Sunday, January 23, 2011

Hindi sexi stori- यार बना प्रीतम- भाग (5)


यार बना प्रीतम - भाग (5)

गतान्क से आगे........
संभाल राजा, गिरना नहीं और उचक कर उस'ने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर देते हुए अपनी टाँगें उठ कर मेरी जांघों के इर्द गिर्द फँसा लीं और मुझ पर चढ कर हचक हचक कर मेरी गान्ड चोद'ने लगा. उसका पचहत्तर किलो वजन मेरे ऊपर आ गया और मैं लड़खड़ा गया.

अब वह पूरे ज़ोर से लंड करीब करीब पूरा बाहर निकाल'कर और फिर अंदर पेलते हुए मुझे चोद रहा था. मेरे ऊपर वह ऐसे चढ़ा था जैसे घोड़े पर सवार चढत है! उस'के इन शक्तिशाली धक्कों को मैं ना सह पाया और चार पाँच प्रहारों के बाद मुँह के बल बिस्तर पर गिर गया. प्रीतम मुझे चोद'ता रहा और अगले ही क्षण वह भी झड गया. उस'के गर्म वीर्य का फुआरा मेरी गान्ड में छूटा और मैं धन्य हो गया.

कुछ देर सुस्ता'ने पर उस'ने धीरे से अपना लंड मेरी चुदी गान्ड के बाहर निकाला. वह अब सिकुड गया था पर उसपर प्रीतम का वीर्य लगा हुआ था. मेरा लंड भी अब तन्नाया हुआ था, उसे देख'कर वह बोला

जल्दी आ जा मेरे यार, सिक्सटी नाइन कर लेते हैं. फिर बोला.

मेरा झड गया तो क्या हुआ, उसपर काफ़ी मलाई लगी है, चूस ले. हम एक दूसरे के लंड मुँह में लेकर लेट गये. मेरी गान्ड का स्वाद लगे उस लौडे का स्वाद ज़्यादा ही मतवाला हो गया था. जब तक मैने उसका वीर्य से लिपटा लंड सॉफ किया, उस'ने भी बड़ी सफाई से मेरा लंड चूस कर मुझे झाड़ा दिया.

घ्हडी में देखा तो रात के दो बज गये थे. चार पाँच घंटे कैसे निकल गये पता ही नहीं चला. हम दोनों तृप्त थे, लिपट कर एक दूसरे को चूमते हुए पति पत्नी की तरह सो गये. मेरी गान्ड अब ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने उसे घूँसों से अंदर से पीटा हो. प्रीतम को बताया तो वह हंस'ने लगा.

तेरा कौमार्य भंग हुआ है, सील टूटी है तो दुखेगा ही! पर आज दोपहर तक ठीक हो जाएगा. तू नींद की गोली ले ले और सो जा. सोते समय उस'ने मुझे समझाया.

यार गान्ड मार'ने के बाद लंड हमेशा चूस कर सॉफ करना, पोंच्छाना नहीं, अरे यह तो हमारे शरीर का अमृत है, इसे व्यर्थ नहीं जा'ने देना चाहिए. शुरू में गान्ड में से निकले लंड को चूस'ने में थोड गंदा लग'ता है पर फिर आदत हो जा'ती है. वैसे सेक्स में शरीर की कोई भी चीज़ गंदी नहीं होती. मैने उसे बताया कि मेरी गान्ड में से निकला उसका लंड चूस'ने में मुझे ज़रा भी गंदा नहीं लगा था.

वे खूबसूरत चप्पलें

हम सुबह दस बजे सो कर उठे. दोनों के लंड फिर खड़े थे. गांद में होते दर्द के बावजूद मैं तो इतना आतुर था कि फिर कामक्रीड़ा में जुट जाना चाह'ता था पर उस'ने कहा कि अब दोपहर को करेंगे. बहुत बार कर'ने से लंड थक जाएगा तो सुख की वह धार निकल जाएगी. चाय पीकर हम नहा'ने गये. प्रीतम बोला.

तू चल, मैं पाँच मिनिट में आता हूँ, ज़रा सामान जमा लूँ. मैने प्रीतम से कहा कि अपनी चप्पल मुझे दे दे, मैं अपनी चप्पल के साथ उस'की भी धो देता हूँ. असल में कल से उस'की चप्पल देख देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था, लग'ता था कि कब उसे हाथ में लूँ और मज़े करूँ. पर उससे कह'ने में झिझक रहा था, सोच'ता था की उसे पता नहीं मेरी इस फेटिश पर क्या लगे.

चप्पलें लेकर मैं बाथ रूम गया. शावर लगाया और थोड़ा नहा'कर ब्रश लेकर मेरी और उस'की चप्पलें सॉफ कीं. वैसे वे इतनी सॉफ थी कि उस'की कोई ज़रूरत नहीं थी. फिर मौका देख'कर कि प्रीतम को आने में कुच्छ वक्त लगेगा, मैने प्रीतम की चप्पलें उठाईं और मुँह से लगा लीं. उन्हें प्यार किया, चूमा, अप'ने गालों और आँखों पर फेरा, उस'के पत्ते अप'ने लंड में फँसाए, उन'के चिक'ने तलवों में अपना लंड दबा कर घिसा और फिर उन्हें चाट'ने लगा. स्वर्ग सा सुख मिल रहा था, रब्बर और प्रीतम के पैरों की भीनी खुशबू से मेरा सिर घूम रहा था. इत'ने में अचानक बाथ रूम का दरवाजा खुला और प्रीतम अंदर आया.

यार सामान बाद में जमा लेंगे, अपनी रानी के साथ नहा तो लूँ. मैने घबरा कर चप्पलें नीचे रख दीं. पता नहीं उस'ने देखा या नहीं. वह भी कुच्छ ना बोला और मुझे बाँहों में भर'कर चूम'ने लगा.

हम'ने खूब नहाया और मज़ा किया. एक दूसरे को साबुन लगाया, मालिश की और एक दूसरे के बदन को ठीक से देखा और टटोला. दोनों के लंड खड़े हो गये थे पर हम'ने अप'ने आप पर काबू रखा. नहाते समय पेशाब लगी तो एक दूसरे के साम'ने ही हम मूते. मैं जब मूत रहा था तो उस'ने धार में अपना हाथ रख दिया.

मस्त लग'ता है गरम गरमा, तू भी देख. मैने भी उस'के मूत्र की तेज धार हाथ में ली तो वह गरम गरम फुहार मन में एक अजीब गुदगुदी कर गयी. ज़रा भी अटपटा नहीं लगा. वह अचानक मूतते मूतते रुका और मेरे साम'ने बैठ'कर मेरी धार अप'ने शरीर पर लेने लगा. मैने हड़बड़ा कर मूतना बंद कर दिया तो बोला.

रुक क्यों गये राजा? मूत मेरे ऊपर, मेरे चेहरे पर धार डाल, मुझे बहुत अक्च्छा लग'ता है. मैने फिर मूतना शुरू किया. वह हिल डुल कर उस धार को अप'ने चेहरे और होंठों पर लेते हुए बैठ गया. मेरा मूतना ख़त्म होते होते उस'ने अचानक मुँह खोल कर कुच्छ बूँदें अंदर भी ले लीं. जीभ निकाल'कर चाट'ता हुआ बोला.

मस्त स्वाद है यार, खारा खारा. मैं अब तैश में था. मैं उस'के साम'ने बैठ गया और उसे भी वैसा ही कर'ने को कहा. जब उस'के मूत की मोटी तेज धार मेरे चेहरे को भिगोने लगी तो मैने मन को कड़ा कर के मुँह खोला. आधी धार अंदर गयी और उस गरम गरम खारे कसाले स्वाद से मेरा लंड और उच्छल'ने लगा. मुँह खोल'ने के पहले मैं थोड़ा परेशान था कि अगर गंदा लगे तो मेरे चेहरे के भाव से प्रीतम नाखुश ना हो जाए पर यहाँ तो उलट ही हुआ, मुझे ऐसा मज़ा आया कि उसका मूत ख़तम होने पर मैं कुच्छ निराश हो गया कि वह और क्यों नहीं मूता.

मूतना ख़तम होने पर हम दोनों शवर के नीचे खूब नहाए. जब बदन सुखाते हुए बाहर आए तो मैं तो उससे लिपट लिपट जाना चाह'ता था पर उस'ने मुझे शांत होने को कहा. बोला कि सामान जमा लेना और फिर थोड़ी पढाइ कर लेना. फिर दोपहर का खाना खा'कर मस्ती करेंगे.

हम दोपहर को बाहर खाना खा'कर वापस आए तो लंड त'ने लेकर. सीधे कपड़े उतारे और एक दूसरे से लिपट गये. प्रीतम ने नंगा होने के बाद मेरी ओर देखा और फिर मुस्करा'कर अपनी स्लीपर पहन लीं. इससे मेरे ऊपर जो प्रभाव हुआ वह अवर्णनीय है. उस'के गठे गोरे नग्न बदन और पैरों में वी रब्बर की चप्पलें देख'कर मैं झड'ने को आ गया. वह मुझे बोला.

यार तू भी चप्पल पहन ले, बड़ी प्यारा गुलाबी नाज़ुक चप्पलें हैं तेरी, तुझ पर जच'ती हैं. आपन दोनों ये हमेशा पहना करेंगे. मज़ा आता है हम सोफे पर बैठ'कर चूम चाटी कर रहे थे तभी प्रीतम ने कहा.

चल यार गान्ड मारते हैं. लंड ऐसे खड़े हैं कि जो पहले मरवाएगा उसे बहुत मज़ा आएगा. तू बिना झाडे घंटे भर मरवा सक'ता है? बोल? मरावाता है तो एक मस्त आसन तुझे दिखाता हूँ. मैं बहुत उत्तेजित था और झड़ना चाह'ता था. पर इस हालत में प्रीतम के उस मोटे ताजे लंड से मरा'ने की कल'पना मुझे बड़ी प्यारी लग रही थी. मैने किसी तरह उछलते लंड को थोड शांत किया और तैयार हो गया. प्रीतम सोफे पर बैठ गया और उस'के कह'ने पर मैं उस'के बाजू में खड हो गया. बड़े प्यार से उस'ने मेरे गुदा में मक्खन लगाया और मैने उस'के लौडे पर. फिर वह टाँगें फैला कर बैठ गया और मुझे उस'की तरफ पीठ कर'के अपनी टाँगों के बीच खड कर लिया.

गोद में बिठ कर मारूँगा मेरी रानी. अब झुक जा और गान्ड खोल ले. मैं थोड झुका और अप'ने हाथों से अप'ने चूतड फैलाए. प्रीतम ने सुपाड़ा छेद पर जमाया और बोला.

गांद ढीली छोड मैने जैसे ही गुदा ढीला किया, पक्क से उस'ने एक बार में सुपाड अंदर कर दिया. एक दर्द की टीस मेरे गुदा में उठी पर कल से दर्द कम था और मज़ा भी बहुत आया. अब उस'ने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचा और बोला.

मेरे लौडे को अंदर ले ले और बैठ जा मेरी गोद में. कह'ने को आसान था पर इस सूली पर चढ'ने में दो मिनिट लग गये. कल की मराई से मेरी गान्ड खुल ज़रूर गयी थी पर अब भी उस'के लंड की मोटायी के हिसाब से काफ़ी कसी थी. उस'की गोद में बैठ'ने की कोशिश करते हुए एक एक इंच कर'के लंड मैने कैसे अंदर लिया, मैं ही जान'ता हूँ. जब आखरी तीन इंच बचे तो उस'ने ज़ोर से मेरी कमर पकड़ कर खींचा और पूरा लंड सटाक से अंदर लेकर मैं धम्म से उस'की गोद में बैठ गया. फिर से गान्ड में कस कर दर्द हुआ और ना चाहते हुए भी मैं हल्का सा चीख उठा. फिर सॉरी बोला. उस'ने मुझे बाँहों में कसा और मेरे गालों को चूम'ता हुआ मुझे प्यार कर'ने लगा.

सॉरी मत बोल यार, जितना चिल्लाना है उतना चिल्ला. तेरे कुंवारेपन की निशानी है, मुझे तो बहुत मज़ा आता है जब तू कसमसाता है. अच्च्छा लग'ता है कि मेरा लंड इतना बड़ा है कि तेरे जैसे प्यारे गान्डू को भी तकलीफ़ होती है. दर्द के बावजूद मैं सुख में डूबा हुआ था. उस'ने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और दूसरे से मेरे चूचुक हौले हौले मसल'ने लगा. मैने मुँह घुमाया और हम दोनों एक दीर्घ चुंबन में जुट गये. वह अब धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अप'ने लंड को मेरे पेट के अंदर मुठियाता हुआ मेरी गान्ड मार रहा था. अचानक उस'ने पूच्छा.

सुकुमार मेरे यार, तुझे सच में मेरी चप्पलें इतनी अच्छी लग'ती हैं? सुन'कर मैं शरमा गया. ज़रूर उस'ने बाथ रूम में मुझे उस'की चप्पलें चाटते हुए देख लिया था.

तूने देख लिया क्या? मैने पूचछा तो वह हंस'ने लगा.

आज ही नहीं, मैं दो दिनों से देख रहा हूँ तू बार बार मेरे पैरों को क्यों देख'ता है. अरे शरमाता क्यों है, यार को नहीं बताएगा तो किसे बताएगा? कोई चीज़ शरमा'ने लायक नहीं है, तुझे मज़ा आता है ना? बस किया कर जो मन में आए मेरी चप्पालों के साथ. वैसे तेरी ये गुलाबी चप्पलें भी बड़ी प्यारी हैं मैने शरमाते हुए कहा,

प्रीतम, असल में उस रात जब तेरी चप्पलें तेरे पैर में देखी थी, मेरा खड़ा हो गया था. बहुत प्यारी हैं, पहन पहन कर घिसी हुई, मुझे बहुत अच्छी लग'ती हैं तेरी चप्पलें. और तू चल'ता भी है कैसे उन्हें चटक चटक'कर. वो आवाज़ सुन'कर लग'ता है कि उन्हें . . . और चुप हो गया. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ! फिर बोला.

चातेगा राजा मेरी चप्पल? उतारूं? मेरा दिल धडक रहा था. यह तो ऐसा हो गया जैसे भगवान पूच्छ रहे हों कि वर चाहिए तुझे? मैने कसमसा कर हां कर दी. प्रीतम बोला,

पहले ही बोलना था मेरी जान, ऐसे मामलों में शरम नहीं करते. क्या मज़ा लेगा अगर शरम करेगा. ले अब मन भर कर स्वाद ले मेरी चप्पालों का कह'कर उस'ने झुक कर अपनी चप्पलें उताऱी और हाथ में ले लीं. पहले उन्हें उलट कर'के उन'के अंदर के सोल मेरे लंड पर रगडे. उस मुलायम चिक'ने स्पर्श से मैं झड'ने को आ गया. तब उस'ने एक चप्पल के पत्ते में मेरे लंड को डाल कर उसे लंड पर लटका दिया और दूसरी हाथ में लेकर मेरे मुँह पर रख दी.

पास से मेरे यार की उस चप्पल को देख'कर और सूंघ'कर मैं वासना से पागल होने को आ गया. इतनी मीठी टीस मेरे लंड में हो रही थी. मैं जीभ निकाल'कर चप्पल चाट'ने लगा. उस'ने घुमा घुमा कर बड़े प्यार से चप्पल का इंच इंच चटवाया. रब्बर का खारा सा स्वाद बड़ा मादक था.

पट्टे मुँह में ले ले और चूस. उस'ने कहा. मैने वे पत्ते मुँह में भर लिए और चूस'ने लगा. कुच्छ देर बाद उस'के कह'ने पर मैने चप्पल का पंजा मुँह में ले लिया और चबा चबा कर चूस'ने लगा.

यार, और मुँह में ले ना. मेरे ख्याल से तो तू पूरी भी ले लेगा. तुझे बहुत मज़ा आएगा. चल मैं हेल्प कर'ता हूँ उस'ने मेरे सिर को एक हाथ से सहारा दिया और दूसरे से अपनी चप्पल की हील पकड़'कर उसे मेरे मुँह में पेल'ने लगा. मैं चूस'ता जाता और निगल'ता जाता. आधी चप्पल जब मेरे मुँह में समा गयी तो मैं थोड़ा कसमसा'ने लगा. मुँह पूरा भर गया था और गाल फूल गये थे.
क्रमशः................
YAAR BANA PRITAM - BHAAG (5)

gataank se aage........
Sambhaal raajaa, girana naheen Aur uchak kar us'ne apana poora vajan mere oopar dete hue apanee Taangen uTha kar meree jaanghon ke ird gird fansa leen aur mujh par chaDha kar hachak hachak kar meree gaanD chod'ne lagaa. Usaka pachahattar kilo wajan mere oopar aa gaya aur main laDakhaDa gayaa.

Ab wah poore jor se lunD kareeb kareeb poora baahar nikaal'kar aur fir andar pelate hue mujhe chod raha thaa. Mere oopar wah aise chaDhaa tha jaise ghoDe par sawaar chaDhaata hai! Us'ke in shaktishaalee dhakkon ko main na sah paaya aur chaar paanch prahaaron ke baad munh ke bal bistar par gir gayaa. Pritam mujhe chod'ta raha aur agale hee xaN wah bhee jhaD gayaa. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Us'ke garm veery ka fuaara meree gaanD men chhooTa aur main dhany ho gayaa.

Kuch der susta'ne par us'ne dheere se apana lunD meree chudee gaanD ke baahar nikaalaa. Wah ab sikuD gaya tha par usapar Pritam ka veery laga hua thaa. Mera lunD bhee ab tannaaya hua thaa, use dekh'kar wah bola

Jaldee aa ja mere yaar, siksaTee naain kar lete hain. Fir bolaa.

Mera jhaD gaya to kya huaa, usapar kaafee malaayee lagee hai, choos le. Ham ek doosare ke lunD munh men lekar leT gaye. Meree gaanD ka swaad lage us lauDe ka swaad jyaada hee matawaala ho gaya thaa. Jab tak maine usaka veery se lipaTa lunD saaf kiyaa, us'ne bhee baDee safaayee se mera lunD choos kar mujhe jhaDa diyaa.

GhaDee men dekha to raat ke do baj gaye the. Chaar paanch ghante kaise nikal gaye pata hee naheen chalaa. Ham donon tRupt the, lipaT kar ek doosare ko choonate hue pati patnee kee tarah so gaye. Meree gaanD ab aise dukh rahee thee jaise kiseene use ghoomson se andar se peeTa ho. Pritam ko bataaya to wah hans'ne lagaa.

Tera kaumaary bhang hua hai, seel TooTee hai to dukhega hee! Par aaj dopahar tak Theek ho jaayegaa. Too neend kee golee le le aur so jaa. Sote samay us'ne mujhe samajhaayaa.

Yaar gaanD maar'ne ke baad lunD hamesha choos kar saaf karanaa, ponchhana naheen, are yah to hamaare shareer ka amRut hai, ise vyarth naheen ja'ne dena chaahiye. Shuroo men gaanD men se nikale lunD ko choos'ne men thoDa ganda lag'ta hai par fir aadat ho ja'tee hai. Waise seks men shareer kee koee bhee cheez gandee naheen hotee. Maine use bataaya ki meree gaanD men se nikala usaka lunD choos'ne men mujhe jara bhee ganda naheen laga thaa.

We khoobasoorat chappalen

Ham subah das baje so kar uThe. Donon ke lunD fir khaDe the. GaanD men hote dard ke baawajood main to itana aatur tha ki fir kaamakreeDa men juT jaan chaah'ta tha par us'ne kaha ki ab dopahar ko karenge. Bahut baar kar'ne se lunD thak jaayega to sukh kee wah dhaar nikal jaayegee. Chaay peekar ham naha'ne gaye. Pritam bolaa.

Too chal, main paanch minute men aata hoon, jara saamaan jama loon. Maine Pritam se kaha ki apanee chappal mujhe de de, main apanee chappal ke saath us'kee bhee dho deta hoon. Asal men kal se us'kee chappal dekh dekh kar main paagal hua ja raha thaa, lag'ta tha ki kab use haath men loon aur maje karoom. Par usase kah'ne men jhijhak raha thaa, soch'ta tha ki use pata naheen meree is fetish par kya lage.

Chappalen lekar main bath room gayaa. Shaawar lagaaya aur thoDa naha'kar brash lekar meree aur us'kee chappalen saaf keen. Waise we itanee saaf thee ki us'kee koee jaroorat naheen thee. Fir mauka dekh'kar ki Pritam ko aane men kuchh wakt lagegaa, maine Pritam kee chappalen uThaayeen aur munh se laga leen. Unhen pyaar kiyaa, choonaa, ap'ne gaalon aur aankhon par feraa, us'ke paTTe ap'ne lunD men fansaaye, un'ke chik'ne talawon men apana lunD daba kar ghisa aur fir unhen chaaT'ne lagaa. Swarg sa sukh mil raha thaa, rubber aur Pritam ke pairon kee bheenee khushaboo se mera sir ghoom raha thaa. it'ne men achaanak bath room ka darawaaja khula aur Pritam andar aayaa.

Yaar saamaan baad men jama lenge, apanee raanee ke saath naha to loon. Maine ghabara kar chappalen neeche rakh deen. Pata naheen us'ne dekha ya naheen. Wah bhee kuchh na bola aur mujhe baanhon men bhar'kar choom'ne lagaa.

Ham'ne khoob nahaaya aur maja kiyaa. Ek doosare ko saabun lagaayaa, maalish kee aur ek doosare ke badan ko Theek se dekha aur TaTolaa. Donon ke lunD khaDe ho gaye the par ham'ne ap'ne aap par kaaboo rakhaa. Nahaate samay peshaab lagee to ek doosare ke saam'ne hee ham moote. Main jab moot raha tha to us'ne dhaar men apana haath rakh diyaa.

Mast lag'ta hai garam garama, too bhee dekh. Maine bhee us'ke mootr kee tej dhaar haath men lee to wah garam garam fuhaar man men ek ajeeb gudagudee kar gayee. Jara bhee aTapaTa naheen lagaa. Wah achaanak mootate mootate ruka aur mere saam'ne baiTh'kar meree dhaar ap'ne shareer par lene lagaa. Maine haDabaDa kar mootana band kar diya to bolaa.

Ruk kyon gaye raajaa? Moot mere oopar, mere chehare par dhaar Daal, mujhe bahut acchha lag'ta hai. Maine fir mootana shuroo kiyaa. Wah hil Dul kar us dhaar ko ap'ne chehare aur honthon par lete hue baiTh gayaa. Mera mootana khatm hote hote us'ne achaanak munh khol kar kuchh boonden andar bhee le leen. Jeebh nikaal'kar chaaT'ta hua bolaa.

Mast swaad hai yaar, khaara kharaa. Main ab taish men thaa. Main us'ke saam'ne baiTh gaya aur use bhee waisa hee kar'ne ko kahaa. Jab us'ke moot kee moTee tej dhaar mere chehare ko bhigone lagee to maine man ko kaDa kar ke munh kholaa. Aadhee dhaar andar gayee aur us garam garam khaare kasaile swaad se mera lunD aur uchhal'ne lagaa. Munh khol'ne ke pahale main thoDa pareshaan tha ki agar ganda lage to mere chehare ke bhaav se Pritam naakhush na ho jaaye par yahaan to ulaTa hee huaa, mujhe aisa maja aaya ki usaka moot khatam hone par main kuchh niraash ho gaya ki wah aur kyon naheen mootaa.

Mootana khatam hone par ham donon shower ke neeche khoob nahaaye. Jab badan sukhaate hue baahar aaye to main to usase lipaT lipaT jaan chaah'ta tha par us'ne mujhe shaamt hone ko kahaa. Bola ki saamaan jama lena aur fir thoDee paDhaaayee kar lena. Fir dopahar ka khaana kha'kar mastee karenge.

Ham dopahar ko baahar khaana kha'kar waapas aaye to lunD t'ne lekar. Seedhe kapaDe utaare aur ek doosare se lipaT gaye. Pritam ne nanga hone ke baad meree or dekha aur fir muskara'kar apanee sleepar pahan leen. isase mere oopar jo prabhaav hua wah avarNaneey hai. Us'ke gaThe gore nagn badan aur pairon men we rubber kee chappalen dekh'kar main jhaD'ne ko aa gayaa. Wah mujhe bolaa.

Yaar too bhee chappal pahan le, baDee pyaara gulaabee naajuk chappalen hain teree, tujh par jach'tee hain. Apana donon ye hamesha pahana karenge. Maja aata hai Ham sofe par baiTh'kar choom chaaTee kar rahe the tabhee Pritam ne kahaa.

Chal yaar gaanD maarate hain. LunD aise khaDe hain ki jo pahale marawaayega use bahut maja aayegaa. Too bina jhaDe ghante bhar marawa sak'ta hai? Bol? marawaata hai to ek mast aasan tujhe dikhaata hoon. Main bahut uttejit tha aur jhaDana chaah'ta thaa. Par is haalat men Pritam ke us moTe taaje lunD se mara'ne kee kal'pana mujhe baDee pyaaree lag rahee thee. Maine kisee tarah uchhalate lunD ko thoDa shaamt kiya aur taiyaar ho gayaa. Pritam sofe par baiTh gaya aur us'ke kah'ne par main us'ke baajoo men khaDa ho gayaa. BaDe pyaar se us'ne mere guda men makkhan lagaaya aur maine us'ke lauDe par. Fir wah Taangen faila kar baiTh gaya aur mujhe us'kee taraf peeTh kar'ke apanee Taangon ke beech khaDa kar liyaa.

God men biTha kar maaroonga meree raanee. Ab jhuk ja aur gaanD khol le. Main thoDa jhuka aur ap'ne haathon se ap'ne chootaD failaaye. Pritam ne supaaDa chhed par jamaaya aur bolaa.

GaanD Dheelee chhoD Maine jaise hee guda Dheela kiyaa, pakk se us'ne ek baar men supaaDa andar kar diyaa. Ek dard kee Tees mere guda men uThee par kal se dard kam tha aur maja bhee bahut aayaa. Ab us'ne meree kamar men haath Daal kar apanee or kheencha aur bolaa.

Mere lauDe ko andar le le aur baiTh ja meree god men. Kah'ne ko aasaan tha par is soolee par chaDha'ne men do minute lag gaye. Kal kee maraayee se meree gaanD khul jaroor gayee thee par ab bhee us'ke lunD kee moTaayee ke hisaab se kaafee kasee thee. Us'kee god men baiTh'ne kee koshish karate hue ek ek inch kar'ke lunD maine kaise andar liyaa, main hee jaan'ta hoon. Jab aakharee teen inch bache to us'ne jor se meree kamar pakaD kar kheencha aur poora lunD saTaak se andar lekar main dhamm se us'kee god men baiTh gayaa. Fir se gaanD men kas kar dard hua aur na chaahate hue bhee main halka sa cheekh uThaa. Fir sorry bolaa. Us'ne mujhe baanhon men kasa aur mere gaalon ko choom'ta hua mujhe pyaar kar'ne lagaa.

Sorry mat bol yaar, jitana chillaana hai utana chillaa. Tere kunwaarepan kee nishaanee hai, mujhe to bahut maja aata hai jab too kasamasaata hai. Achchha lag'ta hai ki mera lunD itana baDa hai ki tere jaise pyaare gaanDoo ko bhee takaleef hotee hai. Dard ke baawajood main sukh men Dooba hua thaa. Us'ne ek haath se mere lunD ko sahalaana shuroo kiya aur doosare se mere chuchuk haule haule masal'ne lagaa. Maine munh ghumaaya aur ham donon ek deergh chumban men juT gaye. Wah ab dheere dheere oopar neeche hokar ap'ne lunD ko mere peT ke andar muThiyaata hua meree gaanD maar raha thaa. Achaanak us'ne poochhaa.

Sukumar mere yaar, tujhe sach men meree chappalen itanee achchhee lag'tee hain? Sun'kar main sharama gayaa. Jaroor us'ne bath room men mujhe us'kee chappalen chaaTate hue dekh liya thaa.

Toone dekh liya kyaa? Maine poochha to wah hans'ne lagaa.

Aaj hee naheen, main do dinon se dekh raha hoon too baar baar mere pairon ko kyon dekh'ta hai. Are sharamaata kyon hai, yaar ko naheen bataayega to kise bataayegaa? Koee cheez sharama'ne laayak naheen hai, tujhe maja aata hai naa? bas kiya kar jo man men aaye meree chappalon ke saath. Waise teree ye gulaabee chappalen bhee baDee pyaaree hain Maine sharamaate hue kaha,

Pritam, asal men us raat jab teree chappalen tere pair men dekhee thee, mera khaDa ho gaya thaa. Bahut pyaaree hain, pahan pahan kar ghisee huee, mujhe bahut achchhee lag'tee hain asiee chappalen. Aur too chal'ta bhee hai kaise unhen chaTaka chaTaka'kar. Wo aawaaj sun'kar lag'ta hai ki unhen . . . Aur chup ho gayaa. Samajh men naheen aa raha tha ki kya kahoon! Fir bolaa.

ChaaTega raaja meree chappal? Utaaroom? Mera dil dhaDak raha thaa. Yah to aisa ho gaya jaise bhagawaan poochh rahe hon ki war chaahiye tujhe? Maine kasamasa kar haan kar dee. Pritam bola,

Pahale hee bolana tha meree jaan, aise maamalon men sharam naheen karate. Kya maja lega agar sharam karegaa. Le ab man bhar kar swaad le meree chappalon kaa Kah'kar us'ne jhuk kar apanee chappalen utaaReena aur haath men le leen. Pahale unhen ulaTa kar'ke un'ke andar ke sol mere lunD par ragaDe. Us mulaayam chik'ne sparsh se main jhaD'ne ko aa gayaa. Tab us'ne ek chappal ke paTTe men mere lunD ko Daal kar use lunD par laTaka diya aur doosaree haath men lekar mere munh par rakh dee.

Paas se mere yaar kee us chappal ko dekh'kar aur soongh'kar main waasana se paagal hone ko aa gayaa. itanee meeThee Tees mere lunD men ho rahee thee. Main jeebh nikaal'kar chappal chaaT'ne lagaa. Us'ne ghuma ghuma kar baDe pyaar se chappal ka inch inch chaTawaayaa. Rubber ka khaara sa swaad baDa maadak thaa.

PaTTe munh men le le aur choos. Us'ne kahaa. Maine we paTTe munh men bhar liye aur choos'ne lagaa. Kuchh der baad us'ke kah'ne par maine chappal ka panja munh men le liya aur chaba chaba kar choos'ne lagaa.

Yaar, aur munh men le naa. Mere khyaal se to too pooree bhee le legaa. Tujhe bahut maja aayegaa. Chal main help kar'ta hoon Us'ne mere sir ko ek haath se sahaara diya aur doosare se apanee chappal kee heel pakaD'kar use mere munh men pel'ne lagaa. Main choos'ta jaata aur nigal'ta jaataa. Aadhee chappal jab mere munh men sama gayee to main thoDa kasamasa'ne lagaa. Munh poora bhar gaya tha aur gaal fool gaye the.
kramashah................







आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj

--


No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator