गतान्क से आगे......
मेने आने वाले दिनो में कई बार रश्मि, राज और रवि को एक साथ चुदाई करते
देखा. मुझे भी किसी से चुदवाये कई साल हो गये थे और मेरा भी शरीर गरमा
उठता था.
ऐसा लगता था कि तीनो को सेक्स के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता था. मैं
नही जानती थी कि ये सब कुछ कितने दिनो तक चलेगा. अगले महीने राज और रश्मि
की शादी होने वाली थी.
एक दिन जब वो तीनो चुदाई मे मशगूल थे मैं हर बार की तरह उन्हे छुप कर देख
रही थी. मैं अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी कि अचानक मेने देखा कि रवि
मुझे ही देख रहा था. शायद उसने मुझे छुपकर देखते पकड़ लिया था. क्या वो
सब को ये बता देगा ये सोचते हुए में वापस अपने कमरे मे आ गयी.
कुछ दिन गुज़र गये पर रवि ने किसी से कुछ नही कहा. मैं समझी शायद उसने
मुझे ना देखा हो पर उस दिन के बाद मेने छुपकर देखना बंद कर दिया.
शनिवार के दिन राज और रश्मि अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्निक मनाने चले
गये. मेने सोचा कि चलो आज घर में कोई नही में भी थोड़ा आराम कर लूँगी.
मेने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी. एक रोमॅंटिक नॉवेल ले मैं
सोफे पर लेट पढ़ने लगी. बेखायाली मे मुझे याद नही रहा कि मेने दरवाज़ा
कैसे खुला छोड़ दिया. मुझे पता तब चला जब मेने रवि की आवाज़ सुनी, "किताब
पढ़ी जा रही है."
मेने तुरंत अपना हाथ अपने नाइट गाउन की तरफ बढ़ाया पर रवि ने मेरे गाउन
को मेरी पहुँच से दूर कर दिया था. मेने झट से एक हाथ से अपनी चुचियों को
ढका और दूसरे हाथ से अपनी चूत को ढका.
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो राज के साथ पिक्निक पर जाने वाले थे?"
मेने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा.
"पता नही क्यों मेरा मन नही किया उनके साथ जाने को. उस दिन के बाद मेने
सोचा आप अकेली होंगी चल कर आपका साथ दे दूं. आपको ऐतराज़ तो नही?" रवि ने
जवाब दिया.
"ज़रूर ऐतराज़ है. आज में अकेले रहना चाहती हूँ. अब तुम यहाँ से चले
जाओ." मेने अपनी आवाज़ पर ज़ोर देते हुए कहा.
रवि ज़ोर से हँसने लगा और अपने कपड़े उतार दिए, "मैं थोड़ी देर आपके साथ
बिताकर चला जाउन्गा."
मैं उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हो उठी. जब उसने कपड़े उतार शुरू किए तो
में चौंक पड़ी. मेने गौर से उसके लंड की तरफ देखा, मुरझाए पन की हालत में
भी वो कम से कम 6' इंच लंबा दिख रहा था. मेने अपनी नज़रें हटाई और पेट के
बल लेट गयी जिससे उसकी नज़रों से अपने नंगे बदन को छुपा सकु.
"इसमे इतनी हैरानी की क्या बात है. तुम मुझे इससे पहले भी नंगा देख चुकी
हो." उसने कहा.
उसे पता था कि में उन लोगो को छुप कर देख चुकी हूँ और में इनकार भी नही
कर सकती थी. उसने एक बार फिर मुझे चौंका दिया जब वो मेरे नग्न चुत्तदो को
सहलाने लगा.
साइड टेबल पर पड़ी तेल की शीशी को देख कर वो बोला, "प्रीति तुम्हारे
चूतड़ वाकई बहोत शानदार है और तुम्हारा फिगर. लाओ में थोडा तेल लगा कर
तुम्हारी मालिश कर देता हूँ."
मेने महसूस किया तो वो मेरे कंधों पर और पीठ पर तेल डाल रहा है. फिर वो
थोड़ा झुकते हुए मेरे बदन पर तेल मलने लगा. उसके हाथों का जादू मेरे शरीर
मे आग सी भर रहा था. उसका लंड अब खड़ा होकर मेरे चुतदो की दरार पर रगड़
खा रहा था. मेने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर वो मुझे कस कर पकड़े तेल
मलने लगा.
मेरे कंधों और पीठ पर से होते हुए उसके हाथ मेरी पतली कमर पर मालिश कर
रहे थे. फिर और नीचे होते हुए अब वो मेरी नग्न जांघों को मसल रहे थे. अब
वो मेरी गांद पर अपने हाथ से धीरे धीरे तेल लगाने लगा. बीच मे वो उन्हे
भींच भी देता था. एक अजीब सी सनसनी मेरे शरीर में दौड़ रही थी.
रवि काफ़ी देर तक यूँही मेरी मालिश करता रहा. गांद की मालिश करते हुए कभी
वो मेरी जांघों के बीच मे भी हाथ डाल देता था.
फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ा और पीठ के बल लिटा दिया. इससे पहले कि में
कोई विरोध करती उसने मेरे होठों को अपने होठों मे ले चूसना शुरू कर दिया.
अब मुझसे अपने आपको रोक पाना मुश्किल लग रहा था आख़िर इतने दिनो से में
भी तो यही चाहती थी. मेने अपने आपको रवि के हवाले करते हुए अपना मुँह
थोड़ा खोला और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल घूमाने लगा.
रवि मेरे निचले होठों को चूस्ते हुए मेरी थोड़ी फिर मेरी गर्दन को चूम
रहा था. जब उसने मेरे कान की लाउ को चूमा तो एक अजीब सा नशा छा गया.
अपनी जीब को होले होले मेरे नंगे बदन पर फिराते हुए नीचे की और खिसकने
लगा. जब वो मेरी चुचियों के पास पहुँचा तो वो मेरी चुचियों को हल्के से
मसल्ने लगा. मेरे तने हुए निपल पर अपनी जीब फिराने लगा. अजीब सी गुदगुदी
मच रही थी मेरे शरीर मे. कितने सालों से में इस तरह के प्यार से वंचित
थी.
रवि मेरी आँखों में झँकते हुए कहा, "तुम्हारी चुचियों बड़ी शानदार है."
में उसके छूने मात्र से झड़ने के कगार पर थी. रवि ने मुझे ऐसे हालत पे
लाकर खड़ा कर दिया था कि मेरी चूत मात्र छूने से पानी छोड़ देती.
वो मेरी चुचियों को चूसे जा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहला
रहा था. झड़ने की इच्छा मेरे में तीव्र होती जा रही थी. मेरी चूत में आग
लगी हुई थी और उसका एक स्पर्श उसकी उठती आग को ठंडा कर सकती थी.
मेने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, "रवि प्लीज़ प्लीज़….."
"प्लीज़ क्या प्रीति बोलो ना? तुम क्या चाहती हो मुझसे? क्या तुम झड़ना
चाहती हो?' जैसे उसने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.
"हां रवि मेरा पानी छुड़ा दो, में झड़ना चाहती हूँ." मेने जैसे मिन्नत
माँगते हुए कहा.
वह मेरी दोनो चुचियों को साथ साथ पकड़ कर मेरे दोनो निपल को अपने मुँह
में लेकर ज़ोर से चूसने लगा. अपना मुँह हटा कर वो फिर से वही हरकत बार
बार दोहराने लगा जब तक में अपने कूल्हे ना उचकाने लगी.
जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत पर पहुँचा उसने अपनी उंगली मेरी गीली हुई चूत
में घुसा दी. फिर वह अपनी दो और उंगली मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर
करने लगा.
रवि फिर मेरी टाँगो के बीच आ गया और मेरी चूत को अपने मुँह मे ले लिया.
उत्तेजना के मारे मेरी चूत फूल गयी थी. वो मेरी चूत को चूस और चाट रहा
था. रवि अपनी लंबी ज़ुबान से मेरे गंद के छेद से चाटते हुए मेरी चूत तक
आता और फिर अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा देता.
उसकी इस हरकत ने मेरी टाँगो का तनाव बढ़ा दिया और एक पिचकारी की तरह मेरी
चूत ने उसकी मुँह मे पानी छोड़ दिया. मेरा शरीर मारे उत्तेजना के कांप
रहा था और मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.
रवि ने अच्छी तरह मेरी चूत को चाट कर साफ किया और फिर खड़े होते हुए मेरी
ही पानी का स्वाद देते हुए मेरे होठों को चूम लिया.
"देखा तुम्हारी चूत के पानी का स्वाद कितना अच्छा है. और तुम्हारी चूत
पानी भी पिचकारी की तरह चोदती है." उसने कहा.
"हां राज मेरी चूत उत्तेजना में फूल जाती है और पानी भी इसी तरह छोड़ती
है. मेरे पति का अच्छा नही लगता था इसीलिए वो मेरी चूत को चूसना कम पसंद
करता था." मेने कहा.
"में समझ सकता हूँ. अब में तुम्हे आराम से प्यार करना चाहता हूँ और तुम
भी मज़े लो." कहकर रवि मेरी चेहरे पर हाथ फिराने लगा.
रवि उठ कर खड़ा हो गया और उसका लंड और तन कर खड़ा हो गया. में अपनी
जिंदगी में सबसे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. रवि का लंड मेरे पति के
लंड से दुगना था लंबाई मे. वो कमसे कम 9'इंच लंबाई मे और 5' इंच मोटाई मे
था. मेरा जी उसके लंड को मुँह मे लेने को मचल रहा था और में डर भी रही थी
क्योंकि मेने आज तक इतने लंबे लंड को नही चूसा था.
उसने मुझे धीरे से सोफे पर लिटा दिया. में आराम से लेट गयी और अपनी टाँगे
फैला दी. उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अंदर घुसा
दिया.
मेने कस कर रवि को अपनी बाहों में जाकड़ लिया था. उसके लंड की लंबाई से
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो मेरी चूत को सही मे फाड़ ना दे.
रवि धीरे से अपने लंड को बाहर खींचता और फिर अंदर घुसा देता. मेने अपनी
टाँगे उठा कर अपनी छाती से लगा ली जिससे उसको लंड घुसाने में आसानी हो.
जब उसका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया था तो वो रुक गया जिससे मेरी चूत
उसके लंड को अड्जस्ट कर सके. मुझे पहली बार लग रहा था कि मेरी चूत भर सी
गयी है.
रवि ने मेरी आँखों मे झाँका और पूछा, "प्रीति तुम ठीक तो हो ना?"
मेरे मुँह से आवाज़ नही निकली, मेने सिर्फ़ गर्दन हिला कर उसे हां कहा और
अपने बदन को थोड़ा हिला कर अड्जस्ट कर लिया. मुझसे अब रहा नही जा रहा था.
"पल्ल्ल्ल्ल्लेआआअसए अब मुज्ज़ज्ज्ज्ज्झे चूऊओदो." मेने धीरे से उससे कहा.
रवि ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिए. पहले तो वो मुझे
धीरे धीरे चोद्ता रहा, जब मेरी चूत गीली हो गयी और उसका लंड आसानी से
मेरी चूत मे आ जा रहा था अचानक उसने मेरी टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख
ली और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
उसका हर धक्का पहले धक्के ज़्यादा ताकतवर था. उसकी साँसे तेज हो गयी थी
और वो एक हुंकार के साथ अपना लंड मेरी चूत की जड़ों तक डाल देता. अब में
भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. में भी अपनी मंज़िल के नज़दीक
पहुँच रही थी.
"चूऊऊदो राआआआवी आईसस्स्स्स्स्ससे ही हााआअँ ओह मेयरययाया छुउतने
वायायेएयेयायायाल हाईईइ." में उखड़ी सांसो के साथ बड़बड़ा रही थी.
"हाआआं प्रीईएटी चूऊऊद डूऊऊ अपनााआ पॅनियीयैयियी मेरे लिईई." कहकर वो
ज़ोर ज़ोर से चोदने लग गया.
रवि मुझे जितनी ताक़त से चोद सकता था चोद रहा था और मेरी चूत पानी पर
पानी छोड़ रही थी. मेरा शरीर उत्तेजना मे कांप रहा था, मेने अपने नाख़ून
उसके कंधों पे गढ़ा दिए. मेरी साँसे संभली भी नही थी की रवि का शरीर
अकड़ने लगा.
"ओह प्रीईईटी मेरााआआआ भी चूऊऊथा ओह ये लो." रवि ने एक आखरी धक्का लगाया
और अपना वीर्य मेरी चूत मे चोद दिया.
पिचकारी पिचकारी मेरी चूत मे गिर रही थी. जैसे ही हम संभले मेने अपनी
टाँगे सीधी कर ली. रवि तक कर मेरे शरीर पर लुढ़क गया, हम दोनो का शरीर
पसीने से तर बतर था.
"चलो नहा लेते है." रवि ने मुझे चूमते हुए कहा.
अब मुझे अपने किए हुए पर शरम नही आ रही थी. में नंगी ही उठी और रवि का
हाथ पकड़ बाथरूम की ओर बढ़ गयी. हम दोनो गरम पानी के शवर की नीचे खड़े हो
अपने बदन को सेकने लगे. हम दोनो एक दूसरे की बदन को सहला रहे थे और एक
दूसरे की बदन पर साबुन मल रहे थे. मेने रवि के लंड और उसकी गोलियों पर
साबुन लगाना शुरू किया तो उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया.
में उसके मस्ताने लंड को हाथों मे पकड़े सहला रही थी. मुझमे भी फिर से
चुदवाने की इच्छा जाग उठी. मैं उसके लंड को अपनी चूत पर रख रगड़ने लगी.
रवि भी अपने आपको रोक नही पाया उसने मुझे बाथरूम की दीवार के सहाहे खड़ा
किया और मेरे चुतदो को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड मेरी चूत मे घुसा
दिया.
उसके हर धक्के के साथ मेरी पीठ दीवार मे धँस जाती. में अपने बदन का बोझ
अपनी पीठ पर डाल अपनी चूत को और आगे की ओर कर देती और उसके धक्के का साथ
देती. थोड़ी ही देर में हम दोनो का पानी छूट गया.
हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए शवर के नीचे थोड़ी देर खड़े रहे. फिर
में उसे अलग हुई तो उसका लंड मुरझा कर मेरी चूत से फिसल कर बाहर आ गया.
मेरे मन में तो आया कि में उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले दोनो के
मिश्रित पानी का स्वाद चखू पर ये मेने भविष्य के लिए छोड़ दिया.
पूरा दिन हम मज़े करते रहे. कभी हम टीवी देखते तो कभी एक दूसरे को
छेड़ते. पूरे दिन हम कई बार चुदाई कर चुके थे. मेने रात के लिए भी रवि को
रोक लिया. रात को एक बार फिर हमने जमकर चुदाई की और एक दूसरे की बाहों मे
सो गये.
दूसरे दिन मे सो कर उठी तो मन में एक अजीब सी खुशी और शरीर मे एक नशा सा
भरा था. मेने रवि की तरफ देखा जो गहरी नींद मे सोया हुआ था. उसका लंबा
मोटा लंड इस समय मुरझाया सा था. उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से मे
अपने आपको नही रोक पाई.
में उसके बगल मे नंगी बैठी थी. मेरी चूत और निपल दोनो आग मे जल रहा था.
मेने अपना हाथ बढ़ाया और रवि के लंड को पकड़ अपने मुँह मे ले लिया. मैं
ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी इतने में रवि जाग गया और उसके मुँह से
सिसकारी निकल पड़ी, "हााआअँ प्रीईटी चूऊसो ईसीईईई चतत्तटो मेरी लंड को."
उसकी टाँगे अकड़ रही थी और में समझ गयी कि थोड़ी देर की बात है और वो
झाड़ जाएगा. कई सालों बाद में किसी मर्द के वीर्य का स्वाद चखने वाली थी.
में उसके लंड को चूसने मे इतना मशगूल थी कि कोई कमरे मे दाखिल हुआ है
इसका मुझे ध्यान ही नही रहा.
में बिस्तर पर बैठी और झुकी हुई रवि का लंड चूस रही थी कि मेने किसी के
हाथों का स्पर्श अपनी जांघों पर महसूस किया. रवि के लंड को बिना मुँह से
निकाले मेने अपनी नज़रे उप्पर उठाई तो देखा कि मेरी बहू रश्मि एकदम नंगी
मेरी जांघों के बीच झुकी हुई थी.
रश्मि मेरी जाँघो को चूमने लगी और उसके हाथ मेरे कूल्हे और कमर को सहला
रहे थे. मैने अपना ध्यान फिर रवि का लंड चूसने मे लगा दिया और इतने में
ही रश्मि मेरी चूत को मुँह में भर चूसने लगी.
उसकी जीब ने तो जैसे मेरी चूत की आग को और भड़का दी. में अपने कूल्हे
पीछे की ओर कर उसकी जीब का मज़ा लेने लगी. इतने अपनी जीब के साथ रश्मि
अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. मेरा शरीर उत्तेजना
मे भर गया.
मेने ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूस रही और साथ साथ ही रश्मि के मुँह पर
अपनी चूत दबा रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने रश्मि के मुँह पर
पानी छोड़ दिया.
अचानक रवि ने मेरे सिर पर हाथ रख उसे अपने लंड पे दबा दिया. उसके लंड को
गले तक लेने मे मुझे परेशानी हो रही थी कि उसके लंड ज़ोर की पिचकर छोड़
दी. इतना पानी छूट रहा था की पूरा वीर्य निगलना मेरे बस की बात नही थी.
उसका वीर्य मेरे होठों से होता हुआ मेरी चुचियों पर गिर पड़ा.
रश्मि ने आगे बढ़ मेरे चुचियों परे गिरे वीर्य को चाट लिया और मेरी
चुचियों को चूसने लगी.
"क्या इनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी नही है?" रश्मि ने मेरे निपल्स को भींचते
हुए रवि से पूछा.
रवि के लंड से छूटा वीर्य अभी भी मेरे होठों पे लगा हुआ था. में बिस्तर
पर आराम से लेट गयी थी, तभी रवि ने मेरे होठों को चूम कर मुझे चौंका
दिया. उसने मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी. मैं
इतनी उत्तेजित हो गयी कि मुझे लंड लेने की इच्छा होने लगी.
रवि ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैला एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना
लंड मेरी चूत मे अंदर तक पेल दिया. उसके एक ही धक्के ने मेरी चूत का पानी
छुड़ा दिया.
रश्मि मेरे उप्पर आ गयी और मेरे चेहरे के पास बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह
पर रख दी, मैं डर गयी, "प्लीज़ रश्मि ऐसा मत करो, मेने आज तक ये सब नही
किया है." मेने विरोध करते हुए कहा.
"बेवकूफ़ मत बनो. वक्त आ गया है कि तुम ये सब सीख लो. वैसे ही करते जाओ
जैसे मेने तुम्हारी चूत चूस्ते वक़्त किया था." रश्मि ने कहा.
"रश्मि अगर तुमने जिस तरह से मेरे लंड को चूसा था उससे आधे तरीके से भी
तुम चूत चतोगी तो रश्मि को मज़ा आ जाएगा." रवि ने मेरी चूत मे धक्के
लगाते हुए कहा.
मेने अपना सिर थोडा सा उप्पर उठाया और अपनी जीब बाहर निकाल ली. मुझे पता
नही था कि चूत कैसे चाती जाती है इसलिए मैं अपनी जीब रश्मि की चूत के
चारों और फिराने लगी.
रश्मि की चूत इतनी मुलायम और नाज़ुक थी की में अपने आप को रोक नही पाई और
ज़ोर से अपनी जीब चारों तरफ घूमने लगी, रश्मि के मुँह से सिसकारी निकल
पड़ी. रश्मि को भी मज़ा आ रहा था.
मुझे खुद पर विश्वास नही हो रहा था, मुझे उसकी चूत का स्वाद इतना अच्छा
लगा कि मेने अपनी जीब को एक त्रिकोण का आकर देकर उसकी चूत मे घुसा दी. अब
मैं उसकी चूत मे अपनी जीब अंदर बाहर कर रही थी.
रश्मि को भी मज़ा आ रहा था. उसने अपनी जंघे और फैला दी जिससे मेरी जीब को
और आसानी हो उसकी चूत के अंदर बाहर होने मे.
जैसे जैसे मे रश्मि की चूत को चूस रही थी मेरी खुद की उत्तेजना बढ़ती जा
रही थी. रवि एक जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था. उसका लंड पिस्टन की
तरह मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उत्तेजना मे मेने अपनी दोनो टाँगे
रवि की कमर पे लपेट ली और वो जड़ तक धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगा.
रवि ने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया और उसी
समय मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. मेरी चूत हम दोनो के पानी से भर गयी
थी. मेने नज़रें उठा अपना ध्यान रश्मि की ओर कर दिया.
अब मे अपनी जीब जोरों से उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी. मेने उसकी चूत
की पंखुड़ियों को अपने दांतो मे ले काट लेती तो वो मारे उत्तेजना के चीख
पड़ती, "ओह काआतो मेरिइई चूओत को ओह हाआअँ घुसााआआअ दो आआपनी जीएब
मेर्रर्र्ररर चूऊत मे आआआः आचाा लग रहा है."
रश्मि ने उत्तेजना मे अपनी चूत मेरी मुँह पर और दबा दी और अपनी चूत को और
मेरे मुँह मे घुसा देती. मैने उसके कुल्हों को पकड़ और ज़ोर से उसकी चूत
को चूसना शुरू कर दिया. रश्मि ने अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाते हुए
अपना पानी छोड़ दिया. आख़िर वो थक कर मेरे बगल मे लेट गयी.
हम तीनो थके निढाल बिस्तर पर लेटे हुए थे कि रश्मि बोल पड़ी, "प्रीति आज
तक किसी ने मेरी चूत को इस तरह नही चूसा जैसे तुमने. सबसे बड़ी बात ये है
कि चूत चूसने का तुम्हारा पहला अनुभव था."
"और लंड चूसने मे भी, मेरे लंड ने पहली बार इतना जल्दी पानी छोड़ा होगा."
रवि ने कहा.
"मुझे खुद समझ मे नही आ रहा है. पिछले दो दीनो मे जितनी चुदाई मेने की है
उतनी में पिछले दो सालों मे नही की." मेने कहा.
"अब तुम क्या सोचती हो?" रवि ने पूछा.
"मुझे खुद को अपने आप पर विश्वास नही हो रहा है कि मेने अपनी होने वाली
बहू के साथ शारारिक रिश्ता कायम किया है और मेरे बेटे के गहरे दोस्त से
चुदवाया है. समझ मे नही आता कि अगर मेरे बेटे राज को पता चला तो उससे
क्या उससे क्या कहूँगी." मेने कहा.
"ये सब आप मुझ पर छोड़ दें, राज को में संभाल लूँगी. फिलहाल तो में फिर
से गरमा गयी हूँ." रश्मि ने कहा.
रश्मि बिस्तर पर पसर गयी और अपनी टाँगे फैला दी, "प्रीति अपनी जीब काजादू
मेरी चूत पर एक बार फिर से चला दो. आओ और मेरी चूत को फिर से चूसो ना."
मेने अपनी होने होली वाली बहू को प्यार भरी नज़रों से देखा और उसकी टाँगो
के बीच आते हुए अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक घुसा दी. रश्मि को अपनी चूत
चूसवाना शायद अच्छा लगता था. वो सिसक पड़ी.
"ओह हााआआं चूऊऊऊओसो और ज़ोर से अहह ऐसे ही."
रवि मेरे पीछे आ गया और मेरी कुल्हों को पकड़ पीछे से मेरी चूत मे अपना
लंड घुसा दिया. मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. रवि ने मेरी चूत का पानी
अपनी उंगली मे लगा मेरी गांद के छेद मे डाल उसे गीला करने लगा. पहले तो
मुझे अजीब सा लगा पर में वैसे ही पड़ी रही.
"ऐसे ही रहना हिलना मत." कहकर रवि बाथरूम मे चला गया.
जब वो वापस आया तो उसने फिर अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी गांद
के छेद पे अपनी उंगलियाँ फिराने लगा. फिर वो कोई क्रीम मेरी गांद पर मलने
लगा. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के अंदर डाल दी और मलने लगा साथ ही
अपनी उंगली को मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. मेरी गांद पूरी तरह से
चिकनी हो गयी थी और उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी.
रश्मि जो अब तक रवि की हारकोतों को देख रही थी अचानक बोल पड़ी. "हाआन्न
रवि डाल दो अपना लंड इसकी गांद मे. में देखना चाहती हूँ कि तुम प्रीति की
गांद कैसे मारते हो?'
"प्रीति क्या तुम भी अपनी गांद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?" रवि ने अपने
लंड को मेरी गांद के छेद पर रखते हुए कहा.
"नही रवि ऐसा मत करना. मेने पहले कभी गांद नही मरवाई है." मेने अपना सिर
यहाँ वहाँ पटकते हुए कहा, "तुम्हारा लंड काफ़ी मोटा और लंबा और है, ये
मेरी गांद को फाड़ डालेगा."
"हिम्मत से काम लो. अगर में इसका लंड अपनी गांद मे ले सकती हूँ तो तुम भी
ले सकती हो फरक सिर्फ़ आदत का है." रश्मि मेरे निपल मसल्ते हुए बोली.
रवि ने ढेर सारी क्रीम लगाकर अपने लंड को भी चिकना कर लिया था. फिर उसने
थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगा अपना लंड मेरी गांद मे घुसा दिया.
मेरे आँख से आँसू निकल पड़े और में दर्द में चीख पड़ी, "उईईई
मररर्र्र्ररर गाइिईईईई निकॉयेयीयायायाल लूऊओ प्ल्ीआस्ीईए दर्द्द्द्द्दद्ड
हूऊ रहा."
मेरी चीखों पर ध्यान ना देते हुए रवि ने अपना हाथ आगे कर अपनी दो उंगली
मेरी चूत मे डाल दी. उसके इस स्पर्श ने शायद मेरी गांद मे उठते दर्द को
कम कर दिया. में अपने कूल्हे पीछे धकेल उसका साथ देने लगी.
रवि अब पूरे जोश से मेरी गांद की धुलाई कर रहा था. उसकी उंगलियाँ मेरी
चूत को चोद रही थी और उसका लंड मेरी गांद को.
वही रश्मि ने अपनी चूत मेरे मुँह के आगे एक बार फिर कर दी और में उसकी
चूत को चूसे जा रही थी.
रश्मि की निगाहें रवि के लंड पर थी जो मेरी गांद के अंदर बाहर हो रहा था,
"राआवी घुस्स्स्स्स्ससा दो अपना लंड फाड़ डूऊऊऊऊ आज इसकी गांद को." रश्मि
बड़बड़ा रही थी.
मेरे शरीर मे गर्मी इतनी बढ़ती जा रही थी. मेरी चूत मे उबाल आ रहा था.
मैं अपने पूरे जोश से रवि के धक्कों का साथ दे रही थी. मेरी चूत इतनी
पहले कभी नही फूली थी जितनी की आज.
"हे भ्ाागवान." मेने अपने आपसे कहा. "मेरा फिर छूटने वाला है," मुझे
विश्वास नही हो रहा था.
रवि पूरी ताक़त से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी
कमर के चारों और लपेट ली थी और बड़बड़ा रही थी, "ओह राआवी हाआआं और काआआस
के चूऊऊदो हूऊऊ आआआआः मेर्रर्र्र्ररर चूऊऊऊथा."
रवि मेरी गांद मे अपने लंड के साथ अपनी उंगली से मेरी चूत को चोद रहा था.
मेने अपना मुँह रश्मि की चूत पर रख दिया और एक पागल औरत की तरह उसकी चूत
को चूसने लगी.
रवि ने एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना वीर्य मेरी गंद मे छोड़ दिया. मेरी
गांद ने आज पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था. में ज़ोर ज़ोर से रश्मि की
चूत चूस रही थी, उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी और में हर बूँद का स्वाद
ले उसे पी रही थी.
हम तीनो थके निढाल, पसीने से तर बतर बिस्तर पर पसर गये. इतनी भयंकर
सामूहिक चुदाई मेने अपनी जिंदगी मे नही की थी. मुझे शरम भी आ रही थी साथ
ही एक अंजनी खुशी भी कि मैं अपने शारारिक सुख का भी अब ख्याल रख सकती थी
तभी रश्मि ने कहा,
"प्रीति तुम हमारे साथ हमारे हनिमून पर क्यों नही चलती?"
"रश्मि तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है? तुम चाहती हो कि में अपनी
हँसी उड़वाउ. लोग क्या कहेंगे कि बेटे के हनिमून पर एक मा उनके साथ क्या
कर रही है?" मेने कहा.
मैं मज़ाक नही कर रही. रवि हम लोगो का साथ आ रहा है. हमने चार लोगो के
हिसाब से कमरा बुक करवाया है. तुम हमारे साथ एक दम फिट बैठोगी." रश्मि ने
कहा.
"रश्मि सही कह रही है प्रीति. हमने चार लोगो की बुकिंग कराई है. मैं वैसे
भी किसी को अपने साथ ले जाने वाला था, तो तुम क्यों नही चलती." रवि ने
मेरी चुचियों को मसल्ते हुए कहा.
"तुम ये कहना चाहते हो कि राज चाहता है कि रवि और एक दूसरी औरत उसके साथ
उसके हनिमून पर चले और साथ साथ एक ही रूम मे रुके." मेने पूछा.
"हां ये सही है. तुम जानती हो कि हम तीनो आपस मे चुदाई करते है. और तुम
भी हम दोनो का साथ दे चुकी हो तो क्यों ना हम चारों साथ साथ चले." रवि ने
कहा और रश्मि ने भी अपनी गर्दन हिला दी.
"अगर में तुम लोगो की बात मान भी लेती हूँ तो राज क्या सोचेगा? मैं कैसे
उसके सामने एक ही कमरे में तुम दोनो के साथ चुदाई करूँगी?" मेने पूछा.
"मेने कहा ना कि राज में संभाल लूँगी." रश्मि ने कहा.
"मैं इस तरह फ़ैसला नही कर सकती. मुझे सोचने का वक़्त चाहिए. में सोच कर
तुम लोगों को बता दूँगी." मेने जवाब दिया.
मेने देखा कि रवि का लंड एक बार फिर खड़ा हो रहा था. रश्मि ने मेरी
निगाहों का पीछा किया और झुक कर रवि के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो
उसके लंड को चूसने लगी और उसका लंड एक बार फिर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो
गया.
"क्या ये सब कभी रुकेगा कि नही?" मेने अपने आप से पूछा.
"प्रीति में एक बार फिर तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ." रवि ने अपने लंड
को सहलाते हुए कहा.
रवि और रश्मि ने मिलकर मुझे घोड़ी बना दिया. "प्रीति में आज तुम्हारी
गांद मे अपना लंड डाल अपना वीर्य तुम्हारी गांद मे डाल दूँगा." रवि मेरे
कान मे फुसफुसाते हुए मेरे कान की लाउ को चुलबुलाने लगा.
मेरा शरीर कांप गया जब उसने अपने लंड को मेरे गंद के छेद पर रगड़ना शुरू
किया. वो एक बार मेरी गंद मे अपना लंड घुसा चुक्का था फिर भी मेरे मुँह
से हल्की चीख निकल गयी, "ओह मार गेयीयीयियी."
रवि का लंड मेरी गंद मे जगह बनाता हुआ पूरा अंदर घुस गया. वो मेरे
कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था. तभी रश्मि मेरी टाँगो के बीच आ गयी और
मेरी चूत को चाटने लगी. उसकी तर्जुबेकर जीब मेरी चूत से खेलने लगी.
वो अपने लंड को मेरी गंद के अंदर बाहर करता रहा जब तक कि उसका 9' इंची
लंड पूरा नही घुस गया. फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली और ज़ोर के धक्के लगाने
लगा.
मेने भी ऐसा आनंद अपनी जिंदगी मे नही पाया था. एक तो रश्मि की जीब मेरी
चूत मे सनसनी मचाए हुए थी और दूसरी और रवि का लंड मेरी गंद की धज्जियाँ
उड़ा रहा था. मैं भी उत्तेजना में अपने मम्मे मसल रही थी और ज़ोर से अपने
कुल्हों को पीछे धकेल उसका साथ दे रही थी.
रवि ज़ोर से चोद रहा था और रश्मि पूरी ताक़त से चूस रही थी. जब रश्मि ने
मेरी चूत के मुहानो को अपने दांतो से भींचा उसी वक़्त मेरी चूत ने पानी
छोड़ दिया. मुझे याद नही कि ये आज मे 6 बार झड़ी थी या 7वी बार.
रवि ने चोदना जारी रखा. मुझे उसका लंड अपनी गंद मे अकड़ता महसूस हुआ मैं
समझ गयी कि उसका भी छूटने वाला है.
मुझसे अब सहा नही जा रहा था. में पागलों की तरह अपना सिर बिस्तर पर पटक
रही थी, बिस्तर की चादर को नोच रही थी और गिड़गिदा रही थी कि वो दोनो रुक
जाए.
रवि ने अपने तगड़े लंड को मेरी गंद से बाहर खींचा और सिर्फ़ अपने सूपदे
को अंदर रहने दिया. उसने दोनो हाथों से मेरे मम्मे पकड़े और एक ज़ोर का
धक्का लगाया. उसका लंड मेरी गंद की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया.
उसने ऐसा दो तीन बार किया और अपना वीर्य मेरी गांद मे छोड़ दिया.
मुझे नही पता कि उसके लंड ने कितना पानी छोड़ा पर मेरी चूत पानी से लबाब
भर गयी थी. उसका वीर्य मेरी गांद से होते हुए मेरी चूत पर बह रहा था जहाँ
रश्मि अपनी जीब से उस वीर्य को चाट रही थी.
रवि और रश्मि उठे नहाए और कपड़े पहन कर चले गये, और छोड़ गये मुझे अकेला
अपनी सूजी हुई गंद और चूत के साथ जो रस से भरी हुई थी. उनके साथ हनिमून
पर मे जाउ कि नही इसी ख़याल मे कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता नही.
टू बी कंटिन्यूड………….
Mein Aur Meri Bahu – 02
gataank se aage......
Meine aane wale dino mein kai bar Rashmi, Raj aur Ravi ko ek sath
chudai karte dekha. Mujhe bhi kisi se chudwai kai saal ho gaye the aur
mera bhi sharir garma uthta tha.
Aisa lagta tha ki tino ko sex ke alava kuch sujhai hi nahi deta tha.
Meine nahi janti thi ki ye sab kuch kitne dino tak chalega. Agle
mahine Raj aur Rashmi ki shaadi hone wali thi.
Ek din jab wo teeno chudai me mashgul the mein har bar ki tarah unhe
chup kar dekh rahi thi. Mein apne hi khayalon mein khoyi hui thi ki
achanak meine dekha ki Ravi mujhe hi dekh raha tha. Shayad usne mujhe
chupkar dekhte pakad liya tha. Kya wo sab ko ye bata dega ye sochte
hue mein wapas apne kamre me aa gayi.
Kuch din guzar gaye par Ravi ne kisi se kuch nahi kaha. Mein samjhi
shayad usne mujhe na dekha ho par us din ke bad meine chupkar dekhna
band kar diya.
Shanivar ke din Raj aur Rashmi ne apne kuch doston ke sath picnic
manane chale gaye. Meine socha ki chalo aaj ghar mein koi nahi mein
bhi thoda aaram kar lungi.
Meine apne sare kapde uttar diye aur nangi ho gayi. Ek romantic novel
le mein sofe par let padhne lagi. Bekhayali me mujhe yaad nahi raha ki
meine darwaza kaise khula chod diya. Mujhe pata tab chala jab meine
Ravi ki awaz suni, "Kitab padhi jaa rahi hai."
Meine turant apna hath apne night gown ki taraf badhaya par Ravi ne
mere gown ko meri pahunch se door kar diya tha. Meine jhat se ek hath
se apni chuchiyon ko dhaka aur dusre hath se apni choot ko dhaka.
"Tum yahan kya kar rahe ho? Tum to Raj ke sath picnic par jane wale
the?" meine thoda chintit hote hue pucha.
"Pata nahi kyon mera man nahi kiya unke sath jane ko. Us din ke bad
meine socha aap akeli hongi chal kar aapka sath de dun. Aapko aitraz
to nahi?" Ravi ne jawab diya.
"Jarur aitraz hai. Aaj mein akeyle rehna chahti hun. Ab tum yahan se
chale jao." Meine apni awaz par jor dete hue kaha.
Ravi jor se hansne laga aur apne kapde uttar diye, "mein thodi der
aapke saath bitakar chala jaunga."
Mein uske vyavhar ko lekar chintit ho uthi. Jab usne kapde uttarne
shuru kiye to mein chaunk padi. Meine gaur se uske lund ki taraf
dekha, murjhaye pan ki halat mein bhi wo kam se kam 6' inch lamba dikh
raha tha. Meine apni nazren hatayi aur pet ke bal let gayi jisse uski
nazron se apne nange badan ko chupa saku.
"Isme itni hairani ki kya baat hai. Tum mujhe isse pehle bhi nanga
dekh chuki ho." Usne kaha.
Use pata tha ki mein un logo ko chup kar dekh chuki hun aur mein
inkaar bhi nahi kar sakti thi. Usne ek baar phir mujhe chaunka diya
jab wo mere nagn chuttadon ko sehlane laga.
Side table par padi tel ki shishi ko dekh kar wo bola, "Preeti tumhare
chuttad wakai bahot shandar hai aur tumhara figure. Lao mein thoda tel
laga kar tumhari maalish kar deta hun."
Meine mehsusn kiya ko wo mere kandhon par aur pith par tel dal raha
hai. Phir wo thoda jhukte hue mere badan par tel malne laga. Uske
hathon ka jadu mere sharir me aag si bhar raha tha. Uska lund ab khada
hokar mere chuttadon ki darar par ragad kha raha tha. Meine apne aap
ko chudana chaha par wo mujhe kas kar pakade tel malne laga.
Mere kandhon aur pith par se hote hue uske hath meri patli kamar par
maalish kar rahe the. Phir aur niche hote hue ab wo meri nagna janghon
ko masal rahe the. Ab wo meri gaand par apne hath se dhire dhire tel
lagane laga. Bich me wo unhe bhinch bhi deta tha. Ek ajib si sansani
mere sharir mein daud rahi thi.
Ravi kafi der tak yunhi meri maalish karta raha. Gaand ki maalish
karte hue kabhi wo meri janghon ke bich me bhi hath dal deta tha.
Phir usne mujhe kandhe se pakda aur pith ke bal lita diya. Isse pehle
ki mein koi virodh karti usne mere hothon ko apne hothon me le chusna
shuru kar diya. Ab mujhse apne aapko rok pana mushkil lag raha tha
aakhir itne dino se mein bhi to yahi chahti thi. Meine apne aapko Ravi
ke hawale karte hue apna munh thoda khola aur usne apni jeebh mere
munh mein dal ghoomane laga.
Ravi mere nichle hothon ko chooste hue meri thodi phir meri gardan ko
chum raha tha. Jab usne mere kanke lau ko chuma to ek ajeeb sa nasha
chaa gaya.
Apni jeeb ko hole hole mere nange badan par phirate hue niche ki aur
khisakne laga. Jab wo meri chuchiyon ke paas pahuncha to usne meri
chuchiyon ko halke se masalne laga. Mere tane hue nipple par apni jeeb
firane laga. Ajeeb si gudgudi mach rahi thi mere sharir me. Kitne
saalon se mein is tarah ke pyaar se vanchit thi.
Ravi meri aankhon mein jhankte hue kaha, "Tumhari chuchiyon badi shaandar hai."
Mein uske choone matra se jhadne ke kagar par thi. Ravi ne mujhe aise
halat pe lakar khada kar diya tha ki meri choot matra chune se pani
chod deti.
Wo meri chuchiyon ko chuse jaa raha tha aur dusre hath se meri janghon
ko sehla raha tha. Jhadne ki iccha mere mein triv hoti jaa rahi thi.
Meri choot mein aag lagi hui thi aur uska ek sparsh uski uthti aag ko
thanda kar sakti thi.
Meine use apni bahon mein jakadte hue kaha, "Ravi please please….."
"Please kya Preeti bolo na? Tum kya chahti ho mujhse? Kya tum jhadna
chahti ho?' jaise usne meri man ki baat padh li ho.
"Haan Ravi mera pani chooda do, mein jhadna chahti hun." Meine jaise
minnat mangte hue kaha.
Usne meri dono chuchiyon ko sath sath pakad kar mere dono nipple ko
apne munh mein lekar jor se choosne laga. Apni munh hata kar wo phir
se wahi harkat bar bar dohrane laga jab tak mein apne kulhe na
ucchalne lagi.
Jaise hi uska hath meri choot par pahuncha usne apni ungli meri gili
hui choot mein ghusa di. Phir usne apni do aur ungli meri choot mein
ghusa kar andar bahar karne laga.
Ravi phir meri tango ke bich aa gaya aur meri choot ko apne munh me le
liya. Uttejna ke mare meri choot phul gayi thi. Wo meri choot ko choos
aur chat raha tha. Ravi apni lambi juban se mere gand ke ched se
chatte hue meri choot tak aata aur phir apni juban ko andar ghusa
deta.
Uske is harkat ne meri tango ka tanav badha diya aur ek pichkari ki
tarah meri choot ne uski munh me pani chod diya. Mere sharir mare
uttejna ke kanp raha tha aur munh se siskariya nikal rahi thi.
Ravi ne acchi tarah meri choot ko chat kar saf kiya aur phir khade
hote hue meri hi pani ka swad dete hue mere hothon ko chum liya.
"Dekha tumhari choot ke pani ka swad kitna accha hai. Aur tumhari
choot pani bhi pichkari ki tarah chodti hai." Usne kaha.
"Haan Raj meri choot uttejna mein phul jati hai aur pani bhi isi tarah
chodti hai. Mere pati ka accha nahi lagta tha isiliye wo meri choot ko
choosna kam pasand karta tha." Meine kaha.
"Mein samajh sakta hun. Ab mein tumhe aaram se pyar karna chahta hun
aur tum bhi maze lo." Kehkar Ravi meri chehre par hath phirane laga.
Ravi uth kar khada ho gaya aur uska lund aur tan kar khada ho gaya.
Mein apni jindagi mein sabse lambe aur mote lund ko dekh rahi thi.
Ravi ka lund mere pati ke lund se dugna tha lambai me. Wo kamse kam
9'inch lambai me aur 5' inch motai me tha. Mera jee uske lund ko munh
me lene ko machal raha tha aur mein dar bhi rahi thi kyonki meine aaj
tak itne lambe lund ko nahi choosa tha.
Usne mujhe dhire se sofe par lita diya. Mein aaram se let gayi aur
apni tange phaila di. Usne apne lund ko meri choot ke munh par rakha
aur dhire se andar ghusa diya.
Meine kas kar Ravi ko apni bahon mein jakad liya tha. Uske lund ki
lambai se mujhe dar lag raha tha ki kahin wo meri choot ko sahi me
phad na de.
Ravi dhire se apne lund ko bahar khinchta aur phir andar ghusa deta.
Meine apni tange utha kar apni chaati se laga li jisse usko lund
ghusane mein asani ho. Jab uska lund pura meri choot me ghus gaya tha
to wo ruk gaya jisse meri choot uske lund ko adjust kar sake. Mujhe
pehli bar lag raha tha ki meri choot bhar si gayi hai.
Ravi ne meri aankhon me jhanka aur pucha, "Preeti tum thik to ho na?"
Mere munh se aawaz nahi nikli, meine sirf gardan hila kar use haan
kaha aur apne badan ko thoda hila kar adjust kar liya. Mujhse ab raha
nahi jaa raha tha.
"PLLLLLLEAAAAASE AB MUJJJJJJJHE CHOOOOODO." Meine dhire se usse kaha.
Ravi ne muskurate hue apne kulhe hilane shuru kar diye. Pehle to wo
mujhe dhire dhire chodta raha, jab meri choot gili ho gayi aur uska
lund asani se meri choot me aa jaa raha tha achanak usne meri tange
utha kar apne kandhon par rakh li aur jor jor ke dhakke lagane laga.
Uska har dhakka pehle dhakke jyada takatwar tha. Uski sanse tej ho
gayi thi aur wo ek hunkar ke sath apna lund meri choot ki jadon tak
dal deta. Ab mein bhi apne kulhe uchaal uska sath de rahi thi. Mein
bhi apni manzil ke nazdik pahunch rahi thi.
"CHOOOOOODO RAAAAAAAVI AISSSSSSSSE HI HAAAAAAAN OHHHHHHH MERAAAAA
CHUUTNE WAAAAAAAAAL HAIIII." Mein ukhdi sanso ke sath badbada rahi
thi.
"HAAAAAAN PREEEEETI CHOOOOOOD DOOOOOO APNAAAAAA PANIIIIII MERE
LIYEEEE." Kehkar wo jor jor se chodne lag gaya.
Ravi mujhe jitni takat se chod sakta tha chod raha tha aur meri choot
pani par pani chod rahi thi. Mera sharir uttejna me kanp raha tha,
meine apne nakhun uske kandhon pe gada diye. Meri sanse sambhli bhi
nahi thi ki Ravi ka sharir akadne laga.
"OHHHHHHHH PREEEEEEETI MERAAAAAAAAAA BHI CHOOOOOOTA OHHHHHHHH YE LO."
Ravi ne ek akhri dhakaya lagaya aur apna virya meri choot me chod
diya.
Pichkari pichkari meri choot me gir rahi thi. Jaise hi hum sambhle
meine apni tange sidhi kar li. Ravi thak kar mere sharir par ludhak
gaya, hum dono ka sharir pasine se tar batar tha.
"Chalo naha lete hai." Ravi ne mujhe chumte hue kaha.
Ab mujhe apne kiye hue par sharam nahi aa rahi thi. Mein nangi hi uthi
aur Ravi ka hath pakad bathromm ki aur badh gayi. Hum dono garam pani
ke shower ki niche khade ho apne badan ko sekne lage. Hum dono ek
dusre ki badan ko sehla rahe the aur ek dusre ki badan par sabun mal
rahe the. Meine Ravi ke lund aur uski goliyon par sabun lagana shuru
kiya to uska lund ek bar fir tan kar khada ho gaya.
Mein uske mastane lund ko hathon me pakde sehla rahi thi. Mujhme bhi
phir se chudwane ki iccha jag uthi. Meine uske lund ko apni chut par
rakh ragadne lagi.
Ravi bhi apne aapko rok nahi paya usne mujhe bathroom ki deewar ke
sahahe khada kiya aur mere chuttadon ko apni aur khinchte hue apna
lund meri choot me ghusa diya.
Uske har dhakke ke sath meri pith deewar me dhans jati. Mein apne
badan ka bojh apni pith par dal apni chut ko aur aage ki aur kar deti
aur uske dhakke ka sath deti. Thodi hi der mein hum dono ka pani choot
gaya.
Hum dono ek dusre ko bahon me liye shower ke niche thodi der khade
rahe. Phir mein use alag hui to uska lund murjha kar meri choot se
phisal kar bahar aa gaya. Mere man mein to aaya ki mein uske murjhaye
lund ko apne munh me le dono ke mishrit pani ka swad chakhu par ye
meine bahavishya ke liye chod diya.
Pura din hame maze karte rahe. Kabhi hum TV dekhte to kabhi ek dusre
ko chedte. Pure din hum kai bar chudai kar chuke the. Meine rat ke
liye bhi Ravi ko rok liya. Raat ko ek baar phir humne jamkar chudai ki
aur ek dusre ki bahon me so gaye.
Dusre din me so kar uthi to man mein ek ajib si khushi aur sharir me
ek nasha sa bhara tha. Meine Ravi ki taraf dekha jo gehri nind me soya
hua tha. Uska lamba mota lund is samay murjhaya sa tha. Uske lund ko
apne munh me lene se me apne aapko nahi rok payi.
Mein uske bagal me nangi baithi thi. Meri choot aur nipple dono aag me
jal raha tha. Meine apna hath badhaya aur Ravi ke lund ko pakad apne
munh me le liya. Mein jor jor se lund choosne lagi inte mein Ravi jag
gaya aur uske munh se siskari nikal padi, "HAAAAAAAN PREEEETI CHOOOOSO
ISEEEEEEEE CHATTTTO MERI LUND KO."
Uski tange akad rahi thi aur mein samajh gayi ki thodi der ki baat hai
aur wo jhad jayega. Kai salon bad mein kisi mard ke virya ka swad
chakhne wali thi. Mein uske lund ko choosne me itna mashgul thi ki koi
kamre me dakhil hua hai iska mujhe dhyan hi nahi raha.
Mein bistar par baithi aur jhuki hui Ravi ka lund choos rahi thi ki
meine kisi ke hathon ka sparsh apni janghon par mehsus kiya. Ravi ke
lund ko bina munh se nikale meine apni nazre uppar uthai to dekha ki
meri bahu Rashmi ekdum nangi meri janghon ke bich jhuki hui thi.
Rashmi meri jangho ko chumne lagi aur uske hath mere kulhe aur kamar
ko sehla rahe the. Meina apna dhyan phir Ravi ka lund choosne me laga
diya aur itne mein hi Rashmi meri choot ko munh mein bhar choosne
lagi.
Uski jeeb ne to jaise meri choot ki aag ko aur badhka di. Mein apne
kulhe piche ki aur kar uski jeeb ka maza lene lagi. Itne apni jeeb ke
sath Rashmi ni apni do ungli meri choot me dal andar bahar karne lagi.
Mera sharir uttejna me bhar gaya.
Meine jor jor se uske lund ko choos rahi aur sath sath hi Rashmi ke
munh par apni choot daba rahi thi. Thodi hi der mein meri choot ne
Rashmi ke munh par pani chod diya.
Achanak Ravi ne mere sir par hath rakh use apne lund pe daba diya.
Uske lund ko gale tak lene me mujhe pareshani ho rahi thi ki uske lund
jor ki pichkar chod di. Itna pani choot raha tha ki pura virya nigalna
mere bas ki baat nahi thi. Uska virya mere hothon se hota hua meri
chuchiyon par gir pada.
Rashmi ne age badh mere chuchiyon pare gire virya ko chat liya aur
meri chuchiyon ko choosne lagi.
"Kya inki chuchiyan kafi badi nahi hai?" Rashmi ne mere nipples ko
bhinchte hue Ravi se pucha.
Ravi ke lund se chuta virya abhi bhi mere hothon pe laga hua tha. Mein
bistar par aaram se let gayi thi, tabhi Ravi ne mere hothon ko chum
kar mujhe chaunka diya. Usne mere hothon ko chooste hue apni jeeb mere
munh me dal di. Mein itni uttejit ho gayi ki mujhe lund lene ki iccha
hone lagi.
Ravi ne meri choot ko apni ungliyon se faila ek hi jor ke dhakke me
apna lund meri choot me andar tak pel diya. Uske ek hi dhakke ne meri
choot ka pani chuda diya.
Rashmi mere uppar aa gayi aur mere chehre ke paas baith kar apni choot
mere munh par rakh di, Mein dar gayi, "Please Rashmi aisa mat karo,
meine aaj tak ye sab nahi kiya hai." Meine virodh karte hue kaha.
"Bewkoof mat bano. Wakt aa gaya hai ki tum ye sab sikh lo. Waise hi
karte jao jaise meine tumhari choot chooste waqt kiya tha." Rashmi ne
kaha.
"Rashmi agar tumne jis tarah se mere lund ko choosa tha usse aadhe
tarike se bhi tum choot chatogi to Rashmi ko maza aa jayega." Ravi ne
meri choot me dhakke lagate hue kaha.
Meine apna sir thoda sa uppar uthaya aur apni jeeb bahar nikal li.
Mujhe pata nahi tha ki choot kaise chati jati hai isliye mein apni
jeeb Rashmi ki choot ke charon aur phirane lagi.
Rashmi ki choot itni mulyam aur nazuk thi ki mein apne aap ko rok nahi
payi aur jor se apni jeeb charon taraf ghumane lagi, Rashmi ke munh se
siskari nikal padi. Rashmi ko bhi maza aa raha tha.
Mujhe khud par vishwas nahi ho raha tha, mujhe uski choot ka swad itna
accha laga ki meine apni jeeb ko ek trikon aakar dekhar uski choot me
ghusa di. Ab mein uski choot me apni jeeb andar bahar kar rahi thi.
Rashmi ko bhi maza aa raha tha. Usne apni janghe aur faila di jisse
meri jeeb ko aur aasani ho uski choot ke andar bahar hone me.
Jaise jaise me Rashmi ki choot ko choos rahi thi meri khud ki uttejna
badhti jaa rahi thi. Ravi ek jaanvar ki tarah mujhe chode jaa raha
tha. Uska lund piston ki tarah meri choot ke andar bahar ho raha tha.
Uttejna me meine apni dono tange Ravi ki kamar pe lapet li aur wo jad
tak dhakke marte hue mujhe chodne laga.
Ravi ne ek jor ka dhaaka laga apna virya meri choot me chod diya aur
usi samay meri choot ne bhi pani chod diya. Meri choot hum dono ke
pani se bhar gayi thi. Meine nazren utha apna dhyan Rashmi ki aur kar
diya.
Ab me apni jeeb joron se uski choot ke andar bahar kar rahi thi. Meine
uski choot ki pankhudiyon ko apne daton me le kat leti to wo mare
uttejna ke chikh padti, "OHHHHHHHH KAAAATO MERIIIII CHOOOT KO OHHHHHHH
HAAAAAN GHUSAAAAAAAAA DO AAAAPNI JEEEB MERRRRRRR CHOOOOT ME AAAAAAH
AACHAAAA LAG RAHA HAI."
Rashmi ne uttejna me apni choot meri munh par aur daba di aur apni
choot ko aur mere munh me ghusa deti. Meien uske kulhon ko pakad aur
jor se uski choot ko choosna shuru kar diya. Rashmi ne apni choot ko
mere munh par dabate hue apna pani chod diya. Aakihir wo thak kar mere
bagal me let gayi.
Hum tino thake nidhal bistar par lete hue the ki Rashmi bol padi,
"Preeti aaj tak kisi ne meri choot ko is tarah nahi choosa jaise
tumne. Sabse badi baat ye hai ki choot choosne ka tumhara pehla
anubhav tha."
"Aur lund choosne me bhi, mere lund ne pehli baar itna jaldi paani
choda hoga." Ravi ne kaha.
"Mujhe khud samajh me nahi aa raha hai. Pichle do dino me jitni chudai
meine ki hai utni mein pichle do saalon me nahi ki." Meine kaha.
"Ab tum kya sochti ho?" Ravi ne pucha.
"Mujhe khud ko apne aap par vishwas nahi ho raha hai ki meine apni
hone wali bahu ke sath shararik rishta kayam kiya hai aur mere bete ke
gehre dost se chudwaya hai. Samajh me nahi aata ki agar mere bete Raj
ko pata chala to usse kya usse kya kahungi." Meine kaha.
"Ye sab aap mujh par chod den, Raj ko mein sambhal lungi. Philhal to
mein phir se garma gayi hun." Rashmi ne kaha.
Rashmi bistar par pasar gayi aur apni tange faila di, "Preeti apni
jeeb jaadu meri choot par ek baar phir se chala do. Aao aur meri choot
ko phir se chooso na."
Meine apni hone holi wali bahu ko pyaar bhari nazron se dekha aur uski
tango ke bich aate hue apni jeeb uski choot me andar tak ghusa di.
Rashmi ko apni choot chooswana shayad accha lagta tha. Wo sisak padi.
"OHHHHHHHHH HAAAAAAAAN CHOOOOOOOOOSO AUR JOR SE AHHHHHHHH AISE HI."
Ravi mere piche aa gaya aur meri kulhon ko pakad piche se meri choot
me apna lund ghusa diya. Meri choot kafi gili ho chuki thi. Ravi ne
meri choot ka pani apni ungli me laga meri gaand ke ched me dal use
gila karne laga. Pehle to mujhe ajib sa laga par mein waise hi padi
rahi.
"Aise hi rehna hilna mat." Kehkar Ravi bathroom me chala gaya.
Jab wo wapas aaya to usne fir apna lund meri choot me ghusa diya aur
meri gaand ke ched pe apni ungliyan firane laga. Phir wo koi cream
meri gaan par malne laga. Usne thodi si cream meri gaand ke andar dal
di aur malne laga sath hi apni ungli ko meri gaand ke andar bahar kar
raha tha. Meri gaand puri tarah se chikni ho gayi thi aur uski ungli
aasani se andar bahar ho rahi thi.
Rashmi jo ab tak Ravi ki harkoton ko dekh rahi thi achanak bol padi.
"HAAANN RAVI DAL DO APNA LUND ISKI GAAND ME. MEIN DEKHNA CHAHTI HUN KI
TUM PREETI KI GAAN KAISE MARTE HO?'
"Preeti kya tum bhi apni gaand me mera lund lena chahogi?" Ravi ne
apne lund ko meri gaand ke ched par rakhte hue kaha.
"Nahi Ravi aisa mat karna. Meine pehle kabhi gaan nahi marwai hai."
Meine apna sir yahan wahan patakte hue kaha, "tumhara lund kafi mota
aur lamba aur hai, ye meri gaand ko phad dalega."
"Himmat se kam lo. Agar mein iska lund apni gaand me le sakti hun to
tum bhi le sakti ho farak sirf aadat ka hai." Rashmi mere nipple
masalte hue boli.
Ravi ne dher sari cream lagakar apne lund ko bhi chikna kar liya tha.
Phir usne thoda sa thuk apne lund par laga apna lund meri gaand me
ghusa diya.
Mere aankh se aansu nikal pade aur mein dard mein cheekh padi, "UIIIII
MARRRRRRRR GAYIIIIIII NIKAAAAAAAAAAL LOOOOO PLEEASEEEEE DARDDDDDDD
HOOOO RAHA."
Meri cheekhon par dhyan na dete hue Ravi ne apna hath aage kar apni do
ungli meri choot me dal di. Uske is sparsh ne shayad meri gaand me
uthte dard ko kam kar diya. Mein apne kulhe piche dhakel uska saath
dene lagi.
Ravi ab pure josh se meri gaand ki dhulai kar raha tha. Uski ungliyan
meri choot ko chod rahi thi aur uska lund meri gaand ko.
Wahi Rashmi ne apni choot mere munh ke aage ek bar phir kar di aur
mein uski choot ko choose jaa rahi thi.
Rashmi ki nigahen Ravi ke lund par thi jo meri gaand ke andar bahar ho
raha tha, "RAAAVI GHUSSSSSSSA DO APNA LUND PHAD DOOOOOOOOOO AAJ ISKI
GAAND KO." Rashmi badbada rahi thi.
Mere sharir me garmi itni badhti jaa rahi thi. Meri choot me ubaal aa
raha tha. Mein apne pure josh se Ravi ke dhakkon ka sath de rahi thi.
Meri choot itni pehle kabhi nahi phuli thi jitni ki aaj.
"HEY BHAAAAGWAN." Meine apne aapse kaha. "Mera phir chootne wala hai,"
mujhe vishwas nahi ho raha tha.
Ravi puri takat se apna lund andar bahar kar raha tha. Meine apni
tange uski kamar ke charon aur lapet li thi aur badbada rahi thi,
"OHHHHHHHH RAAAAVI HAAAAAAN AUR KAAAAAAS KE CHOOOOOODO HOOOOOO
AAAAAAAH MERRRRRRRR CHOOOOOOOOTA."
Ravi meri gaand me apne lund ke sath apni ungli se meri choot ko chod
raha tha. Meine apna munh Rashmi ki choot par rakh diya aur ek pagal
aurat ki tarah uski choot ko choosne lagi.
Ravi ne ek jor ka dhakka mara aur apna virya meri gand me chod diya.
Meri gaand aaj pehli bar virya ka swad chakha tha. Mein jor jor se
Rashmi ki choot choos rahi thi, uski choot pani chode jaa rahi thi aur
mein har boond ka swad le use pee rahi thi.
Hum tino thake nidhal, pasine se tar batar bistar par pasar gaye. Itni
bhayankar samuhik chudai meine apni jindagi me nahi kit hi. Mujhe
sharam bhi aa rahi thi sath hi ek anjani khushi bhi ki mein apne
shararik sukh ka bhi ab khyal rakh sakti thi tabhi Rashmi ne kaha,
"Preeti tum hamare sath hamare Honeymoon par kyon nahi chalti?"
"Rashmi tumhara dimag to kharab nahi ho gaya hai? Tum chahti ho ki
mein apni hansi udwaun. Log kya kahenge ki bete ke Honeymoon par ek
maa unke sath kya kar rahi hai?" meine kaha.
"Mein majak nahi kar rahi. Ravi hum logo ka sath aa raha hai. Humne
chaar logo ke hisab se kamra book karvaya hai. Tum hamare sath ek dum
fit baithogi." Rashmi ne kaha.
"Rashmi sahi keh rahi hai Preeti. Humne chaar logo ki booking karai
hai. Mein waise bhi kisi ko apne sath le jane wala tha, to tum kyon
nahi chalti." Ravi ne meri chuchiyon ko masalte hue kaha.
"Tum ye kehna chahte ho ki Raj chahta hai ki Ravi aur ek dusri aurat
uske sath uske Honeymoon par chale aur sath sath ek hi room me ruke."
Meine pucha.
"Haan ye sahi hai. Tum janti ho ki hum tino aapas me chudai karte hai.
Aur tum bhi hum dono ka sath de chuki ho to kyon na hum charon sath
sath chale." Ravi ne kaha aur Rashmi neb hi apni gardan hila di.
"Agar mein tum logoon ki baat man bhi leti hun to Raj kya sochega?
Meine kaise uske samne ek hi kamre mein tum dono ke sath chudai
karungi?" meine pucha.
"Meine kaha na ki Raj mein sambhal lungi." Rashmi ne kaha.
"Mein is tarah faisla nahi kar sakti. Mujhe sochne ka waqt chahiye.
Mein soch kar tum logon ko bata dungi." Meine jawab diya.
Meine dekha ki Ravi ka lund ek bar phir khada ho raha tha. Rashmi ne
meri nigahon ka picha kiya aur jhuk kar Ravi ke lund ko apne munh me
le liya. Wo uske lund ko choosne lagi aur uska lund ek bar phir puri
tarah se tan kar khada ho gaya.
"Kya ye sab kabhi rukega ki nahi?" meine apnea aap se pucha.
"Preeti mein ek bar phir tumhari gaan marna chahta hun." Ravi ne apne
lund ko sehlate hue kaha.
Ravi aur Rashmi ne milkar mujhe ghodi bana diya. "Preeti mein aaj
tumhari gaand me apna lund dal apna virya tumhari gaand me dal dunga."
Ravi mere kan me phuphusate hue mere kan ki lau ko chulbulane laga.
Mera sharir kamp gaya jab usne apne lund ko mere gand ke ched par
ragadna shuru kiya. Wo ek bar meri gand me apna lund ghusa chukka tha
phir bhi mere munh se halki cheekh nikal gayi, "OHHHHHHH MAR
GAYIIIII."
Ravi ka lund meri gand me jagah banata hua pura andar ghus gaya. Wo
mere kulhon ko pakad dhakke laga raha tha. Tabhi Rashmi meri tango ke
bich aa gayi aur meri choot ko chaatne lagi. Uski tarjubekar jeeb meri
choot se khelne lagi.
Wo apne lund ko meri gand ke andar bahar karta raha jab tak ki uska 9'
inchi lund pura nahi ghus gaya. Phir usne raftar pakad li aur jor ke
dhakke lagane laga.
Meine bhi aisa anand apni jindagi me nahi paya tha. Ek to Rashmi ki
jeeb meri choot me sansani machaye hue thi aur dusri aur Ravi ka lund
meri gand ki dhajjiyan uda raha tha. Meine bhi uttejna mein apne mame
masal rahi thi aur jor se apne kulhon ko piche dhakel uska sath de
rahi thi.
Ravi jor se chod raha tha aur Rashmi puri takat se choos rahi thi. Jab
Rashmi ne meri choot ke muhano ko apne daton se bhincha usi waqt meri
choot ne pani chod diya. Mujhe yaad nahi ki ye aaj me 6thi bar jhadi
thi ya 7vi baar.
Ravi ne chodna jaari rakha. Mujhe uska lund apni gand me akadta mehsus
hua mein samajh gayi ki uska bhi chootne wala hai.
Mujhse ab saha nahi jaa raha tha. Mein paglon ki tarah apna sir bistar
par patak rahi thi, bistar ki chadar ko noch rahi thi aur gidgida rahi
thi ki wo dono ruk jain.
Ravi ne apne tagde lund ko meri gand se bahar khincha aur sirf apne
supade ko andar rehne diya. Usne dono hathon se mere mame pakde aur ek
jor ka dhakka lagaya. Uska lund meri gand ki deewaron ko chirta hua
jad tak ghus gaya. Usne aisa do teen bar kiya aur apna viry meri gaand
me chod diya.
Mujhe nahi pata ki uske lund ne kitna pani choda par meri choot pani
se labab bhar gayi thi. Uska virya meri gaand se hote hue meri choot
par beh raha tha jahan Rashmi apni jeeb se us virya ko chat rahi thi.
Ravi aur Rashmi uthe nahaye aur kapde pehan kar chale gaye, aur chod
gaye mujhe akala apni suji hui gand aur choot ke sath jo ras se bhari
hui thi. Unke sath Honeymoon par me jaun ki nahi isi khayal me kab
mujhe neend aa gayi mujhe pata nahi.
To be continued………….
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप
भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨)
Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
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