चुदाई के दिन चुदाई की रातें -1
मेरा नाम सुधा है और मैं बीए मे पढ़ती हूँ. दिखने में सुंदर हूँ लेकिन
नेचर शर्मीली है. मेरा फिगर 36-26-36 है और रंग गोरा है. पिच्छले हफ्ते
तक मैं कुँवारी थी. मैने राज शर्मा की सेक्सी स्टोरीस पढ़ी थी और ब्लू
फिल्म्स भी देखी थी जिस कारण मुझे सेक्स कि समझ तो थी लेकिन किसी ने मुझे
कभी चोदा नहीं था. मैं चुदाई की इच्छा के कारण हमेशा अपनी चूत को शेव कर
के रखती थी कि ना जाने कब कोई चुदाई करने वाला मिल जाए. लेकिन जैसे कि
मैने कहा, मैं डरती थी और किसी को चुदाई के लिए न्योता देने की हिम्मत
नहीं पड़ती थी. घर में मेरे सिवा पापा और एक छोटी बेहन नामिता थी. पापा
श्री हंस राज एक दुकान मालिक थे और छ्होटी बेहन 12 क्लास में पढ़ती थी.
नामिता भी दिखने में बहुत सेक्सी थी. वो अक्सर स्कर्ट्स और टीशर्ट पहनती
थी. उसस्की स्कर्ट्स बहुत छ्होटी होती और उसस्के उरोज़ उसस्की टी-शर्ट से
बाहर निकलने को तैयार रहते.
एक दिन नामिता की नज़र मेरी पॉर्न बुक्स पर पड़ी और वो बोली," दीदी, ये
क्या बच्चो वाली किताबें पढ़ती हो, मैं तुझे ब्लू फिल्म दिखाती हूँ जिस
में हबशी लड़के एक गोरी औरत को आगे पीच्छे से चोद्ते हैं. दीदी आज कल
कहानी तो बच्चे पढ़ते हैं. एक बात बतायो, तेरा कोई बाय्फ्रेंड है या
नहीं, कभी क़िस्सी ने तेरी चूत का उद्घाटन किया है या नहीं?" मैं अपनी
छ्होटी बेहन की बात सुन कर दंग रह गयी. "नामिता क्या बकती हो? तुम अभी
बच्ची हो. तुझे अपना मन पढ़ाई में लगाना चाहिए. अगर पापा को तेरी ऐसी
बातों का पता चल गया तो मार पड़ेगी. फिर मुझे मत कहना" नामिता हंस
पड़ी,"दीदी, जब चूत में जलन होती है तो लंड ही बुझाता है वो आग. तुझे अगर
मज़े लेने हैं तो बता देना. मैं स्कीम बना लूँगी. अपने यार से तेरी भी
चूत ठंडी करवा दूँगी. और रही पापा की बात, तुम फिकर मत करो. हमारे पापा
भी ऐश करते हैं. तू नहीं जानती कि पापा के संबंध उषा मौसी के साथ हैं.
पापा मौसी के साथ जो कुच्छ करते हैं, शायद हमारी मा के साथ भी ना किया हो
उन्हों ने. दीदी ये दुनिया इतनी सीधी नहीं है जितनी दिखती है"
मेरी मा की मौत के बाद उषा मौसी हमारा ख्याल रखती थी और हमारी गली में ही
रहती थी. उषा मौसी के साथ पापा का चक्कर? सोचते ही मेरी चूत गीली हो गयी.
मेरी मा की मौत आज से 3 साल पहले हुई थी. नामिता मेरे पास आई और मुझे
अपनी बाहों में भरते हुए मेरे गालों पर हाथ फेर कर बोली," दीदी, ज़िंदगी
मज़े लेने के लिए है. जब पापा मौसी के साथ चुदाई करते हैं तो हम को किस
बात की रोक है. हम तो अभी जवान हैं. इस चूत में जो आग लगती है उसस्के लिए
भगवान ने लंड नाम की मज़ेदार चीज़ बनाई है. और रही पापा की बात आज रात को
तुझे पापा की और मौसी की चुदाई दिखा दूँगी और तू कहे तो कल अपने यार से
तुझे भी जवानी के मज़े दिलवा दूँगी. वैसे भी साला तुझे भूखी नज़रों से
देखता है वो." मेरे मन ज़लज़ला उठा खड़ा हुआ और मेरी चूत से पानी आने
लगा.
रात को उषा मौसी आई और खाना बनाने लगी. मौसा जी नाइट शिफ्ट में काम करते
थे और मौसी हमारे घर ही सो जाती थी. मैने नामिता की बात सुन कर उषा मौसी
को गौर से देखा. मौसी की उमर कोई 32 साल की होगी और वो भरे जिस्म की
मालिका थी. चूतड़ काफ़ी भारी और चुचि भी बड़ी थी. मौसी ने ग्रीन रंग की
सलवार कमीज़ पहनी हुई थी लेकिन उसस्की चुचि जिस तरह उठक बैठक कर रही थी
लगता था उससने ब्रा नहीं पहनी थी. पापा रसोई में चले गये और मैने देखा की
पापा का हाथ मौसी के चूतड़ को टटोल रहा था और मौसी शर्मा कर नीचे की तरफ
देख रही थी. मैं और नामिता डाइनिंग रूम से ये नज़ारा देख रहे थे. नामिता
ने धीरे से कहा,"देखो दीदी, पापा कैसे हाथ फेर रहे हैं मौसी की गांद पर.
आज ज़रूर चोदेन्गे मौसी को." इसके साथ ही नामिता ने मेरे चूतड़ को ज़ोर
से मसल दिया," नामिता, ये क्या करती हो, कितना दर्द होता है मुझे" नामिता
मुस्कुरा पड़ी,"दीदी, ये दर्द नहीं है, यही तो मज़ा है. आज दिखाती हूँ
तुझे लंड और चूत का मधुर मिलन."
टेबल पर पापा अपने सामने शराब का ग्लास रखे हुए थे और चुस्की ले रहे थे.
आज वो पानी जैसी दिखने वाली शराब पी रहे थे. फिर अचानक पापा ने ग्लास
मौसी की तरफ बढ़ा दिया और मौसी ने चुप चाप पी लिया. मैने देखा के पापा ने
टेबल के नीचे से अपना हाथ मौसी की जाँघ पर फेरना शुरू कर दिया. पापा और
मौसी की आँखों में लाल रंग के डोरे तैरने लगे थे. उनकी साँसों में तेज़ी
बता रही थी की दोनो चुदाई करने के लिए बेताब हैं. नामिता और मैने खाना
जल्दी से ख़तम किया और अपने अपने कमरे में चली गयी. नामिता ने मुझे आँख
मारी और कहा," दीदी आज तुम मेरे साथ ही सो जाओ, मुझे तुमसे कोई बात करनी
है." मैं उसस्के पीछे चल पड़ी. नामिता के कमरे की दीवार में एक बड़ा सा
छेद था जिस में से हम दोनो पापा की चुदाई का खेल देखने वाले थे. नामिता
और मैं दोनो ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और बिस्तर पर चली गयी.
नामिता का जिस्म भी बहुत सेक्सी था. उसस्के चुचक काफ़ी बड़े थे और उससने
अपनी चूत को अच्छी तरह से शेव कर रखा था. मुझे अपनी बाहों में भर कर मेरी
बेहन ने मेरी चुचि को मसल डाला और मेरे होंठों पर किस करने लगी, मेरे
चूतड़ को सहलाने लगी, मेरी चूत पर हाथ फेरने लगी," ओह नामिता….ये क्या कर
रही हो….मुझे कुच्छ होता है….मेरे बदन में झूर झूरी सी हो रही
है…नामिता…..मेरी चूत में खुजली हो रही है…तुम मुझे किस कैसे कर रही
हो….हाई मेरी बेहन मुझे क्या हो रहा है..तेरा आलिंगन मुझे उतेज़ित कर रहा
है….तेरे बदन का सपर्श मुझे जला रहा है….मुझे छ्चोड़ दो प्लीज़" मेरे मूह
से निकला तो नामिता शरारती तरीके से मुस्कुरा पड़ी और फिर से मेरी गर्दन
और कंधों को किस करती रही. नामिता की जीभ से मेरी गर्दन और कंधे गीले हो
गये लेकिन मुझे बहुत कामुक आनंद आ रहा था. नामिता का हाथ मेरी चूत को
रगड़ने लगा तो चूत रस से उसस्की उंगलियाँ भीग गयी," सुधा, साली देख तेरी
चूत का रस कैसे बह रहा है. तेरी चूत अब चुदाई के लिए तड़प रही है. आज की
रात तो मैं तुझे लेज़्बीयन प्यार से खुश करूँगी लेकिन कल तेरी चुदाई का
वो बंदोबस्त करूँगी की याद रखोगी सारी उमर भर. नामिता ने अगर आज भी तेरी
चूत का पानी ना निकाला तो मेरा नाम बदल देना."
दूसरे कमरे में भी हुलचूल शुरू हो चुकी थी. नामिता मुझे छेद के पास ले
गयी और हम दोनो पापा के कमरे में झाँकने लगे. पापा और मौसी दोनो शराब पी
रहे थे और पापा ने मौसी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मौसी चिहुक कर
बोली," जिज़्जु, अपने पाजामे को भी तो उतारो, अपनी साली को भी तो अपने
लोड्े के दर्शन करवायो. मेरी बेहन को चोद कर तो दो लड़कियाँ पैदा कर ली
हैं तुमने, अब मुझे भी तो एक बच्चे की मा बना दो मेरे जिज़्जु राजा,"
मौसी बिस्तर पर टाँगें फैला कर बोल रही थी. मौसी की चूत पर काले काले बाल
थे. तभी पापा ने अपना पाजामा खोल दिया और अपना काला लंड मौसी के मूह पर
रख दिया और खुद मौसी की चुचि को सहलाने लगे," उषा, मेरी रानी तेरा पति
तुझे बच्चा नहीं देता क्या? अगर तू चाहे तो मैं तुझे मा बना सकता हूँ.
मैने तुझे कभी ममता(हमारी मा) से कभी अलग नहीं समझा," मौसी गुस्से में
बोली," जीजू मेरा पति कुच्छ नहीं कर पाता. साला चूत पर लंड रखते ही झाड़
जाता है और मैं तरसती रह जाती हूँ. इसी लिए तो अपने जिज़्जु के सामने
टाँगें खोल देती हूँ, जिज़्जु राजा. लेकिन हर रोज़ चोरी से चुदवाते हुए
डर लगता है, कहीं सुधा और नामिता को शक हो गया तो क्या होगा?"
पापा ने अपना लंड अब मौसी के मूह में धकेलते हुए कहा" मेरी दोनो बेटियाँ
भी जवान हो चुकी हैं. उनको भी लंड की तलाश होगी. वो अपने पापा की स्थिति
को समझ लेंगी. वो समझ लेंगी कि अगर उनका पापा उनकी मौसी को चोद लेता है
तो कोई बुरा नहीं करता. ये तो डिमॅंड और सप्लाइ का सिधान्त है. अगर मेरी
साली को उसका पति नहीं चोदेगा तो क्या मैं भी छ्चोड़ दूँगा उसको पड़ोसी
के लिए? शाबाश मेरी रानी चूस मेरा लंड, चाट ले मेरे अंडकोष. आज की रात
मैं तुझे अपने बच्चे की मा बना कर यादगार बना देना चाहता हूँ, ज़ोर से
चूस लंड को रानी, काट खायो मेरे लंड को उषा रानी."
पापा अपनी गांद आगे पीच्छे कर रहे थे और मौसी मज़े से लंड को चूस रही थी.
देखते ही देखते पापा भी पलंग पर लेट गये और उन्हों ने अपना मूह मौसी की
जांघों के बीच डाल कर मौसी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. तभी नामिता ने
मेरे निपल को किस कर के चूसना शुरू कर दिया और बोली," सुधा, पापा की
पोज़िशन को 69 कहते है. बहुत मज़ेदार पोज़िशन होती है जब मर्द औरत की चूत
चाटता है और औरत मर्द का लंड चुस्ती है तो उस्स्को 69 कहते हैं. मैं आज
तेरी चूत को चाट कर खलास कर दूँगी तो देखना कितना मज़ा आए गा, दीदी. पापा
और मौसी तो अपनी मस्ती में खो चुके हैं. तुम मुझे अपने जिस्म के साथ
खेलने दो. मुझे तेरी चूत का पानी निकालना है किओं की कल तो तेरी ज़िंदगी
का हसीन दिन होगा,"
मैं मंतर मुग्ध हो कर पापा और मौसी का खेल देख रही थी. मुझे महसूस हो रहा
था जैसे मेरी चूत के होंठ उतेज्ना से फूल गये हों. मेरा पूरा बदन गान
गॅना चुका था. मेरी बेहन के हाथ जब मेरे जिस्म पर चलते तो मैं झुन झुना
जाती. मुझे भी इच्छा होती कि मौसी की तरह मुझे भी लंड मिलता जिस्सको मैं
चुस्ती और अपनी चूत को चुस्वाति. मौसी के मुख रस से पापा का लंड भीग कर
चमक रहा था और दोनो की भारी साँसें चलने की आवाज़ सुन रही थी. उधर नामिता
ने मेरे निपल्स को चूसना जारी रखा हुआ था और वो मेरी चूत को सहलाए जा रही
थी." ओह्ह्ह्ह नामिता…मुझ से नहीं रहा जा रहा…मुझे भी पापा जैसा लंड ला
दो कहीं से…अपनी बेहन की चूत को मस्त लंड से भर दो…मेरी चूत में आग लगी
हुई है मेरी बेहन…मेरी आग बुझा दो नामिता"
दूसरे कमरे में पापा ने मौसी को घोड़ी बना दिया. मौसी अपने घुटने और
हाथों के बल झुक चुकी थी और पापा उसस्के चूतड़ को थाम कर अपना लंड उसस्की
चूत पर पीच्छे से धकेलने लगे." रानी, मुझे घोड़ी बना कर चुदाई करने में
बहुत मज़ा आता है. तुझे कैसा लगता है उषा मेरी रानी. तेरे चूतड़ बहुत
सेक्सी लगते हैं मुझे. एक दिन तेरी गांद ज़रूर चोदुन्गा. वह कितनी सेक्सी
हो तुम मेरी साली." उषा मौसी नी चे से बोल रही थी," जिज़्जु तुम चोदना
शुरू करो. मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मुझे मेरे जिज़्जु चोद्ते हैं. तुम
मुझे घोड़ी बनाओ या कुतिया, मुझे बस अपने जिज़्जु का लंड अपनी चूत में
चाहिए….चोदो मुझे जिज़्जु राजा….थोक्दो अपना लोड्ा मेरी चूत में….चोद
लेना मेरी गांद भी जिज़्जु….पेल मुझे"
मेरे बिस्तर पर नामिता ने अब मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टाँगों को
खोल दिया. मेरी बेहन मेरे उप्पेर चढ़ि हुई थी. उसस्की चुचि मेरे वक्ष
स्थल पर रगड़ रही थी. मुझे किस करते हुए उसस्के होंठ मेरे निपल्स से होते
हुए पेट पर और आख़िर मेरी चूत की त्रिकोण की तरफ बढ़ने लगे. उसस्के होंठ
आख़िर मेरी चूत की फांकों को खोलते हुए अपने निशाने पर जा पहुँचे. उसस्की
जीभ मेरे क्लाइटॉरिस को चाटने लगी और फिर उससने मेरी चूत में अपनी ज़ुबान
घुसा दी. मुझे उसस्की ज़ुबान क़िस्सी लंड जैसी लग रही थी. नामिता नेमेरी
जांघों को कस कर पकड़ रखा था. उसस्की ज़ुबान मेरी चूत को चोद रही थी.
पापा के कमरे में अब मैं देख नहीं सकती थी लेकिन उनकी आवाज़ें सुनाई पड़
रही थी. मुझे नहीं मालूम था की औरत भी दूसरी औरत की जब चूत चाटती है तो
इतना मज़ा आता होगा. "हे भगवान, मुझे अपनी बेहन के चूमने चाटने से इतना
मज़ा मिल रहा था तो असली लंड से मेरी हालत क्या होगी?
मेरी चूत से लगातार रस टपक रहा था और मेरी बेहन मज़े से उस्स्को चाट रही
थी. मुझे लगा कि मेरी चूत झड़ने लगी है. मैने अपने चूतड़ उप्पेर उठाने
शुरू कर दिए ता कि मैं नामिता की पूरी ज़ुबान को अपनी चूत में घुस्सा कर
और मज़ा ले सकूँ,' आआआअ……ऊऊऊऊ…..आअगग्घह
……हाईईईई….उससिईईईई,,,नामिताआअ….चूस मेरी चूत….मैं गइई,….मेरी चूत से
पानी जा रहा है….या मुझे क्या हो गया मेरी बहना…डाल दे अपनी जीभ मेरी
फुदी में मैं झदीए"
मैं ना जाने कितनी देर तक बिस्तर पर शरीर एन्थ कर तड़पती रही, मेरी चूत
रो रो कर रस छ्चोड़ती रही और मेरी बेहन मेरी चूत का रस चाटती रही. जब
नामिता ने चेहरा उठाया तो उसस्के होंठों से चूतरस टपक रहा था. नामिता
मेरी बेहन बहुत खूबसूरत लग रही थी. जब उससने मुझे होंठों पर किस किया तो
उसस्के मूह से मुझे अपनी चूत के रस का स्वाद मिला. नामिता की आँखें लाल
हो चुकी थी और फिर उससने मेरे कानो को चूमा. मैने भी अपनी बेहन को मज़ा
देने की सोच ली. मैने भी उस्स्को वैसे ही किस करना शुरू कर दिया जैसे
उससने मुझे किया था.. मुझे हैरानी थी कि जो मैं कर रही थी वो लेज़्बीयन
सेक्स था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. नामिता का जिस्म बहुत नमकीन लग
रहा था मुझे. मैने उसस्की मस्त चुचि को जब अपने मूह में लिया तो मुझे
जन्नत मिल रही थी. नामिता के चुचक बहुत कड़े हो चुके थे. मैने नामिता को
पेट के बल उल्टा दिया और फिर उस्स्को गर्दन से चूमना शुरू कर दिया. मेरी
बेहन की गांद का उभार बहुत कामुक लग रहा था.
मैने धीरे से नामिता की पीठ को किस करना शुरू कर दिया और उसस्के चूतड़ को
सहलाया. मेरी बेहन के चूतड़ की दरार मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी. अपना
हाथ नीचे ले जा कर मेने उसस्की चूत को सहलाया और पीठ को चूमते हुए अपने
होंठ मैने उसस्की गांद की घाटी तक पहुँचा दिए. नामिता अपनी चूत मेरे हाथ
पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी और उस पर धक्के मार रही थी. आख़िर मैने अपनी
ज़ुबान को नामिता के चूतड़ की दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया. मुझ
पर चुदाई का एक नशा च्छा रहा था. नामिता के चूतड़ का बहुत मज़ेदार स्वाद
था और मैने अपनी ज़ुबान उसस्की गांद के छेद में घुसा दी,"
ऊऊऊऊ…..आआआअ……दीदी…..चॅटो…बहुत मज़ा आ रहा है…..शाबाश दीदी चाटती
जाओ….हाईईईईईई"
नामिता की गांद से नमकीन स्वाद मुझे बहुत सेक्सी लगा और मैने उसस्की गांद
को चटाना जारी रखा और उंगली से उसस्की चूत को चोदना जारी रखा. पहले मेरी
एक उंगली उसस्की चूत में थी फिर मैने उसकी चूत दो और फिर तीन उंगली डाल
कर चुदाई शुरू कर दी. मेरी ज़ुबान उसस्की गांद चोद रही थी और उंगलियाँ
उसस्की चूत को चुदाई सुख दे रही थी. मेरा हाथ उसस्की चूत के रस से भीग
गया था और वो मेरे हाथ पर अपनी चूत ऐसे चोद रही थी जैसे की क़िस्सी लंड
पर पेल रही हो. उससने थोड़ी देर में पानी छ्चोड़ दिया. जब वो झाड़ गयी तो
मैने उसस्की चूत को खूब चूसा और चूत का रास्पान कर लिया." सुधा तू तो
बहुत मस्त चुस्ती है. मैं तो तुझे अनारी ही समझ रही थी, तू तो साली मस्त
लेज़्बीयन निकली" मैने उसस्के चूतड़ पर काट खाया और बोली," नामिता जैसी
जिसकी बेहन हो वो अनारी कैसे हो सकती है. अब कल की चुदाई को मत भूल जाना"
क्रमशः...............
Chudayi ke Din Chdayi ki Raaten -1
Mera naam Sudha hai aur main BA main padhti hoon. Dikhne mein sunder
hoon lekin nature sharmilee hai. Mera figure 36-26-36 hai aur rang
gora hai. Pichhle hafte tak main kunwari thee. Maine porn stories
padhi thee aur blue films bhi dekhi thee jiss karan mujhe sex ki
samajh to thee lekin kissi ne mujeh kabhi choda nahin tha. Main
chudayi ki ichha ke karan hamesh apni chut ko shave kar ke rakhti thee
ki na jane kab koi chudayi karne wala mil jaye. Lekin jaise ki maine
kaha, main darti thee aur kissi ko chudayi ke liye nayota dene ki
himmat nahin padti thee. Ghar mein mere siva Papa aur ek choti behan
Namita thee. Papa Shri Hans Raj ek dukan malik thay aur chhoti behan
12 class mein padhti thee. Namita bhi dikhne mein bahut sexy thee. Vo
aksar skirts aur Tshirts pehnti thee. Usski skirts bahut chhoti hoti
aur usske uroz usski Tshirts se bahar nikalne ko taiyar rehte.
Ek din Namita ki nazar meri porn books par padi aur vo boli," Didi, ye
kia bachon wali kitaben padhti ho, main tujhe blue film dikhati hoon
jiss mein habshi ladke ek gori aurat ko aage peechhey se chodte hain.
Didi aaj kal kahani to bache padhte hain. Ek baat batayo, tera koi
boyfriend hai ya nahin, kabhi kissi ne teri chut ka udghatan kia hai
ya nahin?" Main apni chhoti behan ki baat sun kar dung reh gayi.
"Namita kia bakti ho? Tum abhi bachi ho. Tujhe apna man padhayi mein
lagana chahiye. Agar Papa ko teri essi baton ka pata chal gaya to maar
padegi. Fir mujhe mat kehna" Namita hans padi,"Didi, jab chut mein
jalan hoti hai to lund hi bujhata hai vo aag. Tujhe agar maze lene
hain to bata dena. Main sceme bana loongi. Apne yaar se teri bhi chut
thandi karwa doongi. Aur rahi papa ki baat, tum fikar mat karo. Hamare
papa bhi aish karte hain. Tu nahin janti ki Papa ke sambandh Usha
mausi ke saath hain. Papa mausi ke saath jo kuchh karte hain, shayad
hamari maa ke saath bhi na kia ho unhon ne. Didi ye duniya itni seedhi
nahin hai jitni dikhti hai"
Meri maa ki maut ke baad Usha mausi hamara khyal rakhti thee aur
hamari gali mein hi rehti thee. Usha mausi ke saath Papa ka chakar?
Sochte hi meri chut geeli ho gayi. Meri maa ki maut aaj se 3 saal
pehle hui thee. Namita mere pass aayi aur mujeh apni bahon mein bharte
huye mere galon par haath fer kar boli," Didi, zindagi maze lene ke
liye hai. Jab Papa mausi ke saath chudayi karte hain to hum ko kiss
baat ki rok hai. Hum to abhi jawan hain. Iss chut mein jo aag lagti
hai usske liye bhagwan ne LUND naam ki mazedar cheez banayi hai. Aur
rahi Papa ki baat aaj raat ko tujhe Papa ki aur mausi ki chudayi dikha
doongi aur tu kahe to kal apne yaar se tujhe bhi jawani ke maze dilwa
doongi. Vaise bhi sala tujeh bhukhi nazaron se dekhta hai vo." Mere
man zalazala utha khada hua aur meri chut se pani ebhne laga.
Raat ko Usha mausi aayi aur khana banane lagi. Mausa ji night shift
mein kaam karte tahy aur mausi hamare ghar hi so jati thee. Maine
Namita ki baat sun kar Usha mausi ko gaur se dekha. Mausi ki umar koi
32 saal ki hogi aur vo bahre jism ki malika thee. Chutad kafi bahri
aur chuchi bhi badi thee. Mausi ne green rang ki salwar kamiz pehni
hui thee lekin usski chuchi jiss tarah uthak baithak kar rahi thee
lagta tha ussne bra nahin pehni thee. Papa rasoi mein chale gaye aur
maine dekha ki Papa ka haath mausi ke chutad ko tatol raha tha aur
mausi sharma kar neechey ki taraf dekh rahi thee. Main aur Namita
dinning roon se ye nazara dekh rahe thay. Namita ne dheere se
kaha,"Dekho didi, Papa kaise haath fer rahe hain mausi ki gaand par.
Aaj zarur chodenge mausi ko." Isske saath hi Namita ne mere chutad ko
zor se masal diya," Namita, ye kia karti ho, kitna dard hota hai
mujhe" Namita muskura padi,"Didi, ye dard nahin hai, yahi to maza hai.
Aaj dikhati hoon tujhe LUND aur CHUT ka madhur milan."
Table par Papa apne samen sharab ka glass rakhe huye thay aur chuski
le rahe thay. Aaj vo pani jaisi dikhne wali sharab pee rahe thay. Fir
achanak Papa ne glass mausi ki taraf badha diya aur mausi ne chup chap
pee liya. Maine dekha ke Papa ne table ke neechey se apna haath mausi
ki jaangh par ferna shuru kar diya. Papa aur mausi ki ankhon mein lal
rang ke dore tairne lage thay. Unki sanson mein tezi bata rahi thee ki
dono chudayi karne ke liye betab hain. Namita aur maine khana jaldi se
khatam kiya aur apne apne kamre mein chali gayi. Namita ne mujeh ankh
mari aur kaha," Didi aaj tum mere saath hi so jayo, mujeh tumse koi
baat karni hai." Main usske peechhey chal padi. Namita ke kamre ki
deewar mein ek bada sa chhed tha jiss mein se hum dono papa ki chudayi
ka khel dekhne wale thay. Namita aur main dono ne apne sare kapde
uttar fenke aur bistar par chali gayi.
Namita ka jism bhi bahut sexy tha. Usske chuchak kafi bade thay aur
ussne apni chut ko achhi tarah se shave kar rakha tha. Mujhe apni
bahon mein bhar kar meri behan ne meri chuchi ko masal dala aur mere
honthon par kiss karne lagi, mere chutad ko sehlane lagi, meri chut
par haath ferne lagi," Ohhhhh Namita….ye kia kar rahi ho….mujhe kuchh
hota hai….mere badan mein jhur jhuri see ho rahi hai…Namita…..meri
chut mein khujli ho rahi hai…tum mujeh kiss kaise kar rahi ho….hai
meri behan mujeh kia ho raha hai..tera alingan mujeh utejit kar raha
hai….tere badan ka saparsh mujeh jala raha hai….mujhe chhod do
pleaseeeee" mere muh se nikla to Namita shararti tarke se muskura padi
aur fir se meri gardan aur kandhon ko kiss karti rahi. Namita ke jeebh
se meri gardan aur kandhe geele ho gaye lekin mujhe bahut kamuk anand
aa raha tha. Jan Namita ka haath meri chut ko ragadne laga to chut ras
se usski unglian bheeg gayi," Sudha, sali dekh teri chut ka ras kaise
beh raha hai. Teri chut ab chudne ke liye tadap rahi hai. Aaj ki raat
to main tujeh lesbian pyar se khush karungi lekin kal teri chudayi ka
vo bandobast karungi ki yaad rakhogi sari umar bhar. Namita ne agar
aaj bhi teri chut ka pani na nikala to mera naam badal dena."
Dusre kamre mein bhi hulchul shuru ho chuki thee. Namita mujeh chhed
ke pass le gayi aur hum dono papa ke kamre mein jhankne lage. Papa aur
mausi dono sharab pee rahe thay aur papa ne mausi ke kapde uttarne
shuru kar diye. Mausi chihuk kar boli," Jijju, apne pajame ko bhi to
uttaro, apni sali ko bhi to apne lode ke darshan karwayo. Meri behan
ko chod kar to do ladkian paida kar lee hain tumne, ab mujeh bhi to ek
bache ki maa bana do mere jijju raja," Mausi bistar par tangen faila
kar bol rahi thee. Mausi ki chut par kale kale bal thay. Tabhi papa ne
apana pajama khol diya aur apna kala lund mausi ke muh par rakh diya
aur khud mausi ke chuchi ko sehlane lage," Usha, meri rani tera pati
tujhe bacha nahin deta kia? Agar tu chahe to main tujhe maa bana sakta
hoon. Maine tujeh kabhi Mamta(humari maa) se kabhi alag nahin samjha,"
Mausi gussey mein boli," Jiju mera pati kuchh nahin kar pata. Sala
chut par lund rakhte hi jhad jata hai aur main tarasati reh jati hoon.
Issi liye to apne jijju ke samne tangen khol deti hoon, jijju raja.
Lekin har roz chori se chudwate huye dar lagata hai, kahin Sudha aur
Namita ko shak ho gaya to kia hoga?"
Papa ne apna lund ab mausi ke muh mein dhakelte huye kaha" Meri dono
betian bhi kawan ho chuki hain. Unko bhi lund ki talash hogi. Vo apne
papa ki sathiti ko samajh lengi. Vo samajh lengi ki agar unka papa
unki mausi ko chod leta hai to koi bura nahin karta. Ye to demand aur
supply ka sidhant hai. Agar meri saali ko usska pati nahin chodega to
kia main bhi chhod doonga ussko padosi ke lye? Shabash meri rani chus
mera lund, chat le mere andkosh. Aaj ki raat main tujeh apne bache ki
maa bana kar yaadgar bana dena chahta hoon, Jor se chus lund ko rani,
kaat khayo mere lund ko Usha rani."
Papa apni gaand aaage peechhey kar rahe thay aur mausi maze se lund ko
chus rahi thee. Dekhte hi dekhte papa bhi palang par let gaye aur
unhon ne apna muh mausi ki janghon ke beech dal kar mausi ki chut ko
chatna shuru kar diya. Tabhi Namita ne mere nipple ko kiss kar ke
chusna shuru kar diay aur boli," Sudha, papa ki position ko 69 kehta
hai. Bahut mazedar position hoti hai jab mard aurat ki chut chatata
hai aur aurat mard ka lund chusti hai to ussko 69 kehte hain. Main aaj
teri chut ko chat kat khalas kar doongi to dekhna kitna maza aye ga,
didi. Papa aur mausi to apni masti mein kho chukey hain. Tum mujhe
apne jism ke saath khelne do. Mujhe teri chut ka pani nikalna hai kion
ki kal to teri zindagi ka haseen din hoga,"
Main mantar mugdh ho kar papa aur mausi ka khel dekh rahi thee. Mujhe
mehsoos ho raha tha jaise meri chut ke honth utejna se phul gaye hon.
Mera pura badan gan gana chuka tha. Meri behan ke haath jab mere jism
par chalte to main jhun jhuna jati. Mujhe bhi ichha hoti ki mausi ki
tarah mujeh bhi lund milta jissko main chusti aur apni cchut ko
chuswati. Mausi ke mukh ras se papa ka lund bheeg kar chamak raha tha
aur dono ki bhari sansen chalne ki awaz sun rahi thee. Udha Namita ne
mere nipples ko chusna jari rakha hua tha aur vo meri chut ko sehlaye
ja rahi thee." Ohhhh Namita…mujh se nahin raha ja raha…mujhe bhi papa
jaisa lund la do kahin se…apni behan ki chut ko mast lund se bhar
do…meri chut mein aag lagi hui hai meri behan…meri aag bujha do
Namita"
Dusre kamre mein Papa ne mausi ko ghodi bana diya. Mausi apne ghutne
aur haathon ke bal jhuk chuki thee aur papa usske chutad ko thaam kar
apna lund usski chut par peechhey se dhakelne lage." Rani, mujhe ghodi
bana kar chudayi karne mein bahut maza aata hai. Tujhe kaisa lagta hai
Usha meri rani. Tere chutad bahut sexy lagta hain mujeh. Ek din teri
gaand zarur chodunga. Vah kitni sexy ho tum meri sali." Usha mausi nee
chey se bol rahi thee," Jijju tum chodna shuru karo. Mujhe bahut achha
lagta hai jab mujhe mere jijju chodte hain. Tum mujeh ghodi banyo ya
kutiya, mujhe bas apne jijju ka lund apni chut mein chahiye….chocd
mujhe jijju raja….thokde apna loda meri chut mein….chod lena meri
gaand bhi jijju….pel mujhe"
Mere bistar par Namita ne ab mujhe peeth ke bal lita diya aur meri
tangon ko khol diya. Meri behan mere upper chadhi hui thee. Usski
chuchi mere vaksh sathal par ragad rahi thee. Mujhe kiss karte huye
usske honth mere nipples se hote hue pet par aur akhir meri chut ki
trikon ki taraf badhne lage. Usske honth akhir meri chut ki faankon ko
klholte huye apne nishane par ja pahunchey. Usski jeebh mere clitoris
ko chatne lagi aur fir ussne meri chut mein apni zuban ghusa dee.
Mujhe usski zuban kissi lund jaisi lag rahi thee. Namita nemeri
janghon ko kas kar pakad rakha tha. Usski zuban meri chut ko chod rahi
thee. Papa ke kamre mein ab main dekh nahin sakti thee lekin unki
awazen sunayi pad rahi thee. Mujhe nahin malum tha ki aurat bhi dusri
aurat ki jab chut chatati hai to itna maza aata hoga. "Hey Bhagwan,
mujhe apni behan ke chumne chatne se itna maza mil raha tha to asali
lund se meri halat kia hogi?
Meri chut se lagatar ras tapak raha tha aur meri behan maze se ussko
chat rahi thee. Mujhe laga ki meri chut jhadne lagi hai. Maine apne
chutad upper uthane shuru kar diye ta ki main Namita ki puri zuban ko
apni chut mein ghussa kar aur maza le sakun,'
aaaaaaa……oooooooo…..aaaggghhhhh
……haiiiii….ussiiiiii,,,Namitaaaaa….chus meri chut….main gayeeee,….meri
chut se pani ja raha hai….ya mujhe kia ho gaya meri behna…dal de apni
jeebh meri phudi mein main jhadeee"
Main na jane kitni der tak bistar par sharir enth kar tadapati rahi,
meri chut ro ro kar ras chhodti rahi aur meri behan meri chut ka ras
chatati rahi. Jab Namita ne chehra uthaya to usske honthon se chutras
tapak raha tha. Namita meri behan bahut khubsurat lag rahi thee. Jab
ussne mujhe honthon par kiss kiya to usske muh se mujhe apni chut ke
ras ka swad mila. Namita ki ankhen laal ho chuki thee aur fir ussne
mere kaano ko chuma. Maine bhi apni behan ko maza dene ki soch lee.
Maine bhi ussko vaise hi kiss karna shuru kar diya jaise ussne mujeh
kia tha.. Mujhe hairani thee ki jo main kar rahi thee vo lesbian sex
tha lekin mujhe bajut maza aa raha tha. Namita ka jism bahut namkeen
lag raha tha mujhe. Maine usski mast chuchi ko jab apne muh mein lya
to mujhe jannat mil rahi thee. Namita ke chuchak bahut kade ho chuke
thay. Maine Namita ko pet ke bal lta diya aur fir ussko gardan se
chumna shuru kar diya. Meri behan ki gaand ka ubhar bahut kamuk lag
raha tha.
Maine dheere se Namita ki peeth ko kiss karna shuru kar diya aur usske
chutad ko sehlaya. Meri behan ke chutad ki darar mujhe bahut sexy lag
rahi thee. Apna haath neechey le ja kar meine usski chut ko sehlaya
aur peeth ko chumte hue apne honth maine usski gaand ki ghati tak
pahuncha diye. Namita apni chut mere haath par zor zor se ragad rahi
thee aur uss par dhake mar rahi thee. Akhir maine apni zuban ko Namita
ke chutad ki darar mein dal kar chatna shuru kar diya. Mujh par
chudayi ka ek nasha chha raha tha. namita ke chutad ke bech bahut
mazedar swad tha aur main apni zuban usski gaand ke chhed mein ghusa
dee," OOOOOOOO…..AAAAAAA……DIDI…..CHATO…BAHUT MAZA AA RAHA
HAI…..SHABASH DIDI CHATATI JAYO….HAIIIIIII"
Namita ki gaand se namkeen swad mujhe bahut sexy laga aur maine usski
gaand ko chatana jari rakha aur ungli se usski chut ko chodna jari
rakha. Pehle meri ek ungli usski chut mein tyhee fir main ussme do aur
fir teen ungli dal kar chudayi shuru kar dee. Meri zuban usski gaand
chod rahi thee aur unglian usski chut ko chudayi sukh de rahi thee.
Mera haath usski chut ke ras se bheeg gaya tha aur vo mere haath par
apni chut essey chod rahi thee jaise ki kissi lund par pel rahi ho.
Ussne thodi der mein pani chhod diya. Jab vo jhad gayee to maine usski
chut ko khub chusa aur chut ka raspan kar liya." Sudha tu to bahut
mast chusti hai. Main to tujhe anari hi samajh rahi thee, tu to sali
mast lesbian nikali" Maine usske chutad par kat khaiya aur boli,"
Namita jaisi jisski behan ho vo anari kaise ho sakti hai. Ab kal ki
chudayi ko mat bhul jana"
kramashah...............
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