सीट खाली हो गयी मैं वाहा बैठ गयी मैने खिड़की वाली सीट पकड़ी और उनमे से एक लड़का मेरे साथ बैठ गया हम बस की लास्ट सीट पर बैठे थे. और वो तीनो लड़के हमारे आगे खड़े हो गये यानी अब हमे कोई देख नही सकता था. अब वो मेरे झंघोपर हाथ रखकर मेरी साड़ी को उपर करने लगा तो मेने उसे रोका लेकिन उसने मेरी साड़ी मेरेघूटने तक उपर की और मेरी साड़ी मे हाथ डाला उसका हाथ मेरी पॅंटी के उपर थॉ वो मेरी चूत को हाथ सहलाने लगा मेरे शरीर मे फिरसे अकड़न सी होगयि और मे झार गयी मेरी चूत से पानी निकला तो वो उसके हाथ पर लगा वो मेरी तरफ देखकर हसने लगा. अब उसने एक हाथ से मेरे ब्लाउस को खोला और मेरे ब्रा के उपर से मेरे स्तनोको मसल्ने लगा. उसकी इस हरकतसे मे पागल हो उठी थी मुझमे शरम नाम की चीज़ बची नही थी. कुछ देर मेरे बूब्स को दबाने के बाद उसने मेरे कान मे कहा मेडम अगर पूरा मज़ा चाहिए तो हमारे स्टॉप पर उतर जाओ.
क्रमशः.................
meri izzat loot li Part-1
Hello mera naam Kalpana hai. Me apko mere bare me batati hoon meri umar 24 saal hai rang gora aur figar 34-26-36 hai. Me ek private school me teacher hoon. Ye kahani 2 saal pahle ki hai jab me nayi nayi is school me job ko lagi thi. Tab meri b. ed ki padhai katm huyi thi aur muze ye naukari lagi thi. Mai is school mai maths sikhati hoon. Me 8th se lekar 10th std ke bachho ko maths sikhati hoon. Tab ek do mahine hooey the muze school ko join karke. Me roz school bus aya jaya karti hi bus me hamesha hamare school ke bachhe rahte the bus hamesha school ke time par jati thi isliye bus hameshahi khachakhach bhari rahti thi. Muze to hamesha khade rahke jana padta tha. Ye baat tab ki hai jab august me hammare school ka exam tha aur barishke din the.sabhi bachhe hatme book leke padhai karte the bus me bhi sab padhai karte the. Par inmese kuch bachhe the jo padhai se jyada mauj me hi khoye the. Wo hamaare school ke sabse poorane aur sabse bigade huye ladke the. Wo sab class 9th ke student the aur wo laghabag ek hi class me 4 baar fail hogaye the isbaar school ne unhe ye hidayat di thi ki agar isbaar wo fail hojate hai to unko scoolse nikala jayega. Ittafaqse wo sab mere hi subject me fail hote the. Us din wo charo mere piche khade the bhid itni thi ki sab ek doosrese chipak ke khade the unmese ek muzko chipak ke khada tha. Bahar barish ho rahi thi aur bus school ki taraf ja rahi thi. Subah ka waqt tha. Barish ke karan me bhig gayi thi. Chata to tha lekin hawa ke wajahse me bhig gayi thi. Me school me hamesha saadi pehanke jaati thi hamare school me saadi pahanana compulsory tha.
Wo jo ladka mere pichhe khada tha who muzse itna chipka hua tha ki uska sharer mere sharirse ragad raha tha. Muze uspar bohat gussa aya par sabke samne apne student ki ijjat kharab ho jayegi isliye me chup thi. Uska haat meri kamar ke upar lag raha tha. Jab school aya to sab utar gaye tab use mene apne office me boolaya aur usko bohat pita aur phir use class ke samne bhi pita. Me school mai bohat sakht thi. Muzse saare bachhe darte the. Kuch din bit gaye fir ek din jab school chuta to bus me jate waqt wo sab mere piche hi khade the. Kuch der bus aage jane ke baad kisine mere chuttrope jor ka chanta maara. Aur wo charo hasne lage. Me dar gayi thimene unki taraf gusse se dekha wo sab shant ho gaye. Agale din wo firse mere pichhe khade ho gaye. Ab ki baar firse mere chuttrope kisne haat lagaya. Mene palat ke dekha to who sab kuch hua hi nahi aise behave kar rahe the. Muze bohat gussa araha tha. Lekin me kuch kar bhi nahi sakti thi agar mene kuch kaha to unke saath meri bhi badnami hogi school me sab muze chidhate ki ek madam ki ched unke student ne nikali. Isliye mene un charo ko firse class me pita.
Fir kuch din shanty se bite lekin firse ek din bus me wo mere pichhe khade the unmese ek ne muze chuti kati aur me chilayi uiiiiii mmmaaaaaaaaaaaaaaaa a sab school ke bachhe muze dekhane lage aur muze poochha kya hua madam maine kaha kuch nahi chiti ne kata aur unki taraf dekhkar apni pith ko khujane lagi. Unki himmat bohat badh rahi thi. Wo ab roz muze pareshan kar rahe the muze unpar itna gussa tha par ladki hone ke karan kuch kar nahi sakti thi mene a bunko ptna bhi chord diya tha pitai unpar koi asar hi nahi hota tha doosre din wo wahi karte the. Mene iska gussa unke result pe nikala aur pahle exam me unko charo ko fail kar diya. Result ke din jab mai bus me ghar ja rahi thi roz ki tarah wo mere pichhe khade the. Aur bus stop se nikali thi aur adhe raste mai unmese ek ne mere chutrope haat rakha isbaar usne haat nikala nahi. Mene palat ke dekha to unmese sabase hatte katte student ne mere chuttrope haat rakha tha. Mai dar gayi mene haatse uska haat nikala aur thodi age sarak gayi . lekin wo nahi mana aur isbaar mere dono chuttrope haat the ab to doosre ne bhi haat rakh diya tha.
Isbaar me chupchap khadi rahi mene ab than liya tha ki unki kisi harkatpe response hi nahi karna me waise hi khadi rahi. Lekin ab to unki himmat aur badh gayi usne mere chuttrose haat nikala mene chain ki saans li lekin agale hi pal uska haat pichhese mere chati par agaya aur mere boobspe ragad ne laga. Bhidke wajahase samne wale admi ke karan uska haat kisiko nahi dikh raha tha lekin fir bhi mene himmat nahi haari aur waisehi khadi rahi wo mere boobs ko dabane laga to mere ander ek current utha aur mere kamar me akad agayi aur mere chutes paani nikala aur me jhar gayi meri panti gili ho chuki thi aur me kuch halka mehsoos kar rahi thi. Lekin me bohat dari hui thi. Itne me unka stop agay aur who sab utar gaye. Lekin muze idhar pasina chut raha tha. Me pahli baar us din jhari thi. Muze kuch ajibsa mahsoos ho raha tha mere sharir ko ajibsa sakoon mil gaya tha. Mai ghar jane ke baad apne kapde utar kar dekh to meri panti gili ho gayi thi aur choot bhi gili thi. Mene apne choot mai ungli daali aur us ladke ke haat ka sparsh mere saamne agaya aur muze aisa mahsoos ho raa tha ki mano wahi mere choot me ungli kar raha ho mere unglise mai firse jhar gayi. Mai unke kartootse aaj paheli baar gussa hone k bajay khush thi. Lekin wo ladke muze aur kuch kar na de isliye me teen char din school gayi hi nahi. Lekin mere ghar ki halat itni thik nahi thi ke me gharme rah sakoo mere gharme bohat garibi thi. Isliye muze school jana pada us din wo ladke muzse bohat door khade the kuch din wo mere karib nahi aye. Lekin ab muze unka karib ana pasand tha.
Aur us din saturday tha school jaldi chut gaya tha aur maine rozki tarah ghar jane ke liye bus pakdi. Aaj bohat hi bhid thi aur who charo bhi mere aspas hi khade the. Bus apne raste nikal padi mene bus ka ticket liya aur khadi thi ki achanak mere jhangho par kisika haat ghumta hua mere chuttropese mere chati ke upar chala aya muze to yahi chahiye tha. Mene kuch nahi kiya balki us ladke ke aur karib agayi aur usko touch karke khadi ho gayi wo charo mere age piche khade the. Unhone muze cover kar liya tha isliye mai kisiko dokhai nahi de rahi thi. Hum sab pichale seat key yaha khade the us ladke ne mere boobs dabana shuroo kiya muze masti arahi thi lekin maine chup khadi thi tabhi stop par bus rooki aur hamare bajoowali do seat khali ho gayi mai waha baith gayi maine khidki wali seat pakdi aur unmese ek ladka mere saath baith gaya hum bus ki last seat par baithe the. Aur wo teeno ladke hamare age khade ho gaye yaani ab hume koi dekh nahi sakta tha. Ab usne mere jhanghopar haat rakhkar meri saadiko upar karne laga to mene use roka lekin usne meri saadi mereghutne tak upar ki aur mere saadi me haat dala uska haat mere panti ke upar thaw o mere choot ko haatse sehalane laga mere sharer me firse akdansi hogayi aur me jhar gayi mere chootse paani nikala to who uske haatpar laga wo meri taraf dekhakar hasane laga. Ab usne ek haatse mere blouse ko khola aur mere bra ke uaparse mere stanoko masalne laga. Uske is harkatse me pagal ho uthi thi muzme sharam naam ki chij bachi nahi thi. Kuch der mere boobs ko dabane ke baad usne mere kaan me kaha madam agar poora maza chahiye to hamare stop par utar jao.
kramashah.................
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