यार बना प्रीतम - भाग (13)
गतान्क से आगे.......
वो ब्रा बिलकुल छोटी और तंग थी और मेरे बदन पर चढ़ा'ने के लिए उसे खूब तानाना पड़ा. ब्रा ने मेरी चूचियाँ और छा'ती कस'कर जकड लिए. मेरे मम्मे तन के फूले थे इस'लिए रबड से जकड'ने के बाद थोड़े दुख रहे थे पर रबड के मुलायम स्पर्श से उन'में अजीब सी सुखद सनसनी हो रही थी. उस'के बाद काले रबड की पैंटी पहना'कर मेरा खड़ा लंड उस'में दबा दिया गया. पैंटी पीछे से गुदा पर खुली थी. मा ने समझाया.
तू अधनन्गी इतनी प्यारी लग'ती है कि तेरी गान्ड मार'ने के लिए यह पैंटी नहीं उतारना पड़े इस'लिए ऐसी है. अब तेरे लंड का काम होगा तभी यह उतरेगी. प्रीतम मुझसे चिपकना चाह'ता था पर मा ने उसे डाँट दिया.
चल दूर हो, तेरी भाभी है, आज पहले प्रदीप चोदेगा मन भर कर, तू मेरे साथ आ जा दूसरे पलंग पर. मेरी गान्ड मारना और प्रदीप के करतब देखना. फिर बहू पर करम करेंगे.
मुझे आज उन्हों'ने पूरा सजाया था. हाथों में चूड़ियाँ, कान में बूंदे, पाँव में पायल और बनारसी साड़ी चोली पहनाई. मेरे बाल कंधे तक लंबे हो ही गये थे. उस'में माजी ने फूल गूँध कर चोटी बाँध दी.
अरे प्रदीप अब ज़रा चप्पल ले आ बहू की, खुद ही पसंद कर ले मा ने आवाज़ लगाई. प्रदीप एक गुलाबी चप्पल ले आया. मेरी वही प्यारी घिसी हुई चप्पल थी, प्रदीप ने अचूक चुना ली थी. उस'ने प्यार से मेरे पैर में पहनाई. फिर झुक कर उसे चूम लिया. मेरा रोम रोम रोमाच से सिहर उठा, क्या प्रदीप को भी मेरी चप्पालों से वही करना था जो मुझे उन'की चप्पालों से ये करवा'ने वाले थे!
अरे अभी नहीं, चुदाई तो शुरू होने दे, फिर लेना बहू का प्रसाद मा ने उसे झटकारा.
चलो अब खा लो कुच्छ. फिर बेड रूम में चलते हैं. मा बोलीं. प्रदीप और प्रीतम के साथ वे रसोई में आईं. मुझे परोस'ने को कहा गया.
चल आज से ही काम पर लग जा. ह'में परोस. खाना तो तू खा चुकी है. आगे प्रदीप भी प्यार से खिलाएगा. कल से धीरे धीरे घर का काम भी सिखा दूँगी. घर का पूरा काम करना और हम सब की सेवा करना यही तेरा काम है अब. मा ने कहा.
खाना खाते खाते सब मुझे नोंच रहे थे. जब भी मैं किसी को परोस'ने जाता, कोई मेरी चूची दबा देता या चूतड या जाँघ पर चूंटी काट लेता. धीरे नहीं, ज़ोर से कि मैं तिलमिला जाउ. एक बार रोटी ला'ने में मुझे देर हुई तो प्रदीप ने मज़ाक में ज़ोर से मेरी चूची मसल दी.
जल्दी जानेमन, नखरा नहीं चलेगा. ठस्स भरी होने से पहले ही मेरी चूचियाँ दुख रही थी. अब मैं कसमसा गया और रोने को आ गया.
रोती क्यों है बहू, तेरा पति है, तेरे जवान शरीर को मसलेगा ही. और पिटायी भी करेगा! हमारे यहाँ बहुओं की कस कर पिटायी होती है. इस'लिए जो भी तुझसे कहा जाए, तुरंत किया कर. हम सब भी तेरे शरीर को मन चाहे वैसे भोगेंगे. हमारा हक है. और जब प्रदीप का लॉडा लेगी तो क्या करेगी? मर ही जाएगी! बड़ी नाज़ुक बहू है रे प्रदीप. मा बोलीं.
ऐसी ही चाहिए थी मा, सही है. ज़रा रोएगी धोएगी तो चोद'ने में मज़ा आएगा. मैं तो मा रुला रुला कर चोदून्गा इसको! प्रदीप अपना लंड सहलाता हुआ बोला. खाना खा'ने के बाद मा बोलीं.
चलो अब बहू से एक रस्म भी करा लेना. ले बहू, दूसरे टायलेट में ताला लगा दे. और मुझे एक बड़ा ताला उन्हों'ने दिया. मैने संडास में ताला लगा'कर चाबी उन्हें दे दी.
अब सब'के पैर पड़ और उन्हें बोल कि अब से तेरा मुँह ही इन सब का टायलेट है, उसीमें सब किया करें. मा के कह'ने पर मैने बारी बारी से सब'के पैर च्छुए और बोला.
मेरे प्राणनाथ, मेरे देवराजी, सासूजी, आज से आप'के शरीर से निकली हर चीज़ पर मेरा हक है. मेरे मुँह को आप टायलेट जैसा इस्तेमाल कीजिए.
सब'के पैरों में रबड की चप्पलें थी. उन्हें देख'कर मुझे अजीब सी मीठी सनसनी हुई. मा वही पतली हरी चप्पल पहनी हुई थी जो मेरे मुँह में ठूंस कर मुझे गाँव लाया गया था. प्रीतम के पैर में मैने ही खरीदी हुई नीली चप्पल थी. और मेरे पति के पैरों में सफेद क्रीम रंग की चौड़े पत्तों वाली चप्पलें थी, मोटी और हाई हील स्टाइल की. मुझे रोमाच हो आया. सोच'ने लगा कि सबसे पहले कौन इन्हें मेरे मुँह में देगा? शायद प्रदीप! मैने पैर छूते समय झुक'कर उन सब चप्पालों को छुआ और फिर चूम लिया. माजी मेरी इस हरकत पर खुश होकर बोलीं.
बड़ी प्यारी है मेरी बहू. घबरा मत बेटी, ये सब चप्पलें तेरे लिए हैं. हम तो तुझे खूब खिलाएँगे, बस तू खा'ती जा फटाफट. प्रदीप, चलो अब देर ना करो. बहू को उठा कर ले चलो. वो बेचारी कब से तडप रही है तुझसे चुद'ने को! मैं सिहर उठा. मेरी सुहागरात शुरू होने वाली थी!
सुहागरात, बहू का प्रसाद और पति का आशीर्वाद
प्रदीप मुझे उठा कर चूम'ता हुआ पलंग पर ले गया. मा और प्रीतम भी पीछे थे. मुझे पलंग पर पटक कर प्रदीप मुझपर चढ गया और ज़ोर ज़ोर से मुझे चूम'ने लगा. उस'के हाथ मेरी चूचियाँ और नितंब दबा रहे थे. मुझे बहुत अच्च्छा लगा. आख़िर वह मेरा पति था और अब मेरे शरीर को भोग'ने वाला था. आँखें बंद कर'के मैं उस'की वासना भरी हरकतों का आनंद लेने लगा.
बहू को नंगा करो प्रदीप. बहुत लाड हो गया. अपना काम शुरू करो. और अप'ने अप'ने कपड़े भी उतारो माजी ने हुक्म दिया.
सब फटाफट नंगे हो गये. प्रीतम को तो मैने बहुत बार देखा था. माजी का नग्न शरीर भी आज नहाते समय देख लिया था. पर प्रदीप को मैं पहली बार देख रहा था. उस'के हट्टे कट्टे पहलवान जैसे शरीर को देख'कर मैं वासना से सिहर उठा. क्या तराशा हुआ चिकना मास पेशियों से भरा हुआ बदन था! चूतड़ बड़े बड़े और गठे हुए थे. मैं सोच'ने लगा कि अप'ने पति की गान्ड मार'ने को मिले तो मैं तो खुशी से पागल हो जाऊँगा.
पर प्रदीप का लंड देख'कर मैं घबरा गया. मन में कामना के साथ एक भयानक डर की भावना मन में भर गयी. प्रदीप का लंड आदमी का नहीं, घोड़े का लंड लग'ता था एक फुट नहीं तो कम से कम दस ग्याराह इंच लंबा और ढाई-तीन इंच मोटा होगा!. सुपाड़ा तो पाव भर के आलू जैसा फूला हुआ था! और नसें ऐसी की जैसे पहलवान के हाथ पर होती हैं! घबरा कर मैं थरथर काँप'ने लगा.
मेरी घबराहट देख कर सब हंस'ने लगे. प्रीतम तुरंत मेरी ओर बढ़ा. उस'की आँखों में भी मेरे प्रति प्यार और वासना उमड आई थी.
अरे घबरा गयी माधुरी भाभी? मैने पहले ही कहा था कि प्रदीप का लंड झेलना आसान काम नहीं है. आ तेरे कपड़े उतार दू! भैया, कहो तो मैं चोद लूँ भाभी को?
तू नहीं रे छोटे, तूने बहुत मज़ा लिया है. अब प्रदीप पहले इसे चोदेगा. फिर हम चखेंगे बहू का स्वाद. प्रदीप बेटे, इस'के सब कपड़े निकाल दे, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी रह'ने दे. पैंटी में पीछे से च्छेद है, तू आराम से उस'में से इसे चोद सकेगा. देख अधनन्गी बहू क्या ज़ुल्म ढा'ती है. और हां चप्पलें भी पैरों में रह'ने दे, इस'के नाज़ुक पैरों में बहुत जच'ती हैं. माजी बोलीं.
प्रदीप ने फटाफट मेरी साड़ी और चोली उतार दी. काली रबड की ब्रा और पैंटी में सज़ा मेरा गोरा दुबला पतला शरीर देख'कर सब आअह, उफ़, मार डाला कह'ने लगे. प्रदीप मेरे सारे शरीर को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ा और मेरे पैरों और चप्पालों को चूम'ने लगा. फिर उस'ने मेरी एक चप्पल का सिरा मुँह में लिया और चूस'ने लगा.
प्रीतम और माजी भी मेरे दूसरे पाँव पर लगे थे. मेरे तलवे चाट रहे थे. माजी सिसक कर बोलीं.
अब नहीं रहा जाता, बहुत प्यारी हैं रे इस छ्हॉकरी की चप्पलें प्रीतम बेटे, तू सच कह'ता था. अब चलो बहू का प्रसाद पा लो, फिर उसे चोदेन्गे. मेरे पैरों से चप्पलें निकाल'कर वे उनपर टूट पड़े. प्रदीप ने सीधे एक छ्चीन ली.
मा, एक पूरी मेरी है, आप दोनों दूसरी बाँट लो, माधुरी रानी, आ, अप'ने हाथ से खिला मुझे. सुहागरात को अपनी प्यारी बीवी की चप्पल खा'ने मिली है, मज़ा आ गया. मा बोलीं.
ये ठीक नहीं है प्रदीप, सास के नाते मेरा हक ज़्यादा है, मैं सोच रही थी एक पूरी लेने की, पर जा'ने दे, आख़िर तेरी पत्नी है. बहू पहले तू इधर आ, इस चप्पल के पत्ते अलग कर और प्रीतम को दे, नीचे का सपाट चमचम मुझे दे दे, अप'ने नाज़ुक हाथों से मेरे मुँह में डाल दे.
मैं वासना से थारतरा रहा था. इतनी बार मैने प्रीतम की चप्पलें खाई थी पर अब पता चल रहा था कि किसी को अप'ने पैरों की चप्पल खिला'ने में क्या मज़ा आता है, वो भी अपनी सास को, पति को और देवर को एक साथ. प्रीतम बोला
जल्दी करो भाभी, आप'ने पैरों का प्रसाद ह'में दो, तुम घर की लक्ष्मी हो, तुम्हारा प्रसाद पा कर ही हम फिर तेरी भूख बुझायेँगे, तन की और पेट की.
माजी पलंग पर लेट गयीं. मैं उन'के सिराहा'ने बैठ गया. चप्पल हाथ में ले कर मैने खींच'कर उस'के पत्ते निकाले. प्रीतम पास ही बैठ था. उस'ने अपना मुँह खोल दिया.
पट्टे मुझे दे दे भाभी, फिर प्यार से मा को खिलाना.
मैने अप'ने हाथों से प्रीतम के मुँह में अपनी चप्पल के पत्ते दे दिए. वह आँखें बंद कर'के उन्हें चबा'ने लगा. एक असीम सन्तोष उस'के चेहरे पर झलक रहा था. पल भर को आँखें खोल कर उस'ने इशारों से मुझे कहा कि क्या मस्त माल है और फिर आँखें बंद कर'के चबा'ने लगा. माजी बोलीं.
देख बहू, हम सब को अपना प्रसाद देकर फिर जब तक हम इसे खाएँ, हमारी सेवा करो, अब देर ना करो, तेरी ये सास कब से तडप रही है तेरे नाज़ुक पाँव का स्वाद लेने को. और मुँह खोल कर मेरी जाँघ पर सिर रख'कर लेट गयीं. प्रदीप भी मेरी दूसरी जाँघ को सिराहा'ने लेकर लेट गया.
माधुरी रानी, जल्द मा को दे, फिर इस तरफ देख, तेरा ये गुलाम भी तो तरस रहा है, कब से भूखा है तेरी चप्पल के लिए.
मुझे कैसा कैसा हो रहा था. लंड ऐसा सनसना रहा था जैसे फट जाएगा. मैने झुक कर माजी के खुले रसीले मुँह में मुँह डाल दिया और उन'की जीभ चूस'ने लगा. फिर बड़ी मुश्किल से उस शहद को छोड'कर मुँह ऊपर किया और तारथराते हाथों से पत्ते निकाली चप्पल का सपाट सोल उन'के मुँह में दे दिया.
उन्हों'ने उसे झट से आधे से ज़्यादा निगल लिया. ये कोई मुश्किल काम नहीं था, मेरी चप्पल इतनी पुरानी और घिसी पीटी थी कि बस चॅपा'टी सी हो गयी थी. उन्हों'ने मेरा हाथ पकड़'कर चप्पल पर रखा और दबा'ने लगीं, मुझे इशारे से वह कह रही थी कि अंदर डालूं. मैने चूड़ियाँ खनकाते हुए चप्पल को दबा'कर माजी के मुँह में ठूंस दिया. वे थोड़ी कराही और फिर मुँह बंद कर'के चबा'ने लगीं. उनका एक हाथ अब अपनी ही बुर में चल रहा था.
अब मैने प्रदीप की ओर ध्यान दिया, मेरा सैंया अब तक पागल होने को आ गया था अपना लंड मुठिया रहा था. मैने उसका हाथ पकड़'कर आँखों आँखों में झूठे गुस्से से मना किया, कि अजी इसपर तो मेरा हक है, हाथ ना लगाना. फिर दूसरी पूरी चप्पल मैने मोड़ कर गोल रोल जैसी की, जैसा प्रीतम मेरे मुँह में अपनी चप्पल देते हुए किया कर'ता था. उस रोल को मैने प्रदीप के होंठों पर रगडा. जब वह अधीर होकर चाट'ने लगा तो मैने उसे उस'के मुँह में दे दिया. फिर अप'ने हाथों से उसे दबा दबा कर अंदर तक ठूंस दिया.
मेरे सैंया ने आराम से मेरी नाज़ुक पूरी चप्पल ले ली. फिर उसे चबा'ने लगा. उस'की आँखें वासना के अतिरेक से पथरा गयी थी. कमरे में अब चूस'ने और 'मच' 'मच' 'मच' कर'के चबा'ने की आवाज़ आ रही थी. मैं सातवें आसमान पर था, मेरे शरीर के ये सब मतवाले मेरी चप्पालों को खा'कर अप'ने आप को धनी मान रहे थे.
मैने अब सब को चूमना शुरू कर दिया. ऱबड की ब्रा में कसी मेरी चूचियाँ उन'के गालों पर रगड़ीं, माजी की बुर को चूसा और प्रदीप और प्रीतम के लंडों को बड़े लाड से हथेली में लेकर मुठियाया. प्रदीप का लंड तो मेरी दो मूठियो में भी नहीं समाता था. लंडों से खेलते समय मैने बहुत सावधानी बर'ती नहीं तो जिस हाल में वे थे, तुरंत झड जाते. बीच में माजी की विशाल चूचियाँ चूसी और उन्हें दबाया.
अंत में मैने आप'ने तलवे बारी बारी से उन सब'के चेहरों पर रगड़ना शुरू किया. मेरी पायलें 'छुम' 'छुम' कर'के बज रही थी. थोड़े नखरे करते हुए मैने अप'ने दोनों तलवे माजी के चेहरे पर जमाए और उन'के पूरे चेहरे को धक कर रगड़'ने लगा. वे सिर इधर उधर कर'ने लगीं. जब मैने यही प्रदीप के साथ किया तो उस'ने मेरे पैर पकड़'कर अप'ने गालों पर रगड़ना शुरू कर दिया. अंत में मैने अप'ने पैरों के बीच लंड पकड़ लिए और उन्हें रोल कर'ने लगा. माजी की बुर में मैने अप'ने पैर का अंगूठा डाल दिया और चोद'ने लगा.
वे सब अब ऐसे मेरी चप्पलें खा रहे थे जैसे जनम जनम के भूखे हों. सबसे पहले प्रीतम ने अपना नाश्ता ख़तम किया, क्योंकि वह सिर्फ़ पत्ते चबा रहा था, और फिर मुझे पकड़'कर मेरा मुँह चूस'ने लगा. उस'की आँखें गुलाबी हो गयी थी. पाँच मिनिट में ही माजी और प्रदीप ने भी मेरी चप्पलें निगली और मुझपर टूट पड़े. माजी बोलीं.
मैं धन्य हो गयी, मेरी कब की आस पूरी हो गयी, इतना मादक स्वाद आज तक मेरे मुँह ने नहीं चखा. ये मेरी बहू नहीं है, अप्सरा है अप्सरा. प्रदीप उठ, अब इस अप्सरा को दिखा दे कि इस जैसी सुंदर नाज़ुक नार को हमारे परिवार में कैसे भोगा जाता है, चल उठ, तेरा पेट भी भर गया होगा, अब चढ जा इस चाँद के टुकडे पर
क्रमशः................
YAAR BANA PRITAM - BHAAG (13)
gataank se aage.......
Wo bra bilakul chhoTee aur tang thee aur mere badan par chaDhaa'ne ke liye use khoob taanaana paDaa. Bra ne meree choochiyaan aur chha'tee kas'kar jakaD liye. Mere mamme tan ke foole the is'liye rabaD se jakaD'ne ke baad thoDe dukh rahe the par rabaD ke mulaayam sparsh se un'men ajeeb see sukhad sanasanee ho rahee thee. Us'ke baad kaale rabaD kee paintee pahana'kar mera khaDa lunD us'men daba diya gayaa. Paintee peechhe se guda par khulee thee. Maa ne samajhaayaa.
Too adhanangee itanee pyaaree lag'tee hai ki teree gaanD maar'ne ke liye yah paintee naheen utaarana paDe is'liye aisee hai. Ab tere lunD ka kaam hoga tabhee yah utaregee. Pritam mujhase chipakana chaah'ta tha par maa ne use Daant diyaa.
Chal door ho, teree bhaabhee hai, aaj pahale Pradeep chodega man bhar kar, too mere saath aa ja doosare palang par. Meree gaanD maarana aur Pradeep ke karatab dekhanaa. Fir bahoo par karam karenge.
Mujhe aaj unhon'ne poora sajaaya thaa. Haathon men chooDiyaan, kaan men bunde, paanv men paayal aur banaarasee saaDee cholee pahanaayee. Mere baal kandhe tak lambe ho hee gaye the. Us'men maajee ne fool goondh kar choTee baandh dee.
Are Pradeep ab jara chappal le aa bahoo kee, khud hee pasand kar le Maa ne aawaaj lagaayee. Pradeep ek gulaabee chappal le aayaa. Meree wahee pyaaree ghisee huee chappal thee, Pradeep ne achook chuna lee thee. Us'ne pyaar se mere pair men pahanaayee. Fir jhuk kar use choom liyaa. Mera ron ron romaach se sihar uThaa, kya Pradeep ko bhee meree chappalon se wahee karana tha jo mujhe un'kee chappalon se ye karawa'ne waale the!
Are abhee naheen, chudaayee to shuroo hone de, fir lena bahoo ka prasaad Maa ne use jhaTakaaraa.
Chalo ab kha lo kuchh. Fir bed room men chalate hain. Maa boleen. Pradeep aur Pritam ke saath we rasoee men aayeen. Mujhe paros'ne ko kaha gayaa.
Chal aaj se hee kaam par lag jaa. H'men paros. Khaana to too kha chukee hai. Aage Pradeep bhee pyaar se khilaayegaa. Kal se dheere dheere ghar ka kaam bhee sikha doongee. Ghar ka poora kaam karana aur ham sab kee sewa karana yahee tera kaam hai ab. Maa ne kahaa.
Khaana khaate khaate sab mujhe nonch rahe the. Jab bhee main kisee ko paros'ne jaataa, koee meree choochee daba deta ya chootaD ya jaangh par choontee kaaT letaa. Dheere naheen, jor se ki main tilamila jaaun. Ek baar roTee la'ne men mujhe der huee to Pradeep ne majaak men jor se meree choochee masal dee.
Jaldee jaaneman, nakhara naheen chalegaa. Thass bharee hone se pahale hee meree choochiyaan dukh rahee thee. Ab main kasamasa gaya aur rone ko aa gayaa.
Rotee kyon hai bahoo, tera pati hai, tere jawaan shareer ko masalega hee. Aur piTaayee bhee karegaa! Hamaare yahaan bahuon kee kas kar piTaayee hotee hai. is'liye jo bhee tujhase kaha jaaye, turant kiya kar. Ham sab bhee tere shareer ko man chaahe waise bhogenge. Hamaara hak hai. Aur jab Pradeep ka lauDa legee to kya karegee? Mar hee jaayegee! baDee naajuk bahoo hai re Pradeep. Maa boleen.
Aisee hee chaahiye thee maa, sahee hai. Jara royegee dhoegee to chod'ne men maja aayegaa. Main to maa rula rula kar chodoonga isako! Pradeep apana lunD sahalaata hua bolaa. Khaana kha'ne ke baad maa boleen.
Chalo ab bahoo se ek rasm bhee kara lena. Le bahoo, doosare tailet men taala laga de. Aur mujhe ek baDa taala unhon'ne diyaa. Maine sandaas men taala laga'kar chaabee unhen de dee.
Ab sab'ke pair paD aur unhen bol ki ab se tera munh hee in sab ka tailet hai, useemen sab kiya karen. Maa ke kah'ne par maine baaree baaree se sab'ke pair chhue aur bolaa.
Mere praaNanaath, mere dewarajee, saasoojee, aaj se aap'ke shareer se nikalee har cheej par mera hak hai. Mere munh ko aap TaayaleT jaisa istemaal keejiye.
Sab'ke pairon men rabaD kee chappalen thee. Unhen dekh'kar mujhe ajeeb see meeThee sanasanee huee. Maa wahee patalee haree chappal pahanee huee thee jo mere munh men Thoons kar mujhe gaanv laaya gaya thaa. Pritam ke pair men maine hee khareedee huee neelee chappal thee. Aur mere pati ke pairon men safed cream rang kee chauDe paTTon waalee chappalen thee, moTee aur haai heel sTaail kee. Mujhe romaach ho aayaa. Soch'ne laga ki sabase pahale kaun inhen mere munh men degaa? Shaayad Pradeep! Maine pair chhoote samay jhuk'kar un sab chappalon ko chhua aur fir choom liyaa. Maajee meree is harakat par khush hokar boleen.
BaDee pyaaree hai meree bahoo. Ghabara mat beTee, ye sab chappalen tere liye hain. Ham to tujhe khoob khilaayenge, bas too kha'tee ja faTaafaT. Pradeep, chalo ab der na karo. Bahoo ko uTha kar le chalo. Wo bechaaree kab se taDap rahee hai tujhase chud'ne ko! Main sihar uThaa. Meree suhaagaraat shuroo hone waale thee!
Suhaagaraat, bahoo ka prasaad aur pati ka aashirwaad
Pradeep mujhe uTha kar choom'ta hua palang par le gayaa. Maa aur Pritam bhee peechhe the. Mujhe palang par paTak kar Pradeep mujhapar chaDha gaya aur jor jor se mujhe choom'ne lagaa. Us'ke haath meree choochiyaan aur nitamb daba rahe the. Mujhe bahut achchha lagaa. Aakhir wah mera pati tha aur ab mere shareer ko bhog'ne waala thaa. Aankhen band kar'ke main us'kee waasana bharee harakaton ka aanand lene lagaa.
Bahoo ko nanga karo Pradeep. Bahut laaD ho gayaa. Apana kaam shuroo karo. Aur ap'ne ap'ne kapaDe bhee utaaro maajee ne hukm diyaa.
Sab faTaafaT nange ho gaye. Pritam ko to maine bahut baar dekha thaa. maajee ka nagn shareer bhee aaj nahaate samay dekh kiya thaa. Par Pradeep ko main pahalee baar dekh raha thaa. Us'ke haTTe kaTTe pahalawaan jaise shareer ko dekh'kar main waasana se sihar uThaa. Kya taraasha hua chikana maas peshiyon se bhara hua badan thaa! ChootaD baDe baDe aur gaThe hue the. Main soch'ne laga ki ap'ne pati kee gaanD maar'ne mile to main to khushee se paagal ho jaaoongaa.
Par Pradeep ka lunD dekh'kar main ghabara gayaa. Man men kaaman ke saath ek bhayaanak Dar kee bhaavana man men bhar gayee. Pradeep ka lunD aadamee ka naheen, ghoDe ka lunD lag'ta tha ek fuT naheen to kam se kam das gyaaraah inch lamba aur Dhaayee-teen inch moTa hogaa!. SupaaDa to paav bhar ke aaloo jaisa foola hua thaa! aur nasen aisee ki jaise pahalawaan ke haath par hotee hain! ghabara kar main tharathar kaamp'ne lagaa.
Meree ghabaraahaT dekh kar sab hans'ne lage. Pritam turant meree or baDhaaa. Us'kee aankhon men bhee mere prati pyaar aur waasana umaD aayee thee.
Are ghabara gayee Maadhuri bhaabhee? Maine pahale hee kaha tha ki Pradeep ka lunD jhelana aasaan kaam naheen hai. Aa tere kapaDe utaar doom! Bhaiyaa, kaho to main chod loon bhaabhee ko?
Too naheen re chhoTe, toone bahut maja lee hai. Ab Pradeep pahale ise chodegaa. Fir ham chakhenge bahoo ka swaad. Pradeep beTe, is'ke sab kapaDe nikaal de, sirf bra aur paintee rah'ne de. Paintee men peechhe se chhed hai, too aaraam se us'men se ise chod sakegaa. Dekh adhanangee bahoo kya julm Dha'tee hai. Aur haan chappalen bhee pairon men rah'ne de, is'ke naajuk pairon men bahut jach'tee hain. Maajee boleen.
Pradeep ne faTaafaT meree saaDee aur cholee utaar dee. Kaalee rabaD kee bra aur paintee men saja mera gora dubala patala shareer dekh'kar sab Aah, uf, maar Daalaa Kah'ne lage. Pradeep mere saare shareer ko choonate hue neeche kee or baDhaa aur mere pairon aur chappalon ko choom'ne lagaa. Fir us'ne meree ek chappal ka sira munh men liya aur choos'ne lagaa.
Pritam aur maajee bhee mere doosare paanv par lage the. Mere talawe chaaT rahe the. maajee sisak kar boleen.
Ab naheen raha jaataa, bahut pyaaree hain re is chhokaree kee chappalen Pritam beTe, too sach kah'ta thaa. Ab chalo bahoo ka prasaad pa lo, fir use chodenge. Mere pairon se chappalen nikaal'kar we unapar TooT paDe. Pradeep ne seedhe ek chheen lee.
maa, ek pooree meree hai, aap donon doosaree baant lo, Maadhuri raanee, aa, ap'ne haath se khila mujhe. Suhaagaraat ko apanee pyaaree beewee kee chappal kha'ne milee hai, maja aa gayaa. Maa boleen.
Ye Theek naheen hai Pradeep, saas ke naate mera hak jyaada hai, main soch rahee thee ek pooree lene kee, par ja'ne de, aakhir teree patnee hai. Bahoo pahale too idhar aa, is chappal ke paTTe alag kar aur Pritam ko de, neeche ka sapaaT chamacham mujhe de de, ap'ne naajuk haathon se mere munh men Daal de.
Main waasana se tharathara raha thaa. itanee baar maine Pritam kee chappalen khaayee thee par ab pata chal raha tha ki kisee ko ap'ne pairon kee chappal khila'ne men kya maja aata hai, wo bhee apanee saas ko, pati ko aur dewar ko ek saath. Pritam bola
Jaldee karo bhaabhee, ap'ne pairon ka prasaad h'men do, tum ghar kee laxmee ho, tumhaara prasaad pa kar hee ham fir teree bhookh bujhaayenge, tan kee aur peT kee.
Maajee palang par leT gayeen. Main un'ke siraha'ne baiTh gayaa. Chappal haath men le kar maine kheench'kar us'ke paTTe nikaale. Pritam paas hee baiTha thaa. Us'ne apana munh khol diyaa.
PaTTe mujhe de de bhaabhee, fir pyaar se maa ko khilaanaaa.
Maine ap'ne haathon se Pritam ke munh men apanee chappal ke paTTe de diye. Wah aankhen band kar'ke unhen chaba'ne lagaa. Ek aseen santoSh us'ke chehare par jhalak raha thaa. Pal bhar ko aankhen khol kar us'ne ishaaron se mujhe kaha ki kya mast maal hai aur fir aankhen band kar'ke chaba'ne lagaa. maajee boleen.
Dekh bahoo, ham sab ko apana prasaad dekar fir jab tak ham ise khaayen, hamaaree sewa karo, ab der na karo, teree ye saas kab se taDap rahee hai tere naajuk paanv ka swaad lene ko. Aur munh khol kar meree jaangh par sir rakh'kar leT gayeen. Pradeep bhee meree doosaree jaangh ko siraha'ne lekar leT gaya.
Maadhuri raanee, jald maa ko de, fir is taraf dekh, tera ye gulaam bhee to taras raha hai, kab se bhookha hai teree chappal ke liye.
Mujhe kaisa kaisa ho raha thaa. LunD aisa sanasana raha tha jaise faT jaayegaa. Maine jhuk kar maajee ke khule raseele munh men munh Daal diya aur un'kee jeebh choos'ne lagaa. Fir baDee mushkil se us shahad ko chhoD'kar munh oopar kiya aur tharatharaate haathon se paTTe nikalee chappal ka sapaaT sol un'ke munh men de diyaa.
Unhon'ne use jhaT se aadhe se jyaada nigal liyaa. Ye koee mushkil kaam naheen thaa, meree chappal itanee puraanee aur ghisee piTee thee ki bas chapa'tee see ho gayee thee. Unhon'ne mera haath pakaD'kar chappal par rakha aur daba'ne lageen, mujhe ishaare se wah kah rahee thee ki andar Daaloom. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Maine chooDiyaan khanakaate hue chappal ko daba'kar maajee ke munh men Thoons diyaa. We thoDee karaahee aur fir munh band kar'ke chaba'ne lageen. Unaka ek haath ab apanee hee bur men chal raha thaa.
Ab maine Pradeep kee or dhyaan diyaa, mera sainya ab tak paagal hone ko aa gaya tha apana lunD muThiya raha thaa. Maine usaka haath pakaD'kar aankhon aankhon men jhooThe gusse se man kiyaa, ki ajee isapar to mera hak hai, haath na lagaanaa. Fir doosaree pooree chappal maine moD kar gol rol jaisee kee, jaisa Pritam mere munh men apanee chappal dete hue kiya kar'ta thaa. Us rol ko maine Pradeep ke honthon par ragaDaa. Jab wah adheer hokar chaaT'ne laga to maine use us'ke munh men de diyaa. Fir ap'ne haathon se use daba daba kar andar tak Thoons diyaa.
Mere sainya ne aaraam se meree naajuk pooree chappal le lee. Fir use chaba'ne lagaa. Us'kee aankhen waasana ke atirek se pathara gayee thee. Kamare men ab choos'ne aur 'mach' 'mach' 'mach' kar'ke chaba'ne kee aawaaj aa rahee thee. Main saatawen aasamaan par thaa, mere shareer ke ye sab matawaale meree chappalon ko kha'kar ap'ne aap ko dhany maan rahe the.
Maine ab sab ko choomana shuroo kar diyaa. RabaD kee bra men kasee meree choochiyaan un'ke gaalon par ragaDeen, maajee kee bur ko choosa aur Pradeep aur Pritam ke landon ko baDe laaD se hathelee men lekar muThiyaayaa. Pradeep ka lunD to meree do mooThiyon men bhee naheen samaata thaa. Landon se khelate samay maine bahut saawadhaanee bar'tee naheen to jis haal men we the, turant jhaD jaate. Beech men maajee kee vishaal choochiyaan chooseen aur unhen dabaayaa.
Ant men maine ap'ne talawe baaree baaree se un sab'ke cheharon per ragaDana shuroo kiyaa. Meree paayalen 'chhuma' 'chhuma' kar'ke baj rahee thee. ThoDe nakhare karate hue maine ap'ne donon talawe maajee ke chehare par jamaaye aur un'ke poore chehare ko Dhak kar ragaD'ne lagaa. We sir idhar udhar kar'ne lageen. Jab maine yahee Pradeep ke saath kiya to us'ne mere pair pakaD'kar ap'ne gaalon par ragaDana shuroo kar diyaa. Ant men maine ap'ne pairon ke beech lunD pakaD liye aur unhen rol kar'ne lagaa. Maajee kee bur men maine ap'ne pair ka angooTha Daal diya aur chod'ne lagaa.
We sab ab aise meree chappalen kha rahe the jaise janam janam ke bhookhe hon. Sabase pahale Pritam ne apana naashta khatam kiyaa, kyonki wah sirf paTTe chaba raha thaa, aur fir mujhe pakaD'kar mera munh choos'ne lagaa. Us'kee aankhen gulaabee ho gayee thee. Paanch minute men hee maajee aur Pradeep ne bhee meree chappalen nigaleen aur mujhapar TooT paDe. Maajee boleen.
Main dhany ho gayee, meree kab kee aas pooree ho gayee, itana maadak swaad aaj tak mere munh ne naheen chakhaa. Ye meree bahoo naheen hai, apsara hai apsaraa. Pradeep uTh, ab is apsara ko dikha de ki is jaisee sundar naajuk naar ko hamaare pariwaar men kaise bhoga jaata hai, chal uTh, tera peT bhee bhar gaya hogaa, ab chaDha ja is chaand ke TukaDe par
kramashah................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
गतान्क से आगे.......
वो ब्रा बिलकुल छोटी और तंग थी और मेरे बदन पर चढ़ा'ने के लिए उसे खूब तानाना पड़ा. ब्रा ने मेरी चूचियाँ और छा'ती कस'कर जकड लिए. मेरे मम्मे तन के फूले थे इस'लिए रबड से जकड'ने के बाद थोड़े दुख रहे थे पर रबड के मुलायम स्पर्श से उन'में अजीब सी सुखद सनसनी हो रही थी. उस'के बाद काले रबड की पैंटी पहना'कर मेरा खड़ा लंड उस'में दबा दिया गया. पैंटी पीछे से गुदा पर खुली थी. मा ने समझाया.
तू अधनन्गी इतनी प्यारी लग'ती है कि तेरी गान्ड मार'ने के लिए यह पैंटी नहीं उतारना पड़े इस'लिए ऐसी है. अब तेरे लंड का काम होगा तभी यह उतरेगी. प्रीतम मुझसे चिपकना चाह'ता था पर मा ने उसे डाँट दिया.
चल दूर हो, तेरी भाभी है, आज पहले प्रदीप चोदेगा मन भर कर, तू मेरे साथ आ जा दूसरे पलंग पर. मेरी गान्ड मारना और प्रदीप के करतब देखना. फिर बहू पर करम करेंगे.
मुझे आज उन्हों'ने पूरा सजाया था. हाथों में चूड़ियाँ, कान में बूंदे, पाँव में पायल और बनारसी साड़ी चोली पहनाई. मेरे बाल कंधे तक लंबे हो ही गये थे. उस'में माजी ने फूल गूँध कर चोटी बाँध दी.
अरे प्रदीप अब ज़रा चप्पल ले आ बहू की, खुद ही पसंद कर ले मा ने आवाज़ लगाई. प्रदीप एक गुलाबी चप्पल ले आया. मेरी वही प्यारी घिसी हुई चप्पल थी, प्रदीप ने अचूक चुना ली थी. उस'ने प्यार से मेरे पैर में पहनाई. फिर झुक कर उसे चूम लिया. मेरा रोम रोम रोमाच से सिहर उठा, क्या प्रदीप को भी मेरी चप्पालों से वही करना था जो मुझे उन'की चप्पालों से ये करवा'ने वाले थे!
अरे अभी नहीं, चुदाई तो शुरू होने दे, फिर लेना बहू का प्रसाद मा ने उसे झटकारा.
चलो अब खा लो कुच्छ. फिर बेड रूम में चलते हैं. मा बोलीं. प्रदीप और प्रीतम के साथ वे रसोई में आईं. मुझे परोस'ने को कहा गया.
चल आज से ही काम पर लग जा. ह'में परोस. खाना तो तू खा चुकी है. आगे प्रदीप भी प्यार से खिलाएगा. कल से धीरे धीरे घर का काम भी सिखा दूँगी. घर का पूरा काम करना और हम सब की सेवा करना यही तेरा काम है अब. मा ने कहा.
खाना खाते खाते सब मुझे नोंच रहे थे. जब भी मैं किसी को परोस'ने जाता, कोई मेरी चूची दबा देता या चूतड या जाँघ पर चूंटी काट लेता. धीरे नहीं, ज़ोर से कि मैं तिलमिला जाउ. एक बार रोटी ला'ने में मुझे देर हुई तो प्रदीप ने मज़ाक में ज़ोर से मेरी चूची मसल दी.
जल्दी जानेमन, नखरा नहीं चलेगा. ठस्स भरी होने से पहले ही मेरी चूचियाँ दुख रही थी. अब मैं कसमसा गया और रोने को आ गया.
रोती क्यों है बहू, तेरा पति है, तेरे जवान शरीर को मसलेगा ही. और पिटायी भी करेगा! हमारे यहाँ बहुओं की कस कर पिटायी होती है. इस'लिए जो भी तुझसे कहा जाए, तुरंत किया कर. हम सब भी तेरे शरीर को मन चाहे वैसे भोगेंगे. हमारा हक है. और जब प्रदीप का लॉडा लेगी तो क्या करेगी? मर ही जाएगी! बड़ी नाज़ुक बहू है रे प्रदीप. मा बोलीं.
ऐसी ही चाहिए थी मा, सही है. ज़रा रोएगी धोएगी तो चोद'ने में मज़ा आएगा. मैं तो मा रुला रुला कर चोदून्गा इसको! प्रदीप अपना लंड सहलाता हुआ बोला. खाना खा'ने के बाद मा बोलीं.
चलो अब बहू से एक रस्म भी करा लेना. ले बहू, दूसरे टायलेट में ताला लगा दे. और मुझे एक बड़ा ताला उन्हों'ने दिया. मैने संडास में ताला लगा'कर चाबी उन्हें दे दी.
अब सब'के पैर पड़ और उन्हें बोल कि अब से तेरा मुँह ही इन सब का टायलेट है, उसीमें सब किया करें. मा के कह'ने पर मैने बारी बारी से सब'के पैर च्छुए और बोला.
मेरे प्राणनाथ, मेरे देवराजी, सासूजी, आज से आप'के शरीर से निकली हर चीज़ पर मेरा हक है. मेरे मुँह को आप टायलेट जैसा इस्तेमाल कीजिए.
सब'के पैरों में रबड की चप्पलें थी. उन्हें देख'कर मुझे अजीब सी मीठी सनसनी हुई. मा वही पतली हरी चप्पल पहनी हुई थी जो मेरे मुँह में ठूंस कर मुझे गाँव लाया गया था. प्रीतम के पैर में मैने ही खरीदी हुई नीली चप्पल थी. और मेरे पति के पैरों में सफेद क्रीम रंग की चौड़े पत्तों वाली चप्पलें थी, मोटी और हाई हील स्टाइल की. मुझे रोमाच हो आया. सोच'ने लगा कि सबसे पहले कौन इन्हें मेरे मुँह में देगा? शायद प्रदीप! मैने पैर छूते समय झुक'कर उन सब चप्पालों को छुआ और फिर चूम लिया. माजी मेरी इस हरकत पर खुश होकर बोलीं.
बड़ी प्यारी है मेरी बहू. घबरा मत बेटी, ये सब चप्पलें तेरे लिए हैं. हम तो तुझे खूब खिलाएँगे, बस तू खा'ती जा फटाफट. प्रदीप, चलो अब देर ना करो. बहू को उठा कर ले चलो. वो बेचारी कब से तडप रही है तुझसे चुद'ने को! मैं सिहर उठा. मेरी सुहागरात शुरू होने वाली थी!
सुहागरात, बहू का प्रसाद और पति का आशीर्वाद
प्रदीप मुझे उठा कर चूम'ता हुआ पलंग पर ले गया. मा और प्रीतम भी पीछे थे. मुझे पलंग पर पटक कर प्रदीप मुझपर चढ गया और ज़ोर ज़ोर से मुझे चूम'ने लगा. उस'के हाथ मेरी चूचियाँ और नितंब दबा रहे थे. मुझे बहुत अच्च्छा लगा. आख़िर वह मेरा पति था और अब मेरे शरीर को भोग'ने वाला था. आँखें बंद कर'के मैं उस'की वासना भरी हरकतों का आनंद लेने लगा.
बहू को नंगा करो प्रदीप. बहुत लाड हो गया. अपना काम शुरू करो. और अप'ने अप'ने कपड़े भी उतारो माजी ने हुक्म दिया.
सब फटाफट नंगे हो गये. प्रीतम को तो मैने बहुत बार देखा था. माजी का नग्न शरीर भी आज नहाते समय देख लिया था. पर प्रदीप को मैं पहली बार देख रहा था. उस'के हट्टे कट्टे पहलवान जैसे शरीर को देख'कर मैं वासना से सिहर उठा. क्या तराशा हुआ चिकना मास पेशियों से भरा हुआ बदन था! चूतड़ बड़े बड़े और गठे हुए थे. मैं सोच'ने लगा कि अप'ने पति की गान्ड मार'ने को मिले तो मैं तो खुशी से पागल हो जाऊँगा.
पर प्रदीप का लंड देख'कर मैं घबरा गया. मन में कामना के साथ एक भयानक डर की भावना मन में भर गयी. प्रदीप का लंड आदमी का नहीं, घोड़े का लंड लग'ता था एक फुट नहीं तो कम से कम दस ग्याराह इंच लंबा और ढाई-तीन इंच मोटा होगा!. सुपाड़ा तो पाव भर के आलू जैसा फूला हुआ था! और नसें ऐसी की जैसे पहलवान के हाथ पर होती हैं! घबरा कर मैं थरथर काँप'ने लगा.
मेरी घबराहट देख कर सब हंस'ने लगे. प्रीतम तुरंत मेरी ओर बढ़ा. उस'की आँखों में भी मेरे प्रति प्यार और वासना उमड आई थी.
अरे घबरा गयी माधुरी भाभी? मैने पहले ही कहा था कि प्रदीप का लंड झेलना आसान काम नहीं है. आ तेरे कपड़े उतार दू! भैया, कहो तो मैं चोद लूँ भाभी को?
तू नहीं रे छोटे, तूने बहुत मज़ा लिया है. अब प्रदीप पहले इसे चोदेगा. फिर हम चखेंगे बहू का स्वाद. प्रदीप बेटे, इस'के सब कपड़े निकाल दे, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी रह'ने दे. पैंटी में पीछे से च्छेद है, तू आराम से उस'में से इसे चोद सकेगा. देख अधनन्गी बहू क्या ज़ुल्म ढा'ती है. और हां चप्पलें भी पैरों में रह'ने दे, इस'के नाज़ुक पैरों में बहुत जच'ती हैं. माजी बोलीं.
प्रदीप ने फटाफट मेरी साड़ी और चोली उतार दी. काली रबड की ब्रा और पैंटी में सज़ा मेरा गोरा दुबला पतला शरीर देख'कर सब आअह, उफ़, मार डाला कह'ने लगे. प्रदीप मेरे सारे शरीर को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ा और मेरे पैरों और चप्पालों को चूम'ने लगा. फिर उस'ने मेरी एक चप्पल का सिरा मुँह में लिया और चूस'ने लगा.
प्रीतम और माजी भी मेरे दूसरे पाँव पर लगे थे. मेरे तलवे चाट रहे थे. माजी सिसक कर बोलीं.
अब नहीं रहा जाता, बहुत प्यारी हैं रे इस छ्हॉकरी की चप्पलें प्रीतम बेटे, तू सच कह'ता था. अब चलो बहू का प्रसाद पा लो, फिर उसे चोदेन्गे. मेरे पैरों से चप्पलें निकाल'कर वे उनपर टूट पड़े. प्रदीप ने सीधे एक छ्चीन ली.
मा, एक पूरी मेरी है, आप दोनों दूसरी बाँट लो, माधुरी रानी, आ, अप'ने हाथ से खिला मुझे. सुहागरात को अपनी प्यारी बीवी की चप्पल खा'ने मिली है, मज़ा आ गया. मा बोलीं.
ये ठीक नहीं है प्रदीप, सास के नाते मेरा हक ज़्यादा है, मैं सोच रही थी एक पूरी लेने की, पर जा'ने दे, आख़िर तेरी पत्नी है. बहू पहले तू इधर आ, इस चप्पल के पत्ते अलग कर और प्रीतम को दे, नीचे का सपाट चमचम मुझे दे दे, अप'ने नाज़ुक हाथों से मेरे मुँह में डाल दे.
मैं वासना से थारतरा रहा था. इतनी बार मैने प्रीतम की चप्पलें खाई थी पर अब पता चल रहा था कि किसी को अप'ने पैरों की चप्पल खिला'ने में क्या मज़ा आता है, वो भी अपनी सास को, पति को और देवर को एक साथ. प्रीतम बोला
जल्दी करो भाभी, आप'ने पैरों का प्रसाद ह'में दो, तुम घर की लक्ष्मी हो, तुम्हारा प्रसाद पा कर ही हम फिर तेरी भूख बुझायेँगे, तन की और पेट की.
माजी पलंग पर लेट गयीं. मैं उन'के सिराहा'ने बैठ गया. चप्पल हाथ में ले कर मैने खींच'कर उस'के पत्ते निकाले. प्रीतम पास ही बैठ था. उस'ने अपना मुँह खोल दिया.
पट्टे मुझे दे दे भाभी, फिर प्यार से मा को खिलाना.
मैने अप'ने हाथों से प्रीतम के मुँह में अपनी चप्पल के पत्ते दे दिए. वह आँखें बंद कर'के उन्हें चबा'ने लगा. एक असीम सन्तोष उस'के चेहरे पर झलक रहा था. पल भर को आँखें खोल कर उस'ने इशारों से मुझे कहा कि क्या मस्त माल है और फिर आँखें बंद कर'के चबा'ने लगा. माजी बोलीं.
देख बहू, हम सब को अपना प्रसाद देकर फिर जब तक हम इसे खाएँ, हमारी सेवा करो, अब देर ना करो, तेरी ये सास कब से तडप रही है तेरे नाज़ुक पाँव का स्वाद लेने को. और मुँह खोल कर मेरी जाँघ पर सिर रख'कर लेट गयीं. प्रदीप भी मेरी दूसरी जाँघ को सिराहा'ने लेकर लेट गया.
माधुरी रानी, जल्द मा को दे, फिर इस तरफ देख, तेरा ये गुलाम भी तो तरस रहा है, कब से भूखा है तेरी चप्पल के लिए.
मुझे कैसा कैसा हो रहा था. लंड ऐसा सनसना रहा था जैसे फट जाएगा. मैने झुक कर माजी के खुले रसीले मुँह में मुँह डाल दिया और उन'की जीभ चूस'ने लगा. फिर बड़ी मुश्किल से उस शहद को छोड'कर मुँह ऊपर किया और तारथराते हाथों से पत्ते निकाली चप्पल का सपाट सोल उन'के मुँह में दे दिया.
उन्हों'ने उसे झट से आधे से ज़्यादा निगल लिया. ये कोई मुश्किल काम नहीं था, मेरी चप्पल इतनी पुरानी और घिसी पीटी थी कि बस चॅपा'टी सी हो गयी थी. उन्हों'ने मेरा हाथ पकड़'कर चप्पल पर रखा और दबा'ने लगीं, मुझे इशारे से वह कह रही थी कि अंदर डालूं. मैने चूड़ियाँ खनकाते हुए चप्पल को दबा'कर माजी के मुँह में ठूंस दिया. वे थोड़ी कराही और फिर मुँह बंद कर'के चबा'ने लगीं. उनका एक हाथ अब अपनी ही बुर में चल रहा था.
अब मैने प्रदीप की ओर ध्यान दिया, मेरा सैंया अब तक पागल होने को आ गया था अपना लंड मुठिया रहा था. मैने उसका हाथ पकड़'कर आँखों आँखों में झूठे गुस्से से मना किया, कि अजी इसपर तो मेरा हक है, हाथ ना लगाना. फिर दूसरी पूरी चप्पल मैने मोड़ कर गोल रोल जैसी की, जैसा प्रीतम मेरे मुँह में अपनी चप्पल देते हुए किया कर'ता था. उस रोल को मैने प्रदीप के होंठों पर रगडा. जब वह अधीर होकर चाट'ने लगा तो मैने उसे उस'के मुँह में दे दिया. फिर अप'ने हाथों से उसे दबा दबा कर अंदर तक ठूंस दिया.
मेरे सैंया ने आराम से मेरी नाज़ुक पूरी चप्पल ले ली. फिर उसे चबा'ने लगा. उस'की आँखें वासना के अतिरेक से पथरा गयी थी. कमरे में अब चूस'ने और 'मच' 'मच' 'मच' कर'के चबा'ने की आवाज़ आ रही थी. मैं सातवें आसमान पर था, मेरे शरीर के ये सब मतवाले मेरी चप्पालों को खा'कर अप'ने आप को धनी मान रहे थे.
मैने अब सब को चूमना शुरू कर दिया. ऱबड की ब्रा में कसी मेरी चूचियाँ उन'के गालों पर रगड़ीं, माजी की बुर को चूसा और प्रदीप और प्रीतम के लंडों को बड़े लाड से हथेली में लेकर मुठियाया. प्रदीप का लंड तो मेरी दो मूठियो में भी नहीं समाता था. लंडों से खेलते समय मैने बहुत सावधानी बर'ती नहीं तो जिस हाल में वे थे, तुरंत झड जाते. बीच में माजी की विशाल चूचियाँ चूसी और उन्हें दबाया.
अंत में मैने आप'ने तलवे बारी बारी से उन सब'के चेहरों पर रगड़ना शुरू किया. मेरी पायलें 'छुम' 'छुम' कर'के बज रही थी. थोड़े नखरे करते हुए मैने अप'ने दोनों तलवे माजी के चेहरे पर जमाए और उन'के पूरे चेहरे को धक कर रगड़'ने लगा. वे सिर इधर उधर कर'ने लगीं. जब मैने यही प्रदीप के साथ किया तो उस'ने मेरे पैर पकड़'कर अप'ने गालों पर रगड़ना शुरू कर दिया. अंत में मैने अप'ने पैरों के बीच लंड पकड़ लिए और उन्हें रोल कर'ने लगा. माजी की बुर में मैने अप'ने पैर का अंगूठा डाल दिया और चोद'ने लगा.
वे सब अब ऐसे मेरी चप्पलें खा रहे थे जैसे जनम जनम के भूखे हों. सबसे पहले प्रीतम ने अपना नाश्ता ख़तम किया, क्योंकि वह सिर्फ़ पत्ते चबा रहा था, और फिर मुझे पकड़'कर मेरा मुँह चूस'ने लगा. उस'की आँखें गुलाबी हो गयी थी. पाँच मिनिट में ही माजी और प्रदीप ने भी मेरी चप्पलें निगली और मुझपर टूट पड़े. माजी बोलीं.
मैं धन्य हो गयी, मेरी कब की आस पूरी हो गयी, इतना मादक स्वाद आज तक मेरे मुँह ने नहीं चखा. ये मेरी बहू नहीं है, अप्सरा है अप्सरा. प्रदीप उठ, अब इस अप्सरा को दिखा दे कि इस जैसी सुंदर नाज़ुक नार को हमारे परिवार में कैसे भोगा जाता है, चल उठ, तेरा पेट भी भर गया होगा, अब चढ जा इस चाँद के टुकडे पर
क्रमशः................
YAAR BANA PRITAM - BHAAG (13)
gataank se aage.......
Wo bra bilakul chhoTee aur tang thee aur mere badan par chaDhaa'ne ke liye use khoob taanaana paDaa. Bra ne meree choochiyaan aur chha'tee kas'kar jakaD liye. Mere mamme tan ke foole the is'liye rabaD se jakaD'ne ke baad thoDe dukh rahe the par rabaD ke mulaayam sparsh se un'men ajeeb see sukhad sanasanee ho rahee thee. Us'ke baad kaale rabaD kee paintee pahana'kar mera khaDa lunD us'men daba diya gayaa. Paintee peechhe se guda par khulee thee. Maa ne samajhaayaa.
Too adhanangee itanee pyaaree lag'tee hai ki teree gaanD maar'ne ke liye yah paintee naheen utaarana paDe is'liye aisee hai. Ab tere lunD ka kaam hoga tabhee yah utaregee. Pritam mujhase chipakana chaah'ta tha par maa ne use Daant diyaa.
Chal door ho, teree bhaabhee hai, aaj pahale Pradeep chodega man bhar kar, too mere saath aa ja doosare palang par. Meree gaanD maarana aur Pradeep ke karatab dekhanaa. Fir bahoo par karam karenge.
Mujhe aaj unhon'ne poora sajaaya thaa. Haathon men chooDiyaan, kaan men bunde, paanv men paayal aur banaarasee saaDee cholee pahanaayee. Mere baal kandhe tak lambe ho hee gaye the. Us'men maajee ne fool goondh kar choTee baandh dee.
Are Pradeep ab jara chappal le aa bahoo kee, khud hee pasand kar le Maa ne aawaaj lagaayee. Pradeep ek gulaabee chappal le aayaa. Meree wahee pyaaree ghisee huee chappal thee, Pradeep ne achook chuna lee thee. Us'ne pyaar se mere pair men pahanaayee. Fir jhuk kar use choom liyaa. Mera ron ron romaach se sihar uThaa, kya Pradeep ko bhee meree chappalon se wahee karana tha jo mujhe un'kee chappalon se ye karawa'ne waale the!
Are abhee naheen, chudaayee to shuroo hone de, fir lena bahoo ka prasaad Maa ne use jhaTakaaraa.
Chalo ab kha lo kuchh. Fir bed room men chalate hain. Maa boleen. Pradeep aur Pritam ke saath we rasoee men aayeen. Mujhe paros'ne ko kaha gayaa.
Chal aaj se hee kaam par lag jaa. H'men paros. Khaana to too kha chukee hai. Aage Pradeep bhee pyaar se khilaayegaa. Kal se dheere dheere ghar ka kaam bhee sikha doongee. Ghar ka poora kaam karana aur ham sab kee sewa karana yahee tera kaam hai ab. Maa ne kahaa.
Khaana khaate khaate sab mujhe nonch rahe the. Jab bhee main kisee ko paros'ne jaataa, koee meree choochee daba deta ya chootaD ya jaangh par choontee kaaT letaa. Dheere naheen, jor se ki main tilamila jaaun. Ek baar roTee la'ne men mujhe der huee to Pradeep ne majaak men jor se meree choochee masal dee.
Jaldee jaaneman, nakhara naheen chalegaa. Thass bharee hone se pahale hee meree choochiyaan dukh rahee thee. Ab main kasamasa gaya aur rone ko aa gayaa.
Rotee kyon hai bahoo, tera pati hai, tere jawaan shareer ko masalega hee. Aur piTaayee bhee karegaa! Hamaare yahaan bahuon kee kas kar piTaayee hotee hai. is'liye jo bhee tujhase kaha jaaye, turant kiya kar. Ham sab bhee tere shareer ko man chaahe waise bhogenge. Hamaara hak hai. Aur jab Pradeep ka lauDa legee to kya karegee? Mar hee jaayegee! baDee naajuk bahoo hai re Pradeep. Maa boleen.
Aisee hee chaahiye thee maa, sahee hai. Jara royegee dhoegee to chod'ne men maja aayegaa. Main to maa rula rula kar chodoonga isako! Pradeep apana lunD sahalaata hua bolaa. Khaana kha'ne ke baad maa boleen.
Chalo ab bahoo se ek rasm bhee kara lena. Le bahoo, doosare tailet men taala laga de. Aur mujhe ek baDa taala unhon'ne diyaa. Maine sandaas men taala laga'kar chaabee unhen de dee.
Ab sab'ke pair paD aur unhen bol ki ab se tera munh hee in sab ka tailet hai, useemen sab kiya karen. Maa ke kah'ne par maine baaree baaree se sab'ke pair chhue aur bolaa.
Mere praaNanaath, mere dewarajee, saasoojee, aaj se aap'ke shareer se nikalee har cheej par mera hak hai. Mere munh ko aap TaayaleT jaisa istemaal keejiye.
Sab'ke pairon men rabaD kee chappalen thee. Unhen dekh'kar mujhe ajeeb see meeThee sanasanee huee. Maa wahee patalee haree chappal pahanee huee thee jo mere munh men Thoons kar mujhe gaanv laaya gaya thaa. Pritam ke pair men maine hee khareedee huee neelee chappal thee. Aur mere pati ke pairon men safed cream rang kee chauDe paTTon waalee chappalen thee, moTee aur haai heel sTaail kee. Mujhe romaach ho aayaa. Soch'ne laga ki sabase pahale kaun inhen mere munh men degaa? Shaayad Pradeep! Maine pair chhoote samay jhuk'kar un sab chappalon ko chhua aur fir choom liyaa. Maajee meree is harakat par khush hokar boleen.
BaDee pyaaree hai meree bahoo. Ghabara mat beTee, ye sab chappalen tere liye hain. Ham to tujhe khoob khilaayenge, bas too kha'tee ja faTaafaT. Pradeep, chalo ab der na karo. Bahoo ko uTha kar le chalo. Wo bechaaree kab se taDap rahee hai tujhase chud'ne ko! Main sihar uThaa. Meree suhaagaraat shuroo hone waale thee!
Suhaagaraat, bahoo ka prasaad aur pati ka aashirwaad
Pradeep mujhe uTha kar choom'ta hua palang par le gayaa. Maa aur Pritam bhee peechhe the. Mujhe palang par paTak kar Pradeep mujhapar chaDha gaya aur jor jor se mujhe choom'ne lagaa. Us'ke haath meree choochiyaan aur nitamb daba rahe the. Mujhe bahut achchha lagaa. Aakhir wah mera pati tha aur ab mere shareer ko bhog'ne waala thaa. Aankhen band kar'ke main us'kee waasana bharee harakaton ka aanand lene lagaa.
Bahoo ko nanga karo Pradeep. Bahut laaD ho gayaa. Apana kaam shuroo karo. Aur ap'ne ap'ne kapaDe bhee utaaro maajee ne hukm diyaa.
Sab faTaafaT nange ho gaye. Pritam ko to maine bahut baar dekha thaa. maajee ka nagn shareer bhee aaj nahaate samay dekh kiya thaa. Par Pradeep ko main pahalee baar dekh raha thaa. Us'ke haTTe kaTTe pahalawaan jaise shareer ko dekh'kar main waasana se sihar uThaa. Kya taraasha hua chikana maas peshiyon se bhara hua badan thaa! ChootaD baDe baDe aur gaThe hue the. Main soch'ne laga ki ap'ne pati kee gaanD maar'ne mile to main to khushee se paagal ho jaaoongaa.
Par Pradeep ka lunD dekh'kar main ghabara gayaa. Man men kaaman ke saath ek bhayaanak Dar kee bhaavana man men bhar gayee. Pradeep ka lunD aadamee ka naheen, ghoDe ka lunD lag'ta tha ek fuT naheen to kam se kam das gyaaraah inch lamba aur Dhaayee-teen inch moTa hogaa!. SupaaDa to paav bhar ke aaloo jaisa foola hua thaa! aur nasen aisee ki jaise pahalawaan ke haath par hotee hain! ghabara kar main tharathar kaamp'ne lagaa.
Meree ghabaraahaT dekh kar sab hans'ne lage. Pritam turant meree or baDhaaa. Us'kee aankhon men bhee mere prati pyaar aur waasana umaD aayee thee.
Are ghabara gayee Maadhuri bhaabhee? Maine pahale hee kaha tha ki Pradeep ka lunD jhelana aasaan kaam naheen hai. Aa tere kapaDe utaar doom! Bhaiyaa, kaho to main chod loon bhaabhee ko?
Too naheen re chhoTe, toone bahut maja lee hai. Ab Pradeep pahale ise chodegaa. Fir ham chakhenge bahoo ka swaad. Pradeep beTe, is'ke sab kapaDe nikaal de, sirf bra aur paintee rah'ne de. Paintee men peechhe se chhed hai, too aaraam se us'men se ise chod sakegaa. Dekh adhanangee bahoo kya julm Dha'tee hai. Aur haan chappalen bhee pairon men rah'ne de, is'ke naajuk pairon men bahut jach'tee hain. Maajee boleen.
Pradeep ne faTaafaT meree saaDee aur cholee utaar dee. Kaalee rabaD kee bra aur paintee men saja mera gora dubala patala shareer dekh'kar sab Aah, uf, maar Daalaa Kah'ne lage. Pradeep mere saare shareer ko choonate hue neeche kee or baDhaa aur mere pairon aur chappalon ko choom'ne lagaa. Fir us'ne meree ek chappal ka sira munh men liya aur choos'ne lagaa.
Pritam aur maajee bhee mere doosare paanv par lage the. Mere talawe chaaT rahe the. maajee sisak kar boleen.
Ab naheen raha jaataa, bahut pyaaree hain re is chhokaree kee chappalen Pritam beTe, too sach kah'ta thaa. Ab chalo bahoo ka prasaad pa lo, fir use chodenge. Mere pairon se chappalen nikaal'kar we unapar TooT paDe. Pradeep ne seedhe ek chheen lee.
maa, ek pooree meree hai, aap donon doosaree baant lo, Maadhuri raanee, aa, ap'ne haath se khila mujhe. Suhaagaraat ko apanee pyaaree beewee kee chappal kha'ne milee hai, maja aa gayaa. Maa boleen.
Ye Theek naheen hai Pradeep, saas ke naate mera hak jyaada hai, main soch rahee thee ek pooree lene kee, par ja'ne de, aakhir teree patnee hai. Bahoo pahale too idhar aa, is chappal ke paTTe alag kar aur Pritam ko de, neeche ka sapaaT chamacham mujhe de de, ap'ne naajuk haathon se mere munh men Daal de.
Main waasana se tharathara raha thaa. itanee baar maine Pritam kee chappalen khaayee thee par ab pata chal raha tha ki kisee ko ap'ne pairon kee chappal khila'ne men kya maja aata hai, wo bhee apanee saas ko, pati ko aur dewar ko ek saath. Pritam bola
Jaldee karo bhaabhee, ap'ne pairon ka prasaad h'men do, tum ghar kee laxmee ho, tumhaara prasaad pa kar hee ham fir teree bhookh bujhaayenge, tan kee aur peT kee.
Maajee palang par leT gayeen. Main un'ke siraha'ne baiTh gayaa. Chappal haath men le kar maine kheench'kar us'ke paTTe nikaale. Pritam paas hee baiTha thaa. Us'ne apana munh khol diyaa.
PaTTe mujhe de de bhaabhee, fir pyaar se maa ko khilaanaaa.
Maine ap'ne haathon se Pritam ke munh men apanee chappal ke paTTe de diye. Wah aankhen band kar'ke unhen chaba'ne lagaa. Ek aseen santoSh us'ke chehare par jhalak raha thaa. Pal bhar ko aankhen khol kar us'ne ishaaron se mujhe kaha ki kya mast maal hai aur fir aankhen band kar'ke chaba'ne lagaa. maajee boleen.
Dekh bahoo, ham sab ko apana prasaad dekar fir jab tak ham ise khaayen, hamaaree sewa karo, ab der na karo, teree ye saas kab se taDap rahee hai tere naajuk paanv ka swaad lene ko. Aur munh khol kar meree jaangh par sir rakh'kar leT gayeen. Pradeep bhee meree doosaree jaangh ko siraha'ne lekar leT gaya.
Maadhuri raanee, jald maa ko de, fir is taraf dekh, tera ye gulaam bhee to taras raha hai, kab se bhookha hai teree chappal ke liye.
Mujhe kaisa kaisa ho raha thaa. LunD aisa sanasana raha tha jaise faT jaayegaa. Maine jhuk kar maajee ke khule raseele munh men munh Daal diya aur un'kee jeebh choos'ne lagaa. Fir baDee mushkil se us shahad ko chhoD'kar munh oopar kiya aur tharatharaate haathon se paTTe nikalee chappal ka sapaaT sol un'ke munh men de diyaa.
Unhon'ne use jhaT se aadhe se jyaada nigal liyaa. Ye koee mushkil kaam naheen thaa, meree chappal itanee puraanee aur ghisee piTee thee ki bas chapa'tee see ho gayee thee. Unhon'ne mera haath pakaD'kar chappal par rakha aur daba'ne lageen, mujhe ishaare se wah kah rahee thee ki andar Daaloom. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Maine chooDiyaan khanakaate hue chappal ko daba'kar maajee ke munh men Thoons diyaa. We thoDee karaahee aur fir munh band kar'ke chaba'ne lageen. Unaka ek haath ab apanee hee bur men chal raha thaa.
Ab maine Pradeep kee or dhyaan diyaa, mera sainya ab tak paagal hone ko aa gaya tha apana lunD muThiya raha thaa. Maine usaka haath pakaD'kar aankhon aankhon men jhooThe gusse se man kiyaa, ki ajee isapar to mera hak hai, haath na lagaanaa. Fir doosaree pooree chappal maine moD kar gol rol jaisee kee, jaisa Pritam mere munh men apanee chappal dete hue kiya kar'ta thaa. Us rol ko maine Pradeep ke honthon par ragaDaa. Jab wah adheer hokar chaaT'ne laga to maine use us'ke munh men de diyaa. Fir ap'ne haathon se use daba daba kar andar tak Thoons diyaa.
Mere sainya ne aaraam se meree naajuk pooree chappal le lee. Fir use chaba'ne lagaa. Us'kee aankhen waasana ke atirek se pathara gayee thee. Kamare men ab choos'ne aur 'mach' 'mach' 'mach' kar'ke chaba'ne kee aawaaj aa rahee thee. Main saatawen aasamaan par thaa, mere shareer ke ye sab matawaale meree chappalon ko kha'kar ap'ne aap ko dhany maan rahe the.
Maine ab sab ko choomana shuroo kar diyaa. RabaD kee bra men kasee meree choochiyaan un'ke gaalon par ragaDeen, maajee kee bur ko choosa aur Pradeep aur Pritam ke landon ko baDe laaD se hathelee men lekar muThiyaayaa. Pradeep ka lunD to meree do mooThiyon men bhee naheen samaata thaa. Landon se khelate samay maine bahut saawadhaanee bar'tee naheen to jis haal men we the, turant jhaD jaate. Beech men maajee kee vishaal choochiyaan chooseen aur unhen dabaayaa.
Ant men maine ap'ne talawe baaree baaree se un sab'ke cheharon per ragaDana shuroo kiyaa. Meree paayalen 'chhuma' 'chhuma' kar'ke baj rahee thee. ThoDe nakhare karate hue maine ap'ne donon talawe maajee ke chehare par jamaaye aur un'ke poore chehare ko Dhak kar ragaD'ne lagaa. We sir idhar udhar kar'ne lageen. Jab maine yahee Pradeep ke saath kiya to us'ne mere pair pakaD'kar ap'ne gaalon par ragaDana shuroo kar diyaa. Ant men maine ap'ne pairon ke beech lunD pakaD liye aur unhen rol kar'ne lagaa. Maajee kee bur men maine ap'ne pair ka angooTha Daal diya aur chod'ne lagaa.
We sab ab aise meree chappalen kha rahe the jaise janam janam ke bhookhe hon. Sabase pahale Pritam ne apana naashta khatam kiyaa, kyonki wah sirf paTTe chaba raha thaa, aur fir mujhe pakaD'kar mera munh choos'ne lagaa. Us'kee aankhen gulaabee ho gayee thee. Paanch minute men hee maajee aur Pradeep ne bhee meree chappalen nigaleen aur mujhapar TooT paDe. Maajee boleen.
Main dhany ho gayee, meree kab kee aas pooree ho gayee, itana maadak swaad aaj tak mere munh ne naheen chakhaa. Ye meree bahoo naheen hai, apsara hai apsaraa. Pradeep uTh, ab is apsara ko dikha de ki is jaisee sundar naajuk naar ko hamaare pariwaar men kaise bhoga jaata hai, chal uTh, tera peT bhee bhar gaya hogaa, ab chaDha ja is chaand ke TukaDe par
kramashah................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
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