यार बना प्रीतम - भाग (12)
गतान्क से आगे.......
मैने जो बड़ा होल्डाल मँगाया था वह लाए कि नहीं प्रदीप? और टिकट भी देख लो, तीन बर्थ हैं या नहीं प्रदीप ने अप'ने बैग से एक बड़ा होल्डाल निकाला. मेरी ओर देख कर वह मुस्करा रहा था. मैं तीन बर्थ की बात सुन'कर कुच्छ चकरा गया था. मेरे लिए बर्थ नहीं है क्या? प्रदीप मेरे मन की बात ताड़ गया. मुझे खींच'कर ज़मीन पर लिटाते हुए बोला.
तुझे भी ले जाएँगे माधुरी रानी, घबरा मत, और बड़े मस्त तरीके से ले जाएँगे. तू भी याद करेगी कि शादी के बाद घर कैसे आई थी. मुझे ज़मीन पर पटक'कर वह बोला.
मा, तू चप्पल लाई है ना? चल बहू को अपना आशीर्वाद दे दे. फिर मैं अपनी पत्नी को पैक कर'ता हूँ. मा ने एक बड़ी पुरानी घिसी हुई पतली रब्बर की चप्पल और एक काली ब्रेसियार निकाली. चप्पल इतनी प्यारी लग रही थी कि ऐसा लग'ता था कि अभी खा जाउ.
मुँह खोल बहू, तेरे लिए ही लाई हूँ. शादी के बाद बहू के मुँह में शक्कर या मिठायी देती है सास, मैं उससे भी स्वादिष्ट, अपनी चप्पल तेरे मुँह में दे रही हूँ. गाँव में तो ढेरों हैं, तू अब कभी भूखी नहीं रहेगी हमारे यहाँ. मा ने मुझे पुचकार कर कहा.
मेरे मुँह में बड़े प्यार से उन्हों'ने अपनी चप्पल घुसाई. ब्रेसियार क्यों निकाली थी यह मेरी समझ में जल्दी ही आ गया जब मेरा मुँह बंद कर'के उसपर वह ब्रा कस कर बाँध दी गयी.
अब प्रदीप ने मेरे पैर पकड़े और उन्हें फोल्ड कर'के मेरे सिर पर दबा दिए. मेरे हाथ पीठ पीछे बाँध दिए गये और फिर पैर हाथों से बाँध दिए गये. मेरी अब मुर्गे जैसी मुश्कें बाँध गयी थी. मेरी गठरी सी बना दी गयी थी और हाथ पैरों और कमर में बड दर्द भी हो रहा था. मैने किसी तरह वह यातना बर्दाश्त की और चुप रहा. मा ने प्रदीप को कुच्छ इशारा किया, प्रदीप ने मेरी ओर देखा और मेरे हाथ और पैर और खींचे और और कस कर बाँध दिए.
मेरे शरीर में अब बहुत दर्द हो रहा था. मैं छटपटा कर अब हिल'ने लगा और बँधे मुँहे से गोंगिया'ने लगा. मेरी आँखों से जब दर्द के आँसू निकल आए तब मा बोलीं.
शाबास बेटे, अब आया है मज़ा. नहीं तो बहू ऐसे ही सूखे सूखे घर चल'ती तो क्या मज़ा आता. अब रास्ते भर दर्द से बिलबिला'ती चलेगी. और मुँह भी अच्छा बँधा है, चूम तक नहीं निकली बेचारी की नहीं तो रास्ते में चिल्ला'ने लग'ती तो आफ़त आ जा'ती. अब पता चलेगा इसे की आगे इस'के नसीब में क्या है. चल अब, बाँध दे इस'की गठरी.
मेरे दोहरे होकर बँधे शरीर को होल्डाल के एक सिरे में फ्लैप उठा'कर उस'के अंदर ठूंस गया और फिर मुझे बिस्तर जैसा गोल गोल लुढ़ाका'कर मेरे शरीर का बिस्तर बना'कर होल्डाल में बाँध दिया गया. अब मुझे कुच्छ दिख नहीं रहा था, सिर्फ़ सुनाई देता था. मैं अब घबरा गया था और रोने लगा था. अब मुझे कुच्छ अंदाज़ा हो रहा था कि मेरी कैसी दुर्गत बनेगी. एक दो बार लगा भी कि कहाँ फँस गया.
पर मेरा लंड पागल सा हो गया था. इतना जम के खड़ा था और उस'में इतनी मीठी कसक हो रहा थी कि जहाँ एक ओर दर्द से मैं बिलख'ता वहीं दूसरी ओर मेरा यह मन होता कि कितना अच्च्छा होता कि इस समय प्रदीप का लंड मेरी गान्ड में होता और कोई मेरी चूचियाँ बेरहमी से मसलता!
मुझे उठा'कर एक सामान जैसा ले जाया गया. रास्ते भर मेरी हालत खराब रही. मुँह की चप्पल मैं चबा चबा कर खा'ने की कोशिश कर'ता रहा जिससे मुँह को कुच्छ आराम मिले पर मा'ने अपनी ब्रेसियार मेरे मुँह पर ऐसी कसी थी कि जबड़ा ज़रा भी नहीं हिल'ता था. इस'लिए मैं सिर्फ़ उन'की चप्पल चूस सक'ता था, खा नहीं सक'ता था. गाँव का सफ़र बारह घंटे का था. शुरू से ही मेरी हालत खराब हो गयी. स्टेशन पर जब गाड़ी लेट थी तो मा मेरे ऊपर ही बैठ गयीं.
ःओल्डाल कब काम में आएगा? उन'के अस्सी किलो के वजन से मेरी कमर टूट गयी. दम घुट'ने लगा. मैं छटपटा'ने लगा. हिल'ने डुल'ने लगा तो मा को बहुत मज़ा आया. फुसफुसा कर प्रदीप और प्रीतम के कान में कुच्छ बोलीं. शायद यही कह रही होंगी की बहू छटपट रही है. मुझे और तंग कर'ने को वे कुच्छ देर बाद बोलीं.
बेटे तुम लोग भी बैठ जाओ. बड़ा मुलायम मस्त बिस्तर है, किसी लड़'की की गोद जैसा. तुम लोग भी बैठो. और जल्द ही मैं तीन तीन शरीरों के वजन के नीचे दब गया. एक जना मेरे सिर पर बैठ था, एक पीठ पर और एक नितंबों पर. मैं कसमसा'कर चीख'ने की कोशिश कर'ता हुआ बेहोश हो गया.
रास्ते भर मैं आधी बेहोशी में रहा. मुझे ट्रेन में सीट के बाजू में रखा गया था. एक बार प्रदीप जब ऊपर की बर्थ पर चढ'ने के लिए सीट पर चढ़ा तो मा बोलीं.
अरे होल्डाल पर पैर रख'कर चढ बेटे. फिर धीमे स्वर में बोलीं.
बहू को तेरे पैर लग'ने दे, आख़िर तेरी पत्नी है. तेरे पैरों के नीचे ही रहना है उसे. और प्रदीप होल्डाल पर खड़ा हो गया. जान बूझ कर पाँच मिनिट खड़ा रहा और मुझे रोन्द'ता रहा. मेरे मुलायम शरीर को दबा'ने में उसे बड मज़ा आ रहा होगा. मैं बिलबिला उठा पर मेरा लंड यह सोच कर ख़ड़ा हो गया कि यह हट्टाकट्ट नौजवान जो मुझे रौंद रहा है, मेरा पति है और कल ही मेरी चुदाई करेगा.
सास का आशीर्वाद और सुहागरात की तैयारी
आख़िर हम घर पहुँचे. शाम हो गयी थी. मुझे जब होल्डाल से निकाला गया तो मैं अधमरा सा हो गया था. कमर सीधी ही नहीं हो रही थी. बहुत भूख और प्यास भी लगी थी. मा की चप्पल मेरे मुँह में ही फँसी हुई थी क्योंकि उसे खा'ने के लिए मैं चबा नहीं पाया था.
मेरे हाथ पैर और मुँह खोल कर मा ने मेरे मुँह से चप्पल निकाली. मेरी आँखों में झाँक'कर देखा उस'में मुझे होने वाली पीड़ा और डर से छलकते आँसू देखे तो मुस्कराईं और बोलीं.
बहुत आनंद में है पर भूखी है बेचारी. और मेरी चप्पल भी अच्छी लगी पर खा नहीं पाई, है ना बेटी? फिकर मत कर, यहाँ अब इतनी चप्पलें खिलाएँगे तुझे कि तू खा नहीं पाएगी! प्रीतम और प्रदीप बेटे, अब तुम लोग सो लो. मैं तब तक बेहू को सुहाग रात के लिए तैयार कर'ती हूँ प्रीतम बोला.
मा, माधुरी का लंड चूस लेना. बीस घंटे से खड़ा है. एक बार झड़ना ज़रूरी है नहीं तो बीमार हो जाएगी बेचारी.
हां मैं समझ'ती हूँ. उस'के वीर्य पर मेरा भी तो पहला हक है सास के नाते, आ बेटी कह'कर मा मुझे बाथ रूम ले गयी. मैं लंगड़ाता उन'के पीछे हो लिया. कमर अब भी दुख रही थी. बाथ रूम के पास ही दो संडास थे. एक के दरवाजे पर मेरी तस्वीर बनी थी. दूसरे पर कुच्छ नहीं था. मेरी आँखों में उभर आए प्रश्न को देख'कर मा बोलीं
आ तुझे दिखाऊँ दो संदासों का क्या मतलब है! तू अब यह संडास इस्तेमाल करेगी जिसपर तेरी तस्वीर बनी है. नया बनवाया है, एकदम आलीशाम. सिर्फ़ तेरे लिए है, और कोई इस'में नहीं जाएगा. अब तक हम दूसरा वाला इस्तेमाल करते थे. अब उस'में ताला लगा देंगे. समझ रही है ना मैं क्या कह रही हूँ? अब इस घर में तेरे सिवा किसी को टायलेट जा'ने की ज़रूरत नहीं होगी.
मैं आँखें फाड़ कर मा की ओर देख'ने लगा. मन में डर और वासना का सागर सा उमड'ने लगा. मा बोलीं.
अब तू ही हम तीनों का चल'ता फिर'ता प्यारा संडास है बहू. ह'में अब सीमेंट के टायलेट की क्या ज़रूरत है? आज तेरी सुहाग रात से पहले तुझसे ही उस'में ताला लगवा'ने की रसम कर लेंगे.
मेरा सिर चकरा'ने लगा. वैसे मुझे इन सब बातों का अंदाज़ा प्रीतम ने दे दिया था पर अब जब समय आ गया था, मेरा डर बढ गया था. बहुत वासना भी जाग'ने लगी थी कि अब शुरू हुई मेरी असली कामुक गंदी विकृत जिंदगी.
फिर मा मुझे बाथ रूम ले गयीं. मुझे नंगा कर'के खुद भी अप'ने कपड़े निकाल'ने लगीं. मैं जैसे जैसे उन'के प'के गदराए शरीर को देख'ता गया, मेरा पहले ही खड लंड और खड़ा होता गया. एकदम चिक'ने संगमरमर जैसा उनका सांवला तराशा शरीर या'ने जैसे खजाना था. चूचियाँ ये बड़ी बड़ी पपीते सी थी और गान्ड तो मानो पहाड की दो चट्टानों जैसी थी. झाँटें ऐसी लंबी की चाहो तो चोटी बाँध लो. कमर पर मुलायम मास का टायर लटक आया था. जांघें किसी पहलवान जैसी मोटी मोटी और मजबूत थी.
उन्हों'ने मुझे नहलाया और खुद भी नहाईं. मेरा शरीर खूब दबा कर देखा और चूचियाँ मसल मसल कर तसल्ली की कि ठीक से सध गयी हैं या नहीं.
आच्छे स्तन हैं तेरे, प्रदीप को दबा'ने में बहुत मज़ा आएगा. बोल'ती हुई वे मेरे शरीर का ऐसे मुआयना कर रही थी जैसे कसाई काट'ने के पहले बकरी की कर'ता है.
बहुत प्यारी है बहू. ह'में बहुत सुख देगी. चल अब तेरा लंड चूस लूँ. और ज़्यादा खड़ा रहा तो टूट कर गिर जाएगा बेचारा. कह'कर उन्हों'ने मुझे दीवार से सटा'कर खड किया और मेरे साम'ने बैठ कर मेरा लंड एक मिनिट में चूस डाला. इतनी देर के बाद जो सुख मुझे मिला उससे मैं गश खा'कर करीब करीब गिर पड़ा.
मा ने मुझे छोडा नहीं बल्कि नीचे बैठ कर मेरा सिर अपनी जांघों के बीच खींच'ती हुई बोलीं.
अब ज़रा अपनी सास की बुर भी चख ले बहू. तेरा पति और देवर तो दीवा'ने हैं ही इसके, अब तू भी आदत डाल ले. मैने उस गीली तप'ती बुर में मुँह डाला तो खुशी से रोने को आ गया. क्या स्वाद था! इतना गाढा शहद बह रहा था जैसे अंदर बोतल रखी हो. चूत भी ऐसी बड़ी थी कि मेरी ठुड्डी उस'में आराम से घुस रही थी. बुर नहीं भोसड़ा था! मैने मन भर कर उस रस को पिया. मा दो बार झडी और मुझे शाबासी भी देती गयीं.
अच्च्छा चूस'ती है बेटी, मैं और सिखा दूँगी कैसे अपनी सास की बुर रानी की पूजा की जाते है. अब तक मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा था. बहुत मीठी कसक हो रही थी. मा ने मुझे ज़मीन पर लिटाया और बोलीं.
आ अब कुच्छ खा ले, कल से तेरे लिए पेट में खाना लेकर घूम रही हूँ. अब बाद में भी तुझे बहुत कुच्छ खा'ने पीने को मिलेगा पर प्रदीप का लंड सह'ने के लिए कुच्छ तो जान आए तेरे शरीर में. मा मेरे सिर के दोनों ओर पैर जमा कर बैठ गयीं और बोलीं.
मुँह खोल बहू रानी, यह सास की तरफ से पहला नीवाला है तुझे. मैं सकते में था. लंड फनफना रहा था. चुपचाप मुँह खोल कर मैं लेट गया. मा ने ज़ोर लगाया और एक बड़ी मोटी लेंडी मेरे मुँह में हॅग दी. फिर झुक कर देख'ने लगीं. उन'की आँखों में असीम वासना थी.
इस मौके का इंतजार मैं बरसों से कर रही हूँ. कब सुंदर बहू आए और मैं अपनी गान्ड से उसे टट्टी खिलाऊं! खाले बिटिया. पेट भर के खा ले.
जब मैने मुँह बंद कर के उन'की टट्टी चबा चबा कर खाना शुरू की तो मा खुशी से सिसक उठीं. मेरी बालाएँ लेते हुए मेरे सिर को पकड़'कर मेरे मुँह में प्यार से हॅग'ने लगीं. अपनी पूरी टट्टी मुझे खिला'ने में मा को दस मिनिट लग गये. उस पहाड जैसी गान्ड में एक किलो से कम क्या टट्टी होगी!
जब मैने बाद में प्यार से जीभ डाल कर उन'की गान्ड अंदर से सॉफ की तो वे बहुत खुश हुईं.
अच्च्छा सीखी सिखाई है बहू. मैने तो चाबुक तैयार रखा था कि ज़रूरत पड़े तो मार मार कर सिखाऊंगी. पर लग'ता है ज़रूरत नहीं पडेगी. जैसी मुझे चाहिए थी वैसी ही छिनाल रंडी बहू मुझे मिली है.
उस'के बाद मेरे मुँह में वे लोटा भर मूती और तभी उठीं जब मैं पूरा पी गया. मेरी भूख और प्यास पूरी मिट गयी थी. पेट गले तक भर गया था. मैं मानो जन्नत में था. . लंड ऐसे खड़ा हो गया था जैसे बैठा ही ना हो. उसे देख कर मा ने मेरी बालाएँ लीं.
बहुत अच्छी बहू ढूंढी है प्रीतम ने. हमेशा मस्त रह'ती है! तुझे चोद'ने में मेरे बेटे को बहुत मज़ा आएगा. चल अब तुझे सुहागरात के लिए तैयार करूँ.
बड़ा मन लगा'कर उन्हों'ने मेरा सिंगार किया. ब्रा पहना'ने के पहले मेरी चूचियों में मा ने प्रीतम की सहाय'ता से बादाम का दूध भरा. पाव पाव लीटर की मेरी चूचियों में डेढ डेढ पाव दूध कस कर भर दिया और ऊपर से रबड के चूचुक लगा'कर मेरे चूचुक भींच दिए कि दूध छलक ना जाए. फिर मा ने रबड की काली ब्रा मुझे पहनाई.
ख़ास तेरे लिए मँगवाई है. अब तेरी चूचियाँ हमेशा दूध से भरी रहेंगी इस'लिए उन्हें कस कर और उठा कर रखना पड़ेगा. और रबड की यह ब्रा लग'ती भी बड़ी प्यारी है, एकदम मुलायम है. देख इनमे तेरे मम्मे कस'ने के बाद कैसे ये दोनों झपट'कर तेरी चूचियाँ मसलते हैं!
क्रमशः................
YAAR BANA PRITAM - BHAAG (12)
gataank se aage.......
Maine jo baDa holDaal mangaaya tha wah laaye ki naheen Pradeep? Aur TikaT bhee dekh lo, teen barth hain ya naheen Pradeep ne ap'ne baig se ek baDa holDaal nikaalaa. Meree or dekh kar wah muskara raha thaa. Main teen barth kee baat sun'kar kuchh chakara gaya thaa. Mere liye barth naheen hai kyaa? Pradeep mere man kee baat taaD gayaa. Mujhe kheench'kar jameen par liTaate hue bolaa.
Tujhe bhee le jaayenge Maadhuri raanee, ghabara mat, aur baDe mast tareeke se le jaayenge. Too bhee yaad karegee ki shaadee ke baad ghar kaise aayee thee. Mujhe jameen par paTak'kar wah bolaa.
maa, too chappal laayee hai naa? Chal bahoo ko apana aashirwaad de de. Fir main apanee patnee ko paik kar'ta hoon. Maa ne ek baDee puraanee ghisee huee patalee rubber kee chappal aur ek kaalee bresiyar nikaalee. Chappal itanee pyaaree lag rahee thee ki aisa lag'ta tha ki abhee kha jaaun.
Munh khol bahoo, tere liye hee laayee hoon. Shaadee ke baad bahoo ke munh men shakkar ya miThaayee detee hai saas, main usase bhee swaadiShTa, apanee chappal tere munh men de rahee hoon. Gaanv men to Dheron hain, too ab kabhee bhookhee naheen rahegee hamaare yahaan. Maa ne mujhe puchakaar kar kahaa.
Mere munh men baDe pyaar se unhon'ne apanee chappal ghusaayee. Bresiyar kyon nikaalee thee yah meree samajh men jaldee hee aa gaya jab mera munh band kar'ke usapar wah bra kas kar baandh dee gayee.
Ab Pradeep ne mere pair pakaDe aur unhen folD kar'ke mere sir par daba diye. Mere haath peeTh peechhe baandh diye gaye aur fir pair haathon se baandh die gaye. Meree ab murge jaisee mushken bandh gayee thee. Meree gaTharee see bana dee gayee thee aur haath pairon aur kamar men baDa dard bhee ho raha thaa. Maine kisee tarah wah yaatan bardaasht kee aur chup rahaa. Maa ne Pradeep ko kuchh ishaara kiyaa, Pradeep ne meree or dekha aur mere haath aur pair aur kheenche aur aur kas kar baandh diye.
Mere shareer men ab bahut dard ho raha thaa. Main chhaTapaTa kar ab hil'ne laga aur bandhe munhe se gongiya'ne lagaa. Meree aankhon se jab dard ke aansoo nikal aaye tab maa boleen.
Shaabaas beTe, ab aaya hai majaa. Naheen to bahoo aise hee sookhe sookhe ghar chal'tee to kya maja aataa. Ab raaste bhar dard se bilabila'tee chalegee. Aur munh bhee achchha bandha hai, choom tak naheen nikalee bechaaree kee naheen to raaste men chilla'ne lag'tee to aafat aa ja'tee. Ab pata chalega ise ki aage is'ke naseeb men kya hai. Chal ab, baandh de is'kee gaTharee.
Mere dohare hokar bandhe shareer ko holDaal ke ek sire men flaip uTha'kar us'ke andar Thoons gaya aur fir mujhe bistar jaisa gol gol luDhaaka'kar mere shareer ka bistar bana'kar holDaal men baandh diya gayaa. Ab mujhe kuchh dikh naheen raha thaa, sirf sunaayee deta thaa. Main ab ghabara gaya tha aur rone laga thaa. Ab mujhe kuchh andaaja ho raha tha ki meree kaisee durgat banegee. Ek do baar laga bhee ki kahaan fans gayaa.
Par mera lunD paagal sa ho gaya thaa. itana jam ke khaDa tha aur us'men itanee meeThee kasak ho raha thee ki jahaan ek or dard se main bilakh'ta waheen doosaree or mera yah man hota ki kitana achchha hota ki is samay Pradeep ka lunD meree gaanD men hota aur koee meree choochiyaan berahamee se masalataa!
Mujhe uTha'kar ek saamaan jaisa le jaaya gayaa. Raaste bhar meree haalat kharaab rahee. Munh kee chappal main chaba chaba kar kha'ne kee koshish kar'ta raha jisase munh ko kuchh aaraam mile par maa'ne apanee bresiyar mere munh par aisee kasee thee ki jabaDa jara bhee naheen hil'ta thaa. is'liye main sirf un'kee chappal choos sak'ta thaa, kha naheen sak'ta thaa. Gaanv ka safar baara ghante ka thaa. Shuroo se hee meree haalat kharaab ho gayee. Station par jab gaaDee leT thee to maa mere oopar hee baiTh gayeen.
HolDaal kab kaam men aayegaa? Un'ke assee kilo ke wajan se meree kamar TooT gayee. Dam ghuT'ne lagaa. Main chhaTapaTa'ne lagaa. Hil'ne Dul'ne laga to maa ko bahut maja aayaa. Fusafusa kar Pradeep aur Pritam ke kaan men kuchh boleen. Shaayad yahee kah rahee hongee ki bahoo chhaTapaTa rahee hai. Mujhe aur tang kar'ne ko we kuchh der baad boleen.
BeTe tum log bhee baiTh jaao. BaDa mulaayam mast bistar hai, kisee laD'kee kee god jaisaa. Tum log bhee baiTho. Aur jald hee main teen teen shareeron ke wajan ke neeche dab gayaa. Ek jana mere sir par baiTha thaa, ek peeTh par aur ek nitambon par. Main kasamasa'kar cheekh'ne kee koshish kar'ta hua behosh ho gayaa.
Raaste bhar main aadhee behoshee men rahaa. Mujhe Tren men seeT ke baajoo men rakha gaya thaa. Ek baar Pradeep jab oopar kee barth par chaDha'ne ke liye seeT par chaDhaa to maa boleen.
Are holDaal par pair rakh'kar chaDha beTe. Fir dheeme swar men boleen.
Bahoo ko tere pair lag'ne de, aakhir teree patnee hai. Tere pairon ke neeche hee rahana hai use. Aur Pradeep holDaal par khaDa ho gayaa. Jaan boojh kar paanch minute khaDa raha aur mujhe rond'ta rahaa. Mere mulaayam shareer ko daba'ne men use baDa maja aa raha hogaa. Main bilabila uTha par mera lunD yah soch kar khaDa ho gaya ki yah haTTaakaTTa naujawaan jo mujhe raund raha hai, mera pati hai aur kal hee meree chudaayee karegaa.
Saas ka aashirwaad aur suhaagaraat kee taiyaaree
Aakhir ham ghar pahunche. Shaam ho gayee thee. Mujhe jab holDaal se nikaala gaya to main adhamara sa ho gaya thaa. Kamar seedhee hee naheen ho rahee thee. Bahut bhookh aur pyaas bhee lagee thee. Maa kee chappal mere munh men hee fansee huee thee kyonki use kha'ne ke liye main chaba naheen paaya thaa.
Mere haath pair aur munh khol kar maa ne mere munh se chappal nikaalee. Meree aankhon men jhaank'kar dekha us'men mujhe hone waalee peeDa aur Dar se chhalakate aansoo dekhe to muskaraayeen aur boleen.
Bahut aanand men hai par bhookhee hai bechaaree. Aur meree chappal bhee achchhee lagee par kha naheen paayee, hai na beTee? Fikar mat kar, yahaan ab itanee chappalen khilaayenge tujhe ki too kha naheen paayegee! Pritam aur Pradeep beTe, ab tum log so lo. Main tab tak bahoo ko suhaag raat ke liye taiyaar kar'tee hoon Pritam bolaa.
Maa, Maadhuri ka lunD choos lenaa. Bees ghante se khaDa hai. Ek baar jhaDana jarooree hai naheen to beemaar ho jaayegee bechaaree.
Haan main samajh'tee hoon. Us'ke weery par mera bhee to pahala hak hai saas ke naate, aa beTee Kah'kar maa mujhe bath room le gayee. Main langaDaata un'ke peechhe ho liyaa. Kamar ab bhee dukh rahee thee. Bath room ke paas hee do sandaas the. Ek ke darawaaje par meree tasweer banee thee. Dusare par kuchh naheen thaa. Meree aankhon men ubhar aaye prashn ko dekh'kar maa boleen
Aa tujhe dikhaaoon do sandaason ka kya matalab hai! Too ab yah sandaas istemaal karegee jisapar teree tasweer banee hai. Naya banawaaya hai, ekadam aaleeshaam. Sirf tere liye hai, aur koee is'men naheen jaayegaa. Ab tak ham doosara waala istemaal karate the. Ab us'men taala laga denge. Samajh rahee hai na main kya kah rahee hoon? Ab is ghar men tere siwa kisee ko tailet ja'ne kee karoorat naheen hogee.
Main aankhen faaD kar maa kee or dekh'ne lagaa. Man men Dar aur waasana ka saagar sa umaD'ne lagaa. Maa boleen.
Ab too hee ham teenon ka chal'ta fir'ta pyaara sandaas hai bahoo. H'men ab seemenT ke TaayaleT kee kya jaroorat hai? Aaj teree suhaag raat se pahale tujhase hee us'men taala lagawa'ne kee rasam kar lenge.
Mera sir chakara'ne lagaa. Waise mujhe in sab baaton ka andaaja Pritam ne de diya tha par ab jab samay aa gaya thaa, mera Dar baDha gaya thaa. Bahut waasana bhee jaag'ne lagee thee ki ab shuroo huee meree asalee kaamuk gandee vikRut jindagee.
Fir maa mujhe bath room le gayeen. Mujhe nanga kar'ke khud bhee ap'ne kapaDe nikaal'ne lageen. Main jaise jaise un'ke p'ke gadaraaye shareer ko dekh'ta gayaa, mera pahale hee khaDa lunD aur khaDa hota gayaa. Ekadam chik'ne sangamaramar jaisa unaka saanwala taraasha shareer ya'ne jaise khajaana thaa. Choochiyaan ye baDee baDee papeete see thee aur gaanD to maano pahaaD kee do chaTTaanon jaisee thee. Jhaanten aisee lambee ki chaaho to choTee baandh lo. Kamar par mulaayam maas ka Taayar laTak aaya thaa. Jaanghen kisee pahalawaan jaisee moTee moTee aur majaboot thee.
Unhon'ne mujhe nahalaaya aur khud bhee nahaayeen. Mera shareer khoob daba kar dekha aur choochiyaan masal masal kar tasallee kee ki Theek se sadh gayee hain ya naheen.
Achchhe stan hain tere, Pradeep ko daba'ne men bahut maja aayegaa. Bol'tee huee we mere shareer ka aise muaayan kar rahee thee jaise kasaayee kaaT'ne ke pahale bakaree kee kar'ta hai.
Bahut pyaaree hai bahoo. H'men bahut sukh degee. Chal ab tera lunD choos loon. Aur jyaada khaDa raha to TooT kar gir jaayega bechaaraa. Kah'kar unhon'ne mujhe deewaar se saTa'kar khaDa kiya aur mere saam'ne baiTh kar mera lunD ek minute men choos Daalaa. itanee der ke baad jo sukh mujhe mila usase main gash kha'kar kareeb kareeb gir paDaa.
Maa ne mujhe chhoDa naheen balki neeche baiTh kar mera sir apanee jaanghon ke beech kheench'tee huee boleen.
Ab jara apanee saas kee bur bhee chakh le bahoo. Tera pati aur dewar to deewa'ne hain hee isake, ab too bhee aadat Daal le. Maine us geelee tap'tee bur men munh Daala to khushee se rone ko aa gayaa. Kya swaad thaa! itana gaaDhaa shahad bah raha tha jaise andar botal rakhee ho. Choot bhee aisee baDee thee ki meree ThuDDee us'men aaraam se ghus rahee thee. Bur naheen bhosaDa thaa! maine man bhar kar us ras ko piyaa. Maa do baar jhaDeen aur mujhe shaabaasee bhee detee gayeen.
Achchha choos'tee hai beTee, main aur sikha doongee kaise apanee saas kee bur raanee kee pooja kee jaate hai. Ab tak mera lunD fir khaDa hone laga thaa. Bahut meeThee kasak ho rahee thee. Maa ne mujhe jameen par liTaaya aur boleen.
Aa ab kuchh kha le, kal se tere liye peT men khaana lekar ghoom rahee hoon. Ab baad men bhee tujhe bahut kuchh kha'ne peene ko milaga par Pradeep ka lunD sah'ne ke liye kuchh to jaan aaye tere shareer men. Maa mere sir ke donon or pair jama kar baiTh gayeen aur boleen.
Munh khol bahoo raanee, yah saas kee taraf se pahala niwaala hai tujhe. Main sakate men thaa. LunD fanafana raha thaa. Chupachaap munh khol kar main leT gayaa. Maa ne jor lagaaya aur ek baDee moTee lendee mere munh men hag dee. Fir jhuk kar dekh'ne lageen. Un'kee aankhon men aseen waasana thee.
is mauke ka intajaar main barason se kar rahee hoon. Kab sundar bahoo aaye aur main apanee gaanD se use TaTTee khilaaoom! Khale biTiyaa. PeT bhar ke kha le.
Jab maine munh band kar ke un'kee TaTTee chaba chaba kar khaana shuroo kee to maa khushee se sisak uTheen. Meree balaayen lete hue mere sir ko pakaD'kar mere munh men pyaar se hag'ne lageen. Apanee pooree TaTTee mujhe khila'ne men maa ko das minute lag gaye. Us pahaaD jaisee gaanD men ek kilo se kam kya TaTTee hogee!
Jab maine baad men pyaar se jeebh Daal kar un'kee gaanD andar se saaf kee to we bahut khush hueen.
Achchha seekhee sikhaayee hai bahoo. Maine to chaabuk taiyaar rakha tha ki jaroorat paDe to maar maar kar sikhaaoongee. Par lag'ta hai jaroorat naheen paDegee. Jaisee mujhe chaahiye thee waisee hee chhinaal randee bahoo mujhe milee hai.
Us'ke baad mere munh men we loTa bhar mooteen aur tabhee uTheen jab main poora pee gayaa. Meree bhookh aur pyaas pooree miT gayee thee. PeT gale tak bhar gaya thaa. Main maano jannat men thaa. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. LunD aise khaDa ho gaya tha jaise baiTha hee na ho. Use dekh kar maa ne meree balaayen leen.
Bahut achchhee bahoo Dhoondhee hai Pritam ne. Hamesha mast rah'tee hai! Tujhe chod'ne men mere beTe ko bahut maja aayegaa. Chal ab tujhe suhaagaraat ke liye taiyaar karoom.
BaDa man laga'kar unhon'ne mera singaar kiyaa. Bra pahana'ne ke pahale meree choochiyon men maa ne Pritam kee sahaay'ta se baadaam ka doodh bharaa. Paav paav liTar kee meree choochiyon men DeDha DeDha paav doodh kas kar bhar diya aur oopar se rabaD ke chuchuk laga'kar mere chuchuk bheench diye ki doodh chhalak na jaaye. Fir maa ne rabaD kee kaalee bra mujhe pahanaayee.
Khaas tere liye mangawaayee hai. Ab teree choochiyaan hamesha doodh se bharee rahengee is'liye unhen kas kar aur uTha kar rakhana paDegaa. Aur rabaD kee yah bra lag'tee bhee baDee pyaaree hai, ekadam mulaayam hai. Dekh iname tere mamme kas'ne ke baad kaise ye donon jhapaT'kar teree choochiyaan masalate hain!
kramashah................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
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